Month: December 2023

भजन लाल शर्मा होंगे राजस्थान के नए सीएम, विधायक दल की बैठक में हुआ फैसला

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दिल्ली से आए पर्यवेक्षकों ने विधायक दल की बैठक के बाद सांगानेर से विधायक भजनलाल शर्मा का नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री के लिए तय कर लिया है. भाजपा आलाकमान ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडेय को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाया था, राजस्थान में नए सीएम को लेकर सस्पेंस अब खत्म हो गया है. सांगानेर सीट से विधायक बने भजनलाल शर्मा ही राजस्थान के नए मुख्यमंत्री होंगे. दिल्ली से आए पर्यवेक्षकों ने विधायक दल की बैठक के बाद भजनलाल शर्मा का नाम तय कर लिया है. भाजपा आलाकमान ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडेय को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाया था. आज दोपहर तीनों नेता जयपुर पहुंचे, विधायकों संग बैठक की. आज दोपहर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने वसुंधरा राजे से वन टू वन मीटिंग की थी. उधर, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी राजनाथ सिंह से फोन पर बात की थी.
बताते चलें कि राजस्थान का रण जीतने के बाद भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि सीएम किसे चुना जाए. लेकिन सीएम पद की यह रेस अब थम गई है. इस रेस में कई नाम चल रहे थे. इस लिस्ट में सबसे पहला नाम वसुंधरा राजे का चल रहा था. वो पहले भी राजस्थान की कमान संभाल चुकी हैं. इसके अलावा राजस्थान में हिंदुत्व के पोस्टर बॉय बन गए बाबा बालकनाथ के नाम पर भी चर्चा थी वहीं गजेंद्र शेखावत, सीपी जोशी, दीया कुमारी और राजवर्धन राठौड़ जैसे नाम भी रेस में थे.

छात्र राजनीति से शुरुआत,मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव,मां सीता पर दिया था विवादित बयान,, पढ़ें मोहन की कहानी

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मप्र के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव का नाम चौंकाने वाला रहा। इसके साथ ही मध्यप्रदेश का सीएम बनने की दौड़ से सभी नाम बाहर हो गए। अब मप्र की कमान मोहन यादव के हाथ में रहेगी। यानी प्रदेश में अब शिव का राज नहीं मोहन राज होगा। मोहन यादव ने अपने राजनीति सफर की शुरुआत छात्र जीवन से की थी। अब वे प्रदेश के सत्ता के शीर्ष पर विराजमान हो गए हैं।

 

छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाले डॉ. मोहन यादव को भाजपा ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। अगले पांच साल के लिए डॉ. मोहन यादव को जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनके अलावा जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला प्रदेश के नए उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालेंगे। वहीं नरेंद्र सिंह तोमर को एमपी विधानसभा स्पीकर की जिम्मेदारी दी गई है। डॉ. मोहन यादव 2013 और 2018 के बाद 2023 में भी उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट पर चुनाव जीते हैं। डॉ. मोहन यादव का जन्म 25 मार्च 1965 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था। उनके पिता पूनमचंद यादव और माता लीलाबाई यादव हैं। उनकी पत्नी सीमा यादव हैं।

 

मोहन यादव की शिक्षा और करियर
डॉ. मोहन यादव माधव विज्ञान महाविद्यालय से पढ़ाई की। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री रहे हैं। 1982 में छात्र संघ के सह-सचिव चुने गए थे। भाजपा की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य और सिंहस्थ मध्य प्रदेश की केंद्रीय समिति के सदस्य रहे हैं। मध्य प्रदेश विकास प्राधिकरण केप्रमुख, पश्चिम रेलवे बोर्ड में सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे हैं।

कांग्रेस के इन आरोपों का कर चुके हैं सामना
उज्जैन के मास्टर प्लान को लेकर कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगाए थे। कहा था कि मोहन यादव ने अपने परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान को गलत तरीके से पास कराया है। यादव ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। लोगों ने भी इनआरोपों को गंभीरता से नहीं लिया और मोहन यादव को ही दोबारा विधायक बनाकर भोपाल भेजा है।

इन मामलों में रहे चर्चा में
माता सीता को लेकर एक विवादित बयान भी चर्चा में रहा है। उन्होंने कहा था कि मर्यादा के कारण भगवा राम को सीता को छोड़ना पड़ा था। उन्होंने वन में बच्चों को जन्म दिया। कष्ट झेलकर भी राम की मंगलकामनना करती रहीं। आज के दौर में ये जीवन तलाक के बाद की जिंदगी जैसा है।

Madhya Pradesh CM: मोहन यादव होंगे मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री; सस्पेंस आखिरकार खत्म.

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मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी कौन संभालेगा, इसे लेकर कई दिनों से जारी सस्पेंस आज खत्म हो गया। विधायक दल की बैठक में मोहन यादव के नाम पर सहमति बन गई है। मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं। मोहन यादव को संघ का करीबी बताया जाता है। यादव उज्जैन दक्षिण से सीट से 2013, 2018 और 2023 में चुनाव जीत चुके हैं।

जानकारी के मुताबिक शिवराज सिंह चौहान ने ही मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव विधायक दल की बैठक में किया था। इस एलान के साथ ही सभी कयासों पर विराम लग गया है। अब सूबे की कमान मोहन यादव के हाथों में होगी। सूत्रों का कहना है कि मोहन यादव का नाम आरएसएस ने ही दिल्ली हाईकमान को प्रस्तावित किया था। इसके बाद इनके नाम पर सहमति बन गई। नाम की घोषणा से बाद सबसे पहले संघ ने ही यादव को बधाई दी। उन्होंने भरे समारोह में फोन उठा कर बधाई स्वीकार भी की।

मध्यप्रदेश में दो उपमुख्यमंत्री भी होंगे। इनमें जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला शामिल हैं। जगदीश देवड़ा मल्हारगढ़ और राजेंद्र शुक्ला  बिजावर से विधायक हैं। इसके अलावा स्पीकर पद के लिए नरेंद्र सिंह तोमर के नाम का एलान किया गया है।

यादव का विवादों से भी रहा है नाता-

मोहन यादव शिवराज सिंह चौहान की सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री का पद संभाल चुके हैं। वह साल 2013 में पहली बार विधायक बन कर आए थे। मोहन यादव एबीवीपी और संघ से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं। साल 1984 में मोहन यादव छात्र संघ के अध्यक्ष और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नगर मंत्री चुने गए थे।

मध्यप्रदेश के नए सीएम मोहन यादव का विवादों से काफी पुराना नाता रहा है। साल 2020 में उपचुनाव के समय असंयमित भाषा के प्रयोग के कारण चुनाव आयोग ने उनपर एक दिन के लिए प्रचार करने पर प्रतिबंधित लगा दिया था।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समापन समारोह में पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह, उत्तराखंड को लेकर कह दी ये बात

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उत्तराखंड में आयोजित दो दिवसीय वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दूसरे दिन पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन, इंफ्रास्ट्रक्चर, वन एवं सहयोग क्षेत्र, उद्योग-स्टार्टअप, आयुष व वेलनेस, सहकारिता एवं खाद्य प्रसंस्करण विषय पर छह सत्र आयोजित किए गए।

 

इस खास मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के समापन सत्र में भाग लिया और संबोधन दिया। इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि मैंने उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी से लक्ष्य के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि 2 लाख करोड़ रुपये, लेकिन आज 3.5 लाख करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। मैं इसके लिए राज्य प्रशासन को बधाई देना चाहता हूं। सीएम धामी के नेतृत्व में प्रदेश ने कमाल किया है।

 

दुनिया के सामने उदाहरण बनेगा उत्तराखंड

गृह मंत्री शाह ने कहा कि अब उत्तराखंड बनेगा। इसका विकास होगा और इसकी अलग पहचान बनेगी। ये इन्वेस्टर्स समिट दुनिया भर में यह एक मजबूत उदाहरण है कि यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता से समझौता किए बिना और पर्यावरण-अनुकूल तरीकों का पालन करके खुद को व्यापार से जोड़ सकता है।

बतौर गृह मंत्री अमित शाह, सीएम धामी कहते हैं कि यहां कुदरत है…देव हैं…लेकिन मैं इसके साथ ये भी कहूंगा कि यहां भ्रष्टाचार मुक्त शासन भी है। जोकि इनवेस्टमेंट मुक्त निवेश के लिए भी जरूरी है। कहा कि पारदर्शिता उत्तराखंड का स्वभाव है। उन्होंने निवेशकों से कहा कि वह निश्चिंत होकर राज्य में निवेश करें, उन्हें भ्रष्टाचार नहीं मिलेगा।

 

कई हस्तियां भी बनीं निवेशक सम्मेलन की गवाह

निवेशक सम्मेलन में निवेशकों के अलावा कवि, लेखक व गीतकार प्रसून जोशी, पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ आचार्य बालकृष्ण, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष चिदानंद मुनि व अलग-अलग क्षेत्रों की मशहूर हस्तियां भी गवाह बनीं। सम्मेलन में प्रदेश सरकार के सात मंत्रियों के अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, विजय बहुगुणा, तीरथ सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण, टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी, अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा, पार्टी के प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार, प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी, पार्टी विधायक खजानदास, विनोद चमोली, मुन्ना सिंह चौहान, सहदेव पुंडीर, पार्टी प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान, प्रदेश प्रवक्ता हेमंत द्विवेदी समेत कई अन्य प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

परमार्थ निकेतन जाएंगे गृहमंत्री

परमार्थ निकेतन में गृहमंत्री अमित शाह के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम किए हैं। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एसएसपी पौड़ी, टिहरी व एसपी चमोली ने पुलिस अधिकारियों व कर्मियों को ब्रीफ किया। आज शनिवार शाम गृहमंत्री अमित शाह का परमार्थ निकेतन की आरती में शामिल होने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। अमित शाह का हेलिकॉप्टर वेद निकेतन के समीप हेलीपैड पर पर लैंड करेगा। यहां से वह कार से परमार्थ निकेतन पहुंचेंगे। इस दौरान पूरे क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहेगी।

‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ बना उत्तराखंड के उत्पादों का ब्रांड, पीएम मोदी ने किया लॉन्च

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राज्य के सभी उत्पादों को अब एक नाम से पहचाना जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार को वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान हाउस ऑफ हिमालयाज की लांचिंग की। अभी तक हिमाद्री, हिलांस, ग्राम्यश्री जैसे तमाम उत्पाद अलग-अलग नाम से बाजार में जाते हैं, लेकिन अब सभी हाउस ऑफ हिमालयाज के नाम से पहचाने जाएंगे।

फरवरी में धामी कैबिनेट ने एक निर्णय लिया था कि प्रदेश के सभी उत्पादों की क्वालिटी, मार्केटिंग व ब्रांडिंग के लिए समिति का गठन किया जाए। इस आधार पर एक समिति का गठन किया गया है। इस समिति ने हाउस ऑफ हिमालयाज नाम पर मुहर लगाई। इस नाम का रजिस्ट्रेशन करा दिया गया है। ट्रेडमार्क के लिए आवेदन भी कर दिया गया है।

सचिव ग्राम्य विकास राधिका झा ने बताया कि अब हाउस ऑफ हिमालयाज उत्तराखंड का ब्रांड होगा। हिमाद्री, हिलांस समेत तमाम समितियों, स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को इसी ब्रांड नाम के साथ बाजार में उतारा जाएगा। इससे न केवल राष्ट्रीय, बल्कि भविष्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उत्पादों को बेहतर बाजार मिलेगा।अपर सचिव ग्राम्य विकास नितिका खंडेलवाल ने बताया, हाउस ऑफ हिमालयाज उत्तराखंड का ब्रांड नाम हो गया है। जैसे टाटा या अन्य कंपनियों का एक नाम चलता है और विभिन्न उत्पाद बाजार में आते हैं। उसी तरह यह ब्रांड नाम चलेगा। उन्होंने कहा, सभी उत्पादों की अपनी पहचान के साथ हाउस ऑफ हिमालयाज का टैग उनके साथ रहेगा।

Uttarakhand Investors Summit: डबल इंजन के ‘डबल’ प्रयास हर तरफ दिख रहे, पढ़ें प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की ये बातें.

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उत्तराखंड में आज से दो दिवसीय वैश्विक निवेशक सम्मेलन का शुभारंभ हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन का शुभारंभ किया। सम्मेलन में देश-दुनिया के 5000 से अधिक निवेशक और प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। राज्य में विभिन्न सेक्टर में निवेश के लिए अभी तक तीन लाख करोड़ रुपये के एमओयू हो चुके हैं। कई बड़े निवेश के लिए सम्मेलन में करार हो सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां आकर मन धन्य हो जाता है। कुछ वर्ष पहले जब मैं बाबा केदार के दर्शन को निकला था तो अचानक मेरे मुंह से निकला था कि 21वीं सदी का ये तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक है। मुझे खुशी है कि उस कथन को मैं लगातार पूरा होते देख रहा हूं।

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि मैं देशवासियों को भरोसा दिलाता हूं कि मेरे तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की टॉप थ्री इकॉनमी में आकर रहेगा। मोदी ने अगले आम चुनाव को लेकर भी ये इशारा किया।

पढ़ें प्रधानमंत्री के भाषण की बड़ी बातें-

 

  • पीएम मोदी ने कविता से भाषण की शुरुआत की। कहा- जहां अंजुली में गंगाजल हो, जहां हर एक मन बस निश्चल हो, जहां नारी में सच्चा बल हो उस देवभूमि का आशीर्वाद लिए मैं चलता जाता हूं। है भाग्य मेरा सौभाग्य मैं तुमको शीश नवाता हूं।
  • मैं देशवासियों को भरोसा दिलाता हूं कि मेरे तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया के टॉप थ्री इकॉनमी में आकर रहेगा। मोदी ने अगले आम चुनाव को लेकर भी ये इशारा किया।
  • मेक इन इंडिया की तरह वेड इन इंडिया भी चलाया जाए। आप कुछ निवेश करना पाओ या नहीं लेकिन अपने परिवार की एक डेस्टिनेशन वेडिंग अगले पांच साल में उत्तराखंड में करें। अगर पांच साल में पांच हजार डेस्टिनेशन वेडिंग भी उत्तराखंड में हुई तो ये एक नया क्षेत्र खड़ा हो जाएगा। देश के धन्ना सेठ इस बारे में सोचेंगे तो बड़ा बदलाव आएगा।
  • आप सभी बिजनेस की दुनिया के दिग्गज हैं। आप अपने काम का विश्लेषण करते हैं। आप सभी चुनौती का आकलन करके रणनीति बनाते हैं। ऐसा करने से हमें चारों तरफ एस्पिरेशन, होप, सेल्फ कॉन्फिडेंस दिखेगी। देश में पॉलिसी गवर्न सरकार दिखेगी।
  • भारत की मजबूती का फायदा उत्तराखंड समेत देश के हर राज्य को हो रहा है।उत्तराखंड इसलिए भी विशेष है क्योंकि यहां डबल इंजन सरकार है। डबल प्रयास चारों तरफ दिख रहे हैं। राज्य सरकार तेजी से यहां काम हो रहा है।
  • दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस वे से दूरी 2.5 घंटे की होने जा रही है।
  • ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन से रेल कनेक्टिविटी आसान होने जा रही है।
  • पहले की सरकारें सीमावर्ती इलाकों को कम से कम पहुंच वाली थी। डबल इंजन ने इस धारणा को बदला। हम सीमावर्ती गांवों को विकसित करने जा रहे हैं।
  • पीएम मोदी ने सरकार को हाउस ऑफ हिमालयाज की बधाई दी। कहा कि यहां के लोकल उत्पादों को विदेशी बाजार में स्थापित करने की पहल है। ये वोकल फ़ॉर लोकल और लोकल फ़ॉर ग्लोबल का कारक बनेगा।
  • विकसित भारत के निर्माण के लिए राष्ट्रीय चरित्र को सशक्त करना होगा। ऐसे काम करने होंगे जिससे हमारे स्टैंडर्ड दुनिया फॉलो करें।
  • विकसित भारत अस्थिरता नहीं बल्कि स्थिरता चाहता है।
  • हमारे देश में मिलेट से लेकर तमाम फूड्स हैं जो पोषक हैं। किसानों की मेहनत बेकार नहीं जानी चाहिए। भारत की कंपनियों के लिए ये अभूतपूर्व समय है। अगले कुछ वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बनने जा रहा है।
  • जिसमें दम हो, मैदान में आ जाएं, फायदा उठा लें। मैं गारंटी देता हूं कि जो बातें हम बताते हैं उन्हें पूरा कराने को हम खड़े भी रहते हैं।
  • मेरे जीवन के एक पहलू को बनाने में इस धरती का बड़ा योगदान है। अगर उसे कुछ लौटाने का अवसर मिलता है तो उसका आनंद भी कुछ और होता है।
    आइए इस पवित्र धरती में चल पड़िए। आपके काम में कभी कोई बाधा नहीं आएगी।

3 साल में 13 सरकार,मोदी की इस योजना ने बदला देश का चुनावी गणित !

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वर्ष 2020 में पूरी दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही थी। भारत सरकार भी इससे निपटने के लिए देश में लॉकडाउन लागू कर चुकी थी। आफत इस कदर बढ़ी कि गरीबों के सामने पेट भरने की चुनौती खड़ी हो गई। ऐसे में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) की शुरुआत की। इस योजना के तहत गरीबों को 5 किलो मुफ्त अनाज दिया जाता है। तीन साल पहले शुरू हुई ये योजना धीरे-धीरे मोदी सरकार का चेहरा बन गई। यही कारण रहा कि इस फ्री अनाज योजना के 8 चरण हो चुके हैं। अब नवें चरण के तहत प्रधानमंत्री ने इसे अगले पांच साल तक बढ़ाने का ऐलान कर दिया है।

केंद्र सरकार के इस फैसले के तमाम सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। दरअसल जबसे ये योजना शुरू हुई है, तब तक आज यानि दिसंबर, 2023 तक कुल 23 राज्यों में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें से 13 राज्यों में भाजपा या तो सीधे या गठबंधन के सहयोगियों के दम पर सत्ता में आ चुकी है। इसमें गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में सरकार में वापसी भी शामिल है। भाजपा गठबंधन असम, पुद्दुचेरी, गुजरात, गोआ, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान में सत्तारूढ़ हो चुका है।

देश में हर साल चुनाव दर चुनाव के बीच कैसे इस योजना को समय-समय पर बढ़ाया गया। इस पर भी नजर डाल लेते हैं। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत अप्रैल से जून 2020 में हुई। फिर जुलाई से नवंबर 2020 तक के लिए इसे बढ़ाया गया। इसके बाद मई और जून 2021 में इस योजना का तीसरा चरण आया। फिर जुलाई से नवंबर 2021 तक योजना ने चौथा चरण, दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक पांचवा चरण, अप्रैल 2022 से सितंबर 2022 तक छठा चरण, अक्टूबर 2022 से दिसंबर 2022 तक सातवां चरण और जनवरी 2023 से दिसंबर 2023 तक आठवां चरण पूरा किया।

अब योजना को पांच साल तक बढ़ा दिया गया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा, “देश के मेरे परिवारजनों में से कोई भी भूखा नहीं सोए, हमारी सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। अपनी इसी भावना को ध्यान में रखते हुए हमने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले पांच वर्षों तक बढ़ा दिया है। यानि मेरे गरीब भाई-बहनों के लिए वर्ष 2028 तक मुफ्त राशन की व्यवस्था निरंतर जारी रहेगी। इसका फायदा करीब 81 करोड़ देशवासियों को मिलेगा। मुझे विश्वास है कि हमारा यह प्रयास उनके जीवन को अधिक से अधिक आसान और बेहतर बनाएगा।’’

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माना जाता है कि 2019 में मोदी सरकार की वापसी में महत्वाकांक्षी उज्जवला योजना का विशेष योगदान रहा। अब धीरे-धीरे फ्री राशन योजना अपना असर दिखाने लगी है। योजना के विस्तार को कहीं न कहीं लोकसभा चुनाव की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। वैसे 2021 से ही चुनाव दर चुनाव बीजेपी को मिल रही सफलता के पीछे इसका विशेष योगदान माना जा रहा है। पिछले तीन सालों में बीजेपी की जीत का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। उसने न सिर्फ यूपी, एमपी, गुजरात जैसे बड़े राज्यों में सत्ता बचाई है, बल्कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में उसने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया।

यही नहीं पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में जहां भाजपा का जनाधार काफी सिमटा हुआ था, वहां भी पार्टी अब वामदलों और कांग्रेस को पीछे छोड़कर प्रमुख विपक्षी दल बनकर उभरी है। इसी तरह बिहार चुनाव में भी बीजेपी का ग्राफ बढ़ गया।

बिहार में भाजपा का बढ़ा ग्राफ
2020 में बिहार और दिल्ली के विधानसभा चुनाव हुए। बिहार में बीजेपी ने पहले से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 74 सीटें हासिल कीं। इस चुनाव में नीतीश कुमार की जदयू 43 सीट लेकर तीसरे पर खिसक गई। वहीं राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल बनी। दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा को उम्मीद के मुताबिक सफलता तो नहीं मिली। वह सिर्फ 8 सीटें ही जीत सकी।लेकिन इस बार उसने 2015 के मुकाबले अपने वोट प्रतिशत में काफी सुधार कर लिया। कुल 63 सीटें ऐसी रहीं, जहां बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ गया। इनमें 20 सीटों पर तो 10 फीसदी से ज्यादा का वोट शेयर बढ़ा। नजफगढ़ सीट पर तो वोट शेयर में 21.5 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई। बहरहाल, दिल्ली में आम आदमी पार्टी 62 सीटें जीतकर एकतरफा विजेता बनी।

तमिलनाडु में पहली बार चार विधायक, पश्चिम बंगाल में प्रमुख विपक्षी दल
वर्ष 2021 में केंद्र ने फ्री अनाज योजना को दो बार बढ़ाया। पहला मई और जून 2021, फिर जुलाई से नवंबर 2021 तक। इसी साल असम, केरल, पुद्दुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में चुनाव हुए। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को बीजेपी चुनौती दे रही थी। हालांकि चुनाव परिणाम आए तो ममता बनर्जी ने आसानी से भाजपा को हरा दिया। लेकिन इस हार के बावजूद भाजपा का प्रदर्शन चर्चा में रहा। दरअसल बीजेपी ने 2016 के विधानसभा चुनावों में बंगाल में सिर्फ 3 सीटें जीती थीं। उस दौरान उसका वोट प्रतिशत करीब 10 फीसदी था। लेकिन 2021 में ये वोट शेयर सीधे उछलकर 38.1 फीसदी पर पहुंच गया और बीजेपी ने 77 सीटें अपने नाम की। ये प्रदर्शन इसलिए और भी महत्वपूर्ण माना गया क्योंकि अभी तक बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के सामने लेफ्ट और कांग्रेस के दल ही चुनौती देने वाले माने जाते थे। लेकिन बीजेपी ने इन्हें किनारे लगा दिया और प्रमुख विपक्षी दल बनकर उभरी।

असम में दमदार वापसी
असम के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की साख दांव पर लगी थी क्योंकि वह यहां सत्ता बनाए रखने की लड़ाई लड़ रही थी। आखिरकार बीजेपी सत्ता बचाने में कामयाब रही। चुनाव में बीजेपी ने 33.21 वोट शेयर के साथ 60 सीटें जीतीं। उसके सहयोगी दल असम गण परिषद ने 9, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी ने 6 सीटें अपने नाम कीं। वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस 29.67 वोट शेयर के बावजूद 29 सीटें ही जीत सकी।

तमिलनाडु में पहली बार खिला कमल
इसी तरह तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में भाजपा के 20 में से चार उम्मीदवार विजयी हुए। इस जीत ने पार्टी के 15 साल लंबे इंतजार को खत्म कर दिया। भाजपा की तरफ से राष्ट्रीय महिला शाखा की अध्यक्ष वनाथी श्रीनिवासन, जयललिता के निधन के बाद भाजपा में शामिल हुए अन्नाद्रमुक के पूर्व मंत्री नैनेर नागेंद्रन, सीएस सरस्वती और भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी एमआर गांधी ने जीत हासिल की।

केरल में साफ मगर बढ़ गया वोट का ग्राफ
केरल विधानसभा चुनाव में भाजपा को एक भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई। लेकिन भाजपा के वोट शेयर में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। 2016 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 10.6 फीसदी वोट हासिल किए, वहीं 2021 में उसने 11.30 फीसदी वोट मिले। 2016 में भाजपा प्रत्याशी 6 विधानसभा सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे थे, वहीं 2021 में 9 सीटों पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही।

पुद्दुचेरी में सरकार
इसी तरह पुद्दुचेरी विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपने सहयोगी ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस के साथ आसानी से सरकार बना ली। बीजेपी को इस चुनाव में 6 सीटें मिलीं, जबकि एनआर कांग्रेस को 10 सीटें मिलीं। चुनाव में इंडियन नेशनल कांग्रेस को महज 2 सीटों से संतोष करना पड़ा। बता दें 33 सीटों वाली इस विधानसभा में 30 सीटों पर विधायक चुनाव के जरिए चुनकर आते हैं, वहीं बाकी की 3 सीटों पर केंद्र द्वारा नामित किए जाते हैं। 2016 में केंद्र सरकार ने इसके लिए बीजेपी के सदस्यों को ही नामित किया था।

इसके बाद आया वर्ष 2022, इससे पहले ही मोदी सरकार ने मुफ्त अनाज की स्कीम को दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक बढ़ा दिया था। इस साल दो बार और ये स्कीम बढ़ी, पहले अप्रैल 2022 से सितंबर 2022 तक फिर अक्टूबर 2022 से दिसंबर 2022 तक। इस साल कुल 7 राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, गोआ, मणिपुर और पंजाब के विधानसभा चुनाव हुए।

यूपी चुनाव में तो भाजपा ने सारे रिकॉर्ड ही तोड़ डाले। यहां भाजपा गठबंधन ने 403 में से कुल 274 सीटें जीतीं। योगी आदित्यनाथ 37 साल बाद यूपी में लगातार दूसरी बार बहुमत की सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री बन गए। सीधी लड़ाई में भाजपा को जहां 45 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले, वहीं सपा 36 प्रतिशत वोट हासिल करने के बावजूद काफी पीछे रह गई।

यूपी में बजा मुफ्त अनाज का डंका
इस चुनाव में मुफ्त अनाज स्कीम एक बड़ा मुद्दा बनी और बीजेपी ने पूर्वांचल से लेकर वेस्ट यूपी तक शानदार जीत हासिल की। चुनाव की शुरुआत उन जिलों से हुई, जहां जहां किसान आंदोलन का सर्वाधिक असर था। उस चरण की 58 सीटों में भाजपा को 46 सीटें मिली। तिकुनिया कांड के कारण चर्चा में आए लखीमपुर में विपक्षी दलों का का खाता तक नहीं खुला। दूसरा व सातवां चरण ही ऐसा रहा जहां सपा भाजपा को टक्कर देती दिखी। लेकिन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी व सीएम के गृह जिले गोरखपुर में क्लीन स्वीप करने के साथ ही भाजपा ने नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, शाहजहांपुर, पीलीभीत, हरदोई, गोंडा, कन्नौज, कुशीनगर, मिर्जापुर सहित कई जिलों में सारी सीटें अपने झोली में डाल लीं।

उत्तराखंड में वापसी
इसी तरह उत्तराखंड में भी भाजपा दोबारा सरकार बनाने में कामयाब रही। भले ही इसके सीएम पुष्कर सिंह धामी अपना चुनाव हार किए लेकिन 70 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा के 47 विधायक पहुंच गए। 2016 तके 57 सीटें जीतने वाली भाजपा को 10 सीटों को नुकसान जरूर हुआ।

मणिपुर और गोआ में भी कमल
मणिपुर विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने 32 सीटें हासिल की और सरकार बना ली। उसने 2017 के विधानसभा चुनावों में 21सीटें ही हासिल की थी। वहीं उस चुनाव में 28 सीटें जीतने वाली कांग्रेस सिर्फ 5 सीटों पर सिमटकर रह गई। 40 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश गोआ में भाजपा बेहतर प्रदर्शन् के किया और 2017 के मुकाबले 7 ज्यादा 20 सीटें जीतीं। कांग्रेस को चुनावों में 6 सीटों का नुकसान हुआ और वह 11 पर खड़ी रह गई।

हिमाचल और पंजाब में खराब प्रदर्शन
हालांकि भाजपा को हिमाचल प्रदेश में उम्मीद के अनुसार लाभ नहीं मिला। यहां की जनता से 1985 से कायम रिवाज को बनाए रखा। चुनाव में कांग्रेस 40 सीटें जीती, जबकि बीजेपी 25 पर सिमट गई। 2017 में बीजेपी ने 44 सीटें जीतकर बहुमत की सरकार बनाई थी और कांग्रेस सिर्फ 21 सीटों पर ही सिमटकर रह गई थी। इसी तरह पंजाब में भाजपा के मत प्रतिशत में हल्का सा इजाफा जरूर हुआ और वह 6.6 प्रतिशत हो गया लेकिन वह सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी।

गुजरात में रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन

गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए। बीजेपी ने यहां की 182 विधानसभा सीटों में से 156 सीटें अपने नाम कीं। यह गुजरात में किसी पार्टी का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। इससे पहले 1985 में माधव सिंह सोलंकी की अगुवाई में कांग्रेस ने 149 सीटें जीती थीं। कांग्रेस इस चुनाव में सिर्फ 17 सीटों पर सिमटकर रह गई।

इन जीतों के साथ में फ्री राशन स्कीम का कितना योगदान था, इसका अंदाजा केंद्र सरकार के इस फैसले से ही लगाया जा सकता है। अभी तक कुछ महीनों के लिए ही इस स्कीम को बढ़ाया जाता था लेकिन इस साल इसे जनवरी 2023 से सीधे दिसंबर 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया।

कर्नाटक में सत्ता से बाहर हुई भाजपा पर वोट शेयर बरकरार
हालांकि इस साल कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी नुकसान हुआ और वह सत्ता से बाहर हो गई। 2018 में जहां भाजपा 104 सीटें जीतकर सरकार बनाने में सफल रही थी, वहीं इस बार वह सिर्फ 66 सीटें ही जीत सकी। कांग्रेस ने इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और 80 सीटों से बढ़कर 135 सीटें अपने नाम की और सत्ता पर काबिज हुई। खास बात ये ही रही कि इस चुनाव में बीजेपी के वोट शेयर में कोई बदलाव नहीं हुआ। वह 36 प्रतिशत पर बनी रही। वहीं कांग्रेस 7 प्रतिशत ज्यादा 43 फीसदी वोट शेयर के साथ जीती। कई राजनीतिक विश्लेषकों ने ये जरूर कहा कि बीजेपी का ये वोट शेयर कर्नाटक के केवल दो क्षेत्रों पुराना मैसूर और बेंगलुरु से आया। जबकि 2018 के चुनावों में यह वोट शेयर कर जगह से था। दक्षिण कर्नाटक में बिना सीटें जीते जेडीएस के वोट शेयर में सेंधमारी की।

त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में एनडीए सरकार
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को नुकसान जरूर हुआ लेकिन सत्ता उनके हाथ बनी रही। बीजेपी गठबंधन को इस चुनाव में 33 सीटें मिली, 2018 के मुकाबले यह 11 सीटें कम रही। तब अकेले बीजेपी को 36 सीटें मिली थीं और उसके सहयोगी दल आईपीएफटी को 8 सीटें मिली थीं। इसी तरह पिछली बार बीजेपी को 43 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे, इस बार उसे 39 प्रतिशत वोट मिले। इसी तरह नागालैंड और मेघायल में भी भाजपा गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब रहा।

Assembly Election 2023: इन राज्यों में CM कैंडिडेट की तस्वीर हुई साफ! जानिये अभी किन 3 राज्यों में फंसा है पेंच.

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 पांचों चुनावी राज्यों के परिणाम सामने आ चुके हैं, जिसके बाद यह तय हो गया है किस राज्य में कौन-सी पार्टी अपनी सरकार बनाने जा रही है। दरअसल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की है। वहीं, तेलंगाना में कांग्रेस ने बीआरएस पार्टी के हाथ से सत्ता छीन ली है। इसके अलावा, मिजोरम में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (Zoram People’s Movement) को दो-तिहाई से ज्यादा बहुमत मिला है।

जानिए कहां किसकी हालत कैसी?

सत्ता में आने के बाद अब पार्टियों के सामने एक नई चुनौती आकर खड़ी हो गई है। दरअसल, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में अब तक भाजपा ने किसी चेहरे पर मुहर नहीं लगाई है, जबकि कांग्रेस द्वारा तेलंगाना का सीएम तय होने को लेकर पार्टी में ही विरोध देखा जा रहा है। हालांकि, तेलंगाना में स्थिति स्थिर है और सीएम पद के लिए एक ही नाम सामने आ रहा है।

हालांकि, यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि किसी भी राज्य में पार्टियों ने आधिकारिक तौर पर किसी भी नाम की घोषणा नहीं की है।

मध्य प्रदेश में शिवराज या कोई और?

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता पर अपनी पकड़ को और भी मजबूत कर लिया है। दरअसल, पांच साल तक अपनी सत्ता के जरिए जनता के दिलों पर छाप छोड़ने वाली पार्टी ने एक बार फिर सत्ता पर अपना हक बरकरार रखा है। भाजपा ने प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले काफी अच्छा प्रदर्शन रखा है। इसके बाद भी प्रदेश में भाजपा के सामने एक बड़ी मुसीबत आकर खड़ी हो गई है। दरअसल, प्रदेश में अब तक सीएम पद के लिए किसी के नाम पर मुहर नहीं लगाई गई है।

हालांकि, प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान प्रमुख नेताओं में से एक है, जिन्होंने इस बार भाजपा को भारी जीत दिलाई है। उन्होंने 1990 में अपने निर्वाचन क्षेत्र बुधनी में पहली जीत हासिल की थी, उसके बाद से आज तक वह सीट पर अपना कब्जा बनाए हुए हैं। उन्होंने पहली बार 2005 में सीएम पद की शपथ ली थी और पिछले पांच सालों में भी उन्होंने सीएम पद पर काबिज रहते हुए काफी प्रसिद्धि पाई है।

बीजेपी पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद इंदौर-एक विधानसभा सीट से विधायक चुने गए कैलाश विजयवर्गीय का प्रदर्शन भी अपनी सीट पर काफी बेहतर रहा है। इनको मुख्यमंत्री पद के लिए शिवराज सिंह चौहान का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। हालांकि, कैलाश विजयवर्गीय के अलावा केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर जैसे बड़े नेताओं को भी पद के लिए अन्य संभावितों में देखा जा रहा है।

राजस्थान में मुख्यमंत्री पद पर सस्पेंस बरकरार-

राजस्थान में भाजपा ने कांग्रेस के हाथ से सत्ता छीनकर उसे करारी शिकस्त दी है। फिलहाल, प्रदेश में भाजपा ने सीएम पद पर किसी का नाम तय नहीं किया है। हालांकि, कतार में भाजपा के कई बड़े और दिग्गज नेताओं का नाम शामिल है। दरअसल, अब तक राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के बाद वसुंधरा राजे ने सत्ता संभाली है, लेकिन इस बार भाजपा बिना सीएम चेहरे के ही चुनावी मैदान में उतरी थी।

वसुंधरा राजे दो बार राजस्थान में सीएम पद संभाल चुकी हैं। वसुंधरा राजे 4 बार विधायक रह चुकी हैं। 5 बार लोकसभा सांसद रह चुकी हैं 14 नवंबर, 2002 से 14 दिसंबर, 2003 तक पार्टी प्रदेशाध्यक्ष रही हैं। इसके अलावा, उनका पहला कार्यकाल 2003 से 2008 तक और दूसरा कार्यकाल 2013 से 2018 तक रहा।

इस बार सीएम रेस में बाबा बालकनाथ योगी का नाम भी शामिल है। अलवर के सांसद बाबा बालकनाथ को लोकप्रिय रूप से राजस्थान के योगी के रूप में जाना जाता है और वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। तिजारा विधानसभा क्षेत्र से 40 वर्षीय नेता अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं।

जयपुर के शाही परिवार की सदस्य दीया कुमारी साल 2013 में भाजपा में शामिल हुईं। उसके बाद से उन्होंने तीन चुनावों में जीते हैं। वह 2019 के आम चुनाव में 5.51 लाख वोटों के अंतर से जीती थीं। जो की उस वक्त की सबसे बड़ी जीत में से एक थी। इन्हें राजस्थान में सीएम पद के लिए एक अच्छा दावेदार माना गया है।

इसके अलावा, सीएम रेस में सीपी जोशी, किरोड़ी लाल मीणा, अर्जुन राम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत और ओम बिरला का नाम शामिल है।

छत्तीसगढ़ में छाएगा किस चेहरे का जादू

छत्तीसगढ़ में भी भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता की कुर्सी छीनकर अपनी पकड़ बना ली है। भाजपा ने इस बार मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना ही चुनाव लड़ा था। ऐसे में भाजपा की इस जीत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अरुण साव को सीएम पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। इसके अलावा, भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लता उसेंडी, पूर्व भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय और भाजपा के महामंत्री व पूर्व आईएएस ओपी चौधरी के नाम को लेकर भी चर्चा है।

प्रदेश में लगातार आदिवासी मुख्यमंत्री की भी मांग होती रही है । ऐसे में अनुसूचित जनजाति(एसटी) वर्ग से प्रदेश में बड़े चेहरे में केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह, पूर्व राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम, पूर्व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लता उसेंडी व युवा नेता में पूर्व मंत्री केदार कश्यप का नाम पहले आता है।

तेलंगाना में कांग्रेस में छिड़ा विरोध

तेलंगाना में कांग्रेस ने बीआरएस को हराकर पहली बार राज्य में जीत हासिल की है। चुनाव परिणाम आने के दो दिन बाद भी मुख्यमंत्री के नाम पर स्थिति साफ नहीं हुई है। तेलंगाना में मुख्यमंत्री पद के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी का नाम सामने आ रहा है, लेकिन अब तक कांग्रेस के जीते हुए सभी 64 विधायकों के बीच सीएम के चयन पर सहमति नहीं बन पाई है।

साथ ही, पार्टी की ओर से भी अब तक सीएम पद पर किसी के नाम की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

मिजोरम में तय हुआ नाम!

पूर्व आईपीएस लालदूहोमा की पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) को मिजोरम में दो-तिहाई बहुमत मिला है। सोमवार को हुई मतगणना में 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा में 27 सीटें जीतकर जेडपीएम ने मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को सत्ता से बाहर कर दिया।

इसके बाद ही, सीएम पद के लिए लालदूहोमा के नाम का शोर है, लेकिन अब तक पार्टी की ओर से इस नाम की आधिकारिक घोषणा होना बाकी है।

Uttarakhand: केदारनाथ में हुई बर्फ़बारी, पारा-6 डिग्री पहुंचा, आज कहीं बारिश तो कहीं कोहरा, जानिए कहां कैसा है मौसम का हाल.

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प्रदेश के पर्वतीय जिलों के कुछ इलाकों में हल्की बारिश होने से ठंड बढ़ सकती है। मैदानी इलाकों में कोहरा लगने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले के कुछ इलाकों में बारिश होने की संभावना जताई है।

अन्य जिलों में मौसम शुष्क रहेगा। ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले के कुछ इलाकों में सुबह के समय कोहरा छाने से ठंड बढ़ सकती है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है आठ दिसंबर तक प्रदेश भर में मौसम शुष्क रहेगा। इसके बाद पर्वतीय जिलों में बारिश व बर्फबारी होने से तापमान में गिरावट रिकॉर्ड की जाएगी। इसका असर मैदानी इलाकों में भी देखने को मिलेगा।

वहीं केदारनाथ में सोमवार देर शाम को तापमान माइनस छह डिग्री पहुंच गया। धाम में जमकर बर्फबारी भी हो रही है। मौसम की बेरुखी से केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। इधर, निचले इलाकों में भी सोमवार को कुछ देर हल्की बारिश हुई, जिससे ठंड बढ़ गई है। उधर, पहाड़ों की रानी मसूरी में भी देर रात हुई बारिश हुई। जौनपुर के नागटिब्बा में रात को बर्फबारी होने से क्षेत्र में ठंड बढ़ गई है। वहीं यमुनोत्री धाम सहित यमुना घाटी में कल की बारिश बर्फबारी से ठंड बढ़ गई।

सोमवार को सुबह से ही केदारनाथ में हल्के बादल छाए रहे। दिन चढ़ने के साथ यहां मौसम खराब होता गया और दोपहर 3 बजे से हल्की-हल्की बर्फबारी होने लगी।

देर रात तक रुक-रुककर हल्की बर्फबारी होती रही। खराब मौसम के कारण केदारनाथ में तापमान में काफी गिरावट आई है, जिससे ठंड बढ़ गई है।

धाम में अधिकतम तापमान दो डिग्री और न्यूनतम माइनस छह डिग्री दर्ज किया गया। जिला आपदा प्रबंधन-प्राधिकरण, लोनिवि के ईई विनय झिक्वांण ने बताया कि खराब मौसम के कारण पुनर्निर्माण कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।

केदारनाथ में इन दिनों 300 मजदूर पुनर्निर्माण कार्य में जुटे हुए हैं।

INDIA में टूट!: तो क्या टूटने जा रहा है इंडिया गठबंधन ! ममता, नीतीश का बैठक में आने से इंकार. 

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