महाराष्ट्र के बाद यूपी, बिहार में टूट का खतरा,क्या विपक्षी एकता को तोड़ने की चल रही कोशिशें

महाराष्ट्र के बाद यूपी, बिहार में टूट का खतरा,क्या विपक्षी एकता को तोड़ने की चल रही कोशिशें

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महाराष्ट्र में सियासी भूचाल आया हुआ है। शिवसेना के बाद NCP में फूट पड़ गई है। पार्टी के मुखिया शरद पवार से उनके भतीजे अजित पवार ने बगावत कर दी है। अजित ने 40 विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए एनडीए का दामन थाम लिया है।  महाराष्ट्र में हुए इस सियासी घटना के बाद यूपी-बिहार समेत कई राज्यों में हलचल तेज हो गई है। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि जल्द ही यूपी और बिहार से कई विपक्षी दल एनडीए में शामिल हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को बड़ा झटका लगेगा।  

 

  

 
कहते हैं सियासत में न कोई स्थाई दोस्त होता है और न कोई स्थाई दुश्मन,,, जिसका नजारा आजकल आप महाराष्ट्र की राजनीती में देख सकते हैं,,महाराष्ट्र की राजनीती में हुए इस उठापटक से एक बात तो साबित हो गयी है,कि 2024 के चुनावी रण से पहले ऐसे जोड़ तोड़ कई राज्यों में देखने को मिलेंगें,, महाराष्ट्र का उलटफेर न केवल विपक्षी एकता को एक झटका है बल्कि अब अन्य राज्यों में भी टूट की सुगबुगाहट तेज होने लगी है… 
 
 
 
महाराष्ट्र में हुई उथलपुथल के बाद जिस राज्य में इस तरह की टूट की बातें सबसे ज्यादा हो रही हैं वह बिहार है। सोमवार को ही  लोक जनशक्ति पार्टी  सुप्रीमो चिराग पासवान ने दावा किया कि जल्द ही महागठबंधन की सरकार टूट सकती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के कई विधायक और सांसद NDA के संपर्क में है। चिराग पासवान ने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री अपने विधायक और सांसदों से मुलाकात कर रहे हैं, उससे यह स्पष्ट है कि उन्हें उनकी पार्टी टूटने का डर है। वहीं, भाजपा नेता सुशील मोदी ने भी कुछ इसी तरह की बात कही।   
 
 
 
बीते दिनों ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने अचानक बिहार सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। संतोष सुमन अपनी पार्टी हम (HAM) के अध्यक्ष भी हैं। इसके बाद जीतन राम मांझी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करके एनडीए में शामिल होने का एलान कर दिया। पूरे बिहार की बात करें तो अभी एनडीए के साथ लोक जनशक्ति पार्टी के पशुपति पारस वाला गुट और जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ है। इसके अलावा आरएलजेडी के उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान की लोजपा (आर) और विकासशील इंसान पार्टी का साथ भी एनडीए को मिल सकता है। 2014 में भी कुशवाहा-मांझी और लोजपा एनडीए के साथ थे। तब लोजपा ने छह, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने तीन और भाजपा ने 22 सीटें जीती थीं। इस बार भी कुछ ऐसा ही सीट बंटवारा हो सकता है। इसमें हम के मांझी और वीआईपी के मुकेश सहनी को एक-दो सीटें मिल सकती हैं।
 
 
 

उत्तर प्रदेश में भी तेजी से सियासी समीकरण बदलते हुए दिख रहे हैं। सपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने वाली ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की नजदीकियां एक बार फिर से भाजपा के साथ बढ़ती दिख रहीं हैं। अटकलें हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले ओम प्रकाश राजभर फिर से एनडीए में शामिल हो सकते हैं। महाराष्ट्र के घटनाक्रम के बाद राजभर ने दावा किया कि सपा में भी ऐसी ही टूट हो सकती है। उन्होंने कहा कि सपा के विधायकों पार्टी में कोई भविष्य नहीं दिख रहा है। जल्द ही कई विधायक पार्टी से अलग होकर सरकार में शामिल हो सकते हैं।

 

इसके अलावा पश्चिमी यूपी में सपा को मजबूत बनाने वाले जयंत चौधरी के भी एनडीए में शामिल होने के कयास लगाए जाने लगे हैं। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी इसका दावा तक कर चुके हैं।  जयंत को 23 जून को पटना में हुई विपक्ष की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। दावा किया जा रहा है कि पिछले कुछ वर्षों में जयंत की पार्टी का प्रदर्शन भी काफी अच्छा नहीं रहा है। ऐसे में जयंत अपनी पार्टी के भविष्य की संभावनाएं तलाश रहे हैं। 
 
 
 
यूपी में एनडीए गठबंधन में पहले से ही अपना दल  और निषाद पार्टी हैं। लोकसभा चुनाव से पहले जनसत्ता लोकतांत्रिक पार्टी का भी साथ मिल सकता है। बसपा पर भी बीते कुछ वर्षों से अंदरखाने भाजपा से समझौते के आरोप लगते रहे हैं। अखिलेश की पार्टी अक्सर बसपा को भाजपा की बी टीम बताती रही है। हालांकि, बसपा भी यही आरोप सपा पर लगाती है।
 

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