Author: Pravesh Rana

सीएम ने आपदा राहत के साथ उत्तरकाशी से ही कैबिनेट बैठक कर लिये कई अहम निर्णय

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आपदा के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार तीन दिन से मोर्चे पर डटे हैं।ग्राउंड जीरो से रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी, राहत दलों को दिशा-निर्देश और प्रभावित परिवारों को भरोसा देने के साथ उन्होंने विकास कार्यों की रफ्तार भी बरकरार रखी है। इसी क्रम में उन्होंने आज उत्तरकाशी से ही राज्य मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता कर प्रदेश हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये।

रेस्क्यू और राहत कार्य में तेजी के निर्देश

मुख्यमंत्री ने DG ITBP, DG NDRF और DGP उत्तराखंड पुलिस के साथ उच्च स्तरीय बैठक में राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा की।
उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों तक शीघ्र पहुंच, फंसे लोगों का त्वरित रेस्क्यू, दुर्गम इलाकों में पर्याप्त टीम तैनाती, हेली लिफ्टिंग तेज करने और आवश्यक संसाधनों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। संचार, बिजली और सड़क संपर्क बहाली तथा राहत सामग्री की निर्बाध आपूर्ति पर भी विशेष जोर दिया।

लोगों में भरोसा, राहत दलों का बढ़ा मनोबल

धराली और आसपास के क्षेत्रों में लगातार मौजूद रहकर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार संकट की घड़ी में हर नागरिक के साथ है। कमिश्नर विनय शंकर पाण्डे का कहना है कि सीएम सर का सक्रिय और संवेदनशील रुख न केवल प्रभावित परिवारों के लिये संबल साबित हुआ है बल्कि राहत कार्य में जुटे जवानों का मनोबल भी बढ़ा है।

कोई खुद को अकेला न समझे, राज्य सरकार साथ है- धामी

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को पौड़ी जनपद के आपदाग्रस्त सैंजी क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया।
इस दौरान उन्होंने आपदा प्रभावित ग्रामीणों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना और आपदा से हुई क्षति की जानकारी ली। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार हर परिस्थिति में प्रभावितों के साथ खड़ी है। जिलाधिकारी को निर्देश दिए गए कि राहत कार्यों में कोई कमी न रहने पाए।

निरीक्षण से पूर्व मुख्यमंत्री ने थलीसैंण तहसील के बांकुड़ा सहित अन्य आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हेलीकॉप्टर से हवाई सर्वेक्षण किया।

सैंजी गांव में मुख्यमंत्री क्षतिग्रस्त रास्तों से गुजरते हुए सीधे प्रभावित परिवारों के घर पहुंचे और नुकसान का जायजा लिया। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को अपनी समस्याएं बताईं और राहत कार्यों में तेजी लाने पर आभार जताया।

मुख्यमंत्री ने नौठा के बुराँसी गांव में आपदा प्रभावितों से भी भेंट की और पांच प्रभावितों को राहत राशि के चेक सौंपे। उन्होंने कहा कि इस आपदा की घड़ी में कोई भी खुद को अकेला न समझे—राज्य सरकार पूर्ण रूप से उनके साथ खड़ी है। उन्होंने पुनर्वास और विस्थापन की प्रक्रिया त्वरित गति से आरंभ करने तथा अतिवृष्टि से हुई क्षति का व्यापक आकलन कराने के निर्देश भी दिए।

मुख्यमंत्री ने राहत केंद्रों में बिजली, पानी, शौचालय, दवाइयों और राशन जैसी मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा। साथ ही वाडिया इंस्टीट्यूट से भूगर्भीय सर्वेक्षण कराने के निर्देश भी दिए।

स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में उन्होंने निर्देश दिए कि प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य विभाग की मोबाइल मेडिकल यूनिट्स तैनात की जाएं, ताकि बीमार, वृद्ध, गर्भवती महिलाएं, बच्चे और अन्य जरूरतमंदों को समय पर चिकित्सकीय सहायता मिल सके। दवाएं, प्राथमिक उपचार किट और चिकित्सकीय स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया।

कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रभावितों के पुनर्वास हेतु एक समिति गठित की जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि जिनकी दुकानें और मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर सहायता दी जाए।

जिलाधिकारी ने अवगत कराया कि प्रभावित परिवारों की सूची तैयार कर ली गई है और राहत सामग्री तथा धनराशि का वितरण किया जा रहा है। प्रशासन की टीमें लगातार हर गांव तक पहुंच रही हैं ताकि कोई भी परिवार राहत से वंचित न रहे।

आपदा प्रभावितों को आर्थिक सहायता

मुख्यमंत्री ने आपदाग्रस्त क्षेत्र के भ्रमण के दौरान आपदा के कारण पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त ग्राम सैंजी के 15 परिवारों/भवन स्वामियों – प्रभा देवी, नीलम सिंह भण्डारी, भगत सिंह भण्डारी, पवन सिंह भण्डारी, विमला देवी, शाखा देवी, पवेली देवी, विमल सिंह, दीवान सिंह, रविन्द्र सिंह, जसवंत सिंह, गोपाल सिंह, मनोज सिंह, कृपाल सिंह एवं हेमराज सिंह कोराज्य आपदा मोचन निधि से प्रति भवन स्वामी ₹1,30,000 की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई, जिसे संबंधित परिवारों को चेक के माध्यम से प्रदान किया गया।

वहीं ग्राम बुरांसी में आपदा के कारण जान गंवाने वाली महिला आशा देवी पत्नी प्रेम सिंह के परिजनों/वारिसों – अनिल सिंह एवं शुगम सिंह, तथा विमला देवी पत्नी बलवन्त सिंह के परिजनों – विक्रम सिंह एवं दीपक सिंह को ₹2 लाख प्रति मृतक के अनुसार मुख्यमंत्री राहत कोष से आर्थिक सहायता प्रदान की गई। साथ ही बुरांसी गांव के केशर सिंह पुत्र अमर सिंह के आवासीय भवन के पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने पर ₹1,30,000 की सहायता राशि चेक के माध्यम से उपलब्ध कराई गई।

उत्तरकाशी में प्राकृतिक आपदा के बाद नये राजनीतिक ‘संकट’ से भाजपा में उबाल

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भारी प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे सीमांत उत्तरकाशी में अब राजनीतिक आपदा ने भी पैर पसार लिए हैं। इस राजनीतिक आपदा की भनक लगते ही भाजपा के दो विधायक, पूर्व विधायक व जिला संगठन एक मंच पर खड़े हो गए हैं।इन सभी नेताओं ने सीएम व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को कड़ा पत्र लिख कर निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण को भाजपा में शामिल करने की कोशिश का प्रखर विरोध किया है।
विरोध पत्र भाजपा जिलाध्यक्ष नागेंद्र चौहान ने लिखा है। यह पत्र ऐसे समय पर आया जब सीएम धामी स्वंय बीते तीन दिन से उत्तरकाशी जिले में ही मौजूद हैं।

गौरतलब है कि प्रदेश के 12 जिपं अध्यक्ष व 89 ब्लाक प्रमुख का चुनाव 14 अगस्त को होना है। और उत्तरकाशी के निवर्तमान जिपं अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते हैं। और इस समय अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार हैं।

अपने कार्यकाल में कई वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर दीपक बिजल्वाण के मसले हाईकोर्ट की भी सुर्खियां बने हैं। उनके ही भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं तेज हैं। बिजल्वाण 2022 कस विधानसभा चुनाव यमुनोत्री से लड़कर हार चुके हैं। इसके बाद दीपक बिजल्वाण कांग्रेस में सक्रिय नहीं दिखे। निकाय व पंचायत चुनाव में अपने हिसाब से राजनीति करते रहे।

इधऱ, अंदरखाने पक रही खिचड़ी की महक बाहर आने के बाद उत्तरकाशी भाजपा के नेता एकजुट हो गए हैं।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजे गए एक ज्ञापन में आरोप लगाया है कि दीपक बिजल्वाण जनपद ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में व्यापक भ्रष्टाचार के मामलों में कुख्यात हैं।

ज्ञापन में कहा गया है कि यदि उन्हें पार्टी में शामिल किया गया तो आम जनमानस और पार्टी कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश फैल जाएगा और संगठन की छवि धूमिल होगी।
विरोधियों ने दावा किया है कि पंचायत चुनाव में निर्वाचित सदस्यों ने पार्टी के जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पद के प्रत्याशियों को समर्थन इस शर्त पर दिया था कि दीपक बिजल्वाण के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच कराई जाएगी।

ज्ञापन में सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का हवाला देते हुए मांग की गई है कि उनके खिलाफ कठोर दण्डात्मक कार्रवाई की जाए और पार्टी संगठन में ऐसे व्यक्तियों को कोई स्थान न दिया जाए।

पत्र में दुर्गेश्वर लाल विधायक पुरोला, नागेन्द्र चौहान,
सुरेश चौहान विधायक गंगोत्री, रमेश चौहान पूर्व जिलाध्यक्ष, सतीन्द्र सिंह राणा ,राम सुन्दर नौटियाल , मनवीर चौहान, जगत सिंह चौहान, प्रताप पंवार,स्वराज विद्वान (वाष्ट्रीय मैत्री
केदार सिंह रावत पूर्व विधायक व विजयपाल सजवाण सजवाण पूर्व विधायक का नाम शामिल हैं।

दीपक बिजल्वाण को लेकर भाजपा की राजनीति गरमाने से पार्टी संगठन के सामने नयी चुनौती खड़ी हो गयी

उत्तरकाशी के सुक्खी टॉप पर भी फटा बादल, बनी झील

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उत्तरकाशी धराली की तबाही के साथ साथ मंगलवार को ही सुक्खी टॉप पर बादल फटने से ह आर्मी कैम्प में भी बादल फटने से झील बन गयी है। हर्षिल और धराली के बीच झील बनने से भागीरथी किनारे बसे कस्बों में खतरा हो गया है।झील बनने के बाद आर्मी कैम्प की ओर से बचाव निर्देश जारी किए गए हैं। यह भी खबर है कि भू स्खलन के बाद राहत बचाव दल नेताला में फंस गया है।सुक्खी टाप में बादल फटने से हर्षिल में सड़क बंद हो गई ।धराली में दोपहर में हुई तबाही के बाद पूरा कस्बा मलबे में तब्दील हो गया। दो- तीन मंजिला कई इमारतें पल भर में जमीदोज हो गयी।

वॉयरल वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि लोगों ने भागने की कोशिश की । बचने की कोशिश की। लेकिन जानलेवा पानी के सैलाब में सम्भलने का मौका नहीं मिला।धराली कस्बा में कई घण्टे तक खीरगंगा से मलबे के बहना जारी है। कस्बे में मलबे ने झील का रूप ले लिया है।इस दर्दनाक आपदा में कितने लोगों की।मौत हुई। यह आंकलन देर शाम तक नहीं हो पाया था। स्थानीय सूत्रों ने कई लोगों के मरने की बात कही है।

इधऱ, धराली और हर्षिल इलाके में हुई भारी तबाही के बाद सीएम धामी आंध्र प्रदेश का दौरा स्थगित कर वापस देहरादून लौट रहे हैं। पीएम मोदी, गृह मंत्री, राज्यपाल व नेता विपक्ष यशपाल आर्य ने आपदा पर दुख जताते हुए बचाव कार्य पर जोर दिया है।

उधर, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उत्तराखंड के धराली (उत्तरकाशी) में फ्लैश फ्लड की घटना को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से बात कर घटना की जानकारी ली। ITBP की निकटतम 3 टीमों को वहाँ भेज दिया गया है, साथ ही NDRF की 4 टीमें भी घटनास्थल के लिए रवाना कर दी गई हैं, जो शीघ्र पहुँच कर बचाव कार्य में लगेंगी।

 

कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों से मांगी संभावित प्रत्याशियों की रिपोर्ट

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर पार्टी के सभी पर्यवेक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल अपने-अपने प्रभार वाले जनपदों में जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत प्रमुख पदों के संभावित प्रत्याशियों की रिपोर्ट प्रदेश मुख्यालय को भेजें।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि पर्यवेक्षकों को कहा गया है कि वे संबंधित जनपदों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों, पूर्व लोकसभा/विधानसभा प्रत्याशियों और नव-निर्वाचित पंचायत सदस्यों से संवाद कर संभावित प्रत्याशियों का पैनल तैयार करें।

 

धस्माना ने दावा किया कि प्रदेश के आठ जनपदों में कांग्रेस के पास जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत की मजबूत संभावनाएं हैं। क्षेत्र पंचायतों में भी बड़ी संख्या में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार जीते हैं। यदि चुनाव निष्पक्ष हुए, तो प्रदेश की तस्वीर बदल सकती है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा शासन, प्रशासन और धनबल के बल पर हर हाल में चुनाव जीतने का प्रयास कर रही है।

जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव के लिए पार्टियों ने कसी कमर, पर्यवेक्षक तैनात

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जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख पद पर पार्टी समर्थित प्रत्याशियों के लिए भाजपा रणनीति बनाने में जुटी है। रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर भाजपा अध्यक्ष एवं राज्य सभा सांसद महेंद्र भट्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत नतीजों व जिपं अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख पद चुनाव पर चर्चा की। सीएम आवास में भाजपा अध्यक्ष भट्ट व प्रदेश महामंत्री अजेय कुमार सीएम धामी से मिले।

भट्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायतों में पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की जीत पर मुख्यमंत्री को बधाई दी। इसके अलावा जिला पंचायत व ब्लाक प्रमुख पदों के चुनाव पर पार्टी समर्थित प्रत्याशी की जीत पर मंथन किया। चुनाव जीते निर्दलीय व बागियों का समर्थन जुटाने के लिए भाजपा ने रणनीति बनाई है।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जिलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। देहरादून जिले में सात सीटों पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। जबकि 13 सीटों पर कांग्रेस समर्थित व 10 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे। भाजपा देहरादून जिले में भाजपा का जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने का दावा कर रही है। भाजपा का तर्क है कि निर्दलीय प्रत्याशी भी भाजपा विचारधारा से जुड़े हैं।

सभी जिलों में पर्यवेक्षकों को तैनात किया गया
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव के लिए कमर कसी ली है। कांग्रेस ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए जिलों में तैनात पर्यवेक्षकों से संभावित प्रत्याशियों की रिपोर्ट मांगी है। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि पार्टी की ओर पंचायत चुनाव के लिए सभी जिलों में पर्यवेक्षकों को तैनात किया गया था।

इसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, पूर्व मंत्रियों व पूर्व विधायकों की जिम्मेदारी दी गई थी। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के दिशा-निर्देश पर सभी पर्यवेक्षकों को अपने-अपने जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत प्रमुख पद पर संभावित प्रत्याशियों की रिपोर्ट प्रदेश मुख्यालय को भेजने के निर्देश दिए गए।

पर्यवेक्षक रिपोर्ट देने से पहले जिलाें के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों, लोकसभा व विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के अलावा जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत के नव निर्वाचित सदस्यों से समन्वय बनाकर संभावित प्रत्याशियों का पैनल तैयार कर प्रदेश मुख्यालय को भेजेंगे। उपाध्यक्ष संगठन धस्माना ने कहा, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन रहा है। जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख पद पर पारदर्शी तरीके से चुनाव हुए तो प्रदेश में बड़ा उलटफेर होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा धन बल का इस्तेमाल कर किसी तरह से चुनाव जीतने का प्रपंच कर रही है।

धार्मिक स्थलों के लिए बनेगा मास्टर प्लान,भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा और जनसुविधाओं के लिए तैयार होगा विस्तृत खाका

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हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में 27 जुलाई को हुई दुखद घटना के बाद, मुख्यमंत्री ने तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को लेकर राज्य के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों के लिए मास्टर प्लान तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में मंगलवार को प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु ने सचिव पर्यटन को आदेश जारी कर धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण, प्रवेश-निकास व्यवस्था और जनसुविधाओं के लिए शीघ्र मास्टर प्लान तैयार करने को कहा है।

प्रमुख सचिव ने निर्देश दिए कि जिन धार्मिक स्थलों पर तीर्थयात्रियों की अधिक संख्या रहती है, उन्हें प्राथमिकता दी जाए और मास्टर प्लान के निर्माण एवं क्रियान्वयन में दोनों मंडलों के मंडलायुक्तों का सहयोग लिया जाए। साथ ही तीर्थ स्थलों के मार्गों पर यदि कोई अवैध अतिक्रमण है, तो उन्हें प्राथमिकता के आधार पर हटाया जाए।

मास्टर प्लान में शामिल प्रमुख बिंदु:

भीड़ नियंत्रण और मार्गदर्शन व्यवस्था

स्थल की धारण क्षमता का वैज्ञानिक आकलन व विकास

पृथक प्रवेश व निकास मार्ग

प्रतीक्षा स्थलों का निर्माण

आपातकालीन निकासी के विकल्प

स्वच्छ पेयजल, शौचालय, प्राथमिक उपचार केंद्र

सुव्यवस्थित सूचना प्रणाली

पार्किंग की समुचित व्यवस्था

पर्याप्त सुरक्षा बलों की तैनाती

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि:

> “उत्तराखंड में हर वर्ष करोड़ों तीर्थ यात्री आते हैं। उनकी सुरक्षा और सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता है। सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों के आसपास जनसुविधाएं विकसित कर यात्रा को अधिक सुव्यवस्थित बनाया जाएगा।”

प्रदेश के 550 सरकारी स्कूलों की बदलेगी तस्वीर, देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक समूह लेंगे गोद

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उत्तराखंड के 550 सरकारी स्कूलों को देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक समूहों गोद लेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसी ऐतिहासिक पहल के साक्षी बन रहे हैं, जो न केवल राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करेगी, बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों के उज्ज्वल भविष्य की आधारशिला भी रखेगी।

सीएम धामी ने कहा कि आज का दिन शैक्षणिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में अंकित होने जा रहा है। कहा कि मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि राज्य के 550 सरकारी स्कूलों को देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक समूहों द्वारा गोद लिया जा रहा है।मुझे यह भी बताया गया है कि इनमें से अधिकांश स्कूल ऐसे हैं, जिन्हें आज वास्तव में इसकी आवश्यकता है। दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के स्कूल वर्षों से संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं।

पांच अस्पतालों में नहीं मिला इलाज, बेटे शुभांशु की मौत

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मैं देश की सरहद पर खड़ा हूं लेकिन अपने ही घर के चिराग को सिस्टम की बेरुखी से नहीं बचा पाया। यह दर्द है उस सैनिक का जिसने अपने डेढ़ साल के बेटे को सिर्फ इसलिए खो दिया क्योंकि एक अस्पताल से दूसरे तक रेफर करते-करते लचर सरकारी स्वास्थ्य तंत्र ने कीमती समय गंवा दिया।

गढ़वाल-कुमाऊं के ग्वालदम, बैजनाथ, बागेश्वर, अल्मोड़ा और हल्द्वानी के अस्पतालों के डॉक्टर मासूम को नहीं बचा सके। उन्होंने हायर सेंटर भेजकर अपनी जिम्मेदारी से हाथ खींच लिए। गढ़वाल मंडल के सुदूर चमोली जिले के चिडंगा गांव के निवासी और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में तैनात सैनिक दिनेश चंद्र के लिए 10 जुलाई की रात कभी न भूलने वाली बन गई। दोपहर बाद उनके डेढ़ साल के बेटे शुभांशु जोशी की अचानक तबीयत बिगड़ने लगी। मां और पत्नी उसे लेकर ग्वालदम अस्पताल पहुंचीं लेकिन वहां इलाज नहीं मिल सका। वहां से बच्चे को कुमाऊं मंडल के बैजनाथ अस्पताल और फिर बागेश्वर के लिए रेफर कर दिया गया। कलेजे के टुकड़े को सीने से लगाए घरवाले धरती और आसमान दोनों के भगवानों से मिन्नतें करते रहे। बागेश्वर जिला अस्पताल में शाम छह बजे भर्ती बच्चे की हालत गंभीर बताते हुए डॉक्टर ने उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया।

 

डीएम को सुनाया दुखड़ा तब मिली एंबुलेंस
बेटे के अंतिम संस्कार के बाद दिनेश ने सोशल मीडिया पर एक मार्मिक वीडियो साझा किया। इसमें कहा कि बागेश्वर में जब परिजनों ने 108 एंबुलेंस के लिए कॉल किया तो सिर्फ आश्वासन मिला। एक घंटा बीत गया। बच्चा तड़प रहा था और एंबुलेंस का कोई पता नहीं था। आखिरकार उन्होंने खुद डीएम को फोन कर मदद मांगी। उनके आदेश पर रात साढ़े नौ बजे एंबुलेंस मिली। बच्चे को अल्मोड़ा ले जाया गया लेकिन वहां से हल्द्वानी रेफर कर दिया गया। बच्चे को हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। वहां शुभांशु की सांसें टूट गईं। अधिकारियों ने मामले का संज्ञान लेने की बात कही है। अथाह पीड़ा से गुजर रहे परिजनों का कहना है कि अब किसी जांच से क्या होगा जब जिंदगी ही चली गई।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो पर परिजनों की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच की जाएगी। 108 सेवा के प्रभारी को नोटिस भेजकर सेवा को दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं। शिकायती पत्र मिलने के वाद पूरे प्रकरण की जांच की जाएगी। जो भी स्वास्थ्य कर्मी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। -डॉ. कुमार आदित्य तिवारी, सीएमओ, बागेश्वर

अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच को एसआईटी गठित

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देहरादून। राज्य में अल्पसंख्यक छात्रों के लिए संचालित छात्रवृत्ति योजना में करोड़ों रुपये के गबन का मामला उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विशेष जांच टीम (एसआईटी) से जांच कराने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने साफ कहा कि इस घोटाले में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।

सरकार की प्रारंभिक जांच में पाया गया कि 2021–22 और 2022–23 के दौरान कई संस्थानों ने फर्जी दस्तावेज और गलत सूचनाओं के आधार पर छात्रवृत्ति की भारी-भरकम रकम हड़प ली। इन संस्थाओं में मदरसे, संस्कृत विद्यालय और अन्य निजी स्कूल-कॉलेज शामिल हैं।

केंद्र सरकार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, राज्य की 92 संस्थाओं पर संदेह है, जिनमें से 17 में गबन की पुष्टि हो चुकी है। ऊधमसिंहनगर का सरस्वती शिशु मंदिर हाई स्कूल और रुद्रप्रयाग का एक महाविद्यालय भी अनियमितताओं में शामिल पाया गया। कई मामलों में फर्जी आधार कार्ड, निवास प्रमाणपत्र और छात्रों की मनगढ़ंत सूची तैयार कर पैसा निकाला गया।

एसआईटी अब नैनीताल, हरिद्वार और अन्य जिलों की संस्थाओं के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करेगी। केंद्र सरकार ने सात बिंदुओं पर जांच के निर्देश दिए हैं, जिनमें दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करना भी शामिल है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रवृत्ति जैसी कल्याणकारी योजना में भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।