Category Archive : राजनीति

MP Election Results: मामा का लाड़ली बहनों को दुलार और इमोशनल कार्ड, कुछ इस तरह शिवराज चौहान ने पलटी बाजी.

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Election Result 2023 : Rajasthan Election में बाप बेटी और चाचा भतीजे की रोचक जंग.

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चाचा विधायक हैं हमारे, ये कहते हुए कई भतीजों को आपने सुना होगा, लेकिन राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के सियासी मैदान में भतीजे और भतीजियों ने चाचा से मुकाबला किया। इसके अलावा पति-पत्नी, जीजा-साली, देवर-भाभी और भाई-भाई, पिता-पुत्री ने भी एक दूसरे को टक्कर दी। करीब 47 दिन चले इस सियासी गृहयुद्ध के परिणाम सामने आ रहे हैं।जिसमें एक बार फिर जनता मोदी के चेहरे पर मोहर लगाती दिखाई दे रही है,,,  आइये हम आपको बताते हैं कि  किन  सीटों पर रिश्तेदार ही रिश्तेदारों को हराने जा रहे हैं.

 

इसमें पहली सीट है राजस्थान के दातारामगढ़ की सीट, जिसमे पति-पत्नी एक ही सीट पर लड़े, सीकर जिले की दातांरामगढ़ सीट पर कांग्रेस से मौजूदा विधायक वीरेंद्र सिंह चुनाव लड़े। वहीं, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से उनकी पत्नी डॉ. रीटा सिंह ने उन्हें टक्कर दी थी। वह जेजेपी की महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी हैं।  दूसरी सीट है अलवर ग्रामीण जहां  बेटी ने पिता को ही चुनौती  दी थी, अलवर जिले की इस सीट से भाजपा से जयराम जाटव चुनावी मैदान में उतरे थे। उनकी बेटी मीना कुमारी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। जयराम इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। तीसरी सीट आती है,धौलपुर,जहां  साली और जीजा में  मुकाबला चल रहा है,,धौलपुर जिले की इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर शोभारानी कुशवाह ने चुनाव लड़ा।

शिवचरण कुशवाह भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे। ये दोनों रिश्ते में जीजा साली लगते हैं।  चौथी सीट आती है भादरा जहां भतीजे चाचा को टक्कर देते दिखाई दे रहे हैं,,चूरू जिले की इस सीट पर भाजपा से संजीव बेनीवाल ने चुनाव लड़ा। वहीं, कांग्रेस से उनके भतीजे अजीत बेनीवाल मैदान में उतरे थे। संजीव भाजपा से दो बार विधायक रह चुके हैं।पांचवी सीट आती है  खेतड़ी जहां  चाचा या भतीजी कौन पड़ेगा भारी इस पर फैसला आने वाला है,,, झुंझुनू जिले की इस सीट पर भाजपा से धर्मपाल गुर्जर ने चुनाव लड़ा। कांग्रेस से मनीषा गुर्जर ने उन्हें टक्कर दी है । दोनों रिश्ते में चाचा और भतीजी लगते हैं। एक और सीट है नागौर जहां चाचा-भतीजी में कांटे की टक्कर चल रही है,,नागौर जिले की इस सीट पर मिर्धा परिवार के दो सदस्यों में मुकाबला हुआ था। पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा ने भाजपा से चुनाव लड़ा। वहीं, उनके चाचा हरेंद्र मिर्धा कांग्रेस से चुनावी मैदान में थे। अब कुछ ही देर में ये भी साफ़ हो जायेगा कि कौन अपना किस अपने पर भारी पड़ता है.

Election Results 2023: जानिए सभी बड़ी सीटों का हाल.

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Election Results: मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के नतीजे आज घोषित किए जाएंगे। इसके लिए कड़ी सुरक्षा में मतगणना शुरू हो गई है। इन राज्यों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर अशोक गहलोत का चुनावी भविष्य दांव पर है। भूपेश बघेल और के. चंद्रशेखर राव भी चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं।  आइए जानते हैं इन चारों राज्यों की उन हॉट सीट यानी चर्चित सीटों के बारे में, जिन पर सिर्फ इन्हीं राज्यों की जनता नहीं, बल्कि पूरे देश के लोगों की नजर है.

किन-किन राज्यों में और कब चुनाव कराए गए?

मिजोरम में सभी 40 सीटों पर 7 नवंबर को मतदान हुआ। छत्तीसगढ़ में पहले चरण में 20 सीटों पर 7 नवंबर, जबकि दूसरे चरण में 70 सीटों पर  17 नवंबर वोट डाले गए। इसी के साथ मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर 17 नवंबर को मतदान हुआ। इसके बाद राजस्थान में 200 सीटों पर 25 नवंबर को लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। वहीं, तेलंगाना में 119 सीटों पर 30 नवंबर को वोट डाले गए.

मध्य प्रदेश की हॉट सीटों का हाल-

मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए 17 नवंबर को मतदान हुआ था। 2,534 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला अब हो रहा है। वैसे तो सभी सीटें अपने आप में खास है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा प्रदेश की हॉट सीटों की है। आइए जानते हैं उनमें से कुछ अहम सीटों का हाल…

राजस्थान की हॉट सीटों का हाल-

 

 

राजस्थान में विधानसभा की 199 सीटों पर 25 नवंबर को मतदान हुआ था। श्रीगंगानगर जिले की श्रीकरणपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था। इस चुनाव में मतदाताओं ने चुनाव में उतरे 1863 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला किया। आइए जानते हैं अहम हॉट सीटों का हाल…

छत्तीसगढ़ की हॉट सीटों का हाल-

 

छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों के लिए चुनाव हुए थे। पहले चरण के तहत 20 सीटों पर 7 नवंबर और दूसरे चरण की 70 विधानसभा सीटों पर 17 नवंबर को मतदान हुआ था। मतदाताओं ने सभी प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला कर दिया है, जिसके नतीजे आज सामने आ रहे हैं। आइए जानतें हैं, प्रदेश की सबसे ज्यादा चर्चित सीटों का हाल.

तेलंगाना की हॉट सीटों का हाल-

 

तेलंगाना की 119 सदस्यीय विधानसभा के लिए 30 नवंबर को मतदान हुआ था। मतदाताओं ने चुनाव में उतरे 2,290 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला किया। वैसे तो सभी सीटें अपने आप में खास है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा राज्य की हॉट सीटों की है। इन सीटों में मुख्यमंत्री और पूर्व क्रिकेटर से लेकर चुनाव लड़ रहे लोकसभा सांसदों की सीटें भी शामिल हैं।

Vidhan Sabha Election Results 2023: मध्य प्रदेश में कमल-राज, राजस्थान में कायम रिवाज.

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Vidhan Sabha Election Results 2023: मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में मतगणना जारी है। अब तक के रुझानों में मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा ने बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है। छत्तीसगढ़ में भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है और तेलंगाना में कांग्रेस भारी बहुमत के साथ जीतती दिख रही है।

मध्य प्रदेश, राजस्थान में भाजपा आगे-

चुनाव आयोग के सुबह साढ़े 11 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश में भाजपा 156 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं कांग्रेस 71 सीटों पर आगे है।

राजस्थान में भाजपा 116 सीटों पर आगे है। कांग्रेस 67 सीटों पर और बसपा 3 सीटों पर आगे है।

छत्तीसगढ़ में भाजपा 44 सीटों पर और कांग्रेस 41 सीटों पर आगे चल रही हैं।

तेलंगाना में कांग्रेस 61 सीटों पर और बीआरएस 36 सीटों पर आगे है। वहीं भाजपा 10 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं एआईएमआईएम एक सीट पर आगे चल रही है।

MP Election Result Live: नरोत्तम मिश्रा पिछड़े, सीएम शिवराज आगे

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार,  मध्य प्रदेश में राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा दो हजार वोटों से पिछड़ रहे हैं। वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान बड़े अंतर से अपने प्रतिद्वंदी से आगे चल रहे हैं। वहीं राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत सरदारपुरा सीट से आठ हजार वोटों से आगे चल रहे हैं।

Kerala: ‘मैं कुछ कह रहा, वो कुछ और’, चुनावी रैली के दौरान भाषण के गलत अनुवाद पर राहुल गांधी ने कही ये बात.

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तेलंगाना विधानसभा चुनावों के लिए हर किसी ने जोर-शोर से प्रचार किया। इसी क्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी पार्टी के लिए वोट जुटाने के लिए पूरी ताकत लगा दी। हालांकि, चुनावी अभियानों के दौरान आने वाली चुनौतियों को लेकर उन्होंने एक मजाकिया वाक्य साझा किया। केरल में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल ने बताया कि कैसे एक रैली के दौरान उनके एक भाषण के अनुवादक को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा। 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी यहां एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे थे, जहां आईयूएमएल सांसद अब्दुस्समद समदानी उनके भाषण का अनुवाद करने के लिए मौजूद थे। इस दौरान वायनाड के सांसद ने समदानी से मजाकिया लहजे में कहा कि उनका अनुवादक होना एक खतरनाक काम हो सकता है।

शब्दों को भी गिनना शुरू किया-
उन्होंने बताया कि किस तरह तेलंगाना में एक चुनावी रैली के दौरान अनुवादक बहुत परेशानी में पड़ गया। राहुल ने कहा, ‘मैं कुछ कह रहा था और वह (अनुवादक) कुछ और बोल रहे थे। फिर कुछ समय बाद, मैंने अपने शब्दों को गिनना शुरू कर दिया। जैसा आप जानते हैं कि वह तेलुगु में बोल रहे थे। इसलिए, मैंने सोचा कि अगर मैं हिंदी में पांच शब्द कहूंगा तो तेलुगु में पांच या सात शब्द लगेंगे। लेकिन वह 20, 25, 30 शब्द बोल रहे थे।’ 

उन्होंने कहा, ‘जब मैं कुछ उदास भरी बात कहता तो भीड़ उत्साहित हो जाती थी। फिर मैं कुछ दिलचस्प बात कहता तो भीड़ चुप हो जाती। मुझे समझ आ गया था कि जो मैं बोल रहा हूं, वो नहीं बताया जा रहा है, लेकिन मैं गुस्सा नहीं कर सकता था। इसलिए मुझे मुस्कराते रहना पड़ा।’  

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘हालांकि मुझे यकीन है कि मेरे सहयोगी समदानी को पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में मेरे भाषण का अनुवाद करते समय ऐसी कोई समस्या नहीं होगी।’ 

गौरतलब है, तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए हाई-वोल्टेज प्रचार मंगलवार को समाप्त हो गया। चुनाव 30 नवंबर को होंगे।

वसुंधरा का सबसे बड़ा इम्तेहान,वसुंधरा राजस्थान में राज करेंगी या फिर दिल्ली का रास्ता पकड़ेंगी ?

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राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हो चुकी है। 74 फीसदी की बंपर वोटिंग भी यह संकेत दे रहे हैं कि राजस्थान में पांच साल बाद सरकार बदलने की परंपरा कायम रह सकती है। मतलब बीजेपी की राह आसान हो सकती है,,,चुनाव से पूर्व के सर्वेक्षणों में बीजेपी ने कांग्रेस पर बढ़त ली थी। सट्टा बाजार भी बीजेपी को 120 से ज्यादा सीटें देकर सरकार बदलने की संभावना को प्रबल बना रहा है। बीजेपी ने मिजाज भांपते हुए पहले ही कई नेताओं को विधानसभा चुनाव मैदान में उतारकर संकेत दिए हैं,, कि राजस्थान को दस साल बाद नया नेतृत्व मिल सकता है। सीएम की रेस में राज्यवर्धन सिंह राठौर, दीया और गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम आगे है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनावों से पहले नया चेहरे पर दांव लगाने के मूड में है। चुनाव से पहले राजकुमारी दीया कुमारी को नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान तवज्जो देकर बता दिया था कि राजस्थान में पार्टी ने वसुंधरा राजे की काट ढूंढ ली है।

 क्या नए चेहरों को मौका देकर वसुंधरा को साफ़ -साफ़ संदेश देने की कोशिश की गयी है ?

तो आपको बता दें कि 2002 में भैरों सिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद राजस्थान की कमान वसुंधरा राजे को सौंपी गई। तब बीजेपी के पुराने नेताओं को यह बदलाव रास नहीं आया। पार्टी के बड़े नेता गुलाबचंद कटारिया ने राजे का विरोध किया। हालांकि तत्कालीन केंद्रीय नेतृत्व के आशीर्वाद से वसुंधरा राजे 2003 में मुख्यमंत्री बनीं। अपने कार्यकाल में वसुंधरा महिलाओं में काफी लोकप्रिय रहीं, मगर गुटबाजी बनी रही। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की। मोदी लहर का आगाज हो चुका था। पार्टी को 163 सीटें मिलीं और कांग्रेस सिर्फ 21 विधानसभा सीटों पर सिमट गईं। वसुंधरा दोबारा मुख्यमंत्री बनी। इसके बाद से ही वसुंधरा के नेतृत्व पर सवाल उठने शुरु हो गए। 2023 विधानसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में गुटबाजी खत्म करने के लिए बड़ी कवायद की। गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बना दिया गया और राजस्थान में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया गया। जनता को नए चेहरे का संदेश देने के लिए ही सांसद राज्यवर्धन राठौड़, बाबा बालक नाथ, किरोड़ी लाल मीना, भागीरथ चौधरी और देवजी पटेल को पार्टी ने विधानसभा चुनाव में उतार दिया।

 

 वसुंधरा राजे से नरेंद्र मोदी क्यों नाराज चल रहे हैं ?

दरअसल वसुंधरा राजे और नरेंद्र मोदी के बीच दूरियां 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान ही बढ़ने लगी थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद जीत का सेहरा समर्थकों ने वसुंधरा को पहना दिया, जबकि उस चुनाव में नरेंद्र मोदी के जादू चला था। मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों के नेता जीत का श्रेय नरेंद्र मोदी को दे रहे थे। 2014 में वसुंधरा राजे ने फिर चूक कर दी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटें जीत लीं। मोदी लहर में बड़ी जीत के मायने निकाले गए, तब वसुंधरा राजे ने इसका श्रेय सामूहिक नेतृत्व को दिया। उन्होंने नरेंद्र मोदी को जीत का श्रेय देने से परहेज किया। बताया जाता है कि 2014 में नरेंद्र मोदी जब मंत्रिमंडल का गठन कर रहे थे, तब वसुंधरा राजे ने उन्हें अपने समर्थकों के नाम भेजे। तब उन्होंने नरेंद्र मोदी पर अपने समर्थकों को केंद्र में मंत्री बनाने का दबाव बनाया। बात तब बिगड़ गई जब वसुंधरा शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंची और दिल्ली के बीकानेर हाउस में बैठी रहीं। इसके बाद से दोनों नेताओं में अनबन शुरू हो गई। इसके बावजूद अड़ो और लड़ो पर कायम रहने वाली वसुंधरा अपने जनाधार के कारण राजस्थान में प्रासंगिक बनी रहीं।

 

 

 बीजेपी राजस्थान में नया नेतृत्व क्यों चाह रही है ?

इस पर एक रणनीति बीजेपी की तरफ से दिखाई देती है,,,, पार्टी न सिर्फ राजस्थान में बल्कि पूरे देश के कई राज्यों में एक नये नेतृत्व को खड़ा करना चाहती है, जो अगले 25 साल तक लीड कर सकें। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी को राज्यों में ताकतवर नेतृत्व की जरूरत होगी, इसलिए युवा नेताओं में संभावना टटोली जा रही हैं। भैरों सिंह शेखावत भी 76 साल की उम्र में राजस्थान की जिम्मेदारी युवा नेताओं को सौंप दी थी। जब वसुंधरा राजे ने कमान संभाली थी, तब वह करीब 51 साल की थी। अब वह 71 वर्ष की हैं और राजस्थान में युवा नेतृत्व को कमान सौंपने की बारी फिर आ गई है। दीया कुमारी और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ युवा चेहरे हैं, जिनमें भविष्य की संभावनाएं दिख रही हैं। बताया जा रहा है कि आरएसएस भी बीजेपी में युवा चेहरों को आगे लाने के पक्ष में है। सवाल यह है कि अगर 3 दिसंबर के बाद राजस्थान में सरकार बदलती है तो वसुंधरा राजे को क्या रोल मिलेगा ? सबसे बड़ा सवाल कि पूर्व मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा के सहयोग के बिना राजस्थान में सरकार कैसे चलेगी? क्योकि राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा समर्थकों की संख्या काफी है,,,जो किसी भी तरह का विवाद होने की स्तिथि में बीजेपी हाईकमान को असहज कर सकते हैं,,, चर्चा ये भी है कि वसुंधरा को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी देकर संतुष्ट किया जाएगा और 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद उनकी केंद्र की राजनीति में एंट्री हो सकती है।लेकिन सबसे अहम सवाल क्या वसुंधरा इस सब के लिए तैयार होगी,,क्योकि वो पहले भी साफ़ कह चुकी है कि वो राजस्थान से कहीं नहीं जा रही,,,मतलब साफ़ है कि बीजेपी हाईकमान के लिए वसुंधरा को राजस्थान से अलग करना काफी मुश्किल और चुनौती पूर्ण भी हो सकता है,,,मतलब राजस्थान में बीजेपी की जीत की स्तिथि के बाद वसुंधरा का सबसे बड़ा इम्तेहान होना लगभग तय है,,,,,अब जल्द ही वक्त बताएगा कि वसुंधरा राजस्थान में राज करेंगी या फिर दिल्ली का रास्ता पकड़ेंगी ?

MP Election: भाजपा को नहीं दिया वोट तो पीने का पानी भी नहीं मिलेगा !

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आज ये खबर निश्चित ही आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि इस देश में लोकतंत्र कितना मजबूत है और भारत को विश्व गुरु बनाने के मोदी जी के सपने के पीछे एक और हकीकत है जिससे देश शर्मसार हो रहा है और इस देश के लोकतंत्र में भागीदार बनने वाले लोगों को इसकी क्या कीमत चुकानी पड़ रही है.

मध्य प्रदेश में वोटिंग हो चुकी है,चुनाव कौन जीतेगा इसका फैसला अब मतगणना के बाद ही हो पायेगा,,लेकिन वोटिंग के बाद भाजपा का असली  चेहरा अब देश के सामने आ रहा है, जी हाँ  मध्य प्रदेश में उन ग्रामीणों को पानी नहीं मिल रहा है जिन्होंने भाजपा को वोट नहीं दिया इसके लिए बाकायदा उनसे कसमें खिलाई जा रही है कि ‘बताइए आपने वोट किसको दिया’ और अगर कोई कहता है कि उसने बीजेपी के अलावा किसी और पार्टी को वोट दिया है तो उसको पानी नहीं भरने दिया जा रहा है. तो ये है भाजपा का लोकतंत्र प्रेम, ये हैं रामराज्य, क्या ये हैं अमृतकाल ?

मतदान के दो दिन बाद चंदेरी तहसील के मुंगावली विधानसभा के नयाखेड़ा गांव से जो तस्वीर सामने आई है वो सच में हैरान करने वाली है. जिले में भले ही प्रशासनिक अधिकारियों ने मतदान शांति पूर्ण तरीके से सम्पन्न करा लिया हो. लेकिन मतदान के दो दिन बाद मध्य प्रदेश के नयाखेड़ा गांव से जो तस्वीर सामने आई है वह सच में भाजपा का कुंठित चेहरा सामने लाने के लिए काफी है. चंदेरी तहसील मुख्यालय से मात्र 12 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम नयाखेड़ा  जो मुंगावली विधानसभा के अंतर्गत आता है. और ये  मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव का क्षेत्र है. मतदान के बाद यहां के ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं उनसे मतदान करने का बदला लिया जा रहा है.

पानी की किल्लत से जूझ रही ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि जिस दिन से चुनाव हुए हैं उसके बाद ही लोग हमें पानी नहीं भरने दे रहे हैं जब भी पानी भरने जाते हैं तो वह कसम खिलवाकर पूछते हैं कि तुमने वोट किसको दिया? उसके बाद ही हम पानी भरने देंगे तो सोचिये एक और प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सभी लोग अपने मत का प्रयोग जरूर करें तो दूसरी तरफ मतदान करने वालों को प्यासा मारा जा रहा है. उनको बूंद-बूंद के लिए तरसाया जा रहा है. क्या ये है लोकतंत्र ? पहले ही क्षेत्र में पानी की किल्लत है उसको पूरा करने के बजाय जब ग्रामीण मीलों पैदल  जाकर पानी के तालाब तक पानी भरने पहुंच रहे हैं तो उनको ये कहकर पानी नहीं भरने दिया जा रहा कि आपने दूसरी पार्टी को वोट दिया है, बाकायदा उनको कसम खिलाकर पूछा जा रहा है कि आपने किसको वोट दिया,, अगर कोई कह रहा है कि भाजपा को वोट नहीं दिया तो उसको पानी नहीं भरने दिया जा रहा.

जब ग्रामीणों  से पूछा गया कि किस पार्टी के लोग इस तरह की बात कर रहे हैं? तो उन्होंने बताया कि लोग कहते हैं कि आपने फूल पर वोट नहीं दिया..इसलिए हम आपको पानी नहीं भरने देंगे. मतलब अगर देश में जो भाजपा का वोटर नहीं होगा उसको पानी पीने का भी अधिकार नहीं है, ग्रामीणों का आरोप है कि सबसे ज्यादा  एक समुदाय विशेष के लोगों को इस तरह से परेशान किया जा रहा है. उनको सार्वजनिक स्थानों से पानी नहीं भरने दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों में काफी आक्रोश पनप रहा है. ये है भाजपा का ‘सबका साथ-सबका विकास’

इस खबर ने मध्य प्रदेश के खोखले विकास के दावों की पोल भी खोल दी है क्योंकि पिछले कई सालों से यहां भाजपा की सरकार है शिवराज सिंह मुख्यमंत्री हैं,और खुद इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सरकार में मंत्री, तब जाकर यहां ये हाल हैं,कि पीने के पानी के लिए कई किलोमीटर दूर तक जाना पड़ रहा हो तो ऐसे में कहां गई सरकार की हर घर नल,, हर घर जल की योजना,, जिसका प्रधानमंत्री मोदी और पूरी भाजपा हर मंच से बखान करती है कि मोदी सरकार ने हर घर में जल पहुंचा दिया है. क्योकि सच्चाई तो सामने है , ये है डबल इंजन का विकास कि मंत्री जी के क्षेत्र में ही इस योजना ने दम तोड़ दिया है. सोचिये जहां पर दूसरी पार्टी विधायक होगा वहां कैसा विकास होगा। अब जब भाजपा की हालत खराब दिखाई दे रही है तो अब वोटर को ही परेशान किया जा रहा है.

Amit Shah: ‘सरकार बनने पर समान नागरिक संहिता लागू करेंगे’, तेलंगाना चुनाव के लिए भाजपा ने किया घोषणा पत्र जारी.

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तेलंगाना विधानसभा चुनाव-2023 के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का घोषणा पत्र जारी हो गया है। बड़ा ऐलान करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर बीजेपी तेलंगाना में सत्ता में आई तो समान नागरिक संहिता लागू करेगी। चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा ने लोकलुभावन वादे भी किए हैं।
 
क्षिण भारतीय प्रदेश तेलंगाना में पैर जमाने की जद्दोजहद में जुटी भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने कहा, बीजेपी को बहुमत मिलने के बाद तेलंगाना में उज्वला लाभार्थियों को प्रति वर्ष चार मुफ्त एलपीजी सिलेंडर दिए जाएंगे। लाभार्थियों के लिए कई और वादों के साथ भाजपा ने सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को भी कटघरे में खड़ा किया है।
भाजपा के घोषणापत्र में कहा गया है कि बीआरएस सरकार के कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति नियुक्त करेगी। बता दें कि चुनावी रैलियों में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) और उनकी पार्टी पर जमकर निशाना साधने वाली भाजपा ने बड़े पैमाने पर आर्थिक घोटालों के आरोप लगाए हैं। हालांकि, केसीआर ने भाजपा के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि तेलंगाना में भाजपा का कोई जनाधार नहीं है। सीएम केसीआर के बेटे केटी रामा राव ने भी कहा है कि भाजपा बेबुनियाद आरोप लगा रही है।

पश्चिम बंगाल में लगेगा दिग्गजों का जमावड़ा, PM मोदी से पहले आएंगे अमित शाह, जानिये क्या कुछ होगा खास.

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Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए पश्चिम बंगाल खास होता जा रहा है। केंद्रीय मंत्रियों का दौरा लगातार हो रहा है। इस बीच जानकारी मिली है कि इसी महीने 29 तारीख को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बंगाल के दौरे पर आ सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 24 दिसंबर को कोलकाता में आ रहे हैं। इसे लेकर आगामी दिनों में एक बार फिर से काफी हलचल देखने को मिल सकती है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार दिल्ली में हैं और उनकी बातचीत केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से हुई है। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो 29 को भाजपा की धर्मतल्ला के ब्रिगेड परेड मैदान में होने वाली जनसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आएंगे।

इस बीच जानकारी मिली है कि कोलकाता में 24 दिसंबर को गीता जयंती के मौके पर एक लाख लोग गीता का पाठ करेंगे। इसके लिए मुख्य अतिथि के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया गया है और प्रधानमंत्री ने इसके लिए स्वीकृति भी प्रदान कर दी है।

Rajasthan Election: मायावती के इस खेल से क्यों बेचैन है कांग्रेस !

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पांच चुनावी राज्यों में एक राजस्थान में जंग बेहद दिलचस्प मोड़ की तरफ बढ़ रही है यहां  भाजपा और कांग्रेस दोनों की बेचैनी बढ़ गयी है क्योंकि राजस्थान की सियासत में दलितों और पिछड़ों की सबसे बड़ी पार्टी माने जाने वाली बहुजन समाज पार्टी यानी BSP की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती  की एंट्री होने जा रही है. राजस्थान का इतिहास गवाह है कि जब भी मायावती यहां किसी सीट पर प्रचार के लिए गयी हैं उनमे अधिकतर सीट बसपा जीती है, ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के खेमे में सेंध लगने की उम्मीद है, इसका सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है क्योंकि दलित वोटर राजस्थान में कांग्रेस का मुख्य वोटर भी माना जाता है ऐसे में जिनके दम पर कांग्रेस को सत्ता में वापसी की उम्मीद है,वो वोटर उनसे छिटक सकता है.

ऐसा पहले भी कई बार हुआ है,,ऐसे में जब मुकाबला कांटे का दिखाई दे रहा है तो एक एक सीट दोनों पार्टियों के लिए बड़ा महत्व रखती है,,,पिछली बार के चुनाव में भी बसपा 6 सीटें जीती थी,जबकि एक दर्जन सीटों पर उसके प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे,,राजस्थान में 39  सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं ऐसे में मायावती का फोकस इन सीटों पर है ऊपर से जिन नेताओं को टिकट नहीं मिल रहे वो बसपा में शामिल हो रहे हैं. इनमें सबसे अधिक कांग्रेस के विधायक हैं मायावती और अशोक गहलोत के बीच की अदावत जग जाहिर है,,सियासी जानकार मानते हैं कि मायावती गहलोत से बहुत नाराज है क्योकि उन्होंने दो बार उनके जीते विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया,ऐसे में इस बार मायावती ने खुद मोर्चा संभाला है.

 40 सीटों पर खुद प्रचार करेंगी मायावती –

मायावती इस बार 40 सीटों पर खुद प्रचार करेंगी,,,इनमें पूर्वी राजस्थान में बसपा का सबसे बड़ा असर है,,यहां बसपा के टिकट पर लड़ने वाला कोई भी उम्मीदवार आसानी से 10 से 15 हजार वोट हासिल कर लेता है, सियासी जानकार ये भी मानते हैं कि बसपा सबसे अधिक डैमेज कांग्रेस को पहुंचाती है,,कुल मिलाकर ये भी कहा जा सकता है कि मायावती अशोक गहलोत की सत्ता वापसी के सपने को तोड़ भी सकती हैं मायावती 5 साल बाद भरतपुर शहर के नदबई कस्बे में आ रही हैं और उनका मकसद 7 विधानसभा सीटों पर 4 लाख एससी वोटो को साधना है. मायावती ने 2018 के विधानसभा चुनावों में नदबई कस्बे में बसपा प्रत्याशी जोगिंदर सिंह अवाना के समर्थन में जनसभा को संबोधित किया था और जोगिंदर सिंह अवाना विजय हुए थे. बसपा पार्टी से विजय होने के बाद जोगिंदर सिंह अवाना कांग्रेस में शामिल हो गए. इस बार 2023 के चुनाव में नदबई विधानसभा से खेमकरण तौली को उम्मीदवार बनाया है. इस जनसभा में जिले की सात विधानसभा क्षेत्रों से बहुजन समाज के कार्यकर्ता व समर्थक बड़ी संख्या में शामिल हुए .

राष्ट्रीय अध्यक्ष सुप्रीमो मायावती की भरतपुर जिले में प्रत्येक विधानसभा चुनाव में जनसभा आयोजित करवाई जाती है, क्योंकि यहां बीएसपी पार्टी को काफी फायदा मिलता है और सात विधानसभा क्षेत्र में से दो या तीन  सीटों पर इन्हें विजय हासिल होती है. 2018 के चुनाव में नगर और नदबई विधानसभा क्षेत्र से बसपा को विजय हासिल हुई थी.भरतपुर की सातों विधानसभा सीटों पर एससी वोट बड़ी संख्या में हैं. यही वजह है कि सुप्रीमो मायावती भरतपुर में जनसभा को संबोधित करने जा रही हैं. जनसभा आयोजित होने से जिले की कई विधानसभा सीटों का गणित बदलेगा.

क्या राजस्थान में किंग मेकर की भूमिका में आ सकती हैं मायावती-

बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती 17 से 20 नवंबर तक राजस्थान के दौरे पर रहेंगी, जहां वे बसपा प्रत्याशियों के समर्थन में आम सभाएं और रैलियां करेंगी. मायावती अपने चार दिवसीय राजस्थान दौरे के दौरान 20 नवंबर को लाडनूं आएंगी. वे यहां बसपा प्रत्याशी नियाज मोहम्मद खान के समर्थन में जनसभा को संबोधित करेंगी. बहुजन समाज पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष भगवान सिंह बाबा के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती राज्य में 17 से 20 नवम्बर तक बसपा प्रत्याशियों के समर्थन में 8 जनसभाओं को सम्बोधित करेंगी.

यूपी के आगरा से राजस्थान के भरतपुर व धौलपुर के 50 से अधिक गांवों की सीमाएं जुड़ीं हैं. इसलिए आगरा के कई बसपा नेता राजस्थान चुनाव में विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव प्रबंधन में शामिल हैं. इसका भी फायदा उनको मिल सकता है, बता दें कि राजस्थान में 25 नवंबर को 200 सीटों के लिए मतदान होगा, ऐसे में जब बसपा पहले ही ऐलान कर चुकी है कि इस बार वो सरकार में शामिल होगी तो मतलब साफ़ है अगर बसपा राजस्थान में कुछ सीट जीत जाती है और किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो ऐसे में मायावती किंग मेकर की भूमिका में आ सकती हैं और अगर ऐसा हुआ तो निश्चित तौर पर 2024 चुनाव में भी मायावती अहम भूमिका में आ सकती हैं क्योंकि उन्होंने अभी तक अपने पत्ते साफ़ नहीं किये हैं कि 2024 में उनका रुख किस ओर होगा। बहरहाल आने वाला समय साफ़ कर देगा कि मायावती राजस्थान में किसको डेंट मारने जा रही है.