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देश में सबसे पहले उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के बाद महाकुंभ पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यूसीसी भी महाकुंभ की तरह ही लोगों में समान भाव रखता है। कोई भेदभाव नहीं है। अब जहां लोगों को शादी का रजिस्ट्रेशन कराना होगा, वहीं तलाक भी कोर्ट के आदेश पर ही हो सकेगा। महिलाओं को भी समान अधिकार दिए गए हैं,उत्तराखंड देवभूमि है। यहां हर साल करोड़ों श्रद्धालु चारधाम, हरिद्वार, नीम करौली समेत विभिन्न जगहों पर धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेने आते हैं। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि यहां की सामाजिक संरचना में कोई भेदभाव या असमानता न हो। यूसीसी लागू करने का कदम समाज में समान अधिकार और कर्तव्यों की भावना को सुदृढ़ करेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है। यह भारतीय संस्कृति, एकता और समरसता का प्रतीक है। करोड़ों लोगों के इस आयोजन में भाग लेने से यह स्पष्ट होता है कि हमारी संस्कृति विविधता में एकता को मान्यता देती है। यूसीसी इस भावना को और मजबूत करेगा। जब एक समान कानून होगा, तो हर व्यक्ति यह महसूस करेगा कि वह इस देश का अभिन्न हिस्सा है और यही भावना महाकुंभ की आत्मा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यूसीसी का उद्देश्य किसी समुदाय की परंपराओं या धर्म में हस्तक्षेप करना नहीं है। बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि सभी नागरिक समान अधिकारों और कर्तव्यों के साथ एक समाज में रहें। महाकुंभ जैसे आयोजन में सभी लोग बिना भेदभाव के एकत्रित हो सकते हैं, तो समाज में भी यह भावना यूसीसी के माध्यम से स्थापित हो सकती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यूसीसी का उद्देश्य धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित करना नहीं, इसे और सुदृढ़ करना है। यह सुनिश्चित करेगा कि हर व्यक्ति को बिना भेदभाव के अधिकार मिले। महाकुंभ की तरह, जहां लोग अपने तरीके से पूजा-अर्चना करता है, यूसीसी भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए समानता की भावना को बढ़ावा देगा।उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू (यूसीसी) करने पर सीएम पुष्कर सिंह धामी को प्रयागराज के संत समागम में सम्मानित किया गया। धामी ने कहा, संतों की ओर से मेरा सम्मान उत्तराखंड के हर नागरिक का सम्मान है। देवभूमि में किसी भी धर्म या जाति के लिए अब समान कानून हैं। समागम में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज, स्वामी चिदानंद मुनि महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी समेत कई संत मौजूद रहे।