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Uttarakhand Electricity Bill: उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं को मिलेगी बड़ी राहत, लौटाए जाएंगे 103 करोड़; जानिए किन लोगों को मिलेगी छूट.

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 उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं को ऊर्जा निगम ने फिर राहत दी है। दिसंबर के बिल में भी निगम औसत 85 पैसे प्रति यूनिट की छूट देने जा रहा है। बाजार से सस्ती दरों पर बिजली खरीद के चलते फ्यूल एंड पावर पर्चेज कास्ट एडजेस्टमेंट (एफपीपीसीए) के तहत इस माह 103 करोड़ रुपये से अधिक उपभोक्ताओं को लौटाए जाएंगे। इस वर्ष पहले भी ऊर्जा निगम उपभोक्ताओं को इस प्रकार की राहत दे चुका है।

ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने बताया कि उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के टैरिफ विनियमों के अनुसार यदि ऊर्जा निगम की मासिक विद्युत क्रय लागत अनुमोदित विद्युत क्रय लागत से अधिक होती है तो उसे उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में एफपीपीसीए मद में चार्ज किया जाता है। इसके विपरीत यदि मासिक विद्युत क्रय लागत अनुमोदित विद्युत क्रय लागत से कम होती है तो उसे उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में वापस किया जाता है।

वर्ष 2024-25 की औसत विद्युत क्रय लागत 5.03 प्रति यूनिट अनुमोदित की गई थी, जिसके सापेक्ष ऊर्जा निगम की अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में औसत विद्युत क्रय लागत 4.69 प्रति यूनिट रही।

इस प्रकार अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में ऊर्जा निगम की विद्युत क्रय लागत में अनुमोदित विद्युत क्रय लागत के सापेक्ष 0.34 प्रति यूनिट (6.77 प्रतिशत) की कमी आई। विद्युत क्रय लागत में हुई बचत की धनराशि को मासिक आधार पर उपभोक्ताओं को विद्युत बिलों में एफपीपीसीए मद में छूट रूप में प्रदान किया जा रहा है। पूर्व माह की भांति दिसंबर के बिलों में कुल 103.52 करोड़ (0.85 रुपये प्रति यूनिट) की छूट प्रदान की जाएगी।

श्रेणीवार दी जाने वाली छूट-

श्रेणी प्रति यूनिट छूट
घरेलू 25 पैसे से 68 पैसे
अघरेलू 98 पैसे
गवर्नमेंट पब्लिक यूटिलिटी 92 पैसे
प्राइवेट ट्यूबवेल 30 पैसे
कृषि गतिविधयां 42 पैसे
एलटी इंडस्ट्री 91 पैसे
एचटी इंडस्ट्री 91 पैसे
मिक्स लोड 85 पैसे
रेलवे ट्रैक्शन 85 पैसे
ईवी चार्जिंग स्टेशन 81 पैसे

64 लोगों को बिजली चोरी करते पकड़ा, मुकदमा-

संवाद सूत्र, जागरण, लक्सर : विजिलेंस एवं ऊर्जा निगम की संयुक्त टीम ने पुलिस व पीएसी के साथ मंगलवार सुबह क्षेत्र में ताबड़तोड़ छापेमारी कर बड़ी मात्रा में बिजली चोरी पकड़ी। सुबह-सुबह घर के दरवाजे पर विजिलेंस, ऊर्जा निगम एवं पुलिस टीम को देख लोगों में हड़कंप मच गया।

64 लोगों के खिलाफ बिजली चोरी के मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। अधिशासी अभियंता एसके गुप्ता ने बताया कि मंगलवार सुबह देहरादून से आई विजिलेंस व ऊर्जा निगम की संयुक्त टीम ने पुलिस व पीएसी के साथ लक्सर क्षेत्र के सुल्तानपुर, भोगपुर व जसद्दरपुर में छापेमारी की।

Uttarakhand: निकायों की जमीन और दुकान की लीज के लिए अब शासन की अनुमति जरूरी, जारी किए आदेश।

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उत्तराखंड के 105 नगर निकायों की जमीन व दुकान की लीज के लिए अब शासन की अनुमति जरूरी होगी। सचिव शहरी विकास नितेश झा ने इस संबंध में निकायों को आदेश जारी कर दिया है। लीज का नवीनीकरण भी शासन की अनुमति से ही होगा।

सचिव शहरी विकास नितेश झा के मुताबिक, यह संज्ञान में आया है कि कई नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत अपने स्वामित्व की जमीनों, भवन आदि को किराए और लीज पर बाजार दर से कम दरों पर आवंटित कर रहे हैं।

लीज की ऐसी संपत्तियां, जिनका नवीनीकरण पूरा हो चुका है, उन्हें भी बिना शासन के पूर्व अनुमोदन निकाय के स्तर से बाजार दरों से कम दरों पर नवीनीकरण किया जा रहा है। इससे नगर निकायों को आर्थिक रूप से काफी नुकसान हो रहा है। 

प्रस्तावों पर शासन के अनुमोदन के बिना मंजूर नहीं किया जाएगा

निकायों को गंभीरता अपनाते हुए सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है। सचिव शहरी विकास ने 30 अप्रैल 2010 के शासनादेश को याद दिलाते हुए स्पष्ट किया है कि निकायों की ओर से लीज नवीनीकरण से संबंधित प्रस्तावों पर शासन के अनुमोदन के बिना मंजूर नहीं किया जाएगा।
निकायों के स्वामित्व या प्रबंधन की संपत्ति जैसे भूमि, व्यावसायिक भूमि आदि को किराए या लीज पर प्रचलित बाजार मूल्य से न्यून दरों पर आवंटित नहीं कर सकेंगे। बल्कि, बाजार मूल्य या उससे अधिक दरों पर आवंटित किया जाएगा।

देहरादून समेत कई नगर निकाय ऐसे हैं, जिनकी करोड़ों की संपत्तियां कुछ ही रुपयों के किराये पर दी गई हैं। इनमें कई संपत्तियां तो निकायों के प्रभावशाली लोगों ने अपने चहेतों को औने-पौने दामों पर लीज पर दी हुई हैं। माना जा रहा है कि सरकार की सख्ती के बाद इस दिशा में कुछ सुधार होगा।

 

Uttarakhand: बिजली उपभोक्ताओं के लिए सुविधा, अब UPCL के टोल फ्री नंबर पर भी ले सकते हैं स्मार्ट मीटर की जानकारी।

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प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का काम शुरू हो गया है। यूपीसीएल के टोल फ्री नंबर 1912 पर उपभोक्ता आपूर्ति संबंधी जानकारियों सहित स्मार्ट मीटर की जानकारी भी ले सकते हैं। यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने बताया कि 24 घंटे का केंद्रीयकृत कॉल सेंटर संचालित किया जा रहा है, जिस पर उपभोक्ताओं की बिजली संबंधी शिकायतों के साथ ही स्मार्ट मीटर से जुड़ी जानकारियां भी दी जा रही हैं।

63 पुरुष और 42 महिला कर्मचारी तीन पालियों में सेवाएं दे रहे हैं। टोल फ्री नंबर पर बिजली संबंधी शिकायतों को संबंधित विभागों को भेजा जाता है, जिनका निवारण आसान होता है।उपभोक्ता की ओर से शिकायत दर्ज कराने के साथ ही शिकायत संख्या जारी कर दी जाती है।

उपभोक्ता स्वयं सेवा मोबाइल एप्लीकेशन से अपनी शिकायत को ट्रैक कर जानकारी भी ले सकते हैं। कॉल सेंटर से रोजाना 500 से अधिक समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। शिकायतों का त्वरित समाधान न होने पर उपभोक्ता यूपीसीएल के स्थानीय शिकायत केंद्रों पर जाकर भी अपनी दर्ज करा सकते हैं।

Uttarakhand: आर्थिक रूप से सक्षम लोगों से आयुष्मान छोड़ने का आग्रह करेगी सरकार, बढ़ते बजट ने बढ़ाई सरकार की चिंता।

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प्रदेश में आर्थिक रूप से सक्षम लोगों से प्रदेश सरकार आयुष्मान योजना छोड़ने का आग्रह करेगी। वर्तमान में राज्य आयुष्मान योजना के तहत अमीर से लेकर गरीब तक सबको पांच लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा है। योजना में अब तक 12.32 लाख लोगों के इलाज पर 2289 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। आयुष्मान योजना का सालाना बजट 1200 करोड़ तक पहुंचने वाला है। वित्त विभाग ने बढ़ते बजट पर चिंता जताई है।

2018 में केंद्र सरकार ने गरीब परिवारों के लिए अटल आयुष्मान योजना शुरू की थी। इस योजना का लाभ लेने के लिए उत्तराखंड के 5.37 लाख परिवार ही पात्र थे। लेकिन प्रदेश सरकार ने 23 लाख परिवारों के लिए पांच लाख निशुल्क इलाज की सुविधा शुरू की।

बजट 1200 करोड़ तक पहुंचने की संभावना-

शुरुआत में योजना का बजट 100 से 200 करोड़ सालाना था। जो बढ़ कर 600 करोड़ तक पहुंच गया है। अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 तक योजना का बजट 1200 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। इस पर वित्त विभाग ने प्रदेश के सीमित संसाधनों का हवाला दिया है।

स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि प्रदेश सरकार आयुष्मान कार्ड पर प्रदेश के सभी लोगाें को पांच लाख मुफ्त इलाज की सुविधा दे रही है। लेकिन जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं और इलाज कराने में समर्थ हैं, उन लोगों से आयुष्मान कार्ड छोड़ने का आग्रह करेगी।

58 लाख से अधिक लोगों के बने आयुष्मान कार्ड-

प्रदेश में 23.89 लाख राशन कार्ड धारक परिवार हैं। इन परिवारों के 97.11 लाख लाभार्थियों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं। अब तक 58 लाख लाभार्थियों के कार्ड बन चुके हैं। इनमें 4.73 लाख कर्मचारियों व पेंशनरों के गोल्डन कार्ड भी शामिल हैं।

Uttarakhand: सीमांत जिले में भी पांव पसार रहा HIV वायरस, 14 साल में 90 मामले आए पॉजिटिव।

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सीमांत जिला चमोली में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले 14 वर्षों (2009-10 से वर्तमान तक) में जिले में 90 लोग पॉजिटिव आए हैं। वर्तमान में जिले के एआरटी सेंटर (एंटी रिट्रोरल वायरस थेरेपी) से 71 लोग दवा ले रहे हैं। पिछले एक साल में जिले में छह लोग पॉजिटिव पाए गए हैं।

चमोली की शांत वादियों में एचआईवी का बढ़ता प्रकोप चिंता का विषय बनता जा रहा है। वर्तमान में जिला अस्पताल गोपेश्वर के एआरटी सेंटर से 15 लोग एचआईवी की दवा ले रहे हैं। जिसमें चार पुरुष व 11 महिलाएं शामिल हैं। वहीं एआरटी सेंटर कर्णप्रयाग से वर्तमान में 56 लोग एचआईवी का उपचार करवा रहे हैं। पिछले एक साल की बात करें तो जिला अस्पताल गोपेश्वर में चार जबकि कर्णप्रयाग में दो मामले पॉजिटिव आए हैं।
पहले जिले में एआरटी सेंटर नहीं था, एक साल पहले उपजिला चिकित्सालय कर्णप्रयाग में एआरटी सेंटर शुरू हुआ और जिला अस्पताल गोपेश्वर में लिंक एआरटी सेंटर शुरू किया गया। उसके बाद जो लोग दून या अन्य जगह के एआरटी सेंटर से एचआईवी की दवा लेते थे अब जिले में ही दवा ले रहे हैं।
एक साल पहले नवजात भी पाया गया पॉजिटिव
जिले में एक मामला ऐसा भी है जिसमें गर्भवती महिला के पॉजिटिव होने से उसका बच्चा भी पॉजिटिव पैदा हुआ। एक साल से बच्चे का उपचार चल रहा है, जो अब नेगेटिव आ चुका है, लेकिन उसका 18 महीने के होने तक उपचार चलता रहेगा। उसके बाद ही उसे नेगेटिव माना जाएगा। विशेषज्ञों ने बताया कि ऐसे मामले में बच्चे के जन्म लेने से 18 महीने का होने तक नियमित उपचार चलता है। यदि तब भी नेगेटिव नहीं आता है तो अंतिम टेस्ट 24 महीने का होने पर होता है। तब एचआईवी का जो स्टेटस रहेगा वही अंतिम माना जाता है।
पति-पत्नी भी पाॅजिटिव
जिले में एक मामला ऐसा भी आया है, जिसमें पति और पत्नी दोनों एचआईवी पॉजिटिव हैं। लेकिन दोनों की कोई ऐसी हिस्ट्री सामने नहीं आई जिसमें किसी पार्टनर के दूसरी जगह कोई संबंध रहे हों। जबकि एक मामले में पति पत्नी में एक पाॅजिटिव और एक नेगेटिव है।

गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच जरूरी
महिला के गर्भवती होने पर उसकी एचआईवी जांच जरूरी होती है। यह इसलिए भी जरूरी होता है यदि महिला पॉजिटिव आती है और गर्भवती होने के शुरुआती समय में पता चल जाता है तो बच्चे को सुरक्षित किया जा सकता है। लेकिन गर्भवती होने के सात महीने बाद महिला पॉजिटिव आती है तो बच्चे को एचआईवी से बचाना मुश्किल होता है।

हर व्यक्ति को अपना एचआईवी स्टेटस पता होना चाहिए। समय पर पता चलने पर वह एड्स जैसी घातक बीमारी से तो बचता ही है, साथ ही उसका पार्टनर भी सुरक्षित रहता है। यह ऐसी बीमारी नहीं जो जानलेवा हो, नियमित दवा खाने से एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति भी सामान्य जिंदगी जी सकता है। इससे बचाव के लिए जागरुकता जरूरी है। एचआईवी क्या है और कैसे हो सकता है इसके बारे में पता होना जरूरी है।
– सरोजनी बिष्ट, आईसीटीसी काउंसलर, जिला अस्पताल गोपेश्वर, चमोली

Uttarakhand: अब केवल अधिकृत ढाबों पर ही रुकेंगी रोडवेज की बसें, नियम न मानने पर ड्राइवर और कंडक्टर पर होगी कार्रवाई.

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कई मार्गों पर रोडवेज की बसें केवल अधिकृत ढाबों पर ही रुकेंगी। अगर ड्राइवर-कंडक्टर ने मनमर्जी से बसें रोकी तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। महाप्रबंधक संचालन पवन मेहरा ने सभी सहायक महाप्रबंधकों को कड़ा पत्र जारी किया है।

कहा, देहरादून-दिल्ली, देहरादून-नैनीताल, टनकपुर-देहरादून, देहरादून-हरिद्वार-अंबाला, चंडीगढ़-देहरादून, दिल्ली-नैनीताल, टनकपुर-दिल्ली मार्गों पर परिवहन निगम प्रबंधन ने ढाबे और रेस्टोरेंट अधिकृत किए हुए हैं।

लेकिन, संज्ञान में आया है कि कई ड्राइवर-कंडक्टर बसों का ठहराव अवैध ढाबों या रेस्टोरेंट पर कर रहे हैं, जिससे यात्रियों से खाने के मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। निगम की छवि धूमिल हो रही है। स्पष्ट किया कि अग्रिम आदेशों या नए ढाबे अधिकृत करने तक पूर्व के अधिकृत ढाबों पर ही रोडवेज बसों का ठहराव सुनिश्चित किया जाए। अन्यथा कार्रवाई होगी।

Uttarakhand: पीएम आवास 2.0 से बदलेगी अब मलिन बस्तियों की सूरत, विस्थापन और पुनर्वास को लेकर किए खास प्रावधान.

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प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 से मलिन बस्तियों की सूरत बदल सकती है। इस बार योजना में मलिन बस्तियों के पुनर्वास और विस्थापन को लेकर भी खास प्रावधान किए गए हैं। राज्य में 582 मलिन बस्तियां पुनर्वास के इंतजार में हैं। पीएम आवास योजना 2.0 लॉन्च हो चुकी है।

उत्तराखंड ने इसके लिए केंद्र से करार भी कर लिया है। मलिन बस्तियों के पुनर्वास, विस्थापन को लेकर दो श्रेणियों में सरकार सहायता करेगी। पहली श्रेणी बीएलसी यानी लाभार्थी आधारित है।इसमें अपनी जमीन पर मकान बनाने के लिए केंद्र सरकार 2.25 लाख रुपये और राज्य सरकार 50 हजार रुपये की मदद देगी।
जमीन की कागजी प्रक्रिया भी निशुल्क होगी। मलिन बस्तियों के अपग्रेडेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत बनाने के लिए भी इस योजना में पैसा मिलेगा।दूसरी श्रेणी एफॉर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप यानी एएचपी है। इसमें निजी विकासकर्ता की मदद से मलिन बस्तियों का पुनर्वास किया जा सकता है।
मलिन बस्ती की लोकेशन सही न होने पर अन्य किसी क्षेत्र में विकसित की जा सकती है। इसमें भी सरकार अलग से मदद करेगी। राज्य सरकार कई साल से मलिन बस्तियों के पुनर्वास और विस्थापन को लेकर प्रयास कर रही है। पीएमएवाई 2.0 से इसमें तेजी आने की संभावना है।

Tehri Lake: अब क्रूज बोट में बैठकर करें खूबसूरत वादियों का दीदार, टिहरी झील में सैलानी बिता सकेंगे रात.

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उत्तराखंड के टिहरी बांध की झील में साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए अब नया लुत्फ उठाने का मौका भी मिलेगा। फ्लोटिंग हट्स के बाद अब झील में क्रूज बोट में भी सैलानी रात बिताकर पर्यटन गतिविधियों का आनंद उठा सकते हैं। झील में 12 कमरों के क्रूज बोट का पीपीपी मोड पर संचालन शुरू हो गया है। क्रूज बोट का संचालन कोटीकाॅलोनी से डोबरा-चांठी पुल तक किया जा रहा है।

टिहरी बांध की झील में तीन साल से कूज बोट निर्माणाधीन था। पर्यटन विभाग के सहयोग से पीपीपी मोड पर एक निजी कंपनी ने लगभग आठ करोड़ की लागत से क्रूज तैयार किया है। इसमें पर्यटकों के रुकने के लिए 12 कमरे, रेस्टोरेंट, शौचालय आदि सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। क्रूज की छत पर पर्वतीय क्षेत्र के घरों में लगे पठाल की प्रतिकृति की तरह बनाया गया है।

वर्तमान में कई तरह की 100 से अधिक बोट संचालित-

टिहरी झील में वर्ष 2014-15 में बोटिंग सेवा शुरू हुई थी। वर्तमान में कोटीकाॅलोनी बोटिंग प्वाइंट से पैरासेलिंग, बनाना राइडिंग, स्पीड बोट, जेट स्की, जॉर्बिंग, वाटर रोलर, वाटर स्कूटर समेत 100 से अधिक बोट संचालित की जा रही हैं। इसके अलावा डोबरा-चांठी और पीपलडाली में एक-एक नई बोट प्वाइंट जल्द शुरू होने की उम्मीद है।

टिहरी झील में क्रूज बोट का संचालन शुरू किया गया है। कोटीकॉलोनी से डोबरा-चांठी तक क्रूज बोट का संचालन होगा। फिलहाल क्रूज ट्रायल के तौर पर चलेगा। दो-तीन दिन में कंपनी विधिवत बुकिंग शुरू कर देगी।
– सोबत सिंह राणा, जिला पर्यटन अधिकारी, टिहरी

Uttarakhand: वर्ष 2026 तक सोलर प्लांट से मिलेगी 60 मेगावाट बिजली, बढ़ेगी आय, 100 करोड़ का बजट.

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 प्रदेश में सौर ऊर्जा आने वाले वर्षों में सरकार की आय का बड़ा साधन भी बनेगी। सरकारी भवनों में लग रहे सोलर पावर प्लांट से मिलने वाली अतिरिक्त विद्युत से होने वाली आय ऊर्जा निगम को सरकारी कोष में जमा करानी होगी।

इसके लिए विभागों के साथ निगम विद्युत खरीद अनुबंध करेगा। अभी 305 सरकारी भवनों में नौ मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादित हो रही है। इसे वर्ष 2026 तक 60 मेगावाट करने का लक्ष्य है।

 

सौर ऊर्जा को सरकार कर रही प्रोत्साहित-

प्रदेश में सौर ऊर्जा को सरकार प्रोत्साहन दे रही है। इसके लिए सरकारी और निजी, दोनों क्षेत्रों में सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए सब्सिडी के रूप में आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है।

 

विशेष रूप से सरकारी भवनों में सोलर प्लांट लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। यही नहीं, प्लांट लगाने के लिए इस पर होने वाले खर्च को सरकारी भवनों की निर्माण लागत में जोड़ा जाएगा।

 

इसके लिए लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान में 307 सरकारी भवनों में नौ मेगावाट क्षमता के सोलर प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं।

 

1965 सरकारी भवनों में प्लांट की स्थापना प्रस्तावित-

वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1965 सरकारी भवनों में सोलर प्लांट की स्थापना प्रस्तावित है। इनके प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं। चालू वित्तीय वर्ष में इसके लिए 100 करोड़ रुपये बजट रखा गया है।

 

अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद वर्धन ने कहा कि शासकीय भवनों में स्थापित सोलर प्लांट से ऊर्जा निगम को अतिरिक्त बिजली मिल रही है। निगम को इस आय को सरकारी कोष में जमा कराना होगा।

 

इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। विशेष रूप से सरकारी भवनों से उनकी खपत के अतिरिक्त मिलने वाली विद्युत ऊर्जा निगम को प्राप्त हो रही है।

 

इस संबंध में अब ऊर्जा निगम को संबंधित विभाग के साथ विद्युत खरीद अनुबंध करना है। इससे अतिरिक्त विद्युत से सरकार को भी आय होगी। इस योजना से संबंधित गाइडलाइन में भी संशोधन किया जाएगा।

 

Dehradun: भू-कानून और मूल निवास को लेकर भूख हड़ताल शुरु, शहीद स्मारक पर पुलिस फोर्स तैनात।

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सशक्त भू-कानून और मूल निवास की मांग को लेकर आमरण अनशन करने की तैयारी में मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी को पुलिस ने रोक दिया। पुलिस ने शहीद स्मारक के गेट पर ताला भी लगा दिया है। मोहित ने निर्णय लिया है कि वह शहीद स्मारक के गेट के बाहर ही भूख हड़ताल शुरू करेंगे।

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने आज मंगलवार से शहीद स्मारक पर आमरण अनशन शुरु करने का एलान किया था। समिति को महिला मंच और राज्य आंदोलनकारी मंच सहित कई संगठनों ने अपना समर्थन दिया है। समिति का कहना है कि भूमि कानूनों में हुए संशोधनों को रद्द किया जाए।

इसके साथ ही निवेश के नाम पर दी गई जमीनों का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार मजबूत भू-कानून को लेकर गंभीर नहीं है। सरकार बजट सत्र में भू-कानून लाने की बात कर रही है, लेकिन किस तरह का भू-कानून सरकार लाएगी, स्थिति स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि 2018 के बाद भूमि कानूनों में हुए सभी संशोधनों को अध्यादेश के जरिये रद्द किया जाय।

 

 

400 से अधिक गांव नगरीय क्षेत्र में हुए शामिल-
भूमि कानून की धारा-2 को हटाया जाए। इस धारा की वजह से नगरीय क्षेत्रों में गांवों के शामिल होने से कृषि भूमि खत्म हो रही है। 400 से अधिक गांव नगरीय क्षेत्र में शामिल हुए हैं और 50 हजार हैक्टेयर कृषि भूमि को खुर्द-बुर्द करने का रास्ता खोल दिया गया। साथ ही भूमि कानून के बिल को विधानसभा में पारित करने से पूर्व इसके ड्राफ्ट को जन समीक्षा के लिए सार्वजनिक किया जाए।

 

 

निवेश के नाम पर दी गई जमीनों का ब्यौरा और इससे मिले रोजगार को सार्वजनिक किया जाय। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदी है, उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाय। समिति ने कहा कि मूल निवासियों को चिह्नित किया जाए। वहीं, 90 प्रतिशत नौकरियों और सरकारी योजनाओं में मूल निवासियों की भागीदारी होनी चाहिए।

 

सरकार भू कानून और मूल निवास पर अपनी मंशा साफ करे-
समिति के महासचिव प्रांजल नौडियाल ने कहा कि सरकार भू कानून और मूल निवास पर अपनी मंशा साफ करे। महिला मंच की उपाध्यक्ष निर्मला बिष्ट ने कहा, राज्य आंदोलन में महिलाओं ने सर्वोच्च बलिदान देकर इस राज्य के सपने को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभाई। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी मोहन सिंह रावत ने कहा, 42 शहीदों ने अपनी शहादत देकर राज्य के निर्माण का सपना साकार किया, लेकिन आज जमीन के कानून खुर्द बुर्द किए गए और मूल निवासियों के अधिकार छीने गए।

 

 

समिति को इन संगठनों का मिला समर्थन-

मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के आंदोलन को पूर्व सैनिक संगठन, महिला मंच, आंदोलनकारी मंच, उत्तराखंड संयुक्त आंदोलनकारी मंच, पहाड़ी स्वाभिमान सेना, धाद, देवभूमि संगठन, महानगर ऑटो यूनियन, दून गढ़वाल जीप कमांडर कल्याण समिति, उपनल महासंघ, अतिथि शिक्षक संगठन, पूर्व कर्मचारी संगठन, ओपीएस संगठन, चारधाम महापंचायत, गढ़ कुमाऊं मंडल, गढ़वाल सभा, उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन, राठ महासभा, आर्यन छात्र संगठन सहित कई संगठनों का समर्थन मिला है।