Category Archive : राजनीति

पंचायत चुनाव डबल वोटर: नियम विरुद्ध चुनाव जीतने वालों का कार्यकाल होगा रद्द! हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

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उत्तराखंड हाईकोर्ट में बीडीसी चुनाव में पराजित प्रत्याशियों द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद इन मामलों को चुनाव याचिका के रूप में प्रस्तुत करने को कहा है. साथ ही कहा कि इन चुनाव याचिकाओं का 6 माह के भीतर निस्तारण किया जाए. कोर्ट ने किसी भी याचिका में अंतरिम आदेश नहीं दिया है. इन याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में हुई.

मामले के अनुसार, पौढ़ी गढ़वाल निवासी दीक्षा नेगी, टिहरी निवासी नीरू चौधरी और उत्तरकाशी निवासी उषा ने अपनी याचिका में कहा कि वे बीडीसी सदस्य का चुनाव हारे हैं और उनके खिलाफ जो प्रत्याशी जीते हैं, उनके दो जगह की मतदाता सूची में नाम थे. इसलिए उनका निर्वाचन रद्द किया जाए और उन्हें 14 अगस्त को ब्लॉक प्रमुख, ज्येष्ठ प्रमुख और कनिष्ठ प्रमुख के चुनाव में मतदान करने से रोका जाए. जबकि वर्षा राणा, गंगा नेगी, कनिका, त्रिलोक बिष्ट ने कहा कि वे चुनाव जीते हैं. लेकिन उनके खिलाफ लड़ रहे प्रत्याशी दूसरे क्षेत्र से चुनाव जीते हैं. जिनके दो मतदाता सूची में नाम थे. इसलिए उनका निर्वाचन रद्द किया जाए और उन्हें भी 14 अगस्त को होने वाले ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में मतदान करने से रोका जाए.

याचिकाकर्ताओं के अनुसार हाईकोर्ट ने 11 जुलाई 2025 को शक्ति सिंह बर्त्वाल की याचिका में अंतरिम आदेश जारी कर राज्य निर्वाचन आयोग के सर्कुलर पर रोक लगा दी थी. जिसमें आयोग ने दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वाले व्यक्ति को मतदान करने और चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी थी. लेकिन तब चुनाव आयोग ने 11 जुलाई तक त्रिस्तरीय पंचायत हेतु नामांकन प्रक्रिया हो जाने के कारण निर्वाचन प्रक्रिया जारी रखी. जिसके बाद दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वाले व्यक्ति चुनाव में भाग लेने में सफल रहे. जिन्हें अब चुनाव याचिकाओं के रूप में बड़े स्तर पर हाईकोर्ट में चुनौती मिल रही है.

 

याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने यह तथ्य रखा कि, ठीक है वे चुनाव हार गए. उसके बाद अगर चुनाव को वे चुनौती देते हैं तो उसका निर्णय पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी नहीं आता और कोर्ट में मामला चलता रहता है. जिसपर आज कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए कहा कि चुनाव से संबंधित जो भी याचिकाएं दायर होंगी, उनका निस्तारण 6 माह के भीतर होगा. जो प्रत्याशी नियमों, शर्तों के अनुसार जीता है, वह कार्यकाल पूरा करेगा. अगर नियमों के विरुद्ध जीता है तो उसका कार्यकाल निर्णय आने के बाद रद्द होगा.

जिला पंचायत सदस्यों का अपहरण’ बताकर कांग्रेसी हाईकोर्ट पहुंचे, जमकर हंगामा; होगा चुनाव का बहिष्कार?

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जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर नैनीताल में जमकर हंगामा हो रहा है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष राहुल छिमवाल ने कुछ लोगों पर उनके जिला पंचायत सदस्यों का अपहरण करने का आरोप लगाया है। इसको लेकर कांग्रेस कार्यकर्ता न्याय की मांग को लेकर हाईकोर्ट गए। नेता प्रतिपक्ष ने इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किया है।

बृहस्पतिवार को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए मतदान करने जा रहे जिला पंचायत सदस्यों को कई लोगों ने जिला पंचायत कार्यालय के पास से ही जबरन उठा लिया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। कांग्रेसियों ने पुलिस के सामने ही उनके समर्थक जिला पंचायत सदस्यों को अगवा करने का आरोप लगाया है। जिसके बाद सभी कांग्रेसी नेता हाईकोर्ट की शरण चले गए हैं। जिसके बाद नैनीताल का माहौल गर्म हो गया है।

धामी कैबिनेट नेउत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 पर लगाई मुहर,धर्म परिवर्तन पर सख्ती

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धामी कैबिनेट ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 पर मुहर लगा दी,बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में कई अन्य मसलों को भी मंजूरी दी गयी।

देखें, कैबिनेट के फैसले-

1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2025 है।
(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा।

2.
प्रलोभन की परिभाषा में प्रस्तावित संयोजन।

प्रलोभन” का अर्थ है और इसमें किसी प्रलोभन की पेशकश भी निम्न रूप से शामिल है, –
(1) कोई उपहार, परितोषण, आसान धन या भौतिक लाभ, चाहे नकद या वस्तु के रूप में;
(ii) रोजगार, किसी धार्मिक संस्था द्वारा संचालित स्कूल या कॉलेज में निःशुल्क शिक्षा; या
(iii) विवाह करने का वचन देना; या
(iv) बेहतर जीवनशैली, दैवीय अप्रसन्नता या अन्यथा; या
(v) किसी धर्म की प्रथाओं, अनुष्ठानों और समारोहों या उसके किसी अभिन्न अंग को किसी अन्य धर्म के संबंध में हानिकारक तरीके से चित्रित करना; या
(vi) एक धर्म को दूसरे धर्म के विरुद्ध महिमामंडित करना।

प्रस्तावित संशोधन पूर्व में उल्लिखित प्राविधान का प्रतिस्थापन करते हुएः

इस अधिनियम में प्रयुक्त किन्तु अपरिभाषित तथा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, भारतीय न्याय संहिता, 2023 या सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का केन्द्रीय अधिनियम 21) में परिभाषित शब्दों तथा अभिव्यक्तियों के वही अर्थ होंगे, जो उस अधिनियम में क्रमशः उन्हें दिए गए हैं।

प्रस्तावित संशोधन:
डिजिटल ढंग :
“डिजिटल ढंग” से अभिप्राय है तथा इसमें शामिल है,
(1) सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइट, जो व्यैक्तिकों को, –
(i) परिबद्ध प्रणाली के भीतर सार्वजनिक या अर्ध सार्वजनिक प्रोफाइल का निर्माण करने की अनुमति देती है;
(ii) अन्य उपयोगकर्ताओं, जिनके साथ वे कनैक्शन साझा करते हैं, की सूची स्पष्ट करने की अनुमति देती है; तथा
(iii) प्रणाली के भीतर उनके तथा दूसरों द्वारा बनाये गए कनैक्शनों की सूची देखने और अनुप्रस्थ करने की अनुमति देती है;
(2) सोशल मीडिया ऐप्लिकेशन, जिसका उद्देश्य उन लोगों के ऑनलाइन समुदायों का निर्माण करना, जो अपनी रूचियों और गतिविधियों को साझा करते हैं, या जो दूसरों की रूचियों और गतिविधियों की छान-बिन में रूचि रखते हैं और उपयोगकर्ताओं को प्रभावित करने के लिए कई प्रकार के तरीके प्रदान करती है, जैसे ई-मेल और इंस्टेंट मैसेजिंगः

5.
प्रस्तावित संशोधन :
(ड) छद्म पहचान (Fraudulent Impersonation):
जानबूझकर एवं धोखे की मंशा से किसी अन्य व्यक्ति के धार्मिक वेशभूषा, सामाजिक पद अथवा प्रतिष्ठा का भेष धारण करना व जाति, धर्म, मूल, लिंग जन्म स्थान या निवास स्थान का प्रतिरूपण करना अथवा किसी धार्मिक संस्था या सामाजिक संगठन का झूठा रूप धारण करना, विशेषतः यदि इसका उद्देश्य-जनता को भ्रमित करना, धोखाधड़ी करना, अनुचित लाभ अर्जित करना, सार्वजनिक भावनाओं को आहत करना हो।

6.
प्रस्तावित संशोधन :
(ढ) “सार्वजनिक भावना” से तात्पर्य किसी समुदाय या धार्मिक समूह की सांस्कृतिक एवं धार्मिक भावनाएँ, जिनके जानबूझकर आहत करने पर समाज में अशांति उत्पन्न होने की संभावना हो।

7.
प्रस्तावित संशोधन :

(ण) “पीड़ित” से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के परिणाम स्वरूप कोई हानि या क्षति कारित हुई है और इसके अन्तर्गत ऐसे पीड़ित का संरक्षक व विधिक वारिस भी है।

8.
प्रस्तावित संयोजन :

(3) डिजिटल ढंग सहित किन्हीं साधनों के माध्यम से ऐसे धर्म परिवर्तन के लिए नहीं उकसाएगा या षड्यन्त्र नहीं करेगा।
(4) विवाह के आशय से अपना धर्म नहीं छिपाएगा।
(5) कोई भी व्यक्ति-छद्म पहचान का प्रयोग नहीं करेगा, धार्मिक, सामाजिक या अन्य पहचान का दुरुपयोग नहीं करेगा, सार्वजनिक भावनाओं को आहत नहीं करेगा, अनुचित लाभ प्राप्त करने हेतु धोखाधड़ी नहीं करेगा।

9.
धारा 4- प्रस्तावित संशोधन – पूर्व मे उल्लेखित प्रावधान का प्रतिस्थापन करते हुएः

अधिनियम के उपबन्धों के उल्लंघन से सम्बन्धित कोई सूचना किसी भी व्यक्ति द्वारा दी जा सकती है और ऐसी सूचना देने के रीति वही होगी जैसी नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (अधिनियम संख्या 46 सन् 2023) के अध्याय 13 में की गई है।

10.
प्रस्तावित संशोधन पूर्व में उल्लिखित प्राविधान का प्रतिस्थापन करते हुएः

(1) जो कोई धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करेगा/करेगी, वह किसी सिविल दायित्व पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसी अवधि के लिए कारावास से दण्डित किया जायेगा/की जायेगी, जो तीन वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक हो सकेगी और वह ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा / होगी जो पच्चास हजार रूपये से कम नही होगाः

(2) जो कोई किसी अवयस्क, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के सम्बन्ध में या दिव्यांग या मानसिक रूप से दुर्बल पुरुष या महिला के संबंध में धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करेगा करेगी वह ऐसी अवधि के लिए कारावास से दण्डित किया जायेगा/की जायेगी, जो पाँच वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु चौदह वर्ष तक हो सकेगी और वह ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा/होगी जो एक लाख रूपये से कम नहीं होगा।
परन्तु यह और कि जो कोई सामूहिक धर्म परिवर्तन के सम्बन्ध में धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करेगा/करेगी वह ऐसी अवधि के लिए कारावास से दण्डित किया जायेगा/की जायेगी जो सात वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु चौदह वर्ष तक हो सकेगी और वह ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा/होगी जो एक लाख रूपये से कम नहीं होगाः
(3) जो कोई विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन के सम्बन्ध में किन्हीं विदेशी अथवा अवधिक संस्थाओं से धन प्राप्त करेगा वह ऐसी अवधि से कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा जो सात वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो चौदह वर्ष तक हो सकेगी और वह ऐसे जुर्माने का भी दायी होगी, जो दस लाख रुपये से कम नहीं होगा।
(4) जो कोई धर्म संपरिवर्तन करने के आशय से किसी व्यक्ति को उसके जीवन या संपत्ति के लिए भय में डालता है, हमला करता है या बल का प्रयोग करता है या विवाह या विवाह करने का वचन देता है या उसके लिए उत्प्रेरित करता है या षडयंत्र करता है या उन्हें प्रलोभन देकर किसी नाबालिक महिला या व्यक्ति की तस्करी करता है या अन्यथा उन्हें विक्रीत करता है या इस निमित्त दुष्प्रेरण, प्रयास अथवा षडयंत्र करता है वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका तात्पर्य उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास से होगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा:
परन्तु ऐसा जुर्माना पीड़ित के चिकित्सीय खर्चों को पूरा करने और पुनर्वास के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगाः
(5) न्यायालय उक्त धर्म परिवर्तन के पीड़ित को अभियुक्त द्वारा संदेय समूचित प्रतिकर भी स्वीकृत करेगा, जो अधिकतम पांच लाख रूपये तक हो सकता है जो जुर्माना के अतिरिक्त होगा।
( 6 ) जो कोई भी उसके द्वारा माने जाने वाले धर्म से भिन्न किसी धर्म वाले व्यक्ति से विवाह करने का आशय रखते हुए धारा 3 (4) के उपबंधों का उल्लंघन करेगा/करेगी है तथा ऐसी रीति में अपने धर्म को छुपाता है कि अन्य व्यक्ति, जिससे वह विवाह करने का आशय रखता है, विश्वास करता है कि वास्तव में उसका धर्म उसके द्वारा माने जाने वाला ही धर्म है, तो कारावास की ऐसी अवधि, जो तीन वर्ष से कम नहीं होगी. जो दस वर्ष के लिए बढ़ाई जा सकती है, से दण्डनीय होगा और जुर्माने, जो तीन लाख रूपए से कम नहीं होगा, से भी दण्डनीय होगा।
(7) जो कोई भी उपधारा 3(5) का उल्लंघन करता है वह ऐसी अवधि के कारावास जो तीन वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक हो सकेगी और वह ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा। होगी जो पच्चास हजार रूपये से कम नहीं होगाः
(8) जो कोई इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का पूर्व में सिद्ध दोष ठहराये जाने पर इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय किसी अपराध का पुनः सिद्धदोष ठहराया जायेगा/जायेगी वह ऐसे प्रत्येक पश्चातवर्ती अपराध के लिए दण्ड का दायी होगा/होगी जो इस अधिनियम के अधीन तद्भिमित्त प्रदान किये गये दण्ड के दो गुना से अधिक नहीं होगा।

11.
प्रस्तावित संयोजनः

(1) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (अधिनियम संख्या 46 सन् 2023) से अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी इस अधिनियम के अधीन समस्त अपराध, संज्ञेय और गैर जमानतीय होंगे तथा सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होंगे।
(2) इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध के अभियुक्त व्यक्ति, यदि अभिरक्षा में हो, को जमानत पर तब तक नहीं छोड़ा जायेगा, जब तक कि-
(क) इस अधिनियम को, ऐसे छोड़े जाने के लिए जमानत के आवेदन का विरोध करने हेतु अवसर न प्रदान कर दिया जाय, और
(ख) जहाँ लोक अभियोजक जमानत के आवेदन का विरोध करता है वहीं सत्र न्यायालय का यह समाधान हो जाने पर कि यह विश्वास करने के युक्तियुक्त आधार है कि वह ऐसे अपराध का दोषी नहीं है और यह कि जमानत पर रहने के दौरान उसके द्वारा कोई अपराध किया जाना संभाव्य नहीं है।

12.

संपत्ति की कुर्कीः
(1) यदि जिला मजिस्ट्रेट को यह विश्वास करने का कारण है कि किसी व्यक्ति के कब्जे में स्थित कोई सम्पत्ति, चाहे वह जंगम हो या स्थावर अभियुक्त के द्वारा इस अधिनियम के अधीन विचारणीय किसी अपराध कार्य के परिणामस्वरूप अर्जित की गयी है तो वह ऐसी सम्पत्ति को कुर्क करने का आदेश दे सकता है, चाहे किसी न्यायालय द्वारा ऐसे अपराध का संज्ञान किया गया हो, या नहीं।
(2) प्रत्येक ऐसी कुर्की पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के उपबन्ध, यथावश्यक परिवर्तन सहित, लागू होंगे।
(3) संहिता के उपबन्धों के होते हुए भी, जिला मजिस्ट्रेट, उपधारा (1) के अधीन कुर्क की गयी किसी सम्पत्ति का प्रशासक नियुक्त कर सकता है और प्रशासक को ऐसी सम्पत्ति के सर्वोत्तम हित में उसका प्रबन्ध करने की सभी शक्तियाँ होगी।
(4) जिला मजिस्ट्रेट ऐसी सम्पत्ति के उचित और प्रभावी प्रबन्ध के लिए प्रशासक को पुलिस सहायता की व्यवस्था कर सकता है।

13.
सम्पत्ति को निर्मुक्त करनाः

(1) जहां कोई संपत्ति धारा 14 क के अधीन कुर्क की जाये, वहाँ उसका दावेदार, ऐसी कुर्की की जानकारी के दिनांक से तीन मास, के भीतर जिला मजिस्ट्रेट को अपने द्वारा उस सम्पत्ति के अर्जन की परिस्थितियों और स्रोतों को दर्शाते हुए अभ्यावेदन कर सकता है।
(2) यदि उपधारा (1) के अधीन, किये गये दावे की वास्तविकता के बारे में जिला मजिस्ट्रेट का यह समाधान हो जाये तो वह कुर्क की गयी सम्पत्ति को तत्काल निर्मुक्त कर देगा और तदुपरान्त ऐसी सम्पत्ति दावेदार को सौंप दी जायेगी।

14.
सत्र न्यायालय द्वारा सम्पत्ति के अर्जन के स्वरूप के बारे में जाँचः
(1) जहां धारा 14ख की उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर कोई अभ्यावेदन न दिया जाये या जिला मजिस्ट्रेट धारा 14ख की उपधारा (2) के अधीन सम्पत्ति को निर्मुक्त नहीं करता है वहाँ वह मामले की अपनी रिपोर्ट के साथ इस अधिनियम के अधीन अपराध का विचारण करने के लिए अधिकारिता युक्त न्यायालय को निर्दिष्ट करेगा।
(2) जहां जिला मजिस्ट्रेट ने किसी सम्पत्ति को धारा 14क की उपधारा (1) के अधीन कुर्क करने से इन्कार किया है या किसी सम्पत्ति को धारा 14ख की उपधारा (2) के अधीन निर्मुक्त करने का आदेश दिया है वहाँ राज्य सरकार या कोई व्यक्ति जो इस प्रकार इन्कार करने या निर्मुक्त करने से व्यथित हो, यह जाँच करने के लिये कि क्या सम्पत्ति इस अधिनियम के अधीन विचारणीय किसी अपराध कार्य के द्वारा या उसके परिणामस्वरूप अर्जित की गयी थी, उपधारा (1) में निर्दिष्ट न्यायालय को आवेदन-पत्र दे सकता है। ऐसा न्यायालय, यदि वह न्याय के हित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझे, ऐसी सम्पत्ति को कुर्क करने का आदेश दे सकता है।
(3) (क) उपधारा (1) के अधीन निर्देश या उपधारा (2) के अधीन आवेदन-पत्र की प्राप्ति पर न्यायालय जाँच के लिये कोई दिनांक नियत करेगा और उसकी नोटिस उपधारा (2) के अधीन आवेदन-पत्र देने वाले व्यक्ति या यथास्थिति, धारा 14ख के अधीन अभ्यावेदन देने वाले व्यक्ति और राज्य सरकार और किसी अन्य व्यक्ति को भी जिसका हित मामले में अन्तर्ग्रस्त प्रतीत हो, देगा।
(ख) इस प्रकार नियत दिनांक को या किसी पश्चात्वर्ती दिनांक को जब तक के लिये जाँच अस्थगित की जाये, न्यायालय पक्षकारों की सुनवाई करेगा, उनके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य ग्रहण करेगा, ऐसे और साक्ष्य लेगा जिसे वह आवश्यक समझे, यह विनिश्चित करेगा कि क्या सम्पत्ति किसी अभियुक्त द्वारा इस अधिनियम के अधीन विचारणीय किसी अपराध कार्य के परिणामस्वरूप अर्जित की गयी थी और धारा 14घ के अधीन ऐसा आदेश देगा जैसा मामले की परिस्थितियों में न्यायसंगत और आवश्यक हो।

(4) उपधारा (3) के अधीन जाँच के प्रयोजनों के लिए सत्र न्यायालय को निम्नलिखित विषयों के सम्बन्ध में ऐसी शक्तियाँ होंगी जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (अधिनियम संख्या 5 सन् 1908) के अधीन किसी वाद पर विचारण करते समय सिविल न्यायालय की होती हैं, अर्थात् –

क) किसी व्यक्ति को समन कराना और उसे हाजिर कराना और शपथ पर उसका परीक्षण करना;
(ख) दस्तावेजों का पता लगाने और उन्हें प्रस्तुत करने की अपेक्षा करना;
(ग) शपथ-पत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना;
(घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से कोई सार्वजनिक अभिलेख या उसकी प्रति अभियाचित करना;
(ङ) साक्षियों या दस्तावेजों के परीक्षण के लिए कमीशन जारी करना;
(च) व्यतिक्रम के लिए निर्देश को खारिज करना या उसे एकपक्षीय विनिश्चित करना;
(छ) व्यतिक्रम के लिए खारिज करने के आदेश या एकपक्षीय विनिश्चय को अपास्त करना।
(5) भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, इस धारा के अधीन किसी कार्यवाही में यह साबित करने का भार कि प्रश्नगत सम्पत्ति या उसका कोई भाग किसी अभियुक्त द्वारा इस अधिनियम के अधीन विचारणीय किसी अपराध कार्य के परिणामस्वरूप अर्जित नहीं किया गया था, सम्पत्ति पर दावा करने वाले व्यक्ति पर होगा।

15.
जाँच के पश्चात् आदेश :
यदि ऐसी जाँच पर न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि सम्पत्ति किसी अभियुक्त द्वारा इस अधिनियम के अधीन विचारणीय किसी अपराध कार्य के परिणामस्वरूप अर्जित नहीं की गई थी तो वह उस सम्पत्ति को ऐसे व्यक्ति के पक्ष में निर्मुक्त करने का आदेश देगा जिसके कब्जे से वह कुर्क की गयी थी। किसी अन्य मामले में न्यायालय सम्पत्ति को कुर्क करके, अधिहरण करके या सम्पत्ति पर कब्जा पाने के लिए हकदार व्यक्ति को देकर, या अन्य प्रकार से उसका निस्तारण का आदेश दे सकता है, जैसा वह उचित समझे।

16.
पीड़ित के अधिकारः

(1) पीड़ित से निष्पक्षता, सम्मान और गरिमा के साथ तथा किसी ऐसी विशेष आवश्यकता के साथ, जो पीड़ित की आयु या लिंग या शैक्षणिक अलाभ या गरीबी के कारण उत्पन्न होती है, व्यवहार किया जाएगा।

(2) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में किसी बात के होते हुए भी, इस अधिनियम के अधीन किसी मामले का विचारण करने वाला न्यायालय पीड़ित, उसके आश्रित या सूचनाकर्ता को निम्नलिखित प्रदान करेगा, –

(क) न्याय प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण संरक्षण;

(ख) अन्वेषण, जांच और विचारण के दौरान यात्रा तथा भरण-पोषण व्ययः और

(ग) अन्वेषण, जांच और विचारण के दौरान सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास;

(घ) पुनः अवस्थान।

(3) राज्य, न्यायालय को किसी पीड़ित या उसके आश्रित या सूचनाकर्ता को प्रदान किए गए संरक्षण के बारे में सूचित करेगा और ऐसा न्यायालय प्रस्थापित किए गए संरक्षण का आवधिक रूप में पुनर्विलोकन करेगा तथा समुचित आदेश पारित करेगा।

(4) उपधारा (2) के उपबंधों की व्यापकता पर
प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, विचारण न्यायालय उसके समक्ष किन्हीं कार्यवाहियों में किसी पीड़ित या उसके आश्रित, सूचनाकर्ता या ऐसे पीड़ित, सूचनाकर्ता के संबंध में लोक अभियोजक द्वारा किए गए आवेदन पर या स्वेच्छा से ऐसे उपाय, जिनमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं, कर सकेगा, –
(क) जनता की पहुंच योग्य मामले के उसके आदेशों या निर्णयों में या किन्हीं अभिलेखों में पीड़ित या उसके आश्रित, सूचनाकर्ता के नाम और पतों को छुपाना;
(ख) पीड़ित या उसके आश्रित, सूचनाकर्ता की पहचान और पतों का अप्रकटन करने के लिए निदेश जारी करना;
(ग) पीड़ित, सूचनाकर्ता के उत्पीड़न से संबंधित किसी शिकायत के संबंध में तुरंत कार्रवाई करना और उसी दिन, यदि आवश्यक हो, संरक्षण के लिए समुचित आदेश पारित करना :
(5) राज्य का, न्याय प्राप्त करने में पीड़ित के निम्नलिखित अधिकारों और हकों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक समुचित स्कीम विनिर्दिष्ट करने का कर्तव्य होगा,
जिससे, –
(क) अपराध से पीडितों या उनके आश्रितों को नकद या वस्तु में तुरंत राहत प्रदान की जा सके;
(ख) अपराध से पीडितों या उनके आश्रितों को आवश्यक संरक्षण प्रदान किया जा सके;
(ग) पीड़ितों को खाद्य या जल या कपड़े या आश्रय या चिकित्सीय सहायता या परिवहन सुविधा या प्रति दिन भत्तों की व्यवस्था की जा सके;
(घ) शिकायत करने और प्रथम सूचना रिपोर्ट रजिस्टर करने के समय अपराध से पीड़ितों के अधिकारों के बारे में जानकारी प्रदान की जा सके;
(ङ) राहत रकम के संबंध में अपराध से पीड़ितों या उनके आश्रितों को जानकारी प्रदान की जा सके;

17.
अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का सरकार का कर्तव्यः

(1) राज्य सरकार, इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये ऐसे उपाय करेगी, जो आवश्यक हों।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे उपायों के अंतर्गत निम्नलिखित हो सकेगा,

(i) ऐसे व्यक्तियों को, जिन पर अपराध हुआ है, न्याय प्राप्त करने में समर्थ बनाने के लिए पर्याप्त सुविधाओं की, जिनके अंतर्गत विधिक सहायता भी है, व्यवस्था ;
(ii) अपराध से पीड़ित व्यक्तियों के आर्थिक और सामाजिक पुनरुद्धार की व्यवस्था ;
(iii) इस अधिनियम के उपबन्धों के बेहतर क्रियान्वयन करने के लिए उपायों को सुझाव देने की दृष्टि से इस अधिनियम के उपबन्धों के कार्यकरण का समय-समय पर सर्वेक्षण करने की व्यवस्था ;

कैबिनेट बैठक में प्रमुख निर्णय

उत्तराखण्ड परियोजना विकास एवं निर्माण निगम (UPDCC) के ढ़ांचे का पुनर्गठन तथा यू०आई०आई०डी०बी० तथा डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी जलाशय के कार्यों के सम्पादन हेतु 02 अतिरिक्त्त कार्यक्रम कियान्वयन इकाई (Program Implemantation Unit) का गठन करते हुए सिंचाई विभाग से सेवा-स्थानान्तरण पर लिये जाने वाले संवर्गीय कार्मिकों के 91 अतिरिक्त पदों एवं बाह्य स्रोतों से नियत मानदेय पर 04 अतिरिक्त पदों के सृजन को मंजूरी। सेवा स्थानांतरण के आधार पर सिंचाई विभाग से तथा वेतन आदि सिंचाई विभाग द्वारा ही देय होगा, यू०पी०डी०सी०सी०लि० एवं 04 पी०आई०यू० में सृजित होने वाले कैडर पदों के सापेक्ष राज्य सरकार द्वारा कोई अतिरिक्त व्ययभार वहन नहीं किया जाना है। आउटसोर्स के माध्यम से सृजित होने वाले पदों पर कार्मिकों की तैनाती / नियुक्ति का व्ययभार सम्बन्धित परियोजनाओं की आकस्मिक निधि से वहन किया जाएगा।

02 – सहकारिता विभाग की अधिसूचना दिनांक 23.07.2001 द्वारा नवगठित उत्तराखण्ड राज्य के सीमित संशाधनों के कारण उ०प्र० सहकारी संस्थागत सेवामण्डल नियमावली को विखण्डित करते हुए सम्पूर्ण शक्तियां निबन्धक, सहकारी समितियां, उत्तराखण्ड में निहित की गयी।
वर्तमान में उत्तराखण्ड सहकारिता विभाग के अन्तर्गत कार्मिकों का कैडर प्रबन्धन, सेवा सम्बन्धी प्रकरणों में नीतियों का अवधारण, कार्मिकों का प्रशिक्षण एवं अनुशासनिक नियन्त्रण तथा भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता लाये जाने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड सहकारी संस्थागत सेवामण्डल की अधिसूचना के गठन का निर्णय लिया गया है।
इस अधिसूचना में यह भी प्राविधान किया गया है कि राज्य व जिला सहकारी बैंकों एवं अन्य सहकारी समितियों के विभिन्न पदों की भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता एवं शुचिता लाए जाने हेतु चतुर्थ श्रेणी के पदों को छोड़कर अन्य पदों पर भर्ती परीक्षा “बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आई०बी०पी०एस०)” के माध्यम से कराया जायेगा।

03 – राजकीय औद्योगिक आस्थानों में शेड/ भूखंडों के आवंटन/ निरस्तीकरण/ स्थानांतरण/ किराया आदि के संबंध में एकीकृत प्रक्रिया में संशोधन को मंजूरी।

04 – उत्तराखंड राज्याधीन सेवाओं में समूह ग के सीधी भर्ती के वर्दीधारी पदों पर सेवायोजन हेतु सेवामुक्त अग्निवीरों को क्षैतिज आरक्षण नियमावली – 2025 मंजूर।

05 – उत्तराखंड उच्चतर न्यायिक सेवा (संशोधन), नियमावली 2025 मंजूर।

06 – उत्तराखंड भू सम्पदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) के वार्षिक प्रतिवेदन 2023-24 को विधानसभा में सदन पटल पर रखे जाने को मंजूरी मिली।

07 – लखवाड़ बहुउद्देशीय जल विद्यतु परियोजना के लिए देहरादून जनपद के ग्रामों में अधिग्रहण किए जाने वाली भूमि की दरें, जनपद टिहरी के ग्रामों के समक्षक की गई।

08 – उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड, के वर्ष 2021-22 के वार्षिक वित्तीय प्रतिवेदन को विधानसभा पटल पर प्रस्तुत करने का मंजूरी।

09 – विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 104 (4) के अंतर्गत उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के वित्तीय वर्ष 2023-24 के वार्षिक लेखा विवरण को विधानमंडल के पटल पर रखे जाने को मंजूरी।

10 – विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 105 के अंतर्गत उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के वित्तीय वर्ष 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट को विधानमंडल के पटल पर रखे जाने को मंजूरी।

11 – विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 181 के अंतर्गत उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग द्वारा अधिसूचित किए गए विनियमों को अधिनियम की धारा – 182 के अतर्गत विधानमंडल के पटल पर रखे जाने को मंजूरी।

12 – कम्पनी अधिनियम 2013, की धारा 395 (बी) के अनुपालन के क्रम में उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लि. के वित्तीय वर्ष 2023-24 के वार्षिक प्रतिवेदन को विधानसभा के पटल पर रखे जाने को मंजूरी।

13 – जनपद ऊधमसिंहनगर में स्थित पन्तनगर एयरपोर्ट के विस्तारीकरण हेतु राज्य सरकार द्वारा धनराशि रू0 188.55 करोड़ वहन किये जाने की स्वीकृति के उपरान्त भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के पत्र दिनांक 06.06.2025 द्वारा पंतनगर एयरपोर्ट के राष्ट्रीय राजमार्ग-87 (नया एन०एच० संख्या-109) के पुनः संरेखण व निर्माण कार्य हेतु राज्य सरकार व भारत सरकार द्वारा संरेखण एवं निर्माण हेतु संशोधित आंगणित धनराशि (रू0 310.60 करोड़) को संयुक्त रूप से वहन किये जाने के क्रम में प्रेषित पत्र के आलोक में मा० मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड व मा० मंत्री संड़क परिवहन एवं राजमार्ग, मत्रालय, भारत सरकार के मध्य बनी सहमति के फलस्वरूप संशोधित परियोजना की कुल पूँजीगत लागत धनराशि रू0 310.60 करोड के सापेक्ष भारत सरकार द्वारा वहन की जाने वाली अतिरिक्त धनराशि में से परियोजना की लागत के अनुसार आंगणित एस०जी०एस०टी० की धनराशि रू0 22.73 करोड़ को माफ (Waive Off) किया गया।

14- उत्तराखंड पशुपालन विभाग सांख्यिकीय सेवा नियमावली 2025 का प्राध्यापन।

15 – उत्तराखंड वित्त सेवा (संशोधन) नियमावली 2025 मंजूर।

16 – सूचना प्रौद्योगिकी, सूराज एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत, विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार (एसटीआई) नीति – 2025 मंजूर।

17 – नगर निकायों में निर्वाचन के दृष्टिगत अन्य पिछड़ा वर्ग के सर्वेक्षण कार्य के लिए पूर्व की तरह उत्तराखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्री बीएस वर्मा की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय समर्पित आयोग के गठन का निर्णय लिया गया।

18 – राज्य में श्री बद्रीनाथ तथा श्री केदारनाथ मंदिर के प्रशासन की व्यवस्था श्री बद्रीनाथ एवं श्री केदारनाथ मंदिर अधिनियम, 1939 के अंतर्गत निर्धारित की गयी है तथा उक्त अधिनियम के तहत श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति का गठन किया गया है। श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन 47 मंदिरों के प्रबंधन एवं श्री बद्रीनाथ धाम-श्री केदारनाथ धाम यात्रा में आने वाले श्रद्वालुओं की बढ़ती हुई संख्या को दृष्टिगत रखते हुये यात्रा का संचालन सुचारू / सुविधाजनक एवं सुरक्षित बनाये जाने हेतु श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में उपाध्यक्ष का 01 अतिरिक्त पद सृजित किया गया।

19 – ग्राम्य विकास विभाग के अंतर्गत प्रादेशिक विकास सेवा नियमावली 2011 में संशोधन को मंजूरी ।

20- उत्तराखंड पंचायतीराज (संशोधन) विधेयक 2025 को विधानसभा के समक्ष पुर: स्थापित किए जाने को मंजूरी।

21 – कार्मिक एवं सतर्कता विभाग के शासनादेश संख्या-111/XXX(2)/2018-30(12) / 2018, दिनांक: 27.04.2018 के राज्य के विभिन्न विभागों में दैनिक वेतन/संविदा एवं आउटसोर्स पर तैनात कार्मिकों के संबंध में दिशा-निर्देश निर्गत किये गये हैं। उक्त शासनादेश के प्राविधानों में शासनादेश संख्या-292260 / 2025, दिनांक 25 अप्रैल, 2025 के द्वारा सेवा नियमावली के आलोक में विभागीय पदीय संरचना में स्वीकृत नियमित पदों पर केवल नियमित चयन प्रक्रिया के माध्यम से ही कार्मिकों का नियोजन किया जाए, का प्रावधान किया गया है। उक्त से राज्य के अनेक विभागों के कार्य संचालन में उत्पन्न हो रही कठिनाइयों के तात्कालिक निवारण हेतु मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन की अध्यक्षता में समिति का गठन प्रस्तावित किया जा रहा है। समिति विभागीय प्राप्त प्रस्तावों का गुणावगुण आधार पर सम्यक परीक्षण कर अपनी संस्तुतियां अंतिम निर्णयार्थ मुख्यमंत्री  को प्रस्तुत करेगी।

ऊधमसिंह नगर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव परिणाम पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

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नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से जिला पंचायतों के अध्यक्ष पद का आरक्षण नियमावली के तहत न किए जाने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद 27 अगस्त की तिथि नियत करते हुए कहा है कि चुनाव की समस्त प्रक्रिया जारी रहेगी लेकिन ऊधमसिंह नगर जिले का चुनाव परिमाण घोषित नहीं होगा जो कि याचिका के निर्णय के अधीन रहेगा।

 

मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्दर एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। ऊधमसिंह नगर के जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार जीतेंद्र शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने प्रदेश में जो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए हैं। वह 2011 की जनगणना के आधार पर कराए हैं। तब से कई जिलों में जनसंख्या का अनुपात घटा बढ़ा है जबकि प्रदेश में वर्तमान समय में ओबीसी की सबसे अधिक जनसंख्या जिला हरिद्वार प्रथम स्थान पर, उत्तरकाशी द्वितीय पर, तीसरे पर ऊधमसिंह नगर व चौथे स्थान पर देहरादून है।

अगर सरकार इसे जारी शासनदेशों के अनुरूप आरक्षण तय करती है तो यह आरक्षण की सीट हरिद्वार व उत्तरकाशी को जाती। सरकार ने 13 जिलों के आरक्षण का आंकलन तो किया लेकिन हरिद्वार में चुनाव नहीं कराए। याचिका में कहा कि किस आधार पर सरकार ने आरक्षण का आकलन कर दिया। जहां ओबीसी की जनसंख्या सबसे अधिक है वहां चुनाव नहीं कराए और जहां यह संख्या कम थी उन जिलों में आरक्षण नियमों को ताक में रखकर आरक्षण निर्धारित कर दिया। इसलिए इस पर रोक लगाई जाए और फिर से आरक्षण का रोस्टर जारी किया जाए। मांग की कि आरक्षण नियमों के तहत किया जाए ना कि 2011 की जनगणना के आधार पर।

भाजपा के 4 जिला पंचायत अध्यक्ष और 11 ब्लॉक प्रमुख निर्विरोध विजयी

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उत्तराखंड के जिला पंचायत चुनावों में भाजपा ने नामांकन के आखिरी दिन लीड ले ली है।प्रदेश में भाजपा के 4 जिला पंचायत अध्यक्ष और 11 ब्लॉक प्रमुख निर्विरोध चुने गए।जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर उत्तरकाशी से रमेश चौहान, पिथौरागढ़ से जितेंद्र प्रसाद, उधम सिंह नगर से अजय मौर्या और चंपावत से आनंद सिंह अधिकारी निर्विरोध विजयी हुए। वहीं ब्लॉक प्रमुख पदों पर चंपावत से अंचला बोरा, काशीपुर से चंद्रप्रभा, सितारगंज से उपकार सिंह, खटीमा से सरिता राणा, भटवाड़ी से ममता पंवार, डुंडा से राजदीप परमार, जाखणीधार से राजेश नौटियाल, चंबा से सुमन सजवाण, विकासनगर से नारायण ठाकुर, पाबौ से लता देवी और ताकुला से मीनाक्षी आर्य बिना मुकाबले जीत गईं। 14 अगस्त को जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख व अन्य पदों पर मतदान होगा।

उधर, कांग्रेस के पूर्व विधायक रणजीत रावत के पुत्र व पुत्रवधु सल्ट विकासखण्ड से निर्विरोध निर्वाचित हुए। उनकी पुत्र वधु निर्विरोध ब्लाक प्रमुख चुनीं गयी। जबकि पुत्र विक्रम रैयत ज्येष्ठ प्रमुख पर निर्विरोध चुने गए। कनिष्क प्रमुख पद पर कंचना देवी भी निर्विरोध चुनीं गईं। पूर्व विधायक रणजीत रावत ने इसे कांग्रेस की नीतियों की जीत बताते हुए जनता का आभार जताया।

 

सोमवार को नामांकन का अंतिम दिन था और माहौल पूरी तरह भाजपा के पक्ष में रहा। अभी तक प्रदेश में भाजपा के 4 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हुए, जबकि 11 ब्लॉक प्रमुख पदों पर भी भाजपा प्रत्याशी बिना मुकाबले जीत गए।यह नतीजा केवल संयोग नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री धामी व संगठन की महीनों पहले से तैयार की गई रणनीति, बूथ स्तर तक की सूक्ष्म मैनेजमेंट और संगठन के सामंजस्य का नतीजा मानी जा रही है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की जीत में प्रत्याशी चयन में सामाजिक व भौगोलिक संतुलन, बूथ स्तर तक की सक्रियता और संगठनात्मक तालमेल की अहम भूमिका रही।

 

दूसरी ओर, कांग्रेस कई सीटों पर नामांकन दाखिल तक नहीं कर पाई, जिससे उसकी कमजोर तैयारी और अंदरूनी गुटबाज़ी उजागर हो गई। इन नतीजों ने यह भी संकेत दे दिया है कि भाजपा ने 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं।

 

भाजपा प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि

जिला पंचायत चुनावों में उत्तराखंड की राजनीति ने एक बार फिर साफ़ कर दिया कि अगर रणनीति सटीक हो, टीम मज़बूत हो और नेतृत्व दृढ़ इच्छाशक्ति से लैस हो, तो जीत केवल संभावनाओं में नहीं, बल्कि हकीकत में बदल जाती है।

मुख्यमंत्री धामी व संगठन की अगुवाई में भाजपा ने जिला पंचायत चुनावों में ऐसा चौका मारा कि कांग्रेस पस्त होकर मैदान से बाहर हो गई।

भाजपा प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि
विपक्ष को मैदान में उतरने का अवसर ही न दिया जाए। स्थानीय समीकरणों को साधते हुए, हर जिले और ब्लॉक में भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार किया गया। भाजपा प्रत्याशियों के चयन में जातीय, भौगोलिक और सामाजिक संतुलन का बारीकी से ध्यान रखा गया, जिससे कांग्रेस अंदर ही अंदर बिखरती चली गई।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता सतीश लखेड़ा ने कहा कि
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस कई स्थानों पर तो नामांकन करने तक की स्थिति में नहीं रही। पार्टी के भीतर गुटबाज़ी, नेतृत्वहीनता और संगठनात्मक ढील ने स्थिति इतनी खराब कर दी कि धामी की रणनीति के सामने वह पूरी तरह बेबस नज़र आई।

 

जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पद के लिए नामांकन आज, 14 को होगा मतदान

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आपदा प्रभावित परिवारों को अगले 6 महीने का राशन उपलब्ध कराएगी राज्य सरकार, 5 लाख की अर्थिक मदद

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मुख्यमंत्री   धामी ने धराली रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में बताते हुए कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाने की थी। खराब मौसम के बावजूद अब तक 1000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया जा चुका है। जिसमें स्थानीय लोगों के साथ देश भर से आए तीर्थ यात्री भी शामिल हैं। घायलों को जिला अस्पताल, एम्स में भर्ती किया गया है। सभी को अच्छा इलाज मिले इसकी व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया हर्षिल व धराली क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां, दूध, राशन, कपड़े पहुंचाए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया हर्षिल क्षेत्र में बिजली आपूर्ति के लिए उरेडा का पावर हाउस चालू किया गया है। यूपीसीएल द्वारा बिजली तारों की मरम्मत की जा रही है। मोबाइल कनेक्टीविटी को सुधार लिया गया है साथ ही 125 KV के दो जनरेटर सेट भी आपदा क्षेत्र में पहुंच गए हैं। हर्षिल क्षेत्र में सड़क कनेक्टिविट को ठीक किया जा रहा है। गंगनानी में बेली ब्रिज का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। भूस्खलन की चपेट में आई सड़कों को भी जल्द ठीक कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया मंगलवार तक हर्षिल तक सड़क मार्ग को पूरी तरह ठीक करने की संभावन है। जिसके बाद अन्य कामों को भी तेजी से पूरा किया जा सकेगा।

 

6 माह देंगे मुफ्त राशन

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के स्तर से प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद की जा रही है। उन्होंने बताया प्रभावित परिवारों को अगले 6 महीने का राशन राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाया जाएगा।

 

5 लाख की अर्थिक मदद 

आपदा से जिन लोगों के मकान पूर्णतः क्षतिग्रस्त या नष्ट हुए हैं, उनके पुनर्वास/विस्थापन हेतु ₹ 5.00 लाख की तत्काल सहायता राशि जारी की जाएगी। उन्होंने बताया ग्राम वासियों के पुनर्वास के लिए सचिव, राजस्व की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। जो प्रभावित हुए लोगो के पुनर्वास, विस्थापन एवं हानि का आंकलन करेगी। उन्होंने कहा आपदा से सेब के बगीचों को हुए नुकसान का भी आकलन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि धराली के साथ ही प्रदेश के अन्य स्थानों में भी आपदा से तबाही हुई है। उन्होंने कहा पौड़ी के सैंजी और बांकुड़ा गांव में भी जिन लोगों के घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें भी राज्य सरकार के स्तर से ₹ 5 लाख तक भी सहायता राशि दी जाएगी। राज्य में जहां भी आपदा से हानि हुई है, उन्हें सरकार द्वारा हर संभव मदद दी जाएगी।मुख्यमंत्री ने कहा प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। उनके ही नेतृत्व में केंद्र सरकार का भरपूर सहयोग मिल रहा है।

सीएम ने आपदा राहत के साथ उत्तरकाशी से ही कैबिनेट बैठक कर लिये कई अहम निर्णय

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आपदा के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार तीन दिन से मोर्चे पर डटे हैं।ग्राउंड जीरो से रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी, राहत दलों को दिशा-निर्देश और प्रभावित परिवारों को भरोसा देने के साथ उन्होंने विकास कार्यों की रफ्तार भी बरकरार रखी है। इसी क्रम में उन्होंने आज उत्तरकाशी से ही राज्य मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता कर प्रदेश हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये।

रेस्क्यू और राहत कार्य में तेजी के निर्देश

मुख्यमंत्री ने DG ITBP, DG NDRF और DGP उत्तराखंड पुलिस के साथ उच्च स्तरीय बैठक में राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा की।
उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों तक शीघ्र पहुंच, फंसे लोगों का त्वरित रेस्क्यू, दुर्गम इलाकों में पर्याप्त टीम तैनाती, हेली लिफ्टिंग तेज करने और आवश्यक संसाधनों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। संचार, बिजली और सड़क संपर्क बहाली तथा राहत सामग्री की निर्बाध आपूर्ति पर भी विशेष जोर दिया।

लोगों में भरोसा, राहत दलों का बढ़ा मनोबल

धराली और आसपास के क्षेत्रों में लगातार मौजूद रहकर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार संकट की घड़ी में हर नागरिक के साथ है। कमिश्नर विनय शंकर पाण्डे का कहना है कि सीएम सर का सक्रिय और संवेदनशील रुख न केवल प्रभावित परिवारों के लिये संबल साबित हुआ है बल्कि राहत कार्य में जुटे जवानों का मनोबल भी बढ़ा है।

उत्तरकाशी में प्राकृतिक आपदा के बाद नये राजनीतिक ‘संकट’ से भाजपा में उबाल

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भारी प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे सीमांत उत्तरकाशी में अब राजनीतिक आपदा ने भी पैर पसार लिए हैं। इस राजनीतिक आपदा की भनक लगते ही भाजपा के दो विधायक, पूर्व विधायक व जिला संगठन एक मंच पर खड़े हो गए हैं।इन सभी नेताओं ने सीएम व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को कड़ा पत्र लिख कर निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण को भाजपा में शामिल करने की कोशिश का प्रखर विरोध किया है।
विरोध पत्र भाजपा जिलाध्यक्ष नागेंद्र चौहान ने लिखा है। यह पत्र ऐसे समय पर आया जब सीएम धामी स्वंय बीते तीन दिन से उत्तरकाशी जिले में ही मौजूद हैं।

गौरतलब है कि प्रदेश के 12 जिपं अध्यक्ष व 89 ब्लाक प्रमुख का चुनाव 14 अगस्त को होना है। और उत्तरकाशी के निवर्तमान जिपं अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते हैं। और इस समय अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार हैं।

अपने कार्यकाल में कई वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर दीपक बिजल्वाण के मसले हाईकोर्ट की भी सुर्खियां बने हैं। उनके ही भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं तेज हैं। बिजल्वाण 2022 कस विधानसभा चुनाव यमुनोत्री से लड़कर हार चुके हैं। इसके बाद दीपक बिजल्वाण कांग्रेस में सक्रिय नहीं दिखे। निकाय व पंचायत चुनाव में अपने हिसाब से राजनीति करते रहे।

इधऱ, अंदरखाने पक रही खिचड़ी की महक बाहर आने के बाद उत्तरकाशी भाजपा के नेता एकजुट हो गए हैं।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजे गए एक ज्ञापन में आरोप लगाया है कि दीपक बिजल्वाण जनपद ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में व्यापक भ्रष्टाचार के मामलों में कुख्यात हैं।

ज्ञापन में कहा गया है कि यदि उन्हें पार्टी में शामिल किया गया तो आम जनमानस और पार्टी कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश फैल जाएगा और संगठन की छवि धूमिल होगी।
विरोधियों ने दावा किया है कि पंचायत चुनाव में निर्वाचित सदस्यों ने पार्टी के जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पद के प्रत्याशियों को समर्थन इस शर्त पर दिया था कि दीपक बिजल्वाण के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच कराई जाएगी।

ज्ञापन में सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का हवाला देते हुए मांग की गई है कि उनके खिलाफ कठोर दण्डात्मक कार्रवाई की जाए और पार्टी संगठन में ऐसे व्यक्तियों को कोई स्थान न दिया जाए।

पत्र में दुर्गेश्वर लाल विधायक पुरोला, नागेन्द्र चौहान,
सुरेश चौहान विधायक गंगोत्री, रमेश चौहान पूर्व जिलाध्यक्ष, सतीन्द्र सिंह राणा ,राम सुन्दर नौटियाल , मनवीर चौहान, जगत सिंह चौहान, प्रताप पंवार,स्वराज विद्वान (वाष्ट्रीय मैत्री
केदार सिंह रावत पूर्व विधायक व विजयपाल सजवाण सजवाण पूर्व विधायक का नाम शामिल हैं।

दीपक बिजल्वाण को लेकर भाजपा की राजनीति गरमाने से पार्टी संगठन के सामने नयी चुनौती खड़ी हो गयी

कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों से मांगी संभावित प्रत्याशियों की रिपोर्ट

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर पार्टी के सभी पर्यवेक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल अपने-अपने प्रभार वाले जनपदों में जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत प्रमुख पदों के संभावित प्रत्याशियों की रिपोर्ट प्रदेश मुख्यालय को भेजें।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि पर्यवेक्षकों को कहा गया है कि वे संबंधित जनपदों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों, पूर्व लोकसभा/विधानसभा प्रत्याशियों और नव-निर्वाचित पंचायत सदस्यों से संवाद कर संभावित प्रत्याशियों का पैनल तैयार करें।

 

धस्माना ने दावा किया कि प्रदेश के आठ जनपदों में कांग्रेस के पास जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत की मजबूत संभावनाएं हैं। क्षेत्र पंचायतों में भी बड़ी संख्या में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार जीते हैं। यदि चुनाव निष्पक्ष हुए, तो प्रदेश की तस्वीर बदल सकती है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा शासन, प्रशासन और धनबल के बल पर हर हाल में चुनाव जीतने का प्रयास कर रही है।