Category Archive : राज्य

हर्षिल झील पंचर करने में मिली बड़ी कामयाबी, घटने लगा जलस्तर

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उत्तरकाशी के हर्षिल में बनी झील को आखिरकार शनिवार को सफलतापूर्वक पंचर कर दिया गया। झील से पानी की निकासी के लिए उत्तराखंड जल विद्युत निगम, सिंचाई विभाग, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। विभागीय टीमों ने नदी के समानांतर एक नहर तैयार कर झील के पानी को चैनलाइज किया। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद विभिन्न विभागों के 30 से अधिक कर्मचारियों ने शनिवार को युद्ध स्तर पर काम करते हुए झील से पानी की निकासी सुनिश्चित की।

पांच अगस्त की आपदा से धराली और हर्षिल में भागीरथी नदी का प्रवाह प्रभावित हो गया था। धराली में भागीरथी नदी का प्रवाह मुखबा गांव के ठीक नीचे हो रहा है, वहीं, हर्षिल में नदी के मुहाने पर बड़े-बड़े पेड़, बोल्डर और मिट्टी-गाद फंसने से यहां झील बनने लगी थी और इसका दायरा 1200 मीटर तक पहुंच गया था और झील की गहराई 15 फिट तक मापी गई थी। लगातार हो रही बारिश के बीच पानी की बहुत कम निकासी से बढ़ते जल स्तर पर यहां गंगोत्री हाईवे भी भी झील में समा गया था। झील के बढ़ते खतरे के बीच यूजेवीएनएल और सिंचाई विभाग के 30 इंजीनियरों की टीम के साथ ही सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन पिछले तीन दिन से झील को पंचर करने में जुटे थे। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि शनिवार सुबह यहां भागीरथी को चैनेलाइज कर नदी के समान्तर पानी के प्रवाह शुरू करने के साथ ही मुहाने पर फंसे पेड़ों को हटाने के बाद पानी की निकासी बढ़ने से झील का जल स्तर घटने लगा। यहां विशेषज्ञ लगातार झील पर नजर बने हुए हैं।

उत्तरकाशी आपदा: आंखों से नींद और मन का छिन गया सुकून, मानसिक घाव के बाद लोग घबराहट और बेचैनी से परेशान

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पांच अगस्त को खीर गंगा के रौद्र रूप ने धराली और हर्षिल घाटी में सिर्फ घरों और संपत्तियों को ही नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि लोगों के मन पर भी गहरा असर डाला है। लापता अपनों की चिंता और तबाही के खौफ से कई लोग घबराहट, बेचैनी और नींद न आने जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

इस मानसिक पीड़ा को समझने के लिए स्टेट मेंटल हेल्थ अस्पताल सेलाकुई देहरादून के मनोचिकित्सक डॉ. रोहित गोदवाल और उनकी टीम ने धराली का दौरा किया। पहले दिन की जांच में करीब 150 लोगों में से 10 लोग गंभीर मानसिक समस्याओं से ग्रस्त मिले। डॉ. रोहित ने बताया कि ये लोग ज्यादातर वे हैं जिन्होंने अपनी आंखों से तबाही का मंजर देखा और जिनके परिजन अब भी लापता हैं।

डॉ. रोहित गोदवाल का कहना है कि यह पीटीएसडी (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) की स्थिति है। इस स्थिति में व्यक्ति को बार-बार घटना याद आती है। दिल की धड़कन तेज हो जाती है और वह छोटी-सी आहट से भी घबरा जाता है। दूसरे दिन के परीक्षण में भी 70 में से 10 लोग चिड़चिड़ापन और घबराहट से ग्रस्त पाए गए। सबसे अधिक प्रभावित बुजुर्ग और युवा थे। महिलाएं और बच्चों की संख्या बेहद कम है।

 

आठ दिन तक की काउंसलिंग
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों गंगोत्री, धराली, गंगनानी, डबरानी, भटवाड़ी और हीना में शिविर लगाए हैं। डॉ. गोदवाल ने आठ दिन तक धराली और हर्षिल अस्पताल में लोगों की काउंसलिंग की। उन्होंने लोगों को सलाह दी है कि वे खुद को अकेला न रखें, घटना के बारे में बार-बार चर्चा करने से बचें और परिवार के साथ समय बिताकर माहौल को सकारात्मक बनाएं। यदि कोई मानसिक समस्या से जूझ रहा है तो वह हेल्पलाइन नंबर 144166 पर कॉल करके 24 घंटे काउंसलिंग और मार्गदर्शन ले सकता है।

कम्युनिटी हेल्थ सेंटर सहसपुर देहरादून के सीएमएस डॉ. मोहन डोगरा ने बताया कि कई लोगों ने थकान और कमजोरी की शिकायत की लेकिन दवा लेने और आराम करने के बाद अब उनकी हालत सामान्य है। वहीं धराली आपदा के नोडल अधिकारी डॉ. सीपी त्रिपाठी ने कहा कि आपदा के माहौल में गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को जितना हो सके खुशनुमा माहौल में रखना चाहिए।

नैनीताल जिला पंचायत चुनाव में नया मोड़,गायब हुए सदस्यों ने जारी किया वीडियो

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नैनीताल जिला पंचायत चुनाव के दौरान कांग्रेसियों की ओर से कांग्रेस के पांच जिला पंचायत के सदस्यों को भाजपा के नेताओं द्वारा अपहरण करने के मामले में नया मोड़ आया है। मामले में हल्द्वानी में कांग्रेय कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन किया। जिसके बाद शुक्रवार देर शाम लापता जिला पंचायत सदस्यों ने अपना वीडियो जारी किया है। वीडियो में उन्होंने कहा कि उनका अपहरण नहीं हुआ है। सोशल मीडिया से उनके अपहरण की जानकारी मिली है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। उन्होंने वीडियो जारी कर कहा है कि वह अपनी मर्जी से पांच लोग घूमने के लिए निकले हैं। किसी तरह का कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। जहां भी हैं वह लोग सुरक्षित हैं। जल्द ही सभी लोग सामने आ जाएंगे।

 

नैनीताल जिला पंचायत चुनाव की वोट गिनती कड़ी सुरक्षा और वीडियोग्राफिंग के बीच पूरी हुई। नतीजों को सील कर हाईकोर्ट कोर्ट के निर्देशों के अधीन रखा गया है। डीएम ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देशों के तहत 22 जिला पंचायत सदस्यों के वोटों की गिनती की गई। नियमावली में री-पोलिंग का प्रावधान न होने के कारण सीधे काउंटिंग हुई। केवल बूथ कैप्चरिंग, तकनीकी खामी या बैलेट बॉक्स को नुकसान होने पर ही री-पोलिंग हो सकती है। चुनाव परिणाम सील्ड लिफाफे में रखा गया है, जिसे 18 अगस्त को हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा।

आपदाग्रस्‍त धराली में देशभक्ति की अनूठी मिसाल, सादगी से मनाया स्‍वतंत्रता दिवस; फहराया तिरंगा

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विगत 5 अगस्त की आपदा के बाद से धराली व आसपास के क्षेत्रों में खोज, बचाव और राहत कार्यों में जुटी टीमें राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस पर भी अपने कर्तव्य से नहीं डिगी।एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, आपदा प्रबंधन विभाग और विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने राहत कार्यों के बीच ही स्वतंत्रता दिवस का पर्व शालीनता और सादगी के साथ मनाया।आईजी अरुण मोहन जोशी ने ध्वजारोहण किया।

धराली में सोमेश्वर देवता मंदिर परिसर में सुबह निर्धारित समय पर सभी ने एकत्र होकर ध्वजारोहण किया, राष्ट्रगान गाया और बलिदानी को नमन किया। इसके बाद बिना समय गंवाए सभी दल दोबारा खोज-बचाव और राहत कार्यों में जुट गए। धराली में खोज बचाओ टीमों के अलावा ग्रामीण भी शामिल हुए।

धराली के साथ-साथ हर्षिल में भी भारतीय सेना और आईटीबीपी के जवानों ने स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित किया। जवानों ने तिरंगा फहराकर देश की सेवा और आपदा प्रभावित लोगों की मदद के संकल्प को दोहराया। ध्वजारोहण के तुरंत बाद वे भी प्रभावित इलाकों में राहत और खोज-बचाव कार्यों में सक्रिय हो गए।

नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की मतगणना पूरी, परिणाम की घोषणा नहीं

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जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के लिए मतदान से पहले हाईवोल्टेज ड्रामा के बाद राज्य निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देश के बाद मतगणना पूरी कर ली गई है, अलबत्ता परिणाम की घोषणा स्थगित की गई है। मतगणना से संबंधित अन्य जरूरी दस्तावेज को ट्रेजरी में सील बंद कर रख दिया गया। 18 अगस्त को हाई कोर्ट के निर्देश पर इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।

बीती पूरी रात जिला पंचायत चुनाव परिणाम को लेकर असमंजस बरकरार रहा, तड़के 5 बजे चुनाव आयोग के पर्यवेक्षक, जिलाधिकारी वंदना की उपस्थिति में मत पेटी पर पड़े मतों की गणना करते हुए सील कर दिया गया। पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी की गई।

दरअसल जिला पंचायत के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के लिए मतदान से पहले कांग्रेस समर्थित पांच सदस्यों के कथित अपहरण के बाद सियासी बवाल खड़ा हो गया। कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य सहित अन्य कांग्रेसजन हाईकोर्ट पहुंचे और अर्जेंट सुनवाई की मांग की। कोर्ट के आदेश पर एसएसपी व जिलाधिकारी कोर्ट में पेश हुए।

हाई कोर्ट की ओर से सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणियों के बीच आधिकारिक आदेश में जिलाधिकारी की ओर से दुबारा मतदान से संबंधित बयान का उल्लेख नहीं होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग को मामला रेफर किया गया। आयोग व जिला स्तर तक का पत्राचार आधी रात के बाद तक चलता रहा।

गुरुवार रात तक निर्वाचन आयोग की ओर से जिला निर्वाचन अधिकारी को मतगणना करने या मौजूदा चुनाव को रद कर दुबारा मतदान को लेकर स्पष्ट निर्देश जारी नही किए गए।

आयोग के पत्र मिलने के बाद स्थिति साफ करने को फिर से रिमाइंडर भेजा गया जिसके बाद आयोग की ओर मामले में अपने स्तर से निर्णय लेने को कहा गया। इसके बाद जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से फिर से स्पष्ट दिशा निर्देश मांगे गए।

रात करीब डेढ़ बजे एकाएक मतगणना की तैयारी की गई। तड़के फिर जिला पंचायत चुनाव नियमावली सहित हाई कोर्ट के 2019 में एक मामले में पारित दिशा निर्देश के अध्ययन के बाद तय हुआ कि मतगणना की जाए लेकिन परिणाम को रिजर्व कर दस्तावेज सील कर दिये गए। शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी वंदना ने प्रेस वार्ता कर जानकारी दी कि मतगणना पूरी की जा चुकी है, लेकिन परिणाम घोषित नहीं करते हुए रिजर्व किया गया।

इस मामले को हाई कोर्ट के समक्ष रखा जाएगा, अग्रिम कार्रवाई कोर्ट के आदेश के अनुसार होगी। उल्लेखनीय है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा ने दीपा दरमवाल, कांग्रेस ने पुष्पा नेगी, उपाध्यक्ष में भाजपा ने बहादुर नगदली व कांग्रेस ने देवकी बिष्ट प्रत्याशी हैं।

पंचायत चुनाव डबल वोटर: नियम विरुद्ध चुनाव जीतने वालों का कार्यकाल होगा रद्द! हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

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उत्तराखंड हाईकोर्ट में बीडीसी चुनाव में पराजित प्रत्याशियों द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद इन मामलों को चुनाव याचिका के रूप में प्रस्तुत करने को कहा है. साथ ही कहा कि इन चुनाव याचिकाओं का 6 माह के भीतर निस्तारण किया जाए. कोर्ट ने किसी भी याचिका में अंतरिम आदेश नहीं दिया है. इन याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में हुई.

मामले के अनुसार, पौढ़ी गढ़वाल निवासी दीक्षा नेगी, टिहरी निवासी नीरू चौधरी और उत्तरकाशी निवासी उषा ने अपनी याचिका में कहा कि वे बीडीसी सदस्य का चुनाव हारे हैं और उनके खिलाफ जो प्रत्याशी जीते हैं, उनके दो जगह की मतदाता सूची में नाम थे. इसलिए उनका निर्वाचन रद्द किया जाए और उन्हें 14 अगस्त को ब्लॉक प्रमुख, ज्येष्ठ प्रमुख और कनिष्ठ प्रमुख के चुनाव में मतदान करने से रोका जाए. जबकि वर्षा राणा, गंगा नेगी, कनिका, त्रिलोक बिष्ट ने कहा कि वे चुनाव जीते हैं. लेकिन उनके खिलाफ लड़ रहे प्रत्याशी दूसरे क्षेत्र से चुनाव जीते हैं. जिनके दो मतदाता सूची में नाम थे. इसलिए उनका निर्वाचन रद्द किया जाए और उन्हें भी 14 अगस्त को होने वाले ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में मतदान करने से रोका जाए.

याचिकाकर्ताओं के अनुसार हाईकोर्ट ने 11 जुलाई 2025 को शक्ति सिंह बर्त्वाल की याचिका में अंतरिम आदेश जारी कर राज्य निर्वाचन आयोग के सर्कुलर पर रोक लगा दी थी. जिसमें आयोग ने दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वाले व्यक्ति को मतदान करने और चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी थी. लेकिन तब चुनाव आयोग ने 11 जुलाई तक त्रिस्तरीय पंचायत हेतु नामांकन प्रक्रिया हो जाने के कारण निर्वाचन प्रक्रिया जारी रखी. जिसके बाद दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वाले व्यक्ति चुनाव में भाग लेने में सफल रहे. जिन्हें अब चुनाव याचिकाओं के रूप में बड़े स्तर पर हाईकोर्ट में चुनौती मिल रही है.

 

याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने यह तथ्य रखा कि, ठीक है वे चुनाव हार गए. उसके बाद अगर चुनाव को वे चुनौती देते हैं तो उसका निर्णय पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी नहीं आता और कोर्ट में मामला चलता रहता है. जिसपर आज कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए कहा कि चुनाव से संबंधित जो भी याचिकाएं दायर होंगी, उनका निस्तारण 6 माह के भीतर होगा. जो प्रत्याशी नियमों, शर्तों के अनुसार जीता है, वह कार्यकाल पूरा करेगा. अगर नियमों के विरुद्ध जीता है तो उसका कार्यकाल निर्णय आने के बाद रद्द होगा.

जिला पंचायत सदस्यों का अपहरण’ बताकर कांग्रेसी हाईकोर्ट पहुंचे, जमकर हंगामा; होगा चुनाव का बहिष्कार?

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जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर नैनीताल में जमकर हंगामा हो रहा है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष राहुल छिमवाल ने कुछ लोगों पर उनके जिला पंचायत सदस्यों का अपहरण करने का आरोप लगाया है। इसको लेकर कांग्रेस कार्यकर्ता न्याय की मांग को लेकर हाईकोर्ट गए। नेता प्रतिपक्ष ने इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किया है।

बृहस्पतिवार को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए मतदान करने जा रहे जिला पंचायत सदस्यों को कई लोगों ने जिला पंचायत कार्यालय के पास से ही जबरन उठा लिया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। कांग्रेसियों ने पुलिस के सामने ही उनके समर्थक जिला पंचायत सदस्यों को अगवा करने का आरोप लगाया है। जिसके बाद सभी कांग्रेसी नेता हाईकोर्ट की शरण चले गए हैं। जिसके बाद नैनीताल का माहौल गर्म हो गया है।

धामी कैबिनेट नेउत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 पर लगाई मुहर,धर्म परिवर्तन पर सख्ती

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धामी कैबिनेट ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 पर मुहर लगा दी,बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में कई अन्य मसलों को भी मंजूरी दी गयी।

देखें, कैबिनेट के फैसले-

1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2025 है।
(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा।

2.
प्रलोभन की परिभाषा में प्रस्तावित संयोजन।

प्रलोभन” का अर्थ है और इसमें किसी प्रलोभन की पेशकश भी निम्न रूप से शामिल है, –
(1) कोई उपहार, परितोषण, आसान धन या भौतिक लाभ, चाहे नकद या वस्तु के रूप में;
(ii) रोजगार, किसी धार्मिक संस्था द्वारा संचालित स्कूल या कॉलेज में निःशुल्क शिक्षा; या
(iii) विवाह करने का वचन देना; या
(iv) बेहतर जीवनशैली, दैवीय अप्रसन्नता या अन्यथा; या
(v) किसी धर्म की प्रथाओं, अनुष्ठानों और समारोहों या उसके किसी अभिन्न अंग को किसी अन्य धर्म के संबंध में हानिकारक तरीके से चित्रित करना; या
(vi) एक धर्म को दूसरे धर्म के विरुद्ध महिमामंडित करना।

प्रस्तावित संशोधन पूर्व में उल्लिखित प्राविधान का प्रतिस्थापन करते हुएः

इस अधिनियम में प्रयुक्त किन्तु अपरिभाषित तथा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, भारतीय न्याय संहिता, 2023 या सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का केन्द्रीय अधिनियम 21) में परिभाषित शब्दों तथा अभिव्यक्तियों के वही अर्थ होंगे, जो उस अधिनियम में क्रमशः उन्हें दिए गए हैं।

प्रस्तावित संशोधन:
डिजिटल ढंग :
“डिजिटल ढंग” से अभिप्राय है तथा इसमें शामिल है,
(1) सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइट, जो व्यैक्तिकों को, –
(i) परिबद्ध प्रणाली के भीतर सार्वजनिक या अर्ध सार्वजनिक प्रोफाइल का निर्माण करने की अनुमति देती है;
(ii) अन्य उपयोगकर्ताओं, जिनके साथ वे कनैक्शन साझा करते हैं, की सूची स्पष्ट करने की अनुमति देती है; तथा
(iii) प्रणाली के भीतर उनके तथा दूसरों द्वारा बनाये गए कनैक्शनों की सूची देखने और अनुप्रस्थ करने की अनुमति देती है;
(2) सोशल मीडिया ऐप्लिकेशन, जिसका उद्देश्य उन लोगों के ऑनलाइन समुदायों का निर्माण करना, जो अपनी रूचियों और गतिविधियों को साझा करते हैं, या जो दूसरों की रूचियों और गतिविधियों की छान-बिन में रूचि रखते हैं और उपयोगकर्ताओं को प्रभावित करने के लिए कई प्रकार के तरीके प्रदान करती है, जैसे ई-मेल और इंस्टेंट मैसेजिंगः

5.
प्रस्तावित संशोधन :
(ड) छद्म पहचान (Fraudulent Impersonation):
जानबूझकर एवं धोखे की मंशा से किसी अन्य व्यक्ति के धार्मिक वेशभूषा, सामाजिक पद अथवा प्रतिष्ठा का भेष धारण करना व जाति, धर्म, मूल, लिंग जन्म स्थान या निवास स्थान का प्रतिरूपण करना अथवा किसी धार्मिक संस्था या सामाजिक संगठन का झूठा रूप धारण करना, विशेषतः यदि इसका उद्देश्य-जनता को भ्रमित करना, धोखाधड़ी करना, अनुचित लाभ अर्जित करना, सार्वजनिक भावनाओं को आहत करना हो।

6.
प्रस्तावित संशोधन :
(ढ) “सार्वजनिक भावना” से तात्पर्य किसी समुदाय या धार्मिक समूह की सांस्कृतिक एवं धार्मिक भावनाएँ, जिनके जानबूझकर आहत करने पर समाज में अशांति उत्पन्न होने की संभावना हो।

7.
प्रस्तावित संशोधन :

(ण) “पीड़ित” से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के परिणाम स्वरूप कोई हानि या क्षति कारित हुई है और इसके अन्तर्गत ऐसे पीड़ित का संरक्षक व विधिक वारिस भी है।

8.
प्रस्तावित संयोजन :

(3) डिजिटल ढंग सहित किन्हीं साधनों के माध्यम से ऐसे धर्म परिवर्तन के लिए नहीं उकसाएगा या षड्यन्त्र नहीं करेगा।
(4) विवाह के आशय से अपना धर्म नहीं छिपाएगा।
(5) कोई भी व्यक्ति-छद्म पहचान का प्रयोग नहीं करेगा, धार्मिक, सामाजिक या अन्य पहचान का दुरुपयोग नहीं करेगा, सार्वजनिक भावनाओं को आहत नहीं करेगा, अनुचित लाभ प्राप्त करने हेतु धोखाधड़ी नहीं करेगा।

9.
धारा 4- प्रस्तावित संशोधन – पूर्व मे उल्लेखित प्रावधान का प्रतिस्थापन करते हुएः

अधिनियम के उपबन्धों के उल्लंघन से सम्बन्धित कोई सूचना किसी भी व्यक्ति द्वारा दी जा सकती है और ऐसी सूचना देने के रीति वही होगी जैसी नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (अधिनियम संख्या 46 सन् 2023) के अध्याय 13 में की गई है।

10.
प्रस्तावित संशोधन पूर्व में उल्लिखित प्राविधान का प्रतिस्थापन करते हुएः

(1) जो कोई धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करेगा/करेगी, वह किसी सिविल दायित्व पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसी अवधि के लिए कारावास से दण्डित किया जायेगा/की जायेगी, जो तीन वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक हो सकेगी और वह ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा / होगी जो पच्चास हजार रूपये से कम नही होगाः

(2) जो कोई किसी अवयस्क, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के सम्बन्ध में या दिव्यांग या मानसिक रूप से दुर्बल पुरुष या महिला के संबंध में धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करेगा करेगी वह ऐसी अवधि के लिए कारावास से दण्डित किया जायेगा/की जायेगी, जो पाँच वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु चौदह वर्ष तक हो सकेगी और वह ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा/होगी जो एक लाख रूपये से कम नहीं होगा।
परन्तु यह और कि जो कोई सामूहिक धर्म परिवर्तन के सम्बन्ध में धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करेगा/करेगी वह ऐसी अवधि के लिए कारावास से दण्डित किया जायेगा/की जायेगी जो सात वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु चौदह वर्ष तक हो सकेगी और वह ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा/होगी जो एक लाख रूपये से कम नहीं होगाः
(3) जो कोई विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन के सम्बन्ध में किन्हीं विदेशी अथवा अवधिक संस्थाओं से धन प्राप्त करेगा वह ऐसी अवधि से कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा जो सात वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो चौदह वर्ष तक हो सकेगी और वह ऐसे जुर्माने का भी दायी होगी, जो दस लाख रुपये से कम नहीं होगा।
(4) जो कोई धर्म संपरिवर्तन करने के आशय से किसी व्यक्ति को उसके जीवन या संपत्ति के लिए भय में डालता है, हमला करता है या बल का प्रयोग करता है या विवाह या विवाह करने का वचन देता है या उसके लिए उत्प्रेरित करता है या षडयंत्र करता है या उन्हें प्रलोभन देकर किसी नाबालिक महिला या व्यक्ति की तस्करी करता है या अन्यथा उन्हें विक्रीत करता है या इस निमित्त दुष्प्रेरण, प्रयास अथवा षडयंत्र करता है वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका तात्पर्य उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास से होगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा:
परन्तु ऐसा जुर्माना पीड़ित के चिकित्सीय खर्चों को पूरा करने और पुनर्वास के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगाः
(5) न्यायालय उक्त धर्म परिवर्तन के पीड़ित को अभियुक्त द्वारा संदेय समूचित प्रतिकर भी स्वीकृत करेगा, जो अधिकतम पांच लाख रूपये तक हो सकता है जो जुर्माना के अतिरिक्त होगा।
( 6 ) जो कोई भी उसके द्वारा माने जाने वाले धर्म से भिन्न किसी धर्म वाले व्यक्ति से विवाह करने का आशय रखते हुए धारा 3 (4) के उपबंधों का उल्लंघन करेगा/करेगी है तथा ऐसी रीति में अपने धर्म को छुपाता है कि अन्य व्यक्ति, जिससे वह विवाह करने का आशय रखता है, विश्वास करता है कि वास्तव में उसका धर्म उसके द्वारा माने जाने वाला ही धर्म है, तो कारावास की ऐसी अवधि, जो तीन वर्ष से कम नहीं होगी. जो दस वर्ष के लिए बढ़ाई जा सकती है, से दण्डनीय होगा और जुर्माने, जो तीन लाख रूपए से कम नहीं होगा, से भी दण्डनीय होगा।
(7) जो कोई भी उपधारा 3(5) का उल्लंघन करता है वह ऐसी अवधि के कारावास जो तीन वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक हो सकेगी और वह ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा। होगी जो पच्चास हजार रूपये से कम नहीं होगाः
(8) जो कोई इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का पूर्व में सिद्ध दोष ठहराये जाने पर इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय किसी अपराध का पुनः सिद्धदोष ठहराया जायेगा/जायेगी वह ऐसे प्रत्येक पश्चातवर्ती अपराध के लिए दण्ड का दायी होगा/होगी जो इस अधिनियम के अधीन तद्भिमित्त प्रदान किये गये दण्ड के दो गुना से अधिक नहीं होगा।

11.
प्रस्तावित संयोजनः

(1) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (अधिनियम संख्या 46 सन् 2023) से अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी इस अधिनियम के अधीन समस्त अपराध, संज्ञेय और गैर जमानतीय होंगे तथा सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होंगे।
(2) इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध के अभियुक्त व्यक्ति, यदि अभिरक्षा में हो, को जमानत पर तब तक नहीं छोड़ा जायेगा, जब तक कि-
(क) इस अधिनियम को, ऐसे छोड़े जाने के लिए जमानत के आवेदन का विरोध करने हेतु अवसर न प्रदान कर दिया जाय, और
(ख) जहाँ लोक अभियोजक जमानत के आवेदन का विरोध करता है वहीं सत्र न्यायालय का यह समाधान हो जाने पर कि यह विश्वास करने के युक्तियुक्त आधार है कि वह ऐसे अपराध का दोषी नहीं है और यह कि जमानत पर रहने के दौरान उसके द्वारा कोई अपराध किया जाना संभाव्य नहीं है।

12.

संपत्ति की कुर्कीः
(1) यदि जिला मजिस्ट्रेट को यह विश्वास करने का कारण है कि किसी व्यक्ति के कब्जे में स्थित कोई सम्पत्ति, चाहे वह जंगम हो या स्थावर अभियुक्त के द्वारा इस अधिनियम के अधीन विचारणीय किसी अपराध कार्य के परिणामस्वरूप अर्जित की गयी है तो वह ऐसी सम्पत्ति को कुर्क करने का आदेश दे सकता है, चाहे किसी न्यायालय द्वारा ऐसे अपराध का संज्ञान किया गया हो, या नहीं।
(2) प्रत्येक ऐसी कुर्की पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के उपबन्ध, यथावश्यक परिवर्तन सहित, लागू होंगे।
(3) संहिता के उपबन्धों के होते हुए भी, जिला मजिस्ट्रेट, उपधारा (1) के अधीन कुर्क की गयी किसी सम्पत्ति का प्रशासक नियुक्त कर सकता है और प्रशासक को ऐसी सम्पत्ति के सर्वोत्तम हित में उसका प्रबन्ध करने की सभी शक्तियाँ होगी।
(4) जिला मजिस्ट्रेट ऐसी सम्पत्ति के उचित और प्रभावी प्रबन्ध के लिए प्रशासक को पुलिस सहायता की व्यवस्था कर सकता है।

13.
सम्पत्ति को निर्मुक्त करनाः

(1) जहां कोई संपत्ति धारा 14 क के अधीन कुर्क की जाये, वहाँ उसका दावेदार, ऐसी कुर्की की जानकारी के दिनांक से तीन मास, के भीतर जिला मजिस्ट्रेट को अपने द्वारा उस सम्पत्ति के अर्जन की परिस्थितियों और स्रोतों को दर्शाते हुए अभ्यावेदन कर सकता है।
(2) यदि उपधारा (1) के अधीन, किये गये दावे की वास्तविकता के बारे में जिला मजिस्ट्रेट का यह समाधान हो जाये तो वह कुर्क की गयी सम्पत्ति को तत्काल निर्मुक्त कर देगा और तदुपरान्त ऐसी सम्पत्ति दावेदार को सौंप दी जायेगी।

14.
सत्र न्यायालय द्वारा सम्पत्ति के अर्जन के स्वरूप के बारे में जाँचः
(1) जहां धारा 14ख की उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर कोई अभ्यावेदन न दिया जाये या जिला मजिस्ट्रेट धारा 14ख की उपधारा (2) के अधीन सम्पत्ति को निर्मुक्त नहीं करता है वहाँ वह मामले की अपनी रिपोर्ट के साथ इस अधिनियम के अधीन अपराध का विचारण करने के लिए अधिकारिता युक्त न्यायालय को निर्दिष्ट करेगा।
(2) जहां जिला मजिस्ट्रेट ने किसी सम्पत्ति को धारा 14क की उपधारा (1) के अधीन कुर्क करने से इन्कार किया है या किसी सम्पत्ति को धारा 14ख की उपधारा (2) के अधीन निर्मुक्त करने का आदेश दिया है वहाँ राज्य सरकार या कोई व्यक्ति जो इस प्रकार इन्कार करने या निर्मुक्त करने से व्यथित हो, यह जाँच करने के लिये कि क्या सम्पत्ति इस अधिनियम के अधीन विचारणीय किसी अपराध कार्य के द्वारा या उसके परिणामस्वरूप अर्जित की गयी थी, उपधारा (1) में निर्दिष्ट न्यायालय को आवेदन-पत्र दे सकता है। ऐसा न्यायालय, यदि वह न्याय के हित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझे, ऐसी सम्पत्ति को कुर्क करने का आदेश दे सकता है।
(3) (क) उपधारा (1) के अधीन निर्देश या उपधारा (2) के अधीन आवेदन-पत्र की प्राप्ति पर न्यायालय जाँच के लिये कोई दिनांक नियत करेगा और उसकी नोटिस उपधारा (2) के अधीन आवेदन-पत्र देने वाले व्यक्ति या यथास्थिति, धारा 14ख के अधीन अभ्यावेदन देने वाले व्यक्ति और राज्य सरकार और किसी अन्य व्यक्ति को भी जिसका हित मामले में अन्तर्ग्रस्त प्रतीत हो, देगा।
(ख) इस प्रकार नियत दिनांक को या किसी पश्चात्वर्ती दिनांक को जब तक के लिये जाँच अस्थगित की जाये, न्यायालय पक्षकारों की सुनवाई करेगा, उनके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य ग्रहण करेगा, ऐसे और साक्ष्य लेगा जिसे वह आवश्यक समझे, यह विनिश्चित करेगा कि क्या सम्पत्ति किसी अभियुक्त द्वारा इस अधिनियम के अधीन विचारणीय किसी अपराध कार्य के परिणामस्वरूप अर्जित की गयी थी और धारा 14घ के अधीन ऐसा आदेश देगा जैसा मामले की परिस्थितियों में न्यायसंगत और आवश्यक हो।

(4) उपधारा (3) के अधीन जाँच के प्रयोजनों के लिए सत्र न्यायालय को निम्नलिखित विषयों के सम्बन्ध में ऐसी शक्तियाँ होंगी जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (अधिनियम संख्या 5 सन् 1908) के अधीन किसी वाद पर विचारण करते समय सिविल न्यायालय की होती हैं, अर्थात् –

क) किसी व्यक्ति को समन कराना और उसे हाजिर कराना और शपथ पर उसका परीक्षण करना;
(ख) दस्तावेजों का पता लगाने और उन्हें प्रस्तुत करने की अपेक्षा करना;
(ग) शपथ-पत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना;
(घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से कोई सार्वजनिक अभिलेख या उसकी प्रति अभियाचित करना;
(ङ) साक्षियों या दस्तावेजों के परीक्षण के लिए कमीशन जारी करना;
(च) व्यतिक्रम के लिए निर्देश को खारिज करना या उसे एकपक्षीय विनिश्चित करना;
(छ) व्यतिक्रम के लिए खारिज करने के आदेश या एकपक्षीय विनिश्चय को अपास्त करना।
(5) भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, इस धारा के अधीन किसी कार्यवाही में यह साबित करने का भार कि प्रश्नगत सम्पत्ति या उसका कोई भाग किसी अभियुक्त द्वारा इस अधिनियम के अधीन विचारणीय किसी अपराध कार्य के परिणामस्वरूप अर्जित नहीं किया गया था, सम्पत्ति पर दावा करने वाले व्यक्ति पर होगा।

15.
जाँच के पश्चात् आदेश :
यदि ऐसी जाँच पर न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि सम्पत्ति किसी अभियुक्त द्वारा इस अधिनियम के अधीन विचारणीय किसी अपराध कार्य के परिणामस्वरूप अर्जित नहीं की गई थी तो वह उस सम्पत्ति को ऐसे व्यक्ति के पक्ष में निर्मुक्त करने का आदेश देगा जिसके कब्जे से वह कुर्क की गयी थी। किसी अन्य मामले में न्यायालय सम्पत्ति को कुर्क करके, अधिहरण करके या सम्पत्ति पर कब्जा पाने के लिए हकदार व्यक्ति को देकर, या अन्य प्रकार से उसका निस्तारण का आदेश दे सकता है, जैसा वह उचित समझे।

16.
पीड़ित के अधिकारः

(1) पीड़ित से निष्पक्षता, सम्मान और गरिमा के साथ तथा किसी ऐसी विशेष आवश्यकता के साथ, जो पीड़ित की आयु या लिंग या शैक्षणिक अलाभ या गरीबी के कारण उत्पन्न होती है, व्यवहार किया जाएगा।

(2) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में किसी बात के होते हुए भी, इस अधिनियम के अधीन किसी मामले का विचारण करने वाला न्यायालय पीड़ित, उसके आश्रित या सूचनाकर्ता को निम्नलिखित प्रदान करेगा, –

(क) न्याय प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण संरक्षण;

(ख) अन्वेषण, जांच और विचारण के दौरान यात्रा तथा भरण-पोषण व्ययः और

(ग) अन्वेषण, जांच और विचारण के दौरान सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास;

(घ) पुनः अवस्थान।

(3) राज्य, न्यायालय को किसी पीड़ित या उसके आश्रित या सूचनाकर्ता को प्रदान किए गए संरक्षण के बारे में सूचित करेगा और ऐसा न्यायालय प्रस्थापित किए गए संरक्षण का आवधिक रूप में पुनर्विलोकन करेगा तथा समुचित आदेश पारित करेगा।

(4) उपधारा (2) के उपबंधों की व्यापकता पर
प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, विचारण न्यायालय उसके समक्ष किन्हीं कार्यवाहियों में किसी पीड़ित या उसके आश्रित, सूचनाकर्ता या ऐसे पीड़ित, सूचनाकर्ता के संबंध में लोक अभियोजक द्वारा किए गए आवेदन पर या स्वेच्छा से ऐसे उपाय, जिनमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं, कर सकेगा, –
(क) जनता की पहुंच योग्य मामले के उसके आदेशों या निर्णयों में या किन्हीं अभिलेखों में पीड़ित या उसके आश्रित, सूचनाकर्ता के नाम और पतों को छुपाना;
(ख) पीड़ित या उसके आश्रित, सूचनाकर्ता की पहचान और पतों का अप्रकटन करने के लिए निदेश जारी करना;
(ग) पीड़ित, सूचनाकर्ता के उत्पीड़न से संबंधित किसी शिकायत के संबंध में तुरंत कार्रवाई करना और उसी दिन, यदि आवश्यक हो, संरक्षण के लिए समुचित आदेश पारित करना :
(5) राज्य का, न्याय प्राप्त करने में पीड़ित के निम्नलिखित अधिकारों और हकों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक समुचित स्कीम विनिर्दिष्ट करने का कर्तव्य होगा,
जिससे, –
(क) अपराध से पीडितों या उनके आश्रितों को नकद या वस्तु में तुरंत राहत प्रदान की जा सके;
(ख) अपराध से पीडितों या उनके आश्रितों को आवश्यक संरक्षण प्रदान किया जा सके;
(ग) पीड़ितों को खाद्य या जल या कपड़े या आश्रय या चिकित्सीय सहायता या परिवहन सुविधा या प्रति दिन भत्तों की व्यवस्था की जा सके;
(घ) शिकायत करने और प्रथम सूचना रिपोर्ट रजिस्टर करने के समय अपराध से पीड़ितों के अधिकारों के बारे में जानकारी प्रदान की जा सके;
(ङ) राहत रकम के संबंध में अपराध से पीड़ितों या उनके आश्रितों को जानकारी प्रदान की जा सके;

17.
अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का सरकार का कर्तव्यः

(1) राज्य सरकार, इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये ऐसे उपाय करेगी, जो आवश्यक हों।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे उपायों के अंतर्गत निम्नलिखित हो सकेगा,

(i) ऐसे व्यक्तियों को, जिन पर अपराध हुआ है, न्याय प्राप्त करने में समर्थ बनाने के लिए पर्याप्त सुविधाओं की, जिनके अंतर्गत विधिक सहायता भी है, व्यवस्था ;
(ii) अपराध से पीड़ित व्यक्तियों के आर्थिक और सामाजिक पुनरुद्धार की व्यवस्था ;
(iii) इस अधिनियम के उपबन्धों के बेहतर क्रियान्वयन करने के लिए उपायों को सुझाव देने की दृष्टि से इस अधिनियम के उपबन्धों के कार्यकरण का समय-समय पर सर्वेक्षण करने की व्यवस्था ;

कैबिनेट बैठक में प्रमुख निर्णय

उत्तराखण्ड परियोजना विकास एवं निर्माण निगम (UPDCC) के ढ़ांचे का पुनर्गठन तथा यू०आई०आई०डी०बी० तथा डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी जलाशय के कार्यों के सम्पादन हेतु 02 अतिरिक्त्त कार्यक्रम कियान्वयन इकाई (Program Implemantation Unit) का गठन करते हुए सिंचाई विभाग से सेवा-स्थानान्तरण पर लिये जाने वाले संवर्गीय कार्मिकों के 91 अतिरिक्त पदों एवं बाह्य स्रोतों से नियत मानदेय पर 04 अतिरिक्त पदों के सृजन को मंजूरी। सेवा स्थानांतरण के आधार पर सिंचाई विभाग से तथा वेतन आदि सिंचाई विभाग द्वारा ही देय होगा, यू०पी०डी०सी०सी०लि० एवं 04 पी०आई०यू० में सृजित होने वाले कैडर पदों के सापेक्ष राज्य सरकार द्वारा कोई अतिरिक्त व्ययभार वहन नहीं किया जाना है। आउटसोर्स के माध्यम से सृजित होने वाले पदों पर कार्मिकों की तैनाती / नियुक्ति का व्ययभार सम्बन्धित परियोजनाओं की आकस्मिक निधि से वहन किया जाएगा।

02 – सहकारिता विभाग की अधिसूचना दिनांक 23.07.2001 द्वारा नवगठित उत्तराखण्ड राज्य के सीमित संशाधनों के कारण उ०प्र० सहकारी संस्थागत सेवामण्डल नियमावली को विखण्डित करते हुए सम्पूर्ण शक्तियां निबन्धक, सहकारी समितियां, उत्तराखण्ड में निहित की गयी।
वर्तमान में उत्तराखण्ड सहकारिता विभाग के अन्तर्गत कार्मिकों का कैडर प्रबन्धन, सेवा सम्बन्धी प्रकरणों में नीतियों का अवधारण, कार्मिकों का प्रशिक्षण एवं अनुशासनिक नियन्त्रण तथा भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता लाये जाने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड सहकारी संस्थागत सेवामण्डल की अधिसूचना के गठन का निर्णय लिया गया है।
इस अधिसूचना में यह भी प्राविधान किया गया है कि राज्य व जिला सहकारी बैंकों एवं अन्य सहकारी समितियों के विभिन्न पदों की भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता एवं शुचिता लाए जाने हेतु चतुर्थ श्रेणी के पदों को छोड़कर अन्य पदों पर भर्ती परीक्षा “बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आई०बी०पी०एस०)” के माध्यम से कराया जायेगा।

03 – राजकीय औद्योगिक आस्थानों में शेड/ भूखंडों के आवंटन/ निरस्तीकरण/ स्थानांतरण/ किराया आदि के संबंध में एकीकृत प्रक्रिया में संशोधन को मंजूरी।

04 – उत्तराखंड राज्याधीन सेवाओं में समूह ग के सीधी भर्ती के वर्दीधारी पदों पर सेवायोजन हेतु सेवामुक्त अग्निवीरों को क्षैतिज आरक्षण नियमावली – 2025 मंजूर।

05 – उत्तराखंड उच्चतर न्यायिक सेवा (संशोधन), नियमावली 2025 मंजूर।

06 – उत्तराखंड भू सम्पदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) के वार्षिक प्रतिवेदन 2023-24 को विधानसभा में सदन पटल पर रखे जाने को मंजूरी मिली।

07 – लखवाड़ बहुउद्देशीय जल विद्यतु परियोजना के लिए देहरादून जनपद के ग्रामों में अधिग्रहण किए जाने वाली भूमि की दरें, जनपद टिहरी के ग्रामों के समक्षक की गई।

08 – उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड, के वर्ष 2021-22 के वार्षिक वित्तीय प्रतिवेदन को विधानसभा पटल पर प्रस्तुत करने का मंजूरी।

09 – विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 104 (4) के अंतर्गत उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के वित्तीय वर्ष 2023-24 के वार्षिक लेखा विवरण को विधानमंडल के पटल पर रखे जाने को मंजूरी।

10 – विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 105 के अंतर्गत उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के वित्तीय वर्ष 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट को विधानमंडल के पटल पर रखे जाने को मंजूरी।

11 – विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 181 के अंतर्गत उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग द्वारा अधिसूचित किए गए विनियमों को अधिनियम की धारा – 182 के अतर्गत विधानमंडल के पटल पर रखे जाने को मंजूरी।

12 – कम्पनी अधिनियम 2013, की धारा 395 (बी) के अनुपालन के क्रम में उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लि. के वित्तीय वर्ष 2023-24 के वार्षिक प्रतिवेदन को विधानसभा के पटल पर रखे जाने को मंजूरी।

13 – जनपद ऊधमसिंहनगर में स्थित पन्तनगर एयरपोर्ट के विस्तारीकरण हेतु राज्य सरकार द्वारा धनराशि रू0 188.55 करोड़ वहन किये जाने की स्वीकृति के उपरान्त भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के पत्र दिनांक 06.06.2025 द्वारा पंतनगर एयरपोर्ट के राष्ट्रीय राजमार्ग-87 (नया एन०एच० संख्या-109) के पुनः संरेखण व निर्माण कार्य हेतु राज्य सरकार व भारत सरकार द्वारा संरेखण एवं निर्माण हेतु संशोधित आंगणित धनराशि (रू0 310.60 करोड़) को संयुक्त रूप से वहन किये जाने के क्रम में प्रेषित पत्र के आलोक में मा० मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड व मा० मंत्री संड़क परिवहन एवं राजमार्ग, मत्रालय, भारत सरकार के मध्य बनी सहमति के फलस्वरूप संशोधित परियोजना की कुल पूँजीगत लागत धनराशि रू0 310.60 करोड के सापेक्ष भारत सरकार द्वारा वहन की जाने वाली अतिरिक्त धनराशि में से परियोजना की लागत के अनुसार आंगणित एस०जी०एस०टी० की धनराशि रू0 22.73 करोड़ को माफ (Waive Off) किया गया।

14- उत्तराखंड पशुपालन विभाग सांख्यिकीय सेवा नियमावली 2025 का प्राध्यापन।

15 – उत्तराखंड वित्त सेवा (संशोधन) नियमावली 2025 मंजूर।

16 – सूचना प्रौद्योगिकी, सूराज एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत, विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार (एसटीआई) नीति – 2025 मंजूर।

17 – नगर निकायों में निर्वाचन के दृष्टिगत अन्य पिछड़ा वर्ग के सर्वेक्षण कार्य के लिए पूर्व की तरह उत्तराखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्री बीएस वर्मा की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय समर्पित आयोग के गठन का निर्णय लिया गया।

18 – राज्य में श्री बद्रीनाथ तथा श्री केदारनाथ मंदिर के प्रशासन की व्यवस्था श्री बद्रीनाथ एवं श्री केदारनाथ मंदिर अधिनियम, 1939 के अंतर्गत निर्धारित की गयी है तथा उक्त अधिनियम के तहत श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति का गठन किया गया है। श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन 47 मंदिरों के प्रबंधन एवं श्री बद्रीनाथ धाम-श्री केदारनाथ धाम यात्रा में आने वाले श्रद्वालुओं की बढ़ती हुई संख्या को दृष्टिगत रखते हुये यात्रा का संचालन सुचारू / सुविधाजनक एवं सुरक्षित बनाये जाने हेतु श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में उपाध्यक्ष का 01 अतिरिक्त पद सृजित किया गया।

19 – ग्राम्य विकास विभाग के अंतर्गत प्रादेशिक विकास सेवा नियमावली 2011 में संशोधन को मंजूरी ।

20- उत्तराखंड पंचायतीराज (संशोधन) विधेयक 2025 को विधानसभा के समक्ष पुर: स्थापित किए जाने को मंजूरी।

21 – कार्मिक एवं सतर्कता विभाग के शासनादेश संख्या-111/XXX(2)/2018-30(12) / 2018, दिनांक: 27.04.2018 के राज्य के विभिन्न विभागों में दैनिक वेतन/संविदा एवं आउटसोर्स पर तैनात कार्मिकों के संबंध में दिशा-निर्देश निर्गत किये गये हैं। उक्त शासनादेश के प्राविधानों में शासनादेश संख्या-292260 / 2025, दिनांक 25 अप्रैल, 2025 के द्वारा सेवा नियमावली के आलोक में विभागीय पदीय संरचना में स्वीकृत नियमित पदों पर केवल नियमित चयन प्रक्रिया के माध्यम से ही कार्मिकों का नियोजन किया जाए, का प्रावधान किया गया है। उक्त से राज्य के अनेक विभागों के कार्य संचालन में उत्पन्न हो रही कठिनाइयों के तात्कालिक निवारण हेतु मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन की अध्यक्षता में समिति का गठन प्रस्तावित किया जा रहा है। समिति विभागीय प्राप्त प्रस्तावों का गुणावगुण आधार पर सम्यक परीक्षण कर अपनी संस्तुतियां अंतिम निर्णयार्थ मुख्यमंत्री  को प्रस्तुत करेगी।

ऊधमसिंह नगर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव परिणाम पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

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नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से जिला पंचायतों के अध्यक्ष पद का आरक्षण नियमावली के तहत न किए जाने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद 27 अगस्त की तिथि नियत करते हुए कहा है कि चुनाव की समस्त प्रक्रिया जारी रहेगी लेकिन ऊधमसिंह नगर जिले का चुनाव परिमाण घोषित नहीं होगा जो कि याचिका के निर्णय के अधीन रहेगा।

 

मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्दर एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। ऊधमसिंह नगर के जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार जीतेंद्र शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने प्रदेश में जो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए हैं। वह 2011 की जनगणना के आधार पर कराए हैं। तब से कई जिलों में जनसंख्या का अनुपात घटा बढ़ा है जबकि प्रदेश में वर्तमान समय में ओबीसी की सबसे अधिक जनसंख्या जिला हरिद्वार प्रथम स्थान पर, उत्तरकाशी द्वितीय पर, तीसरे पर ऊधमसिंह नगर व चौथे स्थान पर देहरादून है।

अगर सरकार इसे जारी शासनदेशों के अनुरूप आरक्षण तय करती है तो यह आरक्षण की सीट हरिद्वार व उत्तरकाशी को जाती। सरकार ने 13 जिलों के आरक्षण का आंकलन तो किया लेकिन हरिद्वार में चुनाव नहीं कराए। याचिका में कहा कि किस आधार पर सरकार ने आरक्षण का आकलन कर दिया। जहां ओबीसी की जनसंख्या सबसे अधिक है वहां चुनाव नहीं कराए और जहां यह संख्या कम थी उन जिलों में आरक्षण नियमों को ताक में रखकर आरक्षण निर्धारित कर दिया। इसलिए इस पर रोक लगाई जाए और फिर से आरक्षण का रोस्टर जारी किया जाए। मांग की कि आरक्षण नियमों के तहत किया जाए ना कि 2011 की जनगणना के आधार पर।

धराली (उत्तरकाशी) में भीषण तबाही — तथ्य, कारण और ग्राउंड-रिपोर्ट के क्या कहती हैं !

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5–6 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी के धाराली (Dharali / Kheer Gad / Harsil के पास) में अचानक हुई भयंकर जल-प्रलय / भूस्खलन-मंडी (flash flood / debris flow / mudslide) ने गांव के कई हिस्से और पर्यटन-व्यवसाय तहस-नहस कर दिए। कई मकान, होटल, दुकानें, एप्पल-ओरचार्ड और सड़क-इन्फ्रास्ट्रक्चर बह गए; दर्जनों लोग घायल या लापता हैं, कुछ की मृत्यु की पुष्टि हुई और बड़ी राहत-और-रेस्क्यू कार्रवाई चल रही है। स्थानीय और केंद्रीय बचाव दलों (आर्मी, NDRF, SDRF, ITBP) ने बचाव कार्य तेज कर दिए हैं और राज्य सरकार ने राहत घोषणाएँ कीं

 

क्या हुआ — ताज़ा तथ्य (फैक्ट्स)

  • घटना का समय और जगह: घटना 5 अगस्त 2025 की दोपहर के आसपास (लगभग 13:30–13:45 स्थानीय समय) खरग (Kheer / Kheer Gad) जल-जल और धाराली गांव के पास हुई।

  • प्रभावित लोग और क्षति: कई घर, होटेल/होमस्टे, दुकानें और बाग (विशेषकर एप्पल-बाग) भारी मलबे में दब गए; शुरुआती रिपोर्टों में कम-से-कम 4 मौतें और दर्जनों (कुछ रिपोर्टों में 40+ या 50+) लापता बताये गए हैं, जबकि सैकड़ों लोग प्रभावित या संतप्त हुए और कई अनेकों का बेघर होना रिपोर्ट हुआ। सरकार और प्रशासन ने कई लोगों को बचाया; आधिकारिक खोज-बचाव और बचाव संख्या समय-समय पर अपडेट हो रही है।

  • बचाव-प्रक्रिया: इंडियन आर्मी (Ibex ब्रिगेड), NDRF, SDRF, ITBP और स्थानीय पुलिस व स्वास्थ्य दल मौके पर हैं; भारी मशीनरी, हेली-लिफ्ट और मैनपावर से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए वित्तीय राहत घोषणाएँ की हैं (प्रारम्भिक पैकेज, ब्यौरे स्थानीय घोषणा पर निर्भर)

  • कारण — वैज्ञानिक और मानवीय तीसरे-आयाम

  • (A) तत्काल कारण — क्लाउडबर्स्ट / अचानक तेज वर्षा

    मीडिया और मौसम विभाग (IMD) की पड़ताल के अनुसार घटना की शुरुआत एक तीव्र-वर्षा (cloudburst) / अचानक अत्यधिक स्थानीय downpour से हुई, जिससे Kheer Gad में पानी की अचानक मात्रा बढ़ी और बहाव-ऊर्जा जमीनी मलबे के साथ नीचे उतरते हुए धावा-बोलकर गांव में प्रवेश कर गई। IMD व स्थानीय रिपोर्टों ने कुछ स्थानों पर अल्प-समय में असाधारण बारिश दर्ज़ की — क्लाउडबर्स्ट की परिभाषा से मेल खाती तीव्रता    
  • (B) जियो-हाइड्रोलॉजिक गठन — भू-खण्ड, ग्लेशियल लिंक, डिब्रिस-फ्लो

    वैज्ञानिक और उपग्रह-विश्लेषण (ISRO समेत) ने सुझाव दिया है कि यह केवल बारिश का साधारण प्ले नहीं था — इसमें ग्लेशियर-सम्बन्धी विस्फोट (GLOF), किसी चट्टान/हिमखंड के टूटने से उत्पन्न ढेर या पहले से जमा ढेर का अचानक खुलना, तथा मलबे-भरे फ्लो (debris flow) की भूमिका हो सकती है। ऐसे घटनाओं में पानी के साथ बड़े-बड़े पत्थर, मिट्टी और बढ़ा-चढ़ा मलबा झटके में बहुत दूर तक और तेज़ रफ्तार से आ जाता है। इस पर आगे की तकनीकी जांच जारी है।

  • (C) मानवीय/नियोजन कारण (anthropogenic factors)

    • बस्तियों का नदी-तट/फ़्लड-प्लेन पर बनना: विशेषज्ञों ने कहा कि धाराली और आसपास के कई निर्माण नदी की तरफ़/फ्लड-plain पर हुए हैं — जिनमें कई होटेल, होमस्टे और दुकानें भी शामिल हैं — जो जीवनदायिनी भू-अवसरो में बने हुए थे और रन-ऑफ के मार्ग में आ गए।

    • पर्यटन-बूम और अगणित निर्माण: पर्यटन के बढ़ते दबाव ने खड़ी ढलानों व नदी के किनारे अस्थायी व स्थायी संरचनाओं का निर्माण बढ़ा दिया, जिनमें पर्यावरण नियमों का उल्लंघन भी हो सकता है।

    • जलवायु परिवर्तन का योगदान: हिमालयी क्षेत्र में तापमान व वायुमंडलीय नमी के बदलाव से तीव्र वर्षा-इवेंट्स (extreme precipitation), ग्लेशियर अस्थिरता और अनपेक्षित डिब्रिस-फ्लो के जोखिम बढ़ रहे हैं — इसलिए केवल “एकल घटना” नहीं, बल्कि जोखिम बढ़ने का ढांचा दिखाई देता है।

      3) ग्राउंड-रिपोर्ट — पीड़ितों के अनुभव और स्थानीय हालात

      (नीचे के विवरण विभिन्न स्थानीय अखबारों, स्थानीय फार्म और तस्वीर-वीडियो रिपोर्ट्स और राहत-कर्मियों के बयानों पर आधारित हैं।)

      • स्थानीय किसानों और होस्टल-मालिकों का कहना है कि झट-पटक 30–60 सेकण्ड में मलबा और पानी ने जगह को तबाह कर दिया; कई लोगों ने बस समय रहते भागकर अपनी जान बचाई। कुछ पर्यटक और मजदूर ऐसे थे जो कुछ मिनट पहले ही सुरक्षित स्थान की तरफ़ चले गए और वे लोगों ने लंबी पैदल यात्रा कर कर-कर के बचाव-कहानियाँ सुनाईं।

      • कई छोटे व्यापारी और किसान बड़े आर्थिक घाटे में हैं — एप्पल-बाग, राजमा और सब्ज़ी की फसलों का बड़ा नुकसान बताया जा रहा है; स्थानीय हवाले से लाखों रुपये का प्रारम्भिक आंकलन आ चुका है।

      • मोबाइल नेटवर्क व सड़कों का टूटना बचाव को कठिन बना रहा है; कई इलाकों में भारी मशीनों और हेलीकॉप्टर-सहायता के जरिए ही लोग पहुँच रहे हैं।

        4) बचाव-कार्यों का आकलन और चुनौतियाँ

        • तत्काल-उपलब्धता: आर्मी-ब्रिगेड, NDRF, SDRF, ITBP और स्थानीय प्रशासन सक्रिय हैं — शुरुआती दिनों में 100+ लोगों के रेस्क्यू का दावा और लगातार सर्वे चल रहे हैं। पर मौसम की पुनरावृत्ति, भूस्खलन का जोखिम और सड़कों की क्षति बचाव को सीमित कर रहे हैं।

        • खोज-बचाव-तकनीक: मलबे के नीचे लोगों का पता लगाने के लिए कट्टर-मशीनरी, कुत्ते-टीम, थर्मल स्कैन जैसे साधन इस्तेमाल हो रहे हैं; पर कठिन भू-रचना में हर घंटा महत्वपूर्ण है।


        5) विस्तृत मूल्यांकन — यह घटना अकेली नहीं

        विशेषज्ञों का कहना है कि धाराली जैसी घटनाएँ हिमालय में बढ़ती जा रही अनुक्रमिक आपदाओं का हिस्सा हैं — जहां छोटे-छोटे घाटों, नदी-हेल्थ का बिगड़ना, अनियोजित बस्तियाँ और बढ़ती वर्षा के साथ जोखिमों में वृद्धि हो रही है। धाराली में दिख रहा पैटर्न — नदी-तट पर विकास + अचानक उथल-पुथल करने वाली बारिश/ग्लेशियर-इवेंट — पहले भी अन्य जगहों पर समान रूप से विनाशकारी रहा है। नीति-स्तर पर जमीन की मैपिंग, रिस्क-जोन निर्धारण और निर्माण नियंत्रण की व्यवस्था को मज़बूत करने की तत्काल ज़रूरत बताई जा रही है।

        6) क्या किया जाना चाहिए — नीतिगत और तकनीकी सुझाव

        1. तुरंत (short term): प्रभावितों को पारदर्शी आर्थिक सहायता, अस्थायी आवास, मनो-सामाजिक सहायता और कृषि पुनरुत्थान-पैकेज (बीज, लगातार इनकम सहायता) उपलब्ध कराना। राज्य के द्वारा घोषित सहायता पैकेज का फास्ट-ट्रैक क्रियान्वयन जरूरी है।

        2. मिड-टर्म: प्रभावित इलाकों की विज्ञान आधारित रि-ज़ोनिंग — खतरनाक फ्लड-प्लेन व चैनल-मार्गों पर पुनर्निर्माण प्रतिबंध और वैकल्पिक आजीविका/रिलोकेशन-पैकज। स्थानीय समुदायों के साथ सहमति से कम्पेन्सेशन और स्थायी पुनर्वास।

        3. लॉन्ग-टर्म (सिस्टमिक): हिमालयी जल-विज्ञान पर निगरानी (GIS/सैटेलाइट), ग्लेशियर/डिब्रिस-डैम पर रिसर्च, ग्रामीण और पर्यटन-निर्माण के लिए कठोर पर्यावरणीय नियम, तथा दक्षिणी-नैशनल डेटा-बेस जहाँ हर नया निर्माण की पर्यावरणीय स्वीकृति सार्वजनिक हो। ISRO जैसे संस्थानों के सैटेलाइट-डेटा से जोखिम मानचित्र नियमित अपडेट किए जाने चाहिए।

        4. अर्ली वार्निंग और कम्युनिटी-रिजिलिएन्स: स्थानीय-स्तर पर सतर्कता-सिस्टम (रबर-बेल/सार्वजनिक सायरन/वीएचएफ), बाढ़-रन-वे के बारे में नियमित जागरूकता, और पर्यटन/मकान मालिकों के लिए आपदा-तैयारी आवश्यक।


        7) राजनीतिक-प्रशासनिक जिम्मेदारी और पारदर्शिता

        घटना ने सवाल उठाये हैं कि क्यों संवेदनशील नदी-किनारे/फ्लड-प्लेन पर बिखरे निर्माणों पर पैनी निगरानी नहीं थी; स्थानीय नियमन, पर्यावरण स्वीकृति और पर्यटन-पॉलिसी में भ्रष्ट-लापरवाही के संकेत भी जाँच के विषय हैं। राहत और पुनर्वास में पारदर्शिता, कम्पेन्सेशन की तात्कालिकता और भूमि-रिहैबिलिटेशन योजनाओं में जनता की भागीदारी जरूरी होगी। विशेषज्ञों ने कहा है कि सिर्फ राहत बाँटना पर्याप्त नहीं — पुनरावृत्ति रोके जाने वाले कदम लेना अनिवार्य है।

        निष्कर्ष — धराली एक चेतावनी है

        धराली-आपदा केवल एक स्थानीय दुर्घटना नहीं है — यह हिमालयी इलाकों में बढ़ते खतरों, अनियोजित विकास, और बदलते मौसम पैटर्न का मिलाजुला नतीजा है। तत्काल राहत-कार्रवाइयों के साथ-साथ शासन-स्तर पर दीर्घकालिक, विज्ञान-आधारित नीति और स्थानीय समुदायों के अधिकारों-आधार पर पुनर्विकास ही भविष्य में इसी तरह की त्रासदियों की पुनरावृत्ति रोक सकता है। पीड़ितों के लिए त्वरित और मानवीय सहायता, प्रभावित कृषि व आजीविका का बहाल करना तथा भविष्य के लिए जोखिम-कम करने वाले अनुशासनात्मक कदम अब न सिर्फ़ जरुरी बल्कि अनिवार्य हैं।