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नाराजगी की अटकलों पर पूर्व CM त्रिवेंद्र रावत ने किया खारिज, सरकार में नेतृत्व में बदलाव की चर्चा को भी बताया हवा-हवाई

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सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सुर नरम

बोले, नीति और नीलामी से खनन पट्टे दिए जा रहे, इसमें कोई बुराई नहीं

पूर्व मंत्री हरक सिंह बताएं कि जो पैसा दिया, क्या है उसका स्रोत

अधिकारियों को दी नसीहत, जनता के प्रति बनें जवाबदेह

 

देहरादून। दिल्ली में भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार से हुई मुलाकात के बाद देहरादून लौटने पर हरिद्वार सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सुर नरम दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान ने त्रिवेंद्र समेत अन्य नेताओं को पार्टी लाइन पर चलने की ताकीद की है।डिफेंस कालोनी स्थित आवास पर पत्रकारों से बातचीत में त्रिवेंद्र ने उन अटकलों पर विराम लगाया, जिसमें दिल्ली में सांसदों के साथ हुई पार्टी संगठन की बैठक से तुरंत चले जाने को उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा था। उन्होंने कहा कि नाराजगी जैसी कोई बात नहीं थी। उन्हें कहीं जाना था, इसलिए तुरंत ही बैठक से चले गए थे।

 

उन्होंने राज्य सरकार में नेतृत्व में बदलाव की चर्चा को भी हवा-हवाई करार दिया और कहा कि धामी सरकार पूरे पांच साल चलेगी। बार-बार मुख्यमंत्री बदलना या इसकी चर्चा करना गलत है। उन्होंने विपक्ष कांग्रेस को भी आड़े हाथ लिया।

 

सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात सामान्य प्रक्रिया है। इसमें हर जगह छेद ढूंढते रहें, यह ठीक नहीं है। खनन से जुड़े प्रश्न पर उन्होंने कहा कि सरकार नीति के तहत नीलामी के जरिये खनन पट्टे दे रही है तो इसमें बुराई क्या है। एक अन्य प्रश्न पर उन्होंने कहा कि गैरसैंण को भाजपा ने ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। यह स्थायी राजधानी कब बनेगी, इसका जवाब सरकार बेहतर दे सकती है।

 

पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के आरोपों पर उन्होंने कहा कि वह उनका पूरा इतिहास जानते हैं। पांच-छह दिन से हरक सिंह काफी जोश में हैं। हो सकता है ये उनकी आंतरिक राजनीति का हिस्सा हो या कुछ और कारण हैं अथवा वह स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पूर्व में भाजपा ने संगठन चलाने के लिए पूरी पारदर्शिता के साथ चेक से चंदा लिया। हरक सिंह ने चंदे को लेकर बढ़ा चढ़ाकर बोला, लेकिन जो पैसा लिया गया वह चेक से आया। अब हरक बताएं कि इस पैसे का स्रोत क्या है।

विपक्ष कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस ने सदन में जो व्यवहार किया, वह उचित नहीं है। उनकी जानकारी में आया है कि कार्यमंत्रणा समिति में पहले दिन आपदा का विषय विपक्ष की ओर से लाने पर सहमति बनी थी, लेकिन वह कानून व्यवस्था का मुद्दा लेकर आया। सरकार इस पर जवाब देती, लेकिन यह सब नियमों के तहत लाया जाना चाहिए था।पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत के भांजे के प्रकरण पर उन्होंने कहा कि पुलिस का जो काम है, उसे करना चाहिए। यह गंभीर प्रकरण है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इस मामले में लापरवाह अधिकारियों को आड़े हाथ लेने की जरूरत है। उन्होंने नौकरशाही को भी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि नीतियों व निर्णयों का क्रियान्वयन शासन की जिम्मेदारी है। इसके लिए अधिकारियों को ठीक से काम करना चाहिए। जनता के प्रति उनकी जवाबदेही होनी चाहिए।

रेबीज संक्रमित युवक की निजी अस्पताल में हुई मौत, कुत्ते के काटने के छह माह बाद दिखे थे लक्षण

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रेबीज संक्रमित मरीज की सोमवार सुबह करीब सात बजे मौत हो गई। युवक को एम्स में भी राहत नहीं मिली थी। लिहाजा उसके परिजन उसे एक निजी अस्पताल ले गए थे। वहां पर उसने दम तोड़ दिया। दून अस्पताल में रविवार को रेबीज के गंभीर लक्षण दिखने वाले युवक को लाया गया था। करीब तीन घंटे तक उसे दून अस्पताल में उपचार दिया गया था। बाद में हालत बिगड़ने पर उसे एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया था।

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर रविंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि व्यक्ति को पानी और उजाले से डर लगने के साथ ही उसके मुंह से लगातार लार गिर रही थी। उसके अंदर तीव्र आक्रामकता के लक्षण भी दिख रहे थे। मृतक की मां शशि शर्मा ने बताया कि उसे दून अस्पताल से एम्स ऋषिकेश लेकर गई थीं जहां पर उसको प्राथमिक उपचार दिया गया था। स्थिति में सुधार नहीं होने पर उसे दूसरे अस्पताल में लेकर गईं, जहां पर सुबह उसकी मौत हो गई।

 

कुत्ते के काटने के छह माह बाद दिखे रेबीज के गंभीर लक्षण, युवक एम्स रेफर

दून अस्पताल में रविवार को रेबीज के गंभीर लक्षण दिखने वाले एक 30 वर्षीय युवक को भर्ती किया गया। करीब चार घंटे बाद हालत बिगड़ने पर उसे एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया। युवक को पानी और उजाले से डर लगने के साथ ही उसके मुंह से लगातार लार गिर रही थी। साथ ही तीव्र आक्रामकता के लक्षण भी दिख रहे थे।

चिकित्सकों समेत वहां मौजूद सभी लोग हैरान हो गए। काफी देर तक चिकित्सक समझ ही नहीं पाए कि युवक को क्या परेशानी है। परिजनों ने जब छह महीने पूर्व युवक को कुत्ते के काटने की बात बताई तो चिकित्सकों को रेबीज होने का संदेह हुआ।

एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई गई
इसके बाद क्लीनिकल जांच की तो यह बात काफी हद तक पुख्ता भी हो गई। चिकित्सक के अनुसार युवक देहरादून का ही रहने वाला है। परिजनों ने यह बात भी बताई कि युवक को कुत्ते के काटने के बाद एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई गई।

रेबीज का नहीं है कोई उपचार 
डॉ. आरएस बिष्ट के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति रेबीज की चपेट में आ जाए तो उसका कोई उपचार नहीं है। ऐसे में लोगों का जागरूक होना बेहद जरूरी है। अगर किसी को गली या फिर पालतू कुत्ता काटता है तो उसे जरूरी तौर पर एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाना चाहिए।

दून अस्पताल में हर रोज वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे 35 लोग 
दून अस्पताल के आपात चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित अरुण ने बताया कि अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने हर रोज करीब 35 लोग पहुंच रहे हैं। इनमें से 10 से 12 लोग गंभीर घायल होते हैं जिनको एंटी रेबीज के साथ ही सीरम भी लगाना पड़ता है। इन दिनों कुत्ते काटने के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है।

सीएम ने थराली आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को चमोली जिले के आपदा प्रभावित थराली क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना। उन्होंने अधिकारियों को राहत एवं पुनर्वास कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कुलसारी राहत शिविर का दौरा कर प्रभावितों से फीडबैक लिया और हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। इस दौरान उन्होंने पूर्णतः क्षतिग्रस्त मकानों एवं मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की तत्काल सहायता राशि के चेक प्रदान किए। साथ ही बेघर हुए परिवारों के पुनर्वास की उचित व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए।

सीएम ने कहा कि राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं और राज्य सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ प्रभावितों के साथ खड़ी है। उन्होंने जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी की।

जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि प्रभावितों को सुरक्षित राहत शिविरों में ठहराया गया है तथा भोजन, चिकित्सा और रहने की उचित व्यवस्था की गई है। क्षतिग्रस्त सड़क मार्गों को सुचारू कर दिया गया है और शीघ्र ही बिजली व पेयजल आपूर्ति भी बहाल कर दी जाएगी।

मुख्यमंत्री के साथ विधायक भूपाल राम टम्टा, जिला पंचायत अध्यक्ष दौलत सिंह बिष्ट, पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

27 करोड़ के चंदे में उत्तराखण्ड बीजेपी ने अपनाई पारदर्शिता,हरक सिंह पर भरोसा नहीं किया जा सकता-त्रिवेंद्र

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हरिद्वार से सांसद और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरक के ताजातरीन आरोपों का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि संक्रमणकाल से गुजर रहे हरक सिंह की बातों पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए।

कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए त्रिवेंद्र ने कहा कि हरक सिंह रावत पर भरोसा नहीं किया जा सकता। वह कब, क्या बोलेंगे, यह उन्हें खुद भी नहीं पता होता। इस समय वे अपने जीवन के संक्रमण काल से गुजर रहे हैं, इसलिए अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं।

कहा है कि मौजूदा हालात में प्रदेश में सुधार की सख्त जरूरत है। उन्होंने साफ कहा कि किसी भी सूरत में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की छवि को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। पार्टी की छवि खराब करने वालों को बार-बार चेताना संगठन का फर्ज है।

पत्रकारों से बातचीत में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पुलिस के कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। कई मामलों में 8-8 महीने से प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है, वहीं कुछ मामलों में 2-2 महीने से रिपोर्ट लंबित है।
उन्होंने इसे बेहद चिंताजनक और अफसोसजनक स्थिति बताया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जनता ने भाजपा पर भरोसा जताते हुए 47 विधायक और पांच सांसद जीताकर दिए हैं। ऐसे में पार्टी का दायित्व है कि हर हाल में जनता के विश्वास को बनाए रखा जाए।

गौरतलब है कि जुलाई के महीने में पूर्व सीएम ने डीजीपी को पत्र लिख 50 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में कार्रवाई के लिए लिखा था। लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई (देखें पत्र)।

इधर, पूर्व सीएम ने कांग्रेस नेता हरक के भाजपा को 30 करोड़ रुपये चंदा मिलने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी को 27 करोड़ रुपये का चंदा मिला था, जो पूरी तरह पारदर्शिता के साथ चेक द्वारा प्राप्त हुआ है। इसका एक-एक हिसाब मौजूद है।

उन्होंने कहा कि देश की हर राजनीतिक पार्टी को चंदा मिलता है और इसमें कोई गलत बात नहीं है। लेकिन यह जरूरी है कि मदद पारदर्शी तरीके से मिले।
भाजपा ने यही किया है। त्रिवेंद्र ने कटाक्ष करते हुए कहा कि हरक सिंह कभी-कभी सच बोल देते हैं, लेकिन अक्सर अगले ही दिन अपने ही बयान से पलट जाते हैं। खनन के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में खनन होना जरूरी है, लेकिन यह केवल कानून और मर्यादा के दायरे में होना चाहिए।
अगर नदियों से नियंत्रित खनन नहीं होगा तो खेत-खलिहान कट जाएंगे और राजस्व की भी हानि होगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे तालाब से पानी लेना जरूरी है, लेकिन मशीन लगाकर पूरा तालाब खाली कर देना गलत है। उसी तरह खनन नियंत्रित और नियमों के तहत होना चाहिए।
गैरसैंण में संपन्न मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के रवैये पर भी उन्होंने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विरोध करना विपक्ष का अधिकार है, लेकिन यह मर्यादित और नियमों के दायरे में होना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस विधायकों के सदन में अमर्यादित आचरण की आलोचना करते हुए कहा कि अध्यक्ष के आसन के सामने बिस्तर लगाकर सोना लोकतांत्रिक परंपराओं के विपरीत है।

त्रिवेंद्र ने दो टूक कहा कि यदि भविष्य में कांग्रेस सत्ता में आती है और भाजपा ऐसा व्यवहार करती है तो कांग्रेस को भी यह स्वीकार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जनता ने अपने विश्वास से प्रतिनिधियों को विधानसभा भेजा है। यदि विधायक अपना दायित्व नहीं निभाते हैं तो जनता समय आने पर हिसाब करना भी जानती है।

…मां धारी देवी की भी कसम खायी थी हरक ने

उल्लेखनीय है कि हरक सिंह रावत बीते कुछ दिन से भाजपा सरकार पर हमला कर रहे हैं। हाल ही में हरक सिंह ने एक और कसम खा डाली। हरक में कहा कि वे तभी माला पहनेंगे जब भाजपा की ‘अंत्येष्टि’ कर देंगे। हरक की।यह कसम में चर्चा का विषय बनी हुई है।
गौरतलब है कि 2012 में विजय बहुगुणा के सीएम बनने से खफा हरक सिंह ने मां धारी देवी की कसम खाकर कहा था कि कैबिनेट मंत्री नहीं बनेंगे। लेकिन कुछ महीने बाद विजय बहुगुणा कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ ले ली थी।

उत्तरकाशी: स्यानाचट्टी में कृत्रिम झील मचा सकती है तबाही, होटल- स्कूल सब डूबे; अब कैसे होगी पंक्चर? लोगों ने पानी में उतर जताया विरोध

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उत्तरकाशी में धराली आपदा के बाद हर्षिल घाटी में बनी कृत्रिम झील  बड़ी तबाही मचा सकती है. दरअसल यमुना नदी में स्यानाचट्टी के पास बनी कृत्रिम झील ने विकराल रूप ले लिया है. यह झील वॉटर बम’ बनती जा रही है. क्या होटल और क्या घर, सब पानी में डूब गए हैं. चार मंजिला कालिंदी होटल की तीन मंजिलें पानी में डूब गई है. पास में बनी पुलिस चौकी का एक मंजिल भी पानी में डूब गया है. पहले यमुनोत्री जाने वाले श्रद्धालु भी यहां बने पुल से होकर गुजरते थे. लेकिन कत्रिम झील की वजह से पुल भी पानी में पूरी तरह से डूब चुका है

हालांकि यमुना में बनी झील का जलस्तर देर रात से  एक मीटर घटा है. लेकिन खतरा टला नहीं है. यमुना नदी की मूल धारा में लगातार गढ़ गाड़ बाधा बन रहा है. गढ़ गाड़ में लगातार मलवा और बोल्डर अपना रुख बदल रहा है. स्यानाचट्टी में बड़ी पार्किंग भी पानी में डूब चुकी है.

इतना ही नहीं स्यानाचट्टी सरकारी स्कूल की एक मंजिल पानी में पूरी डूब गई है.सभी सरकारी कागज भी पानी में नष्ट हो गए हैं. कुपड़ा गाड़ के मलवे ने यमुना नदी के मुहाना को ब्लॉक कर दिया है. झील से पानी निकाले जाना बहुत जरूरी है. लेकिन अगर झील टूटी तो यमुना नदी के पानी का वेग बढ़ जाएगा, जिससे तटीय क्षेत्रों में बड़ी तबाही मच सकती है.

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कृत्रिम झील से अब तक हुआ कितना नुकसान?

  • यमुनोत्री नेशनल हाइवे का मोटर पुल और सड़क जलस्तर से डूबा
  • चार मंजिला होटल कालिंदी का दो मंजिल होटल पानी में डूबा
  • पुलिस चौकी स्यानाचट्टी का एक मंजिला भवन पानी में डूबा
  • GMVN गेस्ट हाउस पानी में डूबा
  • स्यानाचट्टी बड़ी पार्किंग के पास पहुंचा यमुना नदी का पानी
  • जूनियर हाईस्कूल के मैदान तक पहुंचा झील का पानी

झील को पंक्चर करना बड़ी चुनौती

रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए NDRF-SDRF पहले से मौजूद है. झील को पंक्चर करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. क्यों कि पानी लगातार बढ़ रहा है. पिछले चौबीस घंटे में पुल पूरा डूब चुका है, जो पहले साफ दिखाई दे रहा था. क्रत्रिम झील में पानी इतना ज्यादा है कि 25 फीट तक होटल इसमें डूब चुका है. पहले 10-15 फीट नीचे नदी बहती थी. झील को पंक्टर करने और आसपास के लोगों के रेस्क्यू के लिए टीम मौके पर मौजूद है. ताकि लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा सके.

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वहीं पानी को निकालने की कोशिश की जा रही है. लेकिन यहां पर एक और फ्लड आया है.हालांकि उसने अपना रास्ता बदल लिया है. राहत की बात यह है कि रास्ता दूसरी तरफ गया है. कोशिश यही है कि पानी को किसी तरह से झील से निकाला जा सके.स्यानाचट्टी में आक्रोशित लोगों ने झील उतरकर  प्रशाशन के विरुद्ध नारेबाजी की।

हालांकि प्रशासन ने एहतियातन स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है। शुक्रवार को जिलाधिकारी प्रशांत आर्य और क्षेत्रीय विधायक संजय डोभाल ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।

                                            Uttarkashi DM-प्रशांत आर्य

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की चिकित्सकों को बड़ी सौगात, चिकित्सकों को मिलेगा एसडी एसीपी (SD ACP) का लाभ

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के चिकित्सकों को बड़ी राहत और सौगात दी है। प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के चिकित्साधिकारियों को अब एसडी एसीपी (SD ACP) का लाभ प्रदान किया जाएगा। इस संबंध में स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने आदेश जारी कर दिए हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हमारे डॉक्टर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर पहाड़ की कठिन परिस्थितियों में भी चिकित्सक पूरी निष्ठा से कार्य कर रहे हैं। उनके हितों का ध्यान रखना हमारी प्राथमिकता है। एसीपी का लाभ मिलने से चिकित्सकों को न केवल आर्थिक मजबूती मिलेगी बल्कि सेवा के प्रति और अधिक समर्पण की भावना भी बढ़ेगी। सरकार हमेशा अपने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ खड़ी है।

 

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार के आदेशानुसार प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के चिकित्साधिकारियों को एसीपी का लाभ शासनादेश संख्या 654 (दिनांक 14.07.2016) तथा शासनादेश संख्या 154 (दिनांक 04.02.2019) में निहित प्रावधानों के तहत प्रदान किया जाएगा। स्क्रीनिंग कमेटी की संस्तुति के आधार पर इस लाभ की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। कुल 196 पदों का विवरण इस प्रकार है। लेवल 11 में 70 पद स्वीकृत हैं जिनका ग्रेड पे ₹5400 है। लेवल 12 में 56 पद हैं जिनका ग्रेड पे ₹6600 निर्धारित है। लेवल 13 में दो श्रेणियाँ हैं, जिनमें 27 पद ₹7600 ग्रेड पे तथा 43 पद ₹8700 ग्रेड पे वाले हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर सभी स्तरों को मिलाकर 196 पद बनते हैं।

इस फैसले से बड़ी संख्या में चिकित्साधिकारियों को लाभ मिलेगा और स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।

जन मुद्दों पर सजग रहने के बजाय विपक्ष का सदन मे सोना दुखद: भट्ट

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भाजपा ने कांग्रेस पर स्वार्थपरक राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जन मुद्दों पर सजग रहने के बजाय विपक्ष सदन मे सो गया और उसकी निंद्रा नही टूटी। विपक्ष का सड़क से सदन के भीतर जन मुद्दों पर लड़ने की बात भी शिगूफा ही साबित हुआ। प्रदेशाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद  महेंद्र भट्ट ने निशाना साधा कि आपदा के जख्मों पर मरहम लगाने के बजाय विपक्षी नेताओं ने अपने ऊपर लगे मुकद्दमों को लेकर हंगामा किया। वहीं सत्र समाप्ति को उचित बताते हुए कहा, सदन सिर्फ हंगामा करने, नींद लेने और राजनीति के लिए ही नही चलाया नहीं जा सकता है।

 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने  गैरसैण सत्र में विपक्षी विधायकों द्वारा सदन में की गई तोड़फोड़ और अराजकता की कड़े शब्दों में निंदा की है। भट्ट ने कहा कि आज प्रदेश धराली, पौड़ी आदि अनेकों स्थानों पर आपदा के दंश का सामना कर रहा है। मुख्यमंत्री  पुष्कर धामी के नेतृत्व में शासन प्रशासन जनता के सहयोग से राहत बचाव कार्यों के संचालन और प्रभावितों को मदद पहुंचाने में लगा है। ऐसे में सहयोग के हाथ बढ़ाने के बजाय कांग्रेस पार्टी लगातार नकारात्मक राजनीति कर रही है। उनके नेताओं द्वारा लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन और राहत राशि को लेकर अफवाह फैलाई गई।

 

उन्होंने कहा कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार द्वारा पहले से ही गैरसैण में मानसून सत्र आहूत किया हुआ था। बेहतर होता कि सत्र के आगाज में त्रासदी से जान गंवाने और किसी भी तरह का नुकसान उठाने वालों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए, विस्तृत चर्चा होती। पक्ष विपक्ष बैठकर आपदा में राहत बचाव कार्यों और भविष्य की योजनाओं को लेकर एक सर्वव्यापी और सर्वसमावेशी मापदंड और नीति तैयार करने पर विचार करते। लेकिन बेहद दुखद और शर्मनाक है कि विपक्षी विधायकों ने असंवेदनशील, गैरजिम्मेदाराना रुख अपनाते हुए सदन की मर्यादाओं को तार तार कर दिया। उसपर बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये सब उन्होंने किया व्यक्तिगत लाभ और दलगत राजनीति की पूर्ति हेतु।

 

हैरानी है कि आपदा, विकास, जनहित या अपने क्षेत्र का कोई भी मुद्दा उन्हें सदन में उठाने के लिए महत्वपूर्ण नहीं लगा। वह नैनीताल में उनके वरिष्ठ विधायकों और नेताओं द्वारा फैलाई गई अराजकता पर हुई कानूनी कार्रवाई को लेकर अधिक उग्र हुए, सदन को बंधक बनाकर, अपनी अलोकतांत्रिक मांग मनवाने के उनके ऐसे कृत्य को जनता ने एक बार पुनः देखा है।

उन्होंने सरकार द्वारा संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए, सदन द्वारा तय कार्यवाही एजेंडे को पूर्ण करने पर खुशी जताई। विपक्ष के तमाम अवरोधों के वावजूद सत्र में अनुपूरक बजट समेत अन्य विधेयकों की मंजूरी के लिए उन्होंने प्रदेशवासियों की तरफ से सीएम धामी का आभार व्यक्त किया। साथ ही सत्र को लेकर विपक्ष की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा, सिर्फ हंगामा करने और राजनीति के लिए ही सदन नहीं चलाया जा सकता है। विधानसभा कार्यमंत्रणा समिति द्वारा जो भी सदन का बिजनेस निर्धारित किया गया था उसे पूरा किया गया। ऐसे में सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना ही एकमात्र उचित विकल्प था। उन्होंने सीधे आरोप लगाया कि विपक्ष का मकसद  जनता के मुद्दों को सदन में उठाने से रोकना था। वे नहीं चाहते थे कि धर्मांतरण कानून को अधिक कठोर करने पर चर्चा हो, अवैध मदरसों पर कार्रवाई के विधेयक पर चर्चा न हो और आपदा पीड़ितों और बचाव राहत पर बात न हो।

 

वहीं सदन की कार्रवाई को लेकर विपक्ष पर व्यंग कसते हुए कहा, कांग्रेस के पास जनहित को लेकर कोई सवाल नहीं थे, इसलिए उनके विधायक सदन में नींद पूरी करते रहे, भट्ट ने  आरोप लगाया कि विपक्ष के नेता यशपाल आर्या तक अपने केस हटाने और अपने निजी फायदे के लिए अपनी भूमिका का दुरुपयोग करते नजर आए। एक कड़वा सच सामने आया है कि कांग्रेस नेता सपनों की दुनिया में बाहर खोए और सदन में सोए रहते हैं। कांग्रेसी विधायकों ने सदन में इस मर्तबा विपक्षी राजनीति का विकृत रूप पेश किया है। दिनभर सदन में हंगामा और तोड़फोड़ और रात में उसी सदन में खर्राटे भरना, लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए बेहद शर्मनाक है।

 

 

विपक्ष के हंगामे के बीच सदन में नौ विधेयक पास, चार दिवसीय सत्र दो दिन में खत्म

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उत्तराखंड विधानसभा सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, विपक्ष के हंगामे के बीच अहम फैसले हुए

उत्तराखंड विधानसभा का सत्र मंगलवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में आयोजित मानसून सत्र की कार्यवाही लगातार विपक्षी दलों के हंगामे और विरोध प्रदर्शनों के बीच चली। अंततः विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की।

हंगामेदार रहा मानसून सत्र

सत्र के दौरान कांग्रेस विधायकों ने लगातार सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रखा। रोजगार, आपदा प्रबंधन, भ्रष्टाचार और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कई बार सदन की कार्यवाही बाधित की। यहां तक कि कुछ विधायक बिस्तर लेकर सदन में रात्रि विश्राम पर भी बैठ गए, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

कई अहम बिल पास

हालांकि, विपक्ष के विरोध के बीच सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों और प्रस्तावों को सदन में पारित कराया। इनमें उत्तराखंड सेवा नियमावली में संशोधन, आपदा राहत पुनर्वास नीति, और शहरी विकास से जुड़े विषय प्रमुख रहे।

अध्यक्ष की अपील

सत्र स्थगन की घोषणा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने सभी सदस्यों से अपेक्षा जताई कि भविष्य में वे सदन की मर्यादा का पालन करेंगे और जनता के हित में सार्थक चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा, “सदन लोकतंत्र का मंदिर है, इसकी गरिमा बनाए रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।”

मुख्यमंत्री का बयान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्र के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, “सरकार पारदर्शिता और जनहित में काम कर रही है। विपक्ष केवल प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहा है। जनता सब देख रही है।

 

उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार को भारी हंगामे के बीच सभी नौ विधेयक पारित हो गए। इसी के साथ सदन ने 5315 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट भी पास कर दिया गया। सत्र के दौरान विपक्षी हंगामे से सदन कई बार स्थगित हुआ, लेकिन कार्यवाही के बीच महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया।विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र दो दिन में ही खत्म कर दिया गया। इस दौरान सदन में उत्तराखंड अल्पसंख्यक विधेयक पास किया गया, जिसके बाद सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक प्राधिकरण गठित होगा। इस प्राधिकरण से मदरसों को भी मान्यता मिलने का रास्ता साफ हो गया।

 

इसके अलावा समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक भी पारित हुआ। नए प्रावधानों के तहत गलत तरीके से लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए सजा बढ़ा दी गई है। सदन में संशोधित सख्त धर्मांतरण कानून भी पास किया गया। अब जबरन धर्मांतरण पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान होगा।सत्र के दौरान कांग्रेस ने तीखा प्रदर्शन किया। निर्दलीय विधायक संजय डोभाल भी विपक्षी विधायकों के साथ धरना-प्रदर्शन में शामिल हो गए। इसी बीच कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने सदन में कागज फाड़कर उछाले, जिससे माहौल और गर्मा गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पेश किया 5315 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट

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भराङीसैण (गैरसैण) में आयोजित विधानसभा सत्र में प्रस्तुत किये गये अनुपूरक बजट के संबंध में मीडिया से वार्ता करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 5315 करोड़ रुपये का यह अनुपूरक बजट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मंत्र को आत्मसात करते हुए तैयार किया गया है।
यह बजट केवल आंकड़ों का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि सतत विकास, समावेशी विकास, नवाचार और आर्थिक सुदृढ़ता की दिशा में हमारा संकल्प है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा फोकस राज्य की मानव पूंजी में निवेश और हर वर्ग के समावेशी विकास पर है। किसानों, श्रमिकों, गरीबों, महिलाओं, युवाओं, सुरक्षा बलों और पत्रकारों सहित सभी वर्गों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए यह बजट तैयार किया गया है।

राज्य में विद्युत टैरिफ सब्सिडी, स्वास्थ्य योजनाओं, प्रधानमंत्री आवास योजना, पुलिसकर्मियों के आवास, तीमारदारों के विश्राम गृह तथा शहीद व पत्रकार कल्याण कोष के लिए समुचित प्रावधान किए गए हैं।

हमारी सरकार ने आपदा न्यूनीकरण और पर्यावरणीय संतुलन को भी प्राथमिकता दी है, ताकि ‘इकोलॉजी’ और ‘इकोनॉमी’ के बीच संतुलन बना रहे। भू-धसाव, भूकंप जोखिम, स्प्रिंग मैपिंग, और आपदा राहत हेतु प्रभावी बजटीय प्रावधान किए गए हैं।

बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में रिस्पना-बिन्दाल एलिवेटेड रोड, पंतनगर एयरपोर्ट विस्तार, कुंभ मेला अवसंरचना, तथा पर्यटन विकास को भी विशेष महत्व दिया गया है।

हम ऋषिकेश को योग नगरी और हरिद्वार को आध्यात्मिक पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने को प्रतिबद्ध हैं। साथ ही, नन्दा राजजात यात्रा और शारदा रिवर फ्रंट जैसे सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों को भी सशक्त किया जा रहा है।

यह अनुपूरक बजट नए उत्तराखण्ड की दिशा में एक और मजबूत कदम है। मैं राज्य की जनता से आह्वान करता हूं कि इस विकास यात्रा में हमारा साथ दें।

 

 

 

देहरादून में पहली बार होगा एशियन ओपन शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग ट्रॉफी

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भारत पहली बार शीतकालीन खेलों का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय आयोजन करने जा रहा है। एशियन ओपन शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग ट्रॉफी 2025 का आयोजन 20 से 23 अगस्त तक राजधानी देहरादून में होगा। इस ऐतिहासिक प्रतियोगिता में एशिया के 11 से अधिक देश चीन, जापान, हांगकांग, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, चीनी ताइपे, वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस और भारत हिस्सा लेंगे। खिलाड़ी 222 मीटर स्प्रिंट से लेकर 5000 मीटर रिले तक की 9 अलग-अलग प्रतिस्पर्धाओं में दमखम दिखाएंगे।

 

देहरादून का हिमाद्री आइस रिंक, जो देश की इकलौती ओलंपिक साइज आइस रिंक है, इस आयोजन का केंद्र होगा। लंबे समय से बंद रही यह रिंक अब पूरी तरह तैयार है और हाल ही में राष्ट्रीय चैंपियनशिप की मेज़बानी भी कर चुकी है। इस टूर्नामेंट में 190 से अधिक स्केटर्स उतरेंगे, जिनमें भारत की ओर से 90 स्केटर्स की टीम भी शामिल होगी। खास बात यह है कि राष्ट्रीय चैंपियन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुके खिलाड़ी भी इसमें हिस्सा लेंगे। खिलाड़ियों को कोरिया से आए अंतरराष्ट्रीय कोच प्रशिक्षण देंगे। यह आयोजन भारत में शीतकालीन खेलों की तस्वीर बदलने जा रहा है। आइस स्केटिंग अब पहाड़ी इलाकों से निकलकर महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक तक पहुँच चुकी है। इस साल हार्बिन (चीन) में हुए एशियन विंटर गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके खिलाड़ी एकलव्य जगल, सोहन टरकर, साई सहाना, सुयोग तापकीर, डेशियल कॉन्सेसाओ, नॉयल सी. चेरियन और अन्य भी इस भव्य आयोजन का हिस्सा होंगे। यानी, देहरादून में होने वाला यह टूर्नामेंट सिर्फ मेडल की जंग नहीं, बल्कि भारत में विंटर स्पोर्ट्स के नए युग की शुरुआत है।यह आयोजन भारत के लिए शीतकालीन खेलों में एक नया अध्याय खोलेगा और इस देश में स्केटिंग खेलों को राष्ट्रीय मान्यता दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. 

 

हिमाद्री आइस रिंक, जिसे 2011 के दक्षिण एशियाई शीतकालीन खेलों के बाद उच्च रखरखाव लागत के कारण बंद कर दिया गया था, हाल ही में फिर से खोला गया है। इसी स्थान पर जून के महीने में 20वीं राष्ट्रीय स्पीड और फिगर स्केटिंग चैंपियनशिप का आयोजन किया गया था।

हालांकि यह पहली बार है कि भारत में किसी अंतर्राष्ट्रीय आइस स्केटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन इससे आने वाले वर्षों में इसी खेल की और अधिक चैंपियनशिप के लिए भी द्वार खुल गए हैं।

आइस स्केटिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएसएआई) द्वारा आयोजित और अंतर्राष्ट्रीय स्केटिंग संघ (आईएसयू) द्वारा अनुमोदित, इस प्रतियोगिता में 15 से ज़्यादा एशियाई देश भाग लेंगे। ओपन ट्रॉफी में व्यक्तिगत और रिले आयु वर्गों में 222 मीटर से 5000 मीटर तक की कुल नौ दूरियाँ होंगी।

                                एशियन ओपन शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग ट्रॉफी 2025

एशियन ओपन शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग ट्रॉफी 2025

आइस स्केटिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएसएआई) के अध्यक्ष अमिताभ शर्मा ने कहा- यह टूर्नामेंट भारतीय स्केटर्स के लिए एक बड़ी छलांग होगी। इस आयोजन की मेज़बानी से भविष्य में और भी कई आयोजन करने का हमारा आत्मविश्वास बढ़ेगा,हमारा मानना है कि यह भारत में बर्फ पर खेले जाने वाले खेलों के भविष्य को आकार देने के लिए हमारी नियति से भेंट है।शर्मा ने कहा कि इस स्तर के अंतर्राष्ट्रीय आयोजन की मेजबानी के लिए देश में एकमात्र ओलंपिक आकार का आइस रिंक ही पर्याप्त है। हमारा लक्ष्य अधिक बुनियादी ढांचे का विकास करना और  2027 तक जूनियर विश्व कप सहित अधिक अंतर्राष्ट्रीय आइस स्केटिंग प्रतियोगिताएं आयोजित करना है।”

 

भारत विभिन्न आयु वर्गों और खेलों के 90 स्केटर्स के साथ एक दल तैयार कर रहा है, जो वर्तमान में हिमाद्री आइस रिंक में प्रशिक्षण शिविर में हैं। कई बार की अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता और शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग में राष्ट्रीय चैंपियन नयना श्री तल्लूरी इस  एशियन  ओपन में पदक जीतने पर नज़र गड़ाए हुए हैं। उन्होंने कहा, “देहरादून में हमारी ट्रेनिंग काफ़ी कड़ी मेहनत से चल रही है। आईएसएआई ने एशियन ओपन ट्रॉफी से पहले हमारा मार्गदर्शन करने के लिए कोरिया से एक अंतरराष्ट्रीय कोच को बुलाया है.