Category Archive : पुलिस

क्यों घिरते जा रहे उत्तराखंड भाजपा के मंत्री ?

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उत्तराखंड भाजपा की डबल इंजन की सरकार लगभग चार साल पुरे करने वाली है,,,अभी वर्तमान में भाजपा के कई मंत्री पद खाली हैं,,,पूर्व में वित्त मंत्री रहे प्रेमचंद अग्रवाल विवाद के चलते अपना पद गवां चुके हैं,,,कई और मंत्री हैं जिनके विभागों के कामकाज को लेकर सवाल उठ रहे हैं,,,  ऐसे में पहले से ही मंत्रियों का टोटा झेल रही भाजपा सरकार के एक और मंत्री गणेश जोशी फिर से चर्चाओं में आ गए हैं,,,अभी उनके विभाग की  टेंडर प्रक्रिया में भी उन पर सवाल उठे हैं ,,जिस पर काफी बवाल हुआ ही है ,,,लेकिन जिस मुद्दे ने उनकी मुश्किलें सबसे ज्यादा बढ़ा दी हैं पहले उस पर बात कर लेते हैं.

 

 

अब चूँकि पहले से ही भाजपा की डबल इंजन की सरकार के कई मंत्री सवालों के घेरे में हैं,,,और उस पर गणेश जोशी जो भाजपा सरकार में कई अहम मंत्रालय संभाल रहे हैं,, उनकी मुश्किलों में इजाफा होना तो चिंता का विषय सरकार के लिए है ही ,,,और इस बार तो किसी विपक्षी ने नहीं बल्कि माननीय कोर्ट ने उनकी मुश्किलों को बढ़ा दिया है,,,,दरअसल भाजपा मंत्री आय से अधिक सम्पति के मामले में घिरे हुए हैं,,,,और अब कोर्ट के आदेश ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

 

 

दरअसल कुछ समय पूर्व देहरादून के आरटीआई कार्यकर्ता और पेशे से वकील ,,विकेश सिंह नेगी ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि मंत्री गणेश जोशी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने शपथ पत्र में 9 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी। नेगी का आरोप है कि यह संपत्ति जोशी की आय के ज्ञात स्रोतों से मेल नहीं खाती,,,,याचिकाकर्ता ने मंत्री गणेश जोशी की संपत्ति की विजिलेंस जांच की मांग की,,,, तत्पश्चात विशेष विजिलेंस कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को 8 अक्टूबर 2024 तक इस पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था,,,,, हालांकि, सरकार ने इस समय सीमा का पालन नहीं किया,,,, जिसके बाद मामला फिर से हाई कोर्ट पहुंचा,,,नैनीताल हाई कोर्ट ने गणेश जोशी को 23 जुलाई 2025 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है,,,, कोर्ट ने सरकार से ये भी पूछा है कि क्या उनकी संपत्ति की जांच विजिलेंस को सौंपी जाएगी ?

ऐसे में गणेश जोशी का मामला न केवल उनके लिए बल्कि सरकार के लिए भी एक बड़ी उलझन बन गया है,,,,अब एक सवाल ये भी खड़ा हो गया है कि  क्या मुख़्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मामले में कोई ठोस फैसला लेकर विजिलेंस जांच की संस्तुति देंगे,,,जैसा की कोर्ट ने भी पूछा है,,,,दरअसल ये धामी सरकार की जीरो टोरलेंस निति की भी परीक्षा होगी,,,क्योंकि जिस तरह का एक्शन सरकार ने हरिद्वार नगर निगम घोटाले में लिया उससे धामी सरकार से उम्मीदें बढ़ी हैं,,,लेकिन सवाल इस बार मुख्यम्नत्री पुष्कर सिहं धामी के खुद के ही मंत्री के खिलाफ निर्णय लेने का है ,,,,,,सवाल ये भी है कि कोर्ट में सरकार क्या जवाब दाखिल करेगी ,,,,? दोस्तों अगर आपको भी लगता है की जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाते हुए क्या जवाब दाखिल करना चाहिए माननीय कोर्ट के समक्ष तो कमेंट बॉक्स में अपनी राय  जरूर रखें

 

मंत्री गणेश जोशी पर याचिकाकर्ता विकेश नेगी ने आरोप लगाया है कि जोशी ने बागवानी, जैविक खेती, विदेशी दौरों और निर्माणाधीन सैन्य धाम के निर्माण में गड़बड़ी और अनियमितताएं कीं, जिससे उनकी संपत्ति में असामान्य वृद्धि हुई,,, गणेश जोशी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने शपथ पत्र में लगभग 9 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी। इसमें चल और अचल संपत्ति दोनों शामिल हैं। 2018 में उनकी घोषित संपत्ति 3.19 करोड़ रुपये थी, जो 2022 में 9 करोड़ रुपये हो गई। यह वृद्धि आय से अधिक संपत्ति के आरोपों का आधार बनी,,,याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि जोशी ने बागवानी विभाग, जैविक खेती, और सैन्य धाम जैसे क्षेत्रों में सरकारी धन का दुरुपयोग कर संपत्ति अर्जित की है.

 

याचिका के समर्थन में विकेश नेगी ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और उनके परिवार की संपत्तियों के ब्योरे उपलब्ध कराये हैं ,, इन आंकड़ों का आधार याचिकाकर्ता ने 2022 के चुनावी हलफनामे को बनाया है ,, एक्टिविस्ट विकेश नेगी की माने तो 15 वर्ष में मंत्री गणेश जोशी की कुल कमाई 35 लाख होनी चाहिए ,, क्यूंकि उन्होंने न तो अपना व्यवसाय है और न ही खेती है .

 

वैसे इस मामले में माननीय जोशी जी को अपने सहयोगी मंत्रिओं से कुछ सीख लेना चाहिए था ,, जो मंत्री विधायक होने के साथ साथ उत्तराखंड के किसान भी हैं ,, मतलब ऐसा उन्होंने अपनी आय के स्रोतों में ज़ाहिर किया है ,, व्यक्तिगत रूप से हम उन सभी मंत्रिओं से भी दरख्वास्त करेंगे की वो अपने सहयोगी मंत्री को खेती का ज्ञान दें ,, और इसी ज्ञान की गंगा को उत्तराखंड के किसानों तक भी पहुंचाएं ताकि उत्तराखंड का हर किसान इन सभी मंत्रिओं की तरह ही करोड़ों में खेल सके

 

नैनीताल हाई कोर्ट ने जोशी को 23 जुलाई 2025 तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं । कोर्ट ने याचिकाकर्ता से भी प्रति उत्तर मांगा है,,,इन सभी मामलों पर मंत्री गणेश जोशी ने इन आरोपों को “राजनीतिक साजिश” करार दिया और कहा कि यह उनकी छवि खराब करने की कोशिश है,,,,वैसे सिर्फ ऐसा नहीं है कि गणेश जोशी आय से अधिक सम्पति के मामले में विवादों में रहे हैं,,,बल्कि कई अन्य विवाद भी उनसे जुड़े हुए हैं,,,जोशी पर कई बार विवादास्पद बयान देने का आरोप लगा है। उदाहरण के लिए, 2022 में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर अमर्यादित टिप्पणी की थी ,,,,जिस पर उनका खूब विरोध हुआ,,,इसके आलावा 2022 में चारधाम यात्रा के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट अनिवार्य करने का उनका बयान विवादों में रहा, जिसे बाद में सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर खारिज कर दिया गया था ,,,

 

एक और मामला है जो गणेश जोशी को विवादों में लेकर जाता है ,, वो है उद्यान विभाग का घोटाला  जो मुख्य रूप से 15 लाख पौधों की खरीद से जुड़ा है , इस मामले में आरोप है कि  इन पौधों के खरीद करते समय कीमत से ज्यादा रकम अदा की गयी है ,,जो की 70 करोड़ बताई जाती है ,, करोड़ों रुपए के भुगतान में सीधे तौर पर फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है.  इस घोटाले में शासन की जांच के साथ ही हाई कोर्ट के समक्ष दायर याचिका में घोटाले से संबंधित तमाम आरोपों को पुष्ट किया जा चुका है. हाईकोर्ट ने ही इस घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे .वर्ष 2023 में चर्चित फल पौध खरीद घोटाले में सीबीआई ने जिस नर्सरी के खिलाफ एफआईआर कराई है।विभाग ने उसी नर्सरी को दोबारा फल पौध आवंटन का काम दिया।

 

 

इसके अलावा 2023 में जोशी के सामने एक युवक की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ, जिसके बाद कांग्रेस ने उन पर कानून व्यवस्था बनाए रखने में निष्क्रियता का आरोप लगाया। 2024 में चुनाव प्रचार के दौरान जोशी को पूर्व सैनिकों और ग्रामीणों ने घेर लिया था , जिन्होंने उन पर पेयजल किल्लत जैसे स्थानीय मुद्दों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया,,,और वर्तमान में हाल ही में उन पर आरोप लगा कि जोशी के कृषि विभाग में टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता हुई, जहां टेंडर खुलने से पहले ही एक ठेकेदार ने एग्री मित्र मेला का काम शुरू कर दिया था,,,,हालाँकि जब इस मामले ने तूल  पकड़ा तो सरकार ने ये मेला ही रद्द करवा दिया,,,,मेला रद्द होने से गड़बड़ी के आरोप को और बल मिला,,, जिस पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने गणेश जोशी का स्टैंड लेते हुए कहा कि ऐसे मेले रद्द या एक्सटेंड होते रहते हैं ,, पर भाजपा अध्यक्ष से न तो किसी सम्मानित मिडिया ने ये सवाल पूछा की आखिर कैसे जिस काम को लेकर टेंडर निकलने में दो दिन बाकी हैं उस पर आखिर क्यों किसी ठेकेदार की तरफ से पहले ही काम शुरू हो गया ,, यक़ीनन उनके पास जवाब होता नहीं ,,, वैसे अक्सर ही ये देखा गया है की अध्यक्ष महेंद्र भट्ट मंत्रिओं के बचाव के लिए ही जाने जाते हैं ,, खासकर उन मंत्रिओं के मामलों में ,,जिन मामलों में विवाद रहा है ,, खैर पहले मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल थे और इस बार मंत्री गणेश जोशी हैं ,,

 

 

सवाल यही है कि भाजपा के एक के बाद एक मंत्री लगातार सवालों के घेरे में घिरते दिखाई दे रहे हैं,,,जिससे डबल इंजन की सरकार पर दबाव बढ़ रहा है,,,,2027 से पहले इस तरह के आरोप भाजपा सरकार को असहज कर रहे हैं,,,अगर समय रहते भाजपा सरकार इन सभी का जवाब नहीं दे पायी तो 2027 में कई नेताओं के साथ पार्टी की डगर जरूर मुश्किल हो सकती है,,,इसलिए अब ये मुख़्यमंत्री की जवाब देहि भी बन गयी है कि वो अपने मंत्रियों पर लग रहे आरोपों की निष्पक्ष जांच करवाएं ताकि सच सामने आये,,,,और अगर कोई इसमें लिप्त है तो उस पर कार्यवाही भी होनी चाहिए,,,बहरहाल  अब गणेश जोशी मामले में कोर्ट में क्या होने वाला है इस पर देहरादून से लेकर दिल्ली तक सबकी नजरें हैं,, और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण उत्तराखंड की जनता की नज़रें भी हैं ,, क्यूंकि संसाधन और पैसा आखिर हैं तो उत्तराखंड का ही…..

Chardham Yatra: तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम, दस स्थानों पर तैनात रहेगा आतंकवाद निरोधक दस्ता.

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तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। चप्पे-चप्पे पर आतंकवाद निरोधक दस्ता, अर्धसैनिक बल और पुलिस के जवानों की नजर रहेगी। यात्रियों की सुरक्षा के लिए 10 कंपनी पैरामिलिट्री, 17 कंपनी पीएसी के साथ ही 10 स्थानों पर आतंकवाद निरोधक दस्ता तैनात रहेगा। 65 स्थानों पर एसडीआरएफ की टीमें तैनात रहेंगी।

ट्रांजिट कैंप में सुबह 11 बजे डीजीपी दीपम सेठ ने मीडिया को चारधाम यात्रा को लेकर जानकारी दी। डीजीपी ने कहा कि 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुल रहे हैं। पिछले साल के अनुभव को ध्यान में रखते हुए इस बार उन पर काम किया गया है।

इस बार जनपद स्तर पर पुलिस मुख्यालयों में चारधाम यात्रा सेल का गठन किया गया है। साथ ही आईजी गढ़वाल के कार्यालय में चारधाम यात्रा का कंट्रोल रूम बनाया गया है। यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है। जम्मू कश्मीर के पहलगाम की घटना के बाद यात्रा को सुरक्षित करने के लिए उसी दिन से उस पर काम किया गया।

आपदा से निपटने के लिए 65 स्थानों पर एसडीआरएफ की टीमें तैनात-

यात्रियों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार की ओर से 10 कंपनी पैरामिलिट्री फोर्स उपलब्ध कराई जा रही है जो जल्द ही मिल जाएंगी। वहीं पीएसी की 17 कंपनी और छह हजार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी चारधाम यात्रा में लगाई गई है। पूरे यात्रा रूट को ड्रोन से कवर किया जाएगा। 2000 सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से यात्रा रूट पर सुरक्षा और यातायात की निगरानी की जाएगी। अलग-अलग क्षेत्रों से कंट्रोल रूम में फीड आ रहा है।

आपदा से निपटने के लिए 65 स्थानों पर एसडीआरएफ की टीमें तैनात की जाएंगी। इसके अलावा आतंकवाद निरोधक दस्ते को 10 स्थानों पर तैनात किया जाएगा। जो स्वचालित हथियारों से लैस रहेंगे।
पूरे यात्रा को 15 सुपर जोन और अन्य सेक्टर में बांटा गया है। यातायात को लेकर 156 पार्किंग स्थल और 56 होल्डिंग एरिया विकसित किए गए हैं।

चारधाम यात्रियों को सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी जाएगी। सोशल मीडिया पर गलत और भ्रामक जानकारी देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पहलगाम की घटना के बाद पूरे राज्य में रेड अलर्ट है। पुलिस किसी भी हालत से निपटने को तैयार है।

Pahalgam Attack: उत्तराखंड में पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर बढ़ी सतर्कता, चारधाम यात्रा को लेकर खुफिया तंत्र सक्रिय.

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद राज्य में सतर्कता बढ़ा दी गई है। पुलिस ने रातभर चेकिंग के बाद दिन में भी बॉर्डर क्षेत्रों में चेकिंग जारी रखी। इसी बीच सरकार की ओर से पर्यटन और धार्मिक स्थलों को लेकर भी सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके अलावा यात्रा मार्ग पर विभिन्न स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। इसके लिए खुफिया तंत्र को अति सक्रियता से काम करने के निर्देश भी दिए गए हैं। हर छोटी बड़ी सूचना को गंभीरता से लिया जाए, ताकि भविष्य में कोई अप्रिय घटना न हो। 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है। इसके लिए सारी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है।

हर साल चारधाम यात्रा और धार्मिक आयोजनों को लेकर विभिन्न माध्यमों से धमकियों की बात भी सामने आती है। लिहाजा, पुलिस और खुफिया तंत्र यहां पर अतिरिक्त सतर्कता बरतती है।ऐसे में अब पहलगाम की घटना के बाद पुलिस और खुफिया तंत्र पहले से भी अधिक सतर्क हुआ है। इंटेलीजेंस सूत्रों के मुताबिक सभी पर्यटन स्थलों पर भी अतिरिक्त सुरक्षा और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

बॉर्डर क्षेत्रों में भी अतिरिक्त पुलिस बल तैनात-

सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से जो जानकारी मिलती है उसे गंभीरता से लेकर इनपुट जुटाने के लिए कहा गया है। बॉर्डर क्षेत्रों में भी अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रहेगा। इसके अलावा सीमावर्ती राज्यों से भी सूचनाओं के आदान प्रदान को लगातार करने के निर्देश दिए गए हैं।बता दें कि चारधाम के अलावा देहरादून, मसूरी, टिहरी, नैनीताल आदि जगहों पर लाखों की तादाद में सैलानी आते हैं। इनकी सुरक्षा में भी कोई चूक न हो इसके लिए भी अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। इंटेलीजेंस को राष्ट्रीय एजेंसियों के लगातार संपर्क में रहने के लिए भी कहा गया है। ताकि, हर प्रकार की सूचनाओं का आदान प्रदान हो सके।

 

इसी के मद्देनजर राज्य में भी सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता की जाएगी। बता दें कि समय-समय पर हरिद्वार रेलवे स्टेशन, देहरादून के विभिन्न सैन्य संस्थान, टिहरी बांध आदि पर हमले की धमकियां मिलती हैं। इन्हें गंभीरता से लेते हुए पुलिस कार्रवाई भी करती है। इनमें कुछ असामाजिक तत्वों की संलिप्तता की बात भी सामने आती है।

सांसद त्रिवेंद्र ने लोकसभा में उठाया अवैध खनन का मुददा

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हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरुवार को लोकसभा में अवैध खनन से भरे ट्रकों और उनसे सड़कों पर जनता की सुरक्षा से जुड़े गंभीर मुददे की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया।उन्होंने लोकसभा स्पीकर के जरिए केंद्र सरकार से मांग की कि अवैध तरीके से खनन सामग्री से भरे तेज गति से सड़कों पर चल रहे वाहनों की निगरानी के लिए विशेष टास्क फोर्स गठित की जाए। उन्होंने अवैध खनन सामग्री ढोने वाले ट्रक मालिकों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई करने की मांग की है। ऐसा दूसरी बार हुआ जब हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकसभा सदन में हरिद्वार समेत पूरे राज्य में अवैध खनन का मुददा उठाया है।

 

पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और उधमसिंह नगर के जिलों में रात के समय अवैध रूप से संचालित खनन ट्रकों का संचालन हो रहा है। यह कानून और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए खतरा बनता जा रहा है। अपितु आम जनमानस की सुरक्षा को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। यह देखा गया है कि राज्य सरकार और प्रशासन के स्पष्ट निर्देशों के बाबजूद खनन माफियाओं द्वारा रात्रि के समय ट्रकों का अवैध संचालन धडल्ले से किया जा रहा है। इन ट्रकों में भारी मात्रा में ओवरलोडिंग की जाती है। बिना किसी वैध अनुमति के खनिजों का परिवहन किया जाता है। अवैध गतिविधियों के कारण राज्य में सड़कों, पुलों के बुनायादी ढांचे को भारी क्षति हो रही है। इससे आम नागारिकों के लिए आवागमन कठिन हो गया है। सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि लापरवाही और तेज गति से वाहन संचालन के कारण सड़क दुर्घटनाओं लगातार बृद्धि हो गई है। कई निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है। कई घायल हो चुके है। ट्रक चालकों द्वारा ट्रैफिक नियमों की अनदेखी और नशे की हालत में वाहन चलाना स्थानीय प्रशासन से मिलीभगत के चलते स्थिति और भी भयावह होती जा रही है।

 

उन्होंने स्पीकर के जरिए कहा कि यह भी आवश्यक है कि केंद्र सरकार इस गंभीर समस्या की ओर तत्काल ध्यान दे। प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करे।

त्रिवेंद्र ने कहा कि केंद्र सरकार और उत्तराखंड राज्य प्रशासन से आग्रह करते है कि अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिए यह विशेष टास्क फोर्स गठित की जाए। रात्रि के समय खनन के वाहनों पर प्रतिबंध लगाया जाए और सख्ती से निगरानी की जाए। ओवरलोडिंग रोकने हेतु सभी मुख्य मार्गो पर चेक पोस्ट लगाए जाए।

दोषी ट्रक मालिकों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। इस मामले में संलिप्त अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। लापरवाही बरतने वालों पर कठोर अनुशासत्मक कार्यवाही की जाए।

व्यापारियों के प्रदर्शन के बाद यूकेडी के दो नेता गिरफ्तार

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क्षेत्रीय राजनीतिक ताकत उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के दो नेताओं आशुतोष नेगी और आशीष नेगी को होटल में जबरन घुसकर धमकी देने और अभद्रता करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।मामला तब गंभीर हुआ जब घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और व्यापारियों ने कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इस मुद्दे पर राजनीति तेज होने के पूरे आसार बन गए हैं।

 

क्या है मामला?

रजवाड़ा रेस्टोरेंट, नालापानी चौक रायपुर के मैनेजर आशीष शर्मा की शिकायत के अनुसार, उनका एक कर्मचारी सैफ 20 दिन काम करने के बाद 25 फरवरी को नौकरी छोड़कर चला गया। 26 फरवरी की शाम यूकेडी के छह-सात कार्यकर्ता सैफ के साथ रेस्टोरेंट पहुंचे और जबरन हंगामा करते हुए रेस्टोरेंट के मालिक दीपक गुप्ता व स्टाफ से बदसलूकी की।
आरोप है कि आशुतोष नेगी और आशीष नेगी ने दबाव बनाकर सैलरी के नाम पर 12,600 रुपये वसूले और प्रतिष्ठान की छवि खराब करने की धमकी दी।

व्यापारियों का प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई

घटना के विरोध में व्यापारियों ने देहरादून एसएसपी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि दोनों आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग थानों में मुकदमे दर्ज हैं। आशुतोष नेगी पौड़ी का हिस्ट्रीशीटर है, जिस पर आठ मामले दर्ज हैं।

पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

उत्तराखंड में अवैध मदरसों पर धामी सरकार का एक्शन जारी, कालाढूंगी में 3 मदरसे हुए सील.

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प्रदेश में अवैध मदरसे व अतिक्रमण पर कार्रवाई जारी है। सोमवार को प्रशासन ने नगर में संचालित तीन अवैध मदरसों को सील कर दिया है। इससे अवैध मदरसा संचालकों में हड़कंप मचा है। प्रशासन की टीम और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने पंजीकरण न कराने वाले तीन मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की।

 

बता दें की बीते दो मार्च को खाटू श्याम बाबा के संकीर्तन में विशेष समुदाय के बच्चों ने पथराव किया था। इसके बाद पथराव करने वाले बच्चों को जुबेर आलम नामक व्यक्ति ने मदरसे में छिपा दिया। इसके बाद से हिन्दूवादी संगठनों व भाजपा कार्यकर्ताओं ने सीएम धामी को अवैध मदरसों व अतिक्रमण को लेकर कार्रवाई की मांग की।

 

हाल में ही विधायक प्रतिनिधि विकास भगत ने कार्यकर्ताओं के साथ एसडीएम रेखा कोहली व ईओ अभिनव कुमार के साथ बैठक कर अवैध मदरसों व अतिक्रमण पर कार्रवाई की मांग की, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और फैज ए उल उलूम एहले सुन्नत वार्ड नं 7 (जामा मस्जिद), मदरसा इस्लामिया अरविया तालीमुल कुरान सोसाइटी वार्ड नंबर 04 (मोती मस्जिद) व रजा मदरसा अरबिया वार्ड नंबर 2 नौदिया फार्म एवं मदरसा जामिया हबीबिया दरगाह शरीफ का संयुक्त निरीक्षण किया गया।

 

निरीक्षण के दौरान मदरसों का पंजीकरण व अन्य ठोस दस्तावेज न पाये जाने के कारण मदरसों के संरक्षकों के समक्ष शांतिपूर्ण तरीके से तीन मदरसों को अग्रिम आदेशों तक सील बंद किया गया। वहीं, जामिया हबीबिया दरगाह शरीफ वार्ड नंबर र 4 (मदीना मस्जिद) में मदरसा न चलाए जाने के संबंध में प्रबंधक मो. मेहताब द्वारा दिए गए एक प्रार्थना पत्र के माध्यम से बताया गया कि मदीना मस्जिद के निकट मदरसा पूर्व से ही बंद है और वहां किसी भी प्रकार की कोई तालीम नहीं दी जाती है।

 

मदरसों का अबतक नहीं कराया गया था रज‍िस्‍ट्रेशन-

एसडीएम रेखा कोहली ने बताया की मदरसों का विभाग में या मदरसा बोर्ड से कोई पंजीकरण अब तक नहीं कराया गया है। इस दौरान उपजिलाधिकारी रेखा कोहली, अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी जसविंदर सिंह, तहसीलदार मनीषा बिष्ट, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका अभिनव कुमार, थानाध्यक्ष पंकज जोशी तथा खंड शिक्षा अधिकारी के प्रतिनिधि प्रधानाचार्या बंसती मौजू रहीं।

Uttarakhand: वन विभाग में करोड़ों का घोटाला, अपने  ऐशो-आराम पर लुटा दिया फंड !

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वन विभाग में करोड़ों का घोटाला,अपने  ऐशो-आराम पर लुटा दिया फंड !

उत्तराखंड में कैग यानि CAG की रिपोर्ट आने के बाद उत्तराखंड सरकार के वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. कैग ने राज्य में 2019-20 से 2021-23 के दौरान कैंपा के तहत हुए कार्याें का मूल्यांकन किया है। इसमें कई अनियमितता का खुलासा किया.. CAG रिपोर्ट में वन विभाग के CAMPA फंड में घोटालों की लंबी फेहरिस्त सामने आयी जिससे वन विभाग के अधिकारीयों के साथ-साथ वन मंत्री सुबोध उनियाल पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

उत्तराखंड में वनों के संरक्षण और पुनर्वनीकरण के लिए आवंटित फंड को घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट (2019-2022) में ₹13.86 करोड़ की अवैध निकासी और वित्तीय अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ है, सवाल यही है कि क्या वन मंत्री को इस घोटाले का कुछ भी पता नहीं था, जो इतने साल तक उनके सामने नहीं आ सका.. सबसे पहले आपको बताते हैं कि CAMPA फंड कहां-कहां बर्बाद हुआ।

पर्यावरण संरक्षण के नाम पर सरकारी अधिकारी ऐशो-आराम का सामान खरीदते रहे जिनमें iPhones, लैपटॉप, फ्रिज और कूलर की खरीद की बात सामने आयी है सरकारी इमारतों की मरम्मत और साज-सज्जा के पैसे से वन विभाग के ऑफिस और अफसरों के आवास चमकते रहे, लेकिन जंगल उजड़ते रहे जंगल बचाने के बजाय CAMPA फंड को कानूनी लड़ाइयों पर लुटाया गया ऐसी जगह को पौध रोपण के लिए चुना गया जहां  हकीकत में  पेड़ टिक ही नहीं सकते थे. 7 मामलों में 8 साल से ज्यादा की देरी से वृक्षारोपण किया गया.. देर से वृक्षारोपण, लागत में बेतहाशा बढ़ोतरी से धन को लुटाया गया वनीकरण की स्थिति एकदम नाकाम रही. CAG के अनुसार, लगाए गए पेड़ों का सिर्फ 33.51% ही जिंदा बचा, जबकि Forest Research Institute के मानकों के अनुसार 60-65% सफलता दर होनी चाहिए थी.. मतलब वन विभाग लगाए गए पेड़ों को भी बचाने में नाकमयाब रहा, अफसरों की मिलीभगत ऐसी कि बिना सही जांच किए ही भूमि को उपयुक्त बताया गया और ऐसे अधिकारीयों के  खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

 

कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा-

इतना ही नहीं सरकार की बड़ी लापरवाही और वित्तीय घोटाले का भी कैग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है विभाग द्वारा  275 करोड़ का ब्याज नहीं चुकाया गया CAMPA ने कई बार अनुरोध किया, लेकिन राज्य सरकार ने 2019-22 के दौरान ब्याज नहीं चुकाया. 76.35 करोड़ के मंजूर प्लान पर कोई फंड जारी नहीं किया गया.  सरकार ने स्वीकृत योजनाओं पर भी पैसा नहीं दिया, जिससे परियोजनाएं ठप पड़ी रहीं जबकि जुलाई 2020 से नवंबर 2021 के बीच CEO ने Head of Forest Force की अनुमति के बिना फंड जारी किया, जो नियमों के खिलाफ था बिना केंद्र की मंजूरी के जंगलों की कटाई की गयी, राज्य सरकार ने केंद्र की मंजूरी के बिना ही जंगलों को उद्योगों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए सौंप दिया।

ये हाल वन विभाग के तब हैं जब उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में साल दर साल बेतहाशा वृद्धि हो रही है। 2002 में जंगल की आग की 922 घटनाएं हुई थीं जिनकी संख्या 2024 में 21 हजार पार हो गई। इन घटनाओं में एक लाख 80 हजार हेक्टेयर से अधिक जंगल जल गए, भारतीय वन सर्वेक्षण  की हाल में जारी हुई रिपोर्ट पर गौर करें तो नवंबर 2023 से जून 2024 के बीच देश में वनों में दो लाख से अधिक घटनाएं हुईं। इनमें सर्वाधिक 74% की वृद्धि उत्तराखंड में रिकॉर्ड की गई। इसी कारण वनाग्नि में पिछले वर्ष 13वें नंबर पर रहा उत्तराखंड अब पहले स्थान पर है, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी में न्याय मित्र की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि उत्तराखंड में वनाग्नि प्रबंधन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है इसमें अग्निशमन उपकरणों, गश्ती वाहन और समन्वय के लिए संचार उपकरणों की कमी शामिल है.. लेकिन इस पर धायण देने के बजाय अधिकारी पैसा अपने ऐशो-आराम का सामान जुटाने में पैसे लुटा रहे हैं।

 

Uttarakhand: आवास बनाने वालों के लिए धामी सरकार ने खोले छूट के द्वार, सपना होगा साकार, जानिए कैसे मिलेगा फायदा.

 

वन विभाग का काम करने का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अभी हाल ही में हल्द्वानी में आग से बचाने के लिए की जाने वाली कंट्रोल बर्निग में कई नए लगाए पौधे भी जल गए इस पुरे घटनाक्रम से वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि वन विभाग आग बुझाने के बजाय नए पौधे ही जलाने में लग गया है,,, अब सवाल ये है इस सबके  जिम्मेदारों पर क्या कोई कार्रवाई होगी भी या नहीं CAG की रिपोर्ट ने वन विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है,,, क्या उत्तराखंड सरकार दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी या ये रिपोर्ट भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में ही दफन हो जाएगी ?

Uttarakhand: विधायक उमेश कुमार और पूर्व MLA प्रणव चैंपियन के बीच गोलीबारी का मामला, HC ने लिया मामले का संज्ञान, सख्त कार्रवाई के दिए निर्देश

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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रुड़की में निर्दलीय विधायक उमेश कुमार व पूर्व विधायक प्रणव सिंह चैंपियन के बीच हुई गोलाबारी,गाली गलौज की घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार से आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि देवभूमि में बाहुबली प्रदर्शन शर्मनाक व अक्षम्य है ।

 

वर्तमान विधायक व पूर्व विधायक के बीच सरेआम हुई ताबड़तोड़ गोलीबारी, गाली गलौच के वीडियो राष्ट्रीय न्यूज चैनलों व समाचार पत्रों की सुर्खियां बनने से उत्तराखंड की छवि खराब होने से चिंतित हाईकोर्ट के अवकालीन न्यायधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने घटना का स्वतः संज्ञान लिया है। मंगलवार की सुबह घटना का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में पारित आदेशों का पालन न होने पर चिंता व्यक्त की । इस आदेश में राजनीति का अपराधीकरण रोकने को लेकर दिशा निर्देश जारी हैं ।

 

हाईकोर्ट ने जताई चिंता:

मामले की सुनवाई दोपहर बाद करने का निर्णय लेते हुए हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी हरिद्वार व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट में पेश होने व इस मामले में की गई कार्यवाही की जानकारी देने को कहा । अपरान्ह में जिलाधिकारी और एस.एस.पी हरिद्वार कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने कोर्ट को बताया कि वर्तमान विधायक उमेश कुमार व पूर्व विधायक प्रणव चैंपियन गिरफ्तार हो चुके हैं। जिसमें प्रणव सिंह जेल में है और उमेश कुमार जमानत में हैं । जिलाधिकारी ने बताया कि दोनों के शस्त्र लाइसेंस रद्द कर दिए हैं और उनको दी गई सुरक्षा को हटाने के लिये सरकार समीक्षा कर रही है। बताया कि दोनों के खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में 19-19 मुकदमे लंबित हैं ।

 

हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की अगली तिथि 12 फरवरी को निर्धारित करते हुए जिलाधिकारी हरिद्वार व एस एस पी हरिद्वार को आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने दोनों के खिलाफ चल रहे मुकदमों, आपराधिक रिकॉर्ड, 25-26 जनवरी को हुई घटनाओं वीडियो क्लिप, आरोपियों के खिलाफ की गई कार्यवाही रिपोर्ट आदि शपथ पत्र के साथ कोर्ट में पेश करने को कहा है ।

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यूसीसी नियमावली हाईलाइट-

दायरा – अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू।

प्राधिकार – यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। जबकि नगर पंचायत – नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे।
इसी तरह नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे। छावनी क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इन सबके उपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे।

रजिस्ट्रार जनरल के कर्तव्य
– यदि रजिस्ट्रार तय समय में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं तो मामला ऑटो फारवर्ड से रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा। इसी तरह रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के भीतर अपील का निपटारा कर आदेश जारी करेंगे।

 

रजिस्ट्रार के कर्तव्य-

सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील पर 60 दिन में फैसला करना। लिव इन नियमों का उल्लंघन या विवाह कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देंगे।

सब रजिस्ट्रार के कर्तव्य
सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच, आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना
समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना, साथ ही विवाह जानकारी सत्यापित नहीं होने पर इसकी सूचना माता- पिता या अभिभावकों को देना।

विवाह पंजीकरण
26 मार्च 2010, से संहिता लागू होने की तिथि बीच हुए विवाह का पंजीकरण अगले छह महीने में करवाना होगा

संहिता लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा

आवेदकों के अधिकार
यदि सब रजिस्ट्रार- रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करता है तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है।

सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है।

रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है।

अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से दायर हो सकेंगी।

(लिव इन)

संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का, संहिता लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, लिवइन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।

लिव इन समाप्ति – एक या दोनों साथी आनलाइन या ऑफलाइन तरीके से लिव इन समाप्त करने कर सकते हैं। यदि एक ही साथी आवेदन करता है तो रजिस्ट्रार दूसरे की पुष्टि के आधार पर ही इसे स्वीकार करेगा।

यदि लिव इन से महिला गर्भवती हो जाती है तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी। बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा।

विवाह विच्छेद –
तलाक या विवाह शून्यता के लिए आवेदन करते समय, विवाह पंजीकरण, तलाक या विवाह शून्यता की डिक्री का विवरण अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी।

वसीयत आधारित उत्तराधिकार
वसीयत तीन तरह से हो सकेगी। पोर्टल पर फार्म भरके, हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयड अपलोड करके या तीन मिनट की विडियो में वसीयत बोलकर अपलोड करने के जरिए।

 

यूसीसी की यात्रा-

27 मई 2022 – यूसीसी पर विशेषज्ञ समिति का गठन

02 फरवरी 2024 – यूसीसी पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत

08 फरवरी 2024 – राज्य विधानसभा द्वारा अधिनियम अनुमोदित

08 मार्च 2024 – भारत के राष्ट्रपति द्वारा अधिनियम अनुमोदित

12 मार्च 2024 – यूसीसी उत्तराखंड अधिनियम 2024 जारी

18 अक्टूबर 2024 – यूसीसी नियमावली प्रस्तुत

27 जनवरी 2025 – यूसीसी लागू

 

यूसीसी के क्रियान्वयन की कार्ययोजना-

– ऑनलाइन आवेदन के लिए पोर्टल (ucc.uk.gov.in) विकसित

– कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) Training Partner के रूप में नामित

– क्रियान्वयन व प्रशिक्षण के लिए ज़िलों में नोडल अधिकारी नामित

– सहायता और तकनीकी परामर्श के लिए हेल्पडेस्क (1800-180-2525) स्थापित

– विधिक प्रश्नों के समाधान के लिए जिला स्तरीय अधिकारी नियुक्त

– नागरिक जागरूकता और अधिकारियों की सुविधा के लिए Short Video एवं Booklets

Uttarkashi Fire: उत्तरकाशी में आग से 9 मकान जलकर हुए खाक, 25 परिवार हुए बेघर; एक महिला की मौत.

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मोरी तहसील मुख्यालय से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सावणी गांव में रविवार की रात को भीषण अग्निकांड हुआ। जिसमें 9 भवन खाक हो गए। ये सभी भवन देवदार और कैल की लकड़ी से बने थे। जिससे आग और तेज भड़की। इन भवनों में रखा सारा सामान भी जलकर खाक हो गया है। वहीं आग में झुलसने से एक 76 वर्षीय महिला की मौत हो गई है।

 

सड़क मार्ग स्थित जखोल से पांच किलोमीटर पैदल और अंधेरा होने के कारण राहत बचाव के लिए पहली टीम साढ़े तीन घंटे बाद सावणी पहुंची। लेकिन, उससे पहले गांव में मौजूद ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर कुछ हद तक काबू पाया। रात तीन बजे आग पर पूरी तरह से काबू पाया गया। आग बुझाते समय कुछ ग्रामीण आग की लपटों से भी झुलसे। सावणी गांव में वर्ष 2018 में भीषण अग्निकांड हुआ था। जिसमें 39 मकान जले 100 मवेशी जले थे।

 

आग ने लिया विकराल रूप-

सावणी में रविवार की रात करीब नौ बजे किताब सिंह के मकान में आग लगी। लकड़ी के मकान होने के कारण आग विकराल होती गई। आग जब एक घर से दूसरे घर में फैलने लगी तो जखोल गांव के ग्रामीणों ने करीब 11 बजे जिला आपदा प्रबंधन व प्रशासन को इसकी सूचना दी।

 

जिलाधिकारी डॉ. मेहराबन सिंह बिष्ट के निर्देश पर राहत एवं बचाव कार्यो के लिए चिकित्सा, पेयजल आदि विभागों को भी मौके पर पहुंचने के लिए निर्देश दिए गए। जिलाधिकारी ने राहत व बचाव कार्यों के लिए सतलुज जल विद्युत निगम सहित टोंस वन प्रभाग और गोविंद वन्य जीव विहार के वन कर्मियों का सहयोग लेने के लिए कहा। करीब 12:30 बजे राहत बचाव के लिए गोविंद वन्य जीव विहार की पहली टीम पहुंची।

 

9 मकान जलकर हुए खाक-

उपजिलाधिकारी देवानंद शर्मा ने बताया कि आग पर पूरी तरह से काबू पाया गया है। राजस्व विभाग के साथ पुलिस, एसडीआरएफ, फायर सर्विस, पशुपालन विभाग और वन विभाग मौके पर मौजूद है। गांव में कुल 9 मकान पूर्ण रूप से जल चुके है। जिसमें करीब 15-16 परिवार निवास करते थे। इसके अतिरिक्त 2 मकानों को आग से बचाने के लिए पूर्ण रूप से तोड़ा गया है। 3 मकानों को आंशिक रूप से तोड़ा गया है। आग लगने का कारण स्पष्ट नहीं है।

 

बताया जा रहा है कि किताब सिंह के घर में पूजा का दीया जल रहा था, जिससे आग लगना बताया गया है। इस अग्निकांड में 22-25 परिवार प्रभावित हुए हैं। जिला आपदा प्रबंधन ने मिसिंग चल रही भामा देवी (76) पत्नी नेगी सिंह की आग से झुलसने से मृत्यु होने की पुष्टि की है।