रुद्रप्रयाग के बांसवाड़ा क्षेत्र में एक मैक्स वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वाहन में चालक सहित सात लोग सवार बताए जा रहे हैं। सवार सभी लोग स्थानीय थे।
फिलहाल ऑनलाइन बुकिंग की कोई सुविधा नही है। जिस कारण श्रद्धालु कंपनी की वेबसाइट पर जाकर फोन से संपर्क कर अपना टिकट बुक करा सकते हैं। कंपनी के अधिकारी 10 सितंबर तक देहरादून पहुंच जाएंगे। वहीं 13 सितंबर तक हेलिकॉप्टर भी श्रद्धालुओं को ले जाने के लिए जौलीग्रांट पहुंच जाएगा।
उत्तराखंड के कई जिलों में भारी बारिश का कहर जारी है. चमोली के पगनो गांव में बारिश ने कहर बरपाया हुआ है. गुरुवार देर रात को मूसलाधार बारिश के बाद मलबा आने से 4 मकान और 2 गौशाला क्षतिग्रस्त हो गए. ग्रामीण किसी तरह अपनी जान बचाकर वहां से बाहर निकल आए.
पगनो गांव में मलबा आने से चार मकान क्षतिग्रस्त-
गुरुवार की रात को पगनो गांव में मलबा आने से 2 गौशाला और 4 मकान क्षतिग्रस्त हो गए. किसी तरह ग्रामीण अपनी जान बचाकर इधर-उधर भागे. आपको बता दें कि लगातार पिछले तीन साल से पगनो गांव में भूस्खलन हो रहा है जिससे गांव के 53 परिवार खतरे के साए में जी रहें हैं. गांव के लोगों में दहशत का माहौल है. ग्रामीणों का कहना है कि देर रात बारिश के बाद अचानक घरों में तेजी से मलबा आ घुसा.
दहशत में ग्रामीण-
ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के चलते लगातार मलबा गांव में आ रहा है जिसके कारण खेत और रास्ते मलबे से भरे हुए हैं. लोगों का कहना है कि रात को यदि बारिश होती है तो सभी लोग दहशत में आ जाते हैं.
इन जिलों में अलर्ट जारी-
मौसम निदेशक के अनुसार शुक्रवार को देहरादून, रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत और नैनीताल जिले में कहीं-कहीं गर्जन के साथ आकाशीय बिजली चमकने और बारिश के तीव्र दौर की संभावना है. मौसम वैज्ञानिकों ने इन जिलों के लिए बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है. जबकि उत्तरकाशी, चमोली, अल्मोड़ा, ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले में हल्की से मध्यम बारिश का पूर्वानुमान है.
केदारनाथ पैदल मार्ग 29 जगहों पर क्षतिग्रस्त जबकि 16 स्थानों पर पूरी तरह से बह गया है। लोक निर्माण विभाग ने रास्ते की मरम्मत के लिए 230 मजदूर लगाए हैं। संवेदनशील स्थानों पर मजदूर खाई में उतरकर खुदाई कर रहे हैं।
वहीं, रस्सों को पकड़कर पुश्ता निर्माण के लिए बुनियाद रख रहे हैं। पूरे मार्ग को दुरस्त करने में लगभग एक माह का समय लग सकता है। आने वाले दिनों में लोनिवि द्वारा मजदूरों की संख्या और बढ़ाई जाएगी।
बता दें कि 31 जुलाई की देर शाम को अतिवृष्टि से केदारनाथ पैदल मार्ग गौरीकुंड से लिनचोली तक व्यापक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। यहां 11 किमी के दायरे में रास्ता 16 स्थानों पर दो मीटर से 25 मीटर तक पूरी तरह से वॉशआउट हो रखा है। इसके अलावा अन्य स्थानों पर पुश्ता ढहने, मिट्टी कटान व भूस्खलन से मार्ग को क्षति पहुंची है।
-विनय झिक्वांण, अधिशासी अभियंता लोनिवि गुप्तकाशी
केदारनाथ धाम व पैदल मार्ग से अब तक दस हजार से अधिक तीर्थयात्रियों व स्थानीय लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है। सोमवार को केदार घाटी का मौसम साफ होने के साथ ही एमआई 17 और चिनूक से एयर लिफ्ट रेस्क्यू का कार्य शुरू हो गया है। एमआई चारधाम हेलीपैड पर यात्रियों को उतार रहा है। जबकि चिनूक गौचर हवाई पट्टी पर यात्रियों को उतरेगा। सुबह 9 बजे तक 133 लोगों को केदारनाथ से एमआई एवं चिनूक एवं छोटे हेलिकॉप्टर की मदद से सुरक्षित एयर लिफ्ट कर रेस्क्यू किए जा चुके हैं।
31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि से केदारनाथ मार्ग को भारी नुकसान पहुंचा है। गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक 16 किमी का मार्ग है, इसमें 10 जगह मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। लोक निर्माण विभाग की टीम मार्ग को खोलने में जुटी है। लोनिवि की रिपोर्ट के अनुसार जो स्थितियां हैं उनमें मार्ग को पूर्व की दशा में लाने में करीब एक महीने का समय लग सकता है।
वहीं, सेना ने मोर्चा संभालते हुए मंदाकिनी नदी पर अस्थायी ट्राली स्थापित कर दी है। साथ ही वैकल्पिक पुल का निर्माण भी शुरू कर दिया है। गौरीकुंड में घोड़ा पड़ाव के पास लगभग 15 मीटर लंबाई में रास्ता पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। यहां पर लो.नि.वि श्रमिक वैकल्पिक मार्ग स्थापित करने में जुटे हैं।
सोमवार सुबह 100 लोगों को सुरक्षा बलों की देखरेख में श्री केदारनाथ धाम से लिनचोली हेलीपैड के लिए रवाना कर दिया गया है। इन यात्रियों को लिनचोली से एयर लिफ्ट कर शेरसी हैलीपैड पर उतारा जाएगा। इसके अलावा एनडीआरएफ की टीमें जंगल एव मंदाकिनी नदी के आसपास भी लगातार सर्च अभियान चला रहे हैं।
रविवार को लगभग 1100 लोगों का सफलता पूर्वक रेस्क्यू किया गया। वहीं सेना ने भी अब कमान संभाल ली है। पैदल मार्ग पर आम लोगों को खोजने के लिए स्निफर डाँग भेजे गए हैं, सेना क्षतिग्रस्त् पैदल मार्ग को आवाजाही के लिए खोजे जाने में भी मदद करेगी।
वहीं गौरीकुंड व सोनप्रयाग के बीच वाशआउट हुए हाइवे कपर ट्राली लाकर बुजर्ग व घायलों को निकालने का कार्य भी सेना ने शुरू कर दिया है। रेस्क्यू आपरेशन के चौथे दिन रविवार को कुल 1155 का रेस्क्यू किया गया, जिसमें हेलीकाप्टर से 628 व पैदल मार्ग से 527 लोगों को रेस्क्यू किया गया।
हेली से लिनचोली, चीरबासा व केदारनाथ से रेस्क्यू किया गया, वहीं चौमास पैदल मार्ग से भी रविवार को 210 लोगों को रेस्क्यू किया गया। केदारनाथ पैदल मार्ग में फंसे यात्रियों का रेस्क्यू भी जारी है। सोनप्रयाग में मैन्युल रेस्क्यू के लिए अब सेना, डीडीआरएफ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस के जवानों संयुक्त रूप से कार्य कर रहे हैं।
रविवार को चलने में असमर्थ लोगों के 25 बुजर्ग व घायलों का रेस्क्यू किया गया। वहीं स्निफर डाँग की टीम भी भेजी गई है, जो जंगल में भटक गए लोगों की खोजबीन करेगी, साथ ही भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में भी सर्च अभियान करेगी।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में आज शनिवार सुबह एक बड़ा हादसा हो गया। दिल्ली नोएडा के यात्रियों को टेंपो ट्रैवलर अलकनंदा नदी में जा गिरा। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई है। जबकि 13 घायल है। छह गंभीर घायलों को पांच हेलीकॉप्टर से एयरलिफ्ट कर ऋषिकेश एम्स लाया गया है, जहां एक घायल ने दम तोड़ दिया। जबकि सात अस्पताल में भर्ती है।
दिल्ली नोएडा से 26 यात्रियों को लेकर रात को वाहन निकला था। जानकारी के अनुसार रुद्रप्रयाग शहर से पांच किलोमीटर आगे बदरीनाथ हाईवे पर रैतोली के पास एक टेंपो ट्रैवलर पैरापिट को तोड़ते हुए अलकनंदा नदी में गिर गया। हादसे का कारण ड्राइवर को नींद की झपकी आना बताया जा रहा है।
सूचना पर पुलिस प्रशासन जिला आपदा प्रबंधन, एसडीआरएफ समेत अन्य टीम मौके पर रेस्क्यू के लिए पहुंची। वाहन के नदी में गिरने पर यहां रेलवे लाइन पर काम कर रहे तीन लोग भी यात्रियों को बचाने के लिए कूदे, जिनमें से एक की मौत हो गई।
सीएम धामी ने हादसे पर की संवेदना व्यक्त-
हादसे के खबर पर दुख जताते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि टेंपो ट्रैवलर के दुर्घटनाग्रस्त होने का अत्यंत पीड़ादायक समाचार प्राप्त हुआ। स्थानीय प्रशासन व एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी हुई है। घायलों को नजदीकी चिकित्सा केंद्र पर उपचार के लिए भेज दिया गया है। जिलाधिकारी को घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं।
ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगतों की आत्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों को यह असीम कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करें। बाबा केदार से घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं।
अब केदारनाथ पहुंचने वाले VVIP के साथ ही बुजुर्ग श्रद्धालु एसयूवी की सवारी का आनंद ले सकेंगे। इस वाहन का उपयोग मेडिकल इमरजेंसी में भी किया जाएगा। बीते वर्ष पर्यटन विभाग ने यात्रा काल में केदारनाथ के लिए दो एसयूवी खरीद का प्रस्ताव शासन को भेजा था।
वायुसेना के चिनूक हेलिकॉप्टर से शुक्रवार को यह एसयूवी धाम पहुंचाई गई। हेलीपैड पर लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता विनय झिंक्वाण, सेक्टर मजिस्ट्रेट व अन्य अधिकारी मौजूद थे। हेलीपैड पर उतरने के बाद चालक गाड़ी को लेकर सरस्वती नदी किनारे बने आस्था पथ से वीआईपी हेलीपैड मार्ग के रास्ते मंदर के समीप तक लाया।
ढोल-दमाऊ और फूलों से हुआ एसयूवी का स्वागत-
यहां पर यात्रा ड्यूटी पर तैनात कार्मिकों, तीर्थ पुरोहित व अन्य ने ढोल-दमाऊ व फूलों से एसयूवी का स्वागत किया गया। विनय झिंक्वाण ने बताया, केदारनाथ के लिए बीते वर्ष पर्यटन विभाग ने दो एसयूवी का प्रस्ताव शासन को भेजा था। अब वाहनों की स्वीकृति मिलने के साथ पहला वाहन चिनूक से धाम पहुंच चुका है। दूसरा वाहन भी जल्द धाम पहुंचा दिया जाएगा।
बताया, यात्रा काल में धाम पहुंचने वाले वीआईपी इस वाहन से केदारपुरी का भ्रमण कर सकेंगे। साथ ही हेलीपैड से बुजुर्ग और दिव्यांग श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। यात्रा काल में किसी यात्री या अन्य के बीमार या घायल होने पर उसे हेलीपैड तक पहुंचाने में भी एसयूवी का उपयोग किया जाएगा।
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आज शुक्रवार को पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि पंचांग गणना से तय कर घोषित की गई। 10 मई को बाबा केदार के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।
बाबा केदार के कपाट खुलने की तिथि तय होने के साथ ही बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति के चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान होकर शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से अपने धाम के लिए प्रस्थान का दिन भी तय हुआ।
बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डां. हरीश चंद्र गौड़ ने बताया, आठ मार्च को महाशिवरात्रि पर्व पर ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में सुबह नौ बजे से धार्मिक अनुष्ठान शुरू हुए।
बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय की मौजूदगी में केदारनाथ के रावल भीमाशंकर के मार्गदर्शन में केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि घोषित की।
7 दिन की शीतकालीन तीर्थ यात्रा की शुरुआत 27 दिसंबर से होगी। समापन 2 जनवरी को हरिद्वार में होगा। यात्रा के आमंत्रण के लिए ज्योतिर्मठ का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री धामी से मिला और यात्रा का आमंत्रण पत्र दिया।उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 6 माह की अवधि की होती है,,ठंड और बर्फबारी के साथ ही ये यात्रा शीतकाल के लिए बंद कर दी जाती है लेकिन अब उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा की भी शुरुआत होने जा रही है, यानी साल के 12 महीने अब ये यात्रा हो पायेगी नए साल के अवसर पर अगर आप भी चारों धाम के दर्शन करना चाहते हैं, तो ये बिल्कुल संभव है.
ज्योतिर्पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू की जा रही है. आमतौर पर चारधाम यात्रा की शुरुआत उत्तराखंड में गर्मियों में होती है. यह यात्रा 6 माह तक यानी दीपावली के आसपास तक चलती है, लेकिन पहली बार शीतकालीन यात्रा पौष मास में शुरू होने जा रही है।
जानिए क्या कहा अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने-
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि इस बार शीतकाल के दौरान चारों धामों की यात्रा कर वह उस धारणा को समाप्त करना चाहते हैं कि सिर्फ 6 महीने ही चार धाम की पूजा हो सकती है वह लोगों को यह समझाने का प्रयास करेंगे कि शीतकाल में भी चार धाम की पूजा वैकल्पिक स्थान पर की जाती है, यहां दर्शन करने पर भी वही पुण्य मिलता है, जो मूल स्थान पर मिलता है उन्होंने कहा कि इससे चारों धामों में आस्था रखने वाले साल भर दर्शन के लिए उत्तराखंड पहुंच सकते हैं साथ ही स्थानीय लोगों और सरकार को इसका आर्थिक रूप से फायदा भी मिलेगा।
इतिहास में पहली बार कोई शंकराचार्य ऐसी यात्रा कर रहे हैं। आम धारणा है कि शीतकाल के 6 माह तक उत्तराखंड के चार धामों की बागडोर देवताओं को सौंप दी जाती है और उन स्थानों पर प्रतिष्ठित चल मूर्तियों को पूजन स्थलों में विधि विधान से विराजमान कर दिया जाता है। इन स्थानों पर 6 महीने तक पूजा पाठ पारंपरिक पुजारी ही करते हैं, लेकिन लोगों में धारणा रहती है कि अब 6 महीने के लिए पट बंद हुए तो देवताओं के दर्शन भी दुर्लभ होंगे। ये प्रयास अगर सफल होता है तो निश्चित रूप से उत्तराखंड में पर्यटन को पंख लग सकते हैं और केवल चार धाम यात्रा ही नहीं बल्कि प्रदेश की आर्थिकी के लिए भी एक अच्छा कदम साबित हो सकता है।
प्रदेश के पर्वतीय जिलों के कुछ इलाकों में हल्की बारिश होने से ठंड बढ़ सकती है। मैदानी इलाकों में कोहरा लगने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले के कुछ इलाकों में बारिश होने की संभावना जताई है।
अन्य जिलों में मौसम शुष्क रहेगा। ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले के कुछ इलाकों में सुबह के समय कोहरा छाने से ठंड बढ़ सकती है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है आठ दिसंबर तक प्रदेश भर में मौसम शुष्क रहेगा। इसके बाद पर्वतीय जिलों में बारिश व बर्फबारी होने से तापमान में गिरावट रिकॉर्ड की जाएगी। इसका असर मैदानी इलाकों में भी देखने को मिलेगा।
वहीं केदारनाथ में सोमवार देर शाम को तापमान माइनस छह डिग्री पहुंच गया। धाम में जमकर बर्फबारी भी हो रही है। मौसम की बेरुखी से केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। इधर, निचले इलाकों में भी सोमवार को कुछ देर हल्की बारिश हुई, जिससे ठंड बढ़ गई है। उधर, पहाड़ों की रानी मसूरी में भी देर रात हुई बारिश हुई। जौनपुर के नागटिब्बा में रात को बर्फबारी होने से क्षेत्र में ठंड बढ़ गई है। वहीं यमुनोत्री धाम सहित यमुना घाटी में कल की बारिश बर्फबारी से ठंड बढ़ गई।
सोमवार को सुबह से ही केदारनाथ में हल्के बादल छाए रहे। दिन चढ़ने के साथ यहां मौसम खराब होता गया और दोपहर 3 बजे से हल्की-हल्की बर्फबारी होने लगी।
देर रात तक रुक-रुककर हल्की बर्फबारी होती रही। खराब मौसम के कारण केदारनाथ में तापमान में काफी गिरावट आई है, जिससे ठंड बढ़ गई है।
धाम में अधिकतम तापमान दो डिग्री और न्यूनतम माइनस छह डिग्री दर्ज किया गया। जिला आपदा प्रबंधन-प्राधिकरण, लोनिवि के ईई विनय झिक्वांण ने बताया कि खराब मौसम के कारण पुनर्निर्माण कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
केदारनाथ में इन दिनों 300 मजदूर पुनर्निर्माण कार्य में जुटे हुए हैं।
सात लोग घायल-
हादसे के दौरान वाहन में मैक्स चालक समेत सात लोग सवार थे. सभी लोगों को हल्की चोट आई है. जिन्हें इलाज के लिए पीएचसी अगस्त्यमुनि में भर्ती कराया गया है. बताया जा रहा है वाहन में सभी स्थानीय लोग सवार थे.