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PM Modi Uttarkashi Visit: देश तक पहुंचा शीतकालीन यात्रा का संदेश, चारधाम यात्रा का आधार भी होगा तैयार.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की केमेस्ट्री से बहुत कम समय में उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा देश-दुनिया की नजरों में आ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा और खूबसूरत हर्षिल से पूरे देश में शीतकालीन यात्रा का संदेश पहुंचा। उन्होंने जिस अंदाज में उत्तराखंड की यात्रा का प्रमोशन किया है, वह अभूतपूर्व है। इसके बाद उत्तराखंड के शीतकालीन पर्यटन के सरपट दौड़ने की पूरी उम्मीद की जा रही है। इससे चारधाम यात्रा की मजबूती का आधार पर तैयार होगा।

प्रधानमंत्री का यह प्रवास उस वक्त हुआ है, जब दो महीने की शीतकालीन यात्रा शेष है। इसके बाद 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा का श्रीगणेश होना है। ऐसे में प्रधानमंत्री के एक प्रवास ने उत्तराखंड की दोनों यात्राओं के लिए बेहतर आधार तैयार कर दिया है। प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड का हर तरह से प्रमोशन किया। प्रमोशन के लिए घाम तापो पर्यटन की बात हो, धर्माचार्यों और योगाचार्यों से शीतकाल में योग शिविर आयोजित करने की बात हो, कॉरपोरेट को सेमिनार का सुझाव हो, फिल्म निर्माताओं को फिल्मों की शूटिंग के लिए आह्वान हो या फिर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर से अपील हो, सबने अपना अलग प्रभाव छोड़ा है।

रजत जयंती वर्ष में सबसे गंभीर प्रयास-

उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीतकालीन यात्रा का सबसे बड़ा प्रमोशन कर दिया है। इस यात्रा के प्रमोशन के लिए इससे पहले कभी इतने गंभीर प्रयास नहीं हुए। उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा के साथ प्रधानमंत्री के जुड़ाव के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जो प्रयास किए थे, उसका सार्थक परिणाम सामने आया है। बहुत कम समय में उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा और पर्यटन देश-दुनिया की नजरों में आ गए हैं।

 

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फिर साबित हुए सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर-

प्रधानमंत्री एक बार फिर उत्तराखंड के लिए सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर साबित हुए हैं। केदारनाथ धाम का उदाहरण सामने है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता से श्रद्धालुओं के पहुंचने के नए रिकार्ड बने हैं। शीतकालीन यात्रा का हिस्सा बनने की इच्छा प्रधानमंत्री ने 28 जनवरी को राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ के मौके पर ही जाहिर कर दी थी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से भावनात्मक लगाव ही है, वह कार्यक्रम में बदलाव के बावजूद मुखवा-हर्षिल पहुंच गए।

मुखबा हर्षिल निहाल, पीएम-सीएम का आभार-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखवा आगमन से पूरा क्षेत्र निहाल है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहला अवसर है, जबकि कोई प्रधानमंत्री मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल पर पूजा-अर्चना के लिए पहुंचा हो। गंगोेत्री मंदिर के सचिव सुरेश सेमवाल का कहना है-यह अवसर गौरवान्वित करने वाला है। तीर्थ पुरोहित और लोक कलाकार रजनीकांत सेमवाल कहते हैं-मुखवा का चयन करने के लिए पीएम व सीएम के प्रति हम आभारी हैं।

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एक दिवसीय दौरे पर मुखबा-हर्षिल पहुंचे प्रधानमंत्री, उत्तराखंड में अब घाम तापो पर्यटन, नए विजन का मंत्र दे गए। उन्होंने कहा कि ये दशक उत्तराखंड का है, प्रगति के लिए नए रास्ते खुले हैं। उनका दौरा कई मायनों में यादगार बन गया। जाते-जाते वह शीतकाली यात्रा के लिए सीएम धामी की पीठ थपथपाकर भी गए। वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो भारत-तिब्बत सीमा से जुड़े उत्तराखंड के चमोली और पिथौरागढ़ सीमावर्ती जिलों के बाद अब उत्तरकाशी के मुखबा और हर्षिल पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज होगा। वो देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल पहुंचेंगे।

चारधाम शीतकालीन यात्रा का संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को सीमांत जिले उत्तरकाशी के गंगोत्री धाम के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा और हर्षिल की यात्रा पर पहुंचे। पीएम सुबह भारतीय वायु सेना के विशेष विमान से सुबह जौलीग्रांट स्थित देहरादून एयपोर्ट पहुंचे। यहां से उन्होंने एमआई-17 से उत्तरकाशी के लिए उड़ान भरी।

गंगा मंदिर में पूजा अर्चना की-
प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा में दर्शन किए। उन्होंने करीब बीस मिनट तक गर्भगृह में पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही पीएम मोदी के नाम एक रिकॉर्ड दर्ज हो गया। वह देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो  मां गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल पहुंचे। यहां उन्होंने सबसे पहले मां गंगा के शीतकालीन प्रवासस्थल मुखबा स्थित गंगा मंदिर में पूजा अर्चना की।

पीएम ने 20 मिनट तक मां गंगा की विशेष पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद पीएम मोदी ने हर्षिल की खूबसूरत वादियों का दीदार किया। पीएम ने मुखबा मंदिर और हर्षिल व्यू प्वाइंट से वादियों का निहारा। इसके बाद पीएम ने हर्षिल में ट्रैकिंग व बाइक रैली को फ्लैग ऑफ किया। गंगा आरती के बाद प्रधानमंत्री ने हर्षिल में जनसभा को संबोधित किया।

पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें-

 

  • पीएम मोदी ने गढ़वाली भाषा में अपने भाषण की शुरुआत की। कहा- म्यारा प्यारा भाई भेणी, मेरी सयवा सोंदी।
  • कहा कि मां गंगा ने मुझे बुलाया है। मुझे लगता है कि मां गंगा ने मुझे गोद ले लिया है।
  • पीएम मोदी ने सरकार को बारहमासी पर्यटन का विजन दिया। कहा इससे सालभर रहने वाले रोजगार के अवसर मिलेगा।
  • पीएम ने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का बन रहा है। कहा कि उत्तराखंड की प्रगति के लिए नए रास्ते खुले हैं। उन्होंने शीतकालीन पर्यटन को महत्वपूर्ण कदम है।
  • पीएम ने कहा कि घाम तापो पर्यटन उत्तराखंड के नया आमाम लेकर आएगा।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि माणा, जादूंग, टिम्मरसैंण में तेजी से पर्यटन बढ़ रहा है। ऐसी व्यवस्था करेंगे जिससे  उत्तराखंड हर सीजन में ऑन सीजन रहेगा।
  • प्रधानमंत्री ने लोगों से उत्तराखंड में आकर शादी करने की अपील की। उन्होंने कहा कि डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए उत्तराखंड को चुने। साथ ही उन्होंने फिल्मों की शूटिंग के लिए उत्तराखंड को बेहतर बताया।
  • उत्तराखंड में 50 टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित करने की बात पीएम मोदी ने कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है।
  • कॉरपोरेट घरानों से आग्रह किया कि वह अपनी बैठकों के लिए उत्तराखंड आएं।
  • पीएम मोदी ने कहा कि यहां विंटर योगा सेशन आयोजित किए जाएं।
  • पीएम ने सरकार से कहा कि सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के लिए प्रतियोगिता आयोजित करें। वह उत्तराखंड के विंटर टूरिज्म पर शॉर्ट फिल्म बनाएं। जो सबसे अच्छी बनाएं उन्हें इनाम दें। इससे प्रदेश के खूबसूरत स्थलों की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी।

चीणा का भात और फाफरे के पोले…पहाड़ी भोज के मुरीद हुए मोदी-

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहाड़ से हमेशा ही प्रेम रहा है। वह यहां जब भी आते हैं तो कुछ नया जरूर करते हैं। आज वह सीमांत गांव उत्तरकाशी के मुखबा में मां गंगा की पूजा के लिए पहुंचे। पूजा के बाद उन्होंने पहाड़ी खाने का स्वाद चखा। जानकारी के अनुसार, पीएम मोदी ने स्थानीय उत्पाद चीणा का भात और फाफरे के पोले और क्षेत्र की स्वादिष्ट राजमा के साथ बद्री गाय की दही मठ्ठा का सेवन किया। चीणा और फाफरा का उत्पादन जनपद के हर्षिल घाटी और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होता है। तो वहीं यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होता है। मुखबा में स्थानीय महिलाओं ने यह पकवान तैयार कर पीएम मोदी को परोसा।

पीएम मोदी ने किया हर्षिल की मनमोहक वादियों का दीदार, नजारा देख हुए मंत्रमुग्ध

प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले मां गंगा के शीतकालीन प्रवासस्थल मुखबा स्थित गंगा मंदिर में पूजा अर्चना की। पीएम ने 20 मिनट तक मां गंगा की विशेष पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद पीएम मोदी ने हर्षिल की खूबसूरत वादियों का दीदार किया। पीएम ने मुखबा मंदिर और हर्षिल व्यू प्वाइंट से वादियों का निहारा। इसके बाद पीएम ने हर्षिल में ट्रैकिंग व बाइक रैली को फ्लैग ऑफ किया। हर्षिल उत्तराखंड का ऐसा पर्यटन स्थल है जो हिमालय की गोद में शांति और सुकून की तलाश करने वाले लोगों के लिए एक दम मुफीद है। यह समुद्र तल से 2500 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर भागीरथी नदी के तट पर स्थित है। सर्दियों में यहां की वादियां बर्फ से लकदक नजर आती हैं। वहीं, गर्मियों में यहां का नजारा हरियाली से भरपूर दिखता है। यहां कई ट्रेकिंग रूट भी हैं जहां का पर्यटक दीदार कर सकते हैं।

 उत्तराखंड में अब घाम तापो पर्यटन, नए विजन का मंत्र दे गए मोदी

हर्षिल में जनसभा को संबोधिl करते हुए पीएम मोदी ने जहां सरकार को विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए खास मंत्र दिया वहीं, लोगों से विंटर सीजन में उत्तराखंड आने की अपील भी की।

Haridwar News: सीएम धामी बोले- इस बार चारधाम यात्रा होगी और बेहतर, लगातार की जा रही है समीक्षा.

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चारधाम यात्रा इस बार सुगम होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्वस्त किया कि चारधाम यात्रा को लेकर लगातार समीक्षा की जा रही है, जिससे कि यात्रियों को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़ा।

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस बार चार धाम यात्रा और बेहतर होगी। आने वाले सभी श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों के लिए हर चीज व्यवस्थित हो, सुविधाजनक यात्रा हो, लोगों को कम से कम कष्टों का सामना करना पड़े, हर मामले में हम लगातार समीक्षा कर रहे हैं।

 

 

सीएम धामी ने कहा कि पिछले वर्षों के अनुभव के आधार पर यात्रा को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

खुद बर्फ के बवंडर से निकले, फिर लोडर किया स्टार्ट…31 जिंदगियों के लिए ऐसे देवदूत बना चालक

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माणा गांव के पास हुए हिमस्खलन के दौरान लोडर चालक (बर्फ हटाने वाला वाहन) खुद बर्फ के बवंडर से बचकर निकला और 31 मजदूरों के लिए भी देवदूत बनकर आया। लोडर चालक ने 31 मजदूरों को जब सुरक्षित जगह पहुंचाया तो इसके बाद फिर जबरदस्त हिमस्खलन हुआ लेकिन तब तक सभी लोग वहां से सुरक्षित निकल चुके थे।

माणा के पास हिमस्खलन के दौरान लोडर चालक लड्डू कुमार पंडित ने सूझबूझ का परिचय दिया। लड्डू कुमार ने बताया कि वह टिन शेड में रह रहे थे जिसमें 23 लोग थे। सुबह करीब सात बजे कोई शौचालय में था तो कोई अन्य काम में लगा हुआ था।

Chamoli Avalanche loader driver who escaped from the snow storm himself saved 31 lives

अचानक बर्फ का भारी बवंडर आया और हम सभी उसमें दब गए। वह किसी तरह बर्फ से निकले और बाहर आकर लोडर को स्टार्ट किया। तब तक अन्य लोग भी बर्फ से बाहर आ गए और सब लोडर में बैठकर आगे बढ़ने लगे। बताया कि थोड़े आगे जाने के बाद अन्य आठ लोग भी हमारे साथ आ गए।

Chamoli Avalanche loader driver who escaped from the snow storm himself saved 31 lives

जैसे ही हम कुछ दूरी पर आगे बढ़े फिर बर्फ का भयंकर बवंडर आया। यदि हम जल्दी नहीं निकलते तो सभी उसमें दब जाते।उन्होंने बताया कि कुछ आगे चलने पर सेना का खाली कैंप है जिसमें आठ लोगों को ठहराया और फिर हम 23 लोग शेष नेत्र आश्रम पहुंचे। यहां चार से पांच फीट बर्फ थी। यहां से बर्फ हटाई गई और आश्रम का ताला तोड़कर अंदर गए।

Chamoli Avalanche loader driver who escaped from the snow storm himself saved 31 lives

कुछ देर रुकने के बाद हम लोडर में बैठकर बीआरओ के कैंप में पहुंचे। दूसरे दिन उन्हें हेलिकॉप्टर से ज्योतिर्मठ लाया गया। श्रमिक राम कुमार व धीरज ने बताया कि उनके साथियों को चोटें आई हैं जिसमें एक के पैर में तो एक के सिर पर बड़ा घाव हुआ है। चोट कैसे लगी यह पता ही नहीं चला। सब कुछ इतनी जल्दी हो गया कि कुछ समझ नहीं आया। हमारे साथ अन्य सभी लोग सुरक्षित हैं।

हर्षिल-मुखबा में प्रधानमंत्री पहनेंगे बादामी-स्लेटी रंग की भेंडी, ये है खास तैयारी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर्षिल और मुखबा दौरे के दौरान भेड़ की ऊन से बनी बादामी और स्लेटी रंग की भेंडी (कोट) पहनेंगे। इसके साथ ही ब्रह्मकमल और तिरंगे और लाल रंग की पट्टी लगी हुई पहाड़ी टोपी भी उनके लिए तैयार की गई है।

PM Modi Uttarkashi Visit During Harshil-Mukhba visit will wear beige grey coloured coat made of sheep wool

पीएम नरेंद्र मोदी जब कभी देश-दुनिया के दौरे पर जाते हैं तो उनकी वेषभूषा पर सबका ध्यान होता है। वह अपने दौरे के दौरान उस क्षेत्र की वेषभूषा पहनकर स्थानीय लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। इसी क्रम में आगामी 6 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी भारत-चीन सीमा पर बसे हर्षिल और मुखबा के दौरे पर आ रहे हैं। उनके इस दौरे के लिए उत्तरकाशी की स्थानीय वेषभूषा ऊन की भेंडी के साथ पजामा और पहाड़ी टोपी तैयार की गई है।

इस पहाड़ी परिधान को वीरपुर डुंडा नालंदा एसएचजी महिला स्वयं सहायता समूह की भागीरथी नेगी ने तैयार किया है। जबकि सुरेंद्र नैथानी ने इस पूरी ड्रेस की सिलाई की है। भागीरथी नेगी ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी के लिए बादामी और स्लेटी रंग में दो भेंडी कोट तैयार किए गए हैं। वहीं सफेद रंग के दो पजामे भी बनाए हैं। टोपी को भी भेंडी के रंग के अनुरूप बनाया गया है। इन टोपियों में तिरंगे के केसरी, हरी और सफेद रंग की पट्टी के साथ बल के प्रतीकात्मक लाल रंग की पट्टी और ब्रह्मकमल बनाया गया है।

परिधान दस दिन के भीतर तैयार किए गए
उन्होंने बताया कि भेड़ की ऊन की हाथ से कताई कर यह परिधान तैयार किए गए हैं। इसमें किसी भी प्रकार के केमिकल का प्रयोग नहीं की गया है। इसे इस तरीके से तैयार किया गया है कि इसकी ऊन में किसी भी प्रकार की चुभन न हो। खास बात यह है कि यह परिधान दस दिन के भीतर तैयार किए गए हैं।

वीरपुर डुंडा निवासी भागीरथी नेगी किन्नौरी समुदाय से आती हैं। भेड़ की ऊन से कपड़े तैयार करने का उनका पुश्तैनी काम है। वे लंबे समय से महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं। उन्होंने बताया कि हर्षिल और मुखबा प्रवास के दौरान पीएम मोदी के जनपद की स्थानीय वेषभूषा पहनने से भेंडी और ऊन के कपड़ों को अच्छी ब्राडिंग मिल सकती है।

Uttarakhand: इस बार 2 मई को खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट, महाशिवरात्रि के शुभ पर्व पर घोषित हुई तिथि.

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ऊधमसिंह नगर जिले में ग्रीष्मकालीन धान की खेती पर लगे प्रतिबंध को इस साल के लिए हटा लिया गया है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक समाचार एजेंसी के माध्यम से दी। इस प्रतिबंध का किसान संगठनों ने लगातार विरोध किया था। किच्छा विधायक तिलकराज बेहड़ ने आंदोलन की चेतावनी दी थी, जबकि गदरपुर विधायक अरविंद पांडेय ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर प्रतिबंध हटाने की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले साल इस पाबंदी को फिर से लागू किया जा सकता है।

पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में आज महाशिवरात्रि के अवसर पर केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग की मौजूदगी में श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय हुई। आचार्य द्वारा पंचांग गणना के अनुसार मंदिर के कपाट खुलने की तिथि व समय घोषित किया गया।

इसके लिए केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग भी ऊखीमठ पहुंच गए थे। पुजारी शिव शंकर लिंग, बागेश लिंग और गंगाधर लिंग ने बताया कि ओंकारेश्वर मंदिर में सुबह छह बजे से पूजा-अर्चना शुरू हुई। बाबा केदार को बाल भोग, महाभोग लगाते हुए आरती की गई। इसके उपरांत रावल भीमाशंकर लिंग की मौजूदगी में श्री केदारनाथ धाम के कपाट दो मई को खोले जाने की तिथि घोषित की गई।

 

भू कानून,कितना सख्त कितना नरम?- गरिमा मेहरा दसौनी

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कैबिनेट में आज भू कानून को हरी झंडी मिल गई। ऐसे में उत्तराखंड की एक बहु प्रतीक्षित मांग पर कार्यवाही की गई। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तराखंड कांग्रेस की नेत्री गरिमा मेहरा दसौनी ने धामी सरकार से कुछ सवाल किए हैं। दसौनी ने कहा कि आज उत्तराखंड राज्य लैंड बैंक के मामले में पूरी तरह से बैंकरप्ट हो चुका है, आज सवाल हमारे अस्तित्व का है। दसौनी ने कहा कि सवाल बड़ा यह उठता है कि उत्तराखंड में सब तरफ आखिर भू कानून की मांग क्यों उठ रही।गरिमा ने कहा कि पिछले 24 सालों में उत्तराखंड की भूमि का खुलकर चीरहरण हुआ और उसकी पूरी तरह से जिम्मेदार भाजपा की सरकारें रही है।

 

पहली बार बनी भाजपा सरकार नहीं कर पाई ये फैसले 

2000 में राज्य गठन के समय पर 2 साल के लिए भाजपा की अंतरिम सरकार बनी और परीसंपत्तियों का ठीक तरीके से बंटवारा नहीं हो पाया जिसके चलते आज की तारीख में भी उत्तराखंड की करोड़ों अरबों की भूमि उत्तर प्रदेश की गिरफ्त में है ।उसके बाद की पहली निर्वाचित तिवारी सरकार हो या भुवन चंद खंडूरी सरकार उन्होंने भूमि की खरीद फरोख्त पर सख्त नियम बनाए, परंतु 2018 में आई त्रिवेंद्र रावत सरकार ने पूरी तरह से उत्तराखंड की भूमि को सेल पर लगा दिया.

उत्तराखंड की भूमि को खुली लूट

दसोनी ने धामी सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आज जिस तरह से त्रिवेंद्र रावत सरकार के समय के भू कानून से जुड़े हुए सभी प्रावधानों को निरस्त किया गया है उससे कांग्रेस के आरोपों की पुष्टि होती है की धामी सरकार भी मानती है की 2017 और 2021 के बीच त्रिवेंद्र रावत की प्रचंड बहुमत और ट्रिपल इंजन की सरकार ने उत्तराखंड की भूमि को खुली लूट और छूट के लिए भू माफियाओं के सामने खुला छोड़ दिया।
दसोनी ने कहा कि क्या धामी सरकार उस दौरान बिकी हुई भूमि भी उत्तराखंड को वापस दिला पाएगी ?और तो और धामी सरकार में एक और आत्मघाती कदम उठाया गया था वह था लैंड यूस में बदलाव।
गरिमा ने बताया कि पूर्व वर्ती सरकारों में यह नियम था कि कोई भी व्यक्ति खरीदी हुई भूमि पर 2 साल के अंदर-अंदर जिस प्रयोजन के लिए भूमि ली गई है उसका काम शुरू नहीं करता तो वह भूमि स्वत: सरकार में निहित हो जाएगी परंतु धामी सरकार ने इस नियम में बदलाव करते हुए लोगों को समय अवधि और परपज दोनों में खुली छूट दे दी ।

गरिमा ने कहा की क्या वह प्रावधान भी निरस्त होगा? दसोनी ने कहा कि यह विडंबना ही है कि आज तमाम सरकारें नए जिलों की बात तो करती हैं परंतु नए जिले बनाने के लिए उत्तराखंड के पास जमीन नहीं है। गरिमा ने यह भी पूछा कि सत्ता रूढ़ दल के मंत्री और विधायक जिस तरह से प्रतिबंधित भूमि पर रिसॉर्ट और होटल बना रहे हैं क्या उन पर भी कार्यवाही होगी और पेनाल्टी ली जाएगी ?
गरिमा ने कहा कि उत्तराखंड का भू कानून हिमाचल की तरह सख्त नहीं हिमाचल से भी अधिक सख्त होने की जरूरत है क्योंकि हिमाचल प्रदेश तो समय रहते चेत गया था और उसने अपनी काफी भूमि बचा ली परंतु उत्तराखंड के पास अब बचाने के लिए कुछ भी नहीं है उत्तराखंड का तो पूरा अस्तित्व ही खतरे में है, ऐसे में धामी सरकार के द्वारा लाया जा रहा भू कानून कितना सख्त है या कितना नरम यह तो भविष्य ही तय करेगा।

धामी सरकार का भू कानून, अब ये हुए बदलाव !

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देहरादून: उत्तराखंड में सख्त भू कानून को मिली मंजूरी

उत्तराखंड सरकार ने राज्य में भूमि खरीद-बिक्री से संबंधित नियमों को और सख्त बना दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट ने एक नए भू कानून को मंजूरी दी है, जो राज्य के संसाधनों की सुरक्षा और बाहरी व्यक्तियों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद को रोकने के लिए बनाया गया है।

क्या हैं नए भू कानून के प्रमुख प्रावधान?

  1. त्रिवेंद्र सरकार के 2018 के सभी प्रावधान निरस्त
    • पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार द्वारा 2018 में लागू किए गए सभी प्रावधानों को नए कानून में समाप्त कर दिया गया है।
  2. बाहरी व्यक्तियों की भूमि खरीद पर प्रतिबंध
    • हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर, उत्तराखंड के 11 अन्य जिलों में राज्य के बाहर के व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।
  3. पहाड़ों में चकबंदी और बंदोबस्ती
    • पहाड़ी इलाकों में भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित करने और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी।
  4. जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित
    • अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी मामलों में सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया होगी।
  5. ऑनलाइन पोर्टल से होगी भूमि खरीद की निगरानी
    • प्रदेश में जमीन खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जमीन खरीद को दर्ज किया जाएगा।
  6. शपथ पत्र होगा अनिवार्य
    • राज्य के बाहर के लोगों को जमीन खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके।
  7. नियमित रूप से भूमि खरीद की रिपोर्टिंग
    • सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
  8. नगर निकाय सीमा के भीतर तय भू उपयोग
    • नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा।
    • यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया, तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी।

क्या होगा नए कानून का प्रभाव?

  • इस कानून से उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे राज्य के निवासियों को अधिक लाभ मिलेगा।
  • भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा और राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत होगी।
  • सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।

निष्कर्ष

उत्तराखंड सरकार का यह नया भू कानून राज्य की भौगोलिक और सामाजिक संरचना को बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे राज्य के मूल निवासियों को प्राथमिकता मिलेगी और भूमि से जुड़े विवादों में भी कमी आएगी। हालांकि, इससे निवेश पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन सरकार का मानना है कि यह राज्य की दीर्घकालिक सुरक्षा और विकास के लिए आवश्यक कदम है।

 

बजट सत्र के बीच हुई कैबिनेट बैठक, ऐतिहासिक कदम…सख्त भू-कानून पर लगी मुहर

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उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन आज भू-कानून संशोधन संबंधी विधेयक आ सकता है। कुछ अन्य रिपोर्ट भी सदन पटल पर रखने के प्रस्ताव आने की संभावना है।

 

कैबिनेट में भू कानून पर मुहर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए आज कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, साथ ही प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो जाता है कि हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। निश्चित तौर पर यह कानून प्रदेश के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा।

जनभावना के अनुरूप हर संकल्प पूरा करेंगे

विधानसभा सत्र के दौरान भू-कानून लाए जाने को लेकर बने संशय से जुड़े सवाल पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भाजपा की सरकार वे सभी कार्य करेगी, जो जनभावना के अनुरूप होंगे। चाहे वह भू-कानून हो या कोई अन्य कानून या संकल्प।

सीएम धामी का विपक्ष पर तंज

सीएम धामी ने विपक्ष पर तंज कर कहा कि एक तरफ आप कहते हैं कि सदन की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए। वहीं, सदन की जो अवधि रखी गई उसमें भी आप चर्चा नहीं करते हैं। जो समय राज्य के विकास के लिए चर्चा में लगाया जाना चाहिए, उसे हो-हल्ला करके नष्ट करते हैं। राज्य के संसाधन खराब करते हैं।

राज्य सरकार लगातार भू-कानून को और सख्त बनाने पर जोर दे रही है। इसके लिए इसी विधानसभा सत्र में भू-कानून संशोधन संबंधी विधेयक आ सकता है। कैबिनेट की बैठक में इसका प्रस्ताव आ सकता है। इसके अलावा अन्य रिपोर्ट भी सदन पटल पर रखने के प्रस्ताव आने की संभावना है।

Uttarakhand: UCC में लिव-इन संबंधों के पंजीकरण पर HC ने कहा- बिना शादी निर्लज्जता से रह रहे, निजता का हनन कैसे

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नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के यूसीसी में लिव-इन संबंधों के अनिवार्य पंजीकरण को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना शादी किए निर्लज्जता के साथ रह रहे हैं तो फिर निजता का हनन कैसे। कहा कि राज्य सरकार ने भी यह नहीं कहा है कि आप साथ नहीं रहते हैं।

याचिका दायर करने वाले देहरादून के जय त्रिपाठी के अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि ऐसे संबंधों के पंजीकरण के लिए अनिवार्य प्रावधान कर राज्य सरकार गपशप को संस्थागत रूप दे रही है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2017 के फैसले का हवाला दे तर्क दिया कि लिव इन अनिवार्य पंजीकरण से निजता का हनन हो रहा है।

मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि यूसीसी ऐसे रिश्ते के लिए पंजीकरण करने के लिए कह रही है। ‘क्या रहस्य है? आप दोनों एक साथ रह रहे हैं, आपका पड़ोसी जानता है, समाज जानता है और दुनिया जानती है। फिर आप जिस गोपनीयता की बात कर रहे हैं, वह कहां है? बिना शादी के दो लोग निर्लज्जता के साथ रह रहे हैं तो फिर निजता का हनन कैसे, कहां हुआ।

याचिकाकर्ता ने कहा कि अल्मोड़ा के एक युवक की हत्या अंतर-धार्मिक लिव-इन रिलेशनशिप की वजह से कर दी गई। खंडपीठ ने इस याचिका को अन्य याचिकाओं के साथ संबद्ध करते हुए अगली सुनवाई के लिए पहली अप्रैल की तिथि नियत कर दी है।