Category Archive : देहरादून

UCC: यूनिफार्म सिविल कोड़ हुआ लागू, ये हैं विशेषताएं..जानिए UCC के दायरे में कौन-कौन।

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यूसीसी नियमावली हाईलाइट-

दायरा – अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू।

प्राधिकार – यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। जबकि नगर पंचायत – नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे।
इसी तरह नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे। छावनी क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इन सबके उपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे।

रजिस्ट्रार जनरल के कर्तव्य
– यदि रजिस्ट्रार तय समय में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं तो मामला ऑटो फारवर्ड से रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा। इसी तरह रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के भीतर अपील का निपटारा कर आदेश जारी करेंगे।

 

रजिस्ट्रार के कर्तव्य-

सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील पर 60 दिन में फैसला करना। लिव इन नियमों का उल्लंघन या विवाह कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देंगे।

सब रजिस्ट्रार के कर्तव्य
सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच, आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना
समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना, साथ ही विवाह जानकारी सत्यापित नहीं होने पर इसकी सूचना माता- पिता या अभिभावकों को देना।

विवाह पंजीकरण
26 मार्च 2010, से संहिता लागू होने की तिथि बीच हुए विवाह का पंजीकरण अगले छह महीने में करवाना होगा

संहिता लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा

आवेदकों के अधिकार
यदि सब रजिस्ट्रार- रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करता है तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है।

सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है।

रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है।

अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से दायर हो सकेंगी।

(लिव इन)

संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का, संहिता लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, लिवइन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।

लिव इन समाप्ति – एक या दोनों साथी आनलाइन या ऑफलाइन तरीके से लिव इन समाप्त करने कर सकते हैं। यदि एक ही साथी आवेदन करता है तो रजिस्ट्रार दूसरे की पुष्टि के आधार पर ही इसे स्वीकार करेगा।

यदि लिव इन से महिला गर्भवती हो जाती है तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी। बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा।

विवाह विच्छेद –
तलाक या विवाह शून्यता के लिए आवेदन करते समय, विवाह पंजीकरण, तलाक या विवाह शून्यता की डिक्री का विवरण अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी।

वसीयत आधारित उत्तराधिकार
वसीयत तीन तरह से हो सकेगी। पोर्टल पर फार्म भरके, हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयड अपलोड करके या तीन मिनट की विडियो में वसीयत बोलकर अपलोड करने के जरिए।

 

यूसीसी की यात्रा-

27 मई 2022 – यूसीसी पर विशेषज्ञ समिति का गठन

02 फरवरी 2024 – यूसीसी पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत

08 फरवरी 2024 – राज्य विधानसभा द्वारा अधिनियम अनुमोदित

08 मार्च 2024 – भारत के राष्ट्रपति द्वारा अधिनियम अनुमोदित

12 मार्च 2024 – यूसीसी उत्तराखंड अधिनियम 2024 जारी

18 अक्टूबर 2024 – यूसीसी नियमावली प्रस्तुत

27 जनवरी 2025 – यूसीसी लागू

 

यूसीसी के क्रियान्वयन की कार्ययोजना-

– ऑनलाइन आवेदन के लिए पोर्टल (ucc.uk.gov.in) विकसित

– कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) Training Partner के रूप में नामित

– क्रियान्वयन व प्रशिक्षण के लिए ज़िलों में नोडल अधिकारी नामित

– सहायता और तकनीकी परामर्श के लिए हेल्पडेस्क (1800-180-2525) स्थापित

– विधिक प्रश्नों के समाधान के लिए जिला स्तरीय अधिकारी नियुक्त

– नागरिक जागरूकता और अधिकारियों की सुविधा के लिए Short Video एवं Booklets

Dehradun Nikay Chunav: बीजेपी ने बनाई बढ़त, कांग्रेस चल रही पीछे, कई सीटों पर निर्दलीयों की बल्ले-बल्ले.

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उत्तराखंड में निकाय चुनाव की मतगणना के बीच पहले रुझान में निर्दलीय प्रत्याशी दोनों ही राष्ट्रीय दल बीजेपी और कांग्रेस को कड़ी टक्कर देते हुए नजर आ रहे हैं. राज्य निर्वाचन आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में निर्दलीयों ने भी कई सीटों पर बढ़त बनाई हुई है. उधर भारतीय जनता पार्टी फिलहाल सबसे आगे नजर आ रही है.

उत्तराखंड में निकाय चुनाव के परिणाम कुछ सीटों पर दिखने लगे हैं. खास बात यह है कि राज्य भर में तमाम सीटों पर निर्दलीयों ने दोनों ही राष्ट्रीय दलों को कड़ा मुकाबला दिया हुआ है. राज्य निर्वाचन आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में अध्यक्ष /मेयर समेत पार्षद और सदस्यों के लिए हो रही मतगणना में निर्दलीय भी कई सीटों पर बाजी मारते दिख रहे हैं. हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दिया गया यह आंकड़ा शुरुआती रुझान है. परिणाम आने में अभी समय लगेगा.

उत्तराखंड में 100 निकायों पर अध्यक्ष /मेयर पद के लिए चुनाव हुए हैं. इसी तरह सभासद/ सदस्य पद कुल 1282 पद हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी अब तक अध्यक्ष पद पर तीन सीटें जीत चुकी है जबकि 9 सीटों पर आगे चल रही है. इसी तरह निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे चार प्रत्याशी अध्यक्ष/मेयर पद पर आगे चल रहे हैं. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष/मेयर पद पर 4 प्रत्याशी आगे चल रहे हैं.

राज्य भर में सभासद और सदस्यों के लिए चल रही मतगणना को देख तो यहां भी निर्दलीयों का जोरदार प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. पूरे प्रदेश में कुल 1282 सभासद/ सदस्य की सीटें हैं जिनमें से 47 सीटें निर्दलीय जीत चुके हैं, जबकि 67 सीटों पर अभी निर्दलीय बढ़त बनाए हुए हैं. भारतीय जनता पार्टी कुल 21 सीटों पर जीती है जबकि 75 जगहों पर बीजेपी आगे चल रही है. कांग्रेस केवल दो सीट जीती है और 10 सीटों पर आगे चल रही हैं. जबकि आम आदमी पार्टी भी दो सीटों पर फिलहाल आगे चल रही है.

इस तरह से पहले रुझान में अब तक की स्थिति को देखे तो 67% सीटों पर निर्दलीय अब तक की स्थिति में जीत हासिल कर चुके हैं. 21 सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी 21% सीटों को लेती हुई दिखाई दे रही है, जबकि शुरुआती रुझान में कांग्रेस केवल तीन प्रतिशत सीटों को जीतती हुई दिखाई दी है.

 

 

Uttarakhand Nikay Chunav: सबसे कम उम्र की सभासद बनी अंबिका चौहान, महज इतनी है उम्र.

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देहरादून : उत्तराखंड के निकाय चुनाव में चौंकाने वाले रिजल्ट सामने आ रहे हैं अत्यधिक जगहों पर कांग्रेस ने बाजी मारी तो वहीं देहरादून और ऋषिकेश की बात करें तो भाजपा प्रत्याशी आगे चल रहे हैं. वही देहरादून में सबसे कम उम्र की सभासद बनी हैं। जिनका नाम है अंबिका चौहान। सेलाकुई के वार्ड आठ से अंबिका चौहान निर्दलीय सभासद बनी हैं जिनकी उम्र महज 21 वर्ष है।

Uttarakhand Nikay Chunav: नई सूची बनी, 5 लाख मतदाता जुड़े फिर भी वोट देने से वंचित हुए हजारों मतदाता.

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उत्तराखंड के निकाय चुनाव में मतदाताओं की संख्या पांच लाख बढ़ गई। इसके बावजूद हजारों लोग नाम कटने की वजह से मताधिकार से वंचित रह गए। आयोग हर पांच साल में नई मतदाता सूची बनाता है। बावजूद इसके इतने नाम छूटने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

राज्य में निकायों और विधानसभा-लोकसभा की मतदाता सूची अलग-अलग होती है। भारत निर्वाचन आयोग विधानसभा, लोकसभा की सूची बनाता है, जो कि सालभर अपडेट की जाती है। इसके उलट राज्य निर्वाचन आयोग नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायतों की मतदाता सूची तैयार करता है, जो कि हर पांच साल में नए सिरे से बनाई जाती है। पिछले चुनाव में 84 निकायों में करीब 25 लाख मतदाता थे। इस बार नई सूची में 100 निकायों में 30 लाख से अधिक मतदाता हैं। यह सूची अब अपडेट नहीं होगी। पांच साल के बाद नए सिरे से नई सूची बनेगी।

सवाल उठ रहे हैं कि करीब पांच लाख मतदाता बढ़ने के बावजूद बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से गायब हो गए। इसके पीछे कई कारण माने जा रहे हैं। एक तो राज्य निर्वाचन आयोग का पैटर्न व इंफ्रास्ट्रक्चर भारत निर्वाचन आयोग से कमतर है। यहां वार्डों के हिसाब से बीएलओ होते हैं जबकि भारत निर्वाचन आयोग के बूथवार बीएलओ होते हैं। इस कारण इतने बड़े वार्डों तक पहुंच बनाने में परेशानी होती है। दूसरा, निकायों की वोटर लिस्ट बनाते समय भारत निर्वाचन आयोग की वोटर लिस्ट को आधार नहीं बनाया जाता।

कई बार कवायद हुई लेकिन परवान न चढ़ी-

प्रदेश में कई बार भारत और राज्य निर्वाचन की एक जैसी मतदाता सूची बनाने की कवायद हुई लेकिन परवान नहीं चढ़ पाई। एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग ने आदेश जारी किया था कि वोटर लिस्ट बनाते समय भारत निर्वाचन आयोग की वोटर लिस्ट को भी आधार बनाया जाए लेकिन ऐसा न हो पाया। एक बार राज्य निर्वाचन आयोग ने भारत निर्वाचन आयोग को वोटर लिस्ट बनाने का प्रस्ताव भेजा था लेकिन भारत निर्वाचन आयोग ने शर्त लगाई थी कि पांच साल में कोई नया निकाय या वार्ड न बने। यह राज्य के स्तर पर संभव नहीं है। दिल्ली, हरियाणा समेत कुछ राज्यों में भारत निर्वाचन आयोग के डाटा को आधार बनाकर वोटर लिस्ट तैयार हुई है लेकिन उसके नतीजे बहुत बेहतर नहीं हैं। आपको बता दें कि इससे पहले विधि आयोग ने वर्ष 2015 में अपनी 255वीं रिपोर्ट में इसकी सिफारिश की थी। भारत निर्वाचन आयोग ने भी वर्ष 1999 और वर्ष 2004 में इस पर विचार किया था।

एक देश, एक चुनाव से हो सकता है समाधान-

प्रधानमंत्री कार्यालय ने बीते दिनों पंचायत, नगरपालिका, राज्य विधानसभा और लोकसभा के चुनावों के लिए एक आम मतदाता सूची की संभावना पर चर्चा के लिए भारत निर्वाचन आयोग और विधि एवं न्याय मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। एक देश एक चुनाव के कांसेप्ट के तहत एक समान मतदाता सूची बनाने का काम हो सकता है। हालांकि, अभी इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है।

मतदाता सूची में कई के नाम न होने की शिकायत संज्ञान में है। भविष्य में और बेहतर तरीके से इस दिशा में काम होगा।
– सुशील कुमार, आयुक्त, राज्य निर्वाचन आयोग

Uttarakhand Nikay Chunav: मोर्चे पर सीएम धामी, 12 दिन में की 52 चुनावी सभाएं और रोड शो.

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Nikay Chunav: समान नागरिक संहिता की पहल समेत अनेक ऐतिहासिक निर्णय लेकर देशभर में चर्चा में आए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का निकाय चुनाव में भाजपा ने भरपूर उपयोग किया।

पार्टी के स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री धामी ने भी चुनाव अभियान की कमान संभाली और 12 दिन में 52 चुनावी सभाएं, रोड शो समेत अन्य कार्यक्रमों के जरिये प्रचार अभियान को धार दी।

इस दौरान उन्होंने जहां विपक्ष को निशाने पर लिया, वहीं अपनी सरकार की उपलब्धियों और निकायों के विकास के लिए रोडमैप भी रखा। साथ ही समान नागरिक संहिता, लैंड व थूक जिहाद जैसे विषयों को प्रचार अभियान के दौरान प्रमुखता से उठाया।

 

गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक ताबड़तोड़ चुनावी कार्यक्रमों में भागीदारी-

चुनाव चाहे लोकसभा के हों अथवा विधानसभा के, भाजपा नेतृत्व मुख्यमंत्री धामी का भरपूर उपयोग करता आया है। अब जबकि राज्य में निकाय चुनाव हो रहे हैं तो पार्टी ने स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री धामी को मोर्चे पर लगाया। उन्होंने निकाय चुनाव प्रचार अभियान की कमान अपने हाथ में लेने के साथ ही गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक ताबड़तोड़ चुनावी कार्यक्रमों में भागीदारी की।

मुख्यमंत्री ने मुखर होकर अपनी सरकार के निर्णयों और राज्य के खाते में आई उपलब्धियों को जनता के समक्ष रखा।

 

साथ ही वह विपक्ष कांग्रेस पर निरंतर हमलावर रुख अख्तियार किए रहे। उन्होंने विपक्ष पर राज्य की वास्तविक समस्याओं को गंभीरता से न लेने का आक्षेप लगाया तो अपनी सरकार के कार्यकाल में निकायों में हुए कार्यों के साथ ही भविष्य का रोडमैप भी जनता के सामने रखा।

 

पार्टी का तीन सप्ताह का सघन प्रचार अभियान सफल-

उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में पार्टी का तीन सप्ताह का सघन प्रचार अभियान बेहद सफल रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी की सभाओं व रोड शो में उमड़े जनसमूह ने साफ कर दिया है कि राज्य के सभी 100 नगर निकायों में भाजपा परचम फहराएगी।

 

 

Nikay Chunav: चुनाव प्रचार खत्म.. कल होगा मतदान, पोलिंग पार्टियां भी रवाना, आज डोर टू डोर कैंपेन करेंगे प्रत्याशी।

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कई दिन के चुनावी शोर के बाद मंगलवार शाम निकाय चुनाव का प्रचार थम गया। अब 23 जनवरी को मतदान होना है। इसके लिए बुधवार को पोलिंग पार्टियां रवाना भी हो गई हैं। वहीं, प्रत्याशी अब केवल मतदाता के घर-घर पहुंचकर वोट मांग सकेंगे। नैनीताल जिले के सात निकायों के लिए 402 पोलिंग पार्टियां बनाई गई है। जो आज सुबह मतदान केंद्रों के लिए रवाना हो गई है। सुबह पहले उन्हें बस्ता सौंपा गया। पोलिंग के लिए 1828 कार्मिकों को लगाया गया है। 43 पोलिंग पार्टियों को रिजर्व में रखा गया है।

मंगलवार को निकाय चुनाव के पीठासीन अधिकारी, मतदान अधिकारी प्रथम, द्वितीय एवं मतदान अधिकारी तृतीय की तैनाती के लिए तृतीय रेंडमाइजेशन जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी वंदना सिंह की उपस्थिति में हुआ। इसके बाद इन्हें नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत मतदेय स्थल आवंटित किए गए।

निकाय चुनाव में परिवहन विभाग ने दीं गाड़ियां-

निकाय चुनाव में परिवहन विभाग ने 160 मैक्स और 100 बसें अधिग्रहीत की हैं। देर रात तक अधिग्रहीत वाहनों को एमबी इंटर कॉलेज मैदान में खड़ा किया गया है। इन पर निकाय वार पंफलेट भी चिपकाए गए। बुधवार सुबह से यह अपने-अपने निकाय को प्रस्थान करेंगी।

92 कार्मिकों ने मेयर पद के लिए पोस्टल बैलेट से डाले वोट-

निकाय चुनाव में लगे 347 कार्मिकों ने नगर निगम हल्द्वानी में वोट डालने के लिए पोस्टल बैलेट के लिए आवेदन किया। मंगलवार को इसमें से 92 कार्मिकों ने मेयर पद के लिए और 79 कार्मिकों ने पार्षद पद के लिए वोट दिया। आरओ एपी बाजपेयी ने बताया कि बुधवार को भी पोस्टल बैलेट से वोट डाले जाएंगे।

बूथों का निरीक्षण किया-

चुनाव आयोग के निर्देश पर निकाय चुनाव निर्वाचन सामान्य प्रेक्षक दीप्ति सिंह ने लालकुआं नगर पंचायत क्षेत्र के बूथों का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। सामान्य प्रेक्षक दीप्ति सिंह ने कहा कि नगर पंचायत लालकुआं क्षेत्र में आठ बूथ बनाए गए हैं। सभी बूथ संवेदनशील हैं। इसमें 5600 वोटर प्रतिभाग करेंगे।यहां इतने बूथ हैं –

निकाय चुनाव को लेकर एमबी इंटर कॉलेज में कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां से जिले के सभी निकायों, हल्द्वानी, रामनगर, नैनीताल, भीमताल, भवाली व लालकुआं के लिए मतदान किट व बैलेट पेपर का वितरण होगा। जिले के सभी निकायों में 164 मतदान केंद्र और 402 बूथ हैं। इनमें हल्द्वानी में 96 मतदान केंद्र व 289 बूथ, रामनगर में 19 केंद्र व 45 बूथ, नैनीताल में 21 केंद्र व 32 बूथ, भवाली में 7 केंद्र व 7 बूथ, भीमताल में 8 केंद्र व 10 बूथ, लालकुआं में 7 केंद्र व 8 बूथ, कालाढूंगी में 6 मतदान केंद्र व 11 बूथ शामिल हैं। 

अति संवदेनशील व संवेदनशील बूथ-

जिले में कुल 52 मतदान केंद्र 120 बूथ संवदेनशील और 71 मतदान केंद्र व 185 बूथ अतिसंवेदनशील चिह्नित किए गए हैं। इनमें हल्द्वानी में 30 मतदान केंद्र व 86 बूथ संवेदनशील एवं 46 मतदान केंद्र व 144 बूथ अतिसंवेदनशील, रामनगर में 8 केंद्र व 18 बूथ संवेदनशील, 6 केंद्र व 14 बूथ अतिसंवेदनशील, नैनीताल में 5 केंद्र व 7 बूथ संवेदनशील एवं 12 केंद्र व 17 बूथ अतिसंवेदनशील, भवाली में 2 केंद्र व 2 बूथ संवेदनशील, 2 केंद्र व 2 बूथ अतिसंवेदनशील, भीमताल में 3 केंद्र व 3 बूथ संवेदनशील एवं 1 केंद्र व 2 बूथ अतिसंवेदनशील, लालकुआं में 2 केंद्र व 2 बूथ संवेदनशील एवं 5 केंद्र व 6 बूथ अतिसंवेदनशील और कालाढूंगी में 2 मतदान केंद्र व 2 बूथ संवेदनशील चिह्नित किए गए हैं।

हरिद्वार-ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर को लेकर बड़ा अपडेट, जानिए पुराने भवनों के ध्वस्तीकरण पर क्या बोले सीएम धामी?

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हरिद्वार-ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर के क्षेत्र में प्रस्तावित कार्यों को लेकर उठ रहे प्रश्नों के बीच शासन ने स्थिति स्पष्ट की है। सचिव नियोजन आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि गंगा कॉरिडोर क्षेत्र में बिना ध्वस्तीकरण के सुंदरीकरण के कार्य किए जाएंगे। साथ ही हरिद्वार और ऋषिकेश में खुला स्थान विकसित किया जाएगा, ताकि स्नान और पर्वों पर भीड़ का दबाव कम किया जा सके।

 

गंगा नदी के तट पर स्थित हरिद्वार व ऋषिकेश शहरों में गंगा कॉरिडोर के अंतर्गत सुंदरीकरण समेत अन्य कई कार्य प्रस्तावित किए गए हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि यह कॉरिडोर विकसित करने के लिए पुराने भवनों को ध्वस्त किया जा सकता है।

25 सालों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा विकसित-

कुछ समय पहले जनप्रतिनिधियों और संबंधित शहरों के निवासियों की ओर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात में क्षेत्रवासियों की इस आशंका की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया था। साथ ही इस बात पर जोर दिया था कि इस कॉरिडोर को अगले 25 साल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया था कि गंगा कॉरिडोर को विकसित करने के लिए जनप्रतिनिधियों के सुझावों पर अमल किया जाएगा। साथ ही कोई भवन तोड़ा नहीं जाएगा। अब सचिव नियोजन आर मीनाक्षी सुंदरम ने भी साफ किया कि गंगा कॉरिडोर में अभी जो कार्य प्रस्तावित किए जा रहे हैं, उनके लिए कॉरिडोर क्षेत्र में आने वाले किसी भी भवन को ध्वस्त नहीं किया जाएगा। भवन ध्वस्त किए बिना ही सुंदरीकरण के कार्य होंगे। पौराणिक स्थलों के स्वरूप को भी यथावत रखा जाएगा।

 

हनोल से ठडियार तक बनेगी सड़क : महाराज

जनजातीय जौनसार बावर क्षेत्र में प्रसिद्ध हनोल महासू देवता मंदिर से ठडियार तक नई सड़क बनेगी। इसके साथ ही हनोल और ठडियार स्थित टौंस नदी के दोनों ओर घाटों का निर्माण कराया जाएगा। लोनिवि एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को गढ़ी कैंट स्थित पर्यटन विकास परिषद के सभागार में हनोल मंदिर के मास्टर प्लान की समीक्षा के दौरान इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए।

कैबिनेट मंत्री महाराज ने हनोल मंदिर के मास्टर प्लान के क्रियान्वयन के लिए लोनिवि, पर्यटन व सिंचाई विभाग के मध्य बेहतर सामंजस्य पर जोर दिया। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि लोनिवि द्वारा हनोल से ठडियार तक लगभग डेढ़ किलोमीटर सड़क और ठडियार में पुल का निर्माण कराने के साथ ही मार्ग का सुंदरीकरण भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि लोनिवि द्वारा गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस से खट्टल तक संपर्क मार्ग निर्माण की स्वीकृति पहले ही दी जा चुकी है।

 

 

उन्होंने सड़कों के किनारों को चौड़ा करने, जगह-जगह साइन बोर्ड लगाने और यात्रा मार्ग पर शौचालयों का निर्माण कराने के निर्देश भी दिए। महाराज के अनुसार हनोल महासू देवता मंदिर से लेकर ठडियार झूलापुल तक भूकटाव रोकने के कदम उठाने के निर्देश सिंचाई विभाग के अधिकारियों को दिए गए हैं। बैठक में पर्यटन विकास परिषद के एसीईओ अभिषेक रोहिला, वित्त नियंत्रक जगत सिंह चौहान, लोनिवि के प्रमुख अभियंता राजेश शर्मा समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

National Games: राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ के साथ उत्तराखंड को कई सौगातें भी देंगे पीएम मोदी, तैयारियां हुई तेज.

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38वें राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ पर 28 जनवरी को उत्तराखंड आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई नई योजनाओं की भी सौगात देंगे। पीएम राज्य के पहले खेल विश्वविद्यालय और महिला स्पोर्ट्स कॉलेज का शिलान्यास करेंगे।

 

प्रदेश सरकार और खेल विभाग राष्ट्रीय खेलों व पीएम आगमन की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है। खेल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हालांकि अभी प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय से मिनट टू मिनट जारी नहीं हुआ, लेकिन इस दिन प्रधानमंत्री करीब चार से पांच घंटे देहरादून में रहेंगे। पीएम लोहाघाट, चंपावत में बनने जा रहे पहले महिला स्पोर्ट्स कॉलेज एवं गोलापार हल्द्वानी नैनीताल में बनने वाले पहले खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास करेंगे।

 

इसके अलावा पीएम केंद्र के सहयोग से चल रहे कुछ बड़े प्रोजेक्ट ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन, केदारनाथ-बदरीनाथ निर्माण कार्य और देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेस वे आदि कार्यों की भी अधिकारियों के साथ समीक्षा करेंगे।
प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में अधूरे काम को तेजी से पूरा किया जा रहा है। 10 से 12 बैठकें हो चुकी हैं। वहीं, अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
– अमित सिन्हा, विशेष प्रमुख सचिव खेल
पीएम के आगमन को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। प्रयास किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री के हाथों से खेल विश्वविद्यालय और महिला स्पोर्ट्स कॉलेज का शिलान्यास भी कराया जाए।
– रेखा आर्या, खेल मंत्री

Uttarakhand: कैबिनेट ने यूसीसी की नियमावली को दी मंजूरी, सीएम धामी ने कहा-प्रदेश में जल्द किया जाएगा UCC लागू.

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उत्तराखंड कैबिनेट ने आज समान नागरिक संहिता( यूसीसी) की नियमावली को मंजूरी दे दी है। अब इसे जल्द ही प्रदेश में लागू किया जा सकेगा।

सीएम धामी की अध्यक्षता में आज प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इसमें यूसीसी का प्रस्ताव लाया गया। इस दौरान कैबिनेट ने नियमावली के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। सीएम धामी ने कहा कि 2022 में हमारी सरकार ने यूसीसी बिल लाकर जनता से किया वादा पूरा किया था। तब से हम इसकी सारी प्रक्रियाएं पूरी कर इसे जल्द से जल्द लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।यह उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है कि हमारा प्रदेश सबसे पहले यूसीसी लागू करेगा। सब तैयारियां पूरी हो गई हैं। जल्द हम इसे लागू करेंगे।

21 जनवरी को वेबपोर्टल पर पूरे प्रदेश में होगी मॉक ड्रिल-

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का वेबपोर्टल 21 जनवरी को पहली बार प्रदेशभर में एक साथ उपयोग में आएगा। फिलहाल यह कवायद सरकार के अभ्यास (मॉक ड्रिल) का हिस्सा होगी। इसके बाद यूसीसी को लागू किया जा सकता है। मॉक ड्रिल में यूसीसी का प्रशिक्षण ले रहे रजिस्ट्रार, सब रजिस्ट्रार और अन्य अधिकारी अपने-अपने कार्यालयों में यूसीसी पोर्टल पर लॉगइन करेंगे। उसके जरिये विवाह, तलाक, लिव इन रिलेशन, वसीयत आदि सेवाओं के पंजीकरण का अभ्यास करेंगे। सुनिश्चित करेंगे कि यूसीसी लागू होने के बाद आम लोगों को उससे संबंधित सेवाएं मिलने में कोई तकनीकी बाधा तो नहीं आएगी। मॉक ड्रिल से सरकार, विशेष समिति और प्रशिक्षण टीम अपनी-अपनी तैयारियों को परख सकेंगी।

घोषणा से कानून बनने तक का सफर-

  • 12 फरवरी 2022 को विस चुनाव के दौरान सीएम धामी ने यूसीसी की घोषणा की।
  • मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में यूसीसी लाए जाने पर फैसला।
  • मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति बनी।
  • समिति ने 20 लाख सुझाव ऑफलाइन और ऑनलाइन प्राप्त किए।
  • 2.50 लाख लोगों से समिति ने सीधा संवाद किया।
  • 02 फरवरी 2024 को विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
  • 06 फरवरी को विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश हुआ।
  • 07 फरवरी को विधेयक विधानसभा से पारित हुआ।
  • राजभवन ने विधेयक को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा।
  • 11 मार्च को राष्ट्रपति ने यूसीसी विधेयक को अपनी मंजूरी दी।
  • यूसीसी कानून के नियम बनाने के लिए एक समिति का गठन।
  • नियमावली एवं क्रियान्वयन समिति ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करणों में आज 18 अक्तूबर 2024 को राज्य सरकार को नियमावली साैंपी।
  • 20 जनवरी 2025 को नियमावली को कैबिनेट की मंजूरी मिली।

यूसीसी लागू होगा तो यह होंगे बदलाव-

  • सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून।
  • 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा।
  • पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना।
  • पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
  • विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी।
  • महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
  • हलाला और इद्दत जैसी प्रथा खत्म होगी। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
  • कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
  • एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
  • पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
  • संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
  • जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
  • नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
  • गोद लिए, सरगोसी से असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
  • किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
  • कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
  • लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
  • युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
  • लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
  • लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।

Uttarakhand: अब IMA के बारे में पढ़ेंगे सरकारी स्कूलों के छात्र, पाठ्यचर्या रूपरेखा के ड्राफ्ट में की गई सिफारिश.

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प्रदेश के सरकारी स्कूलों के छात्र देश की सबसे पुरानी सैन्य अकादमियों में से एक भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून के बारे में पढ़ेंगे। राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा के ड्राफ्ट में इसकी सिफारिश की गई है।एससीईआरटी की ओर से तैयार ड्राफ्ट में कहा गया कि छात्र-छात्राओं में देश की सैन्य परंपरा के प्रति सम्मान विकसित करने के लिए देश के प्रतिष्ठित सैन्य संस्थान भारतीय सैन्य संस्थान देहरादून की जानकारी विषय वस्तु के रूप में शामिल की जानी चाहिए।

एससीईआरटी की ओर से तैयार ड्राफ्ट में यह भी कहा गया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान के साथ-साथ उत्तराखंड के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के प्रकाशित शोध एवं सर्वेक्षण एवं उनकी प्रेरणा का लाभ भी छात्र-छात्राओं को दिया जाना चाहिए।

प्रदेश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक शोध संस्थानों जैसे खगोल विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिष्ठित आर्य भट्ट प्रेक्षण शोध संस्थान नैनीताल, भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून, भारतीय पेट्रोलियम शोध संस्थान देहरादून, जड़ी-बूटी शोध संस्थान मंडल गोपेश्वर, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, भारतीय वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान मुक्तेश्वर नैनीताल, आईआईटी रुड़की सहित कई संस्थानों हैं, जो भ्रमण कार्यक्रम के लिए अहम स्थान हैं।

राज्य में 17 स्थानीय लोक भाषाएं हैं बोलचाल में
एससीईआरटी की ओर से तैयार किए गए एससीएफ में कहा गया कि राज्य में लगभग 17 स्थानीय लोक भाषाएं आम बोलचाल में प्रयोग की जाती है, जिनमें अपार स्थानीय पारंपरिक ज्ञान के संदेश और उदाहरण हैं। जिनकी शब्द संपदा बहुत ही समृद्ध है। ध्वनि, अनुभूति, स्वाद व स्पर्श आदि के लिए उनके भाव के अनुसार अलग-अलग शब्द हैं, जो किसी अन्य भाषा में देखने को नहीं मिलते।