चमोली जिले के थराली तहसील के गांव कोलपुड़ी के लापता सैनिक की पार्थिव देह 56 साल बाद अपने गांव पहुंचेगी। गांव के नारायण सिंह वर्ष 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में वायुसेना के एएन-12 विमान दुर्घटनाग्रस्त होने पर लापता हो गए थे। 56 साल बाद जिन चार सैनिकों के अवशेष मिले हैं उनमें एक कोलपुड़ी गांव के नारायण सिंह का शव भी शामिल है।
कोलपुड़ी गांव के प्रधान और नारायण सिंह के भतीजे जयवीर सिंह ने बताया कि सोमवार को सेना के अधिकारियों ने सूचना दी उनकी पहचान हो जाने की सूचना दी। उन्होंने बताया कि जेब में मिले पर्स में एक कागज में नारायण सिंह ग्राम कोलपुड़ी और बसंती देवी नाम दर्ज था। साथ ही उनकी वर्दी के नेम प्लेट पर भी उनका नाम लिखा था।
सेना के अधिकारियों ने जयवीर सिंह को बताया कि बर्फ में शव सुरक्षित था, लेकिन बर्फ से बाहर निकालने के बाद शव गलने लगा है, जिससे उसे सुरक्षित किया जा रहा है। साथ ही उनका डीएनए सैंपल लिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि रिकार्ड के अनुसार नारायण सिंह सेना के मेडिकल कोर में तैनात थे। उनका पार्थिव शरीर बृहस्पतिवार तक गांव पहुंचने की संभावना जताई जा रही है
42 साल राह देखते रहीं पत्नी-
पुरानी यादों में खोये जयवीर सिंह बोले कि माता बसंती देवी ने बताया था कि पति नारायण सिंह सेना में तैनात थे। वह साल में एक बार घर आते थे, अक्सर पत्रों से ही हाल पता लगता था। एक बार एक टेलीग्राम आया जिसमें अंग्रेजी में विमान के लापता होने और उसमें नारायण सिंह के लापता होने की बात लिखी थी। उसके बाद परिवारीजन इंतजार करते रहे लेकिन कोई खबर नहीं आई। मां जब तक जिंदा थी नारायण सिंह का इंतजार करती रहीं। वर्ष 2011 में बसंती देवी की मृत्यु हो गई।
सौम्य स्वभाव के थे नारायण सिंह-
नारायण सिंह के साथी रहे कोलपुड़ी के सूबेदार गोविंद सिंह, सूबेदार हीरा सिंह बिष्ट और भवान सिंह नेगी बताते हैं कि नारायण सिंह बहुत सौम्य स्वभाव के थे। बचपन से ही सेना के प्रति उनका जुनून था। 1965 के भारत-पाक युद्ध में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे एएमसी में नियुक्त थे।
पिथौरागढ़ जिले का अंतिम गांव जल्द ही बिजली की रोशनी से जगमगाएगा। यहां पहली बार ग्रिड से बिजली पहुंचेगी। 340 परिवारों के घर रोशन होंगे। यूपीसीएल ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। मुनस्यारी विकासखंड मुख्यालय से 50 किमी दूर नामिक जिले का अंतिम गांव है। इस दुर्गम गांव में पहुंचने के लिए 24 किमी पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। अब तक नामिक बिजली से रोशन नहीं हो सका है, इस गांव के 340 परिवारों की एक हजार से अधिक की आबादी दुश्वारियां झेल रही हैं।
अब पहली बार नामिक में बिजली पहुंचेगी इसकी पहल यूपीसीएल ने की है। गांव को रोशन करने के लिए 3.46 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसकी स्वीकृति मिल चुकी है। यूपीसीएल का दावा है कि जल्द ही यहां ग्रिड से बिजली पहुंचाई जाएगी।
15 किमी लंबी बिछेगी लाइन, लगेंगे 12 ट्रांसफार्मर
धारचूला यूपीसीएल के ईई बीके बिष्ट ने बताया कि गोला गांव तक ग्रिड से बिजली पहुंचाई गई है। यहां से नामिक तक बिजली पहुंचाने के लिए 11 केवीए की 15 किमी लंबी लाइन बिछाई जाएगी। वहीं नामिक को रोशन करने के लिए 12 ट्रांसफार्मर स्थापित होंगे।
उरेडा की योजना से सिर्फ चार घंटे मिलती है बिजली-
नामिक गांव में अब तक ग्रिड से बिजली नहीं पहुंची है। उरेडा की बिजली परियोजना से भी ग्रामीणों को राहत नहीं मिल रही है। ऐसा इसलिए कि इस छोटी परियोजना से ग्रामीण सिर्फ दो घंटे सुबह और दो घंटे शाम को ही घरों को रोशन कर सकते हैं। बल्ब के अलावा कोई अन्य उपकरणों का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
नामिक गांव को प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत चयनित किया गया है। यहां ग्रिड से बिजली पहुंचेगी। ग्रामीणों को पर्याप्त बिजली मिलेगी। योजना को धरातल पर उतारने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है। जल्द काम शुरू होगा। – डीएस बिष्ट, अधीक्षण अभियंता, यूपीसीएल, पिथौरागढ़।
र्जा निगम ने प्रदेश में बिजली के पुराने मीटरों को बदलकर स्मार्ट मीटर लगाने की कवायद प्रारंभ कर दी है। कुमाऊं में 6.55 लाख उपभोक्ताओं को नए मीटरों से जोड़ा जाना है। इसके लिए निगम ने अडानी समूह की कंपनी से अनुबंध किया है।
अनुबंध होने के बाद कंपनी ने उपभोक्ताओं के स्तर पर सर्वे शुरू कर दिया है। मैदानी में नगर व ग्रामीण दोनों इलाकों में स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में सिर्फ नगर की परिधि में आने वाले घरों व प्रतिष्ठानों में मीटर बदले जाएंगे। केंद्र सरकार की पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के अंतर्गत स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जा रहा है।
मीटर बदलने का कार्य जारी-
अनुबंधित कंपनी के सर्किल प्रभारी हरीश तिवारी ने बताया कि पहले चरण में ऊर्जा निगम के सभी विद्युत उपकेंद्र को स्मार्ट मीटर के लिए विकसित किया जाना है। इसे लेकर सर्वे हो चुका है और हल्द्वानी क्षेत्र के कुछ उपकेंद्रों में नए स्मार्ट वितरण मीटर लगा दिए गए हैं। साथ ही कुमाऊं के अन्य उपकेंद्रों में भी मीटर बदलने का काम चरणबद्ध तरीके से हो रहा है।
वहीं, उपभोक्ता स्तर का सर्वे प्रारंभ कर दिया गया है। इसमें कंपनी की ओर से नियुक्त सर्वेकर्मी घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रहे हैं। एप्लिकेशन के माध्यम से सर्वे किया जा रहा है और पूरा रिकार्ड आनलाइन दर्ज कर रहे हैं। मंडल में 20 हजार सर्वे पूरा होने पर नए मीटर लगाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी। इसमें सर्वे और मीटर लगाने का काम समानांतर चलेगा।
ऐसे काम करेगा स्मार्ट प्रीपेड मीटर-
घरों में लगे बिजली के मीटर की प्रत्येक माह रीडिंग लेकर मीटर रीडर बिल प्रदान करता है। इसमें महीने में उपयोग की गई बिजली के अनुसार बिल प्राप्त होता है, जबकि स्मार्ट मीटर रिचार्ज आधारित होंगे। जिस तरह से मोबाइल फोन रिचार्ज करने पर संचालित होता है, ठीक उसी प्रकार बिजली के मीटर को भी रीचार्ज करना होगा। ऐसे में रिचार्ज के अनुसार ही बिजली आपूर्ति होगी।
अधिकारियों के अनुसार रिचार्ज खत्म होने के 48 घंटे के भीतर भुगतान करने का मौका मिलेगा। इस अवधि में सप्लाई चालू रहेगी।
मोबाइल एप से कर सकेंगे मीटर रीचार्ज-
स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ता मोबाइल एप से बिजली खर्च के पल-पल का रिकार्ड देख पाएंगे। इसी से मीटर रिचार्ज भी कर पाएंगे। एप में रिचार्ज खत्म होने को लेकर अलर्ट भी मिलता रहेगा। अनुबंधित कंपनी एप तैयार कर रही है। गूगल प्ले स्टोर और एप स्टोर से इसे डाउनलोड कर पाएंगे।
उपभोक्ता सर्वे में यह पूछा जाएगा-
उपभोक्ता संख्या एवं वर्तमान मीटर संख्या
उपभोक्ता का मोबाइल नंबर
मीटर की वर्तमान रीडिंग
बिजली के पुराने बिल
मीटर में लगाया जाएगा एयरटेल का सिम-
स्मार्ट मीटर में मोबाइल की तरह ही सिम कार्ड लगाया जाएगा। मीटर लगा रही कंपनी ने कुमाऊं में निजी दूरसंचार कंपनी एयरटेल के साथ इसके लिए अनुबंध किया है। ऐसे में मंडल के सभी क्षेत्रों में संबंधित कंपनी को अपने नेटवर्क की सुविधा बेहतर तरीके से प्रदान करनी होगी।
सर्वे कर्मियों को बताएं सही मोबाइल नंबर-
स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ता मोबाइल नंबर काफी अहम हो जाएगा। मीटर रिचार्ज करने के साथ ही उपयोग का विवरण देखने के लिए भी मोबाइल नंबर से ही एप में लागिन करना होगा। ऐसे में घर में सर्वे करने आने वाले कर्मचारी को अपना सही मोबाइल नंबर बताएं। यदि पुराना नंबर या अन्य विवरण परिवर्तित कराना है तो सर्वे के दौरान ही कराया जा सकता है।
प्रदेश में बीते कुछ दिनों से गढ़वाल मंडल के कुछ जिलों में गांवों में बाहरी व्यक्ति के प्रवेश और बाहरी लोगों को जमीन ना बेचने के बोर्ड लगाने का मामले सामने आए थे। ऐसा ही एक मामला अब कुमाऊं से भी सामने आया है। अल्मोड़ा जिले के सल्ट में कालीगाड़ के ग्रामीणों ने भी गांव के प्रवेश पर एक बोर्ड लगाया है। जिसमें लिखा है कि बाहरी व्यक्ति को कोई भी ग्रामीण जमीन नहीं बेचेगा और ना ही अपनी पहचान छिपाकर गांव में घूम सकता है।
अब अल्मोड़ा के इस गांव में भी ग्रामीणों ने लगाया बोर्ड-
प्रदेश में बाहरी व्यक्तियों को जमीन बा बेचने के लिए गांव में लगाए गए बीते कुछ दिनों से चर्चाओं के विषय बने हुए हैं। कुछ गावों में तो विशेष समुदाय के लोगों के आने पर बैन की बातें तक लिखी थी। इसी तरह से कुछ सल्ट के कालीगाड़ के ग्रामीणों ने भी किया है।
अंधाधुंध जमीनों की हो रही खरीद फरोख्त, गांव का माहौल बिगड़ने और प्राकृतिक संसाधनों को दोहन होने से गांव वाले परेशान हैं। जिस कारण उन्होंने गांव में जमीन की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी है। बकायदा इसके लिए गांव के प्रवेश पर एक बड़ा बोर्ड भी लगाया गया है।
पहचान छुपा कर गांव में प्रवेश पर भी बैन-
जहां एक ओर बाहरी व्यक्तियों द्वारा यहां जमीन खरीदने पर बैन लगा दिया गया है। तो वहीं दूसरी ओर पहचान छिपाकर भी कोई बाहरी व्यक्ति गांव में नहीं घूम सकता। अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की बात भी बोर्ड पर लिखी गई है। इस बारे में जब ग्रामीणों से पूछा गया तो उनका कहना है कि अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने के लिए उन्हें ऐसा कदम उठाना पड़ा है।
सर्वसम्मति से लिया गया है फैसला-
गांव वालों का कहना है कि वो अपने ग्राम प्रधान के आदेश को मानते हैं। लेकिन इसके साथ ही ये फैसला पूरे गांव की सहमति से लिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सर्व सहमति से लिया गया ये फैसला गांव की भलाई के लिए ही है। इसके साख ही ये कदम उत्तराखंड की उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने का भी एक प्रयास है।
प्रदेश में लगातार चल रही मांग के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया है कि उनकी सरकार वृहद भू-कानून लाने जा रही है। अगले साल बजट सत्र में कानून का प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 250 वर्ग मीटर आवासीय और 12.50 एकड़ अन्य भूमि के नियम तोड़ने वालों की भूमि जांच के बाद सरकार में निहित की जाएगी. उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून लागू करने की मांग तेजी से हो रही है। इसके लिए लगातार रैलियां और प्रदर्शन भी राजधानी देहरादून से लेकर पहाड़ों तक हो रहे हैं। लोग उत्तराखंड में जल्द से जल्द एक सशक्त भू-कानून लागू करने की मांग कर रहे हैं।
कब और क्यों उठी उत्तराखंड में भू-कानून की मांग ?
उत्तराखंड में सबसे पहले एनडी तिवारी सरकार में भू-कानून बना था। इस कानून में दो बार बदलाव किया गया। जिसके बाद से ही लोगों में आक्रोश है और इसी के साथ प्रदेश में एक सशक्त भू-कानून की मांग उठी। बता दें कि एनडी तिवारी सरकार में उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था सुधार अधिनियम, 1950 (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश 2001) अधिनियम की धारा-154 में संशोधन कर बाहरी प्रदेशों के व्यक्ति लिए नियम बनाया गया था। जिसके मुताबिक बाहरी प्रदेशों के लोग उत्तराखंड में 500 वर्ग मीटर कृषि योग्य भूमि खरीद सकते थे।
जबकि उद्योगों के लिए भी एनडी तिवारी सरकार में 12 एकड़ जमीन खरीदने का नियम तय हुआ था। लेकिन एनडी तिवारी सरकार में बनाए गए इस भू-कानून में साल 2007 में खंडूरी सरकार में बदलाव किया गया। जनरल बीसी खंडूरी की सरकार ने भू-कानून में संशोधन कर उसे और भी सख्त बना दिया। इसके तहत कृषि योग्य जमीन का दायरा 500 वर्ग मीटर से कम कर 250 वर्ग मीटर कर दिया गया था।
त्रिवेंद्र सरकार में भू-कानून में हुए थे बड़े बदलाव-
खंडूरी सरकार में बदलाव के बाद एक बार फिर से त्रिवेंद्र रावत सरकार में फिर से बड़े बदलाव किए गए। उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्रों में भी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ये बदलाव किए गए थे। इसमें 12 एकड़ उद्योगों की जमीन खरीदने को असीमित किया गया। त्रिवेंद्र सरकार में लागू हुए भू-कानून के बाद से लोगों में सबसे ज्यादा आक्रोश है। इसी के बाद से प्रदेश में एक सशक्त भू-कानून की मांग की जा रही है। अब ये मांग इतनी तेज हो गई है।
बता दें कि उत्तराखंड में वर्तमान समय में उद्योगों के लिए जहां असीमित जमीन खरीदने का प्रावधान है। तो वहीं कृषि योग्य भूमि पर 250 वर्ग मीटर जमीन बाहरी प्रदेशों के लोग खरीद सकते हैं। शहरी क्षेत्र में जो जमीन कृषि योग्य भूमि के अंतर्गत नहीं आती है वहां पर भी असीमित जमीन खरीदने का प्रावधान जानकार बताते हैं।
उत्तराखंड में भी हिमाचल जैसे भू-कानून की मांग-
उत्तराखंड में बीते कुछ सालों में भू-कानून की मांग तेज हो गई है। प्रदेश में लोग हिमाचल प्रदेश जैसा सख्त भू-कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि हिमाचल प्रदेश में में जमीन खरीद का टेनेंसी एक्ट लागू है। इस एक्ट की धारा-118 के तहत हिमाचल प्रदेश में कोई भी गैर हिमाचली व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार की इजाजत के बाद ही कोई गैर हिमाचली यहां गैर कृषि जमीन खरीद सकते हैं। लेकिन जमीन खरीदने का मकसद भी बताना होगा।
उत्तराखंड उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम के तहत राज्य से बाहर का व्यक्ति बिना अनुमति के उत्तराखंड में 250 वर्गमीटर जमीन खरीद सकता है। लेकिन राज्य का स्थायी निवासी के लिए जमीन खरीदने की कोई सीमा नहीं है। वर्तमान में लागू भू-कानून उत्तराखंड वासियों पर लागू नहीं है। यह कानून केवल बाहरी राज्यों के लोगाें पर लागू है। उत्तराखंड के स्थायी निवासी कितनी भी जमीन खरीद सकते हैं।
केदारनाथ पैदल मार्ग जंगल चट्टी के पास क्षतिग्रस्त हो गया है। जिस कारण दोनों ओर श्रद्धालुओं को रोक दिया गया है। प्रशासन ने तीर्थयात्रियों ले अपील की है कि वो जहां पर हैं वहीं पर रूके रहें। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ डीडीआरएफ के जवान वैकल्पिक मार्ग तैयार कर रहे हैं।
जंगल चट्टी के पास क्षतिग्रस्त हुआ केदारनाथ पैदल मार्ग-
मिली जानकारी के मुताबिक केदारनाथ पैदल मार्ग पर एक बार फिर भूस्खलन हुआ है। जिस कारण जंगल चट्टी के पास करीब 15 मीटर पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। प्रशासन ने फिलहाल यात्रियों से यात्रा ना करने की अपील की है। इसके साथ ही घोड़े-खच्चर के संचालन पर भी रोक लगा दी गई है। बता दें कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ डीडीआरएफ के जवान वैकल्पिक मार्ग से रास्ता आर-पार करवा रहे हैं।
प्रशासन ने की यात्रियों से ये अपील
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील कि वे जिस स्थान पर हैं वहीं पर सुरक्षित रहकर इंतजार करें। मार्ग सुचारु होने पर केदारनाथ से जंगलचट्टी के बीच दर्शन कर वापस आ रहे श्रद्धालुओं को प्राथमिकता के आधार पर निकाला जाएगा। केदारनाथ धाम के लिए पैदल आने वाले श्रद्धालुओं से फिलहाल यात्रा ना करें.
सुप्रीम कोर्ट से आबकारी नीति घोटाले मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दो याचिकाओं पर फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आबकारी नीति भ्रष्टाचार मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल को नियमित जमानत देने का फैसला सुनाया। इस संबंध में न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने उनके फैसले पर सहमति जताई। कोर्ट ने केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी। सीबीआई की गिरफ्तारी से जुड़ी याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अपीलकर्ता की गिरफ्तारी अवैध नहीं थी।
ईडी मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी। ऐसे में अब उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने 103 दिन पहले यानी 2 जून को अंतरिम जमानत की मियाद पूरी होने के बाद सरेंडर किया था। माना जा रहा है कि वे आज ही जेल से बाहर आ सकते हैं।
दरअसल, केजरीवाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी और जमानत से दिल्ली हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। पीठ ने पांच सितंबर को केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख को 26 जून को गिरफ्तार किया था।
जस्टिस कांत ने गिरफ्तारी को वैध माना-
जस्टिस कांत ने कहा कि तर्कों के आधार पर हमने 3 प्रश्न तैयार किए हैं। क्या गिरफ्तारी अवैधता थी? क्या अपीलकर्ता को नियमित जमानत दी जानी चाहिए? क्या आरोप पत्र दाखिल करना परिस्थितियों में इतना बदलाव है कि उसे ट्रायल कोर्ट में भेजा जा सके? उन्होंने आगे कहा कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को गिरफ्तार करना कोई गलत बात नहीं है। हमने पाया है कि सीबीआई ने अपने आवेदन में उन कारणों को बताया है कि उन्हें क्यों ये जरूरी लगा। धारा 41ए (iii) का कोई उल्लंघन नहीं है। हमें इस तर्क में कोई दम नहीं लगता कि सीबीआई ने धारा 41ए सीआरपीसी का अनुपालन नहीं किया।
जमानत देने का फैसला सुनाया-
उन्होंने कहा कि जमानत पर हमने विचार किया है। मुद्दा स्वतंत्रता का है। लंबे समय तक कारावास आजादी से अन्याय के बराबर है। फिलहाल हमे लगता है कि केस का नतीजा जल्द निकलने की संभावना नहीं है। सबूतों और गवाहों से छेड़छाड़ को लेकर अभियोजन पक्ष की आशंकाओं पर विचार किया गया। उन्हें खारिज करते हुए हमने निष्कर्ष निकाला है कि अपीलकर्ता को जमानत दी जानी चाहिए।
कोर्ट ने कुछ शर्तें भी लगाईं-
कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता मामले के बारे में सार्वजनिक रूप से कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेगा। ईडी मामले में लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी। वह ट्रायल कोर्ट के साथ पूरा सहयोग करेगा।
जस्टिस ने सीबीआई की गिरफ्तारी पर उठाए सवाल –
फैसला सुनाते हुए जस्टिस भुइयां ने कहा कि गिरफ्तारी की आवश्यकता और समय पर मेरा एक निश्चित दृष्टिकोण है। इसलिए मैं इस दृष्टिकोण से सहमत हूं कि अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि ईडी मामले में अपीलकर्ता को नियमित जमानत दिए जाने के बाद ही सीबीआई सक्रिय हुई और हिरासत की मांग की। ईडी मामले में रिहाई के समय केजरीवाल को गिरफ्तार करने की सीबीआई की जल्दबाजी समझ से परे है, जबकि 22 महीने तक उसने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी पर गंभीर प्रश्न उठाती है।
जहां तक गिरफ्तारी के आधारों का सवाल है तो ये गिरफ्तारी की आवश्यकता को पूरा नहीं करते हैं। सीबीआई गिरफ्तारी को उचित नहीं ठहरा सकती है और टालमटोल वाले जवाबों का हवाला देते हुए हिरासत जारी रख सकती है। आरोपी को दोषपूर्ण बयान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। इन आधारों पर अपीलकर्ता को हिरासत में रखना न्याय का उपहास है, खासकर तब जब उसे अधिक कठोर पीएमएलए में जमानत दी गई है।
कांग्रेस की केदारनाथ प्रतिष्ठा यात्रा का दूसरा चरण आज से शुरू हो गया है। यात्रा केदारनाथ धाम तक जाएगी। वहां पूजा अर्चना के साथ भैरव मंदिर में यात्रा का समापन किया जाएगा। बुधवार को रुद्रप्रयाग की ओर जाते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कीर्तिनगर पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। यहां उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक ली।
बैठक के दौरान माहरा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से दूसरे चरण की केदारनाथ प्रतिष्ठा यात्रा में अधिक से अधिक संख्या में जुड़ने की अपील की। कहा कि हमारे मठ-मंदिरों को भाजपा साजिश के तहत अन्यत्र शिफ्ट करना चाहती है, जिसे कांग्रेस पार्टी द्वारा बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कहा कि बृहस्पतिवार को सीतापुर में सुबह साढ़े सात बजे सेवादल कार्यकर्ताओं द्वारा ध्वजारोहण के बाद सीतापुर से केदारनाथ के लिए यात्रा प्रारंभ होगी।
इसके बाद देर सांय को केदारनाथ धाम में यात्रा पहुंचेगी। केदारनाथ में रात्रि विश्राम के बाद 13 सितंबर को सुबह केदारनाथ में जलाभिषेक के साथ यात्रा का समापन किया जाएगा। कीर्तिनगर के बाद श्रीनगर में भी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का भव्य स्वागत किया गया।
24 जुलाई 2024 को शुरू हुई थी केदारनाथ बचाओ यात्रा-
बता दें कि 24 जुलाई 2024 को हरकी पैड़ी से प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा की अगुवाई में केदारनाथ बचाओ यात्रा का शुभारंभ किया गया था।लेकिन केदारनाथ में खराब मौसम के चलते और आपदा आने के कारण यात्रा को 31 जुलाई को सीतापुर में स्थगित कर दिया गया था। लेकिन आज से इसे दोबारा शुरू कर दिया गया है।
रुद्रप्रयाग के बांसवाड़ा क्षेत्र में एक मैक्स वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वाहन में चालक सहित सात लोग सवार बताए जा रहे हैं। सवार सभी लोग स्थानीय थे।
गुरुवार सुबह जानकारी मिले कि एक वाहन बांसवाड़ा में दुर्घटनाग्रस्त होकर सड़क से 15 फीट नीचे गिर गया है। वाहन में चालक सहित सात लोग सवार थे। सभी को हल्की चोटें हैं। जिन्हें पीएचसी अगस्त्यमुनि में भर्ती किया गया है।
सात लोग घायल-
हादसे के दौरान वाहन में मैक्स चालक समेत सात लोग सवार थे. सभी लोगों को हल्की चोट आई है. जिन्हें इलाज के लिए पीएचसी अगस्त्यमुनि में भर्ती कराया गया है. बताया जा रहा है वाहन में सभी स्थानीय लोग सवार थे.
बरसात का सीजन खत्म होने के बाद 15 सितंबर से जौलीग्रांट से रुद्राक्ष एविएशन का एमआई 17 हेलिकॉप्टर एक बार फिर अपनी सेवाएं शुरू करेगा। जिसके लिए कंपनी ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। बदरीनाथ और केदारनाथ के लिए जौलीग्रांट से हेलिकॉप्टर की बुकिंग सितंबर माह की फुल हो चुकी हैं। कंपनी ने अक्टूबर माह की बुकिंग भी शुरू कर दी है।
जौलीग्रांट हेलीपैड से बीते 10 मई से दो धामों बदरीनाथ और केदारनाथ के लिए रुद्राक्ष एविएशन ने अपने 18 सीटर एमआई 17 हेलिकॉप्टर से हेली सेवाएं शुरू की थी। लेकिन बरसात को देखते हुए 15 जून को यह सेवाएं बंद कर दी गई थी। इस दौरान करीब 1000 श्रद्धालुओं ने दोनों धामों के दर्शन किए थे। अब फिर से जौलीग्रांट हेलीपैड से हेलिकॉप्टर सेवाएं शुरू करने की तैयारियां की जा रही है।
मौसम ठीक रहने पर हेलिकॉप्टर सुबह करीब साढे छह बजे से दो धामों के लिए उड़ान भरेगा। मौसम साफ रहने पर हेलिकॉप्टर दो धामों के लिए एक से अधिक फेरे लगाएगा। जौलीग्रांट से दो धामों के लिए एक व्यक्ति का किराया सवा लाख के करीब होगा।
फिलहाल ऑनलाइन बुकिंग की कोई सुविधा नही है। जिस कारण श्रद्धालु कंपनी की वेबसाइट पर जाकर फोन से संपर्क कर अपना टिकट बुक करा सकते हैं। कंपनी के अधिकारी 10 सितंबर तक देहरादून पहुंच जाएंगे। वहीं 13 सितंबर तक हेलिकॉप्टर भी श्रद्धालुओं को ले जाने के लिए जौलीग्रांट पहुंच जाएगा।
कंपनी ने शुरू कर दी है अक्तूबर माह की बुुकिंग
बदरीनाथ और केदारनाथ के लिए जौलीग्रांट से हेलिकॉप्टर की बुकिंग सितंबर माह की फुल हो चुकी हैं। वहीं अक्तूबर माह की बुकिंग भी कंपनी ने शुरू कर दी है। मौसम ठीक रहा तो जौलीग्रांट से हेलिकॉप्टर प्रत्येक दिन दोनों धामों के लिए उड़ान भरेगा।
बरसात को देखते हुए 15 जून से जौलीग्रांट से दो धामों की हेली सेवाएं बंद कर दी गई थी। अब 15 सितंबर से फिर से हेली सेवाएं शुरू की जाएंगी। किराया पूर्व की तरह सवा लाख प्रति पैसेंजर रखा गया है। सितंबर की बुकिंग फुल हो गई है। आगे की बुकिंग जारी है। – राज शाह, ऑपरेशन मैनेजर रुद्राक्ष एविएशन