Category Archive : राजनीति

पासपोर्ट कार्यालय पर सांसद के बयान पर कांग्रेस की चुटकी,शर्म की बात अपनी ही पार्टी की सरकार में हाथ जोड़ने पड़ रहे हैं

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कोटद्वार के पासपोर्ट कार्यालय को  लेकर भाजपा सांसद अनिल बलूनी के बयान को लपकते हुए कांग्रेस ने तीखा हमला किया है।कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा सांसद बलूनी का बयान पार्टी के अंदरूनी झगड़े की तस्वीर बयां करने के लिए काफी है।कांग्रेस प्रवक्ता प्रतिमा सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनिल बलूनी का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वो बहुत ही असहाय और असमर्थ नज़र आ रहे हैं ।

 

पासपोर्ट कार्यालय के लिए 12.5  लाख की धनराशि देने के बाद भी फ़ाइल कहां अटकी है, इस पर खुद ही सवाल कर रहे हैं। कहते हैं कि एक हस्ताक्षर की वजह से काम नहीं हो पाया। बलूनी स्वंय व मीडिया को भी इस देरी का पता लगाने की बात भी कहते हैं। उनके साथ वीडियो में स्पीकर ऋतु खण्डूड़ी भी नजर आ रही हैं। गौरतलब है कि हालिया गढ़वाल दौरे के समय ही भाजपा सांसद अनिल बलूनी ने पासपोर्ट कार्यालय नहीं खुलने पर यह बातें कही।

कांग्रेस का कहना है कि डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद भी सांसद बलूनी को बड़ी मुश्किल होती है केंद्र सरकार में जाकर विदेश मंत्री से मुलाक़ात करने में।  सांसद निधि  से धनराशि भी दी लेकिन  पासपोर्ट ऑफिस जो वो गढ़वाल में स्थापित करना चाहते थे, वो फाइल अब तक कहाँ अटकी है उन्हें पता नहीं ।
बलूनी मीडिया से कहते भी हैं कि एक हस्ताक्षर के लिए इतने समय से रुका है। बड़े दुख की बात है। अब तक पासपोर्ट कार्यालय खुल जाना चाहिए था। यह भी कहते हैं कि आप भी पता कीजिये ,मैं भी पता करता हूँ।

कांग्रेस प्रवक्ता प्रतिमा सिंह ने कहा कि बड़े शर्म की बात है कि अपनी ही पार्टी की सरकार में उन्हें मंत्रियों और अधिकारियों के हाथ जोड़ने पड़ रहे हैं । फिर  भी वो अपना काम नहीं करवा पा रहे हैं । ऐसे में  विपक्ष के सांसदों को अपने क्षेत्र में काम करवाने में कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अनिल बलूनी का यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि भारतीय जनता पार्टी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।  और ये ख़ुद खंड खंड में बँटे हुए हैं ।

उन्होंने कहा कि भाजपा के विधायक अपनी सरकार  के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतर जाते हैं । भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री अपनी सरकार पर सवाल उठाते हैं।  ये सारी बातें दर्शाती हैं कि भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं है।
अपने आपको अनुशासित कहने वाली पार्टी अब खुलकर पार्टी के ख़िलाफ़ अनुशासनहीनता को नज़रअंदाज़ कर रही है ।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि डबल इंजन सरकार में कोटद्वार के पासपोर्ट कार्यालय को कौन रोक रहा है,यह जांच का विषय है।

दूसरे राज्यों से शादी कर उत्तराखंड आईं बेटियों को लाने होंगे कागज, जल्द शुरू होने जा रहा है एसआईआर

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दूसरे राज्यों से विवाह कर उत्तराखंड आईं बेटियों को मतदाता सूची में अपना वोट बचाए रखने के लिए मायके से कागज लाने होंगे। दूसरी ओर उत्तराखंड की मतदाता सूची अभी फ्रीज नहीं होने के कारण वोटर लिस्ट में नाम, पता आदि बदलाव कराए जा सकते हैं। चुनाव आयोग का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) दिसंबर या जनवरी में उत्तराखंड में भी शुरू होने जा रहा है।

 

इससे पहले मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड ने वर्ष 2003 की मतदाता सूची वेबसाइट पर जारी कर दी है। अन्य राज्यों ने भी अपनी पुरानी मतदाता सूची वेबसाइट पर जारी की हुई हैं। दूसरे राज्यों से उत्तराखंड में 2003 के बाद विवाह कर आईं बेटियों को एसआईआर के लिए अपने मायके से कागज लाने होंगे।

 

निर्वाचन विभाग के मुताबिक, यूपी समेत कई राज्यों ने 2003 की वोटर लिस्ट जारी की हुई है। उस वक्त जिनका वोट वहां था, उन्हें अपनी वोटर लिस्ट की जानकारी यहां एसआईआर में देनी होगी। जिनका वोट नहीं था, उन्हें अपने माता-पिता के संबंधित राज्य के 2003 के वोट की जानकारी यहां एसआईआर फॉर्म में देनी होगी। चूंकि यहां सभी एसआईआर शुरू होने वाला है, इसलिए पहले से ही कागज तैयार रखे जा सकते हैं।

कांग्रेस का भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का ऐलान

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कांग्रेस की नई टीम ने 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए हुंकार भरते हुए भाजपा को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया।
रविवार को कांग्रेस के बड़े नेताओं की मौजूदगी में गणेश गोदियाल, प्रीतम सिंह व हरक सिंह ने कार्यभार ग्रहण करते हुए चुनावी प्रचार का शंखनाद किया।
कमोबेश सभी वक्ताओं ने भर्ती घोटाले, विभागीय घोटाले और आपदा में सरकार की विफलता को मुद्दा बनाया।

कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में लगभग 4 घण्टे तक चले स्वागत कार्यक्रम में  नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि अब समय भाषणों का नहीं—संघर्ष का है। और हम संघर्ष से कभी पीछे नहीं हटते! उन्होंने करण माहरा के कार्यकाल की तारीफ करते हुए बद्रीनाथ व मंगलौर उपचुनाव की जीत का विशेष तौर पर उल्लेख किया।

गोदियाल ने कहा कि हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति से नहीं अन्याय, अहंकार और झूठ से है और इस लड़ाई में हम जीतकर ही लौटेंगे। कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर सक्रिय रहने का मंत्र देते हुए कहा कि आज से हमें लंबे संघर्ष के लिए एकजुट होना पड़ेगा।

गोदियाल ने कहा कि हमारा रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन हमारा इरादा अडिग है। आज से हम सब एक नए जोश और नई जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ेंगे।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस की दस साल की उपलब्धियों को मतदाता के बीच ले जाने की अपील की।प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, कैंपेन कमेटी अध्यक्ष प्रीतम सिंह, चुनाव अभियान समिति अध्यक्ष डॉ. हरक सिंह रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, और उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी को “पाँच पांडव” बताते हुए कहा कि भाजपा रूपी “कौरवों” की सेना को 2027 के चुनाव में धूल चटा देंगे।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि “नेतृत्व बदलता है, लेकिन हमारा लक्ष्य नहीं,जनता का विश्वास जीतना, और हर नागरिक के हक़ में खड़ा रहना है।
उन्होंने कहा कि “यह संगठन हम सबका है। हम सब मिलकर इसकी ताक़त हैं।”

चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरक सिंह रावत ने कहा कि भाजपा की ‘तोड़ो उत्तराखंड’ नीति का जवाब कांग्रेस ‘जोड़ो उत्तराखंड’ के संकल्प से देगी।
कार्यकर्ताओं को चाहिए कि वे नेतृत्व के निर्णय पर पूरा विश्वास रखें—क्योंकि यही टीम उत्तराखंड को नई दिशा देगी।

चुनाव कैंपेन कमिटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा  कि कांग्रेस संगठन में हुआ यह बड़ा फेरबदल प्रदेश में नई ऊर्जा, एकजुटता और विश्वास का प्रतीक है। यह परिवर्तन सिर्फ चेहरे का नहीं, बल्कि परिपक्व सोच और दिशा का बदलाव है।

निवर्तमान अध्यक्ष एवं सी डब्लू सी के विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर करन माहरा ने कहा कि वे चट्टान की तरह खड़े रहकर गोदियाल का सहयोग करेंगे।
माहरा ने कहा कि उत्तराखंड की जनता भाजपा के झूठे नारों और भ्रष्टाचार से ऊब चुकी है। 2027 में प्रदेश की जनता कांग्रेस की जनोन्मुखी नीतियों और पारदर्शी नेतृत्व पर भरोसा जताएगी।अब वक्त आलोचना नहीं, योगदान का है; व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं, सामूहिक सँघर्ष का है।

वक्ताओं ने 27 जिलों के नवनियुक्त जिला अध्यक्षों सहित सभी पदाधिकारियों को चुनाव की तैयारियों में जुटने की अपील की।
इस अवसर पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के मीडिया सलाहकार गुरदीप सिंह सप्पल, सह प्रभारी सुरेंद्र शर्मा, मनोज यादव राष्ट्रीय सचिव काजी निजामुद्दी, उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी , गोविंद सिंह कुंजवाल, गोपाल राणा1,रंजीत रावत, मदन बिष्ट,सूर्यकांत धस्माना, ज्योति रौतेला समेत कांग्रेस के सभी विधायक गण सभी नवनियुक्त जिला अध्यक्ष, सभी पूर्व विधायक पूर्व मंत्री,सभी पूर्व जिला अध्यक्ष
एवं भारी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।

एयरपोर्ट से पार्टी मुख्यालय तक गोदियाल का भारी स्वागत

देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार देहरादून पहुंचने पर प्रदेश कांग्रेस के नव नियुक्त अध्यक्ष गणेश गोदियाल का एयरपोर्ट पर जबरदस्त स्वागत हुआ।
एयरपोर्ट पर  गोदियाल व उनके साथ आए सीडब्लूसी सदस्य गुरदीप सप्पल, एआईसीसी सचिव काज़ी निजामुद्दीन नव नियुक्त सह प्रभारी मनोज यादव व पूर्व मुख्यमंत्री हरिश रावत ,नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष डॉक्टर हरक सिंह रावत का  निवर्तमान अध्यक्ष करण माहरा की ओर से प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना महानगर कांग्रेस अध्यक्ष डॉक्टर जसविंदर सिंह गोगी जिला परवा दून अध्यक्ष मोहित उनियाल
प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला ने पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया।

एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही सैकड़ों की संख्या में उपस्थित कार्यकर्ताओं के गगन भेदी नारों से एयरपोर्ट गूंज उठा। कार्यकर्ताओं ने श्री गोदियाल को फूलों की मालाओं से लाद दिया।
गोदियाल सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ जौली ग्रांट हवाई अड्डे से चल कर भामियावाला, डोईवाला, मियांवाला होते हुए रिसपना पुल हरिद्वार रोड से होते हुए घंटाघर और फिर कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन २ बजकर दस मिनट पहुंचे जहां सुबह साढ़े दस बजे से ही कार्यकर्ताओं का हुजूम नए अध्यक्ष व अन्य पार्टी नेताओं की इंतजार कर रहे थे।

पार्टी मुख्यालय में निवर्तमान अध्यक्ष करण माहरा,पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल समेत प्रियंका सभी विधायक, नव नियुक्त जिला महानगर कांग्रेस अध्यक्ष गण व हजारों कार्यकर्ताओं ने  गोदियाल व अन्य नेताओं का स्वागत किया।

बनभूलपुरा रेलवे अतिक्रमण मामले में पूर्व में लगी सुप्रीम रोक रहेगी जारी,

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सुप्रीम कोर्ट ने बहुचर्चित बनभूलपुरा रेलवे अतिक्रमण मामले पर सुनवाई के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए दो दिसंबर की तिथि नियत की है। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में लगी रोक को जारी रखा है.जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस जयमाला बागची की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार अबदुल मतीन सिद्धकी ने सुप्रीम कोर्ट में लीव टू अपील दायर कर हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें हाईकोर्ट ने बलभूलपुरा से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ के समक्ष रेलवे, राज्य सरकार और कब्जेदारों की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं।

 

सुनवाई के दौरान रेलवे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने पैरवी की जबकि राज्य सरकार की ओर से अभिषेक अत्रे ने पक्ष रखा। रेलवे ने न्यायालय के समक्ष कहा कि रेल सेवाओं के विस्तार एवं निर्माण के लिए 30 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है और इस भूमि पर हुए अतिक्रमण को शीघ्र हटाकर रेलवे को उपलब्ध कराया जाना जरूरी है। रेलवे ने जमीन जल्द खाली कराने के लिए न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की। वहीं कब्जेदारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद, प्रशांत भूषण सहित अन्य अधिवक्ता पेश हुए। उन्होंने कहा कि जिस भूमि की मांग रेलवे कर रहा है वह पूर्व लिखित दावे में शामिल नहीं थी और रिटेनिंग वॉल के निर्माण के बाद रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को अब कोई खतरा नहीं है। इसके साथ ही कब्जेदारों के अधिवक्ताओं ने बनभूलपुरा के निवासियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत स्थानांतरित करने के प्रस्ताव का विरोध किया और इसे अनुचित बताया। इस पर रेलवे के अधिवक्ताओं ने विरोध दर्ज कराया।

सड़क भी अधूरी, रिश्ते भी अधर में…बनते-बनते बिगड़ जा रही बारकोट गांव में युवाओं की शादी की बात

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चमोली जिले के नारायणबगड़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत किमोली का बारकोट तोक राज्य बनने के 25 साल बाद भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाया है। सड़क की असुविधा युवाओं के रिश्ते में रुकावट बन रही है। गांव के सात से आठ युवा कुंवारे है। रिश्ते के लिए यदि बात हो भी जाए तो सड़क असुविधा की बात किए कराए पर पानी फेर दे रही है।

 

ऐसे में युवाओं को सड़क और रिश्ते का इंतजार बरकरार है।बारकोट गांव में वर्तमान में 25 परिवार निवास करते है। ग्रामीण पिछले कई वर्षों से लगातार सड़क की मांग करते आ रहे हैं लेकिन ग्रामीणों को सड़क सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में ग्रामीणों को गांव से मुख्य सड़क आगर तक पहुंचने के लिए चार से पांच किमी की पैदल खड़ी चढ़ाई पार करनी पड़ती हैं।

Road inconvenience is becoming a hindrance in youth relationship Karnaprayag Barkot Village Chamoli News

जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र सिंह कनेरी ने कहा कि सड़क के मामले को जिले के सर्वाेच्च सदन में भी उठाया गया है। ग्रामीण पंचम सिंह भंडारी बताते हैं कि उनके बेटे के लिए कई रिश्ते ढूंढ़ लिए हैं लेकिन लड़की पक्ष को सड़क न होने का पता लगने पर वे शादी से इन्कार कर रहे हैं। ऐसे में सड़क के साथ-साथ बेटे की शादी का इंतजार भी करना पड़ रहा है।

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गुड़गांव में नौकरी करने वाले 26 वर्षीय युवक अनिल सिंह के अनुसार पिछले दो साल से लगातार परिवार वाले रिश्ते देख रहे हैं। थराली, नौटी आदि जगह रिश्ता देखने भी गए थे। लड़की पक्ष के लोग पूछते है कि गांव से कितनी दूर है सड़क, जब उनको गांव तक सड़क न होने का पता लगता है। तो वे रिश्ता करने से मुकर जाते हैं।

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27 वर्षीय राकेश सिंह दिल्ली में जॉब करते हैं। वह बताते हैं कि गौचर, कर्णप्रयाग, गैरसैंण कई जगह लड़की देखने गया हूं लेकिन हर बार सड़क न होने की वजह से रिश्ता नहीं हो पाता है। पिछले दो साल से परिवार वाले कई रिश्ते ढूंढ़ते थक गए हैं। पता नहीं कब सड़क बनेगी और कब रिश्ता होगा।

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बारकोट गांव की सड़क को पीजीएजीएसवाई के चौथे चरण के लिए भेजा गया है। जिसकी स्वीकृति प्राप्त हो गई है। सड़क के लिए डीपीआर बनने के बाद आगे की कार्यवाही शुरू की जाएगी। जल्द ही अन्य सड़कों के लिए भी तेजी से काम हो रहा है। -भूपाल राम टम्टा, विधायक थराली।

उत्तराखंड में लागू होगी देवभूमि परिवार योजना, उपनल सहित इन 12 प्रस्तावों पर लगी मुहर

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उत्तराखंड में देवभूमि परिवार योजना लागू होगी। देवभूमि परिवार योजना के तहत उत्तराखंड में रह रहे परिवारों की आईडी बनेगी। प्रदेश कैबिनेट की हुई बैठक में आज यह फैसला लिया गया। इसके अलावा 12 प्रस्तावों पर मुहर लगी।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में  कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। बैठक में 12 प्रस्तावों को मंजूरी मिली है। उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम कर्मचारियों के नियमितीकरण और वेतन के मामले में मंत्रिमंडल की उप समिति गठित होगी, जो दो महीने के भीतर देगी अपनी रिपोट सौंपेगी।

 

उपनल से विदेशों में भी मिलेगी नौकरी
निर्णय लिया गया कि उपनल के माध्यम से अब विदेशों में भी नौकरी मिलेगी। वहीं आपदा में मृतक आश्रितों को चार लाख के स्थान पर पांच लाख मिलेंगे। वही पक्का मकान ध्वस्त होने पर पांच लाख दिए जाएंगे।दैनिक, संविदा और तदर्थ कर्मचारियों के मामले में मंत्रिमंडल की उप समिति गठित होगी, जो इनके नियमितीकरण को लेकर कट ऑफ डेट तय करेगी। प्रदेश में देवभूमि परिवार योजना लागू होगी। देवभूमि परिवार योजना के तहत उत्तराखंड में रह रहे परिवारों की आईडी बनेगी।

2027 चुनाव- कांग्रेस की टीम से भाजपा में हलचल,गणेश-हरक-प्रीतम की त्रिवेणी ने बढ़ाया राजनीतिक तापमान

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काफी सोच विचार के बाद कांग्रेस ने  भाजपा के आकाश में  अपने फाइटर  उतार दिए। बीते तीन साल से आधी अधूरी धामी सरकार पर कांग्रेस के नए लेकिन अनुभवी फाइटर बमबारी के लिए पूरी तरह तैयार है। टीम कांग्रेस की तैयार हुई और भाजपा चुनौती कई गुना बढ़ गयी।

मंगलवार की देर रात कांग्रेस आलाकमान ने लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद भाजपा की छांछ छोल (परेशान व बेचैन कर देना) चुके गणेश गोदियाल को एक बार फिर संगठन की बागडोर सौंपी है।

मौजूदा अध्यक्ष करण माहरा को हटाते हुए गोदियाल को आगे लाकर कांग्रेस ने अपने इरादे जता दिए। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद इसी आलाकमान ने गोदियाल को संगठन अध्यक्ष पद से हटा दिए थे । लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में गोदियाल ने जबर्दस्त ढंग से चुनाव लड़ते हुए भाजपा को अतिरिक्त मेहनत के लिए मजबूर कर दिया था।

गोदियाल के कड़े चुनावी सँघर्ष को  कांग्रेस आलाकमान ने भी सराहा था। बहरहाल, 11 नवंबर को कांग्रेस ने गणेश गोदियाल, प्रीतम सिंह रावत व हरक सिंह रावत को चुनाव की बागडोर देकर भाजपा के रणनीतिकारों को भी नये सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया।

Ganesh Godiyal (@UKGaneshGodiyal) / Posts / X

बीते कुछ समय से राजनीतिक जिम्मेदारी से मुक्त चल रहे हरक सिंह रावत को चुनाव प्रबंधन कमेटी का अध्यक्ष बनाकर चुनावी माहौल बनाने की कोशिश की है। 2022 में चुनाव नहीं लड़ने वाले हरक सिंह इन दिनों सीबीआई व ईडी का सामना भी कर रहे हैं।

बावजूद इसके हरक सिंह भाजपा पर कड़े प्रहार करने से नहीं चूक रहे हैं।  चुनावी माहौल बनाने में हरक सिंह की विशिष्ट शैली पार्टी के बहुत काम आएगी। हालांकि, अब केंद्रीय जांच एजेंसी हरक सिंह पर ज्यादा कड़ा शिकंजा कस सकती है।

कांग्रेस आलाकमान ने चकराता से पार्टी विधायक प्रीतम सिंह को 2027 के लिए चुनाव प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बनाया है। प्रीतम सिंह का विधानसभा के अंदर और बाहर आक्रामक प्रदर्शन रहता है। बीते दिनों प्रीतम सिंह ने देहरादून की जिला पंचायत अध्यक्ष सीट जीतकर भाजपा को करारी हार दी थी।

कांग्रेस ने गढ़वाल से गोदियाल, हरक व प्रीतम का चयन कर चुनावी जंग का ऐलान कर दिया है। साथ ही संगठन के जिलों में भी अध्यक्षों की नियुक्ति कर मुकम्मल टीम मैदान में उतार दी है।

जमीन पर भाजपा से भिड़ने की जिम्मेदारी गढ़वाल के कंधों पर है तो विधानसभा में मोर्चा संभालने का अहम कार्य नेता विपक्ष यशपाल आर्य और उपनेता भुवन कापड़ी सम्भाल रहे हैं।

कांग्रेस की नई टीम के गठन में पूर्व सीएम हरीश रावत के बीते दिनों खेले गए ब्राह्मण कार्ड की भी अहम भूमिका मानी जा रही है। जिलाध्यक्षों में भी इसकी झलक मिल रही है। हालांकि, करण माहरा के करीबी हरक सिंह को चुनाव प्रबन्धन की जिम्मेदारी देते हुए पार्टी के अंदर संतुलन बनाने की भी कोशिश की गई है। अब हरक की नई भूमिका को हरीश रावत कैम्प किस हिसाब से लेता है, यह देखना भी दिलचस्प रहेगा।

कांग्रेस हाईकमान ने सक्रिय हरदा को सीधे तौर पर कोई चुनावी जिम्मेदारी तो नहीं दी है लेकिन नयी टीम में उनके पसन्दीदा गोदियाल और प्रीतम सिंह को भारी भरकम जिम्मेदारी अवश्य दी।

कांग्रेस की नई टीम का ऐलान होते ही पार्टी के अंदर करंट दौड़ता दिखाई दे रहा है। उधर, टूटी फूटी कैबिनेट लिए सीएम धामी और भाजपा आलाकमान को कांग्रेस के इन नए फाइटर्स के हमलों को नाकाम करने के लिए भगीरथ प्रयास करने होंगे । चुनावी जंग रोचक मोड़ पर पहुंचती दिखाई दे रही है। आने वाले कल में राजनीतिक उठापटक का दौर चलने की पूरी उम्मीद है।

 

इसी माह भाजपा मोर्चाें के जिला अध्यक्षों की हो जाएगी तैनाती, पदाधिकारियों की भी हो सकती है घोषणा

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इसी महीने भारतीय जनता पार्टी के मोर्चाें के जिला अध्यक्षों को चुनने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके अलावा मोर्चें के प्रदेश पदाधिकारी के नामों की भी घोषणा हो सकती है। भाजपा के भाजयुमो, महिला, अल्पसंख्यक समेत छह मोर्चे हैं। मोर्चे के प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है पर उनकी टीम बननी बाकी है।

इसके अलावा भाजपा के संगठनात्मक 19 जिले हैं, यहां पर भी मोर्चे के जिला अध्यक्ष बनने बाकी हैं। सूत्रों के अनुसार पार्टी का फोकस बिहार चुनाव में था। राज्य संगठन के बड़े नेता भी चुनाव में जिम्मेदारी निभा रहे थे। बिहार का चुनाव जल्द संपन्न होने वाला है। ऐसे में बड़े पदाधिकारी जल्द वापस आने वाले हैं। इसके बाद से मोर्चे में प्रदेश पदाधिकारियों के नामों पर विचार-विमर्श के बाद नामों की घोषणा हो सकती है।

इसके अलावा मोर्चे के जिला अध्यक्षों को चुनने की प्रक्रिया होगी। इसके बाद जिला इकाईयों के टीम भी अस्तित्व में आ सकती है। इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री तरुण बंसल कहते हैं कि मोर्चो के जिला अध्यक्ष चुनने और मोर्चाें के प्रदेश पदाधिकारियों बनाए जाने को लेकर जल्द प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।

प्रदेश में हड़ताल पर गए 22 हजार उपनल कर्मचारी

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लंबित मांगों पर अमल न होने से नाराज प्रदेश के उपनल कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। कर्मचारियों ने परेड ग्राउंड में धरना दिया। वहीं, कर्मचारियों की शासन में हुई वार्ता भी बेनतीजा रही। कर्मचारियों का कहना है, जब तक मांगों पर अमल नहीं होगा आंदोलन जारी रहेगा।

उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा, प्रदेश में कर्मचारी हितों की अनदेखी की जा रही है। हाईकोर्ट के वर्ष 2018 के आदेश के बाद भी कर्मचारियों को न तो नियमित किया गया न ही उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जा रहा है। उपनल के माध्यम से विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों की सेवाएं भी प्रभावित की गईं। इससे नाराज कर्मचारियों ने आवश्यक सेवाएं भी ठप कर दी। महासंघ के महामंत्री विनय प्रसाद के मुताबिक कर्मचारियों को गृह सचिव शैलेश बगौली ने वार्ता के लिए बुलाया था। वार्ता के दौरान आश्वासन दिया गया कि कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन का जल्द आदेश जारी किया जाएगा।

वहीं, कर्मचारियों के नियमितीकरण के मामले में भी शीघ्र कार्रवाई होगी, लेकिन कर्मचारियों का स्पष्ट कहना है कि बिना लिखित आश्वासन व आदेश के कर्मचारी आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। परेड ग्राउंड में धरना देने वालों में महासंघ के प्रदेश संयोजक हरीश कोठारी, कार्यकारी अध्यक्ष महेश भट्ट, संगठन मंत्री भूपेश नेगी, महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष मीना रौठाण आदि शामिल रहे।

Uttarakhand 22,000 UPNL employees went on strike in state essential services were also disrupted

देर रात भी परेड ग्राउंड में धरने पर रहे कर्मचारी
प्रदेशभर से देहरादून पहुंचे उपनल कर्मचारी देर रात भी परेड ग्राउंड में धरने पर रहे। कर्मचारियों का कहना है कि शासन ने आज भी वार्ता के लिए बुलाया है।

राज्य के 25 साल – विकास की रफ्तार या व्यवस्था की विकृति

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लेखक-  स्वतंत्र पत्रकार हरीश खखरियाल की कलम से….. 

“9 नवम्बर  2000…जब उत्तराखंड ने अलग राज्य बनने का सपना देखा था,तो उस सपने में शामिल  था – विकास, पारदर्शिता, रोजगार और ईमानदारी। आज, जब राज्य अपनी रजत जयंती मना रहा है,सवाल  उठता है —इन 25 सालों में उत्तराखंड ने क्या पाया, और क्या खो दिया ?”
सपना और सच्चाई का अंतर

“राज्य आंदोलन के दौरान नारा था —‘अपना राज, अपने लोग, अपनी पहचान।उम्मीद थी कि  शासन गावों तक पहुंचेगा और भ्रष्टाचार से मुक्त व्यवस्था  बनेगी, लेकिन  दो दशक बाद हकीकत कुछ  और ही बयान कर रही है।बेरोज़गारी, पलायन और भ्रष्टाचार की जडें अब हर विभाग में फैल चुकी हैं।
Claim Thousands of unemployed will be seen on the streets today, walking march up to 7 km | “बेरोजगार युवा बोले - GO बेरोजगारी GO”: सड़क पर उतरे सैकड़ों बेरोजगार, 7 Km

Uttarakhand News: 22 वर्ष के उत्तराखंड में पलायन ऐसा विषय, जिसका अभी तक नहीं हो पाया है समाधान - uttarakhand foundation day migration problem not solved in 22 years at uttarakhand

बढ़ता भ्रष्टाचार – सिस्टम में सडांध
 
राज्य गठन के साथ उम्मीद थी कि ‘छोटा राज्य, पारदर्शी शासन’ का सपना साकार होगा,मगर 25 साल बाद भ्रष्टाचार की जडें इतनी गहरी हैं कि  अब न्यायालयों को बार-बार दखल देना पड रहा है।​
Uttarakhand High Court Recruitment 2025 (eCourts.gov.in) New Notification
 
 विभागीय भ्रष्टाचार हो या भर्तियों  में धांधली —हाईकोर्ट  तक को कई बार CBI जााँच के आदेश देने पडे। बागवानी विभाग को किसानों  की आत्मा कहा जाता है,वहां तक भ्र्ष्टाचार की गंध पहुंच चुकी है,किसानों  के लिए  बनी योजनाएं , सब्सिडी  और ग्रांट्स फाइलों में अटककर अफसरशाही की भेंट चढ़ गईं।हालात इतने बिगड़े कि हाईकोर्ट को खुद  बागवानी  विभाग के भ्रष्टाचार की जााँच CBI से कराने के आदेश देने पडे।
CBI to question bank officials under scanner in 8.5 lakh mule accounts case - The Economic Times
और यह कहानी सिर्फ  एक विभाग की नहीं —सडक निर्माण  से लेकर खनन, शिक्षा और भर्ती परीक्षाओं तक,हर जगह ‘सिस्टम सवालों  के घेरे में है।

पेपर लीक और बेरोज़गारों की हताशा

पेपर लीक कांड ने युवाओं के भरोसे को तोड़ दिया  है। जिस युवा शक्ति को राज्य की रीड बनना था,,वही  आज  आज सडकों पर है,अपने हक़ और मेहनत की कीमत मांगते  हुए हर कुछ  महीनों में भर्ती  परीक्षाओं की जााँच, रद्दीकरण,और आंदोलनों की आवाज बनकर  सुनाई  देती है।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने 10 फरवरी को उत्तराखंड बंद का आह्वान किया है – दिप्रिंट – एएनआईफ़ीड
पलायन रुकने के बजाय और बढ़ा है —आज पहाडों से हर रोज़ सैकडों युवा  रोज़गार की तलाश में मैदान की ओर उतर रहे हैं।​
अपराध और असुरक्षा – बदलता उत्तराखंड

कभी शांत प्रदेश कहा जाने वाला  उत्तराखंड अब अपराध की खबरों से भी अछूता नहीं रहा। हत्या, लूट और दुष्कर्म जैसी वारदातें अब यहां की सुर्ख़ियों में शामिल हैं,सवाल  उठता है — क्या हम वाकई  उस उत्तराखंड में हैं,जिसका  सपना 2000 में देखा गया था?”
 

विकास की रफ्तार – उप्लभ्धियाँ भी कम नहीं 

इन सबके बीच, उत्तराखंड ने विकास की राह पर भी कई कदम बढ़ाए हैं। चारधाम यात्रा के तलए ऑल वेदर  रोड प्रोजेक्ट,हवाई सेवाओं  का विस्तार,और शिक्षा स्वास्थ्य  के नए संस्थान — ये उप्लभ्धियाँ राज्य की प्रगति की तस्वीर दिखाती  हैं। पर्यटन , योग, और जैविक खेती के क्षेत्र में भी उत्तराखंड ने नई पहचान बनाई है। आज राज्य का GDP 3 लाख करोड के करीब पहुंच  रहा है,और प्रति व्यक्ति  आय में भी बढ़ोतरी हुई है।लेकिन सवाल वही  —क्या विकास का लाभ हर पहाडी गावं तक पहुंचा ?जनता का सवाल – जवाबदेहि कहां है?

जब हर कुछ  सालों में एक नया घोटाला सामने आता है,जब हर भर्ती  पर संदेह हो,जब युवाओं  की आाँखों में विश्वास की जगह निराशा  हो —तब रजत जयंती के जश्न पर ताली बजाना मुश्किल  हो जाता है। सवाल है  — क्या ये 25 साल जनता के लिए बदलाव  लाए या सिर्फ कुर्सियों के लिए ?

निष्कर्ष  – उम्मीद अब भी बाकी है

उत्तराखंड की कहानी संघर्ष से शुरू हुई थी,और उम्मीदों पर अटकी हुई है।ये राज्य युवाओं  की मेहनत और पहाडों की ईमानदारी से बना है।अगर राराजनीतिक इइच्छाशक्ति  ईमानदार हो,तो अगला अध्याय भरोसे और पारदर्शिता  का लिखा  जा सकता है। राज्य का सवाल अब भी वही  है —‘क्या खोया, क्या पाया?’ जवाब आने वाले सालों में तय करेगा कि पहाड़ों का सपना अधूरा रहेगा या पूरा होगा।”
“25 साल बाद भी सवाल वही  — भ्रष्टाचार बनाम विकास | उत्तराखंड @ 25”
 
ये लेखक के अपने स्वतंत्र विचार हैं…