Category Archive : धर्म संस्कृति

Uttarakhand: शीतकाल में श्रद्धालुओं के लिए खुले आदिबदरी मंदिर के कपाट,दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालु.

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मकर सक्रांति के पावन पर्व पर आज चमोली में स्थित आदिबदरी मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुल गए हैं. बता दें यह प्राचीन मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है.

मकर संक्रांति पर आज भगवान आदिबदरी मंदिर के कपाट ब्रह्ममुहूर्त में सुबह चार बजे खोल दिए गए हैं. पौराणिक परंपराओं के अनुसार यह मंदिर सालभर में सिर्फ पौष माह में बंद रहता है. एक माह बंद रहने के बाद आज मकर संक्रांति के पावन पर्व पर आदिबदरी मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं. इसके साथ ही मंदिर में शीतकालीन दर्शन शुरू हो गए हैं। इस अवसर पर आदिबदरी मंदिर परिसर के साथ ही नगर के सभी मंदिरों और बाजार को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया है।

मंदिर के मुख्य पुजारी चक्रधर थपलियाल ने बताया कि कपाट ब्रह्ममुहूर्त में सुबह चार बजे खोले गए। जबकि श्रद्धालुओं को सुबह छह बजे से दर्शन शुरू किए। साथ ही मंदिर में वेद ऋचाओं के स्वरों के साथ कड़कड़ाती ठंड में भी माहौल भक्तिमय हो गया।

भगवान विष्णु को समर्पित है आदिबदरी मंदिर-

आदिबदरी मंदिर में कपाट खुलने के बाद शीतकालीन दर्शन शुरू हो गए हैं. सुबह छह बजे के बाद से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी हो गया है. बता दें मंदिर परिसर को फूलों से सजाया गया है. आदिबदरी का यह प्राचीन मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है.

बता दें कि कपाट उदघाटन की शुभ बेला पर और भगवान आदिबदरी के माघ मास के पहले श्रृंगार के दर्शन करने के लिए भारी संख्या में लोग आदिबदरी मंदिर पहुचंते है।

Uttarakhand: प्रवास के दौरान PM मोदी करेंगे बदरी-केदार में पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा. जा सकते हैं मुखबा, CM धामी ने दी जानकारी.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड के एक दिवसीय प्रवास के दौरान बदरीनाथ-केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा करेंगे और शीतकालीन यात्रा का संदेश देने के लिए इस बार गंगोत्री के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा या यमुनोत्री के खरशाली जा सकते हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि दिल्ली प्रवास के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन और शीतकालीन यात्रा पर आने का अनुरोध किया था। प्रधानमंत्री ने इसके के लिए अनुमति दे दी है। बता दें कि अब राज्य सरकार की योजना बदरी-केदार की तर्ज पर केंद्र सरकार की मदद से सीमांत जिले उत्तरकाशी के गंगोत्री और यमुनोत्री धामों का सुनियोजित विकास कराने की है।

इसलिए मुख्यमंत्री ने मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री से इस बार गंगोत्री के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा या यमुनोत्री के खरशाली आने का अनुरोध किया। सीएम ने कहा, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन करने जब उत्तराखंड आएंगे तो वह केदारनाथ में चल रहे दूसरे चरण के पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा करेंगे।

वह बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत चल रहे कार्यों की प्रगति जानेंगे। सरकार की ओर से दोनों ही प्रोजेक्टों का प्रस्तुतीकरण दिया जाएगा। बताया जा रहा कि पीएम करीब साढ़े पांच घंटे उत्तराखंड में रहेंगे। पीएम के दौरे को लेकर कार्यक्रम तय किए जा रहे हैं। साथ ही उनके दौरे को लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।

Uttarakhand: सीएम धामी ने किया माँ सुरकण्डा मन्दिर के दर्शन, पूजा अर्चना कर की प्रदेश की खुशहाली की कामना की।

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Uttarakhand: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिद्धपीठ माँ सुरकण्डा मन्दिर, पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि की कामना की।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गुरुवार को प्रसिद्ध सिद्धपीठ सुरकंडा देवी मंदिर पहुंचे। मुख्यमंत्री ने मां सुरकंडा देवी के दर्शन कर विधिवत पूजा अर्चना कर देश प्रदेश की सुख समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की तथा मंदिर की परिक्रमा भी की।

मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं के साथ बातचीत कर उनसे यात्रा के संबंध में जानकारी ली। श्रद्धालु अपने बीच मुख्यमंत्री को देखकर काफी खुश नजर आए तथा उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ सेल्फी भी ली। मुख्यमंत्री ने स्थानीय दुकानदारों से वार्ता कर उनका हाल चाल जाना। मुख्यमंत्री ने स्थानीय स्वयं सहायता महिला समूहों की महिलाओं द्वारा उत्पादित स्थानीय सामग्री की खरीददारी भी की।

मुख्यमंत्री ने सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में शीतकालीन यात्रा प्रारंभ की गई है। जिसमें श्रद्धालु काफी संख्या में आ रहे हैं। उत्तराखण्ड देवभूमि है। राज्य के हर मन्दिर का अपना अलग महत्व है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी प्रमुख मंदिरों को शीतकालीन यात्रा हेतु तैयार किया जा रहा है और अधिकांश स्थलों पर तैयारियां पूर्ण कर ली गई है, जिनका असर आज इस श्रद्धालुओं की संख्या को देखकर लगाया जा सकता है।

इस दौरान एसएसपी आयुष अग्रवाल, एडीएम ए.के. पाण्डेय, एएसपी जे. आर. जोशी सहित अन्य गणमान्य एवं श्रद्धालु मौजूद रहे।

Jyotish Maha Kumbh: ज्योतिष महाकुंभ का सीएम धामी ने किया समापन, युवा ज्योतिषियों को किया सम्मानित.

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हमारे ऋषि-मुनि अपने समय के वैज्ञानिक थे। उन्होंने प्राचीनकाल में जो भविष्यवाणियां की थीं, वे आज भी प्रासंगिक और स्थापित हैं। सौर मंडल हो या ज्वार भाटा, पंचांग आज भी सटीक भविष्यवाणी करता है।

सातवें अमर उजाला-ग्राफिक एरा ज्योतिष महाकुंभ के समापन समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, तीनों काल भूत, भविष्य व वर्तमान को देखने वाला नेत्र ज्योतिष है। धामी ने ज्योतिषियों को सम्मानित करने के बाद कहा, आज नासा भी हमारे ज्योतिष और पुरातन वैदिक ज्ञान का लोहा मानता है। सनातन परंपरा में ज्योतिष शास्त्र का महत्वपूर्ण स्थान है।

कहा, उत्तराखंड में ज्योतिष शास्त्र की लंबी परंपरा और गौरवशाली इतिहास रहा है। यह भूमि प्राचीन काल से ऋषि-मुनियों और ज्योतिषाचार्यों की तपस्थली एवं साधना का केंद्र रही है। हमारी महान सनातन संस्कृति में प्राचीन काल से ज्ञान, कर्म, उपासना के साथ अलौकिक विद्याओं के रहस्यों को उजागर किया जाता रहा है।

ज्योतिष शास्त्र का महत्वपूर्ण स्थान-

कहा, वेद, पुराण, उपनिषद जैसे ग्रंथ प्रदान करने वाले भी ऋषि-मुनि ही थे। कहा, ऋषियों ने मानव की भलाई के लिए कई वैज्ञानिक ग्रंथों और मान्यताओं की रचना की। ज्योतिष भी उन्हीं ऋषियों की ओर से दी हुई महान वैज्ञानिक दृष्टि है। प्राचीन काल से भारतीय सनातन परंपरा में ज्योतिष शास्त्र का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।

कहा, महर्षि पराशर, आर्यभट्ट जैसे अनेकों विद्वानों के सैकड़ों वर्षों के शोध एवं गणितीय विश्लेषण के बाद तैयार किया विज्ञान आज के कंप्यूटर युग में भी प्रासंगिक है। इस मौके पर स्वामी चिदानंद सरस्वती, ग्राफिक एरा ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला, ज्योतिषाचार्य केए दुबे पद्मेश, अजय भांबी, पंडित लेखराज शर्मा, आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री, संजीव श्रीवास्तव, लक्ष्मीकांत त्रिपाठी, प्रियंका भारद्वाज, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी आदि मौजूद रहे।

ज्योतिष को बढ़ावा देने के लिए बनाई परिष

सीएम ने कहा, राज्य सरकार ने ज्योतिष को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड ज्योतिष परिषद का गठन किया है, जिससे युवा पीढ़ी को प्राचीन भारतीय ज्ञान और विज्ञान को समझने में सहायता मिल रही है। कहा, ज्योतिष अतीत की विरासत संग भविष्य की चाबी भी है। ज्योतिष शास्त्र भौतिक, आध्यात्मिक और दैविक विचारों का समन्वय है। कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास और विरासत को साथ में आगे बढ़ाने की बात करते हैं। हमें अपनी महान मान्यताओं और उपलब्धियों पर गर्व करना सीखना है। आधुनिक विज्ञान के साथ ही एंसेंट इंडियन नॉलेज सिस्टम को भी समझना होगा।

आचार्य सेमवाल को ज्योतिष रत्

अमर उजाला ज्योतिष महाकुंभ में इस बार उत्तराखंड ज्योतिष रत्न सम्मान की शुरुआत की गई। सीएम धामी ने प्रथम ज्योतिष रत्न सम्मान आचार्य रमेश सेमवाल को दिया। वहीं, पंडित पुरुषोत्तम गौड़ को जन ज्योतिष सम्मान से नवाजा गया।पांच युवा ज्योतिषियों को भी सम्मान-

ज्योतिष महाकुंभ में पहली बार पांच युवा ज्योतिषियों को भी अमर उजाला ने सम्मानित किया। ज्योतिषी विभा शर्मा, डॉ. संतोष खंडूड़ी, लीजा गुप्ता, आचार्य विकास जोशी और पंडित सार्थक राज को सीएम ने युवा ज्योतिषी सम्मान से नवाजा। 

जब यूसीसी पर खड़े होकर सीएम का अभिवादन किया-

समापन समारोह में ग्राफिक एरा विवि के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के नए साल में समान नागरिक संहिता लागू करने के फैसले को जैसे ही ऐतिहासिक बताया तो पूरे ऑडिटोरियम में बैठे लोगों ने खड़े होकर तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया। स्वामी चिदानंद मुनि ने भी सीएम धामी के यूसीसी लागू करने के फैसले को ऐतिहासिक करार दिया। 

Uttarakhand: CM धामी ने किया “पर्वतीय सांस्कृतिक संस्था” द्वारा आयोजित 5 दिवसीय महाकौथिक में प्रतिभाग.

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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने  सेक्टर 21 नोएड़ा स्टेडियम गौतमबुद्ध नगर में “पर्वतीय सांस्कृतिक संस्था” द्वारा आयोजित पांच दिवसीय महाकौथिक पारंपरिक लोक कला, संस्कृति एवं हस्तशिल्प मेले में प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आयोजकों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संस्था के सदस्य अपने राज्य से दूर रहकर भी उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को न केवल संजोए हुए हैं, बल्कि इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने और आगे बढ़ाने का प्रशंसनीय कार्य भी कर रहे हैं जिसमें विभिन्न स्टॉलों के माध्यम से हमारे पारंपरिक हस्तशिल्प, जैविक उत्पाद और उत्तराखंडी व्यंजनों को प्रदर्शित किया गया है। यहाँ आने वाले लोग न केवल इन उत्पादों की खरीदारी कर सकते हैं, बल्कि हमारे पहाड़ी व्यंजनों के विविध और अद्भुत स्वाद का भी आनंद ले सकते हैं।

उत्तराखंड की लोक संस्कृति अपने आप में गौरवशाली है- CM

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति अपने आप में अद्वितीय और गौरवशाली है। हमारे राज्य के प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्ट पहचान है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों में हमें अपनी लोक कलाओं, पारंपरिक वेशभूषा, हस्तशिल्प और कारीगरी का अनूठा संगम देखने को मिलता है। हमारी संस्कृति ही हमारी मूल पहचान है, चाहे हम जीवन में किसी भी स्तर पर पहुँचें या दुनिया के किसी भी कोने में जाएं, हमारी पहली पहचान ये है कि हम उत्तराखंड वासी हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक ओर हमारी सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर “लोकल फॉर वोकल’’, और “मेक इन इंडिया’’ जैसी पहलों के माध्यम से हमारी स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी दिशा में हमारी सरकार ने भी प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में राज्य में कई महत्वपूर्ण योजनाओं और नीतियों को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिससे राज्य का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित हो रहा है। आज राज्य में रोड – रेल कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने के साथ ही हम पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करने की दिशा में निरंतर कार्य कर रहे हैं।

 

 

राज्य में इकॉनमी के साथ समग्र विकास की दिशा में बढ़ाये जा रहे हैं कदम- CM

उन्होंने कहा कि हम इकॉनमी और इकोलॉजी के समन्वय के साथ राज्य के समग्र विकास की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि आज नीति आयोग द्वारा जारी एस.डी.जी. इंडेक्स रिपोर्ट में सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में उत्तराखण्ड देश में प्रथम पायदान पर हैं। साथ ही, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में राज्य को एचीवर्स तथा स्टार्टअप रैंकिंग में लीडर्स की श्रेणी भी प्राप्त हुई है। यही नहीं आज हमारा राज्य युवाओं को रोजगार देने में भी अग्रणी राज्य बनकर उभरा है, हमने एक वर्ष में बेरोजारी दर में 4.4 प्रतिशत की कमी लाकर राष्ट्रीय औसत को भी पीछे छोड़ दिया है।

उन्होंने कहा कि राज्य में ‘एक जनपद, दो उत्पाद’ योजना के माध्यम से स्थानीय आजीविका के अवसरों को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं, हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रांड के माध्यम से हमारे स्थानीय उत्पादों को व्यापक पहचान दिलाने का काम भी किया जा रहा है। स्टेट मिलेट मिशन, फार्म मशीनरी बैंक, एप्पल मिशन, नई पर्यटन नीति, नई फिल्म नीति, होम स्टे मॉडल, वेड इन उत्तराखंड जैसी योजनाओं के माध्यम से राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था को निरंतर सुदृढ़ करने का प्रयास किये जा रहे हैं।

राज्य में पर्यटन और कृषि क्षेत्रों में भी नई संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं- CM

मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न रोजगार परक योजनाओं से राज्य में न केवल रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, बल्कि पर्यटन और कृषि क्षेत्रों में भी नई संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार द्वारा प्रदेश हित में कई ऐतिहासिक निर्णय भी लिए हैं, जिन्हें पूर्व की सरकारों ने अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते ठंडे बस्ते में डाल दिया था।

 

उत्तराखण्ड में जनवरी 2025 से लागू होगा यू.सी.सी- CM

उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता कानून अर्थात यू.सी.सी. को लागू करने की दिशा में कदम उठाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है, जनवरी 2025 में हम राज्य में यू.सी.सी. को लागू भी करने जा रहे हैं। समान नागरिक संहिता की गंगा उत्तराखण्ड से निकलकर पूरे देश को लाभान्वित करने का कार्य करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के युवाओं के व्यापक हित में प्रदेश में देश का सबसे प्रभावी नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। जिसके परिणाम स्वरुप उत्तराखंड में पिछले 3 वर्ष में लगभग 19 हजार युवाओं ने सरकारी नौकरियां पाने में सफलता प्राप्त की है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सांस्कृतिक मूल्यों और डेमोग्राफी को संरक्षित रखने हेतु लव जिहाद, लैंड जिहाद और थूक जिहाद जैसी घृणित मानसिकता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी और दंगा विरोधी क़ानून भी लागू किए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में भूमि ख़रीदने वाले बाहरी लोगों की गहनता से जाँच की जा रही है, अगर कोई भी व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है तो उसके भूखंड को सरकारी संपत्ति में निहित किये जाने की व्यवस्था की जा रही है। शीघ्र ही सख्त भू-कानून लागू कर राज्य के मूल स्वरूप के साथ खिलवाड़ करने वालों के ख़िलाफ़ भी कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

 

उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत हमारी आत्मा का हिस्सा हैं- CM

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति, परंपराएं और विरासत हमारी आत्मा का हिस्सा हैं और इन्हें जीवंत रखने तथा आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के हमारी सरकार के विकल्प रहित संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने सभी प्रवासी उत्तराखण्ड वासियों का राज्य के विकास में सहयोगी बनने का भी आवाहन किया।

इस अवसर पर पर्वतीय सांस्कृतिक संस्था की संस्थापिका कल्पना चौहान, संयोजक राजेन्द्र चौहान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरीश असवाल, व्यवस्थापक हरेन्द्र शर्मा, इंदिरा चौहान, लक्ष्मण रावत, सुबोध थपलियाल सहित बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखण्डवासी उपस्थित थे।

नए साल में होगा चारधाम यात्रा प्राधिकरण का गठन,धारण क्षमता बढ़ाने के लिए होंगें प्रयास

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चारधाम यात्रा के दौरान व्यवस्थाओं को मजबूत बनाने के लिए नये साल में यात्रा प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को 30 जनवरी 2025 तक प्राधिकरण के गठन की सभी प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए। इसके अलावा बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में अवस्थापना विकास को देखते हुए धारण क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाएं।

नये साल में यात्रा प्राधिकरण का गठन

 सीएम आवास में उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आगामी चारधाम यात्रा के सफल संचालन व सुगम बनाने के लिए अभी से पूरी तैयारियां की जाएं। यात्रा प्राधिकरण गठन करने के लिए 15 जनवरी तक चारधामों के तीर्थ पुरोहितों व हितधारकों के साथ बैठक कर उनके सुझाव लिए जाएं।

तीर्थ पुरोहितों और स्टेक होल्डरों से सुझाव लेकर यात्रा प्रबंधन के लिए जो अच्छा हो सकता है, वह किया जाए। सुव्यवस्थित चारधाम यात्रा के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल कर यात्रा पंजीकरण की व्यवस्था मजबूत किया जाए।

भीड़ को नियंत्रित करने की योजना बना कर काम


मुख्यमंत्री ने कहा, आगामी चारधाम यात्रा के दृष्टिगत यात्रियों की हर प्रकार की सुविधा, यातायात प्रबंधन, अवस्थापना सुविधाओं के विकास के दृष्टिगत धामों की धारण क्षमता, यात्रा मार्गों पर विभिन्न व्यवस्थाओं और अन्य सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अभी से पूरी तैयारियां की जाए। गत वर्ष चारधाम यात्रा में अत्यधिक श्रद्धालुओं आए थे।

भीड़ को नियंत्रित करने की योजना बना कर काम करें। यह सुनिश्चित किया जाए कि चारधाम यात्रा मार्गों पर जिन स्थानों पर वाहनों को रोकने की व्यवस्था हो, उन स्थानों पर पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था के साथ ही होटल, पेयजल, शौचालय, स्वच्छता और अन्य सभी मूलभूत आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखा जाए।

शीतकालीन यात्रा के दौरान बेहतर व्यवस्थाएं बनने से चारधाम यात्रा के दौरान भी इससे व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित रहेंगी। राज्य के इन धामों के शीतकालीन प्रवास स्थलों के आस-पास के पौराणिक क्षेत्रों के विकास के साथ ही पंच बदरी व पंच केदार के महत्व के बारे में भी व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाए।

Uttarakhand: शीतकाल में गद्दीस्थलों पर होंगे अब चारधामों के दर्शन, जानिए श्रद्धालु कहां कर सकेंगे पूजा-अर्चना.

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बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट विधि विधान से बंद होने के साथ ही छह माह के लिए चारधाम यात्रा का पूर्ण रूप समापन हो गया है, लेकिन श्रद्धालुओं को शीतकाल में गद्दीस्थलों पर चारधामों के दर्शन व पूजा अर्चना की सुविधा होगी।

साथ ही जो श्रद्धालु यात्रा के दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित धामों में जाने में असमर्थ हैं, वह गद्दीस्थलों पर दर्शन कर सकते हैं। प्रदेश सरकार भी शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा दे रही, जिससे राज्य में पूरे साल पर्यटन गतिविधियां चलती रहे। केदारनाथ धाम के कपाट 10 मई को खुले और तीन नवंबर को बंद हुए।
ओंकारेश्वर मंदिर में विराजे बाबा केदार
बाबा केदार की पंचमुखी डोली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान है। अगले साल अप्रैल-मई में कपाट खुलने से पहले पंचमुखी डोली ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी। शीतकाल में बाबा केदार की पूजा अर्चना ऊखीमठ में होती है। यहां पर श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन व पूजा अर्चना कर सकते हैं।
पांडुकेश्वर में विराजमान हुई उद्धव व कुबेर की डोली
बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुले थे और 17 नवंबर को बंद हो गए। धाम से उद्धव व कुबेर की डोली पांडुकेश्वर योग बदरी में विराजमान हो गईं हैं, जबकि 19 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में पहुंचेगी। पांडुकेश्वर व जोशीमठ में शीतकाल में श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल की पूजा अर्चना व दर्शन कर सकेंगे। 

मां यमुना की डोली खरशाली में विराजमान
यमुनोत्री धाम के कपाट हर साल अक्षय तृतीय पर खुलते हैं। इस साल 10 मई को कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा शुरू हुई। तीन नवंबर को मंदिर के कपाट बंद हुए। अगले साल कपाट खुलने तक मां यमुना डोली खरशाली स्थित यमुना मंदिर में विराजमान है। जहां पर नियमित पूजा अर्चना की जाती है।

मुखवा में गंगोत्री धाम के दर्शन
गंगोत्री धाम के कपाट 10 मई को खुले थे। दो नवंबर को विधि विधान से बंद किए गए। शीतकाल में मां गंगोत्री मुखवा में विराजमान होती है। जहां पर श्रद्धालु अगले साल कपाट खुलने तक पूजा अर्चना व दर्शन कर सकते हैं।

इस बार चारधाम में इतने यात्री पहुंचे

धाम             तीर्थयात्रियों की संख्या
केदारनाथ         16,52,070
बदरीनाथ          14,35,401
गंगोत्री               8,18,273
यमुनोत्री             7,14,779
हेमकुंड साहिब   1,83,692

केदारनाथ व बदरीनाथ धाम के शीतकाल गद्दी स्थलों पर श्रद्धालुओं को दर्शन करने के साथ पूजा अर्चना की सुविधा है। बीकेटीसी शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए गद्दी स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं व अवस्थापना विकास के कार्य कर रही है।
– अजेंद्र अजय, अध्यक्ष, बदरी-केदार मंदिर समिति

Uttarakhand: अब बुजुर्ग और बच्चे भी कर सकेंगे आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन, जानिए किस दिन से शुरू होगी हेली सेवा।

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15 नवंबर से पिथौरागढ़ के नैनी सैनी एयरपोर्ट से प्रस्तावित हेलिकॉप्टर सेवा में बुजुर्ग और बच्चे भी आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए कंपनी ने लगभग एक हफ्ते का सफल ट्रायल पूरा कर लिया है।

जौलीग्रांट हेलिपैड से बदरी-केदार दो धामों के लिए उड़ान भरने वाली हेली कंपनी रुद्राक्ष एविएशन 15 नवंबर से पिथौरागढ़ के नैनी सैनी हवाई अड्डे से भगवान शिव के निवास स्थान आदि कैलाश और ओम पर्वत के लिए हवाई दर्शन सेवा शुरू करने जा रही है। यात्रा में बुजुर्गों के अलावा बच्चे भी भगवान शिव के निवास स्थान के दर्शन कर सकेंगे।

हवाई यात्रा लगभग दो घंटे की होगी। नैनी सैनी एयरपोर्ट से एमआई 17 हेलिकॉप्टर सुबह करीब साढ़े आठ बजे 18 यात्रियों को लेकर उड़ान भरेगा और यह दिन में एक ही फेरा लगाएगा। हेलिकॉप्टर सेवा 15 नवंबर से फरवरी तक संचालित की जाएगी। हेलिकॉप्टर में यात्रा करने वाले सभी यात्रियों को ऑक्सीजन मास्क लगाना होगा।

साथ ही मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट देना अनिवार्य होगा। यात्रा की बुकिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से होगी। फिलहाल संबंधित कंपनी ने पर्यटन विभाग और सरकार को यात्रा के संबंध में पूरा शेड्यूल बनाकर दे दिया है।

ऊपर से ही कराए जाएंगे दर्शन-
रुद्राक्ष एविएशन का हेलिकॉप्टर श्रद्धालुओं को दोनों पर्वतों के दर्शन ऊपर से ही कराएगा। ओम पर्वत की ऊंचाई करीब 5,590 मीटर और आदि कैलाश की ऊंचाई करीब 6,638 मीटर है। इस अति दुर्गम पहाड़ में कई मैगनेटिक फील्ड बताए जाते हैं, जिससे यहां चढ़ाई कर यात्रा को काफी कठिन माना जाता है।

आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा ऊपर से ही कराई जाएगी, जिसमें बुजुर्ग भी जा सकेंगे। सभी श्रद्धालुओं को मेडिकल फिटनेस देना होगा। यात्रा में करीब सवा दो घंटे का समय लगेगा।

 

Uttarkashi News: यात्रा का दूसरा चरण; 22 दिन में गंगोत्री और यमुनोत्री धाम पहुंचे 1.45 लाख श्रद्धालु।

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सीजन के दूसरे चरण में चारधाम यात्रा धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। इस माह के 22 दिन में ही गंगोत्री व यमुनोत्री धामों में 1.45 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं, इस साल यमुनोत्री धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा छह लाख के पार पहुंच चुका है। जबकि गंगोत्री धाम में भी 6.80 लाख श्रद्धालु पहुंच चुके हैं।

मानसून सीजन में अतिवृष्टि के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आई थी। लेकिन अब बरसात थमते ही यह धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। इस माह 22 सितंबर तक दोनों धामों में अच्छी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। आने वाले दिनों में प्रशासन श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ने की संभावना जता रहा है। जानकीचट्टी व फूलचट्टी के मध्य में भूस्खलन के कारण क्षतिग्रस्त सड़क के स्थान पर नवनिर्मित वैकल्पिक मार्ग पर यातायात शुरू कर दिया गया है।

बढ़ती संख्या नया रिकॉर्ड बना सकती है –
जिला प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 10 मई को कपाट खुलने के बाद 136 दिन की यात्रा में यमुनोत्री धाम में कुल 602364 श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं, गंगोत्री धाम में यह संख्या 680950 हो गई है। अभी यात्रा काल के लिए डेढ़ माह का समय शेष है, ऐसे में दोनों धामों में श्रद्धालुओं की दिन-प्रतिदिन बढ़ती संख्या नया रिकॉर्ड बना सकती है।

डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने चारधाम यात्रा से जुड़े सभी विभागों को यात्रियों की सुविधाओं के लिए व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त रखने एवं यमुनोत्री पैदल मार्ग पर तय एसओपी के अनुसार ही आवागमन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं।

 

Kedarnath: केदारनाथ पैदल मार्ग जंगल चट्टी के पास हुआ क्षतिग्रस्त, प्रशासन ने की अपील, यात्री जहां है वहीं रुकें।

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केदारनाथ पैदल मार्ग जंगल चट्टी के पास क्षतिग्रस्त हो गया है। जिस कारण दोनों ओर श्रद्धालुओं को रोक दिया गया है। प्रशासन ने तीर्थयात्रियों ले अपील की है कि वो जहां पर हैं वहीं पर रूके रहें। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ डीडीआरएफ के जवान वैकल्पिक मार्ग तैयार कर रहे हैं।

 

जंगल चट्टी के पास क्षतिग्रस्त हुआ केदारनाथ पैदल मार्ग-

मिली जानकारी के मुताबिक केदारनाथ पैदल मार्ग पर एक बार फिर भूस्खलन हुआ है। जिस कारण जंगल चट्टी के पास करीब 15 मीटर पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। प्रशासन ने फिलहाल यात्रियों से यात्रा ना करने की अपील की है। इसके साथ ही घोड़े-खच्चर के संचालन पर भी रोक लगा दी गई है। बता दें कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ डीडीआरएफ के जवान वैकल्पिक मार्ग से रास्ता आर-पार करवा रहे हैं।

 

प्रशासन ने की यात्रियों से ये अपील

प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील कि वे जिस स्थान पर हैं वहीं पर सुरक्षित रहकर इंतजार करें। मार्ग सुचारु होने पर केदारनाथ से जंगलचट्टी के बीच दर्शन कर वापस आ रहे श्रद्धालुओं को प्राथमिकता के आधार पर निकाला जाएगा। केदारनाथ धाम के लिए पैदल आने वाले श्रद्धालुओं से फिलहाल यात्रा ना करें.