मुख्यमंत्री धामी ने परेड ग्राउंड में आंदोलन कर रहे युवाओं के बीच पहुंचकर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की गत सप्ताह आयोजित परीक्षा प्रकरण की सीबीआई जांच कराने पर सहमति दे दी है।
छात्रों के आग्रह पर वहीं मौके पर ही सीबीआई संस्तुति को लेकर पत्र पर हस्ताक्षर भी कर दिए , ताकि मन में किसी के भी कोई संशय न रह सके .
युवाओं का पहले सुना पक्ष ,फिर रखी अपनी बात-
सीएम ने युवाओं का पक्ष सुनने के बाद कहा कि युवा इस त्योहारी सीजन में इतनी गर्मी के बीच आंदोलन कर रहे हैं, इससे खुद उन्हें भी अच्छा नहीं लग रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार का एक ही संकल्प है कि परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए। विगत चार साल में सरकार ने इसी संकल्प के अनुसार काम किया है।
खूबसूरत सपनों की बुनियाद है छात्रों कि परीक्षा तैयारी –
युवाओं से अपील करते हुए धामी ने कहा कि वो जानते हैं कि उत्तराखंड के युवा और छात्र पढ़ाई के बाद सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करते हैं। इसी आधार पर उनके पास जीवन के लिए खूबसूरत सपने होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने खुद ऐसी परिस्थितियों को देखा है, छात्रों और युवाओं के बीच काम करते हुए, इसका अनुभव लिया है।
युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विगत दिनों सामने आए प्रकरण की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी द्वारा की जा रही है। कमेटी ने काम भी शुरु किया है, लेकिन फिर भी युवा सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं,तो मैं भी इसके लिए तैयार हूं,इसमें कोई रुकावट नहीं आएगी।
कार्यालय में भी हो सकती थी बात लेकिन महसूस करने आया हूं आपकी परेशानी को –
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वो चाहते तो ये बातचीत कार्यालय में भी हो सकती थी, लेकिन युवाओं के कष्ट को देखते हुए, उन्होंने खुद धरना स्थल पर आने का निर्णय लिया है, वो पूरी तरह युवाओं के साथ हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले चार साल में पारदर्शी तरीके से 25 हजार से अधिक सरकारी भर्तियां की है, इमसें कहीं कोई शिकायत नहीं आई है। सिर्फ एक प्रकरण में यह शिकायत आई है, इसलिए युवाओं के मन से हर तरह की शंका को मिटाने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
विगत दिनों भी छात्रों को यही आश्वाशन दिया –
सीएम धामी ने कहा कि विगत सप्ताह भी जब युवा उनसे मिले थे तब भी उन्होंने न्होंने स्पष्ट कर दिया था कि सरकार चाहती है कि युवाओं के मन में कोई अविश्वास, संदेह या शंका न रहे। इसलिए वो बिना किसी को बताए सीधे यहां परेड ग्राउंड में चले आए हैं।
मुकदमें वापस होंगे-
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आंदोलन के दौरान यदि युवाओं पर कहीं कोई मुकदमें दर्ज हुए हैँ तो उन्हें वापस लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अमृतकाल के विकसित भारत में उत्तराखंड देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बने, इसमें युवाओं की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होगी।8 दिन से देहरादून के परेड ग्राउंड स्थित छात्रों से मिलने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौके पर ही जा पहुंचे,सीएम ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि पीड़ा है मुझे की इस धूप गर्मी में आप सभी युवा छात्रों को धरने पर बैठना पड़ा ,लेकिन सरकार हमेशा से प्रदेश के युवाओं के साथ है .
परीक्षाएं सही से नहीं करवा पाएंगे,,पेपर लीक होते रहेंगे,,नकल माफिया जेल से बाहर आते रहेंगे,,,और जब बेरोजगार अपनी आवाज उठाने के लिए इक्क्ठे होंगे,,,तो धारा 163 लगा देंगे,,,क्या अब सच में इस प्रदेश में युवाओं की सबसे बड़ी समस्या रोजगार से जुड़े इस अहम पहलू पर कोई ध्यान दे भी रहा है की नहीं ,,,,,,क्या इस प्रदेश में एक सख्त नकल विरोधी कानून के बाद भी नौकरियों की खरीद फरोख्त जारी है,,,,ताजा घटनाक्रम ने कई पुराने सवालों को एक बार फिर से ज़िंदा कर दिया है ,,,जो सवाल थोड़े से मद्दम हो चले थे,,एक बार फिर उठने शुरू हो गए हैं,,,आज के वीडियो में विस्तार से पुरे घटनाक्रम को आपको बताएंगे,,,पुलिस से लेकर आयोग और छात्रों के हर आरोप से आपको रु बरु करवाएंगे,,,साथ ही वो ऑडियो भी आपको दिखाएंगे जो इन उठते सारे सवालों की वजह बना है,,
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा एक बार फिर सवालों के घेरे में है,,,रविवार को परीक्षा शुरू होने के कुछ ही देर बाद पेपर लीक होने का दावा सामने आया, जिससे भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगे हैं ,,,मामला तब और गंभीर हो गया जब बेरोजगार संघ अध्यक्ष राम कंडवाल और सुरेश सिंह के साथ ही उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार सहित त्रिभुवन सिंह चौहान और मोहित डिमरी ने भी इस मुहीम को आगे बढ़ा दिया ,,,,,,उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष और बेरोजगार संघ के पूर्व अध्यक्ष बॉबी पंवार ने दावा किया कि परीक्षा का पेपर शुरू होते ही बाहर आ गया था। पंवार ने वायरल स्क्रीनशॉट का हवाला देते हुए तत्काल जांच की मांग की। बेरोजगार संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम कंडवाल ने कहा कि संघ ने पहले ही प्रशासन को पेपर लीक की आशंका जताई थी। उन्होंने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि इतनी सतर्कता के बावजूद पेपर बाहर आना सरकार और आयोग की नाकामी ही है। कंडवाल ने कहा कि हर बार पेपर लीक कैसे हो जाता है????/ सरकार और आयोग जवाब दें। मामला तब और गरमा गया जब इस मामले में पूछताछ के लिए उत्तराखंड पुलिस और हरिद्वार SOG ने बॉबी पंवार पर ही सवालों की बौछार कर दी ,, पंवार के सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर उठाये आयोग के विरुद्ध सवालों पर ,,जिससे युवाओं में और ज्यादा रोष बढ़ गया
दरअसल रविवार की दोपहर लगभग 12 बजे सोशल मीडिया पर वायरल हुए कथित पेपर के स्क्रीनशॉट ने अभ्यर्थियों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया,,,,यहां गौर करने वाली बात ये है कि एक दिन पहले ही यानी शनिवार को एसटीएफ और स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप एसओजी ने कुख्यात नकल माफिया हाकम सिंह और उसके सहयोगी पंकज गौड़ को परीक्षा के संबंध में देहरादून से ही गिरफ्तार कर लिया था ,,, ये दोनों अभ्यर्थियों को परीक्षा में पास कराने का झांसा देकर 12 से 15 लाख रुपये तक की मांग कर रहे थे,,,,जिसका एक कथित ऑडियो भी वायरल हुआ,,, ये ऑडियो पंकज गौड़ का का बताया जा रहा है,
यह ऑडियो जिसमें कोटद्वार के एक अभ्यर्थी से 15 लाख में चयन करवाने का दावा किया जा रहा है,,,,इसके वायरल होने के बाद पुरे प्रदेश के युवाओं में रोष फैल गया,,,,हाकम सिंह के एक बार फिर एक्टिव होने पर लोग हर जगह यही पूछ रहे हैं कि आखिर हाकम सिंहं का हाकिम कौन है,,,जबकि पुलिस कह रही है कि हाकम सिंह का कोई हाकिम नहीं,,, पुलिस ने ये साफ़ इशारा कर दिया की हाकम का कोई हाकम नहीं ,, बल्कि ये एक गिरोह है ,,,पुलिस का ये इशारा भी कई सवालों को जन्म दे रहा है कि आखिर कोई भी एक मामूली सा आदमी इतना बड़ा खेल करता आ रहा है और वो भी बिना किसी सरपरस्ती के ????।खैर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मामले के खुलासे के साथ कहा था कि हाकम कुछ अभ्यार्थियों को कोरा झांसा देकर 12 से 15 लाख रुपये ऐंठने के फिराक में था, लेकिन वहीं दूसरी ओर सह-आरोपी पंकज गौड़ का इकबालिया बयान और हाकम की कॉल रिकॉर्डिंग गहरी साजिश का खुलासा कर रही है।
पंकज गौड़ के बयान के मुताबिक़ वो खुद परीक्षा में बैठने वाला था। उसने हाकम तक पहचान निकाली और उससे संपर्क बनाया। हाकम ने उसे परीक्षा पास करवा नौकरी लगवाने का भरोसा दिलाया। उसने पंकज को कहा कि यदि वह 15-15 लाख के पांच उम्मीदवार लाएगा तो उसके 12 लाख रुपये बच जाएंगे, यानी उसका काम फ्री में हो जाएगा। यह बयान खुद पंकज ने पुलिस को दिया है, जिससे जाहिर होता है कि वह हाकम की पहुंच पर भरोसा कर रहा था, इसलिए वह खुद भी रुपये देने को तैयार था।
पुलिस की जांच के मुताबिक शुरुआत में पंकज की मुलाक़ात उत्तरकाशी के ओटगांव निवासी रोबिन प्रसाद से हुई थी, जो परीक्षा पास करने के लिए पंकज गौड़ के संपर्क में था। पंकज से पूछताछ में पता चला कि वह अरुण पंवार, रोबिन नौटियाल, गुलशन, मोनिका डोभाल, काला के संपर्क में था, जिन्हें उसने यकीन दिलाया था कि हाकम उसके संपर्क में है। उन्हें यकीन दिलाया है कि 15 लाख रुपये देने पर परीक्षा पास करवा कर नौकरी लगवा दी जाएगी।
इसी क्रम हाकम सिंह की कॉल रिकॉर्डिंग भी वायरल हो रही है, जिसमें वह साफ कह रहा है कि इस बार पिछली गलती नहीं करनी। पिछली बार 12-12 लाख में ज्यादा अभ्यर्थियों का जिम्मा लिया था, जिस वजह से मामला बिगड़ गया। इस बार ज्यादा पैसे और कम काम होगा, यानी 15 लाख लेकर कुछ अभ्यर्थियों का ही काम किया जाएगा, ताकि किसी को शक न हो। पंकज ने इकबालिया बयान दिया है कि उसने अन्य अभ्यर्थियों को परीक्षा पास कराने के लिए अपनी तरफ से तीन लाख रुपये बढ़ाकर बताए थे, ताकी उसका काम फ्री में हो जाए। उसे हाकम के जरिये रुपये कमाने का लालच भी आ गया था। इस बयान से विरोधाभास सामने आ रहा है कि पंकज एक तरफ तो हाकम की पहुंच पर भरोसा करके खुद भी 12 लाख देने वाला था,
जांच के क्रम में एक पैन ड्राइव की रिकॉर्डिंग भी पुलिस को मिली, जिसमें हाकम 21 सितंबर को होने वाली परीक्षा पास कराने व नौकरी लगाने का दावा कर रहा है, यह रिकॉर्डिंग भी जाहिर करती है कि साजिश कहीं गहरी थी, जिसमें बड़े स्तर पर मिलीभगत की आशंका है। इसमें हाकम 15 लाख रुपये की राशि के एवज में अभ्यर्थी को परीक्षा में ओएमआर शीट खाली छोड़ने को कह रहा है, जिसे बाद में भरा जाएगा, इससे जाहिर होता है कि वह अभ्यर्थियों को कोरा झांसा नहीं दे रहा था। उसके पास ट्रिक और लिंक दोनों थे।
दूसरी तरफ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी कह रहे हैं कि दोनों गिरफ्तार आरोपी अभ्यर्थियों को कोरा झांसा दे रहे थे, उनके परीक्षा पास कराने के दावे को लेकर कोई लिंक नहीं मिले।
अब पुलिस जांच का एक पहलू और देखिये,,,,देहरादून पुलिस और आयोग ने प्रेस वार्ता करके खुलासा किया कि पेपर का सिर्फ एक सेट यानी तीन ही पन्ने हरिद्वार के एक सेंटर से एक अभ्यर्थी के लिए बाहर आया था,,, इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह शामिल नहीं, इसलिए पूरी परीक्षा की शुचिता पर सवाल खड़ा नहीं होता,,,यह पेपर सिर्फ कुछ लोगों के बीच ही पहुंचा,,, है न कमाल की बात,,, पुलिस खुद कह रही है कि एक सेट बाहर आया था,,और कुछ लोगों के बीच पहुंचा था,,,और ऐसे में कहा जा रहा है कि इससे पूरी परीक्षा की शुचिता पर सवाल खड़ा नहीं होता,,,इतनी बड़ी लापरवाही सामने आती है और आयोग कह रहा है कि सवाल उठाना लाजमी नहीं है,,,खासकर तब जब आयोग के मुखिया गणेश मर्तोलिया कोई और नहीं बल्कि उत्तराखंड पुलिस के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं ,, कई जिलों की कमान खुद संभल चुके हैं,, उसके बाद भी उनका ये जवाब गले से नीचे नहीं उतरता ,,,
जांच में एक और बात सामने आयी है कि खालिद नाम का कोई शख्स है जिसके लिए पेपर बाहर आया,,,अब उसके संपर्क में आए छात्रों की जांच व तलाश जारी है,,, पुलिस के अनुसार खालिद पूरे कांड का प्रमुख है, जो खुद हरिद्वार के एक सेंटर में परीक्षा देने बैठा था,,,पुलिस को आशंका है कि उसके लिए ही पेपर बाहर आया ताकि उस तक सवालों के जवाब पहुंचाए जा सके,,,सेंटर से खालिद की बहन तक के पास पेपर के स्क्रीन शॉट पहुंचे,,, बहन ने टिहरी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत सहायक प्रोफेसर सुमन तक वो स्क्रीनशॉट भेजे और सवालों के जवाब मांगे,,, सुमन ने जवाब भेज दिए लेकिन बाद में शक होने पर पुलिस के पास जाने लगीं लेकिन उससे पहले बॉबी पंवार से बात की,,,,इससे एक बात और स्पष्ट होती है कि अब ऐसी धांधलियों में पुलिस से ज्यादा लोगों को उत्तराखंड के युथ और बॉबी पंवार पर भरोसा है,,,
यहां एक और चीज घटित हुई,,,महिला प्रोफेसर पुलिस के सामने बताती है कि उनके द्वारा प्रकरण की जानकारी पुलिस को देने हेतु एक प्रार्थना पत्र लिखा गया था लेकिन बॉबी पंवार द्वारा उक्त महिला से पेपर के स्क्रीनशॉट मांगते हुए उसे इस सम्बन्ध में पुलिस को अवगत न करने के लिये कहा गया,,,,जिसके बॉबी पंवार द्वारा बिना किसी सक्षम अधिकारी को प्रकरण के सम्बन्ध में अवगत कराये बिना परीक्षा प्रणाली को सनसनीखेज बनाने के उद्देश्य से उक्त स्क्रीनशॉट्स को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया,,,जिन्हें कुछ अन्य लोगों द्वारा भी सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रसारित करते हुए सरकार तथा सिस्टम के विरूद्ध आपत्ति जनक पोस्ट की गई। अब इन बातों की भी पुलिस जांच कर रही है,,,,की आखिर बॉबी पंवार ने पुलिस के सक्षम अधिकारी को इस मामले से अवगत कराये बगैर खुद ही जज बनने की कोशिश क्यों की
इन्हीं सवालों के बीच पुलिस ने बॉबी की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है,,,मुख्य आरोपी खालिद फरार बताया जा रहा है,,जबकि उसकी बहिन को गिरफ्तार कर लिया गया है,,,साथ ही इस पुरे प्रकरण को सामने लाने वाली महिला प्रोफ़ेसर के खिलाफ भी जांच शुरू हो गयी है,,,बॉबी पंवार भी कह रहे हैं ,,,कि इस पुरे प्रकरण की जांच सीबीआई करे और पहली शुरुआत उनसे ही की जाय,,,सरकार भी कह रही है कि अब आरोपी बख्से नहीं जायेंगे,,,,सवाल कई हैं कि आखिरकार जब परीक्षा में मोबाईल नहीं ले जा सकते तो फिर अंदर से फोटो बाहर कैसे आ गए,,,जब परीक्षा केंद्रों पर जैमर लगे होते हैं,ऐसे में फोटो बाहर आना अपने आप में परीक्षा की तैयारियों पर सवाल उठाता है,,,इस पुरे प्रकरण में हाकम सिंह की गिरफ्तारी में जिस युवा ने प्रमुख भूमिका निभाई वो हैं बेरोजगार संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल,,,उन्होंने पांच दिन तक रिक्शे में घूम कर नकल माफिया की खोज की,,,,स्कूटी से उत्तरकाशी तक गए,,,,जो 15 लाख वाला ऑडियो हमने आपको इससे पहले सुनाया वो भी राम कंडवाल के कारन ही हो पाया,,,,ऐसे युवाओं को इस प्रदेश को आज के समय में सबसे ज्यादा जरूरत है,,,
अब जरा जिन पर इन सभी परीक्षाओं को निर्विवाद रूप से कराने की जिम्मेदारी है उन आयोग के चेयरमैन गणेश शंकर मर्तोलिया का बयान भी सुन लीजिए,,,ताकि सनद रहे ,,, मर्तोलिया साहब कह रहे हैं कि सिर्फ तीन पन्ने बाहर आये हैं इसको पेपर लीक होना नहीं कहा जा सकता,,,,तो साहिब पेपर लीक होना कहते किसको हैं ,,जरा ये ज्ञान वर्षा भी कर दीजिये ,,,खैर बयां सुनिए साहब का
तो पूछा ये भी जाना चाहिए कि आखिर पेपर लीक फिर किसे कहा जाता है,,,
सवाल ये है कि 11 बजे पेपर शुरू होता है और दावे के अनुसार 11. 30 बजे वो तीन पन्ने बाहर आ जाते हैं,,,और मर्तोलिया साहब कह रहे हैं कि इसको पेपर लीक होना नहीं कहा जा सकता,,,,तो फिर वही बता दें कि इसको क्या कहा जाता है,,,और फिर पेपर लीक किसे कहते हैं,,,उनका बयान सुन कर तो एक वरिष्ठ भूवैज्ञानिक एमपीएस बिष्ट ने , What a joke.,,कहकर मर्तोलिया साहब को सर्टिफिकेट ही दे दिया ,,,,,,..खैर चेयरमैन आयोग गणेश मर्तोलिया ने यह भी बताया कि परीक्षा केंद्रों पर जैमर लगाए गए थे, जिससे यह सवाल उठता है कि इतने सुरक्षा उपायों के बावजूद ये पन्ने बाहर कैसे आए,,,,,कमाल की बात ये है कि भाजपा के कुछ नेता खुद कह रहे हैं कि तीन पन्ने बाहर आये लेकिन पेपर लीक नहीं हुआ और ये सरकार के खिलाफ षड्यंत्र है,,,कमाल करते हैं हमारे नेता जी
सवाल फिर वही कि किसके दम पर जमानत पर जेल से बाहर आया शख्स फिर ऐसे घटनाक्रम करने की हिम्मत जुटा पा रहा है,,मतलब हाकम का हाकिम तो कहीं न कहीं vip बना बैठा ही है ,,वैसे vip से हमारा अभिप्राय सिर्फ हाकम के हाकिम को लेकर ही है ,, कृपया इसे किसी बच्ची की निर्मम हत्या से न जोड़ा जाए ,,,,
एक बात और है पानी पी पी कर त्रिवेंद्र सिंह रावत को हाकम के मामले में कोसने वाले खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को अब सोचना होगा ,, क्यूंकि हाकम के खिलाफ सबसे पहले और बुलंद आवाज़ में विरोध करने वाले पहले भाजपाई खुद त्रिवेंद्र सिंह रावत ही बन गए हैं ,, ,, अक्सर
पूर्व मुख्य्मंत्री और हरिद्वार संसद त्रिवेंद्र सिंह रावत जो 2023 में बेरोजगारों पर लाठीचार्ज का भी विरोध कर चुके हैं,,,उन्होंने एक बार फिर कड़ी कार्यवाही और न्यायिक जांच की मांग की है,,,अब त्रिवेंद्र के नक़ल को लेकर लिए गए कड़े तेवर ये तो साबित करते ही हैं की हाकम सिंह की तस्वीर सिर्फ एक ही ज़ुबान नहीं बोलती ,,यकीन नहीं तो इन कुछ तस्वीरों पर ही नज़र दाल लीजिये ,,,ऐसे में उमेश कुमार की आवाज़ बाकी के चित्रित नेताओं को घेरने के लिए भी उठेगी ये देखना महत्वपूर्ण होगा ,, और अगर आवाज़ उठी तो उसका तीखापन भी मायने रखेगा ,,, खैर अपने बयान से ये तो त्रिवेंद्र ने साफ़ कर दिया की हाकम का हाकिम अभी वाइट कॉलर में आसपास ही मौजूद है जिसपर कड़ी कार्यवाही की बात वो कर रहे हैं ,,,
खैर त्रिवेंद्र सिंह रावत को छोड़कर सत्ता पक्ष का कोई भी नेता फिर चाहे वो महेंद्र बाहुबली हों या फिर कुछ दिन पहले पुलिस को कोसने वाले विधायक ख़ज़ान दास हों या आपदा में जिलाधिकारी देहरादून को अपशब्द कहने वाले मंत्री गणेश जोशी हों ,, कोई भी बेरोजगार युवाओं की मांग पर साथ नहीं दिखाई दे रहा है,,,,,सब के सब ऐसे चुप्पी साधे बैठे हैं ,,उम्मीद विपक्ष से भी थी ,,,,,कि युवाओं की इस पीड़ा में वो उनकी आवाज में अपनी आवाज मिलाते,,,,लेकिन अफ़सोस विपक्ष के नेता सिर्फ शोसल मिडिया और अपने मुख्यालय में ही इसका विरोध करते रह गए,,,,इससे एक बात और साबित होती है कि विपक्ष के रूप में कांग्रेस भी सिर्फ उन मुद्दों पर आगे आती है जो उनकी राजनीती को सूट करता है,,,एक तरफ राहुल गांधी युवाओं की बात करते नहीं थकते तो दूसरी तरफ उनकी पार्टी का कोई भी बड़ा नेता युवाओं के साथ सड़क पर खड़ा नहीं दिखाई दिया,, गढ़वाल से लोकसभा चुनाव लड़ चुके पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने जरूर दिल्ली एयरपोर्ट से एक सन्देश युवाओं को दिया जिसमे साफ़ उनकी तरफ से कहा गया की वो निजी तौर पर युवाओं के साथ कंधे से कन्धा मिलकर खड़े हैं ,, देहरादून वापिस पहुँचते ही तमाम प्रदेश के युवा मुझे परेड गरिउण्ड में अपने बीच पाएंगे
कुछ और भी सवाल हैं जो इस परीक्षा के बाद सामने आये हैं ,,,,कुछ परीक्षा देने वाले छात्रों ने कई शंशय इस परीक्षा पर जताये हैं,,,इन युवाओं की कुछ और शंकाएं हैं जो इस परीक्षा ही नहीं इस पुरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा कर रही हैं,,,
अब इस पुरे घटनाक्रम के बाद बेरोजगार संघ के आह्वाहन पर देहरादून की सड़कों पर एक बार फिर सरकार और आयोग के खिलाफ युवाओं की भारी भीड़ जमा है ,,,,पुलिस ने इस पुरे इलाके में धारा 163 लागू की,,,लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में युवा यहां पहुंचे,,,हालत बिगड़े नहीं इसके लिए कई जगहों से आ रहे युवाओं को रास्ते में भी रोका गया,,,,बावजूद इसके युवाओं की भारी भीड़ देहरादून में जमा हो गयी,,,हालाँकि पिछली बार से सबक लेते हुए पुलिस इस बार काफी सतर्क दिखाई दे रही है ,,,संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल के साथ पेपर लीक से गुस्साए प्रदेश भर के युवा देहरादून के परेड मैदान में डटे हुए हैं। बेरोजगार संघ ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करने की मांग रखी है।उनकी साथ ही मांग है कि 21 सितंबर को होने वाली परीक्षा को स्थगित किया जाए।पूर्व में इसके लिए मुख्यमंत्री से लेकर आयोग के अध्यक्ष से भी संघ के पदाधिकारियों ने मुलाकात की थी। लेकिन युवाओं की इस बात को पूरी तरह से अनदेखा किया गया।सिर्फ देहरादून ही नहीं कुमाऊं के हल्द्वानी में भी युवा इसके खिलाफ एकत्र हुए,,,,
बेरोजगार युवा परेड ग्राउंड में सोमवार सुबह से अभी तक डटे हुए हैं,,, सड़क पर ही रात गुजार रहे हैं ,,वहीँ चूल्हा जला खाना भी खा रहे हैं ,, मतलब एक बार फिरसे युवाओं ने खूँटा गाड़ दिया है अपनी मांगों को लेकर ,,,वैसे इसे इस प्रदेश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि प्रदेश का भविष्य सड़कों पर सोने को मजबूर हो गया है,,, जब प्रदेश के लोग अपने घरों में चैन की नींद सोये हुए हैं ,,ये युवा उन्हीं के बच्चों के भविष्य के लिए सड़कों पर ,सर के नीचे ईंट पत्थर को तकिया बना खुले में सोये हुए हैं , इन युवाओं के जज्बे को सलाम जरूर किया जाना चाहिए ,,,
ऐसे में हमारी भी प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपील है की वो निष्पक्ष रूप से प्रदेश के भविष्यकर्ता युवाओं के दोषियों को ऐसी सजा दिलवाएं की अगली बार कोई माफिआ कैसा भी हो ,,,वो हिम्म्मत न कर सके प्रदेश के भविष्य से खिलवाड़ करने की ,,
इस मुद्दे पर तेज़ तर्रार पत्रकार और प्रदेश गठन कीलड़ाइ में शामिल रहे आंदोलनकारी गजेंद्र रावत की कलम भी गरज़ पड़ी है ,, गजेंद्र तीखा व्यंग करते हुए लिखते हैं कि पेपर लीक नहीं हुआ… बस एक सेंटर से तीन पेज टहलने निकल गए ठीक वैसे ही जैसे नैनीताल में जिला पंचायत सदस्य किडनैप नहीं हुए… वो तो बस घूमने-फिरने गए थे ,,,दरअसल असल में समस्या पेपर या नेताओं की नहीं है, समस्या जनता की याददाश्त की है…क्योंकि इस प्रदेश में हर बार नई पैकिंग में वही पुराना सामान बिक ही जाता है,और खरीदार भी जनता ही होती है,,,, उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों से हजारों लोगों ने सिर्फ इसलिए पलायन किया कि उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले और उनका बच्चा भी कॉम्पिटेटिव एक्जाम में बैठने लायक बन जाए । अपना पेट काटकर बच्चों को प्ले ग्रुप से लेकर 12वीं तक पढाने के बाद अपना तन मन धन झोंककर बच्चों को कोचिंग दिलवाई उन्हें परीक्षा में पास करने लायक भी बनाया की वो इस लायक बन सके की प्रतियोगी परीक्षा पास कर सके ,,, लेकिन हाकम सिंह जैसे अपराधियों ने योग्य बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते हुए 12 से 15 लाख रुपए में पेपर खरीदने वालों को नौकरियां बेचने का काम कर दिया ,, वो भी फिर से,,,
यह सिर्फ किसी बच्चे के सपने खत्म होने का मसला नहीं है बल्कि सरहद पर बैठे उस फौजी के साथ भी बहुत बड़ी धोखाधड़ी है जिसने अपने बच्चों को इस आस के साथ पढ़ने के लिए शहरों में भेजा है कि कल के दिन उसका बच्चा किसी लायक बन जाएगा,,,,,18 से 20 साल तक किसी परिवार की मेहनत, उसके बच्चे की लगन, उसका पैसा सब कुछ हाकम सिंह जैसों के सामने सरेआम बिकने लग जाए तो ऐसे हाकम सिंह को जेल से बाहर ही क्यों आने दिया जाए , ,जिस देहरादून की गलियों में कभी जाकर देखिए किस प्रकार गरीब के बच्चे परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं.कभी उन लाइब्रेरी में जाकर देखिए जहाँ एक वक्त का खाना खाकर बहुत सारे बच्चे इस आस में पढ़ने के लिए बैठे होते हैं कि इस बार तो पेपर पास हो ही जाएगा. ऐसे प्रतिभावान बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करना किसी भी बड़े अपराद से कम नहीं हो सकता ,,,,
उत्तराखंड के 70 विधायक और आठ सांसदों से यह पूछा जाना चाहिए कि तुम अपने बच्चों को क्यों बेहतरीन स्कूलों में पढ़ा रहे हो?इसलिए ना कि कल के दिन तुम्हारे बच्चे किसी लायक बन जाए अगर तुम्हारे बच्चों के भविष्य के साथ हाकम सिंह जैसे अपराधी आज सरेआम इतने बड़े अपराध को अंजाम दे रहे हैं तो तुम्हारा विधायक और सांसद होना क्या मायने रखता है?
यह सवाल उन अधिकारियों कर्मचारी और समाज के हर उस व्यक्ति से भी है कि जो अपने बच्चों को अच्छा भविष्य दिलाना चाहते हैं
गजेंद्र लिखते हैं कि आखिरकार इतना बड़ा भारी भरकम नकल विरोधी कानून आने के बावजूद हाकम सिंह जैसी ताकत जिंदा क्यों है?
अंत में एक बात तो साफ़ है कि सरकार को सख्ती और बरतनी होंगी ,युवाओं की आवाज़ को गंभीरता से सुन्ना होगा ,,और नक़ल माफिआ हाकम सिंह ,झूठा रॉब ग़ालिब कर लोगों के पैसे ऐंठने वाले हिमांशु चमोली ,सत्ता की लालसा में अपनी बेटी का सौदा करने वाली अनामिका शर्मा और चन्दन मनराल जैसे प्रदेश पर लगे धब्बों को पूरी ताकत से न केवल मिटाना होगा ,, बल्कि इंच बराबर भी ऐसे ककरोज़ फिर से न पनप पाएं उसके लिए मजबूत तरीके से पुलिसिया पेस्ट कण्ट्रोल करना होगा ,,,धामी जी आपको अपने नेताओं अधिकारिओं में से उनकी पहचान भी करनी होगी जो ऐसे गंदे कृत्य में शामिल हैं ,, उनको भी सलाखों के पीछे पहुंचाने की जिम्मेदारी आपकी ही है
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार समारोह में बोर्ड परीक्षाओं में शीर्ष 10 स्थान प्राप्त करने वाले हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के 75 मेधावी छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया.
समारोह के दौरान संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में जहां एक ओर, 226 विद्यालयों को पीएम श्री विद्यालय के रूप में विकसित किया जा रहा है, वहीं सभी 13 जनपदों के 1300 विद्यालयों में वर्चुअल कक्षाएं भी संचालित की जा रही हैं। साथ ही, दूरस्थ क्षेत्रों तक बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए 5-पीएम ई-विद्या चैनल भी संचालित किए जा रहे हैं।
धामी ने कहा कि राज्य के सभी राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों में कक्षा एक से 12 तक के सभी विद्यार्थियों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें भी उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा उत्तराखंड के सरकारी और अशासकीय स्कूलों के छठवीं से 12वीं कक्षा तक के मेधावी छात्र-छात्राओं को, मुख्यमंत्री मेधावी छात्र प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना के माध्यम से प्रत्येक माह छात्रवृत्ति भी प्रदान की जा रही है, राज्य के बच्चों के व्यक्तित्व विकास के उद्देश्य से प्रत्येक विकासखंड के 10वीं और 12वीं के मेधावी छात्रों को भारत भ्रमण पर भी भेजा जा रहा है।मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा, संघ लोक सेवा आयोग, एनडीए, सीडीएस आदि की लिखित परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को साक्षात्कार की तैयारी के लिए 50 हजार रुपए की वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है।
एक शिकायत के आधार पर अराजकता का प्रयास –
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नकल माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए उत्तराखंड में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। उनकी माने तो चार वर्षों में राज्य के 25 हजार से अधिक युवाओं का चयन सरकारी नौकरी में हुआ है,जबकि राज्य बनने के शुरुआती 21 साल में कुल 16 हजार नियुक्तियां ही हुई थी।
सख्त नकल विरोधी कानून के लागू होने के बाद से अब तक 100 से अधिक नकल माफियाओं को सलाखों के पीछे पहुंचाने का काम किया जा चुका है। धामी ने कहा कि कुछ लोगों को पारदर्शिता के साथ युवाओं का सरकारी नौकरियों में जाना रास नहीं आ रहा है। इसलिए कुछ लोग युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेलने के लिए संगठित रूप से पेपर लीक का षड्यंत्र रच रहे हैं। हाल ही में राज्य में पेपर लीक कराने का असफल प्रयास किया गया, सिर्फ एक जगह की शिकायत के आधार पर अराजकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के मामलों के लिए पहले से ही सख्त कानून बना है, जिससे इस प्रकरण में सख्ती से कार्यवाही की जाएगी।
एक – एक नकल माफिया को करेंगे गिरफ्तार-
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल में सामने आई परीक्षा गड़बड़ी की जांच के लिए एक एसआईटी गठन का निर्णय लिया है। एसआईटी जांच के आधार पर इस मामले में निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। सरकार राज्य में एक-एक नकल माफिया को चुन-चुन कर गिरफ्तार कर, सजा दिलवाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने शपथ लेने के बाद ही संकल्प लिया था कि रिक्त पदों को प्राथमिकता पर भरा जाएगा। इसके बाद रिकॉर्ड भर्तियां हुई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीबीआई जांच के जरिए भर्ती प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि सरकार का उद्देश्य पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ भर्ती करना है। सरकार भर्ती में देरी के कारण किसी भी युवा के साथ अन्याय नहीं होने देगी।
कार्यक्रम में सम्मलित उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि इस साल बोर्ड परीक्षा में प्रथम श्रेणी से पास होने वाले छात्र- छात्राओं की संख्या 18 प्रतिशत बढ़ी है। अब अंक सुधार परीक्षा भी हो रही है, इससे छात्र- छात्राओं पर परीक्षा को लेकर रहने वाला दवाब कम हुआ है।
उत्तराखण्ड सूचना आयोग ने विधानसभा सचिवालय में आरटीआई से जुड़े पत्रों के रखरखाव और कार्रवाई में गंभीर लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया है। मुख्य सूचना आयुक्त राधा रतूड़ी ने निर्दलीय विधायक उमेश कुमार के दल बदल कानून के उल्लंघन से जुड़ी अपील (संख्या 42977/2025-26) की सुनवाई करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि विभागीय अपीलीय अधिकारी (उप सचिव, विधानसभा सचिवालय) एक माह के भीतर अपीलार्थी को पूर्ण सूचना उपलब्ध कराएं और प्रथम अपील का विधिवत निस्तारण करें।
मामला जन संघर्ष मोर्चा से जुड़े जयपाल सिंह की अपील से जुड़ा था। जिन्होंने निर्दलीय विधायक के दल बदल कानून के उल्लंघन सम्बन्धी याचिका पर विधानसभा सचिवालय से सूचना मांगी थी।
अपीलार्थी ने बताया कि उनका पत्र पंजीकृत डाक से भेजा गया था, लेकिन सचिवालय की ओर से दावा किया गया कि पत्र प्राप्त ही नहीं हुआ। आयोग ने इसे गंभीर व आपत्तिजनक मानते हुए कहा कि सचिवालय में आरटीआई आवेदनों और प्रथम अपीलों का समुचित रखरखाव नहीं हो रहा है।
मुख्य सूचना आयुक्त राधा रतूडी ने सचिव, विधानसभा सचिवालय को निर्देशित किया है कि प्रकरण की जांच करें और भविष्य में आरटीआई से संबंधित आवेदनों एवं प्रथम अपीलों के निस्तारण के लिए सुदृढ़ नियमावली तैयार कर संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दें। साथ ही की गई कार्रवाई की सूचना आयोग को भी भेजी जाए।
स्पीकर की रहस्यमय चुप्पी- मोर्चा
जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने आरोप लगाया कि खानपुर विधायक उमेश कुमार के दल-बदल मामले में विधानसभाध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने बचाव की भूमिका निभाई। इस प्रकरण का खुलासा मुख्य सूचना आयुक्त राधा रतूड़ी ने जन संघर्ष मोर्चा के जयपाल सिंह की अपील पर हुई सुनवाई के दौरान भी हुआ।
नेगी ने बताया कि ढाई से तीन वर्ष तक याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने पंजीकृत डाक से विधानसभा अध्यक्ष एवं सचिव को कार्रवाई हेतु पत्र भेजे, लेकिन विधानसभा सचिवालय ने मौखिक निर्देशों और दबाव में आकर पत्रों के सचिवालय तक न पहुंचने का हवाला दिया। यह दर्शाता है कि पूरा मामला दबाने की कोशिश की गई।
मुख्य सूचना आयुक्त ने सुनवाई में विधानसभा सचिवालय की लापरवाही को गंभीर मानते हुए उपसचिव और सचिव को समुचित जांच तथा अनुरोध पत्रों/अपीलों के निस्तारण के निर्देश दिए।
नेगी ने कहा कि हैरानी की बात है कि जिस विधायक पर ब्लैकमेलिंग, जालसाजी, यौन शोषण और संपत्ति हड़पने जैसे गंभीर आरोप हों, ऐसे विधायक का बचाव विधानसभाध्यक्ष क्यों कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले ने विधानसभाध्यक्ष की मिलीभगत की पोल खोल दी है।
गौरतलब है कि अप्रैल 2022 में खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया था। मई में विधानसभा में दल बदल कानून के उल्लंघन सम्बन्धी याचिका दाखिल की गई थी। लेकिन विधानसभा भर्ती घोटाले में तुरत फुरत 200 से अधिक तदर्थ कर्मियों को नौकरी से हटाने वालीं स्पीकर ऋतु खण्डूडी उमेश कुमार के मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं ले पायीं।
तीन साल से अधिक समय बीतने के बाद भी विधायक उमेश कुमार की सदस्यता पर फैसला नहीं होने पर कई सवाल उठ रहे हैं।
पूर्व के सालों में भी विधानसभा स्पीकर दल बदल कानून के उल्लंघन के मामले में कई विधायकों से इस्तीफा के चुके हैं। लेकिन स्पीकर ऋतु खंडूड़ी किस दबाव में उमेश कुमार की विधायकी पर निर्णय नहीं ले पा रही है। यह भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
यहां यह भी अहम बात है कि बीते मई महीने में विस सचिवालय ने याचिकाकर्ता और विधायक को नोटिस जारी किया था। लेकिन उसके बाद क्या फैसला लिया गया। यह किसी को पता नहीं।
इधऱ, मोर्चा सदस्य जयपाल की आरटीआई पर मांगी गई सूचना पर भी विधानसभा सचिवालय ने कह दिया कि उन्हें यह पत्र मिला ही नहीं। जबकि पंजीकृत डाक से पत्र भेजा गया था।
इधऱ, जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ नेगी ने कहा कि दल बदल कानून के उल्लंघन पर चुप्पी ओढ़ने वालीं स्पीकर ऋतु खंडूरी के इस्तीफे तक मोर्चा चुप बैठने वाला नहीं है।
स्पीकर नहीं लें समय पर फैसला तो लोकतंत्र को होगा नुकसान” – सुप्रीम कोर्ट
देश की सर्वोच्च अदालत ने विधायकों और सांसदों की अयोग्यता याचिकाओं में समय-बद्धता न बरतने वाले स्पीकरों की प्रक्रिया पर कड़ी नाराज़गी जताई है। जुलाई 2025 के इस आदेश से हलचल मच गई ।
चीफ जस्टिस बी.आर. गवई एवं जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच की तल्ख टिप्पणी और स्पीकर को तीन महीने में निर्णय लेने के आदेश के बाद हलचल मच गई
सुप्रीम कोर्ट ने ये तीखी टिप्पणी गुरुवार 31 जुलाई 2025 को की। सर्वोच्च न्यायालय ने तेलंगाना विधानसभा के स्पीकर को दस BRS विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं का निर्णय तीन महीने के भीतर लेने का निर्देश देते हुए, गम्भीर विलंब और लोकतंत्र पर संभावित खतरों को लेकर स्पष्ट टिप्पणी कर सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया।
दक-बदल कानून के उल्लंघन का एक चर्चित मसला उत्तराखण्ड से भी जुड़ा है। इस मुद्दे पर स्पीकर ने तीन महीने ही नहीं बल्कि तीन साल से ज्यादा निकाल दिए। लेकिन कोई फैसला नहीं दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को स्टिंग मामले में नोटिस जारी ।
सीबीआई ने 2016 में बहुत चर्चित स्ट्रिंग ऑपरेशन मामले में नोटिस भेजा।
नोटिस में हरीश रावत को इसी महीने सीबीआई मुख्यालय में पेश होने को कहा गया।
स्ट्रिंग में विधायकों के खरीद फरोख्त की वीडियो हुई थी वायरल।
जिसके बाद उत्तराखंड की राजनीति में आया था भूचाल।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सीबीआई ने फिर से नोटिस भेजा है। इसकी जानकारी स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इंटरनेट मीडिया पर साझा की है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस नोटिस को ग्रहण कर लिया है। वह यह अनुरोध कर रहे हैं सितंबर में वह यात्रा करने की स्थिति में नहीं है, ऐसे में उन्हें अक्टूबर के दूसरे अथवा तीसरी सप्ताह में बुलाया जाए।
हरीश रावत के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उनके स्टिंग के बाद उन पर सीबीआई जांच चल रही है। अब उन्हें सीबीआई ने फिर नोटिस भेजा है। हरीश रावत ने इंटरनेट मीडिया पर कहा कि सीबीआई को उनकी फिर याद आई है। इससे ऐसा लगता है कि विधानसभा चुनाव आने वाले हैं।भाजपा के दोस्तों ने उन्हें चुनाव के लायक समझा है। भारत सरकार में बैठे लोग अब भी मानते हैं कि वह चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं। इसके लिए वह धन्यवाद के साथ इस नोटिस को स्वीकार कर रहे हैं।
नंदानगर में नंदाकिनी और चुफला नदी के संगम पर यह प्रक्रिया पूरी की गई जहां सुबह से एक के बाद एक जलती चिताएं देखकर हर किसी की आंखें भर आईं।
नंदानगर में आई भीषण आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है। शुक्रवार को फाली लगा कुंतरी क्षेत्र से मलबे से पांच शव और बरामद हुए हैं। अब तक इस आपदा में लापता हुए 10 लोगों में से एक व्यक्ति को सुरक्षित निकाल लिया गया है जबकि सात लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। धुर्मा गांव में अभी भी दो लोग लापता हैं जिनकी तलाश जारी है। बरामद किए गए सभी सात शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए हैं।
आपदा में जान गंवाने वाले लोगों का शुक्रवार को नम आंखों से अंतिम संस्कार किया गया। नंदानगर में नंदाकिनी और चुफला नदी के संगम पर यह प्रक्रिया पूरी की गई जहां सुबह से एक के बाद एक जलती चिताएं देखकर हर किसी की आंखें भर आईं। पूरा क्षेत्र शोक में डूबा हुआ है।
बृहस्पतिवार को नरेंद्र सिंह और जगदंबा प्रसाद के शव बरामद हुए थे। सुबह सबसे पहले नरेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार किया गया। जगदंबा प्रसाद के रिश्तेदार के न आने के कारण उनके शव को सुरक्षित रखा गया था। बाद में जब उनकी पत्नी भागा देवी का शव भी बरामद हो गया और रिश्तेदार पहुंचे तो दोनों पति-पत्नी का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। इसके बाद आपदा में मारे गए अन्य लोगों के शवों का भी संगम स्थल पर अंतिम संस्कार किया गया।
जिलाधिकारी संदीप तिवारी और पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार लगातार प्रभावित परिवारों से मिल रहे हैं और उन्हें सांत्वना दे रहे हैं। उन्होंने पीड़ितों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। जिलाधिकारी ने बताया कि सेरा-धुर्मा सड़क कई जगहों से बह गई है जिसे ठीक करने का काम चल रहा है। साथ ही पैदल मार्गों को भी बहाल किया जा रहा है ताकि प्रभावितों तक राहत सामग्री जल्दी पहुंच सके। धुर्मा गांव में हेलिकॉप्टर से फूड पैकेट और राशन किट भेजे जा रहे हैं ताकि किसी भी परिवार को भोजन या जरूरी सामान की कमी न हो।
जिलाधिकारी और एसपी ने मरिया आश्रम में बनाए गए राहत शिविर का भी निरीक्षण किया। उन्होंने वहां ठहरे लोगों के लिए भोजन और अन्य सुविधाओं की जानकारी ली और उन्हें भरोसा दिलाया कि हर जरूरी सुविधा मुहैया कराई जाएगी। जिलाधिकारी ने बताया कि सभी विभाग आपसी तालमेल से काम कर रहे हैं और सड़कों को खोलने का काम तेजी से चल रहा है। इस दौरान, एसडीएम आरके पांडे, एसडीएम सोहन सिंह रांगड, पुलिस उपाधीक्षक अमित सैनी, तहसीलदार दीप्ति शिखा और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
शुक्रवार को इनके मिले शव
– कांता देवी पत्नी कुंवर सिंह (38)।
– विकास और विशाल (10-10 साल)।
– भागा देवी पत्नी जगदंबा प्रसाद (65)
– देवेश्वरी देवी
बृहस्पतिवार को बरामद शव
– नरेंद्र सिंह पुत्र कुताल सिंह (40)।
– जगदंबा प्रसाद पुत्र ख्याली राम (70)
धुर्मा में लापता दो लोग
– गुमान सिंह पुत्र चंद्र सिंह (75)
– ममता देवी पत्नी विक्रम सिंह (38)
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी आज चमोली आपदा प्रभावित क्षेत्र नंदानगर पहुंचे। यहां वह आपदा, राहत बचाव कार्यों का स्थलीय निरीक्षण कर रहे हैं। प्रभावित क्षेत्र फाली, कुंतरी, अन्य में सीएम सर्वे करेंगे। इसके अलावा सीएम आपदा प्रभावित सभी लोगों से भी मिलेंगे।
शुक्रवार को फाली लगा कुंतरी क्षेत्र से मलबे से पांच शव और बरामद हुए हैं। अब तक इस आपदा में लापता हुए 10 लोगों में से एक व्यक्ति को सुरक्षित निकाल लिया गया है जबकि सात लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। धुर्मा गांव में अभी भी दो लोग लापता हैं जिनकी तलाश जारी है। बरामद किए गए सभी सात शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए हैं।आपदा में जान गंवाने वाले लोगों का शुक्रवार को नम आंखों से अंतिम संस्कार किया गया। नंदानगर में नंदाकिनी और चुफला नदी के संगम पर यह प्रक्रिया पूरी की गई जहां सुबह से एक के बाद एक जलती चिताएं देखकर हर किसी की आंखें भर आईं। पूरा क्षेत्र शोक में डूबा हुआ है।
बृहस्पतिवार को नरेंद्र सिंह और जगदंबा प्रसाद के शव बरामद हुए थे। सुबह सबसे पहले नरेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार किया गया। जगदंबा प्रसाद के रिश्तेदार के न आने के कारण उनके शव को सुरक्षित रखा गया था। बाद में जब उनकी पत्नी भागा देवी का शव भी बरामद हो गया और रिश्तेदार पहुंचे तो दोनों पति-पत्नी का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। इसके बाद आपदा में मारे गए अन्य लोगों के शवों का भी संगम स्थल पर अंतिम संस्कार किया गया।
यह बात कोई नई नहीं है कि प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन उससे जानमाल के नुकसान को कम जरूर किया जा सकता है। यह कैसे करना है, इस बात को भी हमारे विज्ञानी और नियोजन के विशेषज्ञ चीख-चीख कर लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि प्रकृति के रास्ते में नहीं आना है। लेकिन, लगता है कि राजधानी दून में ही आपदा से बचे रहने का सबसे बड़ा सबक हम भूल गए हैं।
सोमवार रात को हुई अतिवृष्टि और सहस्त्रधारा क्षेत्र में दो जगह फटे बाद के जो हालात पैदा हुए, उससे साफ हो गया कि नदियों का गला घोंटने का अंजाम कितना खतरनाक हो सकता है। दून में नदी क्षेत्रों में धड़ल्ले से किए गए अतिक्रमण की खतरनाक स्थिति सेटेलाइट चित्रों में भी समाने आई है। जिसमें दिख रहा है कि काठबंगला क्षेत्र में रिस्पना नदी की भूमि वर्ष 2003 से 2018 के बीच में किस कदर जमकर अतिक्रमण किए गए।
वरिष्ठ भूविज्ञानी और एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में भूविज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. एमपीएस बिष्ट ने राज्य गठन के महज तीन साल बाद और इसके 15 साल बाद 2018 के चित्रों का अध्ययन किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो काठबंगला क्षेत्र वर्तमान में अतिक्रमण से पूरी तरह भर चुका है, वहां वर्ष 2003 में रिस्पना नदी के दोनों किनारे पूरी तरह खाली थे।
इसके साथ ही दोनों किनारों पर जंगलनुमा एक पूरा क्षेत्र था। वहीं, महज 15 साल बाद 2018 में सेटेलाइट चित्र में रिस्पना नदी बमुश्किल नजर आ रही है। सेटेलाइट चित्र में दोनों छोर पर घनी बस्तियां और भवन नजर आ रहे हैं। इसके अलावा 15 साल पहले का जंगलनुमा भाग 95 प्रतिशत तक गायब हो चुका है।
देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदी क्षेत्रों में अतिक्रमण की बाढ़ पर मनमोहन लखेड़ा बनाम राज्य में नैनीताल हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया था। अतिक्रमण पर कार्रवाई करने के आदेश के बाद सरकारी मशीनरी हरकत में भी आई थी। तब उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) ने इसरो के माध्यम से अमेरिकी कंपनी मैक्सर से शहर के सभी 60 वार्डों (अब बढ़कर संख्या 100) के सेटेलाइट चित्र मंगाए थे।
यह चित्र प्रत्येक छह माह के अंतर में अतिक्रमण की स्थिति को बयां करने वाले थे। उस समय कुल 2100 सेटेलाइट चित्र मंगाए गए थे। हालांकि, अतिक्रमण पर न तो कार्रवाई की गई और न ही चित्रों के आधार पर अतिक्रमण की भयानक स्थिति को बाहर आने दिया गया। यह चित्र वर्तमान में भी यूसैक कार्यालय में डंप पड़े हैं।
सांसद अनिल बलूनी व विधायक विनोद कंडारी के वाहन के देवप्रयाग डिग्री कॉलेज के निकट पहाड़ी से अचानक हुए भूस्खलन की चपेट में आने से बाल-बाल बच गए। दोनों वाहन से देवप्रयाग में आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने आ रहे थे। इसी दौरान डिग्री काॅलेज के निकट पहाड़ी से अचानक भूस्खलन हो गया। जिससे उनका वाहन मलबे मेें फंस गया।
गनीमत रही कि पहाड़ी से गिरे मलबे से कोई चोटिल नहीं हुआ। इसके बाद सांसद बलूनी तहसीलदार के वाहन से देवप्रयाग तक पहुंचे। यहां सभी कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद वह प्राइवेट वाहन से देहरादून के लिए रवाना हुए। उनके सरकारी वाहन को निकालने के लिए एनएच की ओर से मलबा हटाने का कार्य शुरू कर दिया गया था।
भीषण प्राकृतिक आपदा से गुजर रहा उत्तराखंड
सांसद अनिल बलूनी ने कहा कि उत्तराखंड में इस वर्ष आई भीषण अतिवृष्टि और भूस्खलन ने इतने गहरे घाव दिए हैं, जिन्हें भरने में बहुत समय लगेगा। कल शाम आपदा प्रभावित क्षेत्र में भूस्खलन का एक भयावह दृश्य आप सभी के साथ साझा कर रहा हूं। यह दृश्य स्वयं बता रहा है कि हमारा उत्तराखंड इस समय कितनी भीषण प्राकृतिक आपदा से गुजर रहा है।
उन्होंने कहा कि ‘मैं बाबा केदारनाथ से सभी लोगों के सुरक्षित जीवन, अच्छे स्वास्थ्य एवं खुशहाली की मंगलकामना करता हूं। आपदा की इस घड़ी में जन जन की सेवा में लगे सभी अधिकारियों, एनडीआरएफ-एसडीआरएफ के जवानों, प्रशासन और कठिन परिस्थितियों में भी सड़कों से मलबा हटाने वाले कर्मचारियों के सेवाभाव की सराहना करता हूं।’