Category Archive : देहरादून

Uttarakhand News: धधकते रहे जंगल.. 2 लाख हेक्टेयर में किए इंतजाम फिर भी सैकड़ों हेक्टेयर जंगल हुए राख.

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पिछले साल वन महकमे ने जंगल की आग से वनों को बचाने के लिए दो लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में नियंत्रित फुकान (कंट्रोल बर्निंग) किया। इसके बावजूद प्रदेश के वन धधकते रहे। ऐसे में वन महकमे का किया गया नियंत्रित फुकान सवालों में है।

यही नहीं जंगल की आग के नियंत्रण के लिए एक बड़ी रकम विभाग को तब जारी की गई, जब फायर सीजन खत्म हो रहा था। हालांकि इस बार पहले से अधिक चाकचौबंद इंतजाम होने का दावा किया जा रहा है। वन विभाग जंगल से आग से बचाव के लिए फायर लाइन की सफाई, कंट्रोल बर्निंग, जागरूकता अभियान चलाने जैसे प्रयास करता है। इन कोशिशों के बाद भी जंगल में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं।

पिछले साल की बात करें तो जंगल को वनाग्नि से बचाने के लिए 25 वन प्रभागों में नियंत्रित फुकान का काम किया गया, इसमें वन विभाग 201253.94 हेक्टेयर में नियंत्रित फुकान किया था। इसके बाद भी 1273 घटनाएं हुईं, इनमें 1768 हेक्टेयर जंगल में जैव विविधता प्रभावित हुई।

कंट्रोल बर्निंग के प्रभावों को लेकर अध्ययन नहीं-

वन विभाग जंगल से आग से बचाव के लिए सूखी पत्तियां जैसे फ्यूल लोड वनों में होता है, उसको हटाने के लिए उसे नियंत्रित तौर पर जलाया (कंट्रोल बर्निंग) जाता है। पर जिन प्रभागों और स्थानों पर कंट्रोल बर्निंग होती है वहां क्या प्रभाव पड़ा है, शायद ही कभी इसका अध्ययन किया गया हो। जबकि वन विभाग में कर्मियों की टीम से लेकर वन अनुसंधान जैसी शाखा भी है। कंट्रोल बर्निंग के प्रभाव के अध्ययन को लेकर अधिकारियों के पास भी सटीक जवाब नहीं है।

मई, जून में जारी हुआ करोड़ों का बजट-

 

15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन होता है। वन विभाग ने वनाग्नि नियंत्रण के लिए बजट जारी करने के कई आदेश हुए। इसमें बड़ी रकम मई और जून में जारी हुई। पिछले साल में मार्च में पहले नौ लाख की राशि जारी हुई। जबकि एक करोड़ दस लाख की राशि जारी करने का आदेश 20 जून को किया गया। वहीं, कैंपा से भी 20 मई को सवा पांच करोड़ से अधिक की राशि जारी की गई।जंगल की आग नियंत्रण के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

इसमें जंगल से फ्यूल लोड हटाने के लिए 10 रुपये प्रति किलो पिरुल देने का आदेश किया गया है। फायर लाइन की सफाई का काम किया जा रहा है। अन्य कदम भी उठाए गए हैं। रही बात कंट्रोल बर्निंग की तो यह जंगल से फ्यूल लोड को कम करने की एक प्रक्रिया है, जिससे बड़े नुकसान को रोका जा सके। -आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव वन

Uttarakhand: कैबिनेट में बदलाव से पहले हो सकता है भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का एलान, दौड़ में कई नाम है शामिल.

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उत्तराखंड में प्रदेश मंत्रिमंडल में बदलाव से पहले भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष का एलान हो सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बुधवार को दिल्ली में होने के बाद सियासी हलकों में कैबिनेट में फेरबदल की संभावना को लेकर चर्चाओं का बाजार गरमाता रहा। सूत्रों से खबर आई कि ये दोनों शुभ कार्य नवरात्र तक हो सकते हैं। मुख्यमंत्री बृहस्पतिवार को नई दिल्ली से लौट आएंगे।

कैबिनेट में बदलाव को लेकर केंद्रीय नेताओं से पहले बातचीत होगी। चर्चा का यह सिलसिला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बंगलुरू में होने वाली प्रतिनिधि सभा के बाद शुरू हो सकता है। पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष प्रतिनिधि सभा में शामिल होंगे। प्रतिनिधि सभा 21, 22 व 23 मार्च तक आयोजित होगी। माना जा रहा है कि धामी सरकार अपने तीन साल पूरे होना का जश्न मौजूदा मंत्रिमंडल के साथ मनाएगी। 23 मार्च को सरकार के तीन साल पूरे हो जाएंगे। इसके बाद सीएम धामी केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत करने के लिए दिल्ली जा सकते हैं। तब तक केंद्रीय नेताओं के आरएसएस की प्रतिनिधि सभा से लौट आने की संभावना है। इन सभी परिस्थितियों के आधार पर अब यही माना जा रहा है कि पार्टी कम से कम कैबिनेट विस्तार या इसमें फेरबदल नवरात्र में कर सकती है।

 

प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कई नाम-

भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कई नामों की चर्चा है। इनमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सांसद महेंद्र भट्ट को दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने चर्चाएं भी खासी गर्म रही हैं। पिछले कुछ दिनों से भट्ट अपने बयानों और बेटे के भूमि सौदे को लेकर सोशल मीडिया में विरोधियों के निशाने पर हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का नाम की भी चर्चा है। यदि पार्टी ब्राह्मण चेहरे के बजाय दलित चेहरे का प्रयोग करेगी तो पूर्व कैबिनेट मंत्री खजानदास के नाम को गंभीरता से देखा जा रहा है। इनके अलावा वरिष्ठ विधायक विनोद चमोली के नाम की भी चर्चा है। महिला चेहरे के तौर पर पार्टी विधायक आशा नौटियाल और महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री दीप्ति रावत भारद्वाज का नाम भी लिया जा रहा है। कई विधायक व अन्य युवा नेताओं के नाम की भी चर्चा है।

Dehrdaun: उपभोक्ताओं के लिए जरूरी खबर…प्रदेशभर में अब रविवार को भी खोले जाएंगे बिजलीघरों के बिलिंग काउंटर.

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प्रदेशभर में अब बिजलीघरों के बिलिंग काउंटर रविवार को भी खुले रहेंगे। यूपीसीएल ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। उपभोक्ताओं से अपील भी की जा रही है कि वे अपना बकाया बिजली बिल जमा करा दें। यूपीसीएल ने इस महीने में राजस्व वसूली अधिकाधिक कराने के लिए बड़ी तैयारी की है।

अधिकारियों की छुट्टियां रद्द करने के साथ ही अब सभी बिजली बिल जमा कराने वाले काउंटर रविवार को भी रोजमर्रा की भांति खुला रखने के आदेश दे दिए गए हैं। यूपीसीएल एमडी अनिल कुमार ने बताया कि राजस्व वसूली को लेकर आला अधिकारी प्रदेशभर से अपडेट ले रहे हैं और पूरी निगरानी कर रहे हैं।

सरकारी दफ्तरों के बिजली बिल बकाया को लेकर भी बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है। सभी अफसरों को नोडल अफसर बनाया गया है। उन्हें अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी देते हुए राजस्व वसूली कराई जा रही है। उधर, उपभोक्ताओं से अपील करने के साथ ही उन्हें बकाया बिजली बिल जमा न कराने पर कनेक्शन काटने की चेतावनी भी दी जा रही है। 

Uttarakhand: सेवानिवृत्ति के साथ शिक्षकों को सामूहिक बीमा योजना का तत्काल मिलेगा लाभ, नया संशोधन हुआ जारी.

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सेवानिवृत्ति के बाद संत्रात लाभ के तहत शिक्षकों को सामूहिक बीमा योजना का लाभ अब तत्काल मिल सकेगा। उन्हें संत्रात लाभ की अवधि पूरी होने का इंतजार नहीं करना होगा। सोमवार को सचिव वित्त डॉ. वी. षणमुगम ने सामूहिक बीमा योजना के भुगतान की संशोधित व्यवस्था लागू करने के संबंध में आदेश जारी कर दिया है।

सरकार के इस फैसले का लाभ 60 हजार से ज्यादा प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षकों को होगा। जारी आदेश के मुताबिक, सेवानिवृत्ति के तत्काल बाद ही बीमा योजना का के तहत मिलने वाले वित्तीय लाभ का भुगतान आईएफएमएस पेार्टल के माध्यम से होगा। इसके लिए अंतिम वेतन पत्र के स्थान पर सक्षम अधिकारी द्वारा इसका प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।

प्रदेश के सरकारी और सहायता प्राप्त अशासकीय स्कूलों के शिक्षक पिछले काफी समय से इस संशोधन की मांग कर रहे थे। शिक्षक संघ के नेताओं के मुताबिक, बीच सत्र में सेवानिवृत्ति की आयु पूरी करने वाले शिक्षकों के वित्तीय वर्ष के अंत तक यानी 31 मार्च का संत्रात लाभ दिया जाता है।

अब तक सामूहिक बीमा योजना का लाभ शिक्षकों को उनकी सत्रांत लाभ की अवधि पूरी करने पर ही मिलता था। इससे शिक्षकों के सेवानिवृत्ति के देयकों की एक बड़ी राशि कुछ और महीनों के लिए फंस जाती थी। इस धन को सेवानिवृत्ति की वास्तविक तारीख से ही दिए जाने की मांग की जा रही थी।

Uttarakhand: नए योग हब पर वित्तीय प्रोत्साहन देने की तैयारी, योग नीति बनाने में देश का पहला राज्य होगा उत्तराखंड.

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उत्तराखंड में योग के लिए अवस्थापना विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार नए योग हब बनाने पर वित्तीय प्रोत्साहन देनी की तैयारी कर रही है। पहली बार तैयार की जा रही योग नीति में इसका प्रावधान किया जा रहा है।

दो साल से योग नीति का खाका तैयार किया जा रहा है। पूर्व में भी नीति का प्रस्ताव बनाया गया था। वित्त व विधायी ने कुछ प्रावधानों में संशोधन कर दोबारा से प्रस्ताव बनाने को कहा था। आयुर्वेद निदेशालय ने नए सिरे नीति का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है। प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए विधायी को भेजा गया है। अब नीति को कैबिनेट में रखा जाएगा।

नीति में योग पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा ध्यान गुफाएं, विपासना केंद्र व योग रिट्रीट बनाने के नियम भी तय होंगे। योग के विशेष प्रचार अभियान चलाए जाएंगे। सभी विद्यालयों में योग और ध्यान को पाठ्येतर गतिविधि के रूप में शामिल करने की योजना है।

प्रदेश सरकार का प्रयास है कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से पहले नीति को लागू कर दिया जाए। इस नीति से प्रदेश में योग के लिए अवस्थापना विकास को बढ़ावा मिलेगा। -विजय कुमार जोगदंडे, अपर सचिव आयुष

Uttarakhand: मौन पालन को बढ़ावा.. CM आवास परिसर में निकाला गया शहद, 200 किलो तक रखा गया लक्ष्य.

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मुख्यमंत्री आवास परिसर में मंगलवार को शहद निष्कासन कार्य किया गया। पहले चरण में 57 किलोग्राम शहद निकाला गया। इस बार लगभग 200 किलोग्राम तक शहद के निकालने का लक्ष्य रखा गया।

मुख्यमंत्री ने बी-कीपिंग कार्य को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लेते हुए शहद महोत्सव आयोजित करने के लिए उद्यान विभाग को निर्देश दिए। जिसमें मधुमक्खी द्वारा तैयार किए जाने वाले समस्त प्रोडक्ट महोत्सव में रखने और हर वर्ष शहद महोत्सव की एक तिथि भी निर्धारित करने को कहा।

सीएम ने कहा कि उत्तराखंड में मौन पालन की अपार संभावनाएं हैं। राज्य में बहुत मात्रा में फूलों की प्रजातियां हैं, जो उच्च गुणवत्ता वाले जैविक शहद उत्पादन में सहायक हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में औषधीय गुणों वाला शहद तैयार करने के लिए लोगों को प्रशिक्षण दिया जाए। मौन पालन को बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए।

इस अवसर पर उद्यान प्रभारी दीपक पुरोहित और चेयरमैन देवभूमि पर्वतीय ग्रामोद्योग विकास संस्थान हरबर्टपुर अजय कुमार सैनी मौजूद थे।

उत्तराखंड में यहां पेड़ों से चिपक गई महिलाएं, सड़कों पर उतरे हजारों पर्यावरण प्रेमी

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भानियावाला-ऋषिकेश मार्ग चौड़ीकरण के नाम पर करीब 3300 पेड़ों को काटने के विरोध में दो-दो पद्मश्री, लोकगायिका समेत बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी सड़क पर उतर गए। पेड़ों से चिपक कर महिलाओं ने उनके रक्षा का संकल्प लिया और चिपको आंदोलन 2.0 शुरू करने का एलान किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया।

चिपको आंदोलन' चलाने वाली एक थी 'चिपको वुमेन' फ्रॉम इंडियाNaN

ऋषिकेश से भानियावाला के बीच सड़क को फोरलेन किया जाना है। करीब 21 किमी के दायरे में 600 करोड़ रुपये की लागत से चौड़ीकरण कार्य किया जाना है। चौड़ीकरण के दौरान करीब 3300 पेड़ भी कटान की जद में हैं। जिनका इन दिनों छंटाई कार्य चल रहा है। इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों के कटान की जद में आने पर पर्यावरणविदों व लोगों ने कड़ा आक्रोश जताया है।

Chipko movement Again in Uttarakhand Women Hug to trees in rishikesh against tree cutting

रविवार को विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग सात मोड़ क्षेत्र में एकत्र हुए। पर्यावरणविदों का कहना था कि पिछले कुछ दशकों में, देहरादून और उसके आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरणीय असंतुलन तेजी से बढ़ा है। बढ़ते तापमान, घटते भूजल स्तर और खराब होती वायु गुणवत्ता लोगों के स्वास्थ्य और जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शुरू हुआ चिपको आंदोलन 2.0, रोजाना दो  सिगरेट के बराबर हवा में सांस ले रहे नागरिक | Loksaakshya

इन गंभीर संकेतों के बावजूद, बिना किसी दीर्घकालिक पर्यावरणीय योजना के बड़े-बड़े विकास परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। उत्तराखंड के लोग लंबे समय से वनों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक संसाधनों के विनाश का विरोध कर रहे हैं। लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने सातमोड़ क्षेत्र में पेड़ों को रक्षा सूत्र बांध कर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। कहा कि यह चिपको आंदोलन 2.0 का आगाज है।

Chipko Movement Again In Uttarakhand Women Hug To Trees In Rishikesh  Against Tree Cutting - Amar Ujala Hindi News Live - चिपको आंदोलन 2.0: उत्तराखंड में यहां पेड़ों से चिपक गई महिलाएं, सड़कों

प्रमुख रूप से पद्मश्री डॉ. माधुरी बर्तवाल, पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, लोकगायिका कमला देवी, इरा चौहान, अनूप नौटियाल, सूरज सिंह नेगी, नितिन मलेथा, इंद्रेश मैखुरी आदि

26 march ko Chipko Andolan se bache the uttarakhand ke jangal: 26 मार्च को चिपको  आंदोलन से बचे थे उत्तराखंड के जंगल
यह हैं प्रदर्शनकारियों की मांग
1. ऋषिकेश-जौलीग्रांट हाईवे परियोजना और इसके तहत 3,300 पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई जाए।
2. देहरादून और इसके आसपास के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में वनों के व्यावसायिक उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। भविष्य की सभी परियोजनाओं में सतत विकास को प्राथमिकता दी जाए।
3. देहरादून की पारंपरिक नहरों का संरक्षण और पुनरुद्धार किया जाए। ये नहरें भूजल रिचार्ज और अत्यधिक गर्मी के दौरान तापमान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
4. देहरादून की प्रमुख नदियों (रिस्पना, बिंदाल और सौंग) को पुनर्जीवित किया जाए। इन्हें प्लास्टिक कचरे और अनुपचारित सीवेज से बचाया जाना चाहिए।
5. हरे भरे स्थानों को बढ़ावा देने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं। देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में आने वाली सभी नई आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं में कम से कम 25% भूमि हरित क्षेत्र के लिए आरक्षित होनी चाहिए।
6. वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए त्वरित कार्रवाई की जाए।
7. 1980 के वन अधिनियम में संशोधन कर जंगलों में लगने वाली आग को रोकने के लिए प्रभावी रणनीतियां अपनाई जाएं।

अग्रवाल के इस्तीफे के बाद पांच कुर्सियां खाली, मंत्री के लिए इन नामों की चर्चा

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कैबिनेट मंत्री के पद से प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा देने के साथ ही धामी कैबिनेट में फेरबदल की जल्द संभावनाएं बन गई हैं। इस्तीफा प्राप्त होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे राज्यपाल को भेज दिया है।माना जा रहा है कि इस संबंध में केंद्रीय नेतृत्व से मार्गदर्शन लेने सोमवार को मुख्यमंत्री दिल्ली जा सकते हैं। तेज हुई राजनीतिक हलचल के बीच कैबिनेट में नए मंत्री बनाए जाने और एक और मंत्री को बदले जाने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। 23 मार्च को धामी सरकार का तीन साल कार्यकाल पूरा हो रहा है। सूत्र इससे पहले कैबिनेट बदलाव की संभावना जता रहे हैं। धामी कैबिनेट में चार नए चेहरों को जगह मिल सकती है।

 

दरअसल, क्षेत्रवाद को लेकर दिए बयान पर विवाद गहराने के बाद पार्टी के भीतर ही प्रेमचंद अग्रवाल की कैबिनेट से विदाई की चर्चाएं जोरों पर थीं। हालांकि उनके बयान को लेकर पाटी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और स्वयं अग्रवाल ने डेमेज कंट्रोल की काफी कोशिश की, लेकिन पार्टी के भीतर से ही उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रियाओं ने विवाद को और हवा दे दी।

 

केंद्रीय नेतृत्व ने एक्शन को लेकर दिया था संकेत
प्रदेश नेतृत्व ने अग्रवाल को तलब कर उन्हें विवादित बयानबाजी से बचने की नसीहत दी थी और रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी थी। बाद में पार्टी ने मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष से भी इस बारे में फीडबैक लिया। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की ओर से बयान पर जन प्रतिक्रियाओं और उसके राजनीतिक नफा नुकसान का आकलन करने के बाद मंत्री अग्रवाल को होली के बाद इस्तीफा देने के लिए इशारा कर दिया गया था, ताकि वह कैबिनेट से सम्मानजनक ढंग से विदा हो जाएं।

धामी कैबिनेट में अब पांच कुर्सियां खालीं
तीन साल से कम कार्यकाल में धामी कैबिनेट में दो और कुर्सियां खाली हो चुकी हैं। सरकार गठन के दिन से ही तीन कुर्सियां खाली रखी गई थीं। कैबिनेट मंत्री रहे चंदन राम दास के निधन के बाद एक कुर्सी खाली चल रही थी। अग्रवाल का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद खाली कुर्सियों की संख्या पांच हो जाएगी।

विधायकों के अरमानों को लगे पंख, मंत्री बनने को बेताब
धामी मंत्रिमंडल में खाली कुर्सियों को भरने की संभावना के बीच पार्टी के विधायकों के अरमानों को पंख लग गए हैं। वर्तमान में पार्टी में बिशन सिंह चुफाल, मदन कौशिक, बंशीधर भगत, खजानदास और अरविंद पांडेय, पांच ऐसे वरिष्ठ विधायक हैं जो पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे हैं। लेकिन ये सभी नाम उम्र, अनुभव, क्षेत्रीय, जातीय और राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से कितने उपयुक्त होंगे, यह केंद्रीय नेतृत्व व सीएम धामी को तय करना है।

 

 

मंत्री पद को लेकर इन नामों की है खास चर्चा
कैबिनेट में भाजपा संसदीय क्षेत्र के हिसाब से प्रतिनिधित्व तय करती है। माना जा रहा है कि क्षेत्रीय और जातीय संतुलन के हिसाब से धामी कैबिनेट का नया स्वरूप तय होगा। फेरबदल के दौरान विभागीय कामकाज को लेकर जांच को लेकर चर्चाओं में रहे एक और कैबिनेट मंत्री की विदाई हो सकती है। मंत्री पद की दौड़ में जो नाम तैर रहे हैं, उनमें हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से मदन कौशिक, आदेश चौहान व विनोद चमोली प्रमुख हैं। अग्रवाल के इस्तीफे के बाद हरिद्वार लोस का प्रतिनिधित्व खाली हो जाएगा। टिहरी लोस से प्रतिनिधित्व घटा तो तीन प्रमुख नाम खजानदास, मुन्ना सिंह चौहान, सहदेव पुंडीर और उमेश शर्मा काऊ का नाम कतार में है। क्षेत्रीय संतुलन कसौटी पर इनमें से कोई एक नाम फिट हो सकता है। चर्चा यह भी है कि स्पीकर ऋतु खंडूड़ी भूषण को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है। ऐसे में गढ़वाल संसदीय सीट से एक हैवीवेट मंत्री को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। नैनीताल यूएसनगर लोस से विधायक अरविंद पांडेय व शिव अरोड़ा के नामों की चर्चा है। कायस यह भी हैं कि अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ से बिशन सिंह चुफाल की किस्मत खुल सकती है।

 

सीएम नहीं खोल रहे पत्ते
अग्रवाल की विदाई की संभावनाओं और कैबिनेट विस्तार की चर्चाओं के गरमाने के बावजूद सीएम धामी ने चुप्पी

क्षेत्रवाद के बयान से घिरे वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने दिया इस्तीफा, फफक कर रो पड़े

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बजट सत्र के दौरान सदन में क्षेत्रवाद पर दिए बयान से विवादों में घिरे कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस्तीफा दे दिया है। अपने सरकारी आवास में इस्तीफे की घोषणा करने के बाद उन्होंने सीएम आवास पहुंचकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को त्यागपत्र सौंपा। मुख्यमंत्री ने अग्रवाल का त्यागपत्र अग्रिम कार्यवाही के लिए राज्यपाल को भेज दिया है। इससे पहले अग्रवाल पत्नी के साथ रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पहुंचे और राज्य आंदोलनकारी शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

बीती फरवरी में हुए बजट सत्र के दौरान सदन में क्षेत्रवाद को लेकर दिए बयान से कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल विवादों में घिर गए थे। हालांकि विवाद बढ़ने पर उन्होंने सदन के अंदर व बाहर खेद भी जताया था। लेकिन इससे मचे सियासी घमासान ने भाजपा को असहज कर दिया था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने अग्रवाल को पार्टी मुख्यालय में तलब तक स्पष्टीकरण लिया था। मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा के बीच केंद्र सरकार ने कैबिनेट मंत्री अग्रवाल को मंत्री समूह (जीओएम) का सदस्य नामित किया, जिससे उन्हें कैबिनेट मंत्री से हटाने की चर्चा पर विराम लग गया था।

रविवार को अग्रवाल ने पत्नी शशि प्रभा अग्रवाल के साथ रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पहुंच कर राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास पहुंचकर प्रेसवार्ता बुलाई और इस्तीफे की घोषणा कर दी। इस दौरान वह भावुक होकर फफक पड़े।

Uttarakhand Cabinet Minister Prem Chand Agarwal Resigned Today amid statement on regionalism

अग्रवाल ने कहा कि उनके जैसे व्यक्ति को साबित करना पड़ रहा है कि उत्तराखंड के लिए क्या योगदान दिया। सदन में उनके बयान को तरोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है, इससे वह आहत हैं। कहा, राज्य आंदोलन के दौरान मैंने लाठियां खाई हैं।

घटनाओं और लोगों का जिक्र किया

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने मुजफ्फरनगर कांड, मसूरी गोली कांड से लेकर राज्य आंदोलन से जुड़ीं कई घटनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने राज्य आंदोलन की लड़ाई के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी, उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, मनोहरकांत ध्यानी, पूर्व राज्य सभा सदस्य मालती शर्मा से जुड़े स्मरण साझा किए। बताया कि मुजफ्फरनगर में गोली चल रही थी, इसके बाद भी वे ट्रक में बैठ कर पहुंचे थे। मसूरी पहुंचे तो हाथ जोड़कर लोगों ने कहा कि यहां से चले जाएं, वर्ना आप का एनकाउंटर हो जाएगा या फिर एनएसए लग जाएगा।

कैबिनेट में चार कुर्सियां पहले ही खाली थी

धामी कैबिनेट में चार कुर्सियां लंबे समय से खाली चल रही हैं। इन चार खाली कुर्सियों को भरने के साथ ही कुछ बदलाव होने के कयास भी लगाए जा रहे थे। वहीं, आज मंत्री अग्रवाल के इस्तीफा देने के बाद अब एक और कुर्सी खाली हो गई है।

प्रेमचंद अग्रवाल का राजनीतिक सफर

  • 2007 में पहली बार बने विधायक, सदस्य आवास समिति विधान सभा।
  • 2008 में सदस्य याचिका समिति विधान सभा।
  • 2009 में संसदीय सचिव, औद्योगिक विकास, संबद्ध सीएम।
  • 2012 में दूसरी बार बने विधायक, सदस्य अनुसूचित जाति जनजाति एवं विमुक्त जाति समिति विधान सभा।
  • 2013 में सदस्य आवास समिति विधान सभा।
  • 2014 सदस्य, प्राक्लन समिति विधान सभा।
  • 2017 में तीसरी बार विधायक
  • 2017 विधान सभा अध्यक्ष।
  • 2017 में कार्यकारी सदस्य राष्ट्रमंडलीय संसदीय संघ, भारत परिक्षेत्र।
  • 2022 में चौथी बार विधायक, कैबिनेट मंत्री वित्त, शहरी विकास एवं आवास, विधायी एवं संसदीय कार्य, जनगणना एवं पुर्नगठन मंत्री।

Uttarakhand: प्रदेश में आपातकालीन सेवाओं के लिए बनेगा स्वास्थ्य परिचालन केंद्र, चारधाम यात्रियों को मिलेगी मदद.

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चारधाम यात्रा के दौरान आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी के लिए पहली बार उत्तराखंड में स्वास्थ्य परिचालन केंद्र बनाया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। लगभग पांच करोड़ की लागत से इस केंद्र को स्थापित किया जाएगा।

इस बार चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल से हो रही है। यात्रा के दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ठंड के साथ ऑक्सीजन की कमी से तीर्थ यात्रियों की अचानक तबीयत बिगड़ने से हार्ट अटैक का खतरा रहता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से चारधाम यात्रा मार्ग पर 26 मेडिकल रिस्पांस प्वाइंट व 50 स्क्रीनिंग सेंटर बनाए जाते हैं।

इसके अलावा मार्गों पर स्थायी स्वास्थ्य केंद्र व अस्पताल भी हैं। लेकिन अभी तक यात्रा के दौरान आपात स्थिति में तत्काल स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए अपना परिचालन केंद्र नहीं है। राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य परिचालन केंद्र को मंजूरी दे दी है। इसके लिए पांच करोड़ की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग ने परिचालन केंद्र के लिए महानिदेशालय में जगह उपलब्ध करा दी है। प्रदेश सरकार का प्रयास है कि चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले परिपालन केंद्र को संचालित किया जाए। जिससे एक ही जगह से चारधामों में स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी हो सकेगी। इसके साथ ही आपात स्थिति में किसी श्रद्धालुओं को हायर सेंटर रेफर करना है या एयर लिफ्ट की आवश्यकता है तो परिचालन केंद्र से त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
 

परिचालन केंद्र से 24 घंटे चारधाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी की जाएगी। अभी तक यह व्यवस्था नहीं थी। केंद्र सरकार के सहयोग से प्रदेश में पहली बार यह केंद्र स्थापित किया जा रहा है। इस बार हमारा प्रयास है कि यात्रा के दौरान किसी भी तीर्थयात्री की मौत न हो। -डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य