Category Archive : राजनीति

उत्तराखंड में यहां पेड़ों से चिपक गई महिलाएं, सड़कों पर उतरे हजारों पर्यावरण प्रेमी

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भानियावाला-ऋषिकेश मार्ग चौड़ीकरण के नाम पर करीब 3300 पेड़ों को काटने के विरोध में दो-दो पद्मश्री, लोकगायिका समेत बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी सड़क पर उतर गए। पेड़ों से चिपक कर महिलाओं ने उनके रक्षा का संकल्प लिया और चिपको आंदोलन 2.0 शुरू करने का एलान किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया।

चिपको आंदोलन' चलाने वाली एक थी 'चिपको वुमेन' फ्रॉम इंडियाNaN

ऋषिकेश से भानियावाला के बीच सड़क को फोरलेन किया जाना है। करीब 21 किमी के दायरे में 600 करोड़ रुपये की लागत से चौड़ीकरण कार्य किया जाना है। चौड़ीकरण के दौरान करीब 3300 पेड़ भी कटान की जद में हैं। जिनका इन दिनों छंटाई कार्य चल रहा है। इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों के कटान की जद में आने पर पर्यावरणविदों व लोगों ने कड़ा आक्रोश जताया है।

Chipko movement Again in Uttarakhand Women Hug to trees in rishikesh against tree cutting

रविवार को विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग सात मोड़ क्षेत्र में एकत्र हुए। पर्यावरणविदों का कहना था कि पिछले कुछ दशकों में, देहरादून और उसके आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरणीय असंतुलन तेजी से बढ़ा है। बढ़ते तापमान, घटते भूजल स्तर और खराब होती वायु गुणवत्ता लोगों के स्वास्थ्य और जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शुरू हुआ चिपको आंदोलन 2.0, रोजाना दो  सिगरेट के बराबर हवा में सांस ले रहे नागरिक | Loksaakshya

इन गंभीर संकेतों के बावजूद, बिना किसी दीर्घकालिक पर्यावरणीय योजना के बड़े-बड़े विकास परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। उत्तराखंड के लोग लंबे समय से वनों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक संसाधनों के विनाश का विरोध कर रहे हैं। लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने सातमोड़ क्षेत्र में पेड़ों को रक्षा सूत्र बांध कर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। कहा कि यह चिपको आंदोलन 2.0 का आगाज है।

Chipko Movement Again In Uttarakhand Women Hug To Trees In Rishikesh  Against Tree Cutting - Amar Ujala Hindi News Live - चिपको आंदोलन 2.0: उत्तराखंड में यहां पेड़ों से चिपक गई महिलाएं, सड़कों

प्रमुख रूप से पद्मश्री डॉ. माधुरी बर्तवाल, पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, लोकगायिका कमला देवी, इरा चौहान, अनूप नौटियाल, सूरज सिंह नेगी, नितिन मलेथा, इंद्रेश मैखुरी आदि

26 march ko Chipko Andolan se bache the uttarakhand ke jangal: 26 मार्च को चिपको  आंदोलन से बचे थे उत्तराखंड के जंगल
यह हैं प्रदर्शनकारियों की मांग
1. ऋषिकेश-जौलीग्रांट हाईवे परियोजना और इसके तहत 3,300 पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई जाए।
2. देहरादून और इसके आसपास के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में वनों के व्यावसायिक उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। भविष्य की सभी परियोजनाओं में सतत विकास को प्राथमिकता दी जाए।
3. देहरादून की पारंपरिक नहरों का संरक्षण और पुनरुद्धार किया जाए। ये नहरें भूजल रिचार्ज और अत्यधिक गर्मी के दौरान तापमान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
4. देहरादून की प्रमुख नदियों (रिस्पना, बिंदाल और सौंग) को पुनर्जीवित किया जाए। इन्हें प्लास्टिक कचरे और अनुपचारित सीवेज से बचाया जाना चाहिए।
5. हरे भरे स्थानों को बढ़ावा देने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं। देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में आने वाली सभी नई आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं में कम से कम 25% भूमि हरित क्षेत्र के लिए आरक्षित होनी चाहिए।
6. वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए त्वरित कार्रवाई की जाए।
7. 1980 के वन अधिनियम में संशोधन कर जंगलों में लगने वाली आग को रोकने के लिए प्रभावी रणनीतियां अपनाई जाएं।

अग्रवाल के इस्तीफे के बाद पांच कुर्सियां खाली, मंत्री के लिए इन नामों की चर्चा

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कैबिनेट मंत्री के पद से प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा देने के साथ ही धामी कैबिनेट में फेरबदल की जल्द संभावनाएं बन गई हैं। इस्तीफा प्राप्त होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे राज्यपाल को भेज दिया है।माना जा रहा है कि इस संबंध में केंद्रीय नेतृत्व से मार्गदर्शन लेने सोमवार को मुख्यमंत्री दिल्ली जा सकते हैं। तेज हुई राजनीतिक हलचल के बीच कैबिनेट में नए मंत्री बनाए जाने और एक और मंत्री को बदले जाने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। 23 मार्च को धामी सरकार का तीन साल कार्यकाल पूरा हो रहा है। सूत्र इससे पहले कैबिनेट बदलाव की संभावना जता रहे हैं। धामी कैबिनेट में चार नए चेहरों को जगह मिल सकती है।

 

दरअसल, क्षेत्रवाद को लेकर दिए बयान पर विवाद गहराने के बाद पार्टी के भीतर ही प्रेमचंद अग्रवाल की कैबिनेट से विदाई की चर्चाएं जोरों पर थीं। हालांकि उनके बयान को लेकर पाटी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और स्वयं अग्रवाल ने डेमेज कंट्रोल की काफी कोशिश की, लेकिन पार्टी के भीतर से ही उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रियाओं ने विवाद को और हवा दे दी।

 

केंद्रीय नेतृत्व ने एक्शन को लेकर दिया था संकेत
प्रदेश नेतृत्व ने अग्रवाल को तलब कर उन्हें विवादित बयानबाजी से बचने की नसीहत दी थी और रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी थी। बाद में पार्टी ने मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष से भी इस बारे में फीडबैक लिया। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की ओर से बयान पर जन प्रतिक्रियाओं और उसके राजनीतिक नफा नुकसान का आकलन करने के बाद मंत्री अग्रवाल को होली के बाद इस्तीफा देने के लिए इशारा कर दिया गया था, ताकि वह कैबिनेट से सम्मानजनक ढंग से विदा हो जाएं।

धामी कैबिनेट में अब पांच कुर्सियां खालीं
तीन साल से कम कार्यकाल में धामी कैबिनेट में दो और कुर्सियां खाली हो चुकी हैं। सरकार गठन के दिन से ही तीन कुर्सियां खाली रखी गई थीं। कैबिनेट मंत्री रहे चंदन राम दास के निधन के बाद एक कुर्सी खाली चल रही थी। अग्रवाल का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद खाली कुर्सियों की संख्या पांच हो जाएगी।

विधायकों के अरमानों को लगे पंख, मंत्री बनने को बेताब
धामी मंत्रिमंडल में खाली कुर्सियों को भरने की संभावना के बीच पार्टी के विधायकों के अरमानों को पंख लग गए हैं। वर्तमान में पार्टी में बिशन सिंह चुफाल, मदन कौशिक, बंशीधर भगत, खजानदास और अरविंद पांडेय, पांच ऐसे वरिष्ठ विधायक हैं जो पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे हैं। लेकिन ये सभी नाम उम्र, अनुभव, क्षेत्रीय, जातीय और राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से कितने उपयुक्त होंगे, यह केंद्रीय नेतृत्व व सीएम धामी को तय करना है।

 

 

मंत्री पद को लेकर इन नामों की है खास चर्चा
कैबिनेट में भाजपा संसदीय क्षेत्र के हिसाब से प्रतिनिधित्व तय करती है। माना जा रहा है कि क्षेत्रीय और जातीय संतुलन के हिसाब से धामी कैबिनेट का नया स्वरूप तय होगा। फेरबदल के दौरान विभागीय कामकाज को लेकर जांच को लेकर चर्चाओं में रहे एक और कैबिनेट मंत्री की विदाई हो सकती है। मंत्री पद की दौड़ में जो नाम तैर रहे हैं, उनमें हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से मदन कौशिक, आदेश चौहान व विनोद चमोली प्रमुख हैं। अग्रवाल के इस्तीफे के बाद हरिद्वार लोस का प्रतिनिधित्व खाली हो जाएगा। टिहरी लोस से प्रतिनिधित्व घटा तो तीन प्रमुख नाम खजानदास, मुन्ना सिंह चौहान, सहदेव पुंडीर और उमेश शर्मा काऊ का नाम कतार में है। क्षेत्रीय संतुलन कसौटी पर इनमें से कोई एक नाम फिट हो सकता है। चर्चा यह भी है कि स्पीकर ऋतु खंडूड़ी भूषण को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है। ऐसे में गढ़वाल संसदीय सीट से एक हैवीवेट मंत्री को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। नैनीताल यूएसनगर लोस से विधायक अरविंद पांडेय व शिव अरोड़ा के नामों की चर्चा है। कायस यह भी हैं कि अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ से बिशन सिंह चुफाल की किस्मत खुल सकती है।

 

सीएम नहीं खोल रहे पत्ते
अग्रवाल की विदाई की संभावनाओं और कैबिनेट विस्तार की चर्चाओं के गरमाने के बावजूद सीएम धामी ने चुप्पी

क्षेत्रवाद के बयान से घिरे वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने दिया इस्तीफा, फफक कर रो पड़े

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बजट सत्र के दौरान सदन में क्षेत्रवाद पर दिए बयान से विवादों में घिरे कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस्तीफा दे दिया है। अपने सरकारी आवास में इस्तीफे की घोषणा करने के बाद उन्होंने सीएम आवास पहुंचकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को त्यागपत्र सौंपा। मुख्यमंत्री ने अग्रवाल का त्यागपत्र अग्रिम कार्यवाही के लिए राज्यपाल को भेज दिया है। इससे पहले अग्रवाल पत्नी के साथ रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पहुंचे और राज्य आंदोलनकारी शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

बीती फरवरी में हुए बजट सत्र के दौरान सदन में क्षेत्रवाद को लेकर दिए बयान से कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल विवादों में घिर गए थे। हालांकि विवाद बढ़ने पर उन्होंने सदन के अंदर व बाहर खेद भी जताया था। लेकिन इससे मचे सियासी घमासान ने भाजपा को असहज कर दिया था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने अग्रवाल को पार्टी मुख्यालय में तलब तक स्पष्टीकरण लिया था। मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा के बीच केंद्र सरकार ने कैबिनेट मंत्री अग्रवाल को मंत्री समूह (जीओएम) का सदस्य नामित किया, जिससे उन्हें कैबिनेट मंत्री से हटाने की चर्चा पर विराम लग गया था।

रविवार को अग्रवाल ने पत्नी शशि प्रभा अग्रवाल के साथ रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पहुंच कर राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास पहुंचकर प्रेसवार्ता बुलाई और इस्तीफे की घोषणा कर दी। इस दौरान वह भावुक होकर फफक पड़े।

Uttarakhand Cabinet Minister Prem Chand Agarwal Resigned Today amid statement on regionalism

अग्रवाल ने कहा कि उनके जैसे व्यक्ति को साबित करना पड़ रहा है कि उत्तराखंड के लिए क्या योगदान दिया। सदन में उनके बयान को तरोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है, इससे वह आहत हैं। कहा, राज्य आंदोलन के दौरान मैंने लाठियां खाई हैं।

घटनाओं और लोगों का जिक्र किया

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने मुजफ्फरनगर कांड, मसूरी गोली कांड से लेकर राज्य आंदोलन से जुड़ीं कई घटनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने राज्य आंदोलन की लड़ाई के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी, उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, मनोहरकांत ध्यानी, पूर्व राज्य सभा सदस्य मालती शर्मा से जुड़े स्मरण साझा किए। बताया कि मुजफ्फरनगर में गोली चल रही थी, इसके बाद भी वे ट्रक में बैठ कर पहुंचे थे। मसूरी पहुंचे तो हाथ जोड़कर लोगों ने कहा कि यहां से चले जाएं, वर्ना आप का एनकाउंटर हो जाएगा या फिर एनएसए लग जाएगा।

कैबिनेट में चार कुर्सियां पहले ही खाली थी

धामी कैबिनेट में चार कुर्सियां लंबे समय से खाली चल रही हैं। इन चार खाली कुर्सियों को भरने के साथ ही कुछ बदलाव होने के कयास भी लगाए जा रहे थे। वहीं, आज मंत्री अग्रवाल के इस्तीफा देने के बाद अब एक और कुर्सी खाली हो गई है।

प्रेमचंद अग्रवाल का राजनीतिक सफर

  • 2007 में पहली बार बने विधायक, सदस्य आवास समिति विधान सभा।
  • 2008 में सदस्य याचिका समिति विधान सभा।
  • 2009 में संसदीय सचिव, औद्योगिक विकास, संबद्ध सीएम।
  • 2012 में दूसरी बार बने विधायक, सदस्य अनुसूचित जाति जनजाति एवं विमुक्त जाति समिति विधान सभा।
  • 2013 में सदस्य आवास समिति विधान सभा।
  • 2014 सदस्य, प्राक्लन समिति विधान सभा।
  • 2017 में तीसरी बार विधायक
  • 2017 विधान सभा अध्यक्ष।
  • 2017 में कार्यकारी सदस्य राष्ट्रमंडलीय संसदीय संघ, भारत परिक्षेत्र।
  • 2022 में चौथी बार विधायक, कैबिनेट मंत्री वित्त, शहरी विकास एवं आवास, विधायी एवं संसदीय कार्य, जनगणना एवं पुर्नगठन मंत्री।

Uttarakhand: कई मंत्री व विधायक आधे कार्यकाल में नहीं खर्च कर पाए 50 प्रतिशत धनराशि।

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कई मंत्री व विधायक आधे कार्यकाल में नहीं खर्च कर पाए 50 प्रतिशत धनराशि

सूचना के जन अधिकार में हुआ खुलासा

वर्ष 2022-23 से दिसम्बर 24 तक का विवरण

 

उत्तराखंड के विधायकों का आधा कार्यकाल पूर्ण हो चुका हैं लेकिन अभी तक विधायक निधि में से कुल 61 प्रतिशत विधायक निधि ही खर्च हुई हैं।उत्तराखंड में सबसे कम विधायक निधि खर्च होने वाले विधायकों में किशोर उपाध्याय (15 प्रतिशत) डाॅ धन सिंह रावत (29), प्रेम चन्द्र अग्रवाल (33) डाॅ मोहन सिंह बिष्ट (34), खुशाल सिंह (34), प्रीतम सिंह (37), सरिता आर्य (40), सुरेश गडिया (42), बंशीधर भगत (43), भरत सिंह चौधरी (43), राजेन्द्र सिंह (44) तथा शक्ति लाल शाह (44) शामिल है।

 

देखें कुल खर्च विधायक निधि-

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने उत्तराखंड के ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय से विधायक निधि खर्च सम्बन्धी विवरणों की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में उपायुक्त (प्रशासक) हेमन्ती गुंजियाल ने अपने पत्रांक 20211 के साथ वर्तमान विधायक निधि विवरण की फोटो प्रति उपलब्ध करायी है।

 

नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2022-23 से 2024-25 में माह दिसम्बर 2024 तक 96400 लाख की विधायक निधि उपलब्ध हुई लेकिन इसमें से केवल 61 प्रतिशत 58926.35 लाख की विधायक निधि ही खर्च हुई है जबकि 39 प्रतिशत 37459.65 लाख की विधायक निधि खर्च होने को शेष हैं।

 

सीएम धामी की 53 प्रतिशत, ऋषिकेश विधायक, वित्त मंत्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल की 33 प्रतिशत, अन्य मंत्रियों में चौबट्टाखाल विधायक सतपाल महाराज की 56 प्रतिशत, मंसूरी विधायक गणेश जोशी की 72 प्रतिशत, श्रीनगर विधायक धन सिंह रावत की 29 प्रतिशत, नरेन्द्र नगर विधायक सुबोध उनियाल की 57 प्रतिशत, सोमेश्वर विधायक रेखा आर्य की 64 प्रतिशत, बागेश्वर विधायक चन्दन रामदास की 84 प्रतिशत तथा सितारगंज विधायक सौरभ बहुगणा की 85 प्रतिशत विधायक निधि खर्च हुई है।

 

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उत्तराखंड में सर्वाधिक विधायक निधि खर्च होने वाले विधायकों में प्रदीप बत्रा (90 प्रतिशत), अरविन्द पाण्डे (87), रवि बहादुर (85), सौरभ बहुगुणा (85), चन्दन रामदास (84), फुरकान अहमद (84), गोपाल सिंह राणा (83), उमेश कुमार (82), राजकुमार (81), उमेश शर्मा (80) शामिल है। प्रदेश के औसत 61 प्रतिशत से कम विधायक निधि खर्च होने वाले अन्य विधायकों में यशपाल आर्य (45), सुमित ह्रदयेश (46), रामसिंह कैड़ा (46), दुर्गेश पाल (47), सुरेश चैहान(47), श्रीमति शैला रानी (48), संजय डोभाल (49), श्रीमति रेणु सिंह (51), पुष्कर सिंह धामी (53), भोपाल राम टम्टा (55), सतपाल महराज (56), मनोज तिवारी (56), त्रिलोक सिंह चीमा (56),सुबोध उनियाल (57), मदन कौशिक (57), श्रीमति सविता कपूर (58), विनोद कण्डारी (58), दीवान सिंह बिष्ट (58), मयूख महर (60) तथा दिलीप सिंह (60 प्रतिशत) शामिल है।

PM Modi Uttarakhand Visit: मुखबा को मिली नई उम्मीद, CM धामी की थपथपाई पीठ, पढ़ें पीएम मोदी के भाषण की कुछ खास बातें.

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एक दिवसीय दौरे पर मुखबा-हर्षिल पहुंचे प्रधानमंत्री, उत्तराखंड में अब घाम तापो पर्यटन, नए विजन का मंत्र दे गए। उन्होंने कहा कि ये दशक उत्तराखंड का है, प्रगति के लिए नए रास्ते खुले हैं। उनका दौरा कई मायनों में यादगार बन गया। जाते-जाते वह शीतकाली यात्रा के लिए सीएम धामी की पीठ थपथपाकर भी गए। वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो भारत-तिब्बत सीमा से जुड़े उत्तराखंड के चमोली और पिथौरागढ़ सीमावर्ती जिलों के बाद अब उत्तरकाशी के मुखबा और हर्षिल पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज होगा। वो देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल पहुंचेंगे।

चारधाम शीतकालीन यात्रा का संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को सीमांत जिले उत्तरकाशी के गंगोत्री धाम के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा और हर्षिल की यात्रा पर पहुंचे। पीएम सुबह भारतीय वायु सेना के विशेष विमान से सुबह जौलीग्रांट स्थित देहरादून एयपोर्ट पहुंचे। यहां से उन्होंने एमआई-17 से उत्तरकाशी के लिए उड़ान भरी।

गंगा मंदिर में पूजा अर्चना की-
प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा में दर्शन किए। उन्होंने करीब बीस मिनट तक गर्भगृह में पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही पीएम मोदी के नाम एक रिकॉर्ड दर्ज हो गया। वह देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो  मां गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल पहुंचे। यहां उन्होंने सबसे पहले मां गंगा के शीतकालीन प्रवासस्थल मुखबा स्थित गंगा मंदिर में पूजा अर्चना की।

पीएम ने 20 मिनट तक मां गंगा की विशेष पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद पीएम मोदी ने हर्षिल की खूबसूरत वादियों का दीदार किया। पीएम ने मुखबा मंदिर और हर्षिल व्यू प्वाइंट से वादियों का निहारा। इसके बाद पीएम ने हर्षिल में ट्रैकिंग व बाइक रैली को फ्लैग ऑफ किया। गंगा आरती के बाद प्रधानमंत्री ने हर्षिल में जनसभा को संबोधित किया।

पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें-

 

  • पीएम मोदी ने गढ़वाली भाषा में अपने भाषण की शुरुआत की। कहा- म्यारा प्यारा भाई भेणी, मेरी सयवा सोंदी।
  • कहा कि मां गंगा ने मुझे बुलाया है। मुझे लगता है कि मां गंगा ने मुझे गोद ले लिया है।
  • पीएम मोदी ने सरकार को बारहमासी पर्यटन का विजन दिया। कहा इससे सालभर रहने वाले रोजगार के अवसर मिलेगा।
  • पीएम ने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का बन रहा है। कहा कि उत्तराखंड की प्रगति के लिए नए रास्ते खुले हैं। उन्होंने शीतकालीन पर्यटन को महत्वपूर्ण कदम है।
  • पीएम ने कहा कि घाम तापो पर्यटन उत्तराखंड के नया आमाम लेकर आएगा।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि माणा, जादूंग, टिम्मरसैंण में तेजी से पर्यटन बढ़ रहा है। ऐसी व्यवस्था करेंगे जिससे  उत्तराखंड हर सीजन में ऑन सीजन रहेगा।
  • प्रधानमंत्री ने लोगों से उत्तराखंड में आकर शादी करने की अपील की। उन्होंने कहा कि डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए उत्तराखंड को चुने। साथ ही उन्होंने फिल्मों की शूटिंग के लिए उत्तराखंड को बेहतर बताया।
  • उत्तराखंड में 50 टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित करने की बात पीएम मोदी ने कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है।
  • कॉरपोरेट घरानों से आग्रह किया कि वह अपनी बैठकों के लिए उत्तराखंड आएं।
  • पीएम मोदी ने कहा कि यहां विंटर योगा सेशन आयोजित किए जाएं।
  • पीएम ने सरकार से कहा कि सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के लिए प्रतियोगिता आयोजित करें। वह उत्तराखंड के विंटर टूरिज्म पर शॉर्ट फिल्म बनाएं। जो सबसे अच्छी बनाएं उन्हें इनाम दें। इससे प्रदेश के खूबसूरत स्थलों की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी।

चीणा का भात और फाफरे के पोले…पहाड़ी भोज के मुरीद हुए मोदी-

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहाड़ से हमेशा ही प्रेम रहा है। वह यहां जब भी आते हैं तो कुछ नया जरूर करते हैं। आज वह सीमांत गांव उत्तरकाशी के मुखबा में मां गंगा की पूजा के लिए पहुंचे। पूजा के बाद उन्होंने पहाड़ी खाने का स्वाद चखा। जानकारी के अनुसार, पीएम मोदी ने स्थानीय उत्पाद चीणा का भात और फाफरे के पोले और क्षेत्र की स्वादिष्ट राजमा के साथ बद्री गाय की दही मठ्ठा का सेवन किया। चीणा और फाफरा का उत्पादन जनपद के हर्षिल घाटी और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होता है। तो वहीं यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होता है। मुखबा में स्थानीय महिलाओं ने यह पकवान तैयार कर पीएम मोदी को परोसा।

पीएम मोदी ने किया हर्षिल की मनमोहक वादियों का दीदार, नजारा देख हुए मंत्रमुग्ध

प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले मां गंगा के शीतकालीन प्रवासस्थल मुखबा स्थित गंगा मंदिर में पूजा अर्चना की। पीएम ने 20 मिनट तक मां गंगा की विशेष पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद पीएम मोदी ने हर्षिल की खूबसूरत वादियों का दीदार किया। पीएम ने मुखबा मंदिर और हर्षिल व्यू प्वाइंट से वादियों का निहारा। इसके बाद पीएम ने हर्षिल में ट्रैकिंग व बाइक रैली को फ्लैग ऑफ किया। हर्षिल उत्तराखंड का ऐसा पर्यटन स्थल है जो हिमालय की गोद में शांति और सुकून की तलाश करने वाले लोगों के लिए एक दम मुफीद है। यह समुद्र तल से 2500 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर भागीरथी नदी के तट पर स्थित है। सर्दियों में यहां की वादियां बर्फ से लकदक नजर आती हैं। वहीं, गर्मियों में यहां का नजारा हरियाली से भरपूर दिखता है। यहां कई ट्रेकिंग रूट भी हैं जहां का पर्यटक दीदार कर सकते हैं।

 उत्तराखंड में अब घाम तापो पर्यटन, नए विजन का मंत्र दे गए मोदी

हर्षिल में जनसभा को संबोधिl करते हुए पीएम मोदी ने जहां सरकार को विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए खास मंत्र दिया वहीं, लोगों से विंटर सीजन में उत्तराखंड आने की अपील भी की।

कैबिनेट विस्तार को लेकर सुगबुगाहट तेज, दो मंत्रियों पर हो रहा विचार… कुर्सी खाली हैं चार

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प्रदेश में एक बार फिर जल्द कैबिनेट विस्तार को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। धामी कैबिनेट में चार कुर्सियां लंबे समय से खाली हैं। भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, इन चार खाली कुर्सियों को भरने के साथ ही कुछ बदलाव भी हो सकते हैं। मंत्रियों के विभागों में फेरबदल की भी संभावना है।

इस बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी कैबिनेट विस्तार के संकेत दिए हैं। हालांकि उनका कहना है कि गेंद केंद्रीय नेतृत्व के पाले में है। हालही में हुईं कुछ घटनाएं और बयानबाजी को इन अटकलों से जोड़कर देखा जा रहा है।क्षेत्रवाद की राजनीति पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में भट्ट से सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, किसको रखना है और किसको हटाना है, यह विषय केंद्र का है। केंद्र को ही निर्णय लेने होते हैं। मंत्रिमंडल में विस्तार की संभावना से जुड़े प्रश्न पर भट्ट ने कहा कि निश्चिततौर पर मंत्रिमंडल विस्तार कभी भी हो सकता है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व को मौजूदा हालात की रिपोर्ट भेज दी गई है।

लंबे समय से प्रस्तावित है कैबिनेट विस्तार

भट्ट के इस बयान से कैबिनेट विस्तार की चर्चाओं को और बल मिल गया है। प्रदेश में लंबे समय से कैबिनेट विस्तार प्रस्तावित है। हर बार मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चाएं गरम होती हैं और समय के साथ ठंडी पड़ जाती हैं। देखा गया है कि अकसर सीएम के दिल्ली दौरे के दौरान कैबिनेट विस्तार की अटकलें तेज हो जाती हैं। माना जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी न मिलना ही कैबिनेट विस्तार में देरी की वजह है।

चार कुर्सियां खालीं, दो को बदलने पर विचार

पूर्व कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के बाद धामी कैबिनेट में खाली कुर्सियों की संख्या चार हो चुकी है। परफॉरमेंस के आधार पर एक कैबिनेट मंत्री को बदले जाने की चर्चाएं सत्ता के गलियारों में लंबे समय से गर्म हैं। मौजूदा परिस्थितियों में अब एक और कैबिनेट मंत्री को बदले जाने की चर्चा शुरू हो गई है।

अस्पताल से छुट्टी के बाद श्रमिकों की चिंता…जेब में एक पैसा तक नहीं, कैसे पहुंचेंगे घर?

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माणा हिमस्खलन की चपेट में आए श्रमिकों के लिए अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद घर पहुंचना बड़ी चुनौती बन गया है। उनका सामान व पैसा बर्फ में दब गया, अब उनके एक पैसा तक नहीं है, वहीं कंपनी ने हरिद्वार तक भेजने की व्यवस्था की है। ऐसे में वे घर तक कैसे पहुंचेंगे इसकी चिंता है।

हिमस्खलन से सुरक्षित निकाले गए 44 श्रमिकों को सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दो श्रमिक एम्स ऋषिकेश में भर्ती हैं। अब श्रमिकों के स्वास्थ्य में सुधार होने पर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा रही है। एक श्रमिक को सोमवार को छुट्टी दी गई, जबकि 36 श्रमिकों को मंगलवार को घर भेजा गया है। लेकिन उनके सामने अब दूसरी चुनौती खड़ी हो गई है।

श्रमिकों का कहना है कि उनका सारा सामान बर्फ में दब गया। उनके पास बस तन के कपड़े और पैरों में जूते या चप्पल ही हैं। जबकि कंपनी ने उनके लिए हरिद्वार तक ही जाने की व्यवस्था की है। आगे भगवान भरोसे है। उनके पास कुछ भी नहीं है, जो होगा देखा जाएगा। फिलहाल हरिद्वार तक पहुंच जाएं तो वहां से अपने-अपने घर जाएंगे।

नई आबकारी नीति 2025 को मंजूरी,ओवररेटिंग की शिकायत सही पाए जाने पर दुकान का लाइसेंस होगा रद्द

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नई आबकारी नीति 2025 – निवेश, रोजगार और राजस्व के नए आयाम।

राज्य के धार्मिक क्षेत्रों के निकटवर्ती मदिरा अनुज्ञापनों को बंद करने का लिया गया निर्णय ।

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य

ओवररेटिंग की शिकायत सही पाए जाने पर दुकान का लाइसेंस होगा रद्द

नई आबकारी नीति 2025 को कैबिनेट ने दी मंजूरी।

 

 

राज्य की नई आबकारी नीति 2025 में धार्मिक क्षेत्रों की महत्ता को ध्यान में रखते हुए उनके निकटवर्ती मदिरा अनुज्ञापनों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। जनसंवेदनाओं को सर्वोपरि रखते हुए, शराब की बिक्री पर और अधिक नियंत्रण किया जायेगा। उप-दुकानों और मैट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को समाप्त किया गया है। नई आबकारी नीति में किसी दुकान पर एमआरपी से अधिक कीमत ली जाती है, तो लाइसेंस निरस्त करने का प्राविधान किया गया है। डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी mrp लागू होगी, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी।

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य

पिछले दो वर्षों में आबकारी राजस्व में राज्य में काफी वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य को निर्धारित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 4038.69 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4439 करोड़ रुपये का लक्ष्य के सापेक्ष अब तक लगभग 4000 करोड़ रुपये की प्राप्ति हो चुकी है।

पर्वतीय क्षेत्रों में से वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में दी जाएगी छूट ।

नई आबकारी नीति के तहत स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता और रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। थोक मदिरा अनुज्ञापन केवल उत्तराखंड निवासियों को जारी किए जाएंगे, जिससे राज्य में आर्थिक अवसर बढ़ेंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में वाइनरी को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में उत्पादित फलों से वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी। इससे कृषकों और बागवानी क्षेत्र में कार्य करने वालों को आर्थिक लाभ मिलेगा। मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने के निर्यात शुल्क में कटौती की गई है। माल्ट एवं स्प्रिट उद्योगों को पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।

स्थानीय कृषि उत्पादों को डिस्टिलरी द्वारा प्रयोग करने के लिए किया जा रहा है प्रोत्साहित ।

आबकारी नीति के तहत नवीनीकरण, लॉटरी और अधिकतम ऑफर जैसी पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से दुकानें आवंटित की जाएंगी। आवंटन प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया गया है। स्थानीय कृषि उत्पादों को डिस्टिलरी (आसवनी इकाइयों) द्वारा प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और उन्हें नए बाजार उपलब्ध होंगे। आबकारी नीति-2025 में जनसाधारण को मदिरा के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक बनाने के विशेष अभियान चलाने का प्राविधान किया गया है। नई आबकारी नीति प्रदेश में आर्थिक सुदृढ़ीकरण, पारदर्शिता और सामाजिक जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।

Cabinet बैठक में आए 17 प्रस्ताव, उत्तराखंड आंदोलन का इतिहास पढ़ेंगे बच्चे, ये अहम फैसले भी शामिल

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में 17 प्रस्ताव आए। सीएम की घोषणा के तहत उत्तराखंड आंदोलन और सांस्कृतिक विरासत का इतिहास कक्षा 6 से 8 तक हमारी विरासत एवं विभूतियां पढ़ाए जाने के  प्रस्ताव पर मुहर लगी। इसके साथ ही धामी कैबिनेट कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।

सोमवार को कैबिनेट समाप्त होने के बाद सचिव गृह शैलेश बगोली ने जानकारी दी। कक्षा 10 के बाद जो छात्र तीन वर्षीय पॉलिटेक्निक डिप्लोमा करते हैं, उन्हें कक्षा 12 के समकक्ष माना जाएगा। चीनी मिलों के लिए अगेती 375 रुपये, सामान्य प्रजाति 365 रुपए प्रति कुंतल की गई। जबकि गन्ना समर्थन मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उप महानिरीक्षक, अधीक्षक कारागार की नियमावली पास की गई। वहीं भारतीय न्याय संहिता के तहत नियमालिओं को अनुमोदन किया गया। मंत्रिमंडल ने आबकारी नीति को भी मंजूरी दे दी है।

 

ये महत्वपूर्ण फैसले भी

-राज्य कर्मियों के लिए शिथिलीकरण का लाभ एक बार मिलेगा। कुछ नियमावली में शिथिलीकरण की व्यवस्था है। ये सभी कर्मचारियों के लिए लागू हो गई है। 50% तक छूट।

-राज्य संपत्ति विभाग की समूह-क व समूह-ख की सेवा नियमावली को अनुमोदन।
-मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना लागू करने पर कैबिनेट की मंजूरी। स्वरोजगार के लिए 2 लाख रुपये तक मिलेंगे।
-पेंशन एवं हकदारी निदेशालय में कनिष्ठ सहायक के 13 पद सृजित करने पर।
-उत्तराखंड में यूपीएस लागू करने पर कैबिनेट की मंजूरी। जो कर्मचारी चाहेंगे, वो इसमें आ सकेंगे।
-स्टाम्प व निबंधन विभाग में 213 से बढ़कर पड़ 240 हुए।
-अपर पुलिस अधीक्षक उच्चतम वेतनमान की नियमावली को मंजूरी।
-ट्राउट प्रोत्साहन योजना मंजूर। 200 करोड़ की योजना। मत्स्य पालकों को 5 साल तक इनपुट दिया जाएगा।
-कार्मिक : रिवोल्विंग फंड इस्तेमाल करने की नियमावली को मंजूरी।
– उधमसिंह नगर की प्रयाग फार्म की 1354 एकड़ भूमि इंडस्ट्री को दी जाएगी।
-एकीकृत स्वयं सहायता योजना। 2.3 करोड़ सीएलएफ के लिए।
-गौला, कोसी, दाबका नदियों में सुरक्षा एवं सीमांत शुल्क आदि को रिवाइस किया गया।

कई फैसलों पर होंगे निर्णय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के 2347 पदों पर होगी भर्ती

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प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में 2347 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदों पर आउटसोर्स के माध्यम से भर्ती होगी। भर्ती को पहले प्रयाग पोर्टल के माध्यम से कराया जाना प्रस्तावित था, लेकिन अब जेम पोर्टल से कराया जा सकता है। इसके लिए आगामी कैबिनेट में प्रस्ताव आएगा।

प्रदेश के विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी के कई पद खाली हैं। इन पदों को आउटसोर्स से भरा जा सके इसके लिए पिछले काफी समय से प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार ने पहले निर्णय लिया था कि प्रयाग पोर्टल के माध्यम से इन पदों को भरा जाए, लेकिन इससे इन पदों को भरने में तकनीकी दिक्कत आ रही है। यही वजह है कि भर्ती से संबंधित इस प्रस्ताव को अब कैबिनेट में लाया जा रहा है।