Author: Manisha Rana

Priyanka ED Case: आखिर ED की चार्जशीट में प्रियंका गांधी का नाम क्यों, पढ़ें मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर क्या है पूरा मामला.

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Priyanka Gandhi ED Case- कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी बड़ी मुसीबत में फंसती दिख रहीं है। दरअसल, ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रियंका गांधी का नाम पहली बार चार्जशीट में दाखिल किया है। हालांकि, प्रियंका को आरोपी नहीं बनाया गया है। उनका नाम आरोपी से जुड़े होने के तौर पर शामिल किया गया है।

जिससे जमीन खरीदी, उसी को बेच दी-

ईडी की चार्जशीट के अनुसार, ये मामला जमीन खरीदने और बेचने से जुड़ा है। मामले में भगोड़े हथियार डीलर संजय भंडारी के सहयोगी सीसी थम्पी ने हरियाणा के फरीदाबाद में रियल एस्टेट एजेंट एचएल पाहवा से 2005 से 2008 तक कई बार जमीनें खरीदीं।उसके बाद प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा ने 2006 में पाहवा से अमीरपुर गांव में 5 एकड़ (40 कनाल) कृषि जमीन खरीदी और उसी को पाहवा को फरवरी 2010 में बेच दिया। आरोप है कि ये सब पैसे को इधर-उधर और मनी लॉन्ड्रिंग करने के लिए किया गया।

ये भी लगे आरोप-

आरोप यह भी लगे हैं कि इस दौरान एचएल पाहवा को भूमि अधिग्रहण के लिए पैसे भी मिलते रहे। ये भी आरोप है कि रॉबर्ट ने पाहवा को पूरे पैसे भी नहीं दिए। 

ईडी का कहना है कि थम्पी के रिश्ते काफी लंबे समय से वाड्रा से है और दोनों कई काम मिलकर करते हैं।

 

सीसी थम्पी पर संजय भंडारी का साथ देने का आरोप-

सीसी थम्पी पर हथियार डीलर संजय भंडारी का साथ देने और ब्रिटेन में कालाधन छिपाने में मदद करने का आरोप है।

Rajasthan: राजस्थान में किसे और कैसे मिलेगा 450 रुपये में LPG सिलेंडर, पढ़ लें ये सभी जरूरी नियम.

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राजस्थान में भजनलाल शर्मा सरकार ने गरीब परिवारों को 450 रुपये में गैस सिलेंडर देने की घोषणा की है। चुनाव में बीजेपी की ओर से यह वादा किया गया था, जिसे अब सरकार एक जनवरी 2024 से लागू करने की घोषणा की है।

आप को बता दें कि इन परिवारों को गहलोत सरकार 500 रुपये में सिलेंडर दे रही थी। बीजेपी सरकार की नई योजना लागू होने के बाद उन्हें 50 रुपये की और बचत होगी। अन्य परिवारों को सिलेंडर पहले की तरह बाजार मूल्य पर मिलता रहेगा।

बताते चलें, टोंक जिले में बुधवार को विकसित भारत संकल्प यात्रा को संबोधित करते हुए सीएम भजनलाल शर्मा ने सस्ते सिलेंडर वाला वादा पूरा करने का एलान किया। उन्होंने कहा, राजस्थान की जनता ने पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से महिलाओं, युवाओं, किसानों और गरीबों के लिए दी गई गारंटी में अपना विश्वास जाहिर किया है। 

 

सीएम भजनलाल ने कहा कि उनकी सरकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों के अनुरूप अंत्योदय के लिए प्रतिबद्ध है और जनता से घोषण पत्र में किए गए सभी वादों को पूरा किया जाएगा, जिसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। आइए हम आपको बताते हैं कि 450 रुपये में सिलेंडर किसे और कैसे मिलेगा।

  • रसोई गैस सिलेंडर सब्सिडी योजना के तहत उन लोगों को 450 रुपये में सिलेंडर मिलेगा, जिन्होंने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत कनेक्शन लिया है।
  • इसके अलावा चुनिंदा बीपीएल परिवारों को भी इसका लाभ मिलेगा।
  • एक पात्र परिवार को साल में 12 सिलेंडर पर सब्सिडी मिलेगी।
  • सिलेंडर की संख्या ज्यादा हुई तो बाजार मूल्य चुकाना होगा।
  • सिलेंडर लेते समय बाजार मूल्य चुकाना होगा, बाद में सब्सिडी अकाउंट में आएगी।
  • मान लीजिए बाजार मूल्य 900 रुपये है तो आपको सिलेंडर लेते समय पूरे पैसे देने होंगे, बाद में आपके अकाउंट में 450 रुपये सब्सिडी के रूप में जमा कर दिए जाएंगे।

कतर में 8 भारतीयों की फांसी की सजा पर लगी रोक; विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी.

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खाड़ी देश कतर की एक अदालत द्वारा भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा देने के फैसले पर रोक लगा दी गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने दहरा ग्लोबल मामले में कतर की अपील अदालत के आज के फैसले पर गौर किया है, जिसमें सजाएं कम कर दी गई हैं। हम विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं। आज अपीलीय अदालत में कतर में हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। पीड़ितों के परिवार के सदस्य भी थे। हम मामले की शुरुआत से ही उनके साथ खड़े हैं और हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम इस मामले को कतरी अधिकारियों के साथ भी उठाना जारी रखेंगे।

क्या है मामला?  

मामला पहली बार 30 अगस्त को सामने आया जब कतर की खुफिया एजेंसी ‘राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो’ ने आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों को गिरफ्तार किया। उन्हें बिना किसी आरोप के हिरासत में लिया गया और एकांत कारावास में भेज दिया गया था। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि उन पर जासूसी का आरोप लगाया गया था। जिसके बाद इसी साल अक्टूबर माह में कतर के कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टांस द्वारा मौत की सजा वाला फैसला सुनाया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेवानिवृत होने के बाद ये सभी नौसैनिक कतर की निजी कंपनी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एवं कंसल्टेंसीज सर्विसेज में काम कर रहे थे। यह कंपनी कतरी एमिरी नौसेना को ट्रेनिंग और अन्य सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी खुद को कतर रक्षा, सुरक्षा एवं अन्य सरकारी एजेंसी की स्थानीय भागीदार बताती है।

Uttarakhand: गढ़वाल के बाद अब 15 को कुमाऊं में होगी मूल निवास स्वाभिमान महारैली, जुटेंगे हजारों लोग.

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उत्तराखंड मूल निवास स्वाभिमान महारैली को देहरादून में मिले अपार समर्थन के बाद अब बागेश्वर में उत्तरायणी कौथिग के दिन 15 जनवरी को राज्यभर से हजारों लोग जुटेंगे। कचहरी स्थित शहीद स्मारक में हुई मूल निवास और भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि जनवरी के अंतिम सप्ताह में हल्द्वानी में भी मूल निवास स्वाभिमान महारैली निकाली जाएगी। मूल निवास और भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने अपने आगामी कार्यक्रमों की घोषणा की। समिति ने बताया, बहुत जल्द प्रदेशभर में व्यापक जन जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा।

समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने बताया, प्रदेश में मूल निवास की सीमा 1950 और सशक्त भू-कानून लागू करने को लेकर चल रहे आंदोलन को प्रदेशभर में ले जाया जाएगा। समिति चरणबद्ध तरीके से कई कार्यक्रम करेगी, इसके बाद मकर संक्रांति पर समिति के सदस्य प्रदेश के तमाम संगमों और घाटों पर जाकर देव डोलियों का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और लोगों से संवाद करेंगे।

इसके बाद उत्तरायणी के दिन बागेश्वर के ऐतिहासिक सरयू बगड़ में होने वाले मेले में हजारों की संख्या में लोग जुटेंगे। कौथिग (मेले) में बताया जाएगा कि किस तरह से हम अपनी सांस्कृतिक पहचान खो रहे हैं। बताया, अगले माह के अंतिम सप्ताह में हल्द्वानी में रैली करने पर भी सहमति बनी है।

सरकार कर रही आंदोलन को तोड़ने की साजिश-

मूल निवास और भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी बताते हैं कि सरकार की ओर से आंदोलन को तोड़ने की साजिश की जा रही है। पूर्व में महारैली के एलान के बाद इस तरह का प्रयास हुआ था। हो सकता है कि अब कोविड का बहाना बनाकर फिर से ऐसा कुछ किया जा सकता है। हम आंदोलन जारी रखेंगे। समिति का मूल निवास और सशक्त भू-कानून के अलावा कोई अन्य उद्देश्य नहीं है। हम न चुनाव लड़ेंगे न ही लड़वाएंगे। हम चुनाव में न किसी के पक्ष की बात करेंगे न ही विरोध में।

https://youtu.be/GhZsXKydvA4

Uttarakhand: यमुनोत्री क्षेत्र में भोजपत्र के जंगलों पर संकट, ध्यान नहीं दिया तो हो सकते हैं विलुप्त.

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यमुनोत्री क्षेत्र में भूस्खलन और यमुना नदी के कटाव से बेशकीमती भोजपत्र के जंगल पर खतरा मंडरा रहा है। गढ़वाल के साथ ही कुमाऊं के आदि कैलाश को जाने वाले मार्ग पर भी इसके जंगल हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन, सड़कों के निर्माण व यात्रा मार्ग में जाने वाले पर्यटकों द्वारा इसे पहुंचाए जाने वाले नुकसान एवं मलबे के चलते इसका अस्तित्व संकट में पड़ रहा है।भोजपत्र के पेड़ों के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए शीघ्र पहल नहीं की गई तो यह विलुप्ति की कगार पर पहुंच जाएंगे। समुद्रतल से करीब चार हजार मीटर ऊंचाई पर पाए जाने वाले भोजपत्र का जंगल यमुनोत्री धाम से लगे गरुड़ गंगा के दाईं ओर फैला है।

 

2012 में जब यमुना नदी में बाढ़ आई थी, तब भी भू-कटाव से जंगल को काफी नुकसान पहुंचा था। हनुमान चट्टी डोडीताल ट्रैक रूट पर भी भोजपत्र के पेड़ों को हानि पहुंची थी। बावजूद इसके भोजपत्र के जंगलों के संरक्षण व संवर्धन के लिए कोई ठोस योजना नहीं बन पाई। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि भोजपत्र के जंगलों को आपदा और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भू-कटाव के कारण बहुत नुकसान पहुंचा लेकिन संरक्षण के लिए योजना नहीं बनी। उन्होंने शासन-प्रशासन से भोजपत्र के जंगलों के संरक्षण के लिए योजना बनाने की मांग की है। 
पूर्व प्रधानमंत्री को भोजपत्र पर भेंट किया गया अभिनंदन पत्र-
1985 में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार उत्तराखंड भ्रमण पर आए थे तो उस वक्त भाजपा नेता व चकबंदी के प्रेरणास्रोत स्व. राजेंद्र सिंह रावत ने उन्हें भोजपत्र पर लिखा अभिनंदन पत्र भेंट किया था।

उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार हो रही है शीतकालीन चार धाम यात्रा, जानिए कब और कैसे शुरू होगी ये यात्रा।

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पूरी दुनिया जब क्रिसमस और न्यू ईयर के जश्न में डूब रही होगी, तब देवभूमि उत्तराखंड में पहली बार ऐतिहासिक शीतकालीन यात्रा की शुरूआत होगी। आमतौर पर चारधाम यात्रा की शुरूआत उत्तराखंड में गर्मियों में होती है, लेकिन पहली बार शीतकालीन यात्रा पोस्ट मास में शुरू होने वाली है। यात्रा की शुरूआत जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद करेंगे। शंकराचार्य के प्रतिनिधियों ने रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। सीएम धामी ने चारधाम यात्रा के लिए शुभकामनाएं दी हैं।

7 दिन की शीतकालीन तीर्थ यात्रा की शुरुआत 27 दिसंबर से होगी। समापन 2 जनवरी को हरिद्वार में होगा। यात्रा के आमंत्रण के लिए ज्योतिर्मठ का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री धामी से मिला और यात्रा का आमंत्रण पत्र दिया।उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 6 माह की अवधि की होती है,,ठंड और बर्फबारी के साथ ही ये यात्रा शीतकाल के लिए बंद कर दी जाती है लेकिन अब उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा की भी शुरुआत होने जा रही है, यानी साल के 12 महीने अब ये यात्रा हो पायेगी नए साल के अवसर पर अगर आप भी चारों धाम  के दर्शन करना चाहते हैं, तो ये बिल्कुल संभव है.

 

ज्योतिर्पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू की जा रही है. आमतौर पर चारधाम यात्रा की शुरुआत उत्तराखंड में गर्मियों में होती है. यह यात्रा 6 माह तक यानी दीपावली के आसपास तक चलती है, लेकिन पहली बार शीतकालीन यात्रा पौष मास में शुरू होने जा रही है।

जानिए क्या कहा अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने- 

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि इस बार शीतकाल के दौरान चारों धामों की यात्रा कर वह उस  धारणा को समाप्त करना चाहते हैं  कि  सिर्फ 6 महीने ही चार धाम की पूजा हो सकती है वह लोगों को यह समझाने का प्रयास करेंगे कि शीतकाल में भी चार धाम की पूजा वैकल्पिक स्थान पर की जाती है, यहां दर्शन करने पर भी वही पुण्य मिलता है, जो मूल स्थान पर मिलता है उन्होंने कहा कि इससे चारों धामों में आस्था रखने वाले साल भर दर्शन के लिए उत्तराखंड पहुंच सकते हैं साथ ही स्थानीय लोगों और सरकार को इसका आर्थिक रूप से फायदा भी  मिलेगा।

कोई शंकराचार्य इतिहास में पहली बार कर रहे ऐसी यात्रा-

इतिहास में पहली बार कोई शंकराचार्य ऐसी यात्रा कर रहे हैं। आम धारणा है कि शीतकाल के 6 माह तक उत्तराखंड के चार धामों की बागडोर देवताओं को सौंप दी जाती है और उन स्थानों पर प्रतिष्ठित चल मूर्तियों को पूजन स्थलों में विधि विधान से विराजमान कर दिया जाता है। इन स्थानों पर 6 महीने तक पूजा पाठ पारंपरिक पुजारी ही करते हैं, लेकिन लोगों में धारणा रहती है कि अब 6 महीने के लिए पट बंद हुए तो देवताओं के दर्शन भी दुर्लभ होंगे। ये प्रयास अगर सफल होता है तो निश्चित रूप से उत्तराखंड में पर्यटन को पंख लग सकते हैं और केवल चार धाम यात्रा ही नहीं बल्कि प्रदेश की आर्थिकी के लिए भी एक अच्छा कदम साबित हो सकता है।

Maharashtra: फिर से गरमा रहा मराठा आरक्षण, ’10 लाख वाहन होंगे मुंबई के लिए रवाना’, आंदोलन की रणनीति पर बोले मनोज जरांगे.

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मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में रार थमने का नाम नहीं ले रही है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे लगातार मराठा आरक्षण की मांग को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार को 24 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिए जाने के बाद मनोज जरांगे ने अपने अगले कदम को सार्वजनिक कर दिया है। उन्होंने कहा कि 20 जनवरी से मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करेंगे।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मनोज जरांगे ने कहा कि आंदोलनकारियों के लिए जरूरी सामान लेकर करीब दस लाख वाहन 20 जनवरी को मुंबई के लिए रवाना होंगे। जरांगे ने घोषणा कि 20 जनवरी से मुंबई में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को लेकर फिर से भूख हड़ताल शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि लगभग दस लाख वाहन मुंबई के लिए रवाना होंगे। आसपास के जिलों के लोग अंतरवाली सरती आएंगे। जिसके बाद लोगों मुंबई की ओर पैदल चलना शुरू करेंगे।

आजाद मैदान में शुरू करूंगा भूख हड़ताल: जरांगे

जरांगे ने कहा, मैं 20 जनवरी से मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करूंगा। मराठों को दबाना मुश्किल है। हम समुदाय के लिए आरक्षण हासिल किए बिना वापस नहीं लौटेंगे। आरक्षण कार्यकर्ता ने कहा कि वह जालना जिले के अंतरवाली स्थित अपने गांव से पैदल ही रवाना होंगे और मुंबई पहुंचेंगे, इस दौरान समुदाय के सदस्य भी उनके साथ शामिल होंगे। जरांगे ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की अपनी मांग को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को 24 दिसंबर तक का समय दिया था।

 

बता दें कुछ दिनों पहले विधानसभा सत्र के दौरान सदन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि जरूरत पड़ी तो फरवरी में विशेष सत्र बुलाएंगे। मैं सभी मराठा समुदाय को आश्वासन देता हूं कि उनके साथ कोई अन्याय नहीं किया जाएगा। हम उनके लिए हरसंभव सहायता के लिए आगे हैं। जिसके बाद मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने कहा था कि हम फरवरी तक का इतंजार नहीं करेंगे। अगर राज्य सरकार इस मुद्दे पर विफल रहती है तो निश्चित ही हमारा विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू हो जाएगा।

UKPSC: ग्रेजुएट युवाओं के लिए आयोग ने 2 साल में निकाली केवल तीन भर्तियां, नौकरी के लिए युवा परेशान.

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प्रदेश में बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे परंपरागत ग्रेजुएशन कोर्स करने वाले युवाओं के लिए भर्तियों की भारी कमी हो गई है। हालात ये हैं कि पिछले साल राज्य लोक सेवा आयोग ने केवल एक भर्ती निकाली थी और इस साल दो। हर साल 15 हजार से ज्यादा सामान्य ग्रेजुएट पासआउट होते हैं और इन तीन भर्तियों में केवल 785 पद थे।

युवाओं का कहना है कि दूसरे राज्यों के मुकाबले उत्तराखंड का राज्य लोक सेवा आयोग इस मामले में काफी पीछे चल रहा है। इंतजार में उनकी उम्र निकलती जा रही है। आयोग ने पिछले दो साल में वैसे तो बहुत भर्तियां निकाली हैं, जिनमें समूह-ख व समूह-ग के भर्तियां शामिल हैं। सेनिटरी इंस्पेक्टर, एई भर्ती, जेईभर्ती, आईटीआई प्रिंसिपल, लेक्चरर, जियोलॉजिकल माइनिंग, मैनेजमेंट ऑफिसर, वेटरनरी ऑफिसर आदि भर्तियां ऐसी निकाली, जिनमें केवल संबंधित विषय में विशेष योग्यता वाले युवा ही शामिल हो सकते थे।

इसी प्रकार आयोग ने फॉरेस्ट गार्ड, कनिष्ठ सहायक की जो भर्ती निकाली वह 12वीं के स्तर की है। यह सामान्य ग्रेजुएशन पास युवाओं के लिए नहीं है। राज्य के इन युवाओं के लिए न तो पीसीएस, लोअर पीसीएस जैसी भर्तियां निकल पाईं और न ही फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर, सब इंस्पेक्टर, अपर निजी सचिव भर्ती का इंतजार खत्म हो पाया है। 

युवाओं का कहना है कि इसी इंतजार में वह आयु सीमा से बाहर होते जा रहे हैं। वहीं, आयोग का तर्क है कि जो भी अधियाचन (प्रस्ताव) संबंधित विभागों से आ रहे हैं, उनकी भर्तियां सही समय पर निकाली जा रही हैं। जो अधियाचन किसी कमी की वजह से लौटाए गए थे, वह अभी तक वापस नहीं आए हैं।

कहा, अब नए साल में इन ग्रेजुएट युवाओं के लिए कुछ भर्तियां निकलने की उम्मीद जग रही है। खास बात ये भी है कि आयोग ने सालभर में पांच बार एग्जाम कैलेंडर जारी किया है। हर कैलेंडर में कई नई भर्तियों का वादा हुआ तो कई पुरानी गायब हो गईं।

ये 3 भर्तियां निकली-

पटवारी लेखपाल भर्ती : 563 पदों के लिए पिछले साल 14 अक्तूबर को भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था।
अधिशासी अधिकारी एवं कर व राजस्व निरीक्षक भर्ती : 85 पदों के लिए आयोग ने इस साल 28 अगस्त को विज्ञापन जारी किया था। प्रक्रिया चल रही है।

समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा : 137 पदों के लिए आयोग ने ये भर्ती इस साल आठ सितंबर को निकाली थी। इसकी प्रक्रिया भी गतिमान है।

All Weather Sela Tunnel: इंतजार हुआ खत्म; सेला टनल बनकर लगभग तैयार, देश को नए साल में मिलेगा तोहफा.

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नए वर्ष में देशवासी एक बार फिर से ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनने जा रहे हैं। बहुप्रतीक्षित और दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बन रही सबसे लंबी सुरंग (13000 फीट) का काम लगभग पूरा हो गया है। डबल लेन वाली यह ऑल वेदर टनल अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामिंग और तवांग जिले को जोड़ेगा। एलएसी तक पहुंचने वाला यह एकमात्र रास्ता है। माइनस 20 डिग्री के तापमान में रात-दिन इसका काम जारी है। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) की देखरेख में बन रही यह सुरंग पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का उदाहरण है। यह सुरक्षा टनल सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखकर बनी है। इसके बनने से जहां प्रदेश के लोगों की राह आसान होगी वहीं भारतीय सेना की तवांग सेक्टर में ताकत बढ़ेगी और वह तीव्र गति से अग्रिम मोर्चे तक पहुंच सकेगी। माना जा रहा नए वर्ष में इसे अगले महीने प्रधानमंत्री देशवासियों को समर्पित कर सकते हैं।

इस टनल की जरूरत क्यों?

सेला दर्रे पर वर्तमान में, भारतीय सेना के जवान और क्षेत्र के लोग तवांग पहुंचने के लिए बालीपारा-चारीदुआर रोड का उपयोग कर रहे हैं। सर्दी के मौसम में अत्यधिक बर्फबारी के कारण सेला दर्रे में भयंकर बर्फ जम जाती है। इससे रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है। साथ ही, दर्रे पर 30 मोड़ आते हैं, जो बहुत ही घुमावदार हैं। इस कारण यहां आवाजाही पर पूर्ण रूप से  बाधित हो जाती है। सफर के लिए कई-कई घंटों तक का इतंजार करना पड़ता है। इस दौरान पूरा तवांग सेक्टर देश के बाकी हिस्सों से कट जाता है। सेला दर्रा सुरंग मौजूदा सड़क को बायपास करेगी और यह बैसाखी को नूरानंग से जोड़ेगी। इसके साथ ही सेला सुरंग सेला-चारबेला रिज से कटती है, जो तवांग जिले को पश्चिम कामेंग जिले से अलग करती है

कुल टनल प्रोजेक्ट की लंबाई है 11.84 किलोमीटर-

टनल प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 11.84 किलोमीटर है। इसमें टनल और सड़कें शामिल हैं। पश्चिम कमिंग जिले (बैसाखी) की तरफ 7.2 किलोमीटर चलने के बाद हम टनल-1 में प्रवेश करते हैं। इसकी लंबाई करीब 1 किलोमीटर है। इसके बाद एक सड़क आती है, जिसकी लंबाई 1.2 किलोमटर है। इसके बाद आती है टनल-2 की जिसकी लंबाई 1.591 किलोमीटर है। टनल से निकलने के बाद तीसरी सड़क है, जो नूरानंग की तरफ निकलती है, इसकी लंबाई है 770 मीटर की है।

आपातकाल में सुरक्षा की पूरी है तैयारी-

टनल के अंदर भी सुरक्षा की पूरी व्यवस्था है। अगर कोई घटना घट जाती है तो सुरंग के अंदर से लोगों को बाहर निकालने की व्यवस्था है। टनल के अंदर रेस्क्यू के लिए बीच में गेट बनाए गए हैं। अगर टनल के एक हिस्से में कुछ हो जाता है तो बीच में बनाए गए आपात रास्ते से लोगों को आसानी से निकालने की व्यवस्था की गई है।

98 प्रतिशत काम पूरा, जनवरी में पीएम कर सकते हैं उद्घाटन-

इस टनल का शिलान्यास 1 अप्रैल, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। तब माना जा रहा था कि इसे अगले तीन वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन कोविड के चलते यह प्रोजेक्ट विलंब हो गया। माइनस 20 डिग्री की हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में भी दिन-रात काम जारी है। अब तक करीब 98 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। केवल दो प्रतिशत काम बाकी है। माना जा रहा है कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक इसका काम पूरा कर लिया जाएगा। इस हिसाब से माना जा रहा है कि 2024 की शुरुआत में ही जनवरी, 2024 में प्रधानमंत्री इसे देश को समर्पित कर सकते हैं। इस टलन के बनने से जहां समय की बचत होगी वहीं अब यात्रा भी सुगम हो जाएगी। टनल के बनने से करीब छह किलोमीटर की कमी आएगी। इसके साथ ही करीब डेढ़ घंटे का समय भी बचेगा।

इसलिए खास है प्रोजेक्ट
  • सेला टनल 13,500 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर दो लेन में बनी दुनिया की सबसे बडी सुरंगहोगी
  • अरुणाचल प्रदेश के तवांग और वेस्ट कामेंग जिलों को जोड़ेगा टनल 1 और टनल 2
  • टनल की कुल लंबाई है 11.84 किलोमीटर है
  • 1591 मीटर का ट्विन ट्यूब चैनल हो रहा है तैयार। दूसरी सुरंग 993 मीटर लंबी है।
  • टनल 2 में ट्रैफिक के लिए एक बाई-लेन ट्यूब और एक एस्केप ट्यूब बनाया गया है। मुख्य सुरंग के साथ ही इतनी ही लंबाई की एक और सुरंग बनाई गई है, जो किसी आपातकालीन समय में काम आएगी।
  • पूरी तरह स्वदेशी और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके बनाए गए हैं टनल। टनल पर बर्फबारी का कोई असर नहीं होगा।
  • प्रॉजेक्ट के तहत दो सड़कें (7 किलोमीटर और 1.3 किलोमीटर) भी बनाई गई हैं।
  • टनल के उद्घाटन के साथ ही छह किलोमीटर की दूरी होगी कम
  • डेढ़ घंटे के समय की होगी बचत

रणनीतिक महत्व
  • सेला दर्रा (पास) 317 किलोमीटर लंबी बालीपारा-चाहरद्वार-तवांग सड़क पर है।
  • यह अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग को तवांग को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र सड़क है।
  • तवांग सेक्टर में एलएसी तक पहुंचने का एक मात्र रास्ता।
  • हर मौसम में रहेगा खुला। भारतीय सेना और आमजन को होगी सहूलियत
  • सेना तीव्र गति से पहुंचेगी अग्रिम चौकियों तक, चीन को दे सकेंगं माकूल जवाब

 

 

कब हुई सेला टनल की शुरुआत और क्या है लागत?
  • एक अप्रैल, 2019 को प्रधानमंत्री ने रखी थी नींव।
  • तीन वर्ष में करना था पूरा लेकिन कोविड के कारण हुआ विलंब
  • कुल अनुमानित लागत 647 करोड़ रुपए
  • चौबीसों घंटे जारी रहा काम, माइनस 20 डिग्री के तापमान पर भी काम जारी रहा

Covid19: कोरोना के नए वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता, JN.1 के 63 मरीज मिले, जानिए किस राज्य में हैं सबसे ज्यादा कोरोना के मरीज .

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कोरोना का नया वैरिएंट तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है, जिसने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। सरकार ने भी लोगों से सावधानी रखने की अपील की है। बता दें कि भारत में कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 के मरीजों की संख्या बढ़कर 63 हो गई है। बता दें कि गोवा में सबसे ज्यादा मरीज नए वैरिएंट जेएन.1 से संक्रमित पाए गए हैं। गोवा में नए वैरिएंस से संक्रमित मरीजों की संख्या 34 है। वहीं महाराष्ट्र में छह, कर्नाटक में आठ, केरल में छह, तमिलनाडु में चार और तेलंगाना में दो लोग नए कोरोना वैरिएंट जेएन.1 से संक्रमित पाए गए हैं।

डब्लूएचओ का दावा-दुनिया के कई देशों में फैल रहा जेएन 1
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) का कहना है कि कोरोना के नए वैरिएंट जेएन 1 के दुनिया के कई देशों में संक्रमित मरीज मिल रहे हैं और इसके मामले तेजी से भी बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नए वैरिएंट जेएन 1 को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट माना है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अभी इसे लेकर और अध्ययन करने की जरूरत है कि जेएन 1 का शरीर पर क्या असर हो रहा है। भारत में तो अभी तक जेएन 1 से संक्रमित मरीजों में बहुत ज्यादा चिंताजनक लक्षण नहीं दिखाई दिए हैं। जेएन 1 का संक्रमण भी कम है। साथ ही अभी जो वैक्सीन उपलब्ध हैं, उनसे ही इस वैरिएंट से निपटा जा सकता है।

जेएन 1 को लेकर ये बातें चिंताजनक-

कोरोना का नया वैरिएंट जेएन 1 तेजी से फैलता है और दुनिया के कई देशों में इसके मामले बढ़ रहे हैं। ठंड बढ़ने के साथ जेएन 1, इंफ्लुएंजा, रिनोवायरस और अन्य सांस संबंधी बीमारियां के साथ लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। यही वजह है कि सरकार ने लोगों से अपील की है कि वह सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का इस्तेमाल करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की कोशिश करें। साथ ही बच्चों और बुजुर्गों को विशेष तौर पर सावधानी रखने की सलाह दी गई है।
https://youtu.be/GhZsXKydvA4

 

देश में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या 4 हजार के पार-

बता दें कि देश में बीते 24 घंटे में कोरोना के 312 एक्टिव केस मिले हैं। जिसके बाद देश में कुल सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 4054 हो गई है। बीते 24 घंटे में केरल में 128, कर्नाटक में 73, महाराष्ट्र में 50, राजस्थान में 11, तमिलनाडु में नौ, तेलंगाना में आठ और दिल्ली में सात नए एक्टिव केस मिले हैं।