अध्ययन में खुलासा…बादल या झील फटने से नहीं, इस वजह से धराली में मची थी तबाही

अध्ययन में खुलासा…बादल या झील फटने से नहीं, इस वजह से धराली में मची थी तबाही

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धराली आपदा का कारण बादल या कोई कृत्रिम झील फटना नहीं था बल्कि लगातार बारिश और तेज गति से आए मलबे के कारण तबाही मची थी। 4600 मीटर की ऊंचाई से धराली में एक सेकेंड में आठ मीटर की रफ्तार से मलबा पहुंचा था। यहां पर आसपास के क्षेत्र की तुलना में सबसे अधिक तेजी से मलबा आया था।

इसका उल्लेख नेचुरल हेजर्ड रिसर्च जर्नल में द धराली कैटास्ट्रॉफिक डिजास्टर : ए वॉकअप कॉल फ्राम द खीर गंगा शीर्षक से पेपर में प्रकाशित किया गया। जिसको वाडिया हिमालय भू विज्ञानसंस्थान के वैज्ञानिक संदीप कुमार, तारिक अनवर, मो. शाहवेज, हरितभ राणा, देवांशु गोदियाल ने तैयार किया। वैज्ञानिक संदीप कुमार और तारिक अनवर ने बताया कि धराली क्षेत्र सिस्मिक और एमसीटी जोन है। छोटे भूकंप से पहाड़ अस्थिर होते हैं, इसके अलावा पहाड़ों की संरचना भी दरार वाली है। दिन और रात में तापमान के अंतर से भी चट्टानों पर असर पड़ता है। ग्लेशियर के पीछे जाने के कारण मोरेन (मलबा) रहता है, वह लगातार बारिश के कारण पानी के साथ मिलकर नीचे की तरफ तीखे ढलान होने के कारण तेजी से पहुंचा और काफी नुकसान हुआ। वैज्ञानिकों के अनुसार नदी, गदेरों के आसपास निर्माण नहीं होना चाहिए। इसके अलावा यहां पर लगातार निगरानी और अध्ययन किया जाना चाहिए।

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