Author: Pravesh Rana

हर साल दो लाख से अधिक भारतीय छोड़ रहे हैं नागरिकता

6 Minutes Read -

18 लाख से अधिक भारतीय नागरिकों ने वर्ष 2011 से 2023 तक 13 वर्षों में अपनी भारतीय नागरिकता छोड़कर अन्य देशों की नागरिकता प्राप्त की हैं। वर्ष 2022 तथा 2023 में तो यह दर प्रतिवर्ष दो लाख नागरिकों से भी अधिक हैं। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) को विदेश मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ हैं।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने विदेश मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी से भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशों की नागरिकता प्राप्त करने वालांे की संख्या की सूचना चाही थी। इसके उत्तर में विदेश मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी/अवर सचिव तरूण कुमार ने अपने पत्रांक 551 से उत्तर उपलब्ध कराया है। जन सूचना अधिकारी ने राज्यसभा में कपिल सिब्बल तथा डा0 जोहन बिट्स के प्रश्नों के उत्तर में जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होने को लिखित करते हुये उसका इंटरनेट लिंक उपलब्ध कराया है।

नदीम द्वारा उक्त लिंक से सांसदों के प्रश्नों के उत्तर डाउनलोड करने पर वर्ष 2011 से 2023 तक भारत की नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या प्रकाश में आयी है।

नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2022 में पिछले 13 वर्षों में सर्वाधिक 2,25,620 भारतीय नागरिकों ने अपनी भारतीय नागरिकता स्वेच्छा से छोड़ी है। दूसरे स्थान पर वर्ष 2023 में 2,16,219 भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ी हैं। पिछले 13 वर्षों में सबसे कम नागरिकता छोड़ने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या 85256 वर्ष 2020 में रही हैं।
वर्ष 2011 में 1,22,819, वर्ष 2012 में 120,923, वर्ष 2013 में 1,31,405, वर्ष 2014 में 1,29,328, वर्ष 2015 में 1,31,489, वर्ष 2016 में 1,41,603, वर्ष 2017 में 1,33049, वर्ष 2018 में 134561, वर्ष 2019 में 1,44017, वर्ष 2020 में 85256, वर्ष 2021 में 163370, वर्ष 2022 में 225620, वर्ष 2023 में 2,16,219 भारतीय नागरिकों ने स्वेच्छा से अपनी भारतीय नागरिकता त्याग दी है।

विदेश मंत्रालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार भारतीय नागरिकता छोड़कर विश्व के 135 देशों की नागरिकता इन व्यक्तियों द्वारा प्राप्त की गयी है। जिन देशों की नागरिकता भारतीय नागरिकता छोड़कर भारतीयों द्वारा प्राप्त की गयी है उनमें जहां पड़ोसी देश, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका शामिल है, वहीं विकसित माने जाने वाले देश यू के, यू.एस.एस. रूस, चीन, इटली, फ्रांस, जर्मनी व जापान तथा आर्थिक सम्पन्न वाले देशों में इराक, इरान, इटली, तुर्की, यमन, जम्बिया, कज़ाकश्तान, केनिया, मलेशिया, मालद्वीव, ओमान, कतर, सऊदी अरब, साउथ अफ्रीका, सुडान देश भी शामिल है।

 

पीसीएस…उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने प्री परीक्षा परिणाम की गलती मुख्य परीक्षा में भी दोहराई

33 Minutes Read -

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने पीसीएस प्री परीक्षा के परिणाम में जो गलतियां की थीं, उन्हें भी मुख्य परीक्षा परिणाम में दोहरा दिया। इस कारण पूरी गड़बड़ी हुई। आखिरकार आयोग ने इस तकनीकी त्रुटि को दूर करते हुए अर्हता के हिसाब से चयनित अभ्यर्थियों का संशोधित परिणाम जारी किया है। इसमें सभी गड़बड़ियां दुरुस्त कर ली गई हैं।

 

आयोग ने पीसीएस प्री परीक्षा का परिणाम 23 दिसंबर 2024 को जारी किया था। इसमें परिवीक्षा अधिकारी (महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग) के पद के लिए 12 अभ्यर्थियों को क्वालिफाई घोषित किया गया था। इनके रोल नंबर 107132, 119742, 120925, 144302, 146609, 162271, 176078, 186453, 219236, 219819, 238736, 245207 हैं। जब मुख्य परीक्षा परिणाम आया तो आयोग ने इनमें से 162439, 182463 और 197739 को सफल घोषित किया।

 

अभ्यर्थियों ने आयोग के सामने सवाल उठाया
परिवीक्षा अधिकारी प्री परीक्षा की संशोधित कटऑफ 95.9854 अंक थी। जो तीन अभ्यर्थी इस पद के लिए प्री परीक्षा में आयोग ने सफल घोषित किए थे, उनमें से एक के अंक 81.2988, दूसरे के 82.3486 और तीसरे के अंक 91.7894 थे। आयोग ने प्री परीक्षा परिणाम में कटऑफ और अर्हता से कम वाले अभ्यर्थियों को परिवीक्षा अधिकारी के पदों के लिए सफल घोषित किया।

इस गलती को आगे बढ़ाते हुए आयोग ने इस साल 29 नवंबर को मुख्य परीक्षा परिणाम में इन कम कटऑफ वाले तीन अभ्यर्थियों को ही परिवीक्षा अधिकारी पद के लिए सफल घोषित किया। जब इस पर कुछ अभ्यर्थियों ने आयोग के सामने सवाल उठाया तो आयोग ने इसकी जांच पड़ताल की। तब खुलकर यह गलती समझ आई।

 

सोमवार को मुख्य परीक्षा का जो संशोधित परिणाम जारी हुआ, उसमें पूर्व के तीनों अभ्यर्थियों(162439, 182463 और 197739) को आयोग ने परिवीक्षा अधिकारी से हटाकर समेकित पदों के परिणाम में शामिल कर दिया। जबकि इनकी जगह तीन नए अभ्यर्थियों 162271(प्री में 100.1814 अंक), 219236(प्री में 95.9854 अंक), 245207(प्री में 99.6560) को मुख्य परीक्षा में सफल घोषित किया गया है। इन सभी के अंक प्री परीक्षा की कटऑफ 95.9854 से अधिक हैं और पद के हिसाब से पात्रता भी रखते हैं।

चार से बदलेगा मौसम, बारिश-बर्फबारी के आसार, प्रदेश भर में सूखी ठंड कर रही परेशान

22 Minutes Read -

दो महीने से शुष्क मौसम का सीधा असर तापमान में देखने को मिल रहा है। सुबह-शाम के तापमान में बड़ा अंतर है लेकिन सामान्य तापमान में गिरावट नहीं हो रही है। इस कारण प्रदेश भर में सूखी ठंड परेशान कर रही है।आंकड़ों में नजर डाले तो सोमवार को दून का अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री इजाफे के साथ 25 डिग्री और न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री गिरावट के साथ 7.8 दर्ज किया गया। इसके उलट पर्वतीय जिले नई टिहरी में दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री इजाफे के साथ 20.6 और रात का न्यूनतम तापमान भी सामान्य से पांच डिग्री बढ़ोतरी के साथ 9.3 डिग्री रिकॉर्ड किया गया।

 

उधर मुक्तेश्वर का भी हाल कुछ ऐसा ही रहा। यहां दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री ज्यादा 21.3 और न्यूनतम तापमान भी सामान्य से पांच डिग्री अधिकतम के साथ 9.3 रहा। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अक्तूबर से ही प्रदेश भर में अच्छी धूप खिल रही है। यही वजह है कि दिन के साथ अब रात के न्यूनतम तापमान भी इजाफा देखने को मिल रहा है। आने वाले दिनों की बात करें तो तीन दिसंबर तक प्रदेश भर में मौसम शुष्क रहेगा।

 

उत्तराखंड में लंबे समय से बारिश-बर्फबारी का इंतजार है। ऐसे में मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार चार दिसंबर से मौसम बदल सकता है। उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिले के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश होने के आसार हैं। जबकि 3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी भी होने की संभावना है। ऐसा ही मौसम प्रदेश भर में सात दिसंबर तक रहने के आसार हैं।

संसद में उठाया टिहरी झील क्षेत्र परियोजना से संबंधित विकास कार्यों का सवाल

21 Minutes Read -

हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ ही टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह समेत दो अन्य सांसदों ने आज संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन टिहरी झील क्षेत्र परियोजना से संबंधित विकास कार्यों को लेकर केंद्र सरकार से सवाल उठाए।

सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रश्नकाल के दौरान सरकार से सवाल किया कि उत्तराखंड के टिहरी झील क्षेत्र परियोजना में 126. मिलियन डालर की सतत, समावेशी और जलवायु अनुकूल पर्यटन विकास के तहत किए जा रहे बुनियादी ढांचे और विकास कार्यों का ब्यौरा क्या है। यह भी सवाल किया कि इस परियोजना से कितने निवासियों और पर्यटकों को लाभ मिलने का संभावना है। भूस्खलन और बाढ़ जोखिमों को कम करने के लिए संस्थागत सुद्ढीकरण, आपदा की तैयारी और प्रकृति आधारित समाधानों को अपनाने के लिए लागू की गई प्रमुख पहले क्या हैं। सरकार द्वारा परियोजना के तहत समावेशिता और सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने और महिलाओं के नेतृत्व वाली आपदा प्रबंधने पहलों का सहयोग करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

इस सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि एडीबी और भारत सरकार ने टिहरी झील परियोजना में सतत, समावेशी और जलवायु अनुकूल पर्यटन विकास के लिए 10 सितंबर, 2025 को 126.4 मिलियन अमेरिकी डालर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड राज्य के टिहरी गढवाल जिले के टिहरी झील क्षेत्र में आजिविका, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु प्रतिरोधी पर्यटन के विकास में सहायता करना है। यह उत्तराखंड सरकार की राज्य क्षेत्र की परियोजना है। राज्य सरकार के अनुरोध पर ही भारत सरकार द्वारा एडीबी के साथ ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। परियोजना का पूरी तरह से रखऱखाव राज्य सरकार कर रही है।

एसआईआर…2003 की मतदाता सूची जारी, 18 विधानसभा सीटें आज अस्तित्व में नहीं, नाम खोजना चुनौती

49 Minutes Read -

चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए उत्तराखंड की वर्ष 2003 की मतदाता सूची तो जारी हो गई लेकिन इसमें नाम खोजना आसान नहीं है। प्रदेशभर में उस वक्त 18 विधानसभा सीटें ऐसी थीं, जो आज अस्तित्व में ही नहीं हैं। परिसीमन के बाद इनके नाम और क्षेत्र बदल गए थे।

एसआईआर के लिए वर्ष 2003 की मतदाता सूची से मिलान किया जाना है। आपका वोट 2003 में था या नहीं, इसके लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी देहरादून कार्यालय ने वेबसाइट ceo.uk.gov.in पर वर्ष 2003 की मतदाता सूची जारी कर दी है। नई पीढ़ी के मतदाता जब यहां देहरादून की धर्मपुर व रायपुर, चमोली की थराली, पौड़ी की चौबट्टाखाल, नैनीताल की लालकुआं व भीमताल, ऊधमसिंह नगर की कालाढूंगी सीट की तलाश करेंगे तो उन्हें नहीं मिलेगी। वर्ष 2003 में ये विधानसभा सीटें थी ही नहीं।

राज्य गठन के बाद पहला परिसीमन वर्ष 2002 में हुआ था, जिसमें राज्य में विधानसभा की 70 और लोकसभा की पांच सीटें तय हुई थीं। 2003 की मतदाता सूची में भी इन्हीं सीटों का जिक्र है। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर जब वर्ष 2008 में परिसीमन हुआ तो उत्तराखंड की विधानसभा, लोकसभा सीटों की संख्या तो नहीं बदली लेकिन 18 सीटों का वजूद खत्म हो गया था। इसके बजाय नए नाम से सीटें आ गई थीं। वर्तमान मतदाता जब नए नाम को सर्च करेंगे तो उन्हें 2003 की मतदाता सूची में इन 18 सीटों के नाम नहीं मिलेंगे।

2003 और 2025 में ये हुआ बदलाव

चमोली जिले में नंद्रप्रयाग व पिंडर के नाम से विस सीट थीं, जिनकी जगह अब थराली नाम से सीट है। देहरादून जिले में लक्ष्मणचौक व देहरादून के नाम से सीट थी, अब धर्मपुर, रायपुर व देहरादून कैंट के नाम से है। हरिद्वार जिले में इकबालपुर, लंढौरा, बहादराबाद, लालढांग के नाम से सीट थीं, अब इनकी जगह भेल रानीपुर, ज्वालापुर, झबरेड़ा, पिरान कलियर, खानपुर व हरिद्वार ग्रामीण के नाम से है। पौड़ी जिले में धूमाकोट, बीरोंखाल, थलीसैंण के नाम से सीट थीं, अब इनकी जगह चौबट्टाखाल नाम से है। पिथौरागढ़ में कनालीछीना और अल्मोड़ा में भिकियासैंण के नाम से सीट थीं, जो अब नहीं हैं। नैनीताल में मुकतेश्वर व धारी के नाम से सीट थीं, अब लालकुआं, भीमताल व कालाढूंगी के नाम से हैं। यूएसनगर में पंतनगर-गदरपुर, रुद्रपुर-किच्छा के नाम से सीट थीं, जो खत्म हो गईं और इनकी जगह गदरपुर, रुद्रपुर, किच्छा व नानकमत्ता के नाम से सीट है।

वेबसाइट पर पुराने वोटर आईडी या एडवांस सर्च करें

निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर आप 2003 की वोटर लिस्ट में अपना नाम पुराने वोटर आईडी कार्ड के इपिक नंबर से सर्च कर सकते हैं। अगर वो नहीं है तो आप एडवांस सर्च में जाकर अपना नाम, पिता का नाम, पोलिंग स्टेशन का नाम, उम्र आदि की जानकारी देकर निकाल सकते हैं।

उक्रांद के उठान और ढलान का फील्ड मार्शल,अनछुए संस्मरण

50 Minutes Read -

श्रद्धांजलि- उक्रांद के उठान और ढलान का फील्ड मार्शल

राज्य आंदोलनकारी डॉ एसपी सती ने साझा किए अनछुए संस्मरण

दिवाकर भट्ट नहीं रहे। दिवाकर भट्ट से मेरी पहली मुलाकात शायद सितंबर 1994 में हरिद्वार में हुई थी। हरिद्वार में साथी मधुसूदन थपलियाल (अब अध्यापक एवं प्रसिद्ध लोक कवि), सुशील बहुगुणा (अब एनडीटीवी के सुविख्यात पत्रकार) आदि साथियों ने राज्य आंदोलन की एक रैली रखी थी जिसमें स्व. अनिल काला, प्रभाकर बाबुलकर, स्व. रणजीत भण्डारी और मुझे बतौर वक्ता बुलाया गया था। रैली हुई भी और नहीं भी हुई क्योंकि इस जनसभा में अपेक्षा से कहीं कम लोग पहुंचे थे। हमारे आयोजक साथियों का आरोप था कि इस रैली को फ्लॉप करने के लिए दिवाकर भट्ट जी ने साजिश की।

उन दिनों उक्रांद और उत्तराखंड संयुक्त छात्र संघर्ष समिति के बीच इस तरह का अविश्वास कायम था। रैली के समाप्त होते ही हम साथियों ने निर्णय लिया कि दिवाकर भट्ट जी से मिला जाए।

इत्तेफाक से वह उस दिन हरिद्वार में ही थे। हम लोग जैसे ही उनके घर पहुंचे, उन्होंने गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया। और ज़िद की कि खाना खाकर जाएंगे। भाभी ने स्वादिष्ट खाना बनाया। उस दिन एक तरह से हमारे संबंधों की आइस ब्रेकिंग हुई। जानते हमको वह भी थे और हम भी उनके नाम से खासे परिचित थे, परंतु मुलाकात की कोशिश न उधर से कभी हुई और न हमारी तरफ से ही।

खैर उस दिन के बाद दिवाकर भट्ट जी से आंदोलन के सिलसिले में मुलाकातें होती रहीं। उन दिनों उक्रान्द में गहरे मतभेद चल रहे थे जिसके चलते कुछ दिनों बाद दिवाकर भट्ट जी को पार्टी से निष्काषित किया गया।

लिहाजा बीच आंदोलन में उक्रांद दो फाड़ हो गई। एक बन गया काशी सिंह ऐरी गुट और दूसरा पूरन सिंह डंगवाल गुट। दिवाकर भट्ट जी डंगवाल गुट के हो गए। अब आंदोलन के बड़े कार्यक्रम देने की बारी थी। दिवाकर भट्ट जी ने इसके लिए श्रीयंत्र टापू को चुना।

सितंबर 1995 में दो आंदोलनकारी दौलतराम पोखरियाल और विशन सिंह पँवार को अलकनंदा नदी के बीच ऐतिहासिक श्रीयंत्र टापू में उनकी इच्छा से भूख हड़ताल पर बिठाया गया। उनका साथ देने के लिए हम भी तन मन से उस आंदोलन में श्रीयंत्र टापू में जुट गए। वहाँ हमारी दिवाकर जी से अत्यंत प्रगाढ़ता हो गई थी, जो राज्य गठन के बाद 2007 में भाजपा सरकार में उनके मंत्री बनने तक जारी रही।

यहाँ यह बताना जरूरी है कि 2002 के चुनाव में दिवाकर जी हार गए। राज्य आंदोलन में सर्वस्व न्योछावर करने के बावजूद उनके हार जाने से दुखी होकर उनकी पत्नी और हमारी भाभी ने आत्महत्या कर दी। जब हम संवेदना व्यक्त करने गए तो यह आदमी तब भी राज्य के बारे में ही बात कर रहा था।

उनसे संपर्क तब टूटा जब वह 2007 के चुनाव में जीत कर भुवंचन्द्र खन्डूरी मंत्रिमंडल में मंत्री बन गए। यह अलग मुद्दा है, जिसकी समीक्षा फिर कभी।

दिवाकर भट्ट राज्य आंदोलन के एक बड़े कालखंड के सबसे चमकते सितारे तो थे ही, उससे पहले अंशकालिक शिक्षकों के आंदोलन से लेकर कई आंदोलनों को धार देने में उनका योगदान अद्वितीय था।
यह भी सच है कि उत्तराखंड क्रांति दल राज्य की आकांक्षा का अकेला संगठन बन पाया तो उसमें दिवाकर का योगदान किसी भी नेता से अधिक प्रभावशाली रहा। वहीं दूसरी तरफ यह संगठन अगर एक कामयाब राजनैतिक दल के रूप में स्थापित न हो सका तो इसका भी सबसे अधिक श्रेय दिवाकर के कई निर्णयों को जाना चाहिए। यद्यपि इस पर बात करने का आज न तो मौका है और न ही इस संक्षिप्त लेख का उद्देश्य।

एक बात जो कल उनको अस्पताल से डिस्चार्ज करते हुए अखरी कि उक्रांद का कोई भी बड़ा नेता वहाँ मौजूद नहीं था, न ही कोई बड़ा आंदोलनकारी। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उक्रांद क्यों एक राजनैतिक दल नहीं बन सका। सब कुछ तो उनके पक्ष में है, मुद्दे, माहौल, मानसिकता, बस सोने की बिल्ली म्याऊं ही नहीं कर रही।

तुम्हें मेरी बेहद खुद वाली श्रद्धांजलि हे ! पुरोधा।
प्रणाम प्रणाम प्रणाम

मुख्यमंत्री ने सुनी किसानों की समस्या, लिया गन्ने का स्वाद

27 Minutes Read -

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मंगलवार को हरिद्वार जनपद से आए गन्ना किसानों ने मुलाकात की। किसानों ने पेराई सत्र 2025-26 के लिए गन्ना का समर्थन मूल्य घोषित करने सहित अन्य मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा।

इस मौके पर किसानों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को गन्ना भी दिया, मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ ही धूप के बीच लॉन में ही बैठकर ही गन्ना का स्वाद लिया, साथ ही किसानों की मांगों पर सकारात्मक आश्वासन दिया।

विधायक आदेश चौहान और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के नेतृत्व में मिले गन्ना किसानों ने रायसी – बालावाली पुल तक तटबंद का निर्माण, इकबालपुर झबरेड़ा भगवानपुर क्षेत्र में शुगर मिल स्थापित किए जाने, इकबालपुर झबरेड़ा क्षेत्र में सिंचाई नहर निर्माण और डोईवाला मिल पर किसानों का बकाया भुगतान कराने की मांग उठाई। किसानों ने पेराई सत्र 2025-26 के लिए राज्य परामर्शित मूल्य घोषित करने की मांग उठाई।

मुख्यमंत्री ने लॉन में बैठकर ही किसानों की मांगों को सुनते हुए, गन्ना मूल्य सहित अन्य सभी मांगों पर सकारात्मक निर्णय का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ जमीन पर बैठक गन्ना का स्वाद भी लिया। इस मौके पर विधायक प्रदीप बत्रा जिला पंचायत अध्यक्ष किरन चौधरी के साथ ही पूर्व विधायक संजय गुप्ता भी शामिल हुए।

मांस वाहन को रोकने और वाहन चालक से मारपीट के मामले में फरार भाजपा नेता स्कूटी से पहुंचे कोतवाली आत्मसमर्पण करने, कोर्ट में पेश कर भेजा जेल

34 Minutes Read -

मीट प्रकरण में फरार चल रहे भाजपा पूर्व नगर अध्यक्ष मदन जोशी स्कूटी से कोतवाली पहुंचे और आत्म समर्पण कर दिया। उधर पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया है। भाजपा नेता की गिरफ्तारी को लेकर विधायक समेत बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता कोतवाली पहुंचे। 23 अक्तूबर को मांस वाहन को रोकने और वाहन चालक से मारपीट के मामले में पुलिस ने वाहन चालक की पत्नी की तहरीर पर भाजपा नेता मदन जोशी समेत पांच नामजद व 30 अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास में मुकदमा दर्ज किया था। जिसके बाद पुलिस लंबे से भाजपा नेता की गिरफ़्तारी के प्रयास कर रहे थी।

वहीं सोमवार को भाजपा नेता की हाई कोर्ट से ज़मानत याचिका ख़ारिज होने के बाद मंगलवार सुबह मदन जोशी ने समर्पण के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड की। जिसके कुछ देर बाद बड़ी संख्या भाजपा कार्यकर्ता व समर्थक कोतवाली पहुंच गए।

उधर गिरफ्तारी को लेकर पुलिस भी भारी संख्या में तैनात की गई। इसी बीच भाजपा नेता भीड़ के बीच स्कूटी से कोतवाली पहुंचे और आत्मसमर्पण किया। कोतवाल सुशील कुमार ने बताया कि आरोपी को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया है।

चुनाव आयोग के एसआईआर के नाम पर ठगी शुरू, उत्तराखंड में कई लोगों के पास आ चुके हैं OTP

30 Minutes Read -

चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के नाम पर कई राज्यों में ठगी शुरू हो गई है। उत्तराखंड में भी इसे लेकर सतर्क रहने की अपील की गई है। साइबर पुलिस और चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि एसआईआर के लिए बीएलओ को ओटीपी की जरूरत नहीं होती है।

प्रदेश में जल्द ही एसआईआर शुरू होने वाला है। वर्तमान में पड़ोसी राज्य यूपी समेत देश के 12 राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया चल रही है। इस बीच यूपी में कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जब ठग बीएलओ या चुनाव आयोग के नाम पर फोन करके ओटीपी पूछकर खाते खाली कर रहे हैं। इससे एसआईआर को लेकर लोगों के बीच भ्रम भी बढ़ाया जा रहा है।

साइबर पुलिस भी ठगी के इस नए ट्रेंड पर नजर बनाए हुए
उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के मुताबिक, पहली बात तो ये है कि उत्तराखंड में अभी एसआईआर शुरू नहीं हुआ है। दूसरा बीएलओ को मोबाइल ओटीपी की जरूरत नहीं होती। बीएलओ आपको जो एन्म्यूरेशन फॉर्म देंगे, उसे भरकर वापस जमा कराना है। अगर आप ऑनलाइन एसआईआर भर रहे हैं तो इसमें ओटीपी की जरूरत पड़ सकती है लेकिन यह आपको खुद भरना होता है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि एसआईआर के नाम पर किसी तरह के ठगों के जाल में न आएं। उत्तराखंड की साइबर पुलिस भी ठगी के इस नए ट्रेंड पर नजर बनाए हुए हैं।

एसआईआर की जानकारी टोलफ्री नंबर से लें
अगर आपके मन में एसआईआर को लेकर कोई सवाल है। आप सीधे चुनाव आयोग के टोल फ्री नंबर 1950 पर संपर्क कर सकते हैं। आपको यहां सभी तरह की जानकारी, जरूरी दस्तावेज, एसआईआर की प्रक्रिया की पूरी जानकारी मिलेगी।

दूसरे राज्यों से शादी कर उत्तराखंड आईं बेटियों को लाने होंगे कागज, जल्द शुरू होने जा रहा है एसआईआर

123 Minutes Read -

दूसरे राज्यों से विवाह कर उत्तराखंड आईं बेटियों को मतदाता सूची में अपना वोट बचाए रखने के लिए मायके से कागज लाने होंगे। दूसरी ओर उत्तराखंड की मतदाता सूची अभी फ्रीज नहीं होने के कारण वोटर लिस्ट में नाम, पता आदि बदलाव कराए जा सकते हैं। चुनाव आयोग का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) दिसंबर या जनवरी में उत्तराखंड में भी शुरू होने जा रहा है।

 

इससे पहले मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड ने वर्ष 2003 की मतदाता सूची वेबसाइट पर जारी कर दी है। अन्य राज्यों ने भी अपनी पुरानी मतदाता सूची वेबसाइट पर जारी की हुई हैं। दूसरे राज्यों से उत्तराखंड में 2003 के बाद विवाह कर आईं बेटियों को एसआईआर के लिए अपने मायके से कागज लाने होंगे।

 

निर्वाचन विभाग के मुताबिक, यूपी समेत कई राज्यों ने 2003 की वोटर लिस्ट जारी की हुई है। उस वक्त जिनका वोट वहां था, उन्हें अपनी वोटर लिस्ट की जानकारी यहां एसआईआर में देनी होगी। जिनका वोट नहीं था, उन्हें अपने माता-पिता के संबंधित राज्य के 2003 के वोट की जानकारी यहां एसआईआर फॉर्म में देनी होगी। चूंकि यहां सभी एसआईआर शुरू होने वाला है, इसलिए पहले से ही कागज तैयार रखे जा सकते हैं।