Category Archive : ब्रेकिंग न्यूज

कश्मीरी छात्रों पर बयान के बाद देहरादून में अलर्ट, हिंदू रक्षा दल के अध्यक्ष पर मुकदमा दर्ज

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हिंदू रक्षा दल की ओर से कश्मीरी छात्रों पर दिए गए बयान के बाद बृहस्पतिवार को पुलिस अलर्ट रही। पुलिस ने हिंदू रक्षा दल के अध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही सुबह से दोपहर तक दल के नेताओं को घर पर ही नजरबंद किया।

हिंदू रक्षा दल के प्रदेश अध्यक्ष ललित शर्मा ने बुधवार को कश्मीरी छात्रों पर विवादित बयान दिया था। सोशल मीडिया पर भी इसका वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस हरकत में आई। अलर्ट जारी करने के साथ ही कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई। बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजे से ही पुलिस हिंदू रक्षा दल के लोगों के घरों पर पहुंच गई और उन्हें घरों से निकलने नहीं दिया।दोपहर तक उनके घरों पर पुलिस का कड़ा पहरा रहा।

एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि कश्मीरी छात्रों पर दिए गए बयान के बाद आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा के लिए पुलिस गंभीर है। यदि कोई शांतिभंग का प्रयास करेगा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

देहरादून के शिक्षण संस्थानों में 1201 कश्मीरी छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी सुरक्षा को लेकर एसएसपी अजय सिंह ने बृहस्पतिवार को बैठक की। जिन जगहों पर कश्मीरी छात्र रह रहे हैं, वहां के संचालकों को एसएसपी ने सुरक्षा के निर्देश दिए। साथ ही ऐसे क्षेत्रों में पीएसी तैनात की गई है। पीएसी लगातार इन क्षेत्रों में भ्रमण करेगी।

स्कूलों में बैग फ्री डे,महीने के अंतिम शनिवार अब मस्ती की पाठशाला

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प्रदेश के सरकारी और निजी सभी स्कूलों में महीने के अंतिम शनिवार को बस्ते की छुट्टी रहेगी। उत्तराखंड बोर्ड के स्कूल हों या फिर सीबीएसई, आईसीएससी, संस्कृत और भारतीय शिक्षा परिषद के स्कूल सभी में बच्चों के कंधों पर बस्ते नहीं होंगे। सरकार ने हर महीने के अंतिम शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस मनाने का निर्णय लिया है।

In The Government Schools The Fourth Saturday Of The Month Will Be Bag Free Day - Amar Ujala Hindi News Live - सरकारी स्कूलों में महीने का चौथा शनिवार होगा बैग फ्री
शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत के मुताबिक इसी शनिवार से इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। एससीईआरटी सभागार में आयोजित कार्यशाला में शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने बस्ता रहित दिवस की शुरुआत की और गतिविधि पुस्तिका का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि बच्चों को पढ़ाई के साथ ही खेल, व्यावसायिक शिक्षा, कृषि, चित्रकला सहित विभिन्न गतिविधियों में दक्ष बनाया जाना है।
No bags, it's masti time at govt schools - The Tribune
इसके लिए सभी स्कूलों में बच्चे महीने में एक दिन बिना बस्ते के आएंगे। विदेशों में बच्चे खुशनुमा माहौल में पढ़ते हैं। उनके लिए इसी तरह का माहौल होना चाहिए। कार्यक्रम में शिक्षा सचिव रविनाथ रामन, महानिदेशक झरना कमठान, मिशन निदेशक एनएचएम स्वाति भदौरिया, डाॅ. मुकुल सती, विभिन्न निजी स्कूलों के प्रबंधक व बोर्ड के अधिकारी मौजूद रहे।

‘सिंधु जल समझौता’ रद्द होने से पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा,क्या भारत सच में रोक सकता है पानी ?

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पहलगाम आतंकी हमला निश्चित रूप से सुरक्षा व्यवस्था में कुछ कमियों को उजागर करता है, और यह सरकार के लिए एक चेतावनी है कि खुफिया तंत्र, सीमा सुरक्षा, और पर्यटन स्थलों की निगरानी को और मजबूत करने की जरूरत है। लेकिन इसे केवल सरकार की नाकामी का सबूत कहना अतिशयोक्ति होगी,क्योंकि  आतंकी हमले जटिल सुरक्षा चुनौतियाँ हैं, जिनके पीछे कई कारक होते हैं, जैसे सीमा पार से आतंकवाद का समर्थन, स्थानीय परिस्थितियाँ, और वैश्विक आतंकी नेटवर्क। सरकार की नीतियों और सुरक्षा व्यवस्थाओं में कमियाँ हो सकती हैं, लेकिन इस तरह की घटनाओं को पूरी तरह से एक पक्ष की विफलता के रूप में देखना सही नहीं है।भारत सरकार ने त्वरित प्रतिक्रिया दी, जिसमें सर्च ऑपरेशन, सुरक्षा समीक्षा बैठकें, और पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम जैसे सिंधु जल संधि को स्थगित करना और अटारी बॉर्डर बंद करना शामिल हैं। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर सरकार ने पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा की,,,इससे पहले भी सरकार ने कई ऐसे एक्शन लिए हैं जो आतंकवादियों की कमर तोड़ने में कारगर साबित हुए हैं,,,कई बार आतंकी हमले होने से पहले ही उन पर एक्शन भी हुआ है,,,क्योंकि आतंकवाद एक बहुआयामी चुनौती है, जिसमें बाहरी ताकतों की बड़ी भूमिका है,,, सिर्फ ये कहना कि सरकार की नाकामी से ये घटना हुई ये भी सही नहीं होगा,,,हाँ चूक जरूर कुछ मामलों में सरकार से हो चुकी है,,,लेकिन भारत ने भी कूटनीतिक तरिके से पाकिस्तान को जवाब देना शुरू कर दिया है,,,,इनमें सबसे प्रमुख है सिंधु  जल समझौता रद्द करना,,,
 
 
यहां ये जानना भी जरूरी  हो जाता है कि आखिर  सिंधु  जल   समझौता रद्द होने से पाकिस्तान पर क्या प्रभाव पड़ सकते हैं,,,भारत द्वारा पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता  रद्द करने या निलंबित करने के कई दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। यह समझौता 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुआ था, जिसके तहत सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों—सिंधु, झेलम, चिनाब जो पश्चिमी नदियाँ हैं  और रावी, ब्यास, सतलुज जो पूर्वी नदियाँ हैं उनके  पानी का बँटवारा किया गया था । पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों का 80% पानी मिलता है, जबकि भारत को पूर्वी नदियों का नियंत्रण और पश्चिमी नदियों पर सीमित उपयोग  का अधिकार है।अब ये समझौता रद्द होने से पाकितान पर इसके प्रभाव बहुत घातक साबित हो सकते हैं,,,पाकिस्तान की लगभग 80% कृषि भूमि और 21 करोड़ से अधिक आबादी सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर है। यदि भारत पानी का प्रवाह रोकता या कम करता है, तो पाकिस्तान में पीने के पानी और स्वच्छता के लिए गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है,,,पाकिस्तान की 16 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है, जो 90% सिंचाई के लिए इसका उपयोग करती है। पानी की कमी से गेहूं, चावल, और कपास जैसी प्रमुख फसलों की पैदावार घट सकती है, जिससे खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है,,,गेहूं की बुवाई जैसे महत्वपूर्ण समय पर पानी की कमी से फसल चक्र बाधित हो सकता है, जिससे खाद्य कीमतों में वृद्धि और किसानों की आजीविका पर असर पड़ेगा,,कृषि पाकिस्तान की जीडीपी में 25% योगदान देती है। पानी की कमी से खाद्य उत्पादन में कमी, बेरोजगारी, और आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है।जलविद्युत परियोजनाएँ जैसे तरबेला और मंगला बाँध प्रभावित होंगी, जिससे ऊर्जा संकट गहरा सकता है,,,समझौते को निलंबित करना भारत के लिए एक रणनीतिक कदम है, विशेष रूप से आतंकवाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के रूप में। यह पाकिस्तान पर दबाव डालने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है,,,
 
What is the Indus Waters Treaty put on hold by India after Pahalgam attack?
 
हालाँकि भारत ये करने में कितना कामयाब हो पायेगा ये देखना होगा क्योंकि समझौते को एकतरफा निलंबित करना अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत विवादास्पद हो सकता है। वियना संधि  की धारा 62 के तहत, भारत यह तर्क दे सकता है कि पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद मूलभूत परिस्थितियों में बदलाव है, लेकिन विश्व बैंक या अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है,,,पाकिस्तान विश्व बैंक या संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे को उठा सकता है, जिससे भारत पर कूटनीतिक दबाव बढ़ सकता है,,,पाकिस्तान हेग के मध्यस्थता न्यायालय में भारत के फैसले को चुनौती दे सकता है, जैसा कि उसने किशनगंगा परियोजना के मामले में किया था,,,
Pak writes to Ind for dialogue on water issues next month - sources
 
 
यहां सवाल ये भी है कि क्या भारत पाकिस्तान का पानी सच में रोक सकता है,,,तो जवाब है हाँ, भारत तकनीकी और भौगोलिक दृष्टि से पाकिस्तान को जाने वाली कुछ नदियों का पानी रोक सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया जटिल है और इसके कई कानूनी, राजनीतिक, और व्यावहारिक पहलू हैं,,,रावी, ब्यास, सतलज इन पर भारत का पूरा नियंत्रण है, और भारत इनका पानी बिना किसी प्रतिबंध के उपयोग कर सकता है,,,भारत पहले से ही रावी नदी का पानी रोकने के लिए कदम उठा चुका है। उदाहरण के लिए, 2024 में शाहपुर कंडी बैराज के पूरा होने के बाद रावी का पानी पाकिस्तान की ओर जाने के बजाय जम्मू-कश्मीर और पंजाब में उपयोग हो रहा है। इससे जम्मू-कश्मीर को 1150 क्यूसेक अतिरिक्त पानी मिल रहा है,,,सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियाँ भारत से होकर पाकिस्तान जाती हैं। भारत इन नदियों पर बांध बनाकर या जलाशयों का निर्माण करके पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है। हालांकि, पूरी तरह रोकना मुश्किल है क्योंकि भारत के पास अभी इतनी बड़ी जल भंडारण क्षमता नहीं है कि वह इन नदियों के पूरे प्रवाह को रोक सके। बड़े बांध बनाने में समय और संसाधन लगते हैं,,इन नदियों का प्रवाह इतना विशाल है कि इसे पूरी तरह रोकना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है,,,
 
 
 
कुल मिलाकर सिंधु जल समझौते का निलंबन पाकिस्तान के लिए तत्काल और दीर्घकालिक संकट पैदा कर सकता है, विशेष रूप से जल, कृषि, और आर्थिक क्षेत्रों में। भारत के लिए यह एक शक्तिशाली रणनीतिक कदम है, लेकिन इसके साथ अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय जोखिम भी जुड़े हैं। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है,,सरकार को अपना काम करना है लेकिन इस त्रासदी में जान गंवाने वाले 26 लोगों की याद में और कश्मीर की शांति के लिए,राजनैतिक दलों को  राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर एकजुटता दिखानी होगी। आतंकियों को करारा जवाब देना और कश्मीर को फिर से स्वर्ग बनाना सिर्फ सरकार की ही नहीं बल्कि सभी पार्टियों के साथ साथ हम  सभी की भी  साझा जिम्मेदारी है।

चारधाम यात्रा -बीकेटीसी अध्यक्ष की ताजपोशी को लेकर संशय बरकरार

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सीएम से लेकर मंत्री व अधिकारी चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को लेकर दिन रात चिंतित नजर आ रहे हैं।

हर दिन चारधाम यात्रा को लेकर कोई न कोई व्यवस्था की बात हो रही है।
शासन के अधिकारी आईएएस राजेश कुमार,युगल किशोर पंत,खैरवाल व पुरुषोत्तम चारधाम यात्रा रूट का हाल देख लौट चुके हैं।

एक पखवाड़े बाद चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी। लेकिन अभी तक बद्री-केदार मन्दिर समिति की रिक्त अध्यक्ष पद की सीट पर किसी योग्य व्यक्ति की ताजपोशी नहीं हो पाई है।

हालांकि, इस बीच सीएम धामी लगभग तीन दर्जन पार्टी नेताओं को अहम दायित्व सौंप चुके हैं। साथ ही राज्य मुख्य सूचना आयुक्त से लेकर सूचना आयुक्त के पदों पर भी ताजपोशी हो चुकी है।

लेकिन अजेंद्र अजय का कार्यकाल पूरा होने व लम्बा समय बीतने के बाद किसी निर्विवाद चेहरे की अभी तक तलाश पूरी नहीं हो पाई है।

बीते सालों में बद्री केदार मन्दिर समिति को लेकर काफी विवाद देखने को मिले। केदारनाथ मन्दिर में सोने की परत का पीतल में तब्दील होने, मन्दिर परिसर में क्यू आर कोड समेत कई अन्य मामले मीडिया की सुर्खियां बने।

बीकेटीसी के अंदर चल रहे विवाद भी सीएम दरबार तक पहुंचे। लिहाजा, सीएम धामी स्वच्छ छवि के अध्यक्ष की तलाश में है।

पार्टी के कई नेताओं ने अपने अपने क्षत्रप पकड़ कर बीकेटीसी अध्यक्ष की कुर्सी के लिए जोड़ तोड़ लगा रहे हैं।

चारधाम यात्रा सिर पर खड़ी है। बिना अध्यक्ष के बीकेटीसी बोर्ड में बजट व वेतन सम्बन्धी कई फैसले अटके पड़े हैं।

बहरहाल, एक सीईओ ही मौजूदा व्यबस्था देख रहे हैं। अध्यक्ष के अलावा उपाध्यक्ष की कुर्सी के लिए राजनीति तेज हो गयी है।

धर्मस्व व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज की मौजूदगी में कुछ दिन पहले हुई बैठक में सब कुछ तय होने का दावा किया गया था। लेकिन अभी तक बीकेटीसी अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों की ताजपोशी को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है।

चारधाम यात्रा-बैठकों का सिलसिला जारी

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने शनिवार को सुरक्षित, सुगम और सुव्यवस्थित चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर सचिवालय स्थित अपने सभागार में अधिकारियों के साथ बैठक ली। उन्होंने चारधाम यात्रा मार्ग की पुख्ता व्यवस्थाओं को लेकर सभी विभागों को अभी से अपनी तैयारियां समयबद्धता से पूरी करने के निर्देश दिए हैं।

यात्रामार्गों को चारधाम यात्रा से पहले किया जाए दुरूस्तः मुख्य सचिव

पूर्व में जारी अपने निर्देशों के क्रम में मुख्य सचिव ने सचिव युगल किशोर पंत को देहरादून से केदारनाथ, सचिव डा. आर राजेश कुमार को बद्रीनाथ यात्रा मार्ग, सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम को गंगोत्री धाम तथा डॉ. नीरज खैरवाल से यमुनोत्री धाम की तैयारियों के सम्बन्ध में फीडबैक लिया।

उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी सचिवों से प्राप्त सुझावों का अनुपालन करते अथवा कमियों को दुरूस्त किया जाए। यात्रा मार्ग पर सभी जरूरतों का अभी से आंकलन करते हुए सभी व्यवस्थाएं यात्रा आरम्भ से पहले दुरूस्त करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं को संवेदनशीलता के साथ एवं कार्य निर्धारित समय पर पूर्ण करने को गम्भीरता से लेने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रत्येक धाम एवं उनके यात्रामार्गों पर मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने यूपीसीएल को धामों में लॉ-वॉल्टेज की समस्या को शीघ्र दुरूस्त किए जाने के भी निर्देश दिए।

यात्रा पंजीकरण स्थलों में स्वास्थ्य जांच केन्द्रों की संख्या बढ़ायी जाए

मुख्य सचिव ने केदारनाथ में बन रहे अस्पताल को या़त्रा शुरू होने से पहले सुचारू किए जाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने सुरक्षित या़त्रा के लिए निवारक उपायों की अत्यधिक आवश्यकता पर बल देते हुए स्वास्थ्य जांच केन्द्रों को बढाए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यात्रा की शुरूवात में ही स्वास्थ्य परीक्षण हो सके इसके लिए हरिद्वार, ऋषिकेश एवं विकासनगर में हेल्थ स्क्रीनिंग केन्द्रों की संख्या बढ़ाई जाए। मुख्य सचिव ने मल्टी लेवल पार्किंग की व्यवस्था पर बल देते हुए अधिक से अधिक पार्किंग स्थलों को चिन्हित किए जाने की बात कही। कहा कि पार्किंग स्थलों के आस-पास रहने खाने एवं स्वास्थ्य जांच आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि सभी यात्रा मार्गों पर स्थानीय स्तर परिस्थितियों एवं विकल्प मार्गों के अनुरूप यातायात प्रबंधन योजना तैयार की जाए।

यात्रा मार्गों पर श्रद्धालुओं द्वारा वृक्षारोपण हेतु ‘स्मृति वन‘ किए जाएं चिन्हित

मुख्य सचिव ने श्रद्धालुओं द्वारा यात्रा मार्गों पर वृक्षारोपण करने हेतु स्मृति वन के लिए स्थान चिन्हित किए जाने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि इच्छित श्रद्धालु इन पलों को यादगार बनाने के लिए पौधारोपण कर सकते हैं।

जाम आदि की जानकारी हेतु डिजीटल डिस्प्ले बोर्ड की की जाए व्यवस्था

मुख्य सचिव ने कहा कि यात्रा मार्गों में दृर्घटनाओं या लैंड स्लाईड से लगने वाले जाम के कारण पीछे लगी लम्बी लाईनों में यात्रियों को जाम के कारणों की उचित जानकारी मिल सके इसके लिए मैकेनिज्म तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए यात्रा मार्गों पर डिजीटल डिस्प्ले बोर्ड लगाए जा सकते हैं, जो यह जानकारी उपलब्ध कराएंगे कि किस स्थान पर कौन सी घटना घटी है, जिसके कारण जाम लगा है। उन्होंने इसके लिए सचिव लोक निर्माण विभाग को व्यवस्थाएं सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा जब तक यह व्यवस्था धरातल पर उतरती है तब तक बल्क एसएमएस और बल्क व्हॉट्सअप मैसेज के माध्यम से यह जानकारी उपलब्ध करायी जाए। उन्होंने संभावित भूस्खलन क्षेत्रों का ट्रीटमेंट शीघ्र किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि इन भूस्खलन क्षेत्रों के लिए दीर्घावधि उपचार पर भी शीघ्र कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

सर्विस प्रोवाइडर की आरएफआईडी टैग बनाए जाएंः मुख्य सचिव

मुख्य सचिव ने यात्रा मार्गों पर स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने ‘सुलभ‘ को नियमित सफाई एवं पानी की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सफाई व्यवस्था के लिए पूरे प्रदेश में यह व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने की बात कही। उन्होंने इसके लिए उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं 15वें वित्त आयोग की स्वच्छता हेतु टाईड फंड से भी फंड्स उपलब्ध कराए जाने की बात कही। उन्होंने चारों धामों में दुकानदार एवं घोड़ा/कंडी संचालक सहित सभी प्रकार केे सर्विस प्रोवाईडर की आरएफआईडी टैग बनाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि धामों में श्रद्धालुओं के रूकने के लिए लगाए गए टैन्ट आदि को सुव्यस्थित ढंग से लगाए जाने हेतु व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।

इस अवसर पर सचिव शैलेश बगोली, नितेश कुमार झा, सचिन कुर्वे, डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरूषोत्तम, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, चंद्रेश कुमार यादव, डॉ. आर. राजेश कुमार, डॉ. नीरज खैरवाल, कमिश्नर गढ़वाल विनय शंकर पाण्डेय, सचिव युगल किशोर पंत, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चारधाम एवं यात्रामार्गों से सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारी एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सीएम धामी के सभी डीएम को निर्देश, पेयजल आपूर्ति और जंगल की आग के नियंत्रण पर दें विशेष जोर

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सीएम धामी ने आज प्रदेश क सभी जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की। इस दौरान उन्होंने सभी को निर्देश दिए कि वे अपने जनपदों में पब्लिक सर्विस डिलीवरी, सड़कों को गड्ढा मुक्त करने, पेयजल आपूर्ति बनाए रखने और वन अग्नि पर प्रभावी नियंत्रण के लिए विशेष ध्यान दें। कहा कि सड़क निर्माण व मरम्मत, बिजली और पानी की आपूर्ति पर लगातार निगरानी भी रखें।

सीएम ने जन समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित करने और 1905 और 1064 जैसे पोर्टलों पर प्राप्त शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करने के भी दिए दिए। कहा कि श्रद्धालुओं को चारधाम यात्रा में हर संभवन मदद मिल सके इस पर विशेष ध्यान  दें।

साथ ही अवैध अतिक्रमण, अवैध मदरसों पर विशेष अभियान चलाने, सभी विभागीय कार्यों की मॉनिटरिंग, सत्यापन अभियान में तेजी लाने और स्थानीय प्रशासन के साथ तालमेल बढ़ाने के संबंध में भी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

 

 

सांसद त्रिवेंद्र ने लोकसभा में उठाया अवैध खनन का मुददा

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हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरुवार को लोकसभा में अवैध खनन से भरे ट्रकों और उनसे सड़कों पर जनता की सुरक्षा से जुड़े गंभीर मुददे की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया।उन्होंने लोकसभा स्पीकर के जरिए केंद्र सरकार से मांग की कि अवैध तरीके से खनन सामग्री से भरे तेज गति से सड़कों पर चल रहे वाहनों की निगरानी के लिए विशेष टास्क फोर्स गठित की जाए। उन्होंने अवैध खनन सामग्री ढोने वाले ट्रक मालिकों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई करने की मांग की है। ऐसा दूसरी बार हुआ जब हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकसभा सदन में हरिद्वार समेत पूरे राज्य में अवैध खनन का मुददा उठाया है।

 

पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और उधमसिंह नगर के जिलों में रात के समय अवैध रूप से संचालित खनन ट्रकों का संचालन हो रहा है। यह कानून और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए खतरा बनता जा रहा है। अपितु आम जनमानस की सुरक्षा को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। यह देखा गया है कि राज्य सरकार और प्रशासन के स्पष्ट निर्देशों के बाबजूद खनन माफियाओं द्वारा रात्रि के समय ट्रकों का अवैध संचालन धडल्ले से किया जा रहा है। इन ट्रकों में भारी मात्रा में ओवरलोडिंग की जाती है। बिना किसी वैध अनुमति के खनिजों का परिवहन किया जाता है। अवैध गतिविधियों के कारण राज्य में सड़कों, पुलों के बुनायादी ढांचे को भारी क्षति हो रही है। इससे आम नागारिकों के लिए आवागमन कठिन हो गया है। सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि लापरवाही और तेज गति से वाहन संचालन के कारण सड़क दुर्घटनाओं लगातार बृद्धि हो गई है। कई निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है। कई घायल हो चुके है। ट्रक चालकों द्वारा ट्रैफिक नियमों की अनदेखी और नशे की हालत में वाहन चलाना स्थानीय प्रशासन से मिलीभगत के चलते स्थिति और भी भयावह होती जा रही है।

 

उन्होंने स्पीकर के जरिए कहा कि यह भी आवश्यक है कि केंद्र सरकार इस गंभीर समस्या की ओर तत्काल ध्यान दे। प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करे।

त्रिवेंद्र ने कहा कि केंद्र सरकार और उत्तराखंड राज्य प्रशासन से आग्रह करते है कि अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिए यह विशेष टास्क फोर्स गठित की जाए। रात्रि के समय खनन के वाहनों पर प्रतिबंध लगाया जाए और सख्ती से निगरानी की जाए। ओवरलोडिंग रोकने हेतु सभी मुख्य मार्गो पर चेक पोस्ट लगाए जाए।

दोषी ट्रक मालिकों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। इस मामले में संलिप्त अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। लापरवाही बरतने वालों पर कठोर अनुशासत्मक कार्यवाही की जाए।

सीएम धामी देश के ताकतवर राजनीतिज्ञों में 32वें पायदान पर

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देश के मीडिया समूह इंडियन एक्सप्रेस द्वारा जारी की गई 100 सबसे ताकतवर भारतीयों की सूची में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को देश के सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में 32वां स्थान प्राप्त हुआ है, जबकि पिछले वर्ष वह 61वें स्थान पर थे।सरकारी प्रेस नोट में यह जानकारी देते हुए कहा गया कि यह छलांग इस बात का प्रमाण है कि मुख्यमंत्री  ने अपनी नेतृत्व क्षमता, कड़ी मेहनत और समर्पण से राज्य के विकास को नया आयाम दिया है।

हाल ही में सीएम धामी सरकार ने तीन साल पूरे किए हैं। इस अवधि में यूसीसी, नकल कानून ,भू कानून समेत कई मुद्दों पर अहम फैसले लिए गए।

मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं और अनेक योजनाओं को धरातल पर उतारा हैं, जो न केवल राज्य की प्रगति को सुनिश्चित करते हैं, बल्कि देश की राजनीति में भी उनका प्रभाव और सम्मान बढ़ाते है।

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रैंकिंग का आधार

यूसीसी – अन्य राज्यों के लिए बनी ब्ल्यू प्रिंट
इंडियन एक्सप्रेस ने सीएम पुष्कर सिंह धामी की शानदार रैंकिंग के लिए उनके पिछले एक साल के कार्यकाल को आधार बनाया है। जिसमें उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू किए जाने को सबसे महत्वूपर्ण कदम बताया गया है। अखबार के मुताबिक उत्तराखंड समान नागरिक संहिता अन्य राज्यों के लिए ब्ल्यू प्रिंट की तरह काम कर रही है, इसके बाद, गुजरात ने भी अपने यहां समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कमेटी का गठन कर लिया है।

राजनैतिक स्थिरता – इंडियन एकसप्रेस ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को राज्य में राजनैतिक स्थिरता कायम करने का भी श्रेय दिया है। अखबार के मुताबिक उत्तराखंड में 2017 से 2022 के बीच तीन- तीन मुख्यमंत्री बने, लेकिन अब पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य में राजनैतिक स्थिरता लौट आई है। अखबार ने राष्ट्रीय खेलों के जरिए उत्तराखंड में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व की तारीफ की है।

चुनावी सफलता- अखबार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के काम काज का मूल्यांकन करते हुए कहा है कि, उनके नेतृत्व में भाजपा ने लोकसभा चुनाव और स्थानीय निकाय चुनावों में शानदार सफलता हासिल की है, अब उनका लक्ष्य 2027 विधानसभा चुनाव है।

इसलिए महत्वपूर्ण है लिस्ट
इंडियन एक्स्रपेस समूह हर साल देश के 100 ताकतवर लोगों की लिस्ट जारी करता है, जिसमें राजनीति, लोक प्रशासन, उद्योग- कारोबार, सिनेमा, खेल सहित सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम करने वाले लोगों को उनके कार्यों और इसके असर के आधार पर रैंकिंग प्रदान की जाती है। इस साल की लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रथम स्थान पर रखा गया है। दूसरे स्थान पर गृहमंत्री अमित शाह, चौथे स्थान पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को रखा गया है। साथ ही उद्योगपति मुकेश अंबानी, गौतम अड़ानी, जय शाह, एनएसए अजित डोभाल, शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद, क्रिकेटर रोहित शर्मा, विराट कोहली, दक्षिण भारतीय अभिनेता विजय, अल्लू अर्जुन, बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन सहित यूपी, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री और कई विपक्षी नेताओं को स्थान प्रदान किया गया है।

धामी सर्वाधिक युवा प्रभावशालियों में अखबार की लिस्ट में 49 वर्षीय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को 32वां स्थान प्रदान किया गया है। इस लिस्ट में 50 वर्ष से कम उम्र की बहुत कम राजनीतिक हस्तियां हैं जिनमें सीएम धामी भी हैं।

आनन्द वर्धन उत्तराखंड के नये मुख्य सचिव बने

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वरिष्ठ आईएएस आनन्द वर्धन उत्तराखण्ड के नये मुख्य सचिव होंगे। 1992 बैच के आईएएस वर्द्धन मौजूदा मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की जगह लेंगे।

 

प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आनंद बर्द्धन को उत्तराखंड का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है। राज्य सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। आनंद बर्द्धन एक अप्रैल को पदभार ग्रहण करेंगे।राधा रतूड़ी का सेवा विस्तार 31 मार्च को समाप्त हो रहा है। आईएएस आनन्द वर्द्धन ही राज्य में सबसे वरिष्ठ नौकरशाह हैं।

उत्तराखंड में यहां पेड़ों से चिपक गई महिलाएं, सड़कों पर उतरे हजारों पर्यावरण प्रेमी

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भानियावाला-ऋषिकेश मार्ग चौड़ीकरण के नाम पर करीब 3300 पेड़ों को काटने के विरोध में दो-दो पद्मश्री, लोकगायिका समेत बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी सड़क पर उतर गए। पेड़ों से चिपक कर महिलाओं ने उनके रक्षा का संकल्प लिया और चिपको आंदोलन 2.0 शुरू करने का एलान किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया।

चिपको आंदोलन' चलाने वाली एक थी 'चिपको वुमेन' फ्रॉम इंडियाNaN

ऋषिकेश से भानियावाला के बीच सड़क को फोरलेन किया जाना है। करीब 21 किमी के दायरे में 600 करोड़ रुपये की लागत से चौड़ीकरण कार्य किया जाना है। चौड़ीकरण के दौरान करीब 3300 पेड़ भी कटान की जद में हैं। जिनका इन दिनों छंटाई कार्य चल रहा है। इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों के कटान की जद में आने पर पर्यावरणविदों व लोगों ने कड़ा आक्रोश जताया है।

Chipko movement Again in Uttarakhand Women Hug to trees in rishikesh against tree cutting

रविवार को विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग सात मोड़ क्षेत्र में एकत्र हुए। पर्यावरणविदों का कहना था कि पिछले कुछ दशकों में, देहरादून और उसके आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरणीय असंतुलन तेजी से बढ़ा है। बढ़ते तापमान, घटते भूजल स्तर और खराब होती वायु गुणवत्ता लोगों के स्वास्थ्य और जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं।

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इन गंभीर संकेतों के बावजूद, बिना किसी दीर्घकालिक पर्यावरणीय योजना के बड़े-बड़े विकास परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। उत्तराखंड के लोग लंबे समय से वनों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक संसाधनों के विनाश का विरोध कर रहे हैं। लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने सातमोड़ क्षेत्र में पेड़ों को रक्षा सूत्र बांध कर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। कहा कि यह चिपको आंदोलन 2.0 का आगाज है।

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प्रमुख रूप से पद्मश्री डॉ. माधुरी बर्तवाल, पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, लोकगायिका कमला देवी, इरा चौहान, अनूप नौटियाल, सूरज सिंह नेगी, नितिन मलेथा, इंद्रेश मैखुरी आदि

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यह हैं प्रदर्शनकारियों की मांग
1. ऋषिकेश-जौलीग्रांट हाईवे परियोजना और इसके तहत 3,300 पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई जाए।
2. देहरादून और इसके आसपास के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में वनों के व्यावसायिक उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। भविष्य की सभी परियोजनाओं में सतत विकास को प्राथमिकता दी जाए।
3. देहरादून की पारंपरिक नहरों का संरक्षण और पुनरुद्धार किया जाए। ये नहरें भूजल रिचार्ज और अत्यधिक गर्मी के दौरान तापमान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
4. देहरादून की प्रमुख नदियों (रिस्पना, बिंदाल और सौंग) को पुनर्जीवित किया जाए। इन्हें प्लास्टिक कचरे और अनुपचारित सीवेज से बचाया जाना चाहिए।
5. हरे भरे स्थानों को बढ़ावा देने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं। देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में आने वाली सभी नई आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं में कम से कम 25% भूमि हरित क्षेत्र के लिए आरक्षित होनी चाहिए।
6. वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए त्वरित कार्रवाई की जाए।
7. 1980 के वन अधिनियम में संशोधन कर जंगलों में लगने वाली आग को रोकने के लिए प्रभावी रणनीतियां अपनाई जाएं।

अग्रवाल के इस्तीफे के बाद पांच कुर्सियां खाली, मंत्री के लिए इन नामों की चर्चा

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कैबिनेट मंत्री के पद से प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा देने के साथ ही धामी कैबिनेट में फेरबदल की जल्द संभावनाएं बन गई हैं। इस्तीफा प्राप्त होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे राज्यपाल को भेज दिया है।माना जा रहा है कि इस संबंध में केंद्रीय नेतृत्व से मार्गदर्शन लेने सोमवार को मुख्यमंत्री दिल्ली जा सकते हैं। तेज हुई राजनीतिक हलचल के बीच कैबिनेट में नए मंत्री बनाए जाने और एक और मंत्री को बदले जाने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। 23 मार्च को धामी सरकार का तीन साल कार्यकाल पूरा हो रहा है। सूत्र इससे पहले कैबिनेट बदलाव की संभावना जता रहे हैं। धामी कैबिनेट में चार नए चेहरों को जगह मिल सकती है।

 

दरअसल, क्षेत्रवाद को लेकर दिए बयान पर विवाद गहराने के बाद पार्टी के भीतर ही प्रेमचंद अग्रवाल की कैबिनेट से विदाई की चर्चाएं जोरों पर थीं। हालांकि उनके बयान को लेकर पाटी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और स्वयं अग्रवाल ने डेमेज कंट्रोल की काफी कोशिश की, लेकिन पार्टी के भीतर से ही उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रियाओं ने विवाद को और हवा दे दी।

 

केंद्रीय नेतृत्व ने एक्शन को लेकर दिया था संकेत
प्रदेश नेतृत्व ने अग्रवाल को तलब कर उन्हें विवादित बयानबाजी से बचने की नसीहत दी थी और रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी थी। बाद में पार्टी ने मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष से भी इस बारे में फीडबैक लिया। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की ओर से बयान पर जन प्रतिक्रियाओं और उसके राजनीतिक नफा नुकसान का आकलन करने के बाद मंत्री अग्रवाल को होली के बाद इस्तीफा देने के लिए इशारा कर दिया गया था, ताकि वह कैबिनेट से सम्मानजनक ढंग से विदा हो जाएं।

धामी कैबिनेट में अब पांच कुर्सियां खालीं
तीन साल से कम कार्यकाल में धामी कैबिनेट में दो और कुर्सियां खाली हो चुकी हैं। सरकार गठन के दिन से ही तीन कुर्सियां खाली रखी गई थीं। कैबिनेट मंत्री रहे चंदन राम दास के निधन के बाद एक कुर्सी खाली चल रही थी। अग्रवाल का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद खाली कुर्सियों की संख्या पांच हो जाएगी।

विधायकों के अरमानों को लगे पंख, मंत्री बनने को बेताब
धामी मंत्रिमंडल में खाली कुर्सियों को भरने की संभावना के बीच पार्टी के विधायकों के अरमानों को पंख लग गए हैं। वर्तमान में पार्टी में बिशन सिंह चुफाल, मदन कौशिक, बंशीधर भगत, खजानदास और अरविंद पांडेय, पांच ऐसे वरिष्ठ विधायक हैं जो पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे हैं। लेकिन ये सभी नाम उम्र, अनुभव, क्षेत्रीय, जातीय और राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से कितने उपयुक्त होंगे, यह केंद्रीय नेतृत्व व सीएम धामी को तय करना है।

 

 

मंत्री पद को लेकर इन नामों की है खास चर्चा
कैबिनेट में भाजपा संसदीय क्षेत्र के हिसाब से प्रतिनिधित्व तय करती है। माना जा रहा है कि क्षेत्रीय और जातीय संतुलन के हिसाब से धामी कैबिनेट का नया स्वरूप तय होगा। फेरबदल के दौरान विभागीय कामकाज को लेकर जांच को लेकर चर्चाओं में रहे एक और कैबिनेट मंत्री की विदाई हो सकती है। मंत्री पद की दौड़ में जो नाम तैर रहे हैं, उनमें हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से मदन कौशिक, आदेश चौहान व विनोद चमोली प्रमुख हैं। अग्रवाल के इस्तीफे के बाद हरिद्वार लोस का प्रतिनिधित्व खाली हो जाएगा। टिहरी लोस से प्रतिनिधित्व घटा तो तीन प्रमुख नाम खजानदास, मुन्ना सिंह चौहान, सहदेव पुंडीर और उमेश शर्मा काऊ का नाम कतार में है। क्षेत्रीय संतुलन कसौटी पर इनमें से कोई एक नाम फिट हो सकता है। चर्चा यह भी है कि स्पीकर ऋतु खंडूड़ी भूषण को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है। ऐसे में गढ़वाल संसदीय सीट से एक हैवीवेट मंत्री को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। नैनीताल यूएसनगर लोस से विधायक अरविंद पांडेय व शिव अरोड़ा के नामों की चर्चा है। कायस यह भी हैं कि अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ से बिशन सिंह चुफाल की किस्मत खुल सकती है।

 

सीएम नहीं खोल रहे पत्ते
अग्रवाल की विदाई की संभावनाओं और कैबिनेट विस्तार की चर्चाओं के गरमाने के बावजूद सीएम धामी ने चुप्पी