Category Archive : उत्तराखंड

Badrinath Temple: श्रद्धालुओं को इस बार बदला नजर आएगा धाम, जानिए कैसी है धाम की नई तस्वीर, क्या हैं आकर्षण के केंद्र.

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इस बार बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को बदरीनाथ मंदिर खुला-खुला नजर आएगा। बदरीनाथ धाम भी बदला दिखने लगा है। बदरीनाथ महायोजना मास्टर प्लान के तहत धाम में युद्धस्तर पर निर्माण और भवनों के ध्वस्तीकरण का काम चल रहा है। बदरीनाथ बाजार क्षेत्र में भी जगह-जगह निर्माण कार्य चल रहे हैं। जिससे धाम की तस्वीर एकदम बदली हुई है।

धाम में मास्टर प्लान के दूसरे चरण के कार्य चल रहे हैं। अराइवल प्लाजा का निर्माण अंतिम चरण में पहुंच गया है। इस पर नक्काशीदार पत्थर और लकड़ी लगाकर आकर्षक रूप दिया जा रहा है। बदरीश झील और शेषनेत्र झील के किनारे आकर्षक पत्थर बिछाए गए हैं और आकर्षक लाइट लगा दी गई है।

बदरीनाथ मंदिर के करीब 75 मीटर हिस्से में भवनों का ध्वस्तीकरण कार्य भी तेजी से चल रहा है। दूर से ही मंदिर खाली-खाली नजर आ रहा है। दर्शनों की लाइन के दोनों ओर के सभी भवनों को ध्वस्त कर दिया गया है। बदरीनाथ के शुरुआत देव दर्शनी में तीर्थयात्रियों के लिए व्यू प्वाइंट बनाया जा रहा है।

प्राकृतिक सौंदर्य को निहार सकेंगे-

यहां से यात्री दूर से ही बदरीनाथ मंदिर और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को निहार सकेंगे। यहां एक विशाल गेट भी बनाया जा रहा है। लोनिवि पीआईयू के अधिशासी अभियंता योगेश मनराल ने बताया कि मास्टर प्लान के कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। बरसात से पहले अधिकांश काम पूर्ण कर लिए जाएंगे।

 

बदरीनाथ क्षेत्र में अलकनंदा के दोनों ओर से रिवर फ्रंट का काम भी तेजी से चल रहा है। कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग पीआईयू बरसात से पहले यहां अधिक से अधिक कार्यों को पूरा करने पर जोर दे रही है। इसके लिए यहां करीब 400 मजदूर लगाए गए हैं।

रिवर फ्रंट के कार्यों से अलकनंदा अस्त-व्यस्त नजर आ रही है। नदी में जगह-जगह मलबे के ढेर पड़े हैं। मलबे के कारण नदी का रुख गांधी घाट और ब्रह्मकपाल की ओर ओर हो गया है। यदि मलबे का जल्द निस्तारण नहीं किया गया तो बरसात में नदी का पानी ब्रह्मकपाल से तप्तकुंड तक घुस जाएगा।

Uttarakhand: मंगल दलों को स्वरोजगार के लिए आर्थिक मदद देगी राज्य सरकार, प्रस्ताव तैयार करने के दिए निर्देश.

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उत्तराखंड के सात हजार से अधिक युवक और महिला मंगल दलों के लिए सरकार स्वरोजगार के अवसर प्रदान करेगी। युवा कल्याण मंत्री रेखा आर्या ने सोमवार को विभागीय उच्च अधिकारियों के साथ बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया।

बैठक के बाद मंत्री आर्य ने बताया कि मंगल दलों की भूमिका का विस्तार करते हुए उन्हें रोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव मांगे जाएंगे और स्वीकृत प्रस्तावों को सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों को इस साल होने वाले खेल महाकुंभ की तैयारियां भी जल्द से जल्द पूरी करने को कहा। तैयारियों के संबंध में प्रगति रिपोर्ट बनाने को कहा है, ताकि आगे होने वाली समीक्षा बैठक में तैयारियों पर विचार-विमर्श किया जा सके।

चारधाम यात्रा में तैनात पीआरडी जवानों को मिलेंगी अतिरिक्त सुविधाएं-

 

बैठक में चारधाम यात्रा में तैनात 2800 से अधिक पीआरडी जवानों की समस्याओं पर भी चर्चा हुई। मंत्री आर्या ने बताया कि समुद्र तल से अधिक ऊंचाई पर ड्यूटी करने वाले जवानों को जूते, जैकेट, रेनकोट और वॉटर प्रूफ टेंट जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके लिए सभी जिलों के युवा कल्याण अधिकारियों से सुझाव मांगे गए हैं। बैठक में विशेष प्रमुख खेल सचिव अमित सिन्हा, खेल निदेशक प्रशांत आर्य व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

Uttarakhand: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से मिले CM धामी, कई मंडलों पर हुई विस्तृत चर्चा.

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सीएम धामी इन दिनों दिल्ली दौरे पर हैं। मंगलवार को उन्होंने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात की। इस दौरान कैबिनेट सचिव, भारत सरकार की अध्यक्षता में गठित समिति की संस्तुतियों और राज्य सरकार के अनुरोध के क्रम में 647 मेगावाट क्षमता की सात जल विद्युत परियोजनाओं के विषय में विस्तृत चर्चा की। जिसमें समिति द्वारा पांच पूर्व संस्तुत जल विद्युत परियोजनाओं और दो अन्य परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया।

वहीं, उन्होंने धौलीगंगा नदी पर प्रस्तावित सेला उर्थिंग जल विद्युत परियोजना (114 मेगावाट) पर भी चर्चा कर राज्य के व्यापक हित में इस परियोजना के लिए सभी आवश्यक स्वीकृतियां प्रदान करने का आग्रह किया। इस दौरान उन्हें चारधाम यात्रा के लिए उन्हें उत्तराखंड आने के लिए आमंत्रित कियाद्ध। केंद्रीय मंत्रीने सभी प्रस्तावों पर सकारात्मक आश्वासन दिया। 

जोशीमठ-औली रोपवे परियोजना के लिए डीपीआर तैयार,राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण

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उत्तराखंड में जोशीमठ-औली रोपवे परियोजना आगे बढ़ रही है। राज्य की निर्माण एजेंसी ब्रिडकुल ने नए रोपवे के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) का मसौदा तैयार कर लिया है, जो 3.917 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। अंतिम डीपीआर जल्द ही सरकार को भेजी जाएगी। मंजूरी मिलते ही निर्माण शुरू हो जाएगा। रोपवे से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। सुरक्षा चिंताओं के कारण पुराने रोपवे को जनवरी 2023 से बंद कर दिया गया है।

ब्रिडकुल ने मसौदा योजना तैयार की

ब्रिडकुल के प्रबंध निदेशक एनपी सिंह ने पुष्टि की कि रोपवे के लिए डीपीआर लगभग पूरी हो चुकी है। पुराने रोपवे के असुरक्षित हो जाने के बाद इस परियोजना को पूरी तरह से ब्रिडकुल द्वारा ही संभाला जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पहले रोपवे के पहले और दूसरे टावर की नींव में कुछ समस्या थी, जिसके कारण इसे बंद करना पड़ा। तब से, BRIDCUL नए सर्वेक्षण करने और नए रोपवे की योजना बनाने का काम संभाल रहा है।

नींव और सर्वेक्षण सहित सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं।

परियोजना का निर्माण 2 चरणों में किया जाएगा

रोपवे का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा।

  • प्रथम चरण : 11 टावरों और 21 केबिनों के साथ 2.76 किलोमीटर की दूरी तय करेगा।
  • द्वितीय चरण : 1.157 किलोमीटर, गौरसौ बुग्याल तक विस्तारित, 7 टावर और 9 केबिन।

परियोजना की कुल लागत 426 करोड़ रुपये आंकी गई है। सिंह ने बताया कि डीपीआर का अंतिम संस्करण एक सप्ताह के भीतर सरकार को सौंप दिया जाएगा।

ऐसे तैयार होगा रोपवे

प्रतिदिन 500 यात्रियों की क्षमता

एक बार चालू होने के बाद, रोपवे प्रति घंटे प्रति दिशा (पीपीएचपीडी) लगभग 500 यात्रियों को ले जाने में सक्षम होगा। प्रत्येक ट्रॉली 10 लोगों को ले जा सकेगी।

कुल मिलाकर, 3.917 किलोमीटर लंबे मार्ग में दोनों चरणों में 18 टावर और 30 केबिन शामिल होंगे।

 

इंदिरा गांधी ने रखी थी पुराने रोपवे की नींव

मूल रोपवे परियोजना 1983 में शुरू हुई थी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसकी आधारशिला रखी थी। इसे 1984-85 में ज़िगज़ैग तकनीक का उपयोग करके पूरा किया गया था। तब से, जोशीमठ और औली के बीच पर्यटकों की यात्रा के लिए रोपवे का उपयोग किया जाता रहा है, जब तक कि इसे सुरक्षा चिंताओं के कारण जनवरी 2023 में बंद नहीं कर दिया गया।

अब, राज्य इस क्षेत्र में पर्यटन को एक बार फिर बढ़ावा देने के लिए एक सुरक्षित और उन्नत संस्करण बनाने की योजना बना रहा है।

1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रखी थी आधारशिला

 

कश्मीरी छात्रों पर बयान के बाद देहरादून में अलर्ट, हिंदू रक्षा दल के अध्यक्ष पर मुकदमा दर्ज

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हिंदू रक्षा दल की ओर से कश्मीरी छात्रों पर दिए गए बयान के बाद बृहस्पतिवार को पुलिस अलर्ट रही। पुलिस ने हिंदू रक्षा दल के अध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही सुबह से दोपहर तक दल के नेताओं को घर पर ही नजरबंद किया।

हिंदू रक्षा दल के प्रदेश अध्यक्ष ललित शर्मा ने बुधवार को कश्मीरी छात्रों पर विवादित बयान दिया था। सोशल मीडिया पर भी इसका वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस हरकत में आई। अलर्ट जारी करने के साथ ही कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई। बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजे से ही पुलिस हिंदू रक्षा दल के लोगों के घरों पर पहुंच गई और उन्हें घरों से निकलने नहीं दिया।दोपहर तक उनके घरों पर पुलिस का कड़ा पहरा रहा।

एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि कश्मीरी छात्रों पर दिए गए बयान के बाद आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा के लिए पुलिस गंभीर है। यदि कोई शांतिभंग का प्रयास करेगा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

देहरादून के शिक्षण संस्थानों में 1201 कश्मीरी छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी सुरक्षा को लेकर एसएसपी अजय सिंह ने बृहस्पतिवार को बैठक की। जिन जगहों पर कश्मीरी छात्र रह रहे हैं, वहां के संचालकों को एसएसपी ने सुरक्षा के निर्देश दिए। साथ ही ऐसे क्षेत्रों में पीएसी तैनात की गई है। पीएसी लगातार इन क्षेत्रों में भ्रमण करेगी।

स्कूलों में बैग फ्री डे,महीने के अंतिम शनिवार अब मस्ती की पाठशाला

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प्रदेश के सरकारी और निजी सभी स्कूलों में महीने के अंतिम शनिवार को बस्ते की छुट्टी रहेगी। उत्तराखंड बोर्ड के स्कूल हों या फिर सीबीएसई, आईसीएससी, संस्कृत और भारतीय शिक्षा परिषद के स्कूल सभी में बच्चों के कंधों पर बस्ते नहीं होंगे। सरकार ने हर महीने के अंतिम शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस मनाने का निर्णय लिया है।

In The Government Schools The Fourth Saturday Of The Month Will Be Bag Free Day - Amar Ujala Hindi News Live - सरकारी स्कूलों में महीने का चौथा शनिवार होगा बैग फ्री
शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत के मुताबिक इसी शनिवार से इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। एससीईआरटी सभागार में आयोजित कार्यशाला में शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने बस्ता रहित दिवस की शुरुआत की और गतिविधि पुस्तिका का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि बच्चों को पढ़ाई के साथ ही खेल, व्यावसायिक शिक्षा, कृषि, चित्रकला सहित विभिन्न गतिविधियों में दक्ष बनाया जाना है।
No bags, it's masti time at govt schools - The Tribune
इसके लिए सभी स्कूलों में बच्चे महीने में एक दिन बिना बस्ते के आएंगे। विदेशों में बच्चे खुशनुमा माहौल में पढ़ते हैं। उनके लिए इसी तरह का माहौल होना चाहिए। कार्यक्रम में शिक्षा सचिव रविनाथ रामन, महानिदेशक झरना कमठान, मिशन निदेशक एनएचएम स्वाति भदौरिया, डाॅ. मुकुल सती, विभिन्न निजी स्कूलों के प्रबंधक व बोर्ड के अधिकारी मौजूद रहे।

Kedarnath: पहली बार केदारनाथ धाम में मिलेगी आधुनिक चिकित्सा सुविधा, स्क्रीनिंग प्वाॅइंट सहित पढ़ें ये सभी अपडेट.

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चारधाम यात्रा में आने वाले तीर्थ यात्रियों की सेहत का विशेष ख्याल रखा जाएगा। इसके लिए चारधाम के अलावा यात्रा मार्गों पर चिकित्सा सुविधाओं का रोडमैप तैयार कर स्वास्थ्य विभाग तैयारियों में जुट गया है। पहली बार केदारधाम में 17 बेड का अस्पताल संचालित होगा। जिसमें तीर्थ यात्रियों को आधुनिक चिकित्सा सुविधा मिलेगी।

स्क्रीनिंग प्वाइंट पर 50 वर्ष से ऊपर के यात्रियों की अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य जांच की जाएगी। बुधवार को सचिवालय में स्वास्थ्य सचिव डाॅ. आर. राजेश कुमार ने चारधाम यात्रा की तैयारियों के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षित यात्रा के लिए आधुनिक और सुलभ स्वास्थ्य ढांचा तैयार किया जा रहा है।

केदारनाथ धाम में 17 बेड के अस्पताल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। कार्यदायी संस्था ने यात्रा शुरू होने से पहले दो मंजिला भवन पूरी तरह संचालित करने का भरोसा दिया है। अस्पताल में एक्सरे, रक्त जांच, ईसीजी, मल्टी पैरामॉनीटर और ऑर्थो विशेषज्ञ की सेवाएं उपलब्ध होगी। अधिकांश चिकित्सा उपकरणों को पहुंचाया जा चुका है।

श्रद्धालुओं के लिए बहुभाषी हेल्थ एडवाइजरी और होर्डिंग्स-

श्रद्धालुओं को सहज व स्पष्ट स्वास्थ्य जानकारी प्रदान करने के लिए बहुभाषी हेल्थ एडवाइजरी तैयार की गई। जो 13 भाषाओं में उपलब्ध है। यह एडवाइजरी यात्रा मार्ग पर होटलों, रेस्टोरेंट, पार्किंग स्थलों में यूआर कोड के माध्यम से श्रद्धालुओं को प्रदान की जाएगी। साथ ही जाम संभावित क्षेत्रों व ठहराव स्थलों पर बड़े होर्डिंग्स के माध्यम से भी स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता का प्रचार किया जाएगा।

 

फाटा और पैदल मार्ग की चिकित्सा इकाइयों को किया सशक्त-

फाटा स्थित अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती की जा रही है। यहां पर एक्सरे की सुविधा भी उपलब्ध होगी। वहीं, पैदल मार्ग पर 12 चिकित्सा इकाइयों में प्रशिक्षित चिकित्सक व फार्मेसी अधिकारी तैनात किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, 12 चिह्नित हेलिपैड और पार्किंग स्थलों पर स्क्रीनिंग टीमों की जाएगी।

गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के स्क्रीनिंग प्वाइंट पर 28 अप्रैल से डॉक्टरों की तैनाती-

गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के स्क्रीनिंग प्वाइंट पर डॉक्टरों व सहायक कर्मचारियों की तैनाती 28 अप्रैल से रोस्टर वार की जाएगी। गंगोत्री धाम व जानकीचट्टी में फिजिशियन की विशेष तैनाती की जा रही है। इसके अलावा यात्रा मार्गों पर 108 एंबुलेंस की व्यवस्था रहेगी।

 

यात्रा मार्गों पर 70 डॉक्टर तैनात-

चारधाम यात्रा मार्ग पर 70 डॉक्टर तैनात हैं। अलावा अन्य जिलों से 15 दिन में रोटेशनल आधार पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की जाएगी। इनमें ऑर्थो सर्जन, फिजिशियन, एनेस्थेटिस्ट, जनरल सर्जन, 121 स्टाफ नर्स, 26 फार्मासिस्ट, 309 ऑक्सीजन बेड, छह आईसीयू बेड, एक ब्लड बैंक और दो ब्लड स्टोरेज यूनिट तैनाती की जा रही है।

पांच नए स्थानों में खुलेंगे मेडिकल रिलीफ पोस्ट-

बदरीनाथ, गोविंदगढ़ और पालना भंडार में मेडिकल रिलीफ पोस्ट इस बार भी संचालित रहेंगे। इसके अलावा पांच नए स्थान गौचर, लांगसू, मंडल, कटोरा और हनुमान चट्टी में एमआरपी खोले जाएंगे। बदरीनाथ धाम में स्वामी विवेकानंद संस्था के माध्यम से एक अलग स्क्रीनिंग सेंटर भी संचालित किया जाएगा।

 

बिना पंजीकरण खाद्य उत्पाद बेचने पर होगी कार्रवाई-

खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की ओर से यात्रा मार्ग पर खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की नियमित जांच की जाएगी। बिना पंजीकरण वाले खाद्य विक्रेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने एक खाद्य सुरक्षा मोबाइल वैन भी तैनात की है, जो यात्रा मार्ग पर निरीक्षण कर सैंपलों की मौके पर जांच करेगी।

Pahalgam Attack: उत्तराखंड में पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर बढ़ी सतर्कता, चारधाम यात्रा को लेकर खुफिया तंत्र सक्रिय.

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद राज्य में सतर्कता बढ़ा दी गई है। पुलिस ने रातभर चेकिंग के बाद दिन में भी बॉर्डर क्षेत्रों में चेकिंग जारी रखी। इसी बीच सरकार की ओर से पर्यटन और धार्मिक स्थलों को लेकर भी सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके अलावा यात्रा मार्ग पर विभिन्न स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। इसके लिए खुफिया तंत्र को अति सक्रियता से काम करने के निर्देश भी दिए गए हैं। हर छोटी बड़ी सूचना को गंभीरता से लिया जाए, ताकि भविष्य में कोई अप्रिय घटना न हो। 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है। इसके लिए सारी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है।

हर साल चारधाम यात्रा और धार्मिक आयोजनों को लेकर विभिन्न माध्यमों से धमकियों की बात भी सामने आती है। लिहाजा, पुलिस और खुफिया तंत्र यहां पर अतिरिक्त सतर्कता बरतती है।ऐसे में अब पहलगाम की घटना के बाद पुलिस और खुफिया तंत्र पहले से भी अधिक सतर्क हुआ है। इंटेलीजेंस सूत्रों के मुताबिक सभी पर्यटन स्थलों पर भी अतिरिक्त सुरक्षा और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

बॉर्डर क्षेत्रों में भी अतिरिक्त पुलिस बल तैनात-

सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से जो जानकारी मिलती है उसे गंभीरता से लेकर इनपुट जुटाने के लिए कहा गया है। बॉर्डर क्षेत्रों में भी अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रहेगा। इसके अलावा सीमावर्ती राज्यों से भी सूचनाओं के आदान प्रदान को लगातार करने के निर्देश दिए गए हैं।बता दें कि चारधाम के अलावा देहरादून, मसूरी, टिहरी, नैनीताल आदि जगहों पर लाखों की तादाद में सैलानी आते हैं। इनकी सुरक्षा में भी कोई चूक न हो इसके लिए भी अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। इंटेलीजेंस को राष्ट्रीय एजेंसियों के लगातार संपर्क में रहने के लिए भी कहा गया है। ताकि, हर प्रकार की सूचनाओं का आदान प्रदान हो सके।

 

इसी के मद्देनजर राज्य में भी सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता की जाएगी। बता दें कि समय-समय पर हरिद्वार रेलवे स्टेशन, देहरादून के विभिन्न सैन्य संस्थान, टिहरी बांध आदि पर हमले की धमकियां मिलती हैं। इन्हें गंभीरता से लेते हुए पुलिस कार्रवाई भी करती है। इनमें कुछ असामाजिक तत्वों की संलिप्तता की बात भी सामने आती है।

उत्तराखंड का नया रेल नेटवर्क: हिमालय की चुनौतियों पर विजय,भविष्य में होने वाले साइड इफेक्ट !

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हिमालय की दुर्गम चट्टानों और भूस्खलन के खतरों को पार करते हुए उत्तराखंड में एक आधुनिक रेल नेटवर्क का निर्माण तेजी से हो रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है, जो न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएगी, बल्कि चार धाम यात्रा और पर्यटन को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

 इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत अब तक 11 मुख्य सुरंगों और 8 बड़े पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है,,,इस महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत 1996 में तत्कालीन रेल मंत्री सतपाल महाराज द्वारा सर्वेक्षण के साथ हुई थी,,, 2011 में यूपीए सरकार के दौरान  अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आधारशिला रखी गई थी,,, लेकिन राजनीतिक मतभेदों के कारण कार्य में देरी हुई,,,जिसके बाद NDA सरकार में इसका काम शुरू किया गया था,,,

इस 125 किलोमीटर लंबी रेल लाइन में 105 किलोमीटर हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरता है, जिसमें हाल ही में जानसू सुरंग जो लगभग 15 किलोमीटर है उसका  ब्रेकथ्रू हुआ है, जो हिमालय में बोरिंग मशीन से बनी सबसे लंबी परिवहन सुरंग है,,,,इस रेल लाइन में 17 सुरंगें और कई पुल शामिल हैं,,,

Rishikesh Karnaprayag Rail: Status, Route Map & Stations [2024]

परियोजना की मुख्य विशेषताएं

  • लंबाई और संरचना: 125 किमी की यह रेल लाइन, जिसमें 105 किमी हिस्सा 17 सुरंगों से होकर गुजरता है, हिमालय की जटिल भौगोलिक चुनौतियों का सामना कर रही है।

  • जानसू सुरंग: हाल ही में 15 किमी लंबी जानसू सुरंग का ब्रेकथ्रू हुआ, जो हिमालय में बोरिंग मशीन से बनी सबसे लंबी परिवहन सुरंग है।

  • हिमालयन टनलिंग तकनीक: यह तकनीक भूस्खलन और नई चट्टानों जैसी समस्याओं से निपटने में कारगर है और भविष्य की परियोजनाओं के लिए मॉडल बनेगी।

उत्तराखंड के लिए लाभ

  • बेहतर कनेक्टिविटी: गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों को जोड़कर यात्रा समय में कमी आएगी।

  • आर्थिक विकास: स्थानीय व्यवसायों और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

  • चार धाम यात्रा: यह परियोजना तीर्थयात्रियों के लिए सुगम और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करेगी।

अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाएं

टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन (170 किमी, लागत 49,000 करोड़ रुपये) का अंतिम सर्वे पूरा हो चुका है। यह परियोजना उत्तराखंड के सुदूर क्षेत्रों को रेल नेटवर्क से जोड़ेगी, जिससे आर्थिक और सामाजिक विकास को गति मिलेगी।

rishikesh-karnprayag railway line line project tunnel built in record 26 days जल्‍द पूरा होगा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का सपना, रेकॉर्ड 26 दिन में बनी सुरंग

चुनौतियां और प्रगति

आजादी के बाद उत्तराखंड में रेल नेटवर्क का विस्तार केवल 344.9 किमी तक सीमित रहा, जो मुख्य रूप से हरिद्वार, देहरादून और कुमाऊं क्षेत्रों तक है। हिमालय का जटिल भूगोल और पर्यावरणीय संवेदनशीलता इस विस्तार में बड़ी बाधाएं रही हैं। फिर भी, नई तकनीकों और समर्पित प्रयासों से ये परियोजनाएं दिसंबर 2026 तक पूर्ण होने की दिशा में अग्रसर हैं।

RVNL Rıshıkesh Package-4 - ALTINOK Consulting Engineering

इसके अलावा अन्य रेल परियोजना टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन जो 170 किमी की है और इसकी लागत  49,000 करोड़ रुपये की अनुमानित है,,उसका भी   अंतिम सर्वे पूरा हो चुका है, चूँकि उत्तराखंड में रेल नेटवर्क का विस्तार आजादी के बाद सीमित रहा है, और वर्तमान में केवल 344.9 किमी रेल लाइनें हैं, जो मुख्य रूप से हरिद्वार, देहरादून, और कुमाऊं क्षेत्र तक सीमित हैं। इन नई परियोजनाओं से राज्य में रेल कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास को नई दिशा मिलेगी,,,

 

निर्माण से पहाड़ों में भविष्य में होने वाले साइड इफेक्ट

 

1. पर्यावरणीय प्रभाव

  • भूस्खलन का खतरा: हिमालय का भूगोल पहले से ही भूस्खलन-प्रवण है। सुरंग निर्माण और पहाड़ों की कटाई से मिट्टी और चट्टानों की स्थिरता प्रभावित हो सकती है, जिससे भूस्खलन की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
  • जंगल और जैव-विविधता पर असर: परियोजना के लिए वन क्षेत्रों की कटाई और भूमि अधिग्रहण से स्थानीय वनस्पतियों और जीव-जंतुओं का आवास नष्ट हो सकता है। हिमालय में कई दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं, जिन पर खतरा मंडरा सकता है।
  • जल स्रोतों पर प्रभाव: सुरंग निर्माण से भूजल स्तर और प्राकृतिक जल स्रोत (जैसे झरने) प्रभावित हो सकते हैं, जिसका असर स्थानीय समुदायों और कृषि पर पड़ सकता है।
  • मलबे का निपटान: निर्माण के दौरान निकलने वाला मलबा नदियों और घाटियों में प्रदूषण का कारण बन सकता है, खासकर गंगा और उसकी सहायक नदियों के लिए।

India's longest transport tunnel takes shape in Rishikesh-Karnaprayag rail project - India Today

2. सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

  • स्थानीय समुदायों का विस्थापन: परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण से कई गांवों के लोग विस्थापित हो सकते हैं। इससे उनकी आजीविका और सांस्कृतिक पहचान पर असर पड़ सकता है।
  • पर्यटन का दबाव: बेहतर कनेक्टिविटी से चार धाम यात्रा और पर्यटन बढ़ेगा, लेकिन अनियंत्रित पर्यटन से स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण पर दबाव बढ़ सकता है।
  • शहरीकरण और जनसंख्या दबाव: रेल लाइन के साथ नए शहरों और बाजारों का विकास हो सकता है, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में अनियोजित शहरीकरण और संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा।

3. आर्थिक और बुनियादी ढांचे पर प्रभाव

  • रखरखाव की चुनौतियां: हिमालय में बारिश, बर्फबारी और भूकंपीय गतिविधियों के कारण रेल लाइन और सुरंगों का रखरखाव महंगा और जटिल हो सकता है।
  • आर्थिक असंतुलन: रेल नेटवर्क से कुछ क्षेत्रों को अधिक लाभ होगा, जबकि दूरस्थ गांव उपेक्षित रह सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय असमानता बढ़ सकती है।

4. जलवायु परिवर्तन और दीर्घकालिक जोखिम

  • हिमनदों पर प्रभाव: हिमालय में ग्लेशियर पहले से ही जलवायु परिवर्तन के कारण पिघल रहे हैं। निर्माण कार्य और बढ़ता मानवीय हस्तक्षेप इस प्रक्रिया को तेज कर सकता है।
  • प्राकृतिक आपदाओं का जोखिम: हिमालय में भूकंप और बाढ़ जैसी आपदाएं आम हैं। रेल लाइन और सुरंगों को इन जोखिमों के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण होगा।

L&T Begins TBM Shakti's Assembly for Rishikesh – Karnaprayag Rail - The Metro Rail Guy

5. सकारात्मक प्रभावों के साथ संतुलन की आवश्यकता

  • हालांकि परियोजना से कनेक्टिविटी, पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन इन साइड इफेक्ट्स को कम करने के लिए सख्त पर्यावरणीय नियम, टिकाऊ निर्माण प्रथाएं, और स्थानीय समुदायों की भागीदारी जरूरी है।
  • उपाय: मलबे का उचित निपटान, वनरोपण, भूस्खलन रोकथाम के लिए इंजीनियरिंग समाधान, और स्थानीय लोगों के लिए पुनर्वास और रोजगार के अवसर जैसे कदम प्रभावों को कम कर सकते हैं।

निष्कर्ष

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना उत्तराखंड के विकास के लिए महत्वपूर्ण है,उत्तराखंड का नया रेल नेटवर्क न केवल हिमालय की चुनौतियों पर विजय का प्रतीक है, बल्कि यह राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास का आधार भी बनेगा। यह परियोजना उत्तराखंड को आधुनिक भारत के नक्शे पर और मजबूती से स्थापित करेगी, लेकिन इसके दीर्घकालिक साइड इफेक्ट्स को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को कम करने के लिए टिकाऊ और समावेशी दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है, ताकि हिमालय की नाजुक पारिस्थितिकी और स्थानीय समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।

 

तबादला एक्ट दरकिनार…तय समय पर पात्र कर्मियों की सूची जारी नहीं कर पा रहे विभाग

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प्रदेश में तबादलों के लिए एक्ट बना है। एक्ट के तहत जारी समय-सारणी के मुताबिक सभी विभागों को 15 अप्रैल तक तबादलों के लिए पात्र शिक्षकों और कर्मचारियों की सूची जारी करनी है, लेकिन कुछ विभाग इस सूची को तय समय पर जारी नहीं कर पा रहे हैं।

तबादला एक्ट के तहत हर संवर्ग के लिए सुगम, दुर्गम क्षेत्र के कार्यस्थल, तबादलों के लिए पात्र कर्मचारियों एवं उपलब्ध और संभावित खाली पदों की सूची विभाग की वेबसाइट पर 15 अप्रैल तक प्रदर्शित की जानी है। इसके बाद 20 अप्रैल तक अनिवार्य तबादलों के लिए पात्र कर्मचारियों से अधिकतम 10 इच्छित स्थानों के लिए विकल्प मांगे जाने हैं, लेकिन कुछ विभाग सूची जारी नहीं कर पा रहे हैं।

 

अब तक कोई निर्देश नहीं मिला
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक तबादलों के लिए हर साल शासन से निर्देश जारी किया जाता है। इस पर अब तक कोई निर्देश नहीं मिला। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिए गए निर्णयों पर भी कोई दिशा निर्देश नहीं मिला। यही वजह है कि कितने प्रतिशत शिक्षकों व कर्मचारियों के तबादले किए जाने हैं इस पर असमंजस बना है।

 

जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा के मुताबिक खाली शत प्रतिशत पदों पर तबादले किए जाएं। इसके लिए 10 या 15 प्रतिशत का कोई सीमा तय नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग ने इस बार नए सिरे से सुगम, दुर्गम क्षेत्र का भी निर्धारण नहीं किया। पिछले साल जो स्थिति थी उसके आधार पर सुगम, दुर्गम क्षेत्र तय किए गए हैं।

 

तबादलों के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जो प्रस्ताव तैयार किया गया उसे मंजूरी मिल गई है, जल्द ही इस पर निर्देश जारी कर दिया जाएगा। -ललित मोहन रयाल, अपर सचिव कार्मिक