Author: Dilip Singh Rathod

Mahakumbh Stampede: उत्तराखंड के श्रद्धालुओं के लिए धामी सरकार ने जारी किया टोल फ्री नंबर, यहां ऐसे करें संपर्क.

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प्रयागराज में महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर संगम में आज भगदड़ मच गई। जिसके बाद वहां विभिन्न प्रदेशों से आए श्रद्धालु फंस गए। धामी सरकार ने प्रयागराज गए उत्तराखंड के श्रद्धालुओं की सहायता के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया है।

यहां कर सकते हैं संपर्क-

प्रदेश से महाकुंभ में गए लोग टाेल फ्री नंबर-1070,  8218867005, 90584 41404 पर कॉल कर किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

 

Uttarakhand: विधायक उमेश कुमार और पूर्व MLA प्रणव चैंपियन के बीच गोलीबारी का मामला, HC ने लिया मामले का संज्ञान, सख्त कार्रवाई के दिए निर्देश

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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रुड़की में निर्दलीय विधायक उमेश कुमार व पूर्व विधायक प्रणव सिंह चैंपियन के बीच हुई गोलाबारी,गाली गलौज की घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार से आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि देवभूमि में बाहुबली प्रदर्शन शर्मनाक व अक्षम्य है ।

 

वर्तमान विधायक व पूर्व विधायक के बीच सरेआम हुई ताबड़तोड़ गोलीबारी, गाली गलौच के वीडियो राष्ट्रीय न्यूज चैनलों व समाचार पत्रों की सुर्खियां बनने से उत्तराखंड की छवि खराब होने से चिंतित हाईकोर्ट के अवकालीन न्यायधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने घटना का स्वतः संज्ञान लिया है। मंगलवार की सुबह घटना का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में पारित आदेशों का पालन न होने पर चिंता व्यक्त की । इस आदेश में राजनीति का अपराधीकरण रोकने को लेकर दिशा निर्देश जारी हैं ।

 

हाईकोर्ट ने जताई चिंता:

मामले की सुनवाई दोपहर बाद करने का निर्णय लेते हुए हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी हरिद्वार व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट में पेश होने व इस मामले में की गई कार्यवाही की जानकारी देने को कहा । अपरान्ह में जिलाधिकारी और एस.एस.पी हरिद्वार कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने कोर्ट को बताया कि वर्तमान विधायक उमेश कुमार व पूर्व विधायक प्रणव चैंपियन गिरफ्तार हो चुके हैं। जिसमें प्रणव सिंह जेल में है और उमेश कुमार जमानत में हैं । जिलाधिकारी ने बताया कि दोनों के शस्त्र लाइसेंस रद्द कर दिए हैं और उनको दी गई सुरक्षा को हटाने के लिये सरकार समीक्षा कर रही है। बताया कि दोनों के खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में 19-19 मुकदमे लंबित हैं ।

 

हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की अगली तिथि 12 फरवरी को निर्धारित करते हुए जिलाधिकारी हरिद्वार व एस एस पी हरिद्वार को आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने दोनों के खिलाफ चल रहे मुकदमों, आपराधिक रिकॉर्ड, 25-26 जनवरी को हुई घटनाओं वीडियो क्लिप, आरोपियों के खिलाफ की गई कार्यवाही रिपोर्ट आदि शपथ पत्र के साथ कोर्ट में पेश करने को कहा है ।

National Games- उत्तराखंड में आज से खेलों के महाकुंभ का शुभारंभ, 33 खेलों के 45 कॉम्पिटिशन में दांव पर 3674 है मेडल.

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उत्तराखंड में आज (मंगलवार) से 38वें राष्ट्रीय खेल (Uttarakhand National Games) विधिवत शुरू हो जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खेलों के इस महाकुंभ का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया, केंद्रीय खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे व भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष पीटी उषा उपस्थित रहेंगे। विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और देश के कई विशिष्ट अतिथियों को भी उद्घाटन समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है।

 

राष्ट्रीय खेलों में कुल 35 खेलों से जुड़ी 45 स्पर्धाओं का आयोजन किया जा रहा है। इनमें दो प्रदर्शनी खेल शामिल हैं। खेल स्पर्धाओं में 9720 खिलाड़ी दांव पर लगे 3674 पदकों के लिए आपस में जोर आजमाइश करेंगे। मंगलवार शाम छह बजे राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के रजत जयंती खेल परिसर में राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ किया जाएगा।

 

दोपहर साढ़े तीन बजे देहरादून पहुंचेंगे पीएम मोदी-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दोपहर साढ़े तीन बजे देहरादून पहुंच जाएंगे। वह चार से छह बजे तक उत्तराखंड की विभिन्न परियोजनाओं के प्रस्तुतिकरण को देखेंगे। शाम छह बजे वह राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन करेंगे। इस कार्यक्रम को भव्य रूप देने के लिए गायक जुबीन नौटियाल, पवनदीप राजन और पांडवाज ग्रुप अपनी प्रस्तुतियां देंगे। इसके अलावा चार हजार से अधिक कलाकार भी अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से समारोह में रंग भरेंगे। समारोह में हरित पटाखों का प्रयोग किया जाएगा।

10 शह‍रों में क‍िया जा रहा आयोजन-

राष्ट्रीय खेलों का आयोजन 10 शहरों में किया जा रहा है। इनमें सीमांत पिथौरागढ़ से लेकर राजधानी देहरादून तक शामिल है। इन खेलों की 45 स्पर्धाओं में 3674 पदक दांव पर रहेंगे। इनमें 1120 स्वर्ण, 1120 रजत और 1434 कांस्य पदक शामिल हैं। सबसे अधिक 198 पदक एथलेटिक्स की विभिन्न स्पर्धाओं में होंगे। वैसे राष्ट्रीय खेलों की ट्रायथलान और बीच हैंडबाल स्पर्धा के मुकाबले शुरू हो चुके हैं।

 

उत्तराखंड इन खेलों में लगभग 750 प्रतिभागियों का दल उतार रहा है। मेजबान राज्य होने के नाते उत्तराखंड को सभी खेलों में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। ऐसे में उत्तराखंड इन खेलों में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहा है।

उत्तराखंड की खेल मंत्री रेखा आर्या ने बताया क‍ि  राष्ट्रीय खेलों के लिए उत्तराखंड पूरी तरह तैयार है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इन खेलों की भव्य शुरुआत करेंगे। खेलों को ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बनाने में कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी।

 

National Games 2025: छह साल इंतजार के बाद उत्तराखंड के खिलाड़ी छा जाने को तैयार, हर किसी की निगाहें टिकीं.

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38वें राष्ट्रीय खेलों को लेकर छह साल के इंतजार के बाद उत्तराखंड के खिलाड़ी छा जाने को तैयार हैं। खेलों के शुभारंभ पर जहां अन्य प्रदेशों से आने वाले खिलाड़ियों का भव्य स्वागत होगा। वहीं, खासतौर पर विश्व चैंपियनशिप में कांस्य और युवा ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले ओलंपियन लक्ष्य सेन, अंकिता ध्यानी, सूरज पंवार, परमजीत सिंह सहित अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर उत्तराखंड की नजर रहेगी।

उत्तराखंड को 2018 में 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करनी थी। 2014 में राज्य को इसका आवंटन हुआ था, लेकिन विभिन्न वजहों से खेल टलते रहे। उस दौरान भारतीय ओलंपिक संघ की ओर से 34 खेल विधाएं प्रस्तावित की गई थीं। खेलों के आयोजन के लिए दो मुख्य और छह सैटेलाइट स्थल चयनित किए गए थे। इसमें देहरादून और हल्द्वानी मुख्य व हरिद्वार, ऋषिकेश, गूलरभोज, रुद्रपुर, नैनीताल व पिथौरागढ़ सैटेलाइट स्थल चयनित किए गए थे।

तब खेल अवस्थापना सुविधाओं का नहीं हुआ विकास-
उत्तराखंड को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलने के बावजूद खेलों का आयोजन न होने की एक वजह तब खेल अवस्थापना सुविधाओं का विकास न हो पाना भी रहा है। वहीं, खेल संघों के बीच समन्वय की कमी के चलते भी इसमें देरी हुई है।
इन खेलों से है काफी उम्मीद-

राष्ट्रीय खेलों में राज्य के खिलाड़ी छा जाने को तैयार हैं। बॉक्सिंग, बैडमिंटन, कैनोइंग एवं कयाकिंग, वुशु सहित कई प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग के लिए राज्य के खिलाड़ी पिछले काफी समय से अभ्यास कर रहे हैं।

इन खेलों में इतने खिलाड़ी करेंगे प्रतिभाग-

राष्ट्रीय खेलों में टेबल टेनिस में 136, फेंसिंग में 264, रेसलिंग में 288, मलखंब में 192, हैंडबॉल में 416, कबड्डी में 288, वॉलीबाल में 256, बास्केटबॉल में 256 सहित विभिन्न प्रतियोगिताओं में कई खिलाड़ी प्रतिभाग करेंगे।

Uniform Civil Code: CM धामी ने कराया पहला पंजीकरण, कहा- उत्तराखंड से निकली UCC की गंगा, आज का दिन ऐतिहासिक.

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उत्तराखंड में आज समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सेवक सदन में यूसीसी के पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण किया। वहीं, इसकी अधिसूचना भी जारी हो गई है।

सीएम धामी ने कहा कि यह हमारे प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के लिए भी ऐतिहासिक दिन है। यूसीसी रूपी गंगा को निकालने का श्रेय देवभूमि की जानता को जाता है। आज अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है। मैं आज भावुक भी हो रहा हूं। इसी क्षण से समान नागरिक संहिता लागू हो रही है। सभी नागरिकों के अधिकार सामान हो रहे हैं। सभी धर्म की महिलाओं के अधिकार भी समान हो रहे हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को भी धन्यवाद देता हूं उन्हीं के सहयोग से यह सब हो रहा है। जस्टिस प्रमोद कोहली और समिति का धन्यवाद करता हूं। विधानसभा के सभी सदस्यों का धन्यवाद है। आईटी विभाग और पुलिस गृह विभाग सबका धन्यवाद। जो हमने संकल्प लिया था। जो वादा किया था वह पूरा किया।

हमने सरकार गठन में यही पहला निर्णय लिया था और आज वह दिन आ गया। लगभग तीन साल होने को हैं। इस दिन का बेसब्री का इंतज़ार था। यूसीसी जाती धर्म लिंग आदि में अंतर के आधार पर कानूनी आधार पर समाप्त करने का उपाय है। महिला सशक्तीकरण के साथ साथ सुरक्षा भी होगी। हलाला, तलाक जैसी कुप्रथा पर प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी। लिव इन में रजिस्ट्रेशन से दोनों पक्षों को सुरक्षा मिलेगी। उत्तराखंड में 27 जनवरी समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। जिस तरह माँ गंगा यहां से निकलकर पूरे देश को लाभान्वित करती है। ऐसे ही यूसीसी भी काम करेगी।

जाति धर्म का भेद नहीं-

मुझसे पूछा गया था कि जनजातियों को अलग कर दिया फिर यह यूसीसी कैसी है ? संविधान के अनुच्छेद के आधार पर जनजातियों को अलग रखा है। यूसीसी किसी धर्म या सम्प्रदाय के ख़िलाफ़ नहीं है। यहां किसी को टारगेट करने के लिए नहीं है। यह समानता से समरास्ता का मार्ग है।

सीएम धामी ने कराया पहला रजिस्ट्रेशन-

मुख्यमंत्री ने पोर्टल पर पहला पंजीकरण कराया। इस दौरान पंजीकरण प्रमाणपत्र भी सौंपा गया। निकिता नेगी रावत, मनोज रावत,  अंजना रावत,  मीनाक्षी, अंजली ने भी सबसे पहले पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया। इन्हें भी पंजीकरण प्रमाण पत्र दिए गए हैं। यूसीसी लागू होने से छह महीने तक कोई शुल्क नहीं लगेगा।

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यूसीसी नियमावली हाईलाइट-

दायरा – अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू।

प्राधिकार – यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। जबकि नगर पंचायत – नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे।
इसी तरह नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे। छावनी क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इन सबके उपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे।

रजिस्ट्रार जनरल के कर्तव्य
– यदि रजिस्ट्रार तय समय में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं तो मामला ऑटो फारवर्ड से रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा। इसी तरह रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के भीतर अपील का निपटारा कर आदेश जारी करेंगे।

 

रजिस्ट्रार के कर्तव्य-

सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील पर 60 दिन में फैसला करना। लिव इन नियमों का उल्लंघन या विवाह कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देंगे।

सब रजिस्ट्रार के कर्तव्य
सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच, आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना
समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना, साथ ही विवाह जानकारी सत्यापित नहीं होने पर इसकी सूचना माता- पिता या अभिभावकों को देना।

विवाह पंजीकरण
26 मार्च 2010, से संहिता लागू होने की तिथि बीच हुए विवाह का पंजीकरण अगले छह महीने में करवाना होगा

संहिता लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा

आवेदकों के अधिकार
यदि सब रजिस्ट्रार- रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करता है तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है।

सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है।

रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है।

अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से दायर हो सकेंगी।

(लिव इन)

संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का, संहिता लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, लिवइन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।

लिव इन समाप्ति – एक या दोनों साथी आनलाइन या ऑफलाइन तरीके से लिव इन समाप्त करने कर सकते हैं। यदि एक ही साथी आवेदन करता है तो रजिस्ट्रार दूसरे की पुष्टि के आधार पर ही इसे स्वीकार करेगा।

यदि लिव इन से महिला गर्भवती हो जाती है तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी। बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा।

विवाह विच्छेद –
तलाक या विवाह शून्यता के लिए आवेदन करते समय, विवाह पंजीकरण, तलाक या विवाह शून्यता की डिक्री का विवरण अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी।

वसीयत आधारित उत्तराधिकार
वसीयत तीन तरह से हो सकेगी। पोर्टल पर फार्म भरके, हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयड अपलोड करके या तीन मिनट की विडियो में वसीयत बोलकर अपलोड करने के जरिए।

 

यूसीसी की यात्रा-

27 मई 2022 – यूसीसी पर विशेषज्ञ समिति का गठन

02 फरवरी 2024 – यूसीसी पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत

08 फरवरी 2024 – राज्य विधानसभा द्वारा अधिनियम अनुमोदित

08 मार्च 2024 – भारत के राष्ट्रपति द्वारा अधिनियम अनुमोदित

12 मार्च 2024 – यूसीसी उत्तराखंड अधिनियम 2024 जारी

18 अक्टूबर 2024 – यूसीसी नियमावली प्रस्तुत

27 जनवरी 2025 – यूसीसी लागू

 

यूसीसी के क्रियान्वयन की कार्ययोजना-

– ऑनलाइन आवेदन के लिए पोर्टल (ucc.uk.gov.in) विकसित

– कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) Training Partner के रूप में नामित

– क्रियान्वयन व प्रशिक्षण के लिए ज़िलों में नोडल अधिकारी नामित

– सहायता और तकनीकी परामर्श के लिए हेल्पडेस्क (1800-180-2525) स्थापित

– विधिक प्रश्नों के समाधान के लिए जिला स्तरीय अधिकारी नियुक्त

– नागरिक जागरूकता और अधिकारियों की सुविधा के लिए Short Video एवं Booklets

स्वतंत्र भारत के इतिहास में उत्तराखण्ड UCC लागू करने वाला बना देश का पहला राज्य, CM ने किया UCC की अधिसूचना का अनावरण।

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मुख्य बिंदु- 

स्वतंत्र भारत के इतिहास में उत्तराखण्ड UCC लागू करने वाला बना देश का पहला राज्य।

CM ने किया UCC की अधिसूचना का अनावरण।

मुख्यमंत्री ने किया समान नागरिक संहिता की अधिसूचना का अनावरण।

यूसीसी पोर्टल ucc.uk.gov.in का भी किया शुभारंभ।

यूसीसी पोर्टल पर सबसे पहले मुख्यमंत्री ने कराया अपने विवाह का पहला पंजीकरण ।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने की अधिकारिक घोषणा करते हुए कहा है कि आज का दिन सिर्फ उत्तराखंड के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष के लिए ऐतिहासिक है। आज से उत्तराखंड में समाज में समानता स्थापित करने के लिए, समान नागरिक संहिता लागू हो गई है।

सोमवार को सीएम आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने विधिवत तौर पर समान नागरिक संहिता की अधिसूचना का अनावरण, यूसीसी पोर्टल ucc.uk.gov.in का भी शुभारंभ और यूसीसी नियमावली बुकलेट का विमोचन किया। यूसीसी पोर्टल पर मुख्यमंत्री ने सबसे पहले अपने विवाह का पहला पंजीकरण कराया, जिसका प्रमाणपत्र मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने मुख्यमंत्री को सौंपा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यूसीसी के तहत सर्वप्रथम पंजीकरण कराने वाले पांच आवेदकों को भी प्रमाणपत्र प्रदान किए।

 

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तय करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी ने 2.35 लाख लोगों से सम्पर्क साधा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करके राज्य सरकार संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ बी.आर. अंबेडकर सहित संविधान सभा के सभी सदस्यों को सच्ची भावांजलि दे रही है।

 

भावुक होकर की घोषणा-

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे बेहद भावुक होकर सवा करोड़ उत्तराखंडवासियों के सामने समान नागरिक संहिता पूर्ण रूप से लागू करने की घोषणा कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें हर्ष के साथ ही गर्व की भी अनुभूति हो रही है। इसके साथ राज्य में प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक और नागरिक अधिकार एक समान हो गए हैं। साथ ही सभी धर्म की महिलाओं को भी समान अधिकार मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में उत्तराखंड में यूसीसी लागू हो पाई है, इसके लिए उन्होंने पूरे उत्तराखंडवासियों की ओर से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का आभार व्यक्त किया।

 

पूरा हुआ संकल्प-

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों के दौरान 12 फरवरी 2022 को उन्होंने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने का संकल्प लिया था। तब उन्हें नया-नया दायित्व मिला था, इसके सात महीने बाद ही विधानसभा चुनाव में जाना पड़ा। इसलिए कई लोग तब इस पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे। लेकिन उन्हें पूरा भरोसा था कि उत्तराखंड की देवतुल्य जनता इस काम में उनका साथ देगी। उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार दुबारा भाजपा की सरकार बनी। सरकार बनने के बाद पहला निर्णय उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर लिया गया।

 

 

पहले छह महीने में नहीं लगेगा शुल्क-

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी जाति धर्म लिंग के आधार पर कानूनी भेदभाव समाप्त करने का संवैधानिक उपाय है, इसके जरिए सभी नागरिकों को समान अधिकार देने का प्रयास किया गया है। इसके जरिए महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण सुनिचित हो सकेगा। साथ ही हलाला, तीन तकाल, इद्दत जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगेगी। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत वर्णित अनुसूचित जनजातियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। इससे उनके रीति रिवाजों का संरक्षण हो सकेगा। जिन पंजीकृत व्यक्तियों का विवाह यूसीसी के लागू होने से पूर्व पंजीकृत हुआ हो या तलाक की डिक्री घोषित हुई हो या विवाह निरस्त हुआ हो, उनसे पहले छह महीने में किसी भी तरह का रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लिया जायेगा।

 

किसी भी धर्म या पंथ के खिलाफ नही-

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यूसीसी किसी भी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं है। यह समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर, समानता से समरता कायम करने का कानूनी प्रयास है। इसमें किसी की भी मूल मान्यताओं और प्रथाओं को नहीं बदला गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व के प्रमुख मुस्लिम और विकसित देशों में पहले से ही यूसीसी लागू है। इस कानून द्वारा सभी लोगों के लिए विवाह, विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार के नियमों को समान किया गया है। सभी धर्म के लोग अपने अपने रीति रिवाजों से विवाह कर सकते हैं। लेकिन अब सभी धर्मों में लड़कों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों के लिए 18 कर दी गई है। साथ ही पति या पत्नी के रहते दूसरे विवाह को प्रतिबंध किया गया है। समान नागरिक संहिता में बाल अधिकारों को संरक्षित किया गया है, साथ ही बेटियों को सम्पति में समान अधिकार दिए गए हैं। परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद न हो इसके लिए मृतक की सम्पत्ति में पत्नी, बच्चे और माता-पिता को समान अधिकार दिए गए हैं।

 

यूसीसी के तहत की गई है, ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था-

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय को देखते हुए, लिव इन के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, युगल की सूचना रजिस्ट्रार माता-पिता या अभिभावक को देगा। यह जानकारी पूरी तरह गोपनीय रहेगी। लिव इन से पैदा बच्चों को भी समान अधिकार दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी को लागू करने के लिए सरलीकरण के मूल मंत्र पर चलते हुए, ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है, साथ ही स्पष्ट नियमावली भी लागू कर दी गई है। पूरा ध्यान रखा गया है कि इसके लिए किसी भी नागरिक को दिक्कत का सामना न करना पडे।

 

 

27 जनवरी को मनाया जायेगा यूसीसी दिवस-

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि अब प्रदेश में प्रति वर्ष 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि धारा 370, तीन तलाक, राम मंदिर को लेकर जितने भी संकल्प लिये गये थे, वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे किये गये हैं।
इस अवसर पर यूसीसी नियमावली समिति के अध्यक्ष श्री शत्रुघ्न सिंह ने यूसीसी नियमावली के बारे में विस्तार से जानकारी दी जबकि सचिव शैलेश बगोली ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

इस मौके पर कैबिनेट मंत्री श्री प्रेमचंद अग्रवाल, श्री गणेश जोशी, श्री सुबोध उनियाल, श्रीमती रेखा आर्य, श्री सौरभ बहुगुणा, राज्यसभा सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट, राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल, विधायकगण, मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, यूसीसी नियमावली समिति के सदस्य श्री शत्रुघ्न सिंह, प्रो. सुरेखा डंगवाल, श्री मनू गौड़, श्री अजय मिश्रा, शासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

Uttarkashi Fire: उत्तरकाशी में आग से 9 मकान जलकर हुए खाक, 25 परिवार हुए बेघर; एक महिला की मौत.

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मोरी तहसील मुख्यालय से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सावणी गांव में रविवार की रात को भीषण अग्निकांड हुआ। जिसमें 9 भवन खाक हो गए। ये सभी भवन देवदार और कैल की लकड़ी से बने थे। जिससे आग और तेज भड़की। इन भवनों में रखा सारा सामान भी जलकर खाक हो गया है। वहीं आग में झुलसने से एक 76 वर्षीय महिला की मौत हो गई है।

 

सड़क मार्ग स्थित जखोल से पांच किलोमीटर पैदल और अंधेरा होने के कारण राहत बचाव के लिए पहली टीम साढ़े तीन घंटे बाद सावणी पहुंची। लेकिन, उससे पहले गांव में मौजूद ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर कुछ हद तक काबू पाया। रात तीन बजे आग पर पूरी तरह से काबू पाया गया। आग बुझाते समय कुछ ग्रामीण आग की लपटों से भी झुलसे। सावणी गांव में वर्ष 2018 में भीषण अग्निकांड हुआ था। जिसमें 39 मकान जले 100 मवेशी जले थे।

 

आग ने लिया विकराल रूप-

सावणी में रविवार की रात करीब नौ बजे किताब सिंह के मकान में आग लगी। लकड़ी के मकान होने के कारण आग विकराल होती गई। आग जब एक घर से दूसरे घर में फैलने लगी तो जखोल गांव के ग्रामीणों ने करीब 11 बजे जिला आपदा प्रबंधन व प्रशासन को इसकी सूचना दी।

 

जिलाधिकारी डॉ. मेहराबन सिंह बिष्ट के निर्देश पर राहत एवं बचाव कार्यो के लिए चिकित्सा, पेयजल आदि विभागों को भी मौके पर पहुंचने के लिए निर्देश दिए गए। जिलाधिकारी ने राहत व बचाव कार्यों के लिए सतलुज जल विद्युत निगम सहित टोंस वन प्रभाग और गोविंद वन्य जीव विहार के वन कर्मियों का सहयोग लेने के लिए कहा। करीब 12:30 बजे राहत बचाव के लिए गोविंद वन्य जीव विहार की पहली टीम पहुंची।

 

9 मकान जलकर हुए खाक-

उपजिलाधिकारी देवानंद शर्मा ने बताया कि आग पर पूरी तरह से काबू पाया गया है। राजस्व विभाग के साथ पुलिस, एसडीआरएफ, फायर सर्विस, पशुपालन विभाग और वन विभाग मौके पर मौजूद है। गांव में कुल 9 मकान पूर्ण रूप से जल चुके है। जिसमें करीब 15-16 परिवार निवास करते थे। इसके अतिरिक्त 2 मकानों को आग से बचाने के लिए पूर्ण रूप से तोड़ा गया है। 3 मकानों को आंशिक रूप से तोड़ा गया है। आग लगने का कारण स्पष्ट नहीं है।

 

बताया जा रहा है कि किताब सिंह के घर में पूजा का दीया जल रहा था, जिससे आग लगना बताया गया है। इस अग्निकांड में 22-25 परिवार प्रभावित हुए हैं। जिला आपदा प्रबंधन ने मिसिंग चल रही भामा देवी (76) पत्नी नेगी सिंह की आग से झुलसने से मृत्यु होने की पुष्टि की है।

 

National Games: ट्रायथलॉन प्रतियोगिता के साथ उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेलों का आगाज, कल पीएम मोदी करेंगे उद्धाटन.

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उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेलों का आज से आगाज हो गया है। हल्द्वानी में ट्रायथलॉन प्रतियोगिता के साथ खेलों की शुरुआत हो गई है। अब 28 जनवरी को देहरादून के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में पीएम मोदी खेलों का उद्घाटन करेंगे।

हल्द्वानी के गौलापार स्थित अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में आज सबसे पहले ट्रायथलॉन प्रतियोगिता शुरू हुई। इसमें व्यक्तिगत कैटेगरी में अलग-अलग राज्य के 16 खिलाड़ी भाग ले रहे। पहले दिन ट्रायथलॉन खेल में व्यक्तिगत स्प्रिंट में 32 पुरुष और 32 महिला खिलाडियों ने भाग लिया। खिलाड़ी 750 मीटर तैराकी के बाद 20 किमी साइक्लिंग पूरी की। इसके बाद पांच किमी दौड़ लगाई।

पुरुष वर्ग में विजेता
1. सारंगबम अठौबा मैतेई, मणिपुर
2. तेलहाइबा सोरम, मणिपुर
3. पार्थ सचिन, महाराष्ट्र

महिला वर्ग में विजेता
1. डोली पाटिल, महाराष्ट्र
2. मानसी विनोद, महाराष्ट्र
3. अध्या सिंह, एमपी

Uniform Civil Code: इंतजार हुआ खत्म… उत्तराखंड में इस दिन लागू होगा UCC, सीएम धामी करेंगे पोर्टल की लॉन्चिंग.

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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) 27 जनवरी को लागू होगी। सीएम के सचिव शैलेश बगोली ने सभी विभागों को पत्र भेजा है। वहीं, इसी दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यूसीसी के पोर्टल की लॉन्चिंग भी करेंगे। 27 जनवरी से ही नए कानून की अधिसूचना जारी हो जाएगी। इसके साथ ही उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला प्रदेश बन जाएगा।

घोषणा से कानून बनने तक का सफर

  • 12 फरवरी 2022 को विस चुनाव के दौरान सीएम धामी ने यूसीसी की घोषणा की।
  • मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में यूसीसी लाए जाने पर फैसला।
  • मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति बनी।
  • समिति ने 20 लाख सुझाव ऑफलाइन और ऑनलाइन प्राप्त किए।
  • 2.50 लाख लोगों से समिति ने सीधा संवाद किया।
  • 02 फरवरी 2024 को विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
  • 06 फरवरी को विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश हुआ।
  • 07 फरवरी को विधेयक विधानसभा से पारित हुआ।
  • राजभवन ने विधेयक को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा।
  • 11 मार्च को राष्ट्रपति ने यूसीसी विधेयक को अपनी मंजूरी दी।
  • यूसीसी कानून के नियम बनाने के लिए एक समिति का गठन।
  • नियमावली एवं क्रियान्वयन समिति ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करणों में आज 18 अक्तूबर 2024 को राज्य सरकार को नियमावली साैंपी।
  • 20 जनवरी 2025 को नियमावली को कैबिनेट की मंजूरी मिली।

 

यूसीसी लागू होगा तो यह आएंगे बदलाव-

  • सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून।
  • 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा।
  • पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना।
  • पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
  • विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी।
  • महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
  • हलाला और इद्दत जैसी प्रथा खत्म होगी। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
  • कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
  • एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
  • पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
  • संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
  • जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
  • नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
  • गोद लिए, सरगोसी से असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
  • किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
  • कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
  • लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
  • युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
  • लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
  • लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।