Author: Pravesh Rana

खुद बर्फ के बवंडर से निकले, फिर लोडर किया स्टार्ट…31 जिंदगियों के लिए ऐसे देवदूत बना चालक

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माणा गांव के पास हुए हिमस्खलन के दौरान लोडर चालक (बर्फ हटाने वाला वाहन) खुद बर्फ के बवंडर से बचकर निकला और 31 मजदूरों के लिए भी देवदूत बनकर आया। लोडर चालक ने 31 मजदूरों को जब सुरक्षित जगह पहुंचाया तो इसके बाद फिर जबरदस्त हिमस्खलन हुआ लेकिन तब तक सभी लोग वहां से सुरक्षित निकल चुके थे।

माणा के पास हिमस्खलन के दौरान लोडर चालक लड्डू कुमार पंडित ने सूझबूझ का परिचय दिया। लड्डू कुमार ने बताया कि वह टिन शेड में रह रहे थे जिसमें 23 लोग थे। सुबह करीब सात बजे कोई शौचालय में था तो कोई अन्य काम में लगा हुआ था।

Chamoli Avalanche loader driver who escaped from the snow storm himself saved 31 lives

अचानक बर्फ का भारी बवंडर आया और हम सभी उसमें दब गए। वह किसी तरह बर्फ से निकले और बाहर आकर लोडर को स्टार्ट किया। तब तक अन्य लोग भी बर्फ से बाहर आ गए और सब लोडर में बैठकर आगे बढ़ने लगे। बताया कि थोड़े आगे जाने के बाद अन्य आठ लोग भी हमारे साथ आ गए।

Chamoli Avalanche loader driver who escaped from the snow storm himself saved 31 lives

जैसे ही हम कुछ दूरी पर आगे बढ़े फिर बर्फ का भयंकर बवंडर आया। यदि हम जल्दी नहीं निकलते तो सभी उसमें दब जाते।उन्होंने बताया कि कुछ आगे चलने पर सेना का खाली कैंप है जिसमें आठ लोगों को ठहराया और फिर हम 23 लोग शेष नेत्र आश्रम पहुंचे। यहां चार से पांच फीट बर्फ थी। यहां से बर्फ हटाई गई और आश्रम का ताला तोड़कर अंदर गए।

Chamoli Avalanche loader driver who escaped from the snow storm himself saved 31 lives

कुछ देर रुकने के बाद हम लोडर में बैठकर बीआरओ के कैंप में पहुंचे। दूसरे दिन उन्हें हेलिकॉप्टर से ज्योतिर्मठ लाया गया। श्रमिक राम कुमार व धीरज ने बताया कि उनके साथियों को चोटें आई हैं जिसमें एक के पैर में तो एक के सिर पर बड़ा घाव हुआ है। चोट कैसे लगी यह पता ही नहीं चला। सब कुछ इतनी जल्दी हो गया कि कुछ समझ नहीं आया। हमारे साथ अन्य सभी लोग सुरक्षित हैं।

हर्षिल-मुखबा में प्रधानमंत्री पहनेंगे बादामी-स्लेटी रंग की भेंडी, ये है खास तैयारी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर्षिल और मुखबा दौरे के दौरान भेड़ की ऊन से बनी बादामी और स्लेटी रंग की भेंडी (कोट) पहनेंगे। इसके साथ ही ब्रह्मकमल और तिरंगे और लाल रंग की पट्टी लगी हुई पहाड़ी टोपी भी उनके लिए तैयार की गई है।

PM Modi Uttarkashi Visit During Harshil-Mukhba visit will wear beige grey coloured coat made of sheep wool

पीएम नरेंद्र मोदी जब कभी देश-दुनिया के दौरे पर जाते हैं तो उनकी वेषभूषा पर सबका ध्यान होता है। वह अपने दौरे के दौरान उस क्षेत्र की वेषभूषा पहनकर स्थानीय लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। इसी क्रम में आगामी 6 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी भारत-चीन सीमा पर बसे हर्षिल और मुखबा के दौरे पर आ रहे हैं। उनके इस दौरे के लिए उत्तरकाशी की स्थानीय वेषभूषा ऊन की भेंडी के साथ पजामा और पहाड़ी टोपी तैयार की गई है।

इस पहाड़ी परिधान को वीरपुर डुंडा नालंदा एसएचजी महिला स्वयं सहायता समूह की भागीरथी नेगी ने तैयार किया है। जबकि सुरेंद्र नैथानी ने इस पूरी ड्रेस की सिलाई की है। भागीरथी नेगी ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी के लिए बादामी और स्लेटी रंग में दो भेंडी कोट तैयार किए गए हैं। वहीं सफेद रंग के दो पजामे भी बनाए हैं। टोपी को भी भेंडी के रंग के अनुरूप बनाया गया है। इन टोपियों में तिरंगे के केसरी, हरी और सफेद रंग की पट्टी के साथ बल के प्रतीकात्मक लाल रंग की पट्टी और ब्रह्मकमल बनाया गया है।

परिधान दस दिन के भीतर तैयार किए गए
उन्होंने बताया कि भेड़ की ऊन की हाथ से कताई कर यह परिधान तैयार किए गए हैं। इसमें किसी भी प्रकार के केमिकल का प्रयोग नहीं की गया है। इसे इस तरीके से तैयार किया गया है कि इसकी ऊन में किसी भी प्रकार की चुभन न हो। खास बात यह है कि यह परिधान दस दिन के भीतर तैयार किए गए हैं।

वीरपुर डुंडा निवासी भागीरथी नेगी किन्नौरी समुदाय से आती हैं। भेड़ की ऊन से कपड़े तैयार करने का उनका पुश्तैनी काम है। वे लंबे समय से महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं। उन्होंने बताया कि हर्षिल और मुखबा प्रवास के दौरान पीएम मोदी के जनपद की स्थानीय वेषभूषा पहनने से भेंडी और ऊन के कपड़ों को अच्छी ब्राडिंग मिल सकती है।

चैंपियन से विवाद के बीच MLA उमेश के कैंप कार्यालय पर नकाबपोशों ने की फायरिंग, घटना CCTV में कैद

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उत्तराखंड में खानपुर विधायक उमेश कुमार के रुड़की स्थित कैंप कार्यालय के बाहर नकाबपोश बदमाशों ने कई राउंड हवाई फायरिंग कर दी। फायरिंग से कैंप कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों में दहशत फैल गई। फायरिंग की घटना कैंप कार्यालय के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। मामले में पुलिस ने अज्ञात में केस दर्ज कर फायरिंग करने वालों की तलाश शुरू कर दी है।

 

बता दें कि खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और पूर्व विधायक चैंपियन के बीच जनवरी माह में विवाद हुआ था। जिसके बाद चैंपियन ने 26 जनवरी को समर्थकों के साथ रुड़की स्थित उमेश कुमार के कैंप कार्यालय पर पहुंचकर उनके समर्थकों से मारपीट कर दी थी। साथ ही कई राउंड हवाई फायरिंग कर दी थी। जबकि उमेश भी पिस्टल लेकर चैंपियन के कार्यालय की तरफ दौड़े थे। मामले में पुलिस ने दोनों पक्षों पर केस दर्ज कर लिया था। साथ ही चैंपियन और उनके समर्थकों को जेल भेज दिया था। तभी से चैंपियन जेल में ही बंद है। इसे लेकर पुलिस की ओर से गंगनहर पटरी किनारे स्थित दोनों के कैंप कार्यालय पर सुरक्षा बढ़ा दी थी। लेकिन अब एक बार फिर विधायक उमेश कुमार के कैंप कार्यालय पर नकाबपोश बदमाशों ने हवाई फायरिंग कर पुलिस की चिंता फिर से बढ़ा दी है।

 

दरसअल, बृहस्पतिवार की अलसुबह बाइक सवार नकाबपोश बदमाश विधायक उमेश के कैंप कार्यालय के बाहर पहुंचे और हवाई फायरिंग कर दी। कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों ने घटना की सूचना विधायक उमेश कुमार और उनके निजी सचिव जुबैर काजमी को दी। वहीं, सूचना मिलते ही पुलिस में भी खलबली मच गई। पुलिस मौके पर पहुंची और घटना की जानकारी ली। इस दौरान पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे चेक किए तो नकाबपोश संदिग्ध फायरिंग करते भी दिखे। मामले में निजी सचिव की ओर से सिविल लाइंस कोतवाली में पुलिस को तहरीर दी गई है। एसपी देहात शेखर चंद्र सुयाल ने बताया कि तहरीर के आधार पर अज्ञात बदमाशों पर केस दर्ज कर लिया है। साथ ही आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के आधार पर बदमाशों और उनकी बाइक की पहचान की जा रही है। जल्द ही घटना का खुलासा किया जाएगा।

 

24 फरवरी को हटी थी पुलिस सुरक्षा

विधायक उमेश कुमार के कैंप कार्यालय के बाहर और अंदर 26 जनवरी की घटना के बाद से पुलिस तैनात की गई थी। अब मामला शांत हुआ था तो 24 फरवरी को पुलिस सुरक्षा हटा दी गई थी। जबकि बैरिकेडिंग हटाकर भी चार पहिया वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी गई थी। अब फायरिंग के बाद फिर से पुलिस सुरक्षा का कड़ा पहरा बैठा दिया गया है।

…तो सुरक्षा हटने की थी पूरी जानकारी

जिस तरह से उमेश कुमार के कैंप कार्यालय पर नकाबपोश बदमाशों ने फायरिंग की है उससे आशंका जताई जा रही है कि बदमाशों को यह जानकारी थी कि अब पुलिस सुरक्षा हट गई है। इसलिए उन्होंने फायरिंग की घटना को अंजाम दिया है। वहीं, पुलिस मामले में हर बिंदू पर गहनता से जांच कर रही है।

लोकल या बाहरी, इसकी चल रही जांच

चैंपियन और उमेश के विवाद के बाद भी सोशल मीडिया पर दोनों के समर्थक आपस में भिड़ रहे हैं। हाल ही में विधायक उमेश कुमार ने एक वीडियो पोस्ट की थी जिसमें मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर 28 फरवरी को पहुंचने की बात कही थी। साथ ही एक युवक को भी धमकी दी थी। ऐसे में पुलिस की जांच इस तरफ चल रही है कि फायरिंग करने वाले लोकल हैं या बाहरी हैं।

प्रदेश की 7499 ग्राम पंचायतों का OBC आरक्षण तय, आयोग ने मुख्यमंत्री धामी को सौंपी रिपोर्ट

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उत्तराखंड की 7499 ग्राम पंचायतों का ओबीसी आरक्षण तय हो गया है। एकल सदस्यीय समर्पित आयोग के अध्यक्ष बीएस वर्मा ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ये रिपोर्ट सौंप दी।राज्य के भीतर स्थानीय निकायों में सभी स्तरों पर अन्य पिछड़ा वर्ग के पिछड़ेपन की प्रकृति और उसके निहितार्थों की समसामयिक एवं अनुभवजन्य तरीके से गहन जांच करने के लिए गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग के अध्यक्ष बीएस वर्मा ने ग्रामीण स्थानीय निकायों के सामान्य निर्वाचन के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण, प्रतिनिधित्व देने के लिए 12 जिलों की तीसरी रिपोर्ट सौंपी।

 

 

इससे पहले आयोग ने 14 अगस्त 2022 को हरिद्वार की प्रथम रिपोर्ट सौंपी थी। हरिद्वार की प्रथम रिपोर्ट और बाकी 12 जिलों की तृतीय रिपोर्ट के त्रिस्तरीय पंचायतों में जैसे जिला पंचायत अध्यक्षों के कुल 13, जिला पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों (वार्ड) के कुल 358, क्षेत्र पंचायत प्रमुख के कुल 89, क्षेत्र पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों (वार्ड) के कुल 2974, ग्राम पंचायत प्रधानों के कुल 7499 और ग्राम पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों (वार्ड) के कुल 55,589 पदों पर ओबीसी को प्रतिनिधित्व देने के लिए 2011 की जनगणना के आधार पर आयोग ने अपनी सिफारिश की है।

 

इस रिपोर्ट के हिसाब से जिन ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों, जिला पंचायतों में ओबीसी की आबादी ज्यादा है, वहां आरक्षण ज्यादा मिलेगा जबकि जहां आबादी कम है, वहां ओबीसी का प्रतिनिधित्व भी कम हो जाएगा। अभी सरकार को इस रिपोर्ट को स्वीकार करना है। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, गणेश जोशी, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, विधायक खजानदास, सविता कपूर, बृजभूषण गैरोला, सचिव पंचायतीराज चन्द्रेश यादव, निदेशक पंचायतीराज निधि यादव, अपर सचिव पंचायतीराज पन्ना लाल शुक्ला, सदस्य सचिव डीएस राणा, उप निदेशक मनोज कुमार तिवारी व आयोग से सुबोध बिजल्वाण उपस्थित रहे।

27 नवंबर को खत्म हुआ था कार्यकाल
राज्य में हरिद्वार को छोड़कर बाकी 12 जिलों की ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पिछले साल 27 नवंबर, क्षेत्र पंचायतों का 29 नवंबर और जिला पंचायतों का एक दिसंबर को खत्म हो गया था। इनके चुनाव वर्ष 2019 में हुए थे। हरिद्वार का त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव वर्ष 2022 में हुआ था। फिलहाल सभी ग्राम पंचायतें प्रशासकों के हवाले हैं।

ल्वेटा गांव के 35 घरों में जोशीमठ की तरह दरारें… चार गिरे,जांच के आदेश

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अल्मोड़ा जिले के ल्वेटा गांव के मकानों में जोशीमठ (गढ़वाल) की तरह दरारें आ गई हैं। एक महीने में चार मकान दरारों के कारण गिर गए हैं। करीब 35 मकान बेहद जर्जर हालत में हैं। अनहोनी की आशंका के चलते कई लोग टेंट लगाकर रह रहे हैं। कुछ ग्रामीणों ने रिश्तेदारों के यहां शरण ली है। 15 घरों में लोग जान जोखिम में डालकर रहने को मजबूर हैं।

Almora: Cracks in 35 houses of Laveta village like Joshimath... four collapsed

भैंसियाछाना ब्लाॅक स्थित ल्वेटा के ग्रामीणों ने बृहस्पतिवार को डीएम आलोक कुमार पांडेय से मुलाकात कर गांव की स्थिति से अवगत कराया। बताया कि वर्ष 2010 में भी उनके गांव के कई मकानों में दरारें आई थीं और छह मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे। उस समय प्रशासन ने तीन प्रभावित परिवारों को 1.20-1.20 लाख रुपये मुआवजा दिया था।अब फिर से गांव के करीब 35 मकानों में दरारें आ गई हैं। भयावह होती स्थिति से गांव की करीब 350 की आबादी के सिर से छत छिनने का खतरा मंडरा रहा है। गांव की पानी की लाइन भी उखड़ गई है।

ग्रामीण बोले-सुरक्षित भूमि है लेकिन घर बनाने के लिए पैसे नहीं
भाजपा अनुसूचित मोर्चा के मंडल अध्यक्ष संतोष कुमार के नेतृत्व में डीएम से मिले ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2010 में आपदा प्रबंधन की टीम ने गांव का दौरा किया था। तब उन्होंने गांव के भूस्खलन की जद में होने की बात कही थी। कहा कि उनके पास अन्यत्र मकान बनाने के लिए सुरक्षित भूमि तो है लेकिन भवन निर्माण के लिए पैसा नहीं है।

धामी सरकार ने पेश किया एक लाख करोड़ से ज्यादा का बजट, सात बिंदुओं पर रहा फोकस

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उत्तराखंड में आज विधानसभा सत्र के तीसरे दिन धामी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने 1,01175.33 करोड़ का बजट पेश किया।वित्त मंंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों को दोहराया। कहा कि राज्य सरलीकरण, समाधान व निस्तारीकरण के मार्ग पर अग्रसरित हैं। बजट हमारे प्रदेश की आर्थिक दिशा और नीतियों का प्रमाण है। उत्तराखंड अनेक कार्यों का साक्षी रहा है। हम आत्मनिर्भर उत्तराखंड बनाने के लिए हम प्रयत्नशील हैं।

Uttarakhand Budget 2025 finance minister presented Budget Know Important Facts

बजट में राजस्व घाटा नहीं

बजट में कोई भी राजस्व घाटा अनुमानित नहीं है। बजट में 59954.65 करोड़ राजस्व व्यय है। इसमें 41220.68 करोड़ पूंजीगत व्यय के लिए रखे गए हैं। 12604492 का रजकोषीय घाट होने का अनुमान है जो जीडीपी का 2.94 प्रतिशत है। यह एफआरबीएम एक्ट की सीमा के भीतर है।

बजट में सात बिंदुओं पर फोकस रहा

  •  कृषि
  •  उद्योग
  •  ऊर्जा
  • अवसंरचना
  • संयोजकता
  • संयोजकता
  • पर्यटन
  • आयुष

बजट ‘ज्ञान’ ‘GYAN’पर आधारित

  • गरीब
  • युवा
  • अन्नदाता
  • नारी

इन क्षेत्रों में हुआ इतने करोड़ का प्रावधान

  • एमएसएमई उद्योगों के लिए 50 करोड़।
  • मेगा इंडस्ट्री नीति के लिए 35 करोड़।
  • स्टार्टअप उद्यमिता प्रोत्साहन के लिए 30 करोड़।
  • यूजेवीएनएल की तीन बैटरी आधारित परिजनाएं मार्च 2026 तक पूरी होंगी।
  • मेगा प्रोजेक्ट योजना के तहत 500 करोड़।
  • जमरानी बांध के लिए 625 करोड़।
  • सौंग बांध के लिए 75 करोड़।
  • लखवाड़ के लिए 285 करोड़ राज्यों के लिए विशेष पूंजीगत सहायता के तहत 1500 करोड़।
  • जल जीवन मिशन के लिए 1843 करोड़।
  •  नगर पेयजल के लिए 100 करोड़।
  •  अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्रों के विकास के लिए 60 करोड़।
  •  अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों के लिए 08 करोड़ मिलेंगे।
  • पूंजीगत मद में लोनिवि को 1268.70 करोड़।
  • पीएमजीएसवाई के तहत 1065 करोड़।
  • नागरिक उड्डयन विभाग को 36.88 करोड़।
  • बस अड्डों के निर्माण के लिए 15 करोड़ मिलेंगे।
  • लोनिवि में सड़क अनुरक्षण के लिए 900 करोड़

पर्यटन के लिए

  • पूंजीगत कार्यों के विकास के लिए 100  करोड़।
  • टिहरी झील के विकास के लिए 100 करोड़।
  • मानसखंड योजना के विकास के लिए 25 करोड़।
  • वाइब्रेंट विलेज योजना के लिए 20 करोड़।
  • नए पर्यटन स्थलों के विकास के लिए 10 करोड़।
  • चारधाम मार्ग सुधारीकरण के लिए 10 करोड़।

ये काम होंगे

  • 220 किमी नई सड़कें बनेंगी।
  • 1000 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण
  • 1550 किमी मार्ग नवीनीकरण
  • 1200 किमी सड़क सुरक्षा कार्य और 37 पुल बनाने का लक्ष्य है।

इकोलॉजी के साथ-साथ इकोनॉमी

  • सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना।
  • पर्यावरणोन्मुखी नीतियों का निर्धारण।
  • स्वच्छ पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर बल।
  • स्थिति-स्थापक पर्यावरण की सुनिश्चितीकरण।

महत्वपूर्ण योजना / प्रावधान

  • कैम्पा योजना के लिए 395 करोड़।
  • जलवायु परिवर्तन शमन के लिए 60 करोड़।
  • स्प्रिंग एंड रिवर रेजुबिनेशन प्राधिकरण (सारा) के अन्तर्गत 125 करोड़।
  • सार्वजनिक वनों के सृजन हेतु 10 करोड़।

भू कानून,कितना सख्त कितना नरम?- गरिमा मेहरा दसौनी

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कैबिनेट में आज भू कानून को हरी झंडी मिल गई। ऐसे में उत्तराखंड की एक बहु प्रतीक्षित मांग पर कार्यवाही की गई। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तराखंड कांग्रेस की नेत्री गरिमा मेहरा दसौनी ने धामी सरकार से कुछ सवाल किए हैं। दसौनी ने कहा कि आज उत्तराखंड राज्य लैंड बैंक के मामले में पूरी तरह से बैंकरप्ट हो चुका है, आज सवाल हमारे अस्तित्व का है। दसौनी ने कहा कि सवाल बड़ा यह उठता है कि उत्तराखंड में सब तरफ आखिर भू कानून की मांग क्यों उठ रही।गरिमा ने कहा कि पिछले 24 सालों में उत्तराखंड की भूमि का खुलकर चीरहरण हुआ और उसकी पूरी तरह से जिम्मेदार भाजपा की सरकारें रही है।

 

पहली बार बनी भाजपा सरकार नहीं कर पाई ये फैसले 

2000 में राज्य गठन के समय पर 2 साल के लिए भाजपा की अंतरिम सरकार बनी और परीसंपत्तियों का ठीक तरीके से बंटवारा नहीं हो पाया जिसके चलते आज की तारीख में भी उत्तराखंड की करोड़ों अरबों की भूमि उत्तर प्रदेश की गिरफ्त में है ।उसके बाद की पहली निर्वाचित तिवारी सरकार हो या भुवन चंद खंडूरी सरकार उन्होंने भूमि की खरीद फरोख्त पर सख्त नियम बनाए, परंतु 2018 में आई त्रिवेंद्र रावत सरकार ने पूरी तरह से उत्तराखंड की भूमि को सेल पर लगा दिया.

उत्तराखंड की भूमि को खुली लूट

दसोनी ने धामी सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आज जिस तरह से त्रिवेंद्र रावत सरकार के समय के भू कानून से जुड़े हुए सभी प्रावधानों को निरस्त किया गया है उससे कांग्रेस के आरोपों की पुष्टि होती है की धामी सरकार भी मानती है की 2017 और 2021 के बीच त्रिवेंद्र रावत की प्रचंड बहुमत और ट्रिपल इंजन की सरकार ने उत्तराखंड की भूमि को खुली लूट और छूट के लिए भू माफियाओं के सामने खुला छोड़ दिया।
दसोनी ने कहा कि क्या धामी सरकार उस दौरान बिकी हुई भूमि भी उत्तराखंड को वापस दिला पाएगी ?और तो और धामी सरकार में एक और आत्मघाती कदम उठाया गया था वह था लैंड यूस में बदलाव।
गरिमा ने बताया कि पूर्व वर्ती सरकारों में यह नियम था कि कोई भी व्यक्ति खरीदी हुई भूमि पर 2 साल के अंदर-अंदर जिस प्रयोजन के लिए भूमि ली गई है उसका काम शुरू नहीं करता तो वह भूमि स्वत: सरकार में निहित हो जाएगी परंतु धामी सरकार ने इस नियम में बदलाव करते हुए लोगों को समय अवधि और परपज दोनों में खुली छूट दे दी ।

गरिमा ने कहा की क्या वह प्रावधान भी निरस्त होगा? दसोनी ने कहा कि यह विडंबना ही है कि आज तमाम सरकारें नए जिलों की बात तो करती हैं परंतु नए जिले बनाने के लिए उत्तराखंड के पास जमीन नहीं है। गरिमा ने यह भी पूछा कि सत्ता रूढ़ दल के मंत्री और विधायक जिस तरह से प्रतिबंधित भूमि पर रिसॉर्ट और होटल बना रहे हैं क्या उन पर भी कार्यवाही होगी और पेनाल्टी ली जाएगी ?
गरिमा ने कहा कि उत्तराखंड का भू कानून हिमाचल की तरह सख्त नहीं हिमाचल से भी अधिक सख्त होने की जरूरत है क्योंकि हिमाचल प्रदेश तो समय रहते चेत गया था और उसने अपनी काफी भूमि बचा ली परंतु उत्तराखंड के पास अब बचाने के लिए कुछ भी नहीं है उत्तराखंड का तो पूरा अस्तित्व ही खतरे में है, ऐसे में धामी सरकार के द्वारा लाया जा रहा भू कानून कितना सख्त है या कितना नरम यह तो भविष्य ही तय करेगा।

धामी सरकार का भू कानून, अब ये हुए बदलाव !

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देहरादून: उत्तराखंड में सख्त भू कानून को मिली मंजूरी

उत्तराखंड सरकार ने राज्य में भूमि खरीद-बिक्री से संबंधित नियमों को और सख्त बना दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट ने एक नए भू कानून को मंजूरी दी है, जो राज्य के संसाधनों की सुरक्षा और बाहरी व्यक्तियों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद को रोकने के लिए बनाया गया है।

क्या हैं नए भू कानून के प्रमुख प्रावधान?

  1. त्रिवेंद्र सरकार के 2018 के सभी प्रावधान निरस्त
    • पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार द्वारा 2018 में लागू किए गए सभी प्रावधानों को नए कानून में समाप्त कर दिया गया है।
  2. बाहरी व्यक्तियों की भूमि खरीद पर प्रतिबंध
    • हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर, उत्तराखंड के 11 अन्य जिलों में राज्य के बाहर के व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।
  3. पहाड़ों में चकबंदी और बंदोबस्ती
    • पहाड़ी इलाकों में भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित करने और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी।
  4. जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित
    • अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी मामलों में सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया होगी।
  5. ऑनलाइन पोर्टल से होगी भूमि खरीद की निगरानी
    • प्रदेश में जमीन खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जमीन खरीद को दर्ज किया जाएगा।
  6. शपथ पत्र होगा अनिवार्य
    • राज्य के बाहर के लोगों को जमीन खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके।
  7. नियमित रूप से भूमि खरीद की रिपोर्टिंग
    • सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
  8. नगर निकाय सीमा के भीतर तय भू उपयोग
    • नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा।
    • यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया, तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी।

क्या होगा नए कानून का प्रभाव?

  • इस कानून से उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे राज्य के निवासियों को अधिक लाभ मिलेगा।
  • भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा और राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत होगी।
  • सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।

निष्कर्ष

उत्तराखंड सरकार का यह नया भू कानून राज्य की भौगोलिक और सामाजिक संरचना को बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे राज्य के मूल निवासियों को प्राथमिकता मिलेगी और भूमि से जुड़े विवादों में भी कमी आएगी। हालांकि, इससे निवेश पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन सरकार का मानना है कि यह राज्य की दीर्घकालिक सुरक्षा और विकास के लिए आवश्यक कदम है।

 

झंगोरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करेगी सरकार, मुख्य सचिव ने अधिकारियों को दिए निर्देश

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मंडुआ की तरह झंगोरा का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाएगा। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। सीएस ने यह भी कहा, सहकारी समितियों के माध्यम से सेना और एसएसबी को खाद्यान्न, सब्जियों और मीट की आपूर्ति की जाएगी। इसका राज्य के किसानों को लाभ मिलेगा।

सचिवालय में हुई स्टेट कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कमेटी की बैठक में मुख्य सचिव ने कहा, सेना और एसएसबी के साथ खाद्यान्न की आपूर्ति के लिए जल्द एमओयू किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। जबकि, सीमांत जिलों में खाली कृषि योग्य भूमि पर मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए गए हैं।

Uttarakhand Government will declare the minimum support price of jhangora read All Updates in hindi

बैठक में सभी जिलाधिकारियों को डेयरी, मत्स्य सोसाइटी के गठन के लक्ष्य को प्राथमिकता पर लेते हुए समय से पूरा करने के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारियों को राज्यभर में 2025 में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष को प्रभावी रूप से मनाए जाने के लिए अधिक से अधिक जनता को इसके आयोजनों से जोड़ने के निर्देश दिए। बैठक में सचिव डॉ. बीवीआरसी पुरुषोतम, अपर सचिव सोनिका, मनुज गोयल आदि मौजूद रहे।

सत्र चलाने में सत्तापक्ष की मनमानी, बोले नेता प्रतिपक्ष-सरकार का मकसद सिर्फ बजट पारित करना

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नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा, सरकार का मकसद सिर्फ बजट पारित करना है। राज्य के विकास व जनहित से जुड़े मुद्दों पर सरकार सदन में चर्चा नहीं करना चाहती है। इसी कारण सत्र की अवधि लगातार कम की जा रही है लेकिन विपक्ष ऐसा नहीं होने देगा।

 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा, विपक्ष की सरकार से यही मांग है कि सत्र की अवधि बढ़ाई जाए। इससे पक्ष व विपक्ष के विधायक अपने क्षेत्र के मुद्दों को सदन में उठा सकेंगे। कार्यमंत्रणा की बैठक में विपक्ष की ओर से कम से कम दो सप्ताह तक सत्र संचालित करने का आग्रह किया। लेकिन, सरकार संख्या बल के आधार पर एजेंडा तय कर रही है। सरकार की मंशा बजट सत्र को तीन से चार दिन चलाने की है। ऐसे में विधायक अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को नहीं उठा पाएंगे। कांग्रेस की ओर से सत्र की अवधि बढ़ाने के लिए सदन से सड़क तक विरोध किया जाएगा।

विपक्ष की नोक-झोंक को सीएम ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण

राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्षी सदस्यों के आचरण और नोक-झोंक को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा आचरण हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है। सदन में महिला विधायक भी हैं और पूरे राज्य की नजर सदन की कार्यवाही पर होती है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में सदन में विपक्ष के रवैये को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि सदन की गरिमा है। पक्ष-विपक्ष मिलकर सदन चलाते हैं। यह पक्ष-विपक्ष की जिम्मेदारी है कि सदन ठीक से चले।