धामी का दावा और भाजपा की अंदरूनी ‘भविष्यवाणी’

धामी का दावा और भाजपा की अंदरूनी ‘भविष्यवाणी’

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कहते हैं उत्तराखंड की राजनीति में एक अजीब सी चुप्पी हमेशा एक सनसनी मचाये रखती है ,, मगर इस बार गर्मी चुप्पी से नहीं बल्कि दो बयानों से पैदा हुई है ,,,वो भी सत्ता पक्ष की तरफ से आये बयानों से  ,,, और उस पर तेज़ और तीखी मिर्च की माफिक तड़का लगा दिया है विपक्षी नेता हरीश रावत ने,,,
शुरुआत होती है शांत से दिखने वाले प्रदेश उत्तराखंड में सत्ता सीन भाजपा के अध्यक्ष को चुनने के साथ ,, मगर अध्यक्ष के बहाने चर्चा शुरू हो जाती है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जिनके बारे में अब कहा जाने लगा है की वो इसिहास लिखने की और बढ़ रहे हैं क्या ? क्या भाजपा आलाकमान ने धामी पर भरोसा कर एक सियासी बिसात भविष्य को लेकर बिछा दी है या फिर परदे के पीछे से एक नयी स्क्रिप्ट लिखी जा रही है ?
चलिए, तर्कों, बयानों और पॉलिटिकल इंटेलिजेंस के ज़रिए इस पूरे खेल को समझते हैं… विस्तार से, निष्पक्ष रूप से और फैक्ट्स के साथ।

 

ये जगजाहिर है की उत्तराखंड की राजनीती अन्य राज्यों की तरह न तो शांत है और न ही स्थिर ,,,,जहाँ मुख्यमंत्री बदलने की न केवल चर्चा चलती हैं बल्कि अमलीजामा पहना कर उन चर्चाओं को हकीकत में भी बदल दिया जाता है ,,,लेकिन इस बार इन चर्चाओं पर विराम सा लग गया है ,, तमाम अटकलें लगाई जा रहीं थी की प्रदेश में मुख्यमंत्री जल्द ही बदला जाना है ,, लेकिन पुष्कर सिंह धामी ने न केवल अपने चार वर्ष पुरे कर लिए हैं बल्कि भाजपा के सबसे ज्यादा वक़्त तक मुख्यमंत्री रहने का कीर्तिमान भी बना लिया है ,, अब उत्तराखंड में तो ये कीर्तिमान ही कहा जाएगा जहाँ रात को सोने वाले मुख्यमंत्री को यही पता नहीं रहता की वो सुबह उठकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होगा भी या नहीं

 
 
 
यहाँ ये समझना जरूरी है कि उत्तराखंड भाजपा की राजनीति में मुख्यमंत्री बदलना कोई नई बात नहीं,,,,खंडूरी, निशंक, त्रिवेंद्र, तीरथ… हर चुनाव से पहले या बीच में चेहरा बदलकर पार्टी सत्ता बचाती रही है,,,,लेकिन इस बार तस्वीर बदलती दिख रही है। पुष्कर सिंह धामी, जिन्हें पहली बार मात्र 45 साल की उम्र में सीएम बनाकर भाजपा ने युवाओं को संदेश दिया,,,,उनके नेतृत्व में पार्टी ने 2022 में सत्ता दोबारा हासिल की,,2022  के चुनाव में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपना चुनाव अपनी परंपरागत सीट खटीमा से हार गए थे ,, बावजूद इसके ,दिल्ली में बैठे आलाकमान ने धामी पर भरोसा जताया और एक बार फिर हाव के बावजूद उनको प्रदेश का मुखिया बना दिया ,,,अब सवाल यह है कि क्या भाजपा आलाकमान ने इस बार भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पुष्कर सिंह धामी को लंबी पारी देने का फैसला कर लिया है?

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में महेंद्र भट्ट के अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी की बड़ी बैठक में कहा,,,,“झूठी खबरें और अफवाहें ज्यादा दिन नहीं चलतीं। पार्टी नेतृत्व सब जानता है, और काम के आधार पर मौका देता है। धामी का यह बयान आत्मविश्वास से भरा था, और इशारा भी था,,,,इशारा उन अफवाहों की तरफ,जो उनके खिलाफ पार्टी के भीतर उड़ाई जाती रही हैं।इशारा उन चेहरों की तरफ,जो पर्दे के पीछे से उत्तराखंड में नेतृत्व बदलने की बिसात बिछाने में लगे थे।धामी का कहना,,, कि ,,पार्टी नेतृत्व सब जानता है, साफ करता है कि हाईकमान उनके पीछे खड़ा है,,,इसी बीच महेंद्र भट्ट का 36 सेकंड का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह कहते हैं,,,,सीएम धामी नारायण दत्त तिवारी का रिकॉर्ड तोड़ेंगे। 2027 में चुनाव भी धामी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, और फिर से धामी ही सीएम बनेंगे।

 

 

महेंद्र भट्ट का यह बयान साधारण नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष की दोबारा ताजपोशी के बीच यह बयान पार्टी के अंदरूनी खेल पर पानी की बौछार जैसा था,,,,भाजपा में पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए कई नाम चर्चा में थे, गुटबाजी थी, अंदरूनी घमासान था, लेकिन आखिरकार महेंद्र भट्ट की ताजपोशी हुई, और वह भी धामी के समर्थन से,,,,यानी अब उत्तराखंड भाजपा में धामी-भट्ट की जोड़ी एक नयी स्क्रिप्ट लिख रही है।
वैसे भी उत्तराखंड की राजनीति में गढ़वाल-कुमाऊं समीकरण हमेशा अहम रहा है,,,महेंद्र भट्ट गढ़वाल से आते हैं, और धामी कुमाऊं से,,,,,,इस जोड़ी को बनाए रखने में भाजपा आलाकमान ने रणनीतिक सोच दिखाई है।भट्ट की दोबारा ताजपोशी और धामी का आत्मविश्वास, दोनों ने एक साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं को सीधा संदेश दे दिया,,,,कि “पार्टी में अगर आगे बढ़ना है, तो काम करना होगा। हाईकमान सब देख रहा है।”

उत्तराखंड में भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए चेहरा बदलने की परंपरा निभाई है,,,खंडूरी इज़ बैक नारा याद होगा,,,त्रिवेंद्र सिंह रावत से तीरथ सिंह रावत और फिर तीरथ से पुष्कर सिंह धामी तक का सफर भी आपने देखा है…. लेकिन इस बार धामी खुद कह रहे हैं कि अफवाहें टिकती नहीं,और महेंद्र भट्ट कह रहे हैं कि धामी रिकॉर्ड तोड़ेंगे।क्या इसका मतलब यही है कि भाजपा अब मुख्यमंत्री बदलने की परंपरा तोड़ने जा रही है? क्या भाजपा अब मोदी के चेहरे के साथ-साथ धामी के चेहरे पर भी वोट मांगेगी? इन सवालों के जवाब आने वाले महीनों में दिखने लगेंगे। सियासी  भी चर्चा है की धामी संभवतः सिर्फ उत्तराखंड तक ही सीमित नहीं रहेंगे ,, गुजरात से मोदी जिस तरह दिल्ली की राजनीती का हिस्सा बने आने वाले वक़्त में उत्तराखंड से धामी भी दिल्ली की ओर कदम बढ़ा सकते हैं ,, खैर ये वक़्त के हाथ है ,, फिलहाल थोड़ा चर्चा धामी कृपा से अध्यक्ष की कुर्सी पर दूसरी बार विराजमान हुए महेंद्र भट्ट की कर लेते हैं ,,

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का राजनीतिक सफर भी कम दिलचस्प नहीं है,,,,प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए वह खुद बद्रीनाथ सीट से चुनाव हार चुके हैं,,,उन पर एक नहीं कई बार विवादित बयान देने के आरोप लगे हैं,,,,जोशीमठ आपदा,, जिस समय तमाम स्थानीय निवासी सड़कों पर थे ,,उनकी अगुवाई कर रहे कुछ लोगों को महेंद्र भट्ट ने  माओवादी तक कह दिया था ,,,
गैरसैंण आंदोलनकारियों को “सड़क छाप” कह दिया,और प्रेमचंद अग्रवाल प्रकरण में पार्टी की फजीहत करवा दी,,,,फिर भी पार्टी ने उन पर दोबारा भरोसा जताया है।अब पंचायत चुनाव और फिर 2027 का चुनाव महेंद्र भट्ट के लिए अग्निपरीक्षा जैसा होगा।उनकी जिम्मेदारी है कि भाजपा को सत्ता में वापस लाएं, और धामी को दोबारा मुख्यमंत्री बनवाएं।मगर यहाँ ये भी याद रखने की जरूरत है की प्रदेश में हुए बद्रीनाथ उपचुनाव और हरिद्वार के मंगलौर उपचुनाव में महेंद्र भट्ट करारी हार का सामना कर चुके हैं ,, निकाय चुनाव के दौरान भी उनके नेतृत्व में कोई बहुत अच्छा रिजल्ट मेयर की अधिकतर सीटें जीतकर भी नहीं आया ,,कमसकम आंकड़े तो यही तस्दीक कर रहे हैं ,,,उन्हीं के अध्यक्ष रहते हुए कई भाजपा नेताओं पर गंभीर आरोप लगे हैं ,, जिससे कई बार उनके सही तरीके से संगठन को चलाने को लेकर सवाल उठे हैं ,,खैर धामी भक्ति में लीन कइयों की नैय्या पार लगी है

 

अब वापिस से बस यही सवाल खड़ा होता है कि ,,,क्या धामी सच में नारायण दत्त तिवारी का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे? क्या वह 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाएंगे?क्या भाजपा आलाकमान उन पर इतना भरोसा कर चुका है कि 2027 में भी उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाए? धामी का आत्मविश्वास और भट्ट की भविष्यवाणी तो यही कहती है कि इस बार धामी लंबी पारी खेलने की तैयारी में हैं,,,,लेकिन भाजपा की राजनीति में कब कौन सा चेहरा बदल जाए, किसके खिलाफ अंदरूनी हवा बन जाए,इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता।

 

 

उत्तराखंड की राजनीति में पिछले दो साल से जो धामी बनाम बदलाव का सस्पेंस बना था,फिलहाल उस पर ब्रेक लगता दिख रहा है।उस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया पर एक कार्टून से राजनीतिक हवा को थोड़ा और गर्म कर दिया है ,,,वैसे भी व्यंजनों के ब्रांड अम्बेसडर कब इसको व्यंग में तब्दील कर देते हैं इसके बारे में तो खुद कांग्रेसी भी अंदाज़ा नहीं लगा सकते ,, जिस तरह से उन्होंने धामी विरोधिओं को अंगूर से तुलना कर शॉट मारा है उससे उनके मन में पुष्कर सिंह धामी के प्रति प्रेम को साफ़ महसूस किया जा सकता है ,,, वैसे भी वो कई बार कई मंचों पर ब्यान दे भी चुके हैं की धामी पुरे पांच साल तक रहने चाहिए ,, अगर ऐसा होता है तो कभी उनके  हाथ आयी कुर्सी को छीनने वाले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ,, दिवंगत नारायणदत्त तिवारी का रिकॉर्ड तो फिलहाल बराबर हो ही सकता है ,,

 

खैर गेंद अब भाजपा के पाले में है,,,अगर धामी और भट्ट की जोड़ी 2027 तक सत्ता और संगठन दोनों संभाले रख पाती है,तो उत्तराखंड की राजनीति में यह एक नया अध्याय होगा। आपका क्या मानना है? क्या धामी 2027 तक मुख्यमंत्री बने रह पाएंगे? क्या भाजपा की मुख्यमंत्री बदलने की परंपरा इस बार टूट जाएगी? या फिर पर्दे के पीछे एक नई पटकथा लिखी जा रही है?

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