Month: May 2025

भाजपा ने निकाली तिरंगा शौर्य सम्मान यात्रा

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चीड़बाग शौर्य स्थल से गांधी पार्क तक तिरंगा शौर्य सम्मान यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा हाल ही में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा सफलतापूर्वक संपन्न ऑपरेशन सिंदूर की ऐतिहासिक विजय को समर्पित रही।
पदयात्रा में हजारों की संख्या में आम नागरिकों, पूर्व सैनिकों, युवाओं और महिलाओं ने भाग लिया।

मुख्यमंत्री ने शौर्य स्थल पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने न केवल वीरता का प्रदर्शन किया, बल्कि यह भी स्पष्ट संदेश दिया कि नया भारत आतंकवाद का जवाब उसी की भाषा में देने में सक्षम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि देश अब अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीक से अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहा है।

उत्तराखंड वीरों की भूमि

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड वीरभूमि है, जहाँ लगभग हर परिवार देशसेवा से जुड़ा है। उन्होंने युवाओं से सेना और सुरक्षा बलों से प्रेरणा लेकर राष्ट्रसेवा में आगे आने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने प्रस्ताव रखा कि ऑपरेशन सिंदूर की विजय के उपलक्ष्य में तिरंगा शौर्य सम्मान यात्रा को प्रत्येक वर्ष मनाया जाए।

इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, राज्यसभा सांसद व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, विधायक खजान दास, उमेश शर्मा काऊ, बृज भूषण गैरोला, भरत चौधरी, देहरादून के मेयर सौरभ थपलियाल, पूर्व सांसद तरुण विजय, आदित्य कोठारी, सिद्धार्थ अग्रवाल, रजनी रावत, देवेंद्र भसीन और श्याम अग्रवाल सहित कई जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

हरिद्वार नगर निगम भूमि घोटाला-बड़ों से पूछताछ, लैंड यूज के पीछे कौन है मास्टरमाइंड !

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बड़े अधिकारियों की नाक के नीचे हुए करोड़ों की जमीन घोटाले की जांच ने दो कदम आगे बढ़ा दिए हैं। कई स्तर पर हुई खुली लापरवाही की खबरों के बीच हरिद्वार डीएम कर्मेन्द्र सिंह व पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी ने अपने बयान दर्ज करवा दिए हैं।

हरिद्वार नगर निगम की बिना किसी ठोस परियोजना के कूड़े के ढेर के बगल वाली 33 बीघा भूमि खरीद की फ़ाइल का तेजी से दौड़ना भी कई सवाल खड़े कर गया। इस अहम फाइल को किस का ‘बाहरी व मजबूत’ बल लग रहा था ,यह भी सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। आखिरकार, कृषि भूमि का लैंड यूज चेंज कर चार गुना अधिक मूल्य पर जमीन की खरीद में पीछे किस मास्टरमाइंड का हाथ था, यह भी कौतूहल का विषय बना हुआ है।

गौरतलब है कि नगर निगम का कार्यकाल समाप्त होने के बाद 2024 में आईएएस वरुण चौधरी को नगर निगम का प्रशासक तैनात किया गया था।भूमि खरीद में नगर निगम एक्ट का पालन किया जाना था। जमीन खरीद से जुड़े शासन के नियम व निर्देश भी अपनी जगह मौजूद थे। बावजूद इसके एक कॄषि योग्य भूमि का लैंड यूज परिवर्तित कर कामर्शियल कर दिया। और सिर्फ कुछ करोड़ की जमीन आधे अरब से अधिक दाम में खरीद ली गयी। इस मामले में हवा के माफिक दौड़ी फाइल का पेट भी नियमबद्ध दस्तावेजों से नहीं भरा गया।

 

निकाय विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि
नगर निगम ने किस परियोजना या योजना के लिए कूड़े के ढेर के बगल वाली जमीन खरीदी। जमीन खरीद का क्या प्रयोजन था? यह भी साफ नहीं किया गया। चूंकि, कामर्शियल रेट पर करोड़ों की खरीदी गई जमीन पर निगम की कोई फ्लैट बनाने की योजना थी? या फिर मॉल आदि कोई अन्य कामर्शियल गतिविधि को अंजाम देना था ? यह भी सार्वजनिक नहीं किया गया। अलबत्ता गोदाम बनाने की बात अवश्य कही गयी।

हरिद्वार नगर निगम भूमि घोटाले में एक बात यह भी सामने आ रही है कि सम्बंधित जिम्मेदार अधिकारियों ने भूमि खरीद की तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

जांच अभी जारी है। जांच अधिकारी रणवीर चौहान का साफ कहना है कि वे जांच पूरी होने के बाद ही कुछ कह पाएंगे। चौहान का कहना है कि जॉच पूरी होते ही रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी। जॉच अधिकारी नियुक्त होते ही आईएएस रणवीर सिंह नगर निगम भूमि घोटाले की जॉच के लिए हरिद्वार में मौका मुआयना कर चुके हैं।

इधर, चार अधिकारियों के निलंबन के बाद सम्बंधित अधिकारियों व कर्मियों से पूछताछ के सिलसिला जारी है।

हरिद्वार नगर निगम भूमि खरीद घोटाले में 1 मई को चार अधिकारियों के निलंबन के बाद जांच अधिकारी आईएएस रणवीर सिंह ने हरिद्वार के डीएम कर्मेन्द्र सिंह व पूर्व नगर प्रशासक हरिद्वार वरुण चौधरी से पूछताछ की। मौजूदा समय में आईएएस वरुण चौधरी सचिवालय में अपर सचिव स्वास्थ्य की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों की बंदरबांट के इस हैरतअंगेज कारनामे में तत्कालीन एसडीएम अजयवीर सिंह के स्टेनो और डाटा एंट्री ऑपरेटर से भी पूछताछ की गई। कुछ समय पूर्व अजयवीर सिंह का हरिद्वार से अन्यत्र तबादला किया गया।

अब बड़े अधिकारियों से पूछताछ के बाद उम्मीद जगी है कि कुछ घोटालेबाज शातिर अधिकारियों पर भी गाज गिरेगी। नियमों का उल्लंघन कर व भू उपयोग परिवर्तन से करोड़ों का खेल करने वाले मास्टरमाइंड का चेहरा कब बेनकाब होगा। इसका भी सभी को इंतजार है।

गौरतलब है कि हरिद्वार से जुड़े अधिकारियों ने यह कारनामा नगर निगम भंग होने के समय अंजाम दिया था। बाद में हरिद्वार की मेयर निर्वाचित होने पर किरण जैसल ने इस भूमि खरीद घोटाले की शिकायत सीएम धामी से की। सीएम धामी ने जांच आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह को सौंपी।

हालांकि, खबर यह भी है कि दोषियों को बचाने के लिए एक लॉबी ने ऐड़ी चोटी का जोर लगाया हुआ है।
इसी के तहत पहले जांच अधिकारी किसी अन्य अफसर को बनाने का दांव चला गया था लेकिन सीएम ने अन्य नामों को दरकिनार करते हुए आईएएस चौहान को जांच अधिकारी नियुक्त कर मंसूबे पूरे नहीं होने दिए।

गौरतलब है कि कई सौ करोड़ के NH 74 भूमि घोटाले में कई अधिकारी व कर्मी जेल गए थे लेकिन कुछ अहम किरदार साफ बच निकले थे। कहीं हरिद्वार नगर निगम के आधे अरब से अधिक मूल्य के फ्रॉड में बड़ी मछलियां साफ बच न जाएं, यह जांच की समग्रता पर निर्भर करेगा…

अब तक हुई निलंबन की कार्रवाई

निलंबित सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण , कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और जेई दिनेश चंद्र कांडपाल शामिल हैं। ये चारों जमीन खरीद मामले के लिए बनाए गई समिति में शामिल थे।

इस प्रकरण में सेवा विस्तार पर कार्यरत सेवानिवृत्त सम्पत्ति लिपिक वेदपाल की संलिप्तता पायी गयी है। उनका सेवा विस्तार समाप्त करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश देने के साथ ही सुश्री निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वित्त अधिकारी,नगर निगम, हरिद्वार का स्पष्टीकरण तलब किया गया है।

ऐसे हुई 15 से 54 करोड़ रुपए कीमत

भूमि का लैंड यूज कृषि था। तब उसका सर्किल रेट छह हजार रुपये के आस पास था। यदि भूमि को कृषि भूमि के तौर पर खरीदा जाता, तब उसकी कुल कीमत पंद्रह करोड़ के आस पास होती। लेकिन लैंड यूज चेंज कर खेले गए खेल के बाद भूमि की कीमत 54 करोड़ के आस पास हो गई। खास बात ये है कि अक्टूबर में एसडीएम अजयवीर सिंह ने लैंड यूज बदला और चंद दिनों में ही निगम निगम हरिद्वार ने एग्रीमेंट कर दिया और नवंबर में रजिस्ट्री कर दी।

नगर निगम हरिद्वार ने नवंबर 2024 में सराय कूड़ा निस्तारण केंद्र से सटी 33 बीघा भूमि का क्रय किया था। ये भूमि 54 करोड़ रुपए में खरीदी थी जबकि छह करोड़ रुपए स्टाप ड्यूटी के तौर पर सरकारी खजाने में जमा हुए थे। 2024 में तब नगर प्रशासक आईएएस वरुण चौधरी थे। जमीन खरीद मामले में मेयर किरण जैसल ने सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले की जांच सीनियर आईएएस अफसर रणवीर सिंह को सौंपी थी। अब इस मामले में जमीन को बेचने वाले किसान के खातों को फ्रीज करने के आदेश कर दिए गए हैं।

लैंड यूज में खेल-

अक्टूबर 2024 में एसडीएम अजयवीर सिंह ने जमीन का लैंड यूज बदला। और चंद दिनों में ही नगर निगम ने खरीद का एग्रीमेंट कर लिया। नवंबर में रजिस्ट्री पूरी हो गई। यह तेजी संदेहास्पद है और प्रक्रियागत नियमों की अनदेखी को दर्शाती है।

पारदर्शिता का अभाव-

जमीन खरीद के लिए कोई पारदर्शी बोली प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, जो सरकारी खरीद नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। साथ ही, नगर निगम ने इस खरीद के लिए शासन से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली।

सशर्त अनुमति का दुरुपयोग

जमीन को गोदाम बनाने के लिए धारा 143 के तहत सशर्त अनुमति दी गई थी, जिसमें शर्त थी कि यदि भूमि का उपयोग निर्धारित प्रयोजन से अलग किया गया, तो अनुमति स्वतः निरस्त हो जाएगी। आरोप है कि इस जमीन का उपयोग कूड़ा डंपिंग के लिए किया गया, जो अनुमति का उल्लंघन हो सकता है।

घोटाले में पूर्व नगर प्रशासक (एमएनए) वरुण चौधरी पर सर्किल रेट का दुरुपयोग कर सौदा करने का आरोप है। जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह और नगर निगम आयुक्त भी जांच के घेरे में हैं।

इस तरह के बड़े सौदों में तहसील और नगर निगम की संयुक्त जांच अनिवार्य होती है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यह प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है। साथ ही, सर्किल रेट और लैंड यूज में बदलाव की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा।

यह घोटाला न केवल वित्तीय अनियमितताओं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है।

ऑपरेशन सिंदूर पर क्‍या बोले उत्‍तराखंड के धाकड़ सीएम धामी? पढ़कर गर्व से चौड़ा हो जाएगा हर भारतीय का सीना

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भारतीय सेना ने पाकिस्तान और गुलाम जम्मू-कश्मीर में एयरस्ट्राइक की। भारतीय सेना के इस साहस की देश और दुनिया में सराहना हो रही है। उत्‍तराखंड में भी लोग इस बदले की खुशी को अपने-अपने तरीके से मना रहे हैं और भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं। देश-दुनिया के राजनेता भारत और भारतीय सेना के जज्‍बे की तारीफ कर रहे हैं।

सेना के जज्‍बे की तारीफ

उत्‍तराखंड के धाकड़ सीएम पुष्‍कर सिंह धामी ने भी सेना के जज्‍बे की तारीफ की है। उन्‍होंने कहा कि ‘भारतीय सेना ने देर रात पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान में आतंकवादियों के ठिकानों को नेस्तनाबूत कर दिया है। आतंकवाद पर इस कमर तोड़ कार्रवाई से हमारे वीर जवानों ने एक बार फिर पूरे देश का मस्तक ऊंचा कर दिया है।

निर्दोष भारतीयों की हत्या का प्रतिशोध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में भारत द्वारा आतंकवाद पर किया गया यह हमला न सिर्फ पहलगाम में निर्दोष भारतीयों की हुई हत्या का प्रतिशोध है, अपितु यह इस बात का भी परिचायक है कि कोई भी अगर हमारे देश की एकता, अखंडता और नागरिकों की सुरक्षा को चुनौती देगा, तो भारत उसे उसके घर में घुसकर जवाब देने में सक्षम है।’

भूमि घोटाला जांच के लिए हरिद्वार पहुंचे आईएएस अधिकारी, किया निरीक्षण, खुलेंगे राज!

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नगर निगम हरिद्वार की ओर से भूमि खरीद में किए गए करोड़ों के घोटाले की परतें अब खुलने लगी हैं। शासन स्तर पर गंभीरता से लिए गए इस प्रकरण की जांच के लिए नियुक्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह चौहान मंगलवार को जांच के सिलसिले में हरिद्वार पहुंचे।

उन्होंने जिला प्रशासन, एचआरडीए और नगर निगम के अधिकारियों के साथ सराय क्षेत्र में उस 33 बीघा भूमि का स्थलीय निरीक्षण किया, जिसे नगर निगम ने 54 करोड़ रुपये में खरीदा था। यह राशि नगर निगम को रिंग रोड परियोजना के तहत अधिग्रहित भूमि के बदले मुआवजे के रूप में मिली थी।

निगम निगम की ओर से क्रय की गई भूमि की वास्तविक कीमत मात्र 15 करोड़ रुपये थी, लेकिन लैंड यूज परिवर्तन और सर्किल रेट का अनुचित लाभ उठाकर इसे चार गुना अधिक मूल्य पर खरीदा गया। प्रारंभिक जांच में गड़बड़ियों के संकेत मिलने पर एक मई को नगर निगम के चार अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई हो चुकी है, जबकि इस पूरे प्रकरण में कई बड़े नाम भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। मंगलवार को सराय क्षेत्र में स्थलीय निरीक्षण के लिए पहुंचे जांच अधिकारी रणवीर सिंह चौहान ने मौके पर भूमि के राजस्व अभिलेखों का अवलोकन भी किया।

इस मौके पर उनके साथ एचआरडीए सचिव मनीष सिंह और एसडीएम जितेंद्र कुमार सहित राजस्व के अधिकारी मौजूद रहे। जिसके बाद रणवीर सिंह चौहान डामकोठी पहुंचे, जहां इस जमीन से संबंधित पत्रावलियों की जांच की। निगम के कुछ अधिकारी कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए। जांच अधिकारी रणवीर सिंह चौहान ने स्पष्ट किया कि आवश्यक होने पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए जाएंगे। शासन की ओर से इस जांच को शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश हैं।

गौरतलब है कि यह पूरा मामला उस समय संदेह के घेरे में आया, जब भूमि की खरीद में सर्किल रेट और बाजार मूल्य के बीच भारी अंतर पर विशेषज्ञों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सवाल उठाए। खास बात यह भी है कि जिस समय यह भूमि खरीदी गई, नगर निगम प्रत्यक्ष रूप से प्रशासनिक नियंत्रण में था और आईएएस अधिकारी वरुण चौधरी निगम नगर आयुक्त के पद पर कार्यरत थे।