Month: February 2025

चैंपियन से विवाद के बीच MLA उमेश के कैंप कार्यालय पर नकाबपोशों ने की फायरिंग, घटना CCTV में कैद

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उत्तराखंड में खानपुर विधायक उमेश कुमार के रुड़की स्थित कैंप कार्यालय के बाहर नकाबपोश बदमाशों ने कई राउंड हवाई फायरिंग कर दी। फायरिंग से कैंप कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों में दहशत फैल गई। फायरिंग की घटना कैंप कार्यालय के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। मामले में पुलिस ने अज्ञात में केस दर्ज कर फायरिंग करने वालों की तलाश शुरू कर दी है।

 

बता दें कि खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और पूर्व विधायक चैंपियन के बीच जनवरी माह में विवाद हुआ था। जिसके बाद चैंपियन ने 26 जनवरी को समर्थकों के साथ रुड़की स्थित उमेश कुमार के कैंप कार्यालय पर पहुंचकर उनके समर्थकों से मारपीट कर दी थी। साथ ही कई राउंड हवाई फायरिंग कर दी थी। जबकि उमेश भी पिस्टल लेकर चैंपियन के कार्यालय की तरफ दौड़े थे। मामले में पुलिस ने दोनों पक्षों पर केस दर्ज कर लिया था। साथ ही चैंपियन और उनके समर्थकों को जेल भेज दिया था। तभी से चैंपियन जेल में ही बंद है। इसे लेकर पुलिस की ओर से गंगनहर पटरी किनारे स्थित दोनों के कैंप कार्यालय पर सुरक्षा बढ़ा दी थी। लेकिन अब एक बार फिर विधायक उमेश कुमार के कैंप कार्यालय पर नकाबपोश बदमाशों ने हवाई फायरिंग कर पुलिस की चिंता फिर से बढ़ा दी है।

 

दरसअल, बृहस्पतिवार की अलसुबह बाइक सवार नकाबपोश बदमाश विधायक उमेश के कैंप कार्यालय के बाहर पहुंचे और हवाई फायरिंग कर दी। कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों ने घटना की सूचना विधायक उमेश कुमार और उनके निजी सचिव जुबैर काजमी को दी। वहीं, सूचना मिलते ही पुलिस में भी खलबली मच गई। पुलिस मौके पर पहुंची और घटना की जानकारी ली। इस दौरान पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे चेक किए तो नकाबपोश संदिग्ध फायरिंग करते भी दिखे। मामले में निजी सचिव की ओर से सिविल लाइंस कोतवाली में पुलिस को तहरीर दी गई है। एसपी देहात शेखर चंद्र सुयाल ने बताया कि तहरीर के आधार पर अज्ञात बदमाशों पर केस दर्ज कर लिया है। साथ ही आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के आधार पर बदमाशों और उनकी बाइक की पहचान की जा रही है। जल्द ही घटना का खुलासा किया जाएगा।

 

24 फरवरी को हटी थी पुलिस सुरक्षा

विधायक उमेश कुमार के कैंप कार्यालय के बाहर और अंदर 26 जनवरी की घटना के बाद से पुलिस तैनात की गई थी। अब मामला शांत हुआ था तो 24 फरवरी को पुलिस सुरक्षा हटा दी गई थी। जबकि बैरिकेडिंग हटाकर भी चार पहिया वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी गई थी। अब फायरिंग के बाद फिर से पुलिस सुरक्षा का कड़ा पहरा बैठा दिया गया है।

…तो सुरक्षा हटने की थी पूरी जानकारी

जिस तरह से उमेश कुमार के कैंप कार्यालय पर नकाबपोश बदमाशों ने फायरिंग की है उससे आशंका जताई जा रही है कि बदमाशों को यह जानकारी थी कि अब पुलिस सुरक्षा हट गई है। इसलिए उन्होंने फायरिंग की घटना को अंजाम दिया है। वहीं, पुलिस मामले में हर बिंदू पर गहनता से जांच कर रही है।

लोकल या बाहरी, इसकी चल रही जांच

चैंपियन और उमेश के विवाद के बाद भी सोशल मीडिया पर दोनों के समर्थक आपस में भिड़ रहे हैं। हाल ही में विधायक उमेश कुमार ने एक वीडियो पोस्ट की थी जिसमें मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर 28 फरवरी को पहुंचने की बात कही थी। साथ ही एक युवक को भी धमकी दी थी। ऐसे में पुलिस की जांच इस तरफ चल रही है कि फायरिंग करने वाले लोकल हैं या बाहरी हैं।

प्रदेश की 7499 ग्राम पंचायतों का OBC आरक्षण तय, आयोग ने मुख्यमंत्री धामी को सौंपी रिपोर्ट

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उत्तराखंड की 7499 ग्राम पंचायतों का ओबीसी आरक्षण तय हो गया है। एकल सदस्यीय समर्पित आयोग के अध्यक्ष बीएस वर्मा ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ये रिपोर्ट सौंप दी।राज्य के भीतर स्थानीय निकायों में सभी स्तरों पर अन्य पिछड़ा वर्ग के पिछड़ेपन की प्रकृति और उसके निहितार्थों की समसामयिक एवं अनुभवजन्य तरीके से गहन जांच करने के लिए गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग के अध्यक्ष बीएस वर्मा ने ग्रामीण स्थानीय निकायों के सामान्य निर्वाचन के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण, प्रतिनिधित्व देने के लिए 12 जिलों की तीसरी रिपोर्ट सौंपी।

 

 

इससे पहले आयोग ने 14 अगस्त 2022 को हरिद्वार की प्रथम रिपोर्ट सौंपी थी। हरिद्वार की प्रथम रिपोर्ट और बाकी 12 जिलों की तृतीय रिपोर्ट के त्रिस्तरीय पंचायतों में जैसे जिला पंचायत अध्यक्षों के कुल 13, जिला पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों (वार्ड) के कुल 358, क्षेत्र पंचायत प्रमुख के कुल 89, क्षेत्र पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों (वार्ड) के कुल 2974, ग्राम पंचायत प्रधानों के कुल 7499 और ग्राम पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों (वार्ड) के कुल 55,589 पदों पर ओबीसी को प्रतिनिधित्व देने के लिए 2011 की जनगणना के आधार पर आयोग ने अपनी सिफारिश की है।

 

इस रिपोर्ट के हिसाब से जिन ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों, जिला पंचायतों में ओबीसी की आबादी ज्यादा है, वहां आरक्षण ज्यादा मिलेगा जबकि जहां आबादी कम है, वहां ओबीसी का प्रतिनिधित्व भी कम हो जाएगा। अभी सरकार को इस रिपोर्ट को स्वीकार करना है। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, गणेश जोशी, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, विधायक खजानदास, सविता कपूर, बृजभूषण गैरोला, सचिव पंचायतीराज चन्द्रेश यादव, निदेशक पंचायतीराज निधि यादव, अपर सचिव पंचायतीराज पन्ना लाल शुक्ला, सदस्य सचिव डीएस राणा, उप निदेशक मनोज कुमार तिवारी व आयोग से सुबोध बिजल्वाण उपस्थित रहे।

27 नवंबर को खत्म हुआ था कार्यकाल
राज्य में हरिद्वार को छोड़कर बाकी 12 जिलों की ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पिछले साल 27 नवंबर, क्षेत्र पंचायतों का 29 नवंबर और जिला पंचायतों का एक दिसंबर को खत्म हो गया था। इनके चुनाव वर्ष 2019 में हुए थे। हरिद्वार का त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव वर्ष 2022 में हुआ था। फिलहाल सभी ग्राम पंचायतें प्रशासकों के हवाले हैं।

ल्वेटा गांव के 35 घरों में जोशीमठ की तरह दरारें… चार गिरे,जांच के आदेश

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अल्मोड़ा जिले के ल्वेटा गांव के मकानों में जोशीमठ (गढ़वाल) की तरह दरारें आ गई हैं। एक महीने में चार मकान दरारों के कारण गिर गए हैं। करीब 35 मकान बेहद जर्जर हालत में हैं। अनहोनी की आशंका के चलते कई लोग टेंट लगाकर रह रहे हैं। कुछ ग्रामीणों ने रिश्तेदारों के यहां शरण ली है। 15 घरों में लोग जान जोखिम में डालकर रहने को मजबूर हैं।

Almora: Cracks in 35 houses of Laveta village like Joshimath... four collapsed

भैंसियाछाना ब्लाॅक स्थित ल्वेटा के ग्रामीणों ने बृहस्पतिवार को डीएम आलोक कुमार पांडेय से मुलाकात कर गांव की स्थिति से अवगत कराया। बताया कि वर्ष 2010 में भी उनके गांव के कई मकानों में दरारें आई थीं और छह मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे। उस समय प्रशासन ने तीन प्रभावित परिवारों को 1.20-1.20 लाख रुपये मुआवजा दिया था।अब फिर से गांव के करीब 35 मकानों में दरारें आ गई हैं। भयावह होती स्थिति से गांव की करीब 350 की आबादी के सिर से छत छिनने का खतरा मंडरा रहा है। गांव की पानी की लाइन भी उखड़ गई है।

ग्रामीण बोले-सुरक्षित भूमि है लेकिन घर बनाने के लिए पैसे नहीं
भाजपा अनुसूचित मोर्चा के मंडल अध्यक्ष संतोष कुमार के नेतृत्व में डीएम से मिले ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2010 में आपदा प्रबंधन की टीम ने गांव का दौरा किया था। तब उन्होंने गांव के भूस्खलन की जद में होने की बात कही थी। कहा कि उनके पास अन्यत्र मकान बनाने के लिए सुरक्षित भूमि तो है लेकिन भवन निर्माण के लिए पैसा नहीं है।

Uttarakhand: वन विभाग में करोड़ों का घोटाला, अपने  ऐशो-आराम पर लुटा दिया फंड !

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वन विभाग में करोड़ों का घोटाला,अपने  ऐशो-आराम पर लुटा दिया फंड !

उत्तराखंड में कैग यानि CAG की रिपोर्ट आने के बाद उत्तराखंड सरकार के वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. कैग ने राज्य में 2019-20 से 2021-23 के दौरान कैंपा के तहत हुए कार्याें का मूल्यांकन किया है। इसमें कई अनियमितता का खुलासा किया.. CAG रिपोर्ट में वन विभाग के CAMPA फंड में घोटालों की लंबी फेहरिस्त सामने आयी जिससे वन विभाग के अधिकारीयों के साथ-साथ वन मंत्री सुबोध उनियाल पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

उत्तराखंड में वनों के संरक्षण और पुनर्वनीकरण के लिए आवंटित फंड को घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट (2019-2022) में ₹13.86 करोड़ की अवैध निकासी और वित्तीय अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ है, सवाल यही है कि क्या वन मंत्री को इस घोटाले का कुछ भी पता नहीं था, जो इतने साल तक उनके सामने नहीं आ सका.. सबसे पहले आपको बताते हैं कि CAMPA फंड कहां-कहां बर्बाद हुआ।

पर्यावरण संरक्षण के नाम पर सरकारी अधिकारी ऐशो-आराम का सामान खरीदते रहे जिनमें iPhones, लैपटॉप, फ्रिज और कूलर की खरीद की बात सामने आयी है सरकारी इमारतों की मरम्मत और साज-सज्जा के पैसे से वन विभाग के ऑफिस और अफसरों के आवास चमकते रहे, लेकिन जंगल उजड़ते रहे जंगल बचाने के बजाय CAMPA फंड को कानूनी लड़ाइयों पर लुटाया गया ऐसी जगह को पौध रोपण के लिए चुना गया जहां  हकीकत में  पेड़ टिक ही नहीं सकते थे. 7 मामलों में 8 साल से ज्यादा की देरी से वृक्षारोपण किया गया.. देर से वृक्षारोपण, लागत में बेतहाशा बढ़ोतरी से धन को लुटाया गया वनीकरण की स्थिति एकदम नाकाम रही. CAG के अनुसार, लगाए गए पेड़ों का सिर्फ 33.51% ही जिंदा बचा, जबकि Forest Research Institute के मानकों के अनुसार 60-65% सफलता दर होनी चाहिए थी.. मतलब वन विभाग लगाए गए पेड़ों को भी बचाने में नाकमयाब रहा, अफसरों की मिलीभगत ऐसी कि बिना सही जांच किए ही भूमि को उपयुक्त बताया गया और ऐसे अधिकारीयों के  खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

 

कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा-

इतना ही नहीं सरकार की बड़ी लापरवाही और वित्तीय घोटाले का भी कैग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है विभाग द्वारा  275 करोड़ का ब्याज नहीं चुकाया गया CAMPA ने कई बार अनुरोध किया, लेकिन राज्य सरकार ने 2019-22 के दौरान ब्याज नहीं चुकाया. 76.35 करोड़ के मंजूर प्लान पर कोई फंड जारी नहीं किया गया.  सरकार ने स्वीकृत योजनाओं पर भी पैसा नहीं दिया, जिससे परियोजनाएं ठप पड़ी रहीं जबकि जुलाई 2020 से नवंबर 2021 के बीच CEO ने Head of Forest Force की अनुमति के बिना फंड जारी किया, जो नियमों के खिलाफ था बिना केंद्र की मंजूरी के जंगलों की कटाई की गयी, राज्य सरकार ने केंद्र की मंजूरी के बिना ही जंगलों को उद्योगों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए सौंप दिया।

ये हाल वन विभाग के तब हैं जब उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में साल दर साल बेतहाशा वृद्धि हो रही है। 2002 में जंगल की आग की 922 घटनाएं हुई थीं जिनकी संख्या 2024 में 21 हजार पार हो गई। इन घटनाओं में एक लाख 80 हजार हेक्टेयर से अधिक जंगल जल गए, भारतीय वन सर्वेक्षण  की हाल में जारी हुई रिपोर्ट पर गौर करें तो नवंबर 2023 से जून 2024 के बीच देश में वनों में दो लाख से अधिक घटनाएं हुईं। इनमें सर्वाधिक 74% की वृद्धि उत्तराखंड में रिकॉर्ड की गई। इसी कारण वनाग्नि में पिछले वर्ष 13वें नंबर पर रहा उत्तराखंड अब पहले स्थान पर है, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी में न्याय मित्र की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि उत्तराखंड में वनाग्नि प्रबंधन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है इसमें अग्निशमन उपकरणों, गश्ती वाहन और समन्वय के लिए संचार उपकरणों की कमी शामिल है.. लेकिन इस पर धायण देने के बजाय अधिकारी पैसा अपने ऐशो-आराम का सामान जुटाने में पैसे लुटा रहे हैं।

 

Uttarakhand: आवास बनाने वालों के लिए धामी सरकार ने खोले छूट के द्वार, सपना होगा साकार, जानिए कैसे मिलेगा फायदा.

 

वन विभाग का काम करने का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अभी हाल ही में हल्द्वानी में आग से बचाने के लिए की जाने वाली कंट्रोल बर्निग में कई नए लगाए पौधे भी जल गए इस पुरे घटनाक्रम से वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि वन विभाग आग बुझाने के बजाय नए पौधे ही जलाने में लग गया है,,, अब सवाल ये है इस सबके  जिम्मेदारों पर क्या कोई कार्रवाई होगी भी या नहीं CAG की रिपोर्ट ने वन विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है,,, क्या उत्तराखंड सरकार दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी या ये रिपोर्ट भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में ही दफन हो जाएगी ?

Uttarakhand: इस बार 2 मई को खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट, महाशिवरात्रि के शुभ पर्व पर घोषित हुई तिथि.

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ऊधमसिंह नगर जिले में ग्रीष्मकालीन धान की खेती पर लगे प्रतिबंध को इस साल के लिए हटा लिया गया है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक समाचार एजेंसी के माध्यम से दी। इस प्रतिबंध का किसान संगठनों ने लगातार विरोध किया था। किच्छा विधायक तिलकराज बेहड़ ने आंदोलन की चेतावनी दी थी, जबकि गदरपुर विधायक अरविंद पांडेय ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर प्रतिबंध हटाने की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले साल इस पाबंदी को फिर से लागू किया जा सकता है।

पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में आज महाशिवरात्रि के अवसर पर केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग की मौजूदगी में श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय हुई। आचार्य द्वारा पंचांग गणना के अनुसार मंदिर के कपाट खुलने की तिथि व समय घोषित किया गया।

इसके लिए केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग भी ऊखीमठ पहुंच गए थे। पुजारी शिव शंकर लिंग, बागेश लिंग और गंगाधर लिंग ने बताया कि ओंकारेश्वर मंदिर में सुबह छह बजे से पूजा-अर्चना शुरू हुई। बाबा केदार को बाल भोग, महाभोग लगाते हुए आरती की गई। इसके उपरांत रावल भीमाशंकर लिंग की मौजूदगी में श्री केदारनाथ धाम के कपाट दो मई को खोले जाने की तिथि घोषित की गई।

 

Uttarakhand: आवास बनाने वालों के लिए धामी सरकार ने खोले छूट के द्वार, सपना होगा साकार, जानिए कैसे मिलेगा फायदा.

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धामी सरकार ने नई आवास नीति में गरीबों का आशियाने का सपना पूरा करने के लिए विकासकर्ताओं के लिए छूट के द्वार खोल दिए हैं। ईडब्ल्यूएस श्रेणी में नौ लाख के आवास पर 3.5 से 4.5 लाख रुपये राज्य व केंद्र सरकार देगी। केवल 4.5 से 5.5 लाख रुपये लाभार्थी को देने होंगे। इस रकम के लिए बैंक से लोन लेने की प्रक्रिया और खर्च भी आसान कर दिए गए हैं।

 

इस तरह से मिलेंगे लाभ-

मैदानी क्षेत्रों में भवन पर छूट

 

ईडब्ल्यूएस आवास पर मैदानी क्षेत्रों में प्रति आवास अधिकतम नौ लाख रुपये तय किए गए हैं। इसमें 5.5 लाख रुपये लाभार्थी को वहन करने हैं। दो लाख रुपये का अनुदान राज्य सरकार और 1.5 लाख रुपये का अनुदान केंद्र सरकार देगी। आवास बनाने वाले को नौ लाख रुपये या 30 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर, जो भी अधिक होगा, वह मिलेगा।

 

 

पर्वतीय क्षेत्रों में बाखली शैली की छूट-

बाखली शैली में भवन बनाने पर और सुविधा होगी। ईडब्ल्यूएस के प्रति आवास नौ लाख में से केवल 4.5 लाख लाभार्थी को देने होंगे। तीन लाख रुपये का अनुदान राज्य सरकार देगी, जबकि 1.5 लाख रुपये का अनुदान केंद्र सरकार देगी। यानी आधा पैसा सरकार देगी।

 

स्टाम्प शुल्क में छूट-

ईडब्ल्यूएस के लिए 1000, एलआईजी के लिए 5000, एलएमआईजी के लिए 10,000 रुपये तय हुआ है। अभी तक छह प्रतिशत स्टाम्प शुल्क और दो प्रतिशत पंजीकरण शुल्क लगता था। जैसे अगर 10 लाख का घर है तो उसका छह प्रतिशत के हिसाब से 60,000 रुपये स्टाम्प शुल्क और दो प्रतिशत पंजीकरण के हिसाब से 20,000 रुपये पंजीकरण शुल्क लगता था। 80,000 रुपये के बजाए अब ये काम महज 1500 रुपये(500 रुपये पंजीकरण) में होगा। इसी प्रकार, बैंक से लोन लेने पर अनुबंध में स्टाम्प शुल्क 0.5 प्रतिशत लगता था जो अब नहीं लगेगा। यानी 10 लाख के आवास में 5000 रुपये भी बचेंगे।

 

ये वीडियो भी देखें..

 

ईडब्ल्यूएस पर ये भी छूट-

10,000 वर्ग मीटर का भू-उपयोग परिवर्तन प्राधिकरण के स्तर से तीन माह के भीतर होगा। ईडब्ल्यूएस का नक्शा पास कराने का कोई शुल्क प्राधिकरण नहीं लेगा। परियोजना के लिए जमीन खरीदने वाली बिल्डरों को अलग से स्टाम्प शुल्क में छूट मिलेगी। यहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने पर इसकी प्रतिपूर्ति सरकार करेगी। परियोजना में कॉमर्शियल फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) मैदानी क्षेत्र में 25 प्रतिशत और पर्वतीय क्षेत्र में 30 प्रतिशत होगा। राज्य कर की प्रतिपूर्ति भी सरकार करेगी। परियोजना के लिए बैंक से लोन लेने पर ब्याज की प्रतिपूर्ति सरकार करेगी।

 

मैदान में अब ऊंची इमारतें बनेंगी-

मैदानी क्षेत्रों में आमतौर पर चार मंजिला भवन ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बनते रहे हैं, जिनमें लिफ्ट का प्रावधान नहीं था। नई आवास नीति के हिसाब से अब आठ मंजिला या निर्धारित 30 मीटर ऊंचाई तक के भवन बना सकेंगे। इसमें लिफ्ट लगा सकेंगे, जिसका 10 साल तक रख-रखाव बिल्डर को करना होगा।

Uttarakhand: 24 गेम चेंजर योजनाओं से प्रदेश को उत्कृष्ट बनाने की तैयारी शुरु, जानिए क्या है सरकार का मास्टर प्लान.

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सरकार ने 24 विभागों की गेम चेंजर योजनाओं पर बजट में खास फोकस किया है। दो वर्षों के भीतर इन योजनाओं का असर धरातल पर नजर आएगा। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में सरकार ने इनका जिक्र किया है। माना जा रहा है कि सशक्त उत्तराखंड@25 की परिकल्पना को इससे साकार किया जा सकेगा।

किस विभाग की कौन सी गेम चेंजर योजना-

 

1-कृषि : ई-रूपी योजना। यह कैश का डिजिटल फॉर्म है। बुनियादी ढांचे जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम, सुरक्षा प्रणाली विकसित होगी। दूरस्थ गांवों तक वित्तीय सेवाएं मिलेंगी। कार्बन फुटप्रिंट कम होगा। राजस्व बढ़ेगा। कागज व धातु का उपयोग कम होगा। इसके लिए बजट में 25 करोड़ दिए गए हैं।

 

2-बदरी: केदार मंदिर समिति: शीतकालीन चारधाम यात्रा योजना। शीतकालीन चारधाम यात्रा को प्रोत्साहित करने के लिए फिल्मी हस्तियों, प्रतिष्ठित खिलाड़ियों व विभिन्न क्षेत्रों के ख्याति प्राप्त महानुभावों से संपर्क कर उन्हें ब्रांड एंबेसडर बनाया जाएगा। इनकी सेवाएं भी ली जा सकती हैं।

3-पशुपालन : वाइब्रेंट विलेज योजना। स्थानीय उत्पादों जैसे जीवित बकरी, भेड़, कुक्कुट, ट्राउट मछली की आपूर्ति आईटीबीपी को देकर हर साल 20 करोड़ व्यावसाय। दूसरी, ग्राम्य गो सेवक योजना में छह जिलों में 54 गो सेवकों को मान्यता। ये सार्वजनिक स्थानों पर घूमते निराश्रित नर गोवंश की संख्या में कमी पर कार्य करेंगे। फसलें व जनमानस को आसानी होगी। रोजगार बढ़ेगा।

4-सगंध पौध केंद्र : महक क्रांति योजना। यह योजना 2035 तक चलेगी। मुख्य लक्ष्य एरोमा वैली की स्थापना। 118 करोड़ के बजट से सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा, किसानों की आय में वृदि्ध, सुगंधित तेलों व उत्पादों का उत्पादन बढ़ाना, राज्य को आत्मनिर्भर बनाने का काम होगा।

मत्स्य हैचरी का पीपीपी मोड पर संचालन-

5-मत्स्य : प्लॉट फार्मिंग योजना, राज्य स्तरीय एकीकृत एक्वा पार्क, मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना व ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के तहत मत्स्य हैचरी का पीपीपी मोड पर संचालन। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।

6-उद्यान : एप्पल मिशन, नाबार्ड की आरआईडीएफ योजना के तहत क्लस्टर पॉलीहाउस की स्थापना। ये योजनाएं राज्य में बागवानी के विकास को नई दिशा देंगे।

7-वन : उत्तराखंड में इको-टूरिज्म और गैर प्रकाष्ठ वन उपज का विकास, हर्बल एवं इको-टूरिज्म परियोजना। हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर को छोड़कर बाकी जिलों में ये योजनाएं चलेंगी।

8-ग्राम्य विकास : हाउस ऑफ हिमालयाज योजना। इसके लिए बजट में 10 करोड़ का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना के लिए भी 10 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

9-शहरी विकास : 100 करोड़ से राज्य में 100 नए पार्कों का निर्माण। एआई के माध्यम से 275 करोड़ से स्ट्रीट लाइट का मैनेजमेंट।

10-स्टाम्प एवं निबंधन विभाग : पेपरलैस रजिस्ट्रेशन।

11-पंचायती राज : ग्राम पंचायतों में अवस्थापना सुविधा, पंचायत डेवलपमेंट इंडेक्स आधारित थीमेटिक ग्राम पंचायत विकास योजना का निर्माण।

12-श्रम: मदृश्रम पोर्टल तैयार करना। हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर को शून्य बाल श्रम क्षेत्र बनाना।

13-पर्यटन : उत्तराखंड पर्यटन उद्यमी प्रोत्साहन योजना 2024, स्थायी निवासियों को एक करोड़ से पांच करोड़ तक पूंजी निवेश के लिए प्रोत्साहित करना।

70 चार्जिंग स्टेशन की स्थापना-

14-परिवहन : पीएम ई-बस सेवा के तहत इलेक्टि्रक बस संचालन। चारधाम यात्रा मार्ग पर 28 ई-चार्जिंग स्टेशन, जो 856 किमी मार्ग को कवर करेंगे। 7.75 करोड़ खर्च होगा। दूसरे चरण में 41 चार्जिंग स्टेशन, तीसरे चरण में 70 चार्जिंग स्टेशन की स्थापना की जाएगी।

15-माध्यमिक शिक्षा : प्रोजेक्ट प्रज्ञा एवं वैश्विक संस्थाओं के सहयोग से हॉस्पिटैलिटी एंड कलिनरी क्षेत्र में छात्रों का प्रशिक्षण।

16-तकनीकी शिक्षा: ऑनलाइन प्रशिक्षण एवं रोजगार योजनाएं।

17-उच्च शिक्षा : समर्थ ई-गवर्नमेंट पोर्टल फॉर डिजिटलाइनेशन व देवभूमि उद्यमिता योजना।

18-कौशल विकास: मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना के लिए 15 करोड़ का प्रावधान। स्किल सेंसस के लिए 50 लाख। नियोक्ता व नौकरी वालों के लिए एकीकृत पोर्टल योजना के लिए 50 लाख, सेवायोजन कार्यालयों का पुनर्गठन के लिए दो करोड़। लक्षित समूह की नौकरी के लिए पांच लाख का प्रावधान।

यूटिलिटी डक्ट पॉलिसी-

19-नियोजन: सेतु आयोग का गठन, यूआईआईडीबी गठन, सर्विस सेक्टर नीति का गठन, परिवार पहचान पत्र।

20-ऊर्जा: मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना।

21-चाय बोर्ड : टी टूरिज्म योजना, होम स्टे योजना।

22- सिंचाई: बांध, बैराज निर्माण। स्लोप स्टेबलाइजेशन। स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज।

23-स्वास्थ्य: दूरस्थ क्षेत्रों के लिए विशेषज्ञ परामर्श, द्वार पर निदान, आत्मनिर्भर मेडिसिटी को बढ़ावा। अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली व नर्सिंग छात्रों का कौशल विकास।

24-लोक निर्माण विभाग: रिस्पना-बिंदाल पर चाल लेन एलिवेटेड सड़क निर्माण। दून-मसूरी कनेक्टिविटी, देहरादून रिंग रोड, यूटिलिटी डक्ट पॉलिसी।

धामी सरकार ने पेश किया एक लाख करोड़ से ज्यादा का बजट, सात बिंदुओं पर रहा फोकस

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उत्तराखंड में आज विधानसभा सत्र के तीसरे दिन धामी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने 1,01175.33 करोड़ का बजट पेश किया।वित्त मंंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों को दोहराया। कहा कि राज्य सरलीकरण, समाधान व निस्तारीकरण के मार्ग पर अग्रसरित हैं। बजट हमारे प्रदेश की आर्थिक दिशा और नीतियों का प्रमाण है। उत्तराखंड अनेक कार्यों का साक्षी रहा है। हम आत्मनिर्भर उत्तराखंड बनाने के लिए हम प्रयत्नशील हैं।

Uttarakhand Budget 2025 finance minister presented Budget Know Important Facts

बजट में राजस्व घाटा नहीं

बजट में कोई भी राजस्व घाटा अनुमानित नहीं है। बजट में 59954.65 करोड़ राजस्व व्यय है। इसमें 41220.68 करोड़ पूंजीगत व्यय के लिए रखे गए हैं। 12604492 का रजकोषीय घाट होने का अनुमान है जो जीडीपी का 2.94 प्रतिशत है। यह एफआरबीएम एक्ट की सीमा के भीतर है।

बजट में सात बिंदुओं पर फोकस रहा

  •  कृषि
  •  उद्योग
  •  ऊर्जा
  • अवसंरचना
  • संयोजकता
  • संयोजकता
  • पर्यटन
  • आयुष

बजट ‘ज्ञान’ ‘GYAN’पर आधारित

  • गरीब
  • युवा
  • अन्नदाता
  • नारी

इन क्षेत्रों में हुआ इतने करोड़ का प्रावधान

  • एमएसएमई उद्योगों के लिए 50 करोड़।
  • मेगा इंडस्ट्री नीति के लिए 35 करोड़।
  • स्टार्टअप उद्यमिता प्रोत्साहन के लिए 30 करोड़।
  • यूजेवीएनएल की तीन बैटरी आधारित परिजनाएं मार्च 2026 तक पूरी होंगी।
  • मेगा प्रोजेक्ट योजना के तहत 500 करोड़।
  • जमरानी बांध के लिए 625 करोड़।
  • सौंग बांध के लिए 75 करोड़।
  • लखवाड़ के लिए 285 करोड़ राज्यों के लिए विशेष पूंजीगत सहायता के तहत 1500 करोड़।
  • जल जीवन मिशन के लिए 1843 करोड़।
  •  नगर पेयजल के लिए 100 करोड़।
  •  अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्रों के विकास के लिए 60 करोड़।
  •  अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों के लिए 08 करोड़ मिलेंगे।
  • पूंजीगत मद में लोनिवि को 1268.70 करोड़।
  • पीएमजीएसवाई के तहत 1065 करोड़।
  • नागरिक उड्डयन विभाग को 36.88 करोड़।
  • बस अड्डों के निर्माण के लिए 15 करोड़ मिलेंगे।
  • लोनिवि में सड़क अनुरक्षण के लिए 900 करोड़

पर्यटन के लिए

  • पूंजीगत कार्यों के विकास के लिए 100  करोड़।
  • टिहरी झील के विकास के लिए 100 करोड़।
  • मानसखंड योजना के विकास के लिए 25 करोड़।
  • वाइब्रेंट विलेज योजना के लिए 20 करोड़।
  • नए पर्यटन स्थलों के विकास के लिए 10 करोड़।
  • चारधाम मार्ग सुधारीकरण के लिए 10 करोड़।

ये काम होंगे

  • 220 किमी नई सड़कें बनेंगी।
  • 1000 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण
  • 1550 किमी मार्ग नवीनीकरण
  • 1200 किमी सड़क सुरक्षा कार्य और 37 पुल बनाने का लक्ष्य है।

इकोलॉजी के साथ-साथ इकोनॉमी

  • सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना।
  • पर्यावरणोन्मुखी नीतियों का निर्धारण।
  • स्वच्छ पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर बल।
  • स्थिति-स्थापक पर्यावरण की सुनिश्चितीकरण।

महत्वपूर्ण योजना / प्रावधान

  • कैम्पा योजना के लिए 395 करोड़।
  • जलवायु परिवर्तन शमन के लिए 60 करोड़।
  • स्प्रिंग एंड रिवर रेजुबिनेशन प्राधिकरण (सारा) के अन्तर्गत 125 करोड़।
  • सार्वजनिक वनों के सृजन हेतु 10 करोड़।

भू कानून,कितना सख्त कितना नरम?- गरिमा मेहरा दसौनी

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कैबिनेट में आज भू कानून को हरी झंडी मिल गई। ऐसे में उत्तराखंड की एक बहु प्रतीक्षित मांग पर कार्यवाही की गई। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तराखंड कांग्रेस की नेत्री गरिमा मेहरा दसौनी ने धामी सरकार से कुछ सवाल किए हैं। दसौनी ने कहा कि आज उत्तराखंड राज्य लैंड बैंक के मामले में पूरी तरह से बैंकरप्ट हो चुका है, आज सवाल हमारे अस्तित्व का है। दसौनी ने कहा कि सवाल बड़ा यह उठता है कि उत्तराखंड में सब तरफ आखिर भू कानून की मांग क्यों उठ रही।गरिमा ने कहा कि पिछले 24 सालों में उत्तराखंड की भूमि का खुलकर चीरहरण हुआ और उसकी पूरी तरह से जिम्मेदार भाजपा की सरकारें रही है।

 

पहली बार बनी भाजपा सरकार नहीं कर पाई ये फैसले 

2000 में राज्य गठन के समय पर 2 साल के लिए भाजपा की अंतरिम सरकार बनी और परीसंपत्तियों का ठीक तरीके से बंटवारा नहीं हो पाया जिसके चलते आज की तारीख में भी उत्तराखंड की करोड़ों अरबों की भूमि उत्तर प्रदेश की गिरफ्त में है ।उसके बाद की पहली निर्वाचित तिवारी सरकार हो या भुवन चंद खंडूरी सरकार उन्होंने भूमि की खरीद फरोख्त पर सख्त नियम बनाए, परंतु 2018 में आई त्रिवेंद्र रावत सरकार ने पूरी तरह से उत्तराखंड की भूमि को सेल पर लगा दिया.

उत्तराखंड की भूमि को खुली लूट

दसोनी ने धामी सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आज जिस तरह से त्रिवेंद्र रावत सरकार के समय के भू कानून से जुड़े हुए सभी प्रावधानों को निरस्त किया गया है उससे कांग्रेस के आरोपों की पुष्टि होती है की धामी सरकार भी मानती है की 2017 और 2021 के बीच त्रिवेंद्र रावत की प्रचंड बहुमत और ट्रिपल इंजन की सरकार ने उत्तराखंड की भूमि को खुली लूट और छूट के लिए भू माफियाओं के सामने खुला छोड़ दिया।
दसोनी ने कहा कि क्या धामी सरकार उस दौरान बिकी हुई भूमि भी उत्तराखंड को वापस दिला पाएगी ?और तो और धामी सरकार में एक और आत्मघाती कदम उठाया गया था वह था लैंड यूस में बदलाव।
गरिमा ने बताया कि पूर्व वर्ती सरकारों में यह नियम था कि कोई भी व्यक्ति खरीदी हुई भूमि पर 2 साल के अंदर-अंदर जिस प्रयोजन के लिए भूमि ली गई है उसका काम शुरू नहीं करता तो वह भूमि स्वत: सरकार में निहित हो जाएगी परंतु धामी सरकार ने इस नियम में बदलाव करते हुए लोगों को समय अवधि और परपज दोनों में खुली छूट दे दी ।

गरिमा ने कहा की क्या वह प्रावधान भी निरस्त होगा? दसोनी ने कहा कि यह विडंबना ही है कि आज तमाम सरकारें नए जिलों की बात तो करती हैं परंतु नए जिले बनाने के लिए उत्तराखंड के पास जमीन नहीं है। गरिमा ने यह भी पूछा कि सत्ता रूढ़ दल के मंत्री और विधायक जिस तरह से प्रतिबंधित भूमि पर रिसॉर्ट और होटल बना रहे हैं क्या उन पर भी कार्यवाही होगी और पेनाल्टी ली जाएगी ?
गरिमा ने कहा कि उत्तराखंड का भू कानून हिमाचल की तरह सख्त नहीं हिमाचल से भी अधिक सख्त होने की जरूरत है क्योंकि हिमाचल प्रदेश तो समय रहते चेत गया था और उसने अपनी काफी भूमि बचा ली परंतु उत्तराखंड के पास अब बचाने के लिए कुछ भी नहीं है उत्तराखंड का तो पूरा अस्तित्व ही खतरे में है, ऐसे में धामी सरकार के द्वारा लाया जा रहा भू कानून कितना सख्त है या कितना नरम यह तो भविष्य ही तय करेगा।

धामी सरकार का भू कानून, अब ये हुए बदलाव !

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देहरादून: उत्तराखंड में सख्त भू कानून को मिली मंजूरी

उत्तराखंड सरकार ने राज्य में भूमि खरीद-बिक्री से संबंधित नियमों को और सख्त बना दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट ने एक नए भू कानून को मंजूरी दी है, जो राज्य के संसाधनों की सुरक्षा और बाहरी व्यक्तियों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद को रोकने के लिए बनाया गया है।

क्या हैं नए भू कानून के प्रमुख प्रावधान?

  1. त्रिवेंद्र सरकार के 2018 के सभी प्रावधान निरस्त
    • पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार द्वारा 2018 में लागू किए गए सभी प्रावधानों को नए कानून में समाप्त कर दिया गया है।
  2. बाहरी व्यक्तियों की भूमि खरीद पर प्रतिबंध
    • हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर, उत्तराखंड के 11 अन्य जिलों में राज्य के बाहर के व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।
  3. पहाड़ों में चकबंदी और बंदोबस्ती
    • पहाड़ी इलाकों में भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित करने और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी।
  4. जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित
    • अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी मामलों में सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया होगी।
  5. ऑनलाइन पोर्टल से होगी भूमि खरीद की निगरानी
    • प्रदेश में जमीन खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जमीन खरीद को दर्ज किया जाएगा।
  6. शपथ पत्र होगा अनिवार्य
    • राज्य के बाहर के लोगों को जमीन खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके।
  7. नियमित रूप से भूमि खरीद की रिपोर्टिंग
    • सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
  8. नगर निकाय सीमा के भीतर तय भू उपयोग
    • नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा।
    • यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया, तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी।

क्या होगा नए कानून का प्रभाव?

  • इस कानून से उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे राज्य के निवासियों को अधिक लाभ मिलेगा।
  • भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा और राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत होगी।
  • सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।

निष्कर्ष

उत्तराखंड सरकार का यह नया भू कानून राज्य की भौगोलिक और सामाजिक संरचना को बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे राज्य के मूल निवासियों को प्राथमिकता मिलेगी और भूमि से जुड़े विवादों में भी कमी आएगी। हालांकि, इससे निवेश पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन सरकार का मानना है कि यह राज्य की दीर्घकालिक सुरक्षा और विकास के लिए आवश्यक कदम है।