Day: September 16, 2024

Uttarakhand : ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 80% विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में हुआ खुलासा।

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उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 80% विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। पहाड़ों में 80 हजार की आबादी पर एक सीएचसी होना चाहिए। इसके अनुसार पहाड़ में 44 सीएचसी की कमी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी हेल्थ डायनमिक्स (इंफ्रास्ट्रक्चर एंड ह्यमून रिसोर्स) रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में 31 मार्च 2023 तक उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विश्लेषण किया गया। इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड (आईपीएचएस) के मानकों के अनुसार, विशेषज्ञ डॉक्टरों की 80% कमी है।

पर्वतीय क्षेत्रों के सीएचसी में सर्जन, बाल रोग, ग्यानाक्लोजिस्ट, फिजिशियन, एनेस्थेटिस्ट के 245 विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत है। इनमें 48 ही कार्यरत हंै, जबकि 197 पद खाली चल रहे हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पर्वतीय क्षेत्रों के अधिकतर सीएचसी में ग्यानाक्लोजिस्ट डॉक्टर कार्यरत नहीं है। 2005 में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 44 सीएचसी थे, जो बढ़कर 49 हो गए हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों को नहीं मिल रहा पीजी डॉक्टरों का लाभ-
प्रदेश में चार राजकीय मेडिकल कॉलेज संचालित हैं। एमबीबीएस डॉक्टरों को पीजी कराने की सुविधा है, लेकिन पीजी करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टरों का लाभ ग्रामीण उत्तराखंड को नहीं मिल रहा है। प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 1,240 पद सृजित हैं। इसमें लगभग पांच सौ ही विशेषज्ञ डॉक्टर कार्यरत हैं।

उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी चल रही है। प्रदेश सरकार की ओर से इस कमी को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। 2027 तक प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर हो जाएगी। -डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री

Uttarakhand: कुमाऊं में 243 सड़कें मलबे और बोल्डरों से भरी, टनकपुर-पिथौरागढ़ NH बंद होने से करोड़ों का नुकसान।

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कुमाऊं में अब भी 243 सड़कें मलबे और बोल्डरों से पटीं हुई हैं। चंपावत जिले में सड़कें बंद होने से करीब डेढ़ लाख से अधिक की आबादी प्रभावित है। टनकपुर-पिथौरागढ़ एनएच अवरुद्ध होने से एक करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।

बारिश थम गई लेकिन बर्बादी के निशां छोड़ गई है। कुमाऊं में अब भी 243 सड़कें मलबे और बोल्डरों से पटीं हुई हैं। चंपावत जिले में सड़कें बंद होने से करीब डेढ़ लाख से अधिक की आबादी प्रभावित है। टनकपुर-पिथौरागढ़ एनएच अवरुद्ध होने से एक करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। हाईवे पर स्वांला के पास तीन दिन से यातायात ठप है। इससे जरूरी सामान की किल्लत होने लगी है। रसोई गैस सिलिंडर के वाहन भी स्वांला में फंसे हैं। सेना के वाहन तीन दिन से मार्ग खुलने का इंतजार कर रहे हैं। सब्जी के वाहन नहीं आने से लोगों को ताजी सब्जियां नहीं मिल पा रही हैं।

चंपावत दुग्ध संघ को पांच लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। दुग्ध संघ प्रबंधक पुष्कर नगरकोटी ने बताया कि संघ में रोजाना 18 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है लेकिन सड़कें बंद होने से 16 हजार लीटर दूध का नुकसान हो रहा है। लोहाघाट-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग चौथे दिन खुल गया। अब सोमवार तक गैस पहुंच जाने की उम्मीद है। एनएच के ईई आशुतोष कुमार ने बताया कि मरोड़ाखान के पास पहाड़ी काटकर सड़क बनाई जा रही है। सड़क खुलने के बाद चंपावत में फंसी पिथौरागढ़ रोडवेज डिपो की बसें यात्रियों को लेकर रवाना हो गईं। रोडवेज के एजीएम नरेंद्र कुमार गौतम ने बताया कि तीन दिन से एनएच बंद होने से लोहाघाट डिपो को करीब 16 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। सीमांत मडलक क्षेत्र की डूंगरालेटी ग्राम पंचायत में ऐतिहासिक प्रसिद्ध नागार्जुन धाम नखरू घाट को जोड़ने वाला पैदल पुल बह गया है।

इससे रौसाल क्षेत्र की ग्राम पंचायतों से भी मडलक क्षेत्र का संपर्क टूट गया है। मां पूर्णागिरि धाम क्षेत्र में मार्ग बंद होने के साथ ही बिजली आपूर्ति भी बाधित है। हालांकि ठुलीगाड़ तक आपूर्ति सुचारू करा दी गई। बाटनागाड़ में चौथे दिन भी जेसीबी, पोकलैंड मशीन मार्ग खोलने में जुटी रहीं। इस बीच लोनिवि ने सुबह छह वाहनों को निकल लिया। ठुलीगाड़ से भैरव मंदिर तक अभी भी छह स्थानों पर मलबा आने से सड़क बाधित है। चंपावत के तिलोन में पहाड़ी सुधारीकरण के बाद दोबारा से मलबा जाली फाड़कर बाहर आ गया है।
कहां कितनी सड़कें बंद-

पिथौरागढ़   49
चंपावत     98
नैनीताल   58 ,
अल्मोड़ा   28
बागेश्वर   10
द्वाराहाट  27.0
चौखुटिया  30.0
कुल सड़कें 243