Month: December 2023

उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार हो रही है शीतकालीन चार धाम यात्रा, जानिए कब और कैसे शुरू होगी ये यात्रा।

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पूरी दुनिया जब क्रिसमस और न्यू ईयर के जश्न में डूब रही होगी, तब देवभूमि उत्तराखंड में पहली बार ऐतिहासिक शीतकालीन यात्रा की शुरूआत होगी। आमतौर पर चारधाम यात्रा की शुरूआत उत्तराखंड में गर्मियों में होती है, लेकिन पहली बार शीतकालीन यात्रा पोस्ट मास में शुरू होने वाली है। यात्रा की शुरूआत जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद करेंगे। शंकराचार्य के प्रतिनिधियों ने रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। सीएम धामी ने चारधाम यात्रा के लिए शुभकामनाएं दी हैं।

7 दिन की शीतकालीन तीर्थ यात्रा की शुरुआत 27 दिसंबर से होगी। समापन 2 जनवरी को हरिद्वार में होगा। यात्रा के आमंत्रण के लिए ज्योतिर्मठ का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री धामी से मिला और यात्रा का आमंत्रण पत्र दिया।उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 6 माह की अवधि की होती है,,ठंड और बर्फबारी के साथ ही ये यात्रा शीतकाल के लिए बंद कर दी जाती है लेकिन अब उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा की भी शुरुआत होने जा रही है, यानी साल के 12 महीने अब ये यात्रा हो पायेगी नए साल के अवसर पर अगर आप भी चारों धाम  के दर्शन करना चाहते हैं, तो ये बिल्कुल संभव है.

 

ज्योतिर्पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू की जा रही है. आमतौर पर चारधाम यात्रा की शुरुआत उत्तराखंड में गर्मियों में होती है. यह यात्रा 6 माह तक यानी दीपावली के आसपास तक चलती है, लेकिन पहली बार शीतकालीन यात्रा पौष मास में शुरू होने जा रही है।

जानिए क्या कहा अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने- 

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि इस बार शीतकाल के दौरान चारों धामों की यात्रा कर वह उस  धारणा को समाप्त करना चाहते हैं  कि  सिर्फ 6 महीने ही चार धाम की पूजा हो सकती है वह लोगों को यह समझाने का प्रयास करेंगे कि शीतकाल में भी चार धाम की पूजा वैकल्पिक स्थान पर की जाती है, यहां दर्शन करने पर भी वही पुण्य मिलता है, जो मूल स्थान पर मिलता है उन्होंने कहा कि इससे चारों धामों में आस्था रखने वाले साल भर दर्शन के लिए उत्तराखंड पहुंच सकते हैं साथ ही स्थानीय लोगों और सरकार को इसका आर्थिक रूप से फायदा भी  मिलेगा।

कोई शंकराचार्य इतिहास में पहली बार कर रहे ऐसी यात्रा-

इतिहास में पहली बार कोई शंकराचार्य ऐसी यात्रा कर रहे हैं। आम धारणा है कि शीतकाल के 6 माह तक उत्तराखंड के चार धामों की बागडोर देवताओं को सौंप दी जाती है और उन स्थानों पर प्रतिष्ठित चल मूर्तियों को पूजन स्थलों में विधि विधान से विराजमान कर दिया जाता है। इन स्थानों पर 6 महीने तक पूजा पाठ पारंपरिक पुजारी ही करते हैं, लेकिन लोगों में धारणा रहती है कि अब 6 महीने के लिए पट बंद हुए तो देवताओं के दर्शन भी दुर्लभ होंगे। ये प्रयास अगर सफल होता है तो निश्चित रूप से उत्तराखंड में पर्यटन को पंख लग सकते हैं और केवल चार धाम यात्रा ही नहीं बल्कि प्रदेश की आर्थिकी के लिए भी एक अच्छा कदम साबित हो सकता है।

Maharashtra: फिर से गरमा रहा मराठा आरक्षण, ’10 लाख वाहन होंगे मुंबई के लिए रवाना’, आंदोलन की रणनीति पर बोले मनोज जरांगे.

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मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में रार थमने का नाम नहीं ले रही है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे लगातार मराठा आरक्षण की मांग को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार को 24 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिए जाने के बाद मनोज जरांगे ने अपने अगले कदम को सार्वजनिक कर दिया है। उन्होंने कहा कि 20 जनवरी से मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करेंगे।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मनोज जरांगे ने कहा कि आंदोलनकारियों के लिए जरूरी सामान लेकर करीब दस लाख वाहन 20 जनवरी को मुंबई के लिए रवाना होंगे। जरांगे ने घोषणा कि 20 जनवरी से मुंबई में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को लेकर फिर से भूख हड़ताल शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि लगभग दस लाख वाहन मुंबई के लिए रवाना होंगे। आसपास के जिलों के लोग अंतरवाली सरती आएंगे। जिसके बाद लोगों मुंबई की ओर पैदल चलना शुरू करेंगे।

आजाद मैदान में शुरू करूंगा भूख हड़ताल: जरांगे

जरांगे ने कहा, मैं 20 जनवरी से मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करूंगा। मराठों को दबाना मुश्किल है। हम समुदाय के लिए आरक्षण हासिल किए बिना वापस नहीं लौटेंगे। आरक्षण कार्यकर्ता ने कहा कि वह जालना जिले के अंतरवाली स्थित अपने गांव से पैदल ही रवाना होंगे और मुंबई पहुंचेंगे, इस दौरान समुदाय के सदस्य भी उनके साथ शामिल होंगे। जरांगे ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की अपनी मांग को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को 24 दिसंबर तक का समय दिया था।

 

बता दें कुछ दिनों पहले विधानसभा सत्र के दौरान सदन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि जरूरत पड़ी तो फरवरी में विशेष सत्र बुलाएंगे। मैं सभी मराठा समुदाय को आश्वासन देता हूं कि उनके साथ कोई अन्याय नहीं किया जाएगा। हम उनके लिए हरसंभव सहायता के लिए आगे हैं। जिसके बाद मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने कहा था कि हम फरवरी तक का इतंजार नहीं करेंगे। अगर राज्य सरकार इस मुद्दे पर विफल रहती है तो निश्चित ही हमारा विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू हो जाएगा।

UKPSC: ग्रेजुएट युवाओं के लिए आयोग ने 2 साल में निकाली केवल तीन भर्तियां, नौकरी के लिए युवा परेशान.

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प्रदेश में बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे परंपरागत ग्रेजुएशन कोर्स करने वाले युवाओं के लिए भर्तियों की भारी कमी हो गई है। हालात ये हैं कि पिछले साल राज्य लोक सेवा आयोग ने केवल एक भर्ती निकाली थी और इस साल दो। हर साल 15 हजार से ज्यादा सामान्य ग्रेजुएट पासआउट होते हैं और इन तीन भर्तियों में केवल 785 पद थे।

युवाओं का कहना है कि दूसरे राज्यों के मुकाबले उत्तराखंड का राज्य लोक सेवा आयोग इस मामले में काफी पीछे चल रहा है। इंतजार में उनकी उम्र निकलती जा रही है। आयोग ने पिछले दो साल में वैसे तो बहुत भर्तियां निकाली हैं, जिनमें समूह-ख व समूह-ग के भर्तियां शामिल हैं। सेनिटरी इंस्पेक्टर, एई भर्ती, जेईभर्ती, आईटीआई प्रिंसिपल, लेक्चरर, जियोलॉजिकल माइनिंग, मैनेजमेंट ऑफिसर, वेटरनरी ऑफिसर आदि भर्तियां ऐसी निकाली, जिनमें केवल संबंधित विषय में विशेष योग्यता वाले युवा ही शामिल हो सकते थे।

इसी प्रकार आयोग ने फॉरेस्ट गार्ड, कनिष्ठ सहायक की जो भर्ती निकाली वह 12वीं के स्तर की है। यह सामान्य ग्रेजुएशन पास युवाओं के लिए नहीं है। राज्य के इन युवाओं के लिए न तो पीसीएस, लोअर पीसीएस जैसी भर्तियां निकल पाईं और न ही फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर, सब इंस्पेक्टर, अपर निजी सचिव भर्ती का इंतजार खत्म हो पाया है। 

युवाओं का कहना है कि इसी इंतजार में वह आयु सीमा से बाहर होते जा रहे हैं। वहीं, आयोग का तर्क है कि जो भी अधियाचन (प्रस्ताव) संबंधित विभागों से आ रहे हैं, उनकी भर्तियां सही समय पर निकाली जा रही हैं। जो अधियाचन किसी कमी की वजह से लौटाए गए थे, वह अभी तक वापस नहीं आए हैं।

कहा, अब नए साल में इन ग्रेजुएट युवाओं के लिए कुछ भर्तियां निकलने की उम्मीद जग रही है। खास बात ये भी है कि आयोग ने सालभर में पांच बार एग्जाम कैलेंडर जारी किया है। हर कैलेंडर में कई नई भर्तियों का वादा हुआ तो कई पुरानी गायब हो गईं।

ये 3 भर्तियां निकली-

पटवारी लेखपाल भर्ती : 563 पदों के लिए पिछले साल 14 अक्तूबर को भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था।
अधिशासी अधिकारी एवं कर व राजस्व निरीक्षक भर्ती : 85 पदों के लिए आयोग ने इस साल 28 अगस्त को विज्ञापन जारी किया था। प्रक्रिया चल रही है।

समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा : 137 पदों के लिए आयोग ने ये भर्ती इस साल आठ सितंबर को निकाली थी। इसकी प्रक्रिया भी गतिमान है।

All Weather Sela Tunnel: इंतजार हुआ खत्म; सेला टनल बनकर लगभग तैयार, देश को नए साल में मिलेगा तोहफा.

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नए वर्ष में देशवासी एक बार फिर से ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनने जा रहे हैं। बहुप्रतीक्षित और दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बन रही सबसे लंबी सुरंग (13000 फीट) का काम लगभग पूरा हो गया है। डबल लेन वाली यह ऑल वेदर टनल अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामिंग और तवांग जिले को जोड़ेगा। एलएसी तक पहुंचने वाला यह एकमात्र रास्ता है। माइनस 20 डिग्री के तापमान में रात-दिन इसका काम जारी है। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) की देखरेख में बन रही यह सुरंग पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का उदाहरण है। यह सुरक्षा टनल सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखकर बनी है। इसके बनने से जहां प्रदेश के लोगों की राह आसान होगी वहीं भारतीय सेना की तवांग सेक्टर में ताकत बढ़ेगी और वह तीव्र गति से अग्रिम मोर्चे तक पहुंच सकेगी। माना जा रहा नए वर्ष में इसे अगले महीने प्रधानमंत्री देशवासियों को समर्पित कर सकते हैं।

इस टनल की जरूरत क्यों?

सेला दर्रे पर वर्तमान में, भारतीय सेना के जवान और क्षेत्र के लोग तवांग पहुंचने के लिए बालीपारा-चारीदुआर रोड का उपयोग कर रहे हैं। सर्दी के मौसम में अत्यधिक बर्फबारी के कारण सेला दर्रे में भयंकर बर्फ जम जाती है। इससे रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है। साथ ही, दर्रे पर 30 मोड़ आते हैं, जो बहुत ही घुमावदार हैं। इस कारण यहां आवाजाही पर पूर्ण रूप से  बाधित हो जाती है। सफर के लिए कई-कई घंटों तक का इतंजार करना पड़ता है। इस दौरान पूरा तवांग सेक्टर देश के बाकी हिस्सों से कट जाता है। सेला दर्रा सुरंग मौजूदा सड़क को बायपास करेगी और यह बैसाखी को नूरानंग से जोड़ेगी। इसके साथ ही सेला सुरंग सेला-चारबेला रिज से कटती है, जो तवांग जिले को पश्चिम कामेंग जिले से अलग करती है

कुल टनल प्रोजेक्ट की लंबाई है 11.84 किलोमीटर-

टनल प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 11.84 किलोमीटर है। इसमें टनल और सड़कें शामिल हैं। पश्चिम कमिंग जिले (बैसाखी) की तरफ 7.2 किलोमीटर चलने के बाद हम टनल-1 में प्रवेश करते हैं। इसकी लंबाई करीब 1 किलोमीटर है। इसके बाद एक सड़क आती है, जिसकी लंबाई 1.2 किलोमटर है। इसके बाद आती है टनल-2 की जिसकी लंबाई 1.591 किलोमीटर है। टनल से निकलने के बाद तीसरी सड़क है, जो नूरानंग की तरफ निकलती है, इसकी लंबाई है 770 मीटर की है।

आपातकाल में सुरक्षा की पूरी है तैयारी-

टनल के अंदर भी सुरक्षा की पूरी व्यवस्था है। अगर कोई घटना घट जाती है तो सुरंग के अंदर से लोगों को बाहर निकालने की व्यवस्था है। टनल के अंदर रेस्क्यू के लिए बीच में गेट बनाए गए हैं। अगर टनल के एक हिस्से में कुछ हो जाता है तो बीच में बनाए गए आपात रास्ते से लोगों को आसानी से निकालने की व्यवस्था की गई है।

98 प्रतिशत काम पूरा, जनवरी में पीएम कर सकते हैं उद्घाटन-

इस टनल का शिलान्यास 1 अप्रैल, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। तब माना जा रहा था कि इसे अगले तीन वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन कोविड के चलते यह प्रोजेक्ट विलंब हो गया। माइनस 20 डिग्री की हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में भी दिन-रात काम जारी है। अब तक करीब 98 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। केवल दो प्रतिशत काम बाकी है। माना जा रहा है कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक इसका काम पूरा कर लिया जाएगा। इस हिसाब से माना जा रहा है कि 2024 की शुरुआत में ही जनवरी, 2024 में प्रधानमंत्री इसे देश को समर्पित कर सकते हैं। इस टलन के बनने से जहां समय की बचत होगी वहीं अब यात्रा भी सुगम हो जाएगी। टनल के बनने से करीब छह किलोमीटर की कमी आएगी। इसके साथ ही करीब डेढ़ घंटे का समय भी बचेगा।

इसलिए खास है प्रोजेक्ट
  • सेला टनल 13,500 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर दो लेन में बनी दुनिया की सबसे बडी सुरंगहोगी
  • अरुणाचल प्रदेश के तवांग और वेस्ट कामेंग जिलों को जोड़ेगा टनल 1 और टनल 2
  • टनल की कुल लंबाई है 11.84 किलोमीटर है
  • 1591 मीटर का ट्विन ट्यूब चैनल हो रहा है तैयार। दूसरी सुरंग 993 मीटर लंबी है।
  • टनल 2 में ट्रैफिक के लिए एक बाई-लेन ट्यूब और एक एस्केप ट्यूब बनाया गया है। मुख्य सुरंग के साथ ही इतनी ही लंबाई की एक और सुरंग बनाई गई है, जो किसी आपातकालीन समय में काम आएगी।
  • पूरी तरह स्वदेशी और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके बनाए गए हैं टनल। टनल पर बर्फबारी का कोई असर नहीं होगा।
  • प्रॉजेक्ट के तहत दो सड़कें (7 किलोमीटर और 1.3 किलोमीटर) भी बनाई गई हैं।
  • टनल के उद्घाटन के साथ ही छह किलोमीटर की दूरी होगी कम
  • डेढ़ घंटे के समय की होगी बचत

रणनीतिक महत्व
  • सेला दर्रा (पास) 317 किलोमीटर लंबी बालीपारा-चाहरद्वार-तवांग सड़क पर है।
  • यह अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग को तवांग को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र सड़क है।
  • तवांग सेक्टर में एलएसी तक पहुंचने का एक मात्र रास्ता।
  • हर मौसम में रहेगा खुला। भारतीय सेना और आमजन को होगी सहूलियत
  • सेना तीव्र गति से पहुंचेगी अग्रिम चौकियों तक, चीन को दे सकेंगं माकूल जवाब

 

 

कब हुई सेला टनल की शुरुआत और क्या है लागत?
  • एक अप्रैल, 2019 को प्रधानमंत्री ने रखी थी नींव।
  • तीन वर्ष में करना था पूरा लेकिन कोविड के कारण हुआ विलंब
  • कुल अनुमानित लागत 647 करोड़ रुपए
  • चौबीसों घंटे जारी रहा काम, माइनस 20 डिग्री के तापमान पर भी काम जारी रहा

Covid19: कोरोना के नए वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता, JN.1 के 63 मरीज मिले, जानिए किस राज्य में हैं सबसे ज्यादा कोरोना के मरीज .

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कोरोना का नया वैरिएंट तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है, जिसने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। सरकार ने भी लोगों से सावधानी रखने की अपील की है। बता दें कि भारत में कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 के मरीजों की संख्या बढ़कर 63 हो गई है। बता दें कि गोवा में सबसे ज्यादा मरीज नए वैरिएंट जेएन.1 से संक्रमित पाए गए हैं। गोवा में नए वैरिएंस से संक्रमित मरीजों की संख्या 34 है। वहीं महाराष्ट्र में छह, कर्नाटक में आठ, केरल में छह, तमिलनाडु में चार और तेलंगाना में दो लोग नए कोरोना वैरिएंट जेएन.1 से संक्रमित पाए गए हैं।

डब्लूएचओ का दावा-दुनिया के कई देशों में फैल रहा जेएन 1
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) का कहना है कि कोरोना के नए वैरिएंट जेएन 1 के दुनिया के कई देशों में संक्रमित मरीज मिल रहे हैं और इसके मामले तेजी से भी बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नए वैरिएंट जेएन 1 को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट माना है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अभी इसे लेकर और अध्ययन करने की जरूरत है कि जेएन 1 का शरीर पर क्या असर हो रहा है। भारत में तो अभी तक जेएन 1 से संक्रमित मरीजों में बहुत ज्यादा चिंताजनक लक्षण नहीं दिखाई दिए हैं। जेएन 1 का संक्रमण भी कम है। साथ ही अभी जो वैक्सीन उपलब्ध हैं, उनसे ही इस वैरिएंट से निपटा जा सकता है।

जेएन 1 को लेकर ये बातें चिंताजनक-

कोरोना का नया वैरिएंट जेएन 1 तेजी से फैलता है और दुनिया के कई देशों में इसके मामले बढ़ रहे हैं। ठंड बढ़ने के साथ जेएन 1, इंफ्लुएंजा, रिनोवायरस और अन्य सांस संबंधी बीमारियां के साथ लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। यही वजह है कि सरकार ने लोगों से अपील की है कि वह सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का इस्तेमाल करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की कोशिश करें। साथ ही बच्चों और बुजुर्गों को विशेष तौर पर सावधानी रखने की सलाह दी गई है।
https://youtu.be/GhZsXKydvA4

 

देश में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या 4 हजार के पार-

बता दें कि देश में बीते 24 घंटे में कोरोना के 312 एक्टिव केस मिले हैं। जिसके बाद देश में कुल सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 4054 हो गई है। बीते 24 घंटे में केरल में 128, कर्नाटक में 73, महाराष्ट्र में 50, राजस्थान में 11, तमिलनाडु में नौ, तेलंगाना में आठ और दिल्ली में सात नए एक्टिव केस मिले हैं।

Uttarakhand: बेटियों की तरह अब बेटों को भी मिलेगा महालक्ष्मी सुरक्षा कवच, जानिये क्या-क्या है इस लिस्ट में शामिल।

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उत्तराखंड में बेटियों की तरह अब बेटों को भी महालक्ष्मी सुरक्षा कवच मिलेगा। बेटा हो या बेटी पहले दो बच्चों के जन्म पर इस योजना का लाभ दिया जाएगा। धामी कैबिनेट में प्रस्ताव को मंजूरी मिली है।प्रदेश में 17 जुलाई 2021 को मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना शुरू की गई थी।

प्रसव के बाद माता,कन्या शिशु के पोषण, अतिरिक्त देखभाल और लैंगिक असमानता को दूर करने के उद्देश्य से योजना को शुरू किया गया था, लेकिन अब सरकार की ओर से बेटियों की तरह बेटों के जन्म पर भी योजना का लाभ दिए जाने का निर्णय लिया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि बेटा हो या बेटी पहले दो प्रसव पर योजना का लाभ दिया जाएगा।
ये मिलता है लाभ-

महालक्ष्मी किट में माताओं के लिए 250 ग्राम बादाम गिरी, अखरोट, सूखे खुमानी, 500 ग्राम छुआरा, दो जोड़ी जुराब, स्कार्फ, दो तौलिये, शाल, कंबल, बेडशीट, दो पैकेट सेनेटरी, नैपकिन, 500 ग्राम सरसों का तेल, साबुन, नेलकटर आदि सामग्री दी जाती है, जबकि बालिकाओं को किट में दो जोड़ी सूती व गर्म कपड़े, टोपी, मौजे, 12 लंगोट, तौलिया, बेबी सोप, रबर शीट, गर्म कंबल, टीकाकरण व पोषाहार कार्ड दिया जाता है।

जो महालक्ष्मी किट सिर्फ बेटियों के जन्म पर दी जाती थी, उसे अब बेटों के जन्म पर भी दिया जाएगा।

 

Karnataka: स्कूलों में हिजाब पहनने के मामले पर सियासत तेज, भाजपा ने किया विरोध तो कांग्रेस-RLD ने कही ये बड़ी बात.

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कर्नाटक में स्कूलों में हिजाब पहनने को लेकर एक बार फिर राजनीति शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को स्कूलों में हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को हटाने का ऐलान किया। इस कदम की जहां एक तरफ भाजपा ने आलोचना की, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने सही कदम बताया। आइए जानते हैं कि कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं की इस फैसले पर क्या राय है।

राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए-

कर्नाटक में स्कूलों में हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध हटाए जाने पर राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। राज्य की शिक्षा नीति में संस्कृति, अध्ययन और अन्य चीजें शामिल हैं।

जानिये क्या कहा प्रियांक खरगे ने ?

वहीं, कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा कि राज्य सरकार जो कुछ भी कर रही है वह कानून और संविधान के ढांचे के अनुसार है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास करने के लिए कोई काम नहीं है, उन्हें पहले अपने घर को संभालना चाहिए।

लोगों को दी गई है आजादी-

इसके अलावा, आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा, ‘संवैधानिक दृष्टिकोण से यह सही फैसला है। लोगों को आजादी दी गई है। अगर भोजन और पहनावे पर इस तरह के प्रतिबंध हैं, तो इससे आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी।’ 

भाजपा का हमला-

गौरतलब है, कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब की अनुमति देने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कम से कम शिक्षण संस्थानों को गंदी राजनीति से बचा सकते थे। अल्पसंख्यक या मुस्लिम समुदाय के किसी भी बच्चे ने हिजाब की मांग नहीं की है, लेकिन सीएम का दावा है कि वह स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में हिजाब की अनुमति देंगे। यह सीएम की मंशा को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यह सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति है और यह पूरी तरह से फूट डालो और राज करो की प्रथा है जिसका पालन कांग्रेस पार्टी करती है। हम इस कदम की कड़ी निंदा करते हैं।’

Covid19: देश में फिर तेजी से बढ़ा कोरोना का खतरा, बीते 24 घंटे में कोरोना के 752 नए मरीज मिले, 4 की मौत.

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Uttarakhand: हिमालयी राज्यों को पछाड़ उत्तराखंड बना नंबर-1, NCRB की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा.

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उत्तराखंड तरक्की कर रहा है या नहीं ये तो नहीं पता लेकिन कुछ चीजें ऐसी है जिसमें प्रदेश का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है और अब तो उत्तराखंड हिमालयी राज्यों में टॉप पर पहुंच चुका है. पर इसमें खुश होने की नहीं बल्कि शर्म करने की जरूरत है क्योकि जिसमें उत्तराखंड नंबर 1 बना है उसमें कोई भी राज्य नंबर 1 नहीं बनना चाहता। अभी हाल ही NCRB की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है जिसने कानून व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है और पूरे प्रदेश को शर्मसार कर दिया है।

 

उत्तराखंड में महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए। इसमें हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, लद्दाख सहित 9 राज्य शामिल हैं। इसके तहत वर्ष 2022 में प्रदेश में महिला अपराध का ग्राफ वर्ष 2021 के मुकाबले 26 प्रतिशत ऊपर पहुंच गया है ।

NCRB की रिपोर्ट में खुलासा-

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट तो यही बता रही है। इसके तहत वर्ष 2022 में प्रदेश में महिला अपराध का ग्राफ वर्ष 2021 के मुकाबले 26 प्रतिशत ऊपर पहुंच गया। एनसीआरबी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में महिला अपराध के 3431 मामले सामने आए थे, जबकि वर्ष 2022 में ये संख्या बढ़कर 4 हजार 337 पहुंच गई, यानी एक वर्ष में 906 मामलों की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले वर्ष 2020 में 2 हजार 846 मामले सामने आए थे। इतना ही नहीं महिला अपराध में बढ़ोतरी को लेकर देशभर में स्थिति की बात करें तो उत्तराखंड छठे पायदान पर है। इस मामले में आंध्र प्रदेश सबसे ऊपर है, जहां महिला अपराध में 43.66 प्रतिशत का उछाल आया है।उत्तराखंड प्रदेश में बड़ी संख्या में विवाहित महिलाओं को घर के भीतर प्रताड़ना झेलनी पड़ी है हालांकि, कई राज्य ऐसे भी हैं जहां महिला अपराध में कमी आई है। सबसे अधिक 51 प्रतिशत की कमी असम में आई है।साल दर साल प्रदेश में मामले बढ़ रहे हैं बात करें तो साल  2020 में  2 हजार 446 जबकि साल 2021 में  3 हजार 431 जबकि यही आंकड़ा साल  2022 में बढ़कर 4 हजार 337 हो गयी है।

वर्ष 2022 में पुलिस के समक्ष 956 ऐसे मामले पहुंचे। इनमें महिलाओं को पति या उसके रिश्तेदार ने पीटा या अन्य प्रकार से प्रताड़ित किया। यही नहीं, उत्पीड़न से तंग आकर या अन्य कारणों से वर्षभर में 24 महिलाओं ने आत्महत्या जैसा कदम भी उठाया। तो वहीं अपहरण के मामले भी बढ़े, वर्ष 2022 में प्रदेश में महिला अपहरण के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2021 में 696 अपहरण के मामले सामने आए थे, जबकि वर्ष 2022 में 778 महिलाओं का अपहरण हुआ वहीं दुष्कर्म की कोशिश के भी 18 मामले सामने आए हैं।

उत्तराखंड जिसे देवभूमि कहा जाता है और अमूमन इसको एक अपराध मुक्त और शांत प्रदेश कहा जाता है,,लेकिन जिस तरह से प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं उसने कही न कहीं चिंता जरूर पैदा कर दी है,,वो भी खासकर महिला अपराध जिस तरह से प्रदेश में बढ़ा है वो काफी चिंताजनक है जिस तरह अब ये अपराध मैदानों से लेकर पहाड़ की शांत वादियों तक पहुंच चुके हैं उससे प्रदेश की चिंताएं जरूर बढ़ रही है,,,साथ ही एक सवालिया निशान प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी खड़े हो रहे हैं सरकार या उसका क़ानूनी तंत्र पूरी तरह से इन अपराधों के आगे बेबस नजर आ रहा है पिछले साल ही जिस तरह से अंकिता भंडारी केस हुआ था उसके बाद उम्मीद लगाई जा रही थी कि प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाया जायेगा लेकिन ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है उल्टा सरकार अंकिता के दोषियों को अभी तक सजा नहीं दिला पाई है।इस तरह की हीलाहवाली भी कहीं  न कहीं अपराधियों का हौसला बढ़ाने जैसा है।

Ram Mandir: राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा मांगने के नाम पर हो रहा फर्जीवाड़ा, विश्व हिंदू परिषद ने लोगों को चेताया.

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अयोध्या में बन रहे भगवान राम के मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होना है। इसे लेकर हर तरह से प्रचार-प्रसार भी हो रहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का प्रयास है कि इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक लोगों को शामिल कर इसे एक बड़ा कार्यक्रम बनाया जाए। लेकिन इसी के साथ राम मंदिर के नाम पर एक बड़ा फ्रॉड भी सामने आ गया है। कुछ लोग राम मंदिर निर्माण के नाम पर पर्चा छापकर लोगों से चंदा वसूल रहे हैं।

 

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने कहा है कि राम मंदिर निर्माण के नाम पर कोई चंदा नहीं लिया जा रहा है। यह पूरी तरह फ्रॉड है और लोग इससे सावधान रहें। यदि कोई व्यक्ति राम मंदिर निर्माण के नाम पर चंदा ले रहा है, तो इसकी सूचना पुलिस को दें। बजरंग दल के पदाधिकारियों ने विहिप के नेताओं के संज्ञान में यह विषय लाया जिसके बाद संगठन को इस पर प्रतिक्रिया देनी पड़ी है।

विश्व हिंदू परिषद के शीर्ष पदाधिकारी मिलिंद परांडे ने शुक्रवार को एक प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा कि अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए किसी अलग समिति का गठन नहीं किया गया है। किसी समिति को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए धन एकत्र की जिम्मेदारी भी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा है कि समाज को ऐसे किसी भी फ्रॉड के प्रति सचेत रहना चाहिए और ऐसे किसी व्यक्ति को आर्थिक योगदान नहीं देना चाहिए।