Category Archive : रोजगार

Dehradun: बेरोजगार नर्सिंग का प्रदर्शन, सचिवालय कूच करने पहुंचे, समर्थन में पहुंचे कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत

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नर्सिंग एकता मंच के नेतृत्व में सैकड़ों बेराजगार मुख्यमंत्री आवास कूच करने पहुंचे। प्रदर्शन कर रहे बेराजगारों को समर्थन देने कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत भी पहुंचे। कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने कहा कि आप प्रदर्शन कर रहे थे उस दिन भी आपको गिरफ्तार किया गया। आप अपनी उम्मीद अपनी मांग को लेकर जिस तरह संघर्ष कर रहे है। लोकतंत्र में जब-जब संघर्ष होता है और एकता होती है उसका नतीजा हमेशा सकारात्मक होता है।

हरक सिंह रावत ने कहा कि आवास घेराव करने से पहले मैंने स्वास्थ्य मंत्री को फ़ोन किया तो उन्होंने अपने पश्चिम बंगाल में होने की जानकारी दी। मंच के प्रदेश अध्यक्ष नवल पुंडीर ने कहा कि संगठन पिछले कई दिनों से वर्षवार भर्ती निकालने और आयु सीमा में छूट देने समेत कई मांगों को लेकर धरना दे रहा है। सोमवार को संगठन के सभी बेरोजगारों ने मुख्यमंत्री आवास कूच किया।

इससे पहले भी सैकड़ों बेराजगारों ने मुख्यमंत्री आवास कूच किया। इस दौरान हाथीबड़कला में बेरोजगारों और पुलिस के बीच करीब दो घंटे तक झड़प हुई। एक महिला पुलिसकर्मी पर कूच में शामिल एक महिला के साथ मारपीट करने का भी आरोप लगा है। सोशल मीडिया पर इसका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। बेरोजगारों के इस व्यहार पर प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की।

समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश, पहले चरण में करीब 5500 उपनल कर्मचारियों को मिलेगा लाभ

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सरकार के उपनल कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन दिए जाने के फैसले से पहले चरण में 5500 कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। प्रदेश के उपनल कर्मचारी नियमित करने एवं समान काम के लिए समान वेतन दिए जाने की मांग कर रहे थे।

लंबित मांगों के लिए कर्मचारी पिछले 16 दिन से हड़ताल पर थे, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन दिए जाने का आदेश जारी हुआ। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी के मुताबिक पहले चरण में प्रदेश के करीब 5500 उपनल कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। हालांकि इसके बाद सभी कर्मचारियों को चरणबद्ध तरीके से समान काम के लिए समान वेतन का लाभ दिया जाना है।

Uttarakhand: वीरान गांवों में फिर आई बहार, 25 से 35 आयु वर्ग के 43% युवाओं ने किया रिवर्स पलायन.

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उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन के बीच प्रवासियों के गांव व घर वापसी करने में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। रिवर्स पलायन करने वालों में 25 से 35 आयु वर्ग के 43 प्रतिशत युवा प्रवासी वापस अपने गांव लौटे हैं।

अब कृषि, पशुपालन, पर्यटन, स्वरोजगार अपनाकर गांव की मिट्टी में जड़ें जमा रहे हैं। पलायन निवारण आयोग की रिवर्स पलायन की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार गांव से पलायन करने वाले कुल 6282 प्रवासी अपने गांव लौटे हैं। इसमें सबसे अधिक 43% 25 से 35 आयु वर्ग के प्रवासी है।

25 साल से कम आयु वर्ग में 28.66% और 35 साल से अधिक आयु वर्ग में 29.09% प्रवासियों ने गांव वापसी की है। रिवर्स पलायन में पौड़ी जिला पहले स्थान पर है। जबकि दूसरे पर अल्मोड़ा व तीसरे स्थान पर टिहरी जिला है।
गांव लौटे 39% ने कृषि को बनाया व्यवसाय-
रिवर्स पलायन कर प्रवासियों ने गांव में कृषि, पर्यटन, पशुपालन को मुख्य व्यवसाय के रूप में अपनाया। 39 प्रतिशत ने कृषि क्षेत्र में खेती, बागवानी, सब्जी उत्पादन, मसाले की खेती, औषधीय व सगंध फसलों की खेती, मधुमक्खी पालन, पुष्प उत्पादन, जैविक खेती, मशरूम उत्पादन शुरू किया। जबकि 21.5 प्रतिशत ने पर्यटन क्षेत्र में होमस्टे, होटल, रेस्टोरेंट, कैटरिंग व यात्रा सेवा में व्यवसाय शुरू किया। लगभग 18 प्रतिशत ने पशुपालन क्षेत्र में डेयरी, बकरी पालन, भेड़ पालन, पोल्ट्री पालन, मत्स्य पालन का का काम शुरू किया।
जिला लौटे जिला लौटे
पौड़ी 1213 रुद्रप्रयाग 342
अल्मोड़ा 976 चंपावत 324
टिहरी 827 नैनीताल 300
चमोली 760 देहरादून 201
उत्तरकाशी 448 हरिद्वार 141
बागेश्वर 368 यूएसनगर 38
पिथौरागढ़ 344 कुल  6282

कोविड महामारी के बाद रिवर्स पलायन में तेजी आई है। विदेशों, दूसरे राज्यों व प्रदेश के अंदर दूसरे जिलों में पलायन करने वाले लोगों में गांव लौटने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। आयोग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि प्रवासी लौटे 169 हैं विदेशों से विदेशों में अगस्त रह रहे 169 प्रवासी अपने गांव लौटे हैं। इसमें सबसे अधिक टिहरी जिला में 66 प्रवासी शामिल हैं। इसके अलावा देश के अन्य राज्यों में 4769 प्रवासी ने गांव लौटे। राज्य में अंदर ही दूसरे जिलों में पलायन करने वाले 1127 लौटे ने गांव की वापसी की है।

उत्तराखंड में लागू होगी देवभूमि परिवार योजना, उपनल सहित इन 12 प्रस्तावों पर लगी मुहर

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उत्तराखंड में देवभूमि परिवार योजना लागू होगी। देवभूमि परिवार योजना के तहत उत्तराखंड में रह रहे परिवारों की आईडी बनेगी। प्रदेश कैबिनेट की हुई बैठक में आज यह फैसला लिया गया। इसके अलावा 12 प्रस्तावों पर मुहर लगी।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में  कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। बैठक में 12 प्रस्तावों को मंजूरी मिली है। उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम कर्मचारियों के नियमितीकरण और वेतन के मामले में मंत्रिमंडल की उप समिति गठित होगी, जो दो महीने के भीतर देगी अपनी रिपोट सौंपेगी।

 

उपनल से विदेशों में भी मिलेगी नौकरी
निर्णय लिया गया कि उपनल के माध्यम से अब विदेशों में भी नौकरी मिलेगी। वहीं आपदा में मृतक आश्रितों को चार लाख के स्थान पर पांच लाख मिलेंगे। वही पक्का मकान ध्वस्त होने पर पांच लाख दिए जाएंगे।दैनिक, संविदा और तदर्थ कर्मचारियों के मामले में मंत्रिमंडल की उप समिति गठित होगी, जो इनके नियमितीकरण को लेकर कट ऑफ डेट तय करेगी। प्रदेश में देवभूमि परिवार योजना लागू होगी। देवभूमि परिवार योजना के तहत उत्तराखंड में रह रहे परिवारों की आईडी बनेगी।

प्रदेश में हड़ताल पर गए 22 हजार उपनल कर्मचारी

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लंबित मांगों पर अमल न होने से नाराज प्रदेश के उपनल कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। कर्मचारियों ने परेड ग्राउंड में धरना दिया। वहीं, कर्मचारियों की शासन में हुई वार्ता भी बेनतीजा रही। कर्मचारियों का कहना है, जब तक मांगों पर अमल नहीं होगा आंदोलन जारी रहेगा।

उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा, प्रदेश में कर्मचारी हितों की अनदेखी की जा रही है। हाईकोर्ट के वर्ष 2018 के आदेश के बाद भी कर्मचारियों को न तो नियमित किया गया न ही उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जा रहा है। उपनल के माध्यम से विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों की सेवाएं भी प्रभावित की गईं। इससे नाराज कर्मचारियों ने आवश्यक सेवाएं भी ठप कर दी। महासंघ के महामंत्री विनय प्रसाद के मुताबिक कर्मचारियों को गृह सचिव शैलेश बगौली ने वार्ता के लिए बुलाया था। वार्ता के दौरान आश्वासन दिया गया कि कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन का जल्द आदेश जारी किया जाएगा।

वहीं, कर्मचारियों के नियमितीकरण के मामले में भी शीघ्र कार्रवाई होगी, लेकिन कर्मचारियों का स्पष्ट कहना है कि बिना लिखित आश्वासन व आदेश के कर्मचारी आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। परेड ग्राउंड में धरना देने वालों में महासंघ के प्रदेश संयोजक हरीश कोठारी, कार्यकारी अध्यक्ष महेश भट्ट, संगठन मंत्री भूपेश नेगी, महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष मीना रौठाण आदि शामिल रहे।

Uttarakhand 22,000 UPNL employees went on strike in state essential services were also disrupted

देर रात भी परेड ग्राउंड में धरने पर रहे कर्मचारी
प्रदेशभर से देहरादून पहुंचे उपनल कर्मचारी देर रात भी परेड ग्राउंड में धरने पर रहे। कर्मचारियों का कहना है कि शासन ने आज भी वार्ता के लिए बुलाया है।

राज्य के 25 साल – विकास की रफ्तार या व्यवस्था की विकृति

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लेखक-  स्वतंत्र पत्रकार हरीश खखरियाल की कलम से….. 

“9 नवम्बर  2000…जब उत्तराखंड ने अलग राज्य बनने का सपना देखा था,तो उस सपने में शामिल  था – विकास, पारदर्शिता, रोजगार और ईमानदारी। आज, जब राज्य अपनी रजत जयंती मना रहा है,सवाल  उठता है —इन 25 सालों में उत्तराखंड ने क्या पाया, और क्या खो दिया ?”
सपना और सच्चाई का अंतर

“राज्य आंदोलन के दौरान नारा था —‘अपना राज, अपने लोग, अपनी पहचान।उम्मीद थी कि  शासन गावों तक पहुंचेगा और भ्रष्टाचार से मुक्त व्यवस्था  बनेगी, लेकिन  दो दशक बाद हकीकत कुछ  और ही बयान कर रही है।बेरोज़गारी, पलायन और भ्रष्टाचार की जडें अब हर विभाग में फैल चुकी हैं।
Claim Thousands of unemployed will be seen on the streets today, walking march up to 7 km | “बेरोजगार युवा बोले - GO बेरोजगारी GO”: सड़क पर उतरे सैकड़ों बेरोजगार, 7 Km

Uttarakhand News: 22 वर्ष के उत्तराखंड में पलायन ऐसा विषय, जिसका अभी तक नहीं हो पाया है समाधान - uttarakhand foundation day migration problem not solved in 22 years at uttarakhand

बढ़ता भ्रष्टाचार – सिस्टम में सडांध
 
राज्य गठन के साथ उम्मीद थी कि ‘छोटा राज्य, पारदर्शी शासन’ का सपना साकार होगा,मगर 25 साल बाद भ्रष्टाचार की जडें इतनी गहरी हैं कि  अब न्यायालयों को बार-बार दखल देना पड रहा है।​
Uttarakhand High Court Recruitment 2025 (eCourts.gov.in) New Notification
 
 विभागीय भ्रष्टाचार हो या भर्तियों  में धांधली —हाईकोर्ट  तक को कई बार CBI जााँच के आदेश देने पडे। बागवानी विभाग को किसानों  की आत्मा कहा जाता है,वहां तक भ्र्ष्टाचार की गंध पहुंच चुकी है,किसानों  के लिए  बनी योजनाएं , सब्सिडी  और ग्रांट्स फाइलों में अटककर अफसरशाही की भेंट चढ़ गईं।हालात इतने बिगड़े कि हाईकोर्ट को खुद  बागवानी  विभाग के भ्रष्टाचार की जााँच CBI से कराने के आदेश देने पडे।
CBI to question bank officials under scanner in 8.5 lakh mule accounts case - The Economic Times
और यह कहानी सिर्फ  एक विभाग की नहीं —सडक निर्माण  से लेकर खनन, शिक्षा और भर्ती परीक्षाओं तक,हर जगह ‘सिस्टम सवालों  के घेरे में है।

पेपर लीक और बेरोज़गारों की हताशा

पेपर लीक कांड ने युवाओं के भरोसे को तोड़ दिया  है। जिस युवा शक्ति को राज्य की रीड बनना था,,वही  आज  आज सडकों पर है,अपने हक़ और मेहनत की कीमत मांगते  हुए हर कुछ  महीनों में भर्ती  परीक्षाओं की जााँच, रद्दीकरण,और आंदोलनों की आवाज बनकर  सुनाई  देती है।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने 10 फरवरी को उत्तराखंड बंद का आह्वान किया है – दिप्रिंट – एएनआईफ़ीड
पलायन रुकने के बजाय और बढ़ा है —आज पहाडों से हर रोज़ सैकडों युवा  रोज़गार की तलाश में मैदान की ओर उतर रहे हैं।​
अपराध और असुरक्षा – बदलता उत्तराखंड

कभी शांत प्रदेश कहा जाने वाला  उत्तराखंड अब अपराध की खबरों से भी अछूता नहीं रहा। हत्या, लूट और दुष्कर्म जैसी वारदातें अब यहां की सुर्ख़ियों में शामिल हैं,सवाल  उठता है — क्या हम वाकई  उस उत्तराखंड में हैं,जिसका  सपना 2000 में देखा गया था?”
 

विकास की रफ्तार – उप्लभ्धियाँ भी कम नहीं 

इन सबके बीच, उत्तराखंड ने विकास की राह पर भी कई कदम बढ़ाए हैं। चारधाम यात्रा के तलए ऑल वेदर  रोड प्रोजेक्ट,हवाई सेवाओं  का विस्तार,और शिक्षा स्वास्थ्य  के नए संस्थान — ये उप्लभ्धियाँ राज्य की प्रगति की तस्वीर दिखाती  हैं। पर्यटन , योग, और जैविक खेती के क्षेत्र में भी उत्तराखंड ने नई पहचान बनाई है। आज राज्य का GDP 3 लाख करोड के करीब पहुंच  रहा है,और प्रति व्यक्ति  आय में भी बढ़ोतरी हुई है।लेकिन सवाल वही  —क्या विकास का लाभ हर पहाडी गावं तक पहुंचा ?जनता का सवाल – जवाबदेहि कहां है?

जब हर कुछ  सालों में एक नया घोटाला सामने आता है,जब हर भर्ती  पर संदेह हो,जब युवाओं  की आाँखों में विश्वास की जगह निराशा  हो —तब रजत जयंती के जश्न पर ताली बजाना मुश्किल  हो जाता है। सवाल है  — क्या ये 25 साल जनता के लिए बदलाव  लाए या सिर्फ कुर्सियों के लिए ?

निष्कर्ष  – उम्मीद अब भी बाकी है

उत्तराखंड की कहानी संघर्ष से शुरू हुई थी,और उम्मीदों पर अटकी हुई है।ये राज्य युवाओं  की मेहनत और पहाडों की ईमानदारी से बना है।अगर राराजनीतिक इइच्छाशक्ति  ईमानदार हो,तो अगला अध्याय भरोसे और पारदर्शिता  का लिखा  जा सकता है। राज्य का सवाल अब भी वही  है —‘क्या खोया, क्या पाया?’ जवाब आने वाले सालों में तय करेगा कि पहाड़ों का सपना अधूरा रहेगा या पूरा होगा।”
“25 साल बाद भी सवाल वही  — भ्रष्टाचार बनाम विकास | उत्तराखंड @ 25”
 
ये लेखक के अपने स्वतंत्र विचार हैं… 

उत्तराखंड में ₹3.56 लाख करोड़ के निवेश समझौते, 1 लाख करोड़ के प्रस्तावों पर काम शुरू

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मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी आज नई दिल्ली में PHD चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के 120वें वार्षिक सत्र में सम्मिलित हुए,मुख्यमंत्री  ने कार्यक्रम में उपस्थित उद्यमियों व विभिन्न औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधिगणों का स्वागत करते हुए कहा कि PHD चैम्बर ने बीते 120 वर्षों में देश की आर्थिक प्रगति, औद्योगिक विकास और उद्यमशीलता की भावना को सशक्त करने में जो भूमिका निभाई है वो अतुलनीय है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम इस महत्वपूर्ण सत्र में “भारत की एक विश्वसनीय वैश्विक साझेदार के रूप में उभरती भूमिका” और उसमें उत्तराखंड राज्य के योगदान जैसे विषय पर सार्थक विचार-विमर्श के लिए एकत्रित हुए हैं। हम सभी जानते हैं कि किसी भी देश की आर्थिक प्रगति में उद्योगों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उद्योग न केवल रोजगार के अवसर उत्पन्न करते हैं, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग के जीवन स्तर को सुधारने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।कहा कि जब देश के उद्योगपति, उद्यमी और नीति-निर्माता एक साथ राष्ट्र उत्थान पर चिंतन और मंथन के लिए जुटते हैं, तो उसका प्रभाव केवल उद्योग जगत तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग के कल्याण और राष्ट्र के समग्र विकास का मार्ग भी प्रशस्त करता है। यह कॉन्क्लेव केवल उद्योग जगत का सम्मेलन भर नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक शक्ति, सांस्कृतिक चेतना और वैश्विक नेतृत्व की नई संभावनाओं के द्वार खोलने वाला एक सशक्त मंच है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में “रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म” की नीति ने भारत को एक नई दिशा प्रदान की है। आज भारत में न केवल निवेश के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ है, बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय जैसे क्षेत्रों में भी व्यापक परिवर्तन आया है| आदरणीय मोदी जी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया और इस संकल्प को साकार करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य भी किया जा रहा है।

 

‘वोकल फॉर लोकल’, ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी पहलों के माध्यम से देश आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। यही नहीं, आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम खड़ा करने वाला देश बन चुका है। आज हमारे स्टार्टअप्स ग्लोबल इनोवेशन में अपनी पहचान बना रहे हैं, डिजिटल इंडिया ने आम नागरिक तक तकनीक को पहुँचाया है और आत्मनिर्भर भारत अभियान ने देश को उत्पादन और विनिर्माण का हब बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है। आज विश्व के बड़े बड़े देश ये देखकर अचंभित हैं कि भारत में सब्जी की एक छोटी सी दुकान लगाने वाली महिला भी UPI के के माध्यम से मोबाइल से पेमेंट का लेनदेन कर रही है।आज देश के 55 करोड़ से अधिक लोग बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ चुके हैं।चाहे कृषि उत्पादन हो, रक्षा का क्षेत्र हो, चिकित्सा, ऊर्जा, या विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी हो या फिर अंतरिक्ष अनुसंधान का क्षेत्र हो, भारत प्रत्येक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनकर विकास और समृद्धि के नए-नए आयाम स्थापित कर रहा है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और आने वाले समय में तीसरे स्थान पर पहुँचने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। जो देश पहले भारत को केवल एक बड़े उपभोक्ता बाजार के रूप में देखा करते थे, आज वही देश भारत की प्रौद्योगिकी और नवाचार की क्षमता को चुनौती के रूप में देखने लगे हैं |क्योंकि भारत अब केवल सामान आयात करने वाला देश नहीं रहा, बल्कि निर्यात, विनिर्माण और तकनीकी विकास में विश्व का अग्रणी साझेदार बन रहा है। हमारी बढ़ती शक्ति से घबराकर कुछ देश हमारे बढ़ते कदमों को रोकने के असफल प्रयास भी कर रहे हैं। परन्तु भारत के उद्योग जगत के संकल्प, सामर्थ्य और नवाचार ने ये सिद्ध कर दिया है कि कोई भी शक्ति हमारे विकास के मार्ग में बाधा नहीं बन सकती। भारत के दो दिवसीय दौरे पर आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री कीर स्टार्मर ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है कि “भारत 2028 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा और आज के दौर में भारत वैश्विक निवेश के लिए सबसे भरोसेमंद और सुरक्षित गंतव्य बन चुका है।

 

उत्तराखंड में ₹3.56 लाख करोड़ के निवेश समझौते, 1 लाख करोड़ के प्रस्तावों पर काम शुरू

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रधानमंत्री जी जहाँ एक ओर ‘स्वदेशी अपनाओ’ के मंत्र के साथ आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सशक्त बना रहे हैं। वहीं नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी सुधारों के माध्यम से नागरिकों को राहत प्रदान करने के साथ-साथ हमारे स्थानीय उद्योगों और व्यापारियों को भी एक नई ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हमारी सरकार भी उत्तराखंड में औद्योगिक विकास की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। हमारी सरकार ने राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2023 में ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट का आयोजन किया। हमारे लिए अत्यंत गर्व का विषय है कि हमें इस समिट के अंतर्गत प्राप्त हुए 3.56 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश समझौतों में से लगभग 1 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने में सफलता मिली है। हमने राज्य में निवेशक केंद्रित नीतियों, बुनियादी ढांचे, कुशल जनशक्ति और सुशासन के द्वारा स्वस्थ निवेश वातावरण की उपलब्धता सुनिश्चित की है। पहले राज्य में मैनुफ़ैक्चरिंग युनिट लगाने के लिए अलग-अलग विभागों से विभिन्न प्रकार की स्वीकृतियां लेनी पड़ती थी जिसमें बहुत समय लगता था। इस समस्या के समाधान के लिए हमने जहां एक ओर उद्योगों की लाइसेंसिंग प्रोसेस को आसान बनाते हुए सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था में सुधार किया,वहीं औद्योगिक नीति, लॉजिस्टिक नीति, स्टार्टअप नीति और MSME नीति सहित 30 से अधिक नीतियां लाकर राज्य में उद्योगों को बेहतर माहौल उपलब्ध कराने का प्रयास भी किया।इसके साथ ही, विनिर्माण क्षेत्र में बड़े उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए हमारी सरकार ने राज्य में मेगा इंडस्ट्रियल पॉलिसी भी लागू की है। इसके अलावा जहां हम स्टार्टअप को इनक्यूबेशन सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 60 करोड़ रुपए की लागत से विश्वस्तरीय यू-हब की स्थापना कर रहे हैं, वहीं, उन्हें आसानी से फंड उपलब्ध कराने हेतु 200 करोड़ रुपए के वेंचर फंड की स्थापना भी की गई है। यही नहीं, राज्य में निवेश प्रोत्साहन के लिये यूके-स्पाईस नाम से निवेश प्रोत्साहन एजेंसी स्थापित कर निवेशकों को समर्पित “निवेश मित्र” की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है

 

उत्तराखंड में काशीपुर, सितारगंज, पंतनगर और रुद्रपुर में नए औद्योगिक पार्क और टाउनशिप विकसित

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जहां एक ओर काशीपुर में अरोमा पार्क, सितारगंज में प्लास्टिक पार्क, काशीपुर में इलैक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर, पंतनगर में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना की है, वहीं, MSME क्षेत्र के उद्यमियों को प्लग एंड प्ले मॉडल पर उद्यम स्थापना हेतु SIDCUL द्वारा रुद्रपुर, सेलाकुई और हरिद्वार में कम लागत वाली फ्लैटेड फैक्ट्रियाँ भी तैयार की जा रही हैं। इतना ही नहीं, हम किच्छा फार्म में हजार एकड़ से अधिक भूमि पर एक स्मार्ट इंडस्ट्रियल टाउनशिप विकसित करने की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, हम औद्योगिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को सुविधाजनक आवास सुलभ कराने हेतु “रेंट बेस्ड एकोमोडेशन” सुविधा भी विकसित कर रहे हैं।आज हमारी पहल “हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रांड” राज्य के सभी आर्गेनिक उत्पादों को एक अम्ब्रेला के नीचे लाने में कारगर सिद्ध हो रही है।इसके अंतर्गत, राज्य के विभिन्न उत्पादों की जीआई टैगिंग कर विश्व स्तरीय पहचान दिलाने का कार्य किया जा रहा है। राज्य की महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाए गए उत्पाद वैश्विक पहचान बना रहे हैं | हमारी सरकार राज्य में मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सीमम गवर्नेंस की अवधारणा को मूर्त रूप देने का प्रयास कर रही है। हमनें मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के माध्यम से राज्य में 10 हजार से अधिक नए उद्यमियों को लाभान्वित किया गया है। आज हम प्रदेश में 260 से अधिक व्यावसायिक सेवाओं को पूर्णतः ऑनलाइन उपलब्ध करा रहे हैं। इससे उद्यमियों को विभिन्न विभागों के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं रह गई है और व्यवस्था में पारदर्शिता तथा गति दोनों सुनिश्चित हुई है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे इन सभी प्रयासों का परिणाम है कि आज ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में उत्तराखंड को एचीवर्स तथा स्टार्टअप रैंकिंग में लीडर्स की श्रेणी प्राप्त हुई है। हमारी सख्ती और पारदर्शिता का सीधा लाभ हमारे उद्यमियों को मिल रहा है और उन्हें योजनाओं की स्वीकृति, जमीन आवंटन, औद्योगिक लाइसेंस या अन्य व्यावसायिक गतिविधियों में अब अनावश्यक बाधा का सामना नहीं करना पड़ता। हम उत्तराखंड को देश के अग्रणी “इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली स्टेट” के रूप में स्थापित कर देश का अग्रणी राज्य बनाने के अपने “विकल्प रहित संकल्प” को पूर्ण करने हेतु निरंतर कार्य कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून में 28 से 30 नवंबर 2025 तक आपदा प्रबंधन पर विश्व शिखर सम्मेलन (WSDM) आयोजित होने वाला है, जिसमें वैश्विक नेता और विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर चर्चा करेंगे। इस पहले WSDM प्री-समिट का उद्देश्य आपदाओं से निपटने के लिए नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देना है।

Uttarakhand: सरस आजीविका मेले में CM धामी ने किया 1.20 करोड़ की आर्थिक गतिविधियों का लोकार्पण. 

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सरस आजीविका मेले में 1.20 करोड़ की आर्थिक गतिविधियों का लोकार्पण.

Rishikesh:  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सी.एल.एफ. हेतु 1.20 करोड़ रुपये की 12 आर्थिक गतिविधियों का लोकार्पण किया। इसके साथ ही 10 अन्य सी.एल.एफ. के लिए 1 करोड़ रुपये की प्रस्तावित आर्थिक गतिविधियों का शिलान्यास भी किया गया। मुख्यमंत्री ने मेले में ‘Rising Tehri – Physics Wala Online Coaching Class’ का शुभारंभ किया, जिससे ग्रामीण युवा अपने गांव में रहकर जेईई और नीट जैसी प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर सकेंगे।

 

मुख्यमंत्री ने ग्राम्य विकास विभाग और जिला प्रशासन द्वारा ‘ग्रामोत्थान परियोजना’ के तहत की गई पहलों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह मेला ग्रामीण संस्कृति, कौशल और उद्यमिता को प्रदर्शित करने का अनूठा मंच है। मेले के माध्यम से स्थानीय उत्पादों और ग्रामीण कारीगरों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने सभी से अपील की कि मेले में लगे स्टॉल से स्वदेशी उत्पाद खरीद कर ‘स्वदेशी अपनाओ’ अभियान को मजबूत करें और महिला उद्यमियों के सपनों में निवेश करें।

महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता के नए आयाम-

मुख्यमंत्री ने लखपति दीदी योजना के तहत अब तक 1.65 लाख महिलाओं को लखपति बनने का गौरव प्राप्त होने की जानकारी दी। ‘मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना’ के माध्यम से महिलाओं द्वारा 2000 से अधिक स्टॉल लगाकर 5.5 करोड़ रुपये का विपणन किया गया। ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड से स्वदेशी उत्पादों की वैश्विक पहुंच बनी।

 

राज्य में 68 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों में 5 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं। महिला किसान सशक्तिकरण योजना और फार्म लाइवलीहुड के माध्यम से 3 लाख से अधिक महिला किसानों की क्षमता विकसित की गई है। 2.5 लाख किचन गार्डन स्थापित किए गए और लगभग 500 फार्म मशीनरी बैंक उपलब्ध कराए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सभी पहलों से महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है और मातृशक्ति आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही है।

कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, स्वयं सहायता समूह के सदस्य, ग्रामीण उद्यमी और स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

युवाओं के बीच धरने पर पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सीबीआई जांच को लेकर धरनास्थल पर ही की सीबीआई जांच की संस्तुति

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मुख्यमंत्री धामी ने परेड ग्राउंड में आंदोलन कर रहे युवाओं के बीच पहुंचकर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की गत सप्ताह आयोजित परीक्षा प्रकरण की सीबीआई जांच कराने पर सहमति दे दी है।
छात्रों के आग्रह पर वहीं मौके पर ही सीबीआई संस्तुति को लेकर पत्र पर हस्ताक्षर भी कर दिए , ताकि मन में किसी के भी कोई संशय न रह सके .

युवाओं का पहले सुना पक्ष ,फिर रखी अपनी बात-

सीएम ने युवाओं का पक्ष सुनने के बाद कहा कि युवा इस त्योहारी सीजन में इतनी गर्मी के बीच आंदोलन कर रहे हैं, इससे खुद उन्हें भी अच्छा नहीं लग रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार का एक ही संकल्प है कि परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए। विगत चार साल में सरकार ने इसी संकल्प के अनुसार काम किया है।

 

खूबसूरत सपनों की बुनियाद है छात्रों कि परीक्षा तैयारी –

युवाओं से अपील करते हुए धामी ने कहा कि वो जानते हैं कि उत्तराखंड के युवा और छात्र पढ़ाई के बाद सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करते हैं। इसी आधार पर उनके पास जीवन के लिए खूबसूरत सपने होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने खुद ऐसी परिस्थितियों को देखा है, छात्रों और युवाओं के बीच काम करते हुए, इसका अनुभव लिया है।
युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विगत दिनों सामने आए प्रकरण की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी द्वारा की जा रही है। कमेटी ने काम भी शुरु किया है, लेकिन फिर भी युवा सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं,तो मैं भी इसके लिए तैयार हूं,इसमें कोई रुकावट नहीं आएगी।

कार्यालय में भी हो सकती थी बात लेकिन महसूस करने आया हूं आपकी परेशानी को –

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वो चाहते तो ये बातचीत कार्यालय में भी हो सकती थी, लेकिन युवाओं के कष्ट को देखते हुए, उन्होंने खुद धरना स्थल पर आने का निर्णय लिया है, वो पूरी तरह युवाओं के साथ हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले चार साल में पारदर्शी तरीके से 25 हजार से अधिक सरकारी भर्तियां की है, इमसें कहीं कोई शिकायत नहीं आई है। सिर्फ एक प्रकरण में यह शिकायत आई है, इसलिए युवाओं के मन से हर तरह की शंका को मिटाने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

 

विगत दिनों भी छात्रों को यही आश्वाशन दिया –

सीएम धामी ने कहा कि विगत सप्ताह भी जब युवा उनसे मिले थे तब भी उन्होंने न्होंने स्पष्ट कर दिया था कि सरकार चाहती है कि युवाओं के मन में कोई अविश्वास, संदेह या शंका न रहे। इसलिए वो बिना किसी को बताए सीधे यहां परेड ग्राउंड में चले आए हैं।

 

मुकदमें वापस होंगे-

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आंदोलन के दौरान यदि युवाओं पर कहीं कोई मुकदमें दर्ज हुए हैँ तो उन्हें वापस लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अमृतकाल के विकसित भारत में उत्तराखंड देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बने, इसमें युवाओं की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होगी।8 दिन से देहरादून के परेड ग्राउंड स्थित छात्रों से मिलने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौके पर ही जा पहुंचे,सीएम ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि पीड़ा है मुझे की इस धूप गर्मी में आप सभी युवा छात्रों को धरने पर बैठना पड़ा ,लेकिन सरकार हमेशा से प्रदेश के युवाओं के साथ है .

पेपर लीक…… समस्या जनता की याददाश्त की है !

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परीक्षाएं सही से नहीं करवा पाएंगे,,पेपर लीक होते रहेंगे,,नकल माफिया जेल से बाहर आते रहेंगे,,,और जब बेरोजगार अपनी आवाज उठाने के लिए इक्क्ठे होंगे,,,तो धारा 163 लगा देंगे,,,क्या  अब सच में इस प्रदेश में युवाओं की सबसे बड़ी समस्या रोजगार से जुड़े इस अहम पहलू पर कोई ध्यान दे भी रहा है की नहीं ,,,,,,क्या इस प्रदेश में एक सख्त नकल विरोधी कानून के बाद भी नौकरियों की खरीद फरोख्त जारी है,,,,ताजा घटनाक्रम ने कई पुराने सवालों को एक बार फिर से ज़िंदा कर दिया है ,,,जो सवाल थोड़े से मद्दम हो चले थे,,एक बार फिर उठने शुरू हो गए हैं,,,आज के वीडियो में विस्तार से पुरे घटनाक्रम को आपको बताएंगे,,,पुलिस से लेकर आयोग और छात्रों के हर आरोप से आपको रु बरु करवाएंगे,,,साथ ही वो ऑडियो भी आपको दिखाएंगे जो इन उठते  सारे सवालों की वजह बना है,,

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा एक बार फिर सवालों के घेरे में है,,,रविवार को परीक्षा शुरू होने के कुछ ही देर बाद पेपर लीक होने का दावा सामने आया, जिससे भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगे हैं ,,,मामला तब और गंभीर हो गया जब बेरोजगार संघ अध्यक्ष राम कंडवाल और सुरेश सिंह के साथ ही उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार सहित त्रिभुवन सिंह चौहान और मोहित डिमरी ने भी इस मुहीम को आगे बढ़ा दिया ,,,,,,उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष और बेरोजगार संघ के पूर्व अध्यक्ष बॉबी पंवार ने  दावा किया कि परीक्षा का पेपर शुरू होते ही बाहर आ गया था।  पंवार ने वायरल स्क्रीनशॉट का हवाला देते हुए तत्काल जांच की मांग की। बेरोजगार संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम कंडवाल ने कहा कि संघ ने पहले ही प्रशासन को पेपर लीक की आशंका जताई थी। उन्होंने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि इतनी सतर्कता के बावजूद पेपर बाहर आना सरकार और आयोग की नाकामी ही है। कंडवाल ने कहा  कि हर बार पेपर लीक कैसे हो जाता है????/ सरकार और आयोग जवाब दें।  मामला तब और गरमा गया जब इस मामले में पूछताछ के लिए उत्तराखंड पुलिस और हरिद्वार SOG ने बॉबी पंवार पर ही सवालों की बौछार कर दी ,, पंवार के सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर उठाये आयोग के विरुद्ध सवालों पर ,,जिससे युवाओं में और ज्यादा रोष बढ़ गया 

 

दरअसल रविवार की दोपहर लगभग 12 बजे सोशल मीडिया पर वायरल हुए कथित पेपर के स्क्रीनशॉट ने अभ्यर्थियों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया,,,,यहां गौर करने वाली बात ये है कि एक दिन पहले ही यानी शनिवार को एसटीएफ और स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप एसओजी ने कुख्यात नकल माफिया हाकम सिंह  और उसके सहयोगी पंकज गौड़ को परीक्षा के संबंध में  देहरादून से  ही  गिरफ्तार  कर लिया था ,,, ये दोनों अभ्यर्थियों को परीक्षा में पास कराने का झांसा देकर 12 से 15 लाख रुपये तक की मांग कर रहे थे,,,,जिसका एक कथित ऑडियो भी वायरल हुआ,,, ये ऑडियो पंकज गौड़ का  का बताया जा रहा है,

यह ऑडियो जिसमें कोटद्वार के एक अभ्यर्थी से 15 लाख में चयन करवाने का दावा किया जा रहा है,,,,इसके वायरल होने के बाद पुरे प्रदेश के युवाओं में रोष फैल गया,,,,हाकम सिंह के एक बार फिर एक्टिव होने पर लोग हर जगह यही पूछ रहे हैं कि आखिर हाकम सिंहं का हाकिम कौन है,,,जबकि पुलिस कह रही है कि हाकम सिंह का कोई हाकिम नहीं,,, पुलिस ने ये साफ़ इशारा कर दिया की हाकम का कोई हाकम नहीं ,, बल्कि ये एक गिरोह है ,,,पुलिस का ये इशारा भी कई सवालों को जन्म दे रहा है कि  आखिर कोई भी एक मामूली सा आदमी इतना बड़ा खेल करता आ रहा है और वो भी बिना किसी सरपरस्ती के ????।खैर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मामले के खुलासे के साथ कहा था कि हाकम कुछ अभ्यार्थियों को कोरा झांसा देकर 12 से 15 लाख रुपये ऐंठने के फिराक में था, लेकिन वहीं दूसरी ओर सह-आरोपी पंकज गौड़ का इकबालिया बयान और हाकम की कॉल रिकॉर्डिंग गहरी साजिश का खुलासा कर रही है।

पंकज गौड़ के बयान के  मुताबिक़ वो खुद परीक्षा में बैठने वाला था। उसने हाकम तक पहचान निकाली और उससे संपर्क बनाया। हाकम ने उसे परीक्षा पास करवा नौकरी लगवाने का भरोसा दिलाया। उसने पंकज को कहा कि यदि वह 15-15 लाख के पांच उम्मीदवार लाएगा तो उसके 12 लाख रुपये बच जाएंगे, यानी उसका काम फ्री में हो जाएगा। यह बयान खुद पंकज ने पुलिस को दिया है, जिससे जाहिर होता है कि वह हाकम की पहुंच पर भरोसा कर रहा था, इसलिए वह खुद भी रुपये देने को तैयार था।
पुलिस की जांच के मुताबिक शुरुआत में पंकज की मुलाक़ात उत्तरकाशी के ओटगांव निवासी रोबिन प्रसाद से हुई थी, जो परीक्षा पास करने के लिए पंकज गौड़ के संपर्क में था। पंकज से पूछताछ में पता चला कि वह अरुण पंवार, रोबिन नौटियाल, गुलशन, मोनिका डोभाल, काला के संपर्क में था, जिन्हें उसने यकीन दिलाया था कि हाकम उसके संपर्क में है। उन्हें यकीन दिलाया है कि 15 लाख रुपये देने पर परीक्षा पास करवा कर नौकरी लगवा दी जाएगी।

इसी क्रम हाकम सिंह  की कॉल रिकॉर्डिंग भी वायरल हो रही है, जिसमें वह साफ कह रहा है कि इस बार पिछली गलती नहीं करनी। पिछली बार 12-12 लाख में ज्यादा अभ्यर्थियों का जिम्मा लिया था, जिस वजह से मामला बिगड़ गया। इस बार ज्यादा पैसे और कम काम होगा, यानी 15 लाख लेकर कुछ अभ्यर्थियों का ही काम किया जाएगा, ताकि किसी को शक न हो। पंकज ने इकबालिया बयान दिया है कि उसने अन्य अभ्यर्थियों को परीक्षा पास कराने के लिए अपनी तरफ से तीन लाख रुपये बढ़ाकर बताए थे, ताकी उसका काम फ्री में हो जाए। उसे हाकम के जरिये रुपये कमाने का लालच भी आ गया था। इस बयान से विरोधाभास सामने आ रहा है कि पंकज एक तरफ तो हाकम की पहुंच पर भरोसा करके खुद भी 12 लाख देने वाला था,
 

जांच के क्रम में एक पैन ड्राइव की रिकॉर्डिंग भी पुलिस को मिली, जिसमें हाकम 21 सितंबर को होने वाली परीक्षा पास कराने व नौकरी लगाने का दावा कर रहा है, यह रिकॉर्डिंग भी जाहिर करती है कि साजिश कहीं गहरी थी, जिसमें बड़े स्तर पर मिलीभगत की आशंका है। इसमें हाकम 15 लाख रुपये की राशि के एवज में अभ्यर्थी को परीक्षा में ओएमआर शीट खाली छोड़ने को कह रहा है, जिसे बाद में भरा जाएगा, इससे जाहिर होता है कि वह अभ्यर्थियों को कोरा झांसा नहीं दे रहा था। उसके पास ट्रिक और लिंक दोनों थे।  दूसरी तरफ  पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी कह रहे हैं कि दोनों गिरफ्तार आरोपी अभ्यर्थियों को कोरा झांसा दे रहे थे, उनके परीक्षा पास कराने के दावे को लेकर कोई लिंक नहीं मिले।

अब पुलिस जांच का एक पहलू और देखिये,,,,देहरादून  पुलिस और आयोग ने  प्रेस वार्ता करके खुलासा किया कि पेपर का सिर्फ एक सेट यानी तीन ही पन्ने हरिद्वार के एक सेंटर से एक अभ्यर्थी के लिए बाहर आया था,,, इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह शामिल नहीं, इसलिए पूरी परीक्षा की शुचिता पर सवाल खड़ा नहीं होता,,,यह पेपर सिर्फ कुछ लोगों के बीच ही पहुंचा,,, है न कमाल की बात,,, पुलिस खुद कह रही है कि एक सेट बाहर आया था,,और कुछ लोगों के बीच पहुंचा था,,,और ऐसे में कहा जा रहा है कि इससे पूरी परीक्षा की शुचिता पर सवाल खड़ा नहीं होता,,,इतनी बड़ी लापरवाही सामने आती है और आयोग कह रहा है कि सवाल उठाना लाजमी नहीं है,,,खासकर तब जब आयोग के मुखिया  गणेश मर्तोलिया कोई और नहीं बल्कि उत्तराखंड पुलिस के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं ,, कई जिलों की कमान खुद संभल चुके हैं,, उसके बाद भी उनका ये जवाब गले से नीचे नहीं उतरता ,,,

जांच में एक और बात सामने आयी है कि खालिद नाम का कोई शख्स है जिसके लिए पेपर बाहर आया,,,अब  उसके संपर्क में आए छात्रों की जांच व तलाश जारी है,,, पुलिस के अनुसार  खालिद पूरे कांड का प्रमुख है, जो खुद हरिद्वार के एक सेंटर में परीक्षा देने बैठा था,,,पुलिस को  आशंका है कि उसके लिए ही पेपर बाहर आया ताकि उस तक सवालों के जवाब पहुंचाए जा सके,,,सेंटर से खालिद की बहन तक के पास पेपर के स्क्रीन शॉट पहुंचे,,, बहन ने टिहरी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत सहायक प्रोफेसर सुमन तक वो स्क्रीनशॉट भेजे और सवालों के जवाब मांगे,,, सुमन ने जवाब भेज दिए लेकिन बाद में शक होने पर पुलिस के पास जाने लगीं लेकिन उससे पहले बॉबी पंवार से बात की,,,,इससे एक बात और स्पष्ट होती  है कि अब ऐसी धांधलियों में पुलिस से ज्यादा लोगों को उत्तराखंड के युथ और  बॉबी पंवार पर भरोसा है,,,

यहां एक और चीज घटित हुई,,,महिला प्रोफेसर  पुलिस के सामने बताती है कि उनके  द्वारा  प्रकरण की जानकारी पुलिस को देने हेतु एक प्रार्थना पत्र लिखा गया था लेकिन बॉबी पंवार द्वारा उक्त महिला से पेपर के स्क्रीनशॉट मांगते हुए उसे इस सम्बन्ध में पुलिस को अवगत न करने के लिये कहा गया,,,,जिसके बॉबी पंवार द्वारा बिना किसी सक्षम अधिकारी को प्रकरण के सम्बन्ध में  अवगत कराये बिना  परीक्षा प्रणाली को सनसनीखेज बनाने के उद्देश्य से उक्त स्क्रीनशॉट्स को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया,,,जिन्हें कुछ अन्य लोगों द्वारा भी सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रसारित करते हुए सरकार तथा सिस्टम के विरूद्ध आपत्ति जनक पोस्ट की गई। अब इन बातों की भी पुलिस जांच कर रही है,,,,की आखिर बॉबी पंवार ने पुलिस के सक्षम अधिकारी को इस मामले से अवगत कराये बगैर खुद ही जज बनने की कोशिश क्यों की 

 
 
 

इन्हीं सवालों के बीच पुलिस ने बॉबी की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है,,,मुख्य आरोपी खालिद फरार बताया जा रहा है,,जबकि उसकी बहिन को गिरफ्तार कर लिया गया है,,,साथ ही इस पुरे प्रकरण को सामने लाने वाली महिला प्रोफ़ेसर के खिलाफ भी जांच शुरू हो गयी है,,,बॉबी पंवार भी कह रहे हैं ,,,कि इस पुरे प्रकरण की जांच सीबीआई करे और पहली शुरुआत उनसे ही की जाय,,,सरकार भी कह रही है कि अब आरोपी बख्से नहीं जायेंगे,,,,सवाल कई हैं कि आखिरकार जब परीक्षा में मोबाईल नहीं ले जा सकते तो फिर अंदर से फोटो बाहर कैसे आ गए,,,जब परीक्षा केंद्रों पर जैमर लगे होते हैं,ऐसे में फोटो बाहर आना अपने आप में परीक्षा की तैयारियों पर सवाल उठाता है,,,इस पुरे प्रकरण में हाकम सिंह की गिरफ्तारी में जिस  युवा ने प्रमुख भूमिका निभाई वो हैं बेरोजगार संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल,,,उन्होंने पांच दिन तक रिक्शे में घूम कर नकल माफिया की खोज की,,,,स्कूटी से उत्तरकाशी तक गए,,,,जो 15 लाख वाला ऑडियो हमने आपको इससे पहले सुनाया वो भी राम कंडवाल के कारन ही हो पाया,,,,ऐसे युवाओं को इस प्रदेश को आज के समय में सबसे ज्यादा जरूरत है,,,

अब जरा  जिन पर इन सभी परीक्षाओं को निर्विवाद रूप से कराने की जिम्मेदारी है उन आयोग के चेयरमैन गणेश शंकर मर्तोलिया का बयान भी  सुन लीजिए,,,ताकि सनद रहे ,,, मर्तोलिया साहब कह रहे हैं कि सिर्फ तीन पन्ने बाहर आये हैं इसको पेपर  लीक होना नहीं कहा जा सकता,,,,तो साहिब पेपर लीक होना कहते किसको हैं ,,जरा ये ज्ञान वर्षा भी कर दीजिये ,,,खैर बयां सुनिए साहब का 
तो पूछा ये भी जाना चाहिए कि आखिर पेपर लीक फिर किसे कहा जाता है,,,

सवाल ये है कि 11 बजे पेपर शुरू होता है और दावे के अनुसार 11. 30 बजे वो तीन पन्ने बाहर आ जाते हैं,,,और मर्तोलिया साहब कह रहे हैं कि  इसको पेपर  लीक होना नहीं कहा जा सकता,,,,तो फिर वही बता दें कि इसको क्या कहा जाता है,,,और फिर पेपर लीक किसे कहते हैं,,,उनका बयान सुन कर तो एक वरिष्ठ भूवैज्ञानिक एमपीएस बिष्ट ने , What a joke.,,कहकर मर्तोलिया साहब को सर्टिफिकेट ही दे दिया ,,,,,,..खैर चेयरमैन आयोग गणेश मर्तोलिया ने यह भी बताया कि परीक्षा केंद्रों पर जैमर लगाए गए थे, जिससे यह सवाल उठता है कि इतने सुरक्षा उपायों के बावजूद ये पन्ने बाहर कैसे आए,,,,,कमाल की बात ये है कि भाजपा के कुछ नेता खुद कह रहे हैं कि तीन पन्ने बाहर आये लेकिन पेपर लीक नहीं हुआ और ये सरकार के खिलाफ षड्यंत्र है,,,कमाल करते हैं हमारे नेता जी
सवाल फिर वही कि किसके दम पर जमानत पर जेल से बाहर आया शख्स फिर ऐसे घटनाक्रम करने की हिम्मत जुटा पा  रहा है,,मतलब हाकम का हाकिम तो कहीं न कहीं vip बना बैठा ही है ,,वैसे vip से हमारा अभिप्राय सिर्फ हाकम के हाकिम को लेकर ही है ,, कृपया इसे किसी बच्ची की निर्मम हत्या से न जोड़ा जाए ,,,,
एक बात और है पानी पी पी कर त्रिवेंद्र सिंह रावत को हाकम के मामले में कोसने वाले खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को अब सोचना होगा ,, क्यूंकि हाकम के खिलाफ सबसे पहले और बुलंद आवाज़ में विरोध करने वाले पहले भाजपाई खुद त्रिवेंद्र सिंह रावत ही बन गए हैं ,, ,, अक्सर
पूर्व मुख्य्मंत्री और हरिद्वार संसद त्रिवेंद्र सिंह रावत जो 2023 में बेरोजगारों पर लाठीचार्ज का भी विरोध कर चुके हैं,,,उन्होंने एक बार फिर कड़ी कार्यवाही  और न्यायिक जांच की मांग की है,,,अब त्रिवेंद्र के नक़ल को लेकर लिए गए कड़े तेवर ये तो साबित करते ही हैं की हाकम सिंह की तस्वीर सिर्फ एक ही ज़ुबान नहीं बोलती ,,यकीन नहीं तो इन कुछ तस्वीरों पर ही नज़र दाल लीजिये ,,,ऐसे में उमेश कुमार की आवाज़ बाकी के चित्रित नेताओं को घेरने के लिए भी उठेगी ये देखना महत्वपूर्ण होगा ,, और अगर आवाज़ उठी तो उसका तीखापन भी मायने रखेगा ,,, खैर अपने बयान से ये तो त्रिवेंद्र ने साफ़ कर दिया की हाकम का हाकिम अभी वाइट कॉलर में आसपास ही मौजूद है जिसपर कड़ी कार्यवाही की बात वो कर रहे हैं ,,,

खैर त्रिवेंद्र सिंह रावत को छोड़कर सत्ता पक्ष का कोई भी नेता फिर चाहे वो महेंद्र बाहुबली हों या फिर कुछ दिन पहले पुलिस को कोसने वाले विधायक ख़ज़ान दास हों या आपदा में जिलाधिकारी देहरादून को अपशब्द कहने वाले मंत्री गणेश जोशी हों ,,  कोई भी बेरोजगार युवाओं की मांग पर साथ नहीं दिखाई दे रहा है,,,,,सब के सब ऐसे चुप्पी साधे बैठे हैं ,,उम्मीद विपक्ष से भी थी ,,,,,कि युवाओं की इस पीड़ा में वो उनकी आवाज में अपनी आवाज मिलाते,,,,लेकिन अफ़सोस विपक्ष के नेता सिर्फ शोसल मिडिया और अपने मुख्यालय में ही इसका विरोध करते रह गए,,,,इससे एक बात और साबित होती है कि विपक्ष के रूप में कांग्रेस भी सिर्फ उन मुद्दों पर आगे आती है जो उनकी राजनीती को सूट  करता है,,,एक तरफ राहुल गांधी युवाओं की बात करते नहीं थकते तो दूसरी तरफ उनकी पार्टी का कोई भी बड़ा नेता युवाओं के साथ सड़क पर खड़ा नहीं दिखाई दिया,, गढ़वाल से लोकसभा चुनाव लड़ चुके पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने जरूर दिल्ली एयरपोर्ट से एक सन्देश युवाओं को दिया जिसमे साफ़ उनकी तरफ से कहा गया की वो निजी तौर पर युवाओं के साथ कंधे से कन्धा मिलकर खड़े हैं ,, देहरादून वापिस पहुँचते ही तमाम प्रदेश के युवा मुझे परेड गरिउण्ड में अपने बीच पाएंगे

कुछ और भी सवाल हैं जो इस परीक्षा के बाद सामने आये हैं ,,,,कुछ परीक्षा देने वाले छात्रों ने कई शंशय इस परीक्षा पर जताये हैं,,,इन युवाओं की कुछ और शंकाएं हैं जो इस परीक्षा ही नहीं इस पुरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा कर रही हैं,,,

अब इस पुरे घटनाक्रम के बाद बेरोजगार संघ के आह्वाहन पर देहरादून की सड़कों पर एक बार फिर सरकार और आयोग के खिलाफ युवाओं की भारी भीड़ जमा है ,,,,पुलिस ने इस पुरे इलाके में धारा 163 लागू की,,,लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में युवा यहां पहुंचे,,,हालत बिगड़े नहीं इसके लिए कई जगहों से आ रहे युवाओं को रास्ते  में भी रोका गया,,,,बावजूद इसके युवाओं की भारी भीड़ देहरादून में जमा हो गयी,,,हालाँकि पिछली बार से सबक लेते हुए पुलिस इस बार काफी सतर्क दिखाई दे रही है ,,,संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल के साथ पेपर लीक से गुस्साए प्रदेश भर के युवा देहरादून के परेड मैदान में डटे हुए हैं। बेरोजगार संघ ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करने की मांग रखी है।उनकी साथ ही मांग है कि 21 सितंबर को होने वाली परीक्षा को स्थगित किया जाए।पूर्व में  इसके लिए मुख्यमंत्री से लेकर आयोग के अध्यक्ष से भी संघ के पदाधिकारियों ने मुलाकात की थी। लेकिन युवाओं की इस बात को पूरी तरह से अनदेखा किया गया।सिर्फ देहरादून ही नहीं कुमाऊं के हल्द्वानी में भी युवा इसके खिलाफ एकत्र हुए,,,,

 
 
 

बेरोजगार युवा परेड ग्राउंड में सोमवार सुबह से अभी तक डटे हुए हैं,,, सड़क पर ही रात गुजार रहे हैं ,,वहीँ चूल्हा जला खाना भी खा रहे हैं ,, मतलब एक बार फिरसे युवाओं ने खूँटा गाड़ दिया है अपनी मांगों को लेकर ,,,वैसे इसे इस प्रदेश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि प्रदेश का भविष्य सड़कों पर सोने को मजबूर हो गया है,,, जब प्रदेश के लोग अपने घरों में चैन की नींद सोये हुए हैं ,,ये युवा उन्हीं के बच्चों के भविष्य के लिए  सड़कों पर ,सर के नीचे ईंट पत्थर को तकिया बना खुले में सोये हुए हैं , इन युवाओं के जज्बे को सलाम जरूर किया जाना चाहिए ,,, 
ऐसे में हमारी भी प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपील है की वो निष्पक्ष रूप से प्रदेश के भविष्यकर्ता  युवाओं के दोषियों को ऐसी सजा दिलवाएं की अगली बार कोई माफिआ कैसा भी हो ,,,वो हिम्म्मत न कर सके प्रदेश के भविष्य से खिलवाड़ करने की ,, 

इस मुद्दे पर तेज़ तर्रार पत्रकार और प्रदेश गठन कीलड़ाइ में शामिल रहे आंदोलनकारी गजेंद्र रावत की कलम भी गरज़ पड़ी है ,, गजेंद्र तीखा व्यंग करते हुए लिखते हैं कि पेपर लीक नहीं हुआ… बस एक सेंटर से तीन पेज टहलने निकल गए ठीक वैसे ही जैसे नैनीताल में जिला पंचायत सदस्य किडनैप नहीं हुए… वो तो बस घूमने-फिरने गए थे ,,,दरअसल असल में समस्या पेपर या नेताओं की नहीं है, समस्या जनता की याददाश्त की है…क्योंकि इस प्रदेश में हर बार नई पैकिंग में वही पुराना सामान बिक ही जाता है,और खरीदार भी जनता ही होती है,,,, उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों से हजारों लोगों ने सिर्फ इसलिए पलायन किया कि उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले और उनका बच्चा भी कॉम्पिटेटिव एक्जाम में बैठने लायक बन जाए । अपना पेट काटकर बच्चों को प्ले ग्रुप से लेकर 12वीं तक पढाने के बाद अपना तन मन धन झोंककर बच्चों को कोचिंग दिलवाई उन्हें परीक्षा में पास करने लायक भी बनाया  की वो इस लायक बन सके की  प्रतियोगी परीक्षा पास कर सके ,,,  लेकिन हाकम सिंह जैसे अपराधियों ने योग्य बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते हुए 12 से 15 लाख रुपए में पेपर खरीदने वालों को नौकरियां बेचने का काम कर दिया ,, वो भी फिर से,,,
यह सिर्फ किसी बच्चे के सपने खत्म होने का मसला नहीं है बल्कि सरहद पर बैठे उस फौजी के साथ भी बहुत बड़ी धोखाधड़ी है जिसने अपने बच्चों को इस आस के साथ पढ़ने के लिए शहरों में भेजा है कि कल के दिन उसका बच्चा किसी लायक बन जाएगा,,,,,18 से 20 साल तक किसी परिवार की मेहनत, उसके बच्चे की लगन, उसका पैसा सब कुछ हाकम सिंह जैसों के सामने सरेआम बिकने लग जाए तो ऐसे हाकम सिंह को जेल से बाहर ही क्यों आने दिया जाए , ,जिस   देहरादून की गलियों में कभी जाकर देखिए किस प्रकार गरीब के बच्चे परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं.कभी उन लाइब्रेरी में जाकर देखिए जहाँ एक वक्त का खाना खाकर बहुत सारे बच्चे इस आस में पढ़ने के लिए बैठे होते हैं कि इस बार तो पेपर पास हो ही जाएगा. ऐसे प्रतिभावान बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करना किसी भी बड़े अपराद से कम नहीं हो सकता ,,,,
उत्तराखंड के 70 विधायक और आठ सांसदों से यह पूछा जाना चाहिए कि तुम अपने बच्चों को क्यों बेहतरीन स्कूलों में पढ़ा रहे हो?इसलिए ना कि कल के दिन तुम्हारे बच्चे किसी लायक बन जाए अगर तुम्हारे बच्चों के भविष्य के साथ हाकम सिंह जैसे अपराधी आज सरेआम इतने बड़े अपराध को अंजाम दे रहे हैं तो तुम्हारा विधायक और सांसद होना क्या मायने रखता है?
यह सवाल उन अधिकारियों कर्मचारी और समाज के हर उस व्यक्ति से भी है कि जो अपने बच्चों को अच्छा भविष्य दिलाना चाहते हैं
गजेंद्र लिखते हैं कि   आखिरकार इतना बड़ा भारी भरकम नकल विरोधी कानून आने के बावजूद हाकम सिंह जैसी ताकत जिंदा क्यों है?

अंत में एक बात तो साफ़ है कि  सरकार को सख्ती और बरतनी होंगी ,युवाओं की आवाज़ को गंभीरता से सुन्ना होगा ,,और नक़ल माफिआ हाकम सिंह ,झूठा रॉब ग़ालिब कर लोगों के पैसे ऐंठने वाले हिमांशु चमोली ,सत्ता की लालसा में अपनी बेटी का सौदा करने वाली अनामिका शर्मा और चन्दन मनराल जैसे प्रदेश पर लगे धब्बों को पूरी ताकत से न केवल मिटाना होगा ,, बल्कि इंच बराबर भी ऐसे ककरोज़ फिर से न पनप पाएं उसके लिए मजबूत तरीके से पुलिसिया पेस्ट कण्ट्रोल करना होगा ,,,धामी जी आपको अपने नेताओं अधिकारिओं में से उनकी पहचान भी करनी होगी जो ऐसे गंदे कृत्य में शामिल हैं ,, उनको भी सलाखों के पीछे पहुंचाने की जिम्मेदारी आपकी ही है