Day: August 12, 2025

धराली (उत्तरकाशी) में भीषण तबाही — तथ्य, कारण और ग्राउंड-रिपोर्ट के क्या कहती हैं !

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5–6 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी के धाराली (Dharali / Kheer Gad / Harsil के पास) में अचानक हुई भयंकर जल-प्रलय / भूस्खलन-मंडी (flash flood / debris flow / mudslide) ने गांव के कई हिस्से और पर्यटन-व्यवसाय तहस-नहस कर दिए। कई मकान, होटल, दुकानें, एप्पल-ओरचार्ड और सड़क-इन्फ्रास्ट्रक्चर बह गए; दर्जनों लोग घायल या लापता हैं, कुछ की मृत्यु की पुष्टि हुई और बड़ी राहत-और-रेस्क्यू कार्रवाई चल रही है। स्थानीय और केंद्रीय बचाव दलों (आर्मी, NDRF, SDRF, ITBP) ने बचाव कार्य तेज कर दिए हैं और राज्य सरकार ने राहत घोषणाएँ कीं

 

क्या हुआ — ताज़ा तथ्य (फैक्ट्स)

  • घटना का समय और जगह: घटना 5 अगस्त 2025 की दोपहर के आसपास (लगभग 13:30–13:45 स्थानीय समय) खरग (Kheer / Kheer Gad) जल-जल और धाराली गांव के पास हुई।

  • प्रभावित लोग और क्षति: कई घर, होटेल/होमस्टे, दुकानें और बाग (विशेषकर एप्पल-बाग) भारी मलबे में दब गए; शुरुआती रिपोर्टों में कम-से-कम 4 मौतें और दर्जनों (कुछ रिपोर्टों में 40+ या 50+) लापता बताये गए हैं, जबकि सैकड़ों लोग प्रभावित या संतप्त हुए और कई अनेकों का बेघर होना रिपोर्ट हुआ। सरकार और प्रशासन ने कई लोगों को बचाया; आधिकारिक खोज-बचाव और बचाव संख्या समय-समय पर अपडेट हो रही है।

  • बचाव-प्रक्रिया: इंडियन आर्मी (Ibex ब्रिगेड), NDRF, SDRF, ITBP और स्थानीय पुलिस व स्वास्थ्य दल मौके पर हैं; भारी मशीनरी, हेली-लिफ्ट और मैनपावर से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए वित्तीय राहत घोषणाएँ की हैं (प्रारम्भिक पैकेज, ब्यौरे स्थानीय घोषणा पर निर्भर)

  • कारण — वैज्ञानिक और मानवीय तीसरे-आयाम

  • (A) तत्काल कारण — क्लाउडबर्स्ट / अचानक तेज वर्षा

    मीडिया और मौसम विभाग (IMD) की पड़ताल के अनुसार घटना की शुरुआत एक तीव्र-वर्षा (cloudburst) / अचानक अत्यधिक स्थानीय downpour से हुई, जिससे Kheer Gad में पानी की अचानक मात्रा बढ़ी और बहाव-ऊर्जा जमीनी मलबे के साथ नीचे उतरते हुए धावा-बोलकर गांव में प्रवेश कर गई। IMD व स्थानीय रिपोर्टों ने कुछ स्थानों पर अल्प-समय में असाधारण बारिश दर्ज़ की — क्लाउडबर्स्ट की परिभाषा से मेल खाती तीव्रता    
  • (B) जियो-हाइड्रोलॉजिक गठन — भू-खण्ड, ग्लेशियल लिंक, डिब्रिस-फ्लो

    वैज्ञानिक और उपग्रह-विश्लेषण (ISRO समेत) ने सुझाव दिया है कि यह केवल बारिश का साधारण प्ले नहीं था — इसमें ग्लेशियर-सम्बन्धी विस्फोट (GLOF), किसी चट्टान/हिमखंड के टूटने से उत्पन्न ढेर या पहले से जमा ढेर का अचानक खुलना, तथा मलबे-भरे फ्लो (debris flow) की भूमिका हो सकती है। ऐसे घटनाओं में पानी के साथ बड़े-बड़े पत्थर, मिट्टी और बढ़ा-चढ़ा मलबा झटके में बहुत दूर तक और तेज़ रफ्तार से आ जाता है। इस पर आगे की तकनीकी जांच जारी है।

  • (C) मानवीय/नियोजन कारण (anthropogenic factors)

    • बस्तियों का नदी-तट/फ़्लड-प्लेन पर बनना: विशेषज्ञों ने कहा कि धाराली और आसपास के कई निर्माण नदी की तरफ़/फ्लड-plain पर हुए हैं — जिनमें कई होटेल, होमस्टे और दुकानें भी शामिल हैं — जो जीवनदायिनी भू-अवसरो में बने हुए थे और रन-ऑफ के मार्ग में आ गए।

    • पर्यटन-बूम और अगणित निर्माण: पर्यटन के बढ़ते दबाव ने खड़ी ढलानों व नदी के किनारे अस्थायी व स्थायी संरचनाओं का निर्माण बढ़ा दिया, जिनमें पर्यावरण नियमों का उल्लंघन भी हो सकता है।

    • जलवायु परिवर्तन का योगदान: हिमालयी क्षेत्र में तापमान व वायुमंडलीय नमी के बदलाव से तीव्र वर्षा-इवेंट्स (extreme precipitation), ग्लेशियर अस्थिरता और अनपेक्षित डिब्रिस-फ्लो के जोखिम बढ़ रहे हैं — इसलिए केवल “एकल घटना” नहीं, बल्कि जोखिम बढ़ने का ढांचा दिखाई देता है।

      3) ग्राउंड-रिपोर्ट — पीड़ितों के अनुभव और स्थानीय हालात

      (नीचे के विवरण विभिन्न स्थानीय अखबारों, स्थानीय फार्म और तस्वीर-वीडियो रिपोर्ट्स और राहत-कर्मियों के बयानों पर आधारित हैं।)

      • स्थानीय किसानों और होस्टल-मालिकों का कहना है कि झट-पटक 30–60 सेकण्ड में मलबा और पानी ने जगह को तबाह कर दिया; कई लोगों ने बस समय रहते भागकर अपनी जान बचाई। कुछ पर्यटक और मजदूर ऐसे थे जो कुछ मिनट पहले ही सुरक्षित स्थान की तरफ़ चले गए और वे लोगों ने लंबी पैदल यात्रा कर कर-कर के बचाव-कहानियाँ सुनाईं।

      • कई छोटे व्यापारी और किसान बड़े आर्थिक घाटे में हैं — एप्पल-बाग, राजमा और सब्ज़ी की फसलों का बड़ा नुकसान बताया जा रहा है; स्थानीय हवाले से लाखों रुपये का प्रारम्भिक आंकलन आ चुका है।

      • मोबाइल नेटवर्क व सड़कों का टूटना बचाव को कठिन बना रहा है; कई इलाकों में भारी मशीनों और हेलीकॉप्टर-सहायता के जरिए ही लोग पहुँच रहे हैं।

        4) बचाव-कार्यों का आकलन और चुनौतियाँ

        • तत्काल-उपलब्धता: आर्मी-ब्रिगेड, NDRF, SDRF, ITBP और स्थानीय प्रशासन सक्रिय हैं — शुरुआती दिनों में 100+ लोगों के रेस्क्यू का दावा और लगातार सर्वे चल रहे हैं। पर मौसम की पुनरावृत्ति, भूस्खलन का जोखिम और सड़कों की क्षति बचाव को सीमित कर रहे हैं।

        • खोज-बचाव-तकनीक: मलबे के नीचे लोगों का पता लगाने के लिए कट्टर-मशीनरी, कुत्ते-टीम, थर्मल स्कैन जैसे साधन इस्तेमाल हो रहे हैं; पर कठिन भू-रचना में हर घंटा महत्वपूर्ण है।


        5) विस्तृत मूल्यांकन — यह घटना अकेली नहीं

        विशेषज्ञों का कहना है कि धाराली जैसी घटनाएँ हिमालय में बढ़ती जा रही अनुक्रमिक आपदाओं का हिस्सा हैं — जहां छोटे-छोटे घाटों, नदी-हेल्थ का बिगड़ना, अनियोजित बस्तियाँ और बढ़ती वर्षा के साथ जोखिमों में वृद्धि हो रही है। धाराली में दिख रहा पैटर्न — नदी-तट पर विकास + अचानक उथल-पुथल करने वाली बारिश/ग्लेशियर-इवेंट — पहले भी अन्य जगहों पर समान रूप से विनाशकारी रहा है। नीति-स्तर पर जमीन की मैपिंग, रिस्क-जोन निर्धारण और निर्माण नियंत्रण की व्यवस्था को मज़बूत करने की तत्काल ज़रूरत बताई जा रही है।

        6) क्या किया जाना चाहिए — नीतिगत और तकनीकी सुझाव

        1. तुरंत (short term): प्रभावितों को पारदर्शी आर्थिक सहायता, अस्थायी आवास, मनो-सामाजिक सहायता और कृषि पुनरुत्थान-पैकेज (बीज, लगातार इनकम सहायता) उपलब्ध कराना। राज्य के द्वारा घोषित सहायता पैकेज का फास्ट-ट्रैक क्रियान्वयन जरूरी है।

        2. मिड-टर्म: प्रभावित इलाकों की विज्ञान आधारित रि-ज़ोनिंग — खतरनाक फ्लड-प्लेन व चैनल-मार्गों पर पुनर्निर्माण प्रतिबंध और वैकल्पिक आजीविका/रिलोकेशन-पैकज। स्थानीय समुदायों के साथ सहमति से कम्पेन्सेशन और स्थायी पुनर्वास।

        3. लॉन्ग-टर्म (सिस्टमिक): हिमालयी जल-विज्ञान पर निगरानी (GIS/सैटेलाइट), ग्लेशियर/डिब्रिस-डैम पर रिसर्च, ग्रामीण और पर्यटन-निर्माण के लिए कठोर पर्यावरणीय नियम, तथा दक्षिणी-नैशनल डेटा-बेस जहाँ हर नया निर्माण की पर्यावरणीय स्वीकृति सार्वजनिक हो। ISRO जैसे संस्थानों के सैटेलाइट-डेटा से जोखिम मानचित्र नियमित अपडेट किए जाने चाहिए।

        4. अर्ली वार्निंग और कम्युनिटी-रिजिलिएन्स: स्थानीय-स्तर पर सतर्कता-सिस्टम (रबर-बेल/सार्वजनिक सायरन/वीएचएफ), बाढ़-रन-वे के बारे में नियमित जागरूकता, और पर्यटन/मकान मालिकों के लिए आपदा-तैयारी आवश्यक।


        7) राजनीतिक-प्रशासनिक जिम्मेदारी और पारदर्शिता

        घटना ने सवाल उठाये हैं कि क्यों संवेदनशील नदी-किनारे/फ्लड-प्लेन पर बिखरे निर्माणों पर पैनी निगरानी नहीं थी; स्थानीय नियमन, पर्यावरण स्वीकृति और पर्यटन-पॉलिसी में भ्रष्ट-लापरवाही के संकेत भी जाँच के विषय हैं। राहत और पुनर्वास में पारदर्शिता, कम्पेन्सेशन की तात्कालिकता और भूमि-रिहैबिलिटेशन योजनाओं में जनता की भागीदारी जरूरी होगी। विशेषज्ञों ने कहा है कि सिर्फ राहत बाँटना पर्याप्त नहीं — पुनरावृत्ति रोके जाने वाले कदम लेना अनिवार्य है।

        निष्कर्ष — धराली एक चेतावनी है

        धराली-आपदा केवल एक स्थानीय दुर्घटना नहीं है — यह हिमालयी इलाकों में बढ़ते खतरों, अनियोजित विकास, और बदलते मौसम पैटर्न का मिलाजुला नतीजा है। तत्काल राहत-कार्रवाइयों के साथ-साथ शासन-स्तर पर दीर्घकालिक, विज्ञान-आधारित नीति और स्थानीय समुदायों के अधिकारों-आधार पर पुनर्विकास ही भविष्य में इसी तरह की त्रासदियों की पुनरावृत्ति रोक सकता है। पीड़ितों के लिए त्वरित और मानवीय सहायता, प्रभावित कृषि व आजीविका का बहाल करना तथा भविष्य के लिए जोखिम-कम करने वाले अनुशासनात्मक कदम अब न सिर्फ़ जरुरी बल्कि अनिवार्य हैं।

भाजपा के 4 जिला पंचायत अध्यक्ष और 11 ब्लॉक प्रमुख निर्विरोध विजयी

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उत्तराखंड के जिला पंचायत चुनावों में भाजपा ने नामांकन के आखिरी दिन लीड ले ली है।प्रदेश में भाजपा के 4 जिला पंचायत अध्यक्ष और 11 ब्लॉक प्रमुख निर्विरोध चुने गए।जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर उत्तरकाशी से रमेश चौहान, पिथौरागढ़ से जितेंद्र प्रसाद, उधम सिंह नगर से अजय मौर्या और चंपावत से आनंद सिंह अधिकारी निर्विरोध विजयी हुए। वहीं ब्लॉक प्रमुख पदों पर चंपावत से अंचला बोरा, काशीपुर से चंद्रप्रभा, सितारगंज से उपकार सिंह, खटीमा से सरिता राणा, भटवाड़ी से ममता पंवार, डुंडा से राजदीप परमार, जाखणीधार से राजेश नौटियाल, चंबा से सुमन सजवाण, विकासनगर से नारायण ठाकुर, पाबौ से लता देवी और ताकुला से मीनाक्षी आर्य बिना मुकाबले जीत गईं। 14 अगस्त को जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख व अन्य पदों पर मतदान होगा।

उधर, कांग्रेस के पूर्व विधायक रणजीत रावत के पुत्र व पुत्रवधु सल्ट विकासखण्ड से निर्विरोध निर्वाचित हुए। उनकी पुत्र वधु निर्विरोध ब्लाक प्रमुख चुनीं गयी। जबकि पुत्र विक्रम रैयत ज्येष्ठ प्रमुख पर निर्विरोध चुने गए। कनिष्क प्रमुख पद पर कंचना देवी भी निर्विरोध चुनीं गईं। पूर्व विधायक रणजीत रावत ने इसे कांग्रेस की नीतियों की जीत बताते हुए जनता का आभार जताया।

 

सोमवार को नामांकन का अंतिम दिन था और माहौल पूरी तरह भाजपा के पक्ष में रहा। अभी तक प्रदेश में भाजपा के 4 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हुए, जबकि 11 ब्लॉक प्रमुख पदों पर भी भाजपा प्रत्याशी बिना मुकाबले जीत गए।यह नतीजा केवल संयोग नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री धामी व संगठन की महीनों पहले से तैयार की गई रणनीति, बूथ स्तर तक की सूक्ष्म मैनेजमेंट और संगठन के सामंजस्य का नतीजा मानी जा रही है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की जीत में प्रत्याशी चयन में सामाजिक व भौगोलिक संतुलन, बूथ स्तर तक की सक्रियता और संगठनात्मक तालमेल की अहम भूमिका रही।

 

दूसरी ओर, कांग्रेस कई सीटों पर नामांकन दाखिल तक नहीं कर पाई, जिससे उसकी कमजोर तैयारी और अंदरूनी गुटबाज़ी उजागर हो गई। इन नतीजों ने यह भी संकेत दे दिया है कि भाजपा ने 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं।

 

भाजपा प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि

जिला पंचायत चुनावों में उत्तराखंड की राजनीति ने एक बार फिर साफ़ कर दिया कि अगर रणनीति सटीक हो, टीम मज़बूत हो और नेतृत्व दृढ़ इच्छाशक्ति से लैस हो, तो जीत केवल संभावनाओं में नहीं, बल्कि हकीकत में बदल जाती है।

मुख्यमंत्री धामी व संगठन की अगुवाई में भाजपा ने जिला पंचायत चुनावों में ऐसा चौका मारा कि कांग्रेस पस्त होकर मैदान से बाहर हो गई।

भाजपा प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि
विपक्ष को मैदान में उतरने का अवसर ही न दिया जाए। स्थानीय समीकरणों को साधते हुए, हर जिले और ब्लॉक में भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार किया गया। भाजपा प्रत्याशियों के चयन में जातीय, भौगोलिक और सामाजिक संतुलन का बारीकी से ध्यान रखा गया, जिससे कांग्रेस अंदर ही अंदर बिखरती चली गई।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता सतीश लखेड़ा ने कहा कि
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस कई स्थानों पर तो नामांकन करने तक की स्थिति में नहीं रही। पार्टी के भीतर गुटबाज़ी, नेतृत्वहीनता और संगठनात्मक ढील ने स्थिति इतनी खराब कर दी कि धामी की रणनीति के सामने वह पूरी तरह बेबस नज़र आई।

 

धराली-हर्षिल आपदा के लापता लोगों की सूची जारी,सबसे अधिक नेपाल के लोग

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धराली हर्षिल आपदा के एक हफ्ते बाद प्रदेश सरकार ने 68 लापता लोगों की सूची जारी की है। लापता लोगों में 24 नेपाल के निवासी हैं। उत्तरकाशी के आपदा परिचालन केंद्र की ओर से जारी सूची में नेपाल के 24 लोग लापता हैं। उत्तराखण्ड, बिहार,उत्तर प्रदेश ,हरियाणा ,राजस्थान के 44 लोग आपदा के बाद से गायब है।

इनमें 9 सेना के जवान, धराली व आसपास के 13 स्थानीय लोग, टिहरी का 1, बिहार के 13, उत्तर प्रदेश के 6 व्यक्ति और 24 नेपाली मजदूर शामिल हैं। नेपाली मजदूरों में से 5 से संपर्क हो चुका है, शेष की तलाश जारी है। गौरतलब है कि 5 अगस्त की आपदा के बाद दो शव मिले थे। एक हफ्ते से जारी कवायद के बाद भी धराली व हर्षिल क्षेत्र में मलबे में दबे लोगों को नहीं निकाला जा सका है। इतने दिन बीत जाने के बाद किसी चमत्कार से ही किसी के जीवित मिलने की संभावना है।

गढ़वाल आयुक्त ने बताया कि युद्धस्तर पर चलाए गए रेस्क्यू अभियान में अब तक 1,278 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। सभी बाहरी व जरूरतमंद स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है। मलवे में दबे लोगों की खोज के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और भूवैज्ञानिकों की टीमें लगातार काम कर रही हैं।

इस बीच, लापता लोगों के परिजन आपदाग्रस्त इलाके में डेरा डाले हुए हैं। धराली के मलबे में दबे लोगों की खोज के लिए बचाव दल डॉग्स व उपकरणों की मदद से तलाश में जुटे हैं । लेकिन सात दिन बाद भी कोई सफलता नहीं मिली है।