उत्तरकाशी आपदा: आंखों से नींद और मन का छिन गया सुकून, मानसिक घाव के बाद लोग घबराहट और बेचैनी से परेशान
पांच अगस्त को खीर गंगा के रौद्र रूप ने धराली और हर्षिल घाटी में सिर्फ घरों और संपत्तियों को ही नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि लोगों के मन पर भी गहरा असर डाला है। लापता अपनों की चिंता और तबाही के खौफ से कई लोग घबराहट, बेचैनी और नींद न आने जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
इस मानसिक पीड़ा को समझने के लिए स्टेट मेंटल हेल्थ अस्पताल सेलाकुई देहरादून के मनोचिकित्सक डॉ. रोहित गोदवाल और उनकी टीम ने धराली का दौरा किया। पहले दिन की जांच में करीब 150 लोगों में से 10 लोग गंभीर मानसिक समस्याओं से ग्रस्त मिले। डॉ. रोहित ने बताया कि ये लोग ज्यादातर वे हैं जिन्होंने अपनी आंखों से तबाही का मंजर देखा और जिनके परिजन अब भी लापता हैं।
डॉ. रोहित गोदवाल का कहना है कि यह पीटीएसडी (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) की स्थिति है। इस स्थिति में व्यक्ति को बार-बार घटना याद आती है। दिल की धड़कन तेज हो जाती है और वह छोटी-सी आहट से भी घबरा जाता है। दूसरे दिन के परीक्षण में भी 70 में से 10 लोग चिड़चिड़ापन और घबराहट से ग्रस्त पाए गए। सबसे अधिक प्रभावित बुजुर्ग और युवा थे। महिलाएं और बच्चों की संख्या बेहद कम है।
आठ दिन तक की काउंसलिंग
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों गंगोत्री, धराली, गंगनानी, डबरानी, भटवाड़ी और हीना में शिविर लगाए हैं। डॉ. गोदवाल ने आठ दिन तक धराली और हर्षिल अस्पताल में लोगों की काउंसलिंग की। उन्होंने लोगों को सलाह दी है कि वे खुद को अकेला न रखें, घटना के बारे में बार-बार चर्चा करने से बचें और परिवार के साथ समय बिताकर माहौल को सकारात्मक बनाएं। यदि कोई मानसिक समस्या से जूझ रहा है तो वह हेल्पलाइन नंबर 144166 पर कॉल करके 24 घंटे काउंसलिंग और मार्गदर्शन ले सकता है।
कम्युनिटी हेल्थ सेंटर सहसपुर देहरादून के सीएमएस डॉ. मोहन डोगरा ने बताया कि कई लोगों ने थकान और कमजोरी की शिकायत की लेकिन दवा लेने और आराम करने के बाद अब उनकी हालत सामान्य है। वहीं धराली आपदा के नोडल अधिकारी डॉ. सीपी त्रिपाठी ने कहा कि आपदा के माहौल में गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को जितना हो सके खुशनुमा माहौल में रखना चाहिए।