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Uttarakhand: भू-तापीय ऊर्जा से बिजली बनाने का आइसलैंड के साथ MOU, सीएम धामी और आइसलैंड के राजदूत की उपस्थिति में हुआ समझौता ज्ञापन.

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उत्तराखंड सरकार और आइसलैंड की कंपनी VERKIS के मध्य संपादित हुआ भूतापीय ऊर्जा के अन्वेषण और इसके विकास से संबंधित MoU

मुख्यमंत्री धामी और आइसलैंड के राजदूत बेनेडिक्ट हॉस्कुल्सन की उपस्थिति में हुआ समझौता ज्ञापन

 

उत्तराखंड सरकार और आइसलैंड की कंपनी वर्किस कंसलटिंग इंजिनियर्स के मध्य सचिवालय में मुख्यमंत्री धामी और आइसलैंड के राजदूत डॉ. बेनेडिक्ट हॉस्कुलसन की गरिमामय उपस्थिति में उत्तराखंड में भूतापीय ऊर्जा के अन्वेषण और विकास के संबंध में समझौता संपन्न हुआ।

 

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की उपस्थिति में एमओयू पर उत्तराखंड सरकार की ओर से सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम और आइसलैंड के राजदूत डॉ. बेनेडिक्ट हॉस्कुलसन ने हस्ताक्षर किए। वर्चुअल माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस समझौता ज्ञापन को उत्तराखंड के साथ देश की ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास के क्षेत्र में एक माइलस्टोन बताया। उन्होंने कहा कि भू-तापीय ऊर्जा के इस एमओयू के माध्यम से न केवल स्वच्छ और नवीनीकरण ऊर्जा का लक्ष्य प्राप्त होगा बल्कि पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित रहते हुए समावेशी विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा।

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आइसलैंड भूतापीय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी देश है और इनके तकनीकी सहयोग और अनुभव से उत्तराखंड भूतापीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण राज्य बनकर उभरेगा. कहा कि भारत सरकार के तीन महत्वपूर्ण मंत्रालयों पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से इसकी अनापत्ति भी प्राप्त हो चुकी है। कहा कि राज्य में भूतापीय ऊर्जा के व्यवहारिकता के अध्ययन का व्यय भार का वहन आइसलैंड सरकार द्वारा किया जाएगा।

मालूम हो कि भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण एवं वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान देहरादून के आकलन के अनुसार उत्तराखंड राज्य में लगभग 40 भू-तापीय स्थल चिह्नित किए गए हैं, जिनमें भू-तापीय ऊर्जा का दोहन किया जा सकता है। इस समझौते के दौरान दिलीप जावलकर, दीपेंद्र चौधरी, रेजिडेंट कमिश्नर अजय मिश्रा, अपर सचिव रंजना राजगुरु, वर्किस कंपनी से हैंकर हैरोल्डसन, रंजीत कुंना व आइसलैंड एंबेसी से राहुल चांगथम उपस्थित रहे।

अध्ययन का व्यय भार आइसलैंड सरकार उठाएगी-

मुख्यमंत्री ने कहा कि आइसलैंड भू-तापीय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी देश है। इसके तकनीकी सहयोग और अनुभव से उत्तराखंड भू-तापीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण राज्य बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के तीन महत्वपूर्ण मंत्रालयों पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से इसकी अनापत्ति भी प्राप्त हो चुकी है। कहा कि राज्य में भू-तापीय ऊर्जा के व्यवहारिकता के अध्ययन का व्यय भार का वहन आइसलैंड सरकार की ओर से किया जाएगा।

 

MoU में क्या-क्या है खास-

उत्तराखंड में भूतापीय ऊर्जा के अन्वेषण और विकास में जुड़ेगा नया आयाम.

आइसलैंड की कंपनी वर्किस की विशेषज्ञता का लाभ.

उत्तराखंड के साथ-साथ देश की ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास में माइलस्टोन होगा साबित.

उत्तराखंड में भू तापीय ऊर्जा के दोहन योग्य 40 भूतापीय स्थल चिन्हित.

भारत के 2070 के कार्बन न्यूट्रल बनने के संकल्प में होगा सहायक.

 

इस दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, दिलीप जावलकर व दीपेंद्र चौधरी, विशेष सचिव /रेजिडेंट कमिश्नर अजय मिश्रा, अपर सचिव रंजना राजगुरु, प्रबंध निदेशक यू.जे.वी.एन. लिमिटेड संदीप सिंहल, प्रबंध निदेशक पिटकुल पी.सी. ध्यानी सहित वर्किस कंपनी से हैंकर हैरोल्डसन, रंजीत कुंना व आइसलैंड एंबेसी से राहुल चांगथम उपस्थित थे।

उत्तराखंड हिंदी भाषा में एआई (Artificial Intelligence) आधारित कोर्स तैयार करने वाला बना पहला राज्य।

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केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 के उत्तराखंड राज्य में क्रियान्वयन में की गई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने विशेष रूप से राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों और त्वरित क्रियान्वयन की प्रशंसा की। केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह आज नई दिल्ली में आयोजित बैठक में तीन नए आपराधिक कानूनों के उत्तराखंड में क्रियान्वयन की समीक्षा कर रहे थे।

 

उत्तराखंड AI आधारित कोर्स तैयार करने वाला पहला राज्य- CM 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बैठक में बताया कि उत्तराखंड राज्य में तकनीकी एकीकरण जैसे कि ई-साक्ष्य, ई-कोर्ट और ई-समन का सफल एकीकरण किया गया है। इन प्रौद्योगिकियों के प्रभावी उपयोग ने न्याय प्रणाली को तेज, पारदर्शी, और प्रभावी बनाया है।

मेडलीप्र (MedLEaPR) के माध्यम से चिकित्सा और कानूनी प्रक्रियाओं के बीच तालमेल बनाया गया है।
मुकदमों के निस्तारण में प्रगति की जानकारी देते हुए बताया गया कि अदालतों द्वारा मामलों के शीघ्र निस्तारण में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया है। 41% मामलों का निपटान और दोषसिद्धि दर प्रभावी न्याय प्रणाली का प्रमाण है।

कानूनों के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षण और जनशक्ति विकास के अंतर्गत 23,000 से अधिक पुलिस कर्मियों और अभियोजकों का सफल प्रशिक्षण किया गया है। उत्तराखंड हिंदी भाषा में एआई (Artificial Intelligence) आधारित कोर्स तैयार करने वाला पहला राज्य है। नए तीन कानूनों के संबंध में जन जागरूकता अभियान संचालित किए गए है।सामाजिक सहभागिता को बढ़ावा देने के लिए नुक्कड़ नाटक, चौपाल, और सेमिनार जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए।

जानिए क्या कहा गृह मंत्री ने- 

केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्य सरकार को ऑनलाइन तंत्र के क्रियान्वयन से हुई लागत में बचत का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया। उन्होंने राज्य में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (VC) सुविधाओं की संख्या बढ़ाने का भी सुझाव दिया, ताकि दूरस्थ क्षेत्रों में न्याय प्रक्रिया को और सुलभ बनाया जा सके।

बैठक के दौरान, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीन नए कानूनों के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास में भारत सरकार से समर्थन का अनुरोध किया। गृह मंत्री ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए राज्य को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।

बैठक में ये सभी अधिकारी मंत्री रहे मौजूद- 

समीक्षा बैठक में भारत सरकार के गृह सचिव के साथ ही उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (कानून), सचिव (गृह), पुलिस महानिदेशक, उपमहानिरीक्षक उपस्थित थे। बैठक में महानिदेशक बीपीआरएनडी (Bureau of Police Research and Development), गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के अधिकारी भी मौजूद थे।

 

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राजधानी में करीब 14 किमी तक एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने की तैयारी, यातायात दबाव कम करने में होगा मददगार

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राजधानी में करीब 14 किमी तक एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने की तैयारी चल रही है। इसको लेकर नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआई) काम कर रहा है। यह एलिवेटेड कॉरिडोर आईएसबीटी से शुरू होकर मोहकमपुर तक बनाने की योेजना है। योजना में अजबपुर-मोहकमपुर के बीच का राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) का हिस्सा है।एनएच यह हिस्सा एनएचएआई को देने को सहमत है। इसको लेकर अधिकारी राष्ट्रीय राजमार्ग एवं परिवहन मंत्रालय से अनुरोध कर चुके हैं, अब इसकी अनुमति जारी होने की उम्मीद की जा रही है।देहरादून-दिल्ली के बीच छह लेन का एक्सप्रेस वे का काम चल रहा है। इससे आने वाले दिनों में यातायात काफी सुगम हो जाएगा। इसी तरह के शहर में वाहनों के दबाव से निपटने के लिए भी योजना पर काम चल रहा है।
एनएच अपना हिस्सा एनएचएआई को देने को सहमत

जानकारी के अनुसार, एनएचएआई आशारोड़ी से ही एलिवेटेड कॉरिडोर को अजबपुर तक ले जाने की योजना बनाई है। अजबपुर से और मोहकमपुर के बीच करीब तीन किमी का एरिया एनएच का है, जिस पर पहले एनएच को काम करने की योजना थी, क्योंकि अधिकांश काम एनएचएआई कर रहा था, ऐसे में यह हिस्सा भी एनएचएआई ही तैयार करे, इसे लेकर शासन स्तर पर एक संयुक्त बैठक हुई थी।

इसमें एनएच अपना हिस्सा एनएचएआई को देने को सहमत हो गया। इस सहमति के बाद लोक निर्माण विभाग के सचिव ने मंत्रालय में अफसरों से मुलाकात कर आशारोड़ी से मोहकमपुर तक करीब 14 किमी का पूरा एलिवेटेड काॅरिडोर को तैयार करने का अनुरोध किया है। अब संभावना व्यक्त की जा रही है कि मंत्रालय से भी अनुमति मिल जाएगी।

यहां से होकर गुजरेगा एलिवेटेड कॉरिडोर

आशारोड़ी से शुरू होने वाला एलिवेटेड कॉरिडोर आईएसबीटी से होकर गुजरेगा। यहां से कारगी चौराहा-पुरानी चौकी-दून विवि पहुंचेंगे। यहां पर अजबपुर फ्लाई ओवर होते हुए रिस्पना-विधानसभा होते हुए मोहकमपुर तक जाएगा। बीच में धर्मपुर आदि जगहों पर डॉउन रैंप को बनाया जाएगा।

कई फ्लाई ओवर बनाए गए

शहर में कई यातायात के दबाव को कम करने के लिए कई फ्लाई ओवर को निर्माण किया गया। इसमें बल्लूपुर, बल्लीवाला, अजबपुर, मोहकमपुर और आईएसबीटी पर फ्लाई ओवर को बनाया गया। सहस्रधारा रोड आदि को चौड़ा किया गया है।

नए साल में होगा चारधाम यात्रा प्राधिकरण का गठन,धारण क्षमता बढ़ाने के लिए होंगें प्रयास

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चारधाम यात्रा के दौरान व्यवस्थाओं को मजबूत बनाने के लिए नये साल में यात्रा प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को 30 जनवरी 2025 तक प्राधिकरण के गठन की सभी प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए। इसके अलावा बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में अवस्थापना विकास को देखते हुए धारण क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाएं।

नये साल में यात्रा प्राधिकरण का गठन

 सीएम आवास में उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आगामी चारधाम यात्रा के सफल संचालन व सुगम बनाने के लिए अभी से पूरी तैयारियां की जाएं। यात्रा प्राधिकरण गठन करने के लिए 15 जनवरी तक चारधामों के तीर्थ पुरोहितों व हितधारकों के साथ बैठक कर उनके सुझाव लिए जाएं।

तीर्थ पुरोहितों और स्टेक होल्डरों से सुझाव लेकर यात्रा प्रबंधन के लिए जो अच्छा हो सकता है, वह किया जाए। सुव्यवस्थित चारधाम यात्रा के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल कर यात्रा पंजीकरण की व्यवस्था मजबूत किया जाए।

भीड़ को नियंत्रित करने की योजना बना कर काम


मुख्यमंत्री ने कहा, आगामी चारधाम यात्रा के दृष्टिगत यात्रियों की हर प्रकार की सुविधा, यातायात प्रबंधन, अवस्थापना सुविधाओं के विकास के दृष्टिगत धामों की धारण क्षमता, यात्रा मार्गों पर विभिन्न व्यवस्थाओं और अन्य सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अभी से पूरी तैयारियां की जाए। गत वर्ष चारधाम यात्रा में अत्यधिक श्रद्धालुओं आए थे।

भीड़ को नियंत्रित करने की योजना बना कर काम करें। यह सुनिश्चित किया जाए कि चारधाम यात्रा मार्गों पर जिन स्थानों पर वाहनों को रोकने की व्यवस्था हो, उन स्थानों पर पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था के साथ ही होटल, पेयजल, शौचालय, स्वच्छता और अन्य सभी मूलभूत आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखा जाए।

शीतकालीन यात्रा के दौरान बेहतर व्यवस्थाएं बनने से चारधाम यात्रा के दौरान भी इससे व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित रहेंगी। राज्य के इन धामों के शीतकालीन प्रवास स्थलों के आस-पास के पौराणिक क्षेत्रों के विकास के साथ ही पंच बदरी व पंच केदार के महत्व के बारे में भी व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाए।

Uttarakhand: वर्ष 2026 तक सोलर प्लांट से मिलेगी 60 मेगावाट बिजली, बढ़ेगी आय, 100 करोड़ का बजट.

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 प्रदेश में सौर ऊर्जा आने वाले वर्षों में सरकार की आय का बड़ा साधन भी बनेगी। सरकारी भवनों में लग रहे सोलर पावर प्लांट से मिलने वाली अतिरिक्त विद्युत से होने वाली आय ऊर्जा निगम को सरकारी कोष में जमा करानी होगी।

इसके लिए विभागों के साथ निगम विद्युत खरीद अनुबंध करेगा। अभी 305 सरकारी भवनों में नौ मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादित हो रही है। इसे वर्ष 2026 तक 60 मेगावाट करने का लक्ष्य है।

 

सौर ऊर्जा को सरकार कर रही प्रोत्साहित-

प्रदेश में सौर ऊर्जा को सरकार प्रोत्साहन दे रही है। इसके लिए सरकारी और निजी, दोनों क्षेत्रों में सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए सब्सिडी के रूप में आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है।

 

विशेष रूप से सरकारी भवनों में सोलर प्लांट लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। यही नहीं, प्लांट लगाने के लिए इस पर होने वाले खर्च को सरकारी भवनों की निर्माण लागत में जोड़ा जाएगा।

 

इसके लिए लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान में 307 सरकारी भवनों में नौ मेगावाट क्षमता के सोलर प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं।

 

1965 सरकारी भवनों में प्लांट की स्थापना प्रस्तावित-

वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1965 सरकारी भवनों में सोलर प्लांट की स्थापना प्रस्तावित है। इनके प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं। चालू वित्तीय वर्ष में इसके लिए 100 करोड़ रुपये बजट रखा गया है।

 

अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद वर्धन ने कहा कि शासकीय भवनों में स्थापित सोलर प्लांट से ऊर्जा निगम को अतिरिक्त बिजली मिल रही है। निगम को इस आय को सरकारी कोष में जमा कराना होगा।

 

इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। विशेष रूप से सरकारी भवनों से उनकी खपत के अतिरिक्त मिलने वाली विद्युत ऊर्जा निगम को प्राप्त हो रही है।

 

इस संबंध में अब ऊर्जा निगम को संबंधित विभाग के साथ विद्युत खरीद अनुबंध करना है। इससे अतिरिक्त विद्युत से सरकार को भी आय होगी। इस योजना से संबंधित गाइडलाइन में भी संशोधन किया जाएगा।

 

Uttarakhand: कुमाऊं को मिला तोहफा, लालकुआं-बांद्रा सुपरफास्ट ट्रेन हुई शुरू, सीएम ने वर्चुअली दिखाई हरी झंडी।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को वर्चुअल माध्यम से लालकुआं-बांद्रा सुपरफास्ट ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। सीएम ने कहा कि बाबा कैंची धाम के आशीर्वाद से लालकुआं से बांद्रा (मुंबई) के लिए ट्रेन संचालन का सपना पूरा हो गया है। इस ट्रेन के चलने से बाबा कैंची धाम, जागेश्वर और अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर विकल्प मिलेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का आभार व्यक्त किया।

सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम भारतीय रेल के स्वर्णिम युग की ओर आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और केंद्र सरकार के सहयोग से पहाड़ तक ट्रेन पहुंचने का सपना ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन बनने के साथ पूरा हो जाएगा। टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन पर भी सर्वे का काम पूरा हो चुका है, जल्द ही इस रूट पर भी कार्य शुरू कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से काशी, अयोध्या और अन्य प्रमुख शहरों के लिए रेल सेवा के और विस्तार के लिए प्रयास किए जाएंगे। सीएम ने कहा कि जनता के सहयोग से उत्तराखंड को को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार हर क्षेत्र में तेजी से कार्य कर रही है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांसद अजय भट्ट ने कहा कि मुंबई के लिए रेल सेवा शुरू होने से कुमाऊं की जनता के साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों को भी काफी सहूलियत मिलेगी। वहां विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट, पूर्व विधायक नवीन दुमका, जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, डीआरएम रेखा यादव समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।

 

माया नगरी के लिए पहले दिन ही पैक होकर रवाना हुई ट्रेन-

लालकुआं-बांद्रा सुपरफास्ट ट्रेन पहले दिन पैक होकर रवाना हुई। इसकी वजह ट्रेन का रूट दिल्ली-हजरत निजामुद्दीन स्टेशन होकर जाना भी माना जा रहा है। सोमवार को ट्रेन के स्लीपर क्लास की सभी 456 बर्थ और थर्ड एसी इकोनॉमी की सभी 141 बर्थ फुल रहीं। इसके अलावा सेकंड ऐसी की 47 बर्थ में 27 जबकि थर्ड एसी की 204 बर्थ में से 189 बर्थ बुक रहीं। इसके अलावा लालकुआं जंक्शन से जनरल कोच के 1235 रुपये के 12 लोकल टिकट बुक हुए।

कुमाऊं से मुंबई के लिए तीसरी ट्रेन-

पूर्वोत्तर रेलवे ने कुमाऊं मंडल के नैनीताल जिले को मुंबई के लिए तीन सुपरफास्ट ट्रेनों की सौगात दी है। इसकी वजह कुमाऊं की वादियों में पर्यटकों और रेल ट्रैफिक को बढ़ावा देना है। रेलवे के आलाधिकारियों की मानें तो निकट भविष्य में कुमाऊं से दक्षिण भारत के लिए भी ट्रेन चलाने की योजना प्रस्तावित है।

24 घंटे 45 मिनट में मुंबई पहुंचा देगी बांद्रा सुपरफास्ट ट्रेन-

लालकुआं, काठगोदाम और रामनगर से मुंबई के लिए चलने वाली तीन ट्रेनों में काठगोदाम और रामनगर का रूट मथुरा रेल ट्रैक से होते हुए है। वहीं, लालकुआं से चलने वाली ट्रेन दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रूट से होकर गुजरेगी। रेल अधिकारियों के मुताबिक काठगोदाम और रामनगर से मुंबई को जाने वाली ट्रेन का सफर लालकुआं से 26 घंटे 30 मिनट का है। वहीं लालकुआं से ही चलने वाली बांद्रा सुपरफास्ट ट्रेन 24 घंटे 45 मिनट में यात्रियों को माया नगरी पहुंचा देगी।

लालकुआं-बांद्रा टर्मिनस के मध्य नई ट्रेन (22544) सोमवार को लालकुआं से सुबह 7:45 बजे प्रस्थान कर रुद्रपुर सिटी, रामपुर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, हजरत निजामुद्दीन, मथुरा, कोटा, वडोदरा, सूरत होते हुए हुए अगले दिन मंगलवार को सुबह 8:30 बजेबांद्रा टर्मिनस पहुंचेगी। वापसी में बांद्रा टर्मिनस से मंगलवार सुबह 11 बजे प्रस्थान कर अगले दिन बुधवार को दोपहर 13:15 बजे लालकुआं पहुंचेगी। इस ट्रेन में सेकेंड एसी का 1 कोच, थर्ड एसी के 2 कोच, एसी इकोनॉमी श्रेणी के 3 कोच, स्लीपर श्रेणी के 6 कोच और सामान्य श्रेणी के 4 कोच लगे हैं। सभी कोच एलएचबी श्रेणी के लगाए गए हैं, जो कि सुविधाजनक और सुरक्षा की दृष्टि से काफी मजबूत होते हैं।

Heli Service: देहरादून और अल्‍मोड़ा के बीच शुरू हुई हेली सेवा, अब मिनटों में तय होगा कई घंटों का सफर.

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सहस्त्रधारा हेलीपोर्ट पर नवनिर्मित यात्री टर्मिनल का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्‍होंने देहरादून-अल्मोड़ा हेली सेवा की भी शुरुआत की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हवाई सेवा परिवहन का प्रमुख जरिया बन गया है। प्रदेश में लगातार हवाई सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है। अल्मोड़ा उत्तराखंड का प्राचीन शहर है। देहरादून-अल्मोड़ा हवाई सेवा शुरू होने से पर्यटन, रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यमुनोत्री, गोचर और जोशियाड़ा के लिए भी जल्द हेली सेवा शुरू होगी।

इस दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, राज्य सभा सदस्य नरेश बंसल, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, राजपुर रोड विधायक खजानदास, रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ, कैंट विधायक सविता कपूर आदि मौजूद रहे।

11 सीटर डबल इंजन वाला हेलीकाप्टर यात्रियों के लिए किया जाएगा प्रयोग-

अल्मोड़ा से हेली सेवा शुरू होने का इंतजार कर रहे लोगों को आज से हेली सेवा की सुविधा मिलेगी। हेली सेवा शुरू होने से अल्मोड़ा से देहरादून पहुंचने में यात्रियों को घंटों का सफर तय करने से निजात मिलेगी। यात्रियों के लिए करीब पांच हजार रुपया किराया निर्धारित किया गया है। जबकि 11 सीटर डबल इंजन वाला हेलीकाप्टर यात्रियों के लिए प्रयोग किया जाएगा।

लंबे समय से टाटिक से फिर हेली सेवा शुरू करने की मांग उठ रही थी। जिससे की अल्मोड़ा से देहरादून को यात्रा करने वाले यात्रियों को घंटों का सफर तय करने से मुक्ति मिल सके। लगातार उठ रही मांग के बाद प्रशासन ने यहां स हेली सेवा शुरू करने के लिए बीते दिनों कवायद तेज की।

जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने भी हेलीपैड का निरीक्षण किया। खामियों को शीघ्र दूर कर हेली सेवा शुरू करने के संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए थे। जिसके बाद दो अक्टूबर को यहां हेलीकाप्टर की सफल लैंडिंग कराई गई। लेकिन इसके बाद इंतजार बढ़ गया।

सफल ट्रायल के बाद भी हेली सेवा शुरू नहीं होने से लोगों में निराशा देखने को मिली। लेकिन अब लोगों को हेली सेवा लाभ मिलेगा। हेली सेवा से अल्मोड़ा से देहरादून की यात्रा करीब 45 से 53 मिनट की भीतर पूरी होगी। हेलीकाप्टर में दो पायलट होंगे।

सोमवार से शनिवार तक मिलेगी सेवा-

  • सोमवार से शनिवार तक हेली सेवा के संचालन को रूट चार्ट तैयार कर लिया गया है।
  • सोमवार से शनिवार तक देहरादून से 11 बजे करीब हेलीकाप्टर अल्मोड़ा के लिए उड़ान भरेगा।
  • 12 बजे करीब अल्मोड़ा हेलीपैड पहुंचेगा।
  • अल्मोड़ा से 12 बजकर पांच मिनट पर देहरादून के लिए हेलीकाप्टर उड़ेगा।

 

Uttarakhand News: पिथौरागढ़ का अंतिम गांव नामिक अब होगा रोशन, 340 परिवारों को अब 24 घंटे मिलेगी बिजली।

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पिथौरागढ़ जिले का अंतिम गांव जल्द ही बिजली की रोशनी से जगमगाएगा। यहां पहली बार ग्रिड से बिजली पहुंचेगी। 340 परिवारों के घर रोशन होंगे। यूपीसीएल ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। मुनस्यारी विकासखंड मुख्यालय से 50 किमी दूर नामिक जिले का अंतिम गांव है। इस दुर्गम गांव में पहुंचने के लिए 24 किमी पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। अब तक नामिक बिजली से रोशन नहीं हो सका है, इस गांव के 340 परिवारों की एक हजार से अधिक की आबादी दुश्वारियां झेल रही हैं।

अब पहली बार नामिक में बिजली पहुंचेगी इसकी पहल यूपीसीएल ने की है। गांव को रोशन करने के लिए 3.46 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसकी स्वीकृति मिल चुकी है। यूपीसीएल का दावा है कि जल्द ही यहां ग्रिड से बिजली पहुंचाई जाएगी।

15 किमी लंबी बिछेगी लाइन, लगेंगे 12 ट्रांसफार्मर
धारचूला यूपीसीएल के ईई बीके बिष्ट ने बताया कि गोला गांव तक ग्रिड से बिजली पहुंचाई गई है। यहां से नामिक तक बिजली पहुंचाने के लिए 11 केवीए की 15 किमी लंबी लाइन बिछाई जाएगी। वहीं नामिक को रोशन करने के लिए 12 ट्रांसफार्मर स्थापित होंगे।

 

उरेडा की योजना से सिर्फ चार घंटे मिलती है बिजली-
नामिक गांव में अब तक ग्रिड से बिजली नहीं पहुंची है। उरेडा की बिजली परियोजना से भी ग्रामीणों को राहत नहीं मिल रही है। ऐसा इसलिए कि इस छोटी परियोजना से ग्रामीण सिर्फ दो घंटे सुबह और दो घंटे शाम को ही घरों को रोशन कर सकते हैं। बल्ब के अलावा कोई अन्य उपकरणों का प्रयोग नहीं किया जा सकता।

नामिक गांव को प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत चयनित किया गया है। यहां ग्रिड से बिजली पहुंचेगी। ग्रामीणों को पर्याप्त बिजली मिलेगी। योजना को धरातल पर उतारने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है। जल्द काम शुरू होगा।
– डीएस बिष्ट, अधीक्षण अभियंता, यूपीसीएल, पिथौरागढ़।

उत्तराखंड में 6.55 लाख लोगों के घर लगाए जाएंगे स्मार्ट मीटर, अब फोन से कर सकेंगे रिचार्ज।

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र्जा निगम ने प्रदेश में बिजली के पुराने मीटरों को बदलकर स्मार्ट मीटर लगाने की कवायद प्रारंभ कर दी है। कुमाऊं में 6.55 लाख उपभोक्ताओं को नए मीटरों से जोड़ा जाना है। इसके लिए निगम ने अडानी समूह की कंपनी से अनुबंध किया है।

अनुबंध होने के बाद कंपनी ने उपभोक्ताओं के स्तर पर सर्वे शुरू कर दिया है। मैदानी में नगर व ग्रामीण दोनों इलाकों में स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में सिर्फ नगर की परिधि में आने वाले घरों व प्रतिष्ठानों में मीटर बदले जाएंगे।   केंद्र सरकार की पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के अंतर्गत स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जा रहा है।

मीटर बदलने का कार्य जारी-

अनुबंधित कंपनी के सर्किल प्रभारी हरीश तिवारी ने बताया कि पहले चरण में ऊर्जा निगम के सभी विद्युत उपकेंद्र को स्मार्ट मीटर के लिए विकसित किया जाना है। इसे लेकर सर्वे हो चुका है और हल्द्वानी क्षेत्र के कुछ उपकेंद्रों में नए स्मार्ट वितरण मीटर लगा दिए गए हैं। साथ ही कुमाऊं के अन्य उपकेंद्रों में भी मीटर बदलने का काम चरणबद्ध तरीके से हो रहा है।

वहीं, उपभोक्ता स्तर का सर्वे प्रारंभ कर दिया गया है। इसमें कंपनी की ओर से नियुक्त सर्वेकर्मी घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रहे हैं। एप्लिकेशन के माध्यम से सर्वे किया जा रहा है और पूरा रिकार्ड आनलाइन दर्ज कर रहे हैं। मंडल में 20 हजार सर्वे पूरा होने पर नए मीटर लगाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी। इसमें सर्वे और मीटर लगाने का काम समानांतर चलेगा।

ऐसे काम करेगा स्मार्ट प्रीपेड मीटर-

घरों में लगे बिजली के मीटर की प्रत्येक माह रीडिंग लेकर मीटर रीडर बिल प्रदान करता है। इसमें महीने में उपयोग की गई बिजली के अनुसार बिल प्राप्त होता है, जबकि स्मार्ट मीटर रिचार्ज आधारित होंगे। जिस तरह से मोबाइल फोन रिचार्ज करने पर संचालित होता है, ठीक उसी प्रकार बिजली के मीटर को भी रीचार्ज करना होगा। ऐसे में रिचार्ज के अनुसार ही बिजली आपूर्ति होगी।

अधिकारियों के अनुसार रिचार्ज खत्म होने के 48 घंटे के भीतर भुगतान करने का मौका मिलेगा। इस अवधि में सप्लाई चालू रहेगी।

मोबाइल एप से कर सकेंगे मीटर रीचार्ज-

स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ता मोबाइल एप से बिजली खर्च के पल-पल का रिकार्ड देख पाएंगे। इसी से मीटर रिचार्ज भी कर पाएंगे। एप में रिचार्ज खत्म होने को लेकर अलर्ट भी मिलता रहेगा। अनुबंधित कंपनी एप तैयार कर रही है। गूगल प्ले स्टोर और एप स्टोर से इसे डाउनलोड कर पाएंगे।

उपभोक्ता सर्वे में यह पूछा जाएगा-

  • उपभोक्ता संख्या एवं वर्तमान मीटर संख्या
  • उपभोक्ता का मोबाइल नंबर
  • मीटर की वर्तमान रीडिंग
  • बिजली के पुराने बिल

मीटर में लगाया जाएगा एयरटेल का सिम-

स्मार्ट मीटर में मोबाइल की तरह ही सिम कार्ड लगाया जाएगा। मीटर लगा रही कंपनी ने कुमाऊं में निजी दूरसंचार कंपनी एयरटेल के साथ इसके लिए अनुबंध किया है। ऐसे में मंडल के सभी क्षेत्रों में संबंधित कंपनी को अपने नेटवर्क की सुविधा बेहतर तरीके से प्रदान करनी होगी।

सर्वे कर्मियों को बताएं सही मोबाइल नंबर-

स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ता मोबाइल नंबर काफी अहम हो जाएगा। मीटर रिचार्ज करने के साथ ही उपयोग का विवरण देखने के लिए भी मोबाइल नंबर से ही एप में लागिन करना होगा। ऐसे में घर में सर्वे करने आने वाले कर्मचारी को अपना सही मोबाइल नंबर बताएं। यदि पुराना नंबर या अन्य विवरण परिवर्तित कराना है तो सर्वे के दौरान ही कराया जा सकता है।

 

Uttarakhand: गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग की मरम्मत में जुटे 400 से अधिक मजदूर, रामबाड़ा में स्थापित होगा बैलीब्रिज।

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लगभग डेढ़ महीने पूर्व अतिवृष्टि से प्रभावित हुआ गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग अब अपने मूल स्वरूप में लौटने लगा है। लोक निर्माण विभाग से 400 मजदूर रास्ते को दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं। संवेदनशील स्थानों पर रास्ते को पर्याप्त चौड़ा करने के साथ ही सुरक्षा के इंतजाम भी किए जा रहे हैं।

16 किलोमीटर लंबा गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग 31 जुलाई को अतिवृष्टि से व्यापक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। मार्ग 29 स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया था। इसमें 16 स्थानों पर पूरी तरह से वॉशआउट हो गया है। जगह-जगह बरसाती नाले बह रहे थे, जिससे रास्ते को पार करना मुश्किल हो गया था।

एक अगस्त से ही लोक निर्माण विभाग के 60 मजदूरों ने पैदल मार्ग का सुधारीकरण कार्य शुरू कर दिया था। आए दिन बारिश सहित अन्य विषम परिस्थितियों के बावजूद 26 अगस्त को यात्रा के दोबारा शुरू होने तक पैदल मार्ग को घोड़ा-खच्चरों के संचालन के साथ ही पैदल आवाजाही लायक बना दिया था।

इन दिनों 400 मजदूर रास्ते को उसका मूल स्वरूप में लौटाने में जुटे हुए हैं। जंगलचट्टी, भीमबली, छोटी लिनचोली, थारू कैंप, कुवेर गदेरा, टीएफटी आदि स्थानों पर गेविन वाल व सीसी पुश्ता तैयार कर रास्ते को पर्याप्त चार किलोमीटर चौड़ा किया जा रहा है। साथ ही बरताती नाले और एवलॉन्च जोन में पुलिया बनाई गई हैं। इससे आवाजाही में यात्रियों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हो।

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर रामबाड़ा में मंदाकिनी नदी पर 70 मीटर लंबा बैलीब्रिज प्रस्तावित है। अभी यहां पर हल्का लोहे का पुल बनाया गया है, इससे यात्रा का संचालन हो रहा है।

बता दें कि जून 2013 की आपदा में रामबाड़ा पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था, तब से यहां के हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। इस वर्ष भी बीते 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि से रामबाड़ा में दोनों हल्की पुलिया मंदाकिनी के बहाव में बह गईं थीं।

केदारनाथ पैदल मार्ग दुरुस्त किया जा रहा है। पर्याप्त चौड़ाई और सुरक्षा के लिए 400 मजदूर कार्य में जुटे हुए हैं। मौसम ने साथ दिया तो एक महीने में रास्ते को पूरी तरह से सुरक्षित कर लिया जाएगा।-विनय झिक्वांण, अधिशासी अभियंता, लोनिवि, गुप्तकाशी