Day: September 27, 2023

भाजपा नेता मोदी से भी बड़े, वोटर को हाथ जोड़ने में भी तकलीफ !

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी में कुछ नेताओं को निपटाने के चक्कर में भाजपा को ही निपटा रहे हैं,,ऐसा हम नहीं मध्य प्रदेश और राजस्थान की राजनीति में आया सियासी बबाल बता रहा है,मध्य प्रदेश में जिस तरह भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन की बात चल रही है उसके संकेत भी मिलने शुरू हो गए हैं.

 
 

जब देश में गुजरात मॉडल चर्चा में था तब  एक बार शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि गुजरात मॉडल में क्या है,जरा मध्य प्रदेश का विकास मॉडल देखिए,और फिर वक्त ऐसा आया की इसी गुजरात मॉडल ने शिवराज को किनारे लगाने की तैयारी कर दी है,मगर शिवराज सिंह ऐसा लगता है की हार मानने वालों में से नहीं हैं,,उधर दूसरी तरफ वसुंधरा के साथ भी यही हो रहा है उनको भी धीरे धीरे किनारे करने की तैयारी चल रही है,लेकिन जिस तरह वसुंधरा अपने तेवर राजस्थान में दिखा रही है उससे ये आसान नहीं होने वाला. शिवराज और वसुंधरा दोनों ही ऐसे नेता है जो अपने अपने प्रदेश में मजबूत पकड़ रखते हैं ऐसे में कहीं इनको निपटाने के चक्कर में दोनों राज्यों में भाजपा ही न निपट जाय,,,,खैर इसके लिए थोड़ा इंतजार कर लेते हैं और फिर से राज्य राजनीति पर लौट चलते हैं.

 

MP में BJP में खलबली-
 

बात मध्य प्रदेश की करें तो यहां जिस तरह से कई सर्वे में पार्टी की हालात खराब दिखाई दे रही है,कई घोटालों के आरोप शिवराज सरकार पर लगे हैं, ऐसेे में अब मोदी के नाम पर मध्य प्रदेश को बचाने की कोशिस की जा रही है,, खुद मोदी हार के डर से शिवराज को किनारे करने लग गए हैं,, ऐसे संकेत मिलते हैं,, मोदी और भाजपा को  हार का कितना डर है,इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि अब भाजपा के बड़े बड़े केंद्रीय मंत्रीयों को चुनाव मैदान में उतारा गया है,और वो भी बिना उनको पूछे, बिना उनकी मर्जी के..
भाजपा में हार का इतना डर वयाप्त है कि उन्होंने अपने बड़े- बड़े नेताओं को ही चुनावी रण में उतार दिया है,,,आलाकमान के इस फैसले से केंद्न की राजनीति करने वाले नेता मंत्री हैरान हैं, परेशान हैं, सूत्र बताते हैं की इस फैसले का उन तमाम दिग्गजों को पता ही नहीं था,,,अब इन साहब को ही देख लीजिये,जिनको लगता है कि अब वो ठहरे इतने बड़े नेता, विधायक जैसा छोटा चुनाव कैसे लडेंगे उनकी माने तो वो कहते हैं की मै इतना बड़ा नेता होने के बाद अब क्या लोगों के दरवाजे पर वोट मांगूंगा,,,, अब ये ना समझ लिजिएगा की ये हम कह रहे हैं,, हम नहीं बल्कि खुद बड़े नेता,, माफ़ करें भाजपा के राष्ट्रिय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय कह रहे हैं,,,आप खुद देख लीजिये ,,,,,क्या कहा विजयवर्गीय ने- 


पार्टी ने विजयवर्गीय को इंदौर-1 विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि उन्हें अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि बीजेपी ने उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया है, मेरी चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं थी. मैं अंदर से खुश नहीं हूं. अब हम बड़े नेता हो गए हैं. हाथ जोड़ने कहां जाएं. मुझे अंदाजा नहीं था कि पार्टी मुझे टिकट देगी.” इससे ये तो साफ़ हो गया कि बीजेपी में हार का डर इतना है कि वो अपने बड़े नेताओं को ये तक नहीं पूछ रही कि आप लड़ना चाहते भी हैं या नहीं,,,

परिवारवाद का विरोध करने वाली बीजेपी के खुद के नेता किस तरह परिवारवाद से घिरे हैं इसकी पोल खुद भाजपा नेता ने ही खोल दी,, कैलाश विजयवर्गीय ने ये भी कहा,कि  “मैं सोचता था कि मैं चुनाव क्यों लड़ू, क्योंकि आकाश ने इंदौर शहर में अपनी एक जगह बनाई है. मेरी वजह से उसका राजनीतिक अहित नहीं होना चाहिए, ,, मतलब वो यहां से अपने बेटे का टिकट चाहते थे,,,,आकाश विजयवर्गीय उनके बेटे हैं जो अभी विधायक हैं लेकिन अब पिता को टिकट मिलने के बाद आकाश यानी कैलाश विजयवर्गीय के बेटे की टिकट कटने की संभावना प्रबलतम है,

बता दें कि आकाश विजयवर्गीय उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने निगम अधिकारी पर बैट से हमला कर दिया था. इंदौर के गंजी कंपाउंड इलाके में तोड़फोड़ को लेकर बहस होने के बाद आकाश विजयवर्गीय का निगम अधिकारी पर क्रिकेट बैट से हमले का वीडियो वायरल हुआ था. इसके बाद उन्हें पुलिस ने उस वक्त  गिरफ्तार कर लिया था. इसको लेकर मध्य प्रदेश में उस वक्त खूब राजनीति हुई थी. साथ ही आलोचना भी हुई थी,,

 

क्या इसलिए चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं  विजयवर्गीय- 


ये भी सवाल पैदा होते हैं कि आखिर क्यों विजयवर्गीय चुनाव नहीं लड़ना चाहते है,क्या सिर्फ अपने बेटे की वजह से या फिर वो मध्य प्रदेश की हवा भांप चुके हैं,और उनको लगता है कि इस बार तो मुश्किल है इसलिए चुनाव ही नहीं लड़ा जाय, या फिर जिस तरह कैलाश विजयवर्गीय कह रहे हैं कि  वो सच में इतने बड़े नेता हो गए है कि अब वोट के लिए लोगों के सामने हाथ नहीं जोड़ सकते,,, इसका मतलब साफ है की भाजपा में मोदी से बड़े नेता और भी हैं,, यानी कैलाश,,अब कैलाश जी को ये कौन समझाए कि पीएम मोदी खुद जनता के दर पर हाथ जोड़ दिन-रात वोट की गुहार करते दिखाई देते हैं,, कैलाश को तो घर-घर जाकर वोट मांगने थे या कहें की हैं,, मगर विश्व गुरु को तो भरी दोपहर में सड़कों पर ही हाथ जोड़ वोट मांगने पड़ रहे हैं,, अब ऐसे में क्या वो उनसे भी बड़े नेता हैं,, जो घर-घर जाकर वोट नहीं मांग सकते।। 

 
आखिर बीजेपी ने ऐसा क्यों किया- 


भाजपा के  डर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस बार भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों को विधायकी लड़ाने के लिए उतारा है, लेकिन बीजेपी को उनका ये फैसला उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है,,अब एक और सांसद रह चुके नेता जिनको लगता है कि पार्टी अब मनमानी करने लगी है,लेकिन पार्टी ने यहां उनकी बात नहीं मानी और उनकी जगह यानी रत्नाकर सिंह की जगह गणेश सिंह को  सतना विधानसभा से बीजेपी का उम्मीदवार बनाया है,जिससे नाराज सांसद रत्नाकर सिंह ने बागी तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. 

 

 टिकट न मिलने से नाराज रत्नाकर अब पार्टी पर मनमानी का आरोप लगा रहे हैं और अब निर्दलीय चुनाव लड़ने की धमकी भी दे रहे हैं,,, उनका कहना है जनता कहेगी तो निर्दलिय ही चुनाव लड़ूंगा,, अब इसका मतलब तो साफ है की बीजेपी टिकट दे या ना दे रत्नाकर सिंह चुनावी मैदान में तो ताल ठोकेंगे ही.. अब चाहे वो निर्दलीय लड़ें या किसी अन्य पार्टी के दामन को थाम कर..

दरअसल, बीजेपी इस साल मई में कर्नाटक में मिली हार और इस महीने की शुरुआत में हुए उप चुनावों में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के हाथों हुई 3-4 की हार से चिंतित नजर आ रही है,चुनावों में पार्टी किसी भी उम्मीदवार को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं करेगी। खासकर मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे हिंदी भाषी राज्यों में, पार्टी क्षेत्रीय नेताओं की महत्वाकांक्षाओं और आपसी द्वंद को इस तरह से कम करने की कोशिश भर कर रही है, या पुराने छत्रपों को निपटाने की, बीजेपी को ये भी उम्मीद है कि बड़े नाम वाले कैंडिडेट उन सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रहेंगे जहां वह कमजोर है। भाजपा को लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील से पार्टी चुनाव का एक और दौर जीतेगी, और मुख्यमंत्री पद का खुला रहना क्षेत्रीय नेताओं को कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करने का काम करेगा.

 

आखिर क्यों नहीं है कैंडिडेट लिस्ट में शिवराज का नाम-


अब एक हैरान करने वाली बात ये भी है, की प्रदेश यानी मध्य प्रदेश की सत्ता पर विराजमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम अभी तक चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट की लिस्ट में नहीं है। ये संकेत 64 वर्षीय चौहान के भविष्य के लिए अच्छा तो नहीं ही कहा जा सकता है। संभावना ये भी है कि कोई भी बड़ा नेता चुनाव के बाद सीएम बन सकता है।  


 अब जरा राजस्थान में एक नजर- 


राजस्थान में, संभावित मुख्यमंत्री चेहरों में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल शामिल हैं, और संभावित उम्मीदवारों में राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और लोकसभा सांसद दीया कुमारी, राज्यवर्धन राठौड़ और सुखबीर सिंह जौनपुरिया भी शामिल हैं। राज्य में दो बार सीएम रह चुकीं 70 साल की वसुंधरा राजे के लिए ये चुनाव काफी अहम रहने वाला है। राज्य में पार्टी की सबसे प्रभावशाली नेता के रूप में वसुंधरा की पहचान है। लेकिन इस बार पार्टी ने यहां भी सामूहिक नेतृत्व के रूप में उतरने का फैसला किया है। देखना रोचक होगा कि राजे पार्टी के इस दांव से कैसे निपटती है। ये भी माना जा रहा है कि वह किसी अन्य सीएम के अधीन विधानसभा में तो नहीं जाएंगी। मतलब यहां के राजनीतिक हालात भी अभी काबू से बाहर हैं.

ऐसे हालातो से ये तो साफ़ है कि भाजपा चुनावी राज्यों में हवा का कुछ हद तक अंदाजा लगा चुकी है और समझ चुकी है कि राह बेहद मुश्किल है, ऐसे में वो हर काम किया जा रहा है जिससे किसी भी डेमेज कंट्रोल को रोका जा सके,लेकिन इतने नेताओ की नारज करना बीजेपी के लिए उल्टा दावं भी साबित हो सकता है, परिणाम क्या होंगे वो आने वाला वक्त साफ़ करेगा.

AIADMK की एक मांग को अनसुनी करना भाजपा को पड़ा भारी, जानिए- वो वजह जिससे टूटा 4 साल पुराना गठबंधन

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2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ा झटका लगा. दक्षिण भारत के राज्यों में बीजेपी अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है और उसके इरादों पर तब पानी फिर गया जब एआईएडीएमके ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर होने की घोषणा कर दी.

एनडीए से अलग होने का फैसला चेन्नई में एआईएडीएमके मुख्यालय में पार्टी प्रमुख एडप्पादी के पलानीस्वामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया. पिछले साल नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू के एनडीए से अलग होने के बाद ये गठबंधन के लिए सबसे बड़ा झटका है. देश के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में हार के बाद बीजेपी तमिलनाडु से बहुत उम्मीदें लगाकर बैठी है ऐसे में एआईएडीएमके के अलग होने से देश की सबसे बड़ी पार्टी को झटका तो जरूर लगा है.

 

गठबंधन टूटने का समय-

एआईएडीएमके के एनडीए से अलग होने की टाइमिंग भी ऐसी रही है जब बीजेपी तमिलनाडु में सनातन धर्म पर डीएमके नेता उदयनिधि के बयान को भुनाने में लगी हुई है. बीजेपी हाल ही में बने विपक्षी गठबंधन इंडिया पर हमला करने के लिए एक बड़ी रणनीति के तहत इसका उपयोग कर रही है. गठबंधन टूटने के बाद द्रविड़ राजनीति के बारे में भगवा पार्टी की समझ पर भी सवाल उठने लगे हैं. एआईएडीएमके का एनडीए से अलग होना तमिलनाडु में गेम चेंजर साबित हो सकता है.

अब जश्न का ये वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे बीजेपी की काफी फजीहत हो रही है,,  राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीशगढ के साथ ही तमलनाडु में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में बीजेपी को उम्मीद थी कि AIDMK के साथ चुनाव लड़ेगी लेकिन उन्होंने बीजेपी को जोरदार झटका दे दिया,, AIADMK ने सोमवार को एक औपचारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA से बाहर निकलने की  घोषणा की और कहा कि वह  वह 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक अलग मोर्चे का नेतृत्व करेगी. गठबंधन तोड़ने का एलान करते हुए पार्टी ने कहा कि 2024 लोकसभा चुनावों में वो अपनी जैसी सोच वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करेगी.

 

समस्या कहां पर है?

बीते कुछ समय से दोनों पार्टियों के बीच तनाव चल रहा था. ये कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब कुछ दिनों पहले एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेताओं ने नई दिल्ली में बीजेपी चीफ जेपी नड्डा से मुलाकात कर उन्हें तमिलनाडु में बीजेपी प्रमुख अन्नामलाई की राजनीति की आक्रामक शैली से उत्पन्न राज्य की जमीनी स्थिति के बारे में बताया. नेताओं ने मांग की थी कि या तो अन्नामलाई द्रविड़ियन दिग्गज सीएन अन्नादुरई पर की गई टिप्पणी के लिए माफी मांगें या फिर बीजेपी अध्यक्ष बदला जाए लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

दरअसल दोनों दलों के बीच विवाद की जड़ में अन्नामलाई का अन्नादुरई को लेकर दिया बयान बताया जा रहा है. अन्नामलाई ने कहा था- साल 1956 में अन्नादुरई ने हिंदू धर्म का अपमान किया था और फिर बाद में जब विरोध हुआ तो उन्हें माफ़ी मांगनी पड़ी और मदुरै से भागना पड़ा था

 

 

ADIMK  नेतृत्व राज्य में बीजेपी नेताओं की ओर से की जा रही टिप्पणियों से नाराज़ था. इसमें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई की टिप्पणी भी शामिल है. इन नेताओं को रोकने को लेकर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कोशिश नहीं दिखी. इससे AIDMK में नाराज़गी थी. ये गठबंधन तोड़ने का एलान ऐसे वक़्त में हुआ था, जब राज्य में पार्टी की पकड़ ढीली होती जा रही है.

 

जब AIADMK ने की NDA से अलग होने की घोषणा-

इसके बाद सोमवार को एआईएडीएमके ने एनडीए से अलग होने की घोषणा कर दी. हालांकि इस खटास के संबंध में किसी का नाम नहीं लिया गया और पूरा दोष बीजेपी राज्य नेतृत्व पर मढ़ दिया गया. अन्नाद्रमुक ने कहा कि बीजेपी के राज्य नेतृत्व ने जानबूझकर अन्नादुराई और पार्टी की दिवंगत मुखिया जे जयललिता और निवर्तमान प्रमुख पलानीस्वामी को बदनाम किया.

प्रस्ताव में कहा गया है कि एआईएडीएमके को निशाना बनाकर इस तरह की निंदनीय, अनियंत्रित आलोचना पिछले लगभग एक साल से चल रही है और इससे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में गहरी नाराजगी है. प्रवक्ता शशिरेखा ने सोमवार को कहा, “यह (हमारे लिए) सबसे खुशी का क्षण है. हम आगामी चुनावों (अपने दम पर) का सामना करके बहुत खुश हैं, चाहे वह संसदीय हो या विधानसभा.”

जोशीमठ के बाद अब नैनीताल भी भूस्खलन की चपेट में, खतरे की जद में आए मकानों पर लगे लाल निशान…

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जोशीमठ के बाद अब नैनीताल में भूस्खलन ने लोगों के नींदे उड़ा दी है, भूस्खलन के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने चार्टन लॉन्ज क्षेत्र में 24 घरों पर लाल निशान लगाकर मकान खाली करवा दिए अचानक हुई इस कार्रवाई से लोगों में गुस्सा है.

कल तक अपने घरों में रह रहे लोग कुछ ही घंटे में आपदा प्रभावित बन गए उनका आरोप है कि प्रशासन सुरक्षा कार्यों के बजाय लोगों के घर तोड़ने की योजना बना रहा है. इसलिए कई घरों को जबरदस्ती खतरे की जद में डाल दिया गया है, रविवार को अयरपट्टा में रह रहे परिवारों को विकास प्राधिकरण एवं प्रशासन की ओर से नोटिस जारी कर दिए गए,

इसके बाद कुछ परिवारों को प्रशासन ने होटल में रुकवाया है जबकि कुछ परिवार अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लेने चले गए हैं इस कार्रवाई से लोगों में नाराजगी है आप है कि प्रशासन ने यहां पर सुरक्षा उपाय नहीं किए हैं अचानक से घरों पर लाल निशान लगाए जा रहे हैं ऐसे में लोगों को आशंका है प्रशासन खतरा बात कर कई दूसरे घरों को तोड़ सकता है.

 

नैनीताल में खतरा बढ़ा, 24 परिवारों में घर छोड़े-

नैनीताल के शनिवार को चार्ट लोन क्षेत्र में एक दो मंजिला भवन के भरभरा कर जमींदोज होने के बाद आसपास के इलाके में भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है रविवार को भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में दशकों से रह रहे 24 परिवारों ने गम और गुस्से के बीच अपने-अपने घरों को खाली कर दिया।

वहीं जिला प्रशासन और नैनीताल विकास प्राधिकरण ने भी इन सभी चिन्हित परिवारों को नोटिस थमा कर तीन दिन के भीतर अपना पूरा सामान घरों से हटाने को कह दिया है क्षेत्र में दिन भर अपराध अफ्रीका माहौल बना हुआ है नैनीताल में प्रकृति की चेतावनी को अनदेखा करना अब लोगों पर भारी पड़ने लगा है.

शनिवार को चार्ट आंदोलन क्षेत्र में भूस्खलन से एक दो मंजिला भवन भर भर कर गिर गया था जिसकी चपेट में आने से तीन अन्य घर भी दब गए थे एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया कि प्रशासन विकास प्राधिकरण और आपदा प्रबंधन की टीमों ने इलाके में सर्वे कर संवेदन सील घरों पर लाल निशान लगाने के साथ ही प्रभावितों को नोटिस दे दिए हैं.

भू-कटाव रोकने के लिए रेत के कट्टे-तिरपाल का सहारा-
 

भूस्खलन प्रभावित इलाके में मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए तारपाल डाल दिया गया बारिश होने पर इसे मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद मिलेगी साथ ही जिन घरों के बुनियादी पर असर आ रहा है वहां पर रेत के कट्टे डालकर अस्थाई रूप से सुरक्षा उपाय किए जा रहे उपाय किए जा रहे हैं पर प्रशासन बारिश होने से आशंकित है बारिश हुई तो यहां मिट्टी कटाव होने की आशंका बनी रहेगी।

खाना बनाने के लिए घर आने की इजाजत-
 

प्रशासन ने लोगों को भोजन बनाने के लिए अपने घर आने की इजाजत दी है पर अंधेरा होने से पहले ही घर छोड़ने को कहा है ऐसे में लोग अपने घरों की सफाई और भोजन बनाने के लिए कुछ ही देर तक अपने घरों में जा रहे हैं उसके बाद चले जा रहे हैं।

यहां रह रहे निवासियों ने क्या कहा-

अचानक से घरों पर लाल निशान लगाया दिए गए हैं हमें 3 दिन में घर खाली करने को कह दिया है आखिर यह कैसे संभव है कि हम अपना सारा घर खाली करके चले जाएं अचानक से हमारे घरों पर लाल निशान लगा दिए गए हैं हमें घर छोड़ने को कह दिया है प्रशासन यहां सुरक्षा कार्य करवाए हम सहयोग कर रहे हैं पर घर नहीं छोड़ सकते हैं.