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हर्षिल झील पंचर करने में मिली बड़ी कामयाबी, घटने लगा जलस्तर

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उत्तरकाशी के हर्षिल में बनी झील को आखिरकार शनिवार को सफलतापूर्वक पंचर कर दिया गया। झील से पानी की निकासी के लिए उत्तराखंड जल विद्युत निगम, सिंचाई विभाग, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। विभागीय टीमों ने नदी के समानांतर एक नहर तैयार कर झील के पानी को चैनलाइज किया। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद विभिन्न विभागों के 30 से अधिक कर्मचारियों ने शनिवार को युद्ध स्तर पर काम करते हुए झील से पानी की निकासी सुनिश्चित की।

पांच अगस्त की आपदा से धराली और हर्षिल में भागीरथी नदी का प्रवाह प्रभावित हो गया था। धराली में भागीरथी नदी का प्रवाह मुखबा गांव के ठीक नीचे हो रहा है, वहीं, हर्षिल में नदी के मुहाने पर बड़े-बड़े पेड़, बोल्डर और मिट्टी-गाद फंसने से यहां झील बनने लगी थी और इसका दायरा 1200 मीटर तक पहुंच गया था और झील की गहराई 15 फिट तक मापी गई थी। लगातार हो रही बारिश के बीच पानी की बहुत कम निकासी से बढ़ते जल स्तर पर यहां गंगोत्री हाईवे भी भी झील में समा गया था। झील के बढ़ते खतरे के बीच यूजेवीएनएल और सिंचाई विभाग के 30 इंजीनियरों की टीम के साथ ही सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन पिछले तीन दिन से झील को पंचर करने में जुटे थे। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि शनिवार सुबह यहां भागीरथी को चैनेलाइज कर नदी के समान्तर पानी के प्रवाह शुरू करने के साथ ही मुहाने पर फंसे पेड़ों को हटाने के बाद पानी की निकासी बढ़ने से झील का जल स्तर घटने लगा। यहां विशेषज्ञ लगातार झील पर नजर बने हुए हैं।

ताश के पत्तों की तरह ढह गये होटल-होमस्टे, अब तक 70 से ज्‍यादा लोगों को बचाया; तस्‍वीरों में दूसरे दिन के हालात

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में खीरगंगा के किनारे बसे गंगोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव धराली गांव में बादल फटने से मंगलवार को भारी तबाही हुई।बताया जा रहा है कि यह बादल खीरगंगा नदी के ऊपरी क्षेत्र में कहीं फटा, जिससे दोपहर करीब डेढ़ बजे अचानक खीरगंगा नदी में पानी व मलबे के साथ सैलाब आया और इस सैलाब में धराली बाजार समेत आसपास के होटल, होमस्टे ताश की पत्तों की तरह ढह गये।

अभी तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। अब तक 70 से ज़्यादा लोगों को बचाया जा चुका है। अधिकारिक तौर पर 19 लोगों के लापता होने की सूचना है।

सूचना पर हर्षिल में तैनात सेना की आइबैक्स रेजीमेंट समेत एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, राजस्व, पुलिस, आपदा प्रबंधन आदि की टीमों ने राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हुए हैं।

गंगोत्री और धराली में दो अतिरिक्त बचाव और राहत टुकड़ियां तैनात की गई हैं। हर्षिल से धराली तक सड़क मार्ग खोलने के लिए ज़मीन हटाने वाले उपकरण तैनात किए गए हैं।फंसे हुए नागरिकों का पता लगाने के लिए ड्रोन और बचाव कुत्तों का इस्तेमाल किया जा रहा है। निकाले गए लोगों को चिकित्सा सहायता और भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।भारतीय सेना प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। खोज और बचाव अभियान जारी है, और हर प्रभावित व्यक्ति तक पहुंचने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

 

उत्तरकाशी के सुक्खी टॉप पर भी फटा बादल, बनी झील

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उत्तरकाशी धराली की तबाही के साथ साथ मंगलवार को ही सुक्खी टॉप पर बादल फटने से ह आर्मी कैम्प में भी बादल फटने से झील बन गयी है। हर्षिल और धराली के बीच झील बनने से भागीरथी किनारे बसे कस्बों में खतरा हो गया है।झील बनने के बाद आर्मी कैम्प की ओर से बचाव निर्देश जारी किए गए हैं। यह भी खबर है कि भू स्खलन के बाद राहत बचाव दल नेताला में फंस गया है।सुक्खी टाप में बादल फटने से हर्षिल में सड़क बंद हो गई ।धराली में दोपहर में हुई तबाही के बाद पूरा कस्बा मलबे में तब्दील हो गया। दो- तीन मंजिला कई इमारतें पल भर में जमीदोज हो गयी।

वॉयरल वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि लोगों ने भागने की कोशिश की । बचने की कोशिश की। लेकिन जानलेवा पानी के सैलाब में सम्भलने का मौका नहीं मिला।धराली कस्बा में कई घण्टे तक खीरगंगा से मलबे के बहना जारी है। कस्बे में मलबे ने झील का रूप ले लिया है।इस दर्दनाक आपदा में कितने लोगों की।मौत हुई। यह आंकलन देर शाम तक नहीं हो पाया था। स्थानीय सूत्रों ने कई लोगों के मरने की बात कही है।

इधऱ, धराली और हर्षिल इलाके में हुई भारी तबाही के बाद सीएम धामी आंध्र प्रदेश का दौरा स्थगित कर वापस देहरादून लौट रहे हैं। पीएम मोदी, गृह मंत्री, राज्यपाल व नेता विपक्ष यशपाल आर्य ने आपदा पर दुख जताते हुए बचाव कार्य पर जोर दिया है।

उधर, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उत्तराखंड के धराली (उत्तरकाशी) में फ्लैश फ्लड की घटना को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से बात कर घटना की जानकारी ली। ITBP की निकटतम 3 टीमों को वहाँ भेज दिया गया है, साथ ही NDRF की 4 टीमें भी घटनास्थल के लिए रवाना कर दी गई हैं, जो शीघ्र पहुँच कर बचाव कार्य में लगेंगी।

 

धामी का दावा और भाजपा की अंदरूनी ‘भविष्यवाणी’

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कहते हैं उत्तराखंड की राजनीति में एक अजीब सी चुप्पी हमेशा एक सनसनी मचाये रखती है ,, मगर इस बार गर्मी चुप्पी से नहीं बल्कि दो बयानों से पैदा हुई है ,,,वो भी सत्ता पक्ष की तरफ से आये बयानों से  ,,, और उस पर तेज़ और तीखी मिर्च की माफिक तड़का लगा दिया है विपक्षी नेता हरीश रावत ने,,,
शुरुआत होती है शांत से दिखने वाले प्रदेश उत्तराखंड में सत्ता सीन भाजपा के अध्यक्ष को चुनने के साथ ,, मगर अध्यक्ष के बहाने चर्चा शुरू हो जाती है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जिनके बारे में अब कहा जाने लगा है की वो इसिहास लिखने की और बढ़ रहे हैं क्या ? क्या भाजपा आलाकमान ने धामी पर भरोसा कर एक सियासी बिसात भविष्य को लेकर बिछा दी है या फिर परदे के पीछे से एक नयी स्क्रिप्ट लिखी जा रही है ?
चलिए, तर्कों, बयानों और पॉलिटिकल इंटेलिजेंस के ज़रिए इस पूरे खेल को समझते हैं… विस्तार से, निष्पक्ष रूप से और फैक्ट्स के साथ।

 

ये जगजाहिर है की उत्तराखंड की राजनीती अन्य राज्यों की तरह न तो शांत है और न ही स्थिर ,,,,जहाँ मुख्यमंत्री बदलने की न केवल चर्चा चलती हैं बल्कि अमलीजामा पहना कर उन चर्चाओं को हकीकत में भी बदल दिया जाता है ,,,लेकिन इस बार इन चर्चाओं पर विराम सा लग गया है ,, तमाम अटकलें लगाई जा रहीं थी की प्रदेश में मुख्यमंत्री जल्द ही बदला जाना है ,, लेकिन पुष्कर सिंह धामी ने न केवल अपने चार वर्ष पुरे कर लिए हैं बल्कि भाजपा के सबसे ज्यादा वक़्त तक मुख्यमंत्री रहने का कीर्तिमान भी बना लिया है ,, अब उत्तराखंड में तो ये कीर्तिमान ही कहा जाएगा जहाँ रात को सोने वाले मुख्यमंत्री को यही पता नहीं रहता की वो सुबह उठकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होगा भी या नहीं

 
 
 
यहाँ ये समझना जरूरी है कि उत्तराखंड भाजपा की राजनीति में मुख्यमंत्री बदलना कोई नई बात नहीं,,,,खंडूरी, निशंक, त्रिवेंद्र, तीरथ… हर चुनाव से पहले या बीच में चेहरा बदलकर पार्टी सत्ता बचाती रही है,,,,लेकिन इस बार तस्वीर बदलती दिख रही है। पुष्कर सिंह धामी, जिन्हें पहली बार मात्र 45 साल की उम्र में सीएम बनाकर भाजपा ने युवाओं को संदेश दिया,,,,उनके नेतृत्व में पार्टी ने 2022 में सत्ता दोबारा हासिल की,,2022  के चुनाव में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपना चुनाव अपनी परंपरागत सीट खटीमा से हार गए थे ,, बावजूद इसके ,दिल्ली में बैठे आलाकमान ने धामी पर भरोसा जताया और एक बार फिर हाव के बावजूद उनको प्रदेश का मुखिया बना दिया ,,,अब सवाल यह है कि क्या भाजपा आलाकमान ने इस बार भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पुष्कर सिंह धामी को लंबी पारी देने का फैसला कर लिया है?

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में महेंद्र भट्ट के अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी की बड़ी बैठक में कहा,,,,“झूठी खबरें और अफवाहें ज्यादा दिन नहीं चलतीं। पार्टी नेतृत्व सब जानता है, और काम के आधार पर मौका देता है। धामी का यह बयान आत्मविश्वास से भरा था, और इशारा भी था,,,,इशारा उन अफवाहों की तरफ,जो उनके खिलाफ पार्टी के भीतर उड़ाई जाती रही हैं।इशारा उन चेहरों की तरफ,जो पर्दे के पीछे से उत्तराखंड में नेतृत्व बदलने की बिसात बिछाने में लगे थे।धामी का कहना,,, कि ,,पार्टी नेतृत्व सब जानता है, साफ करता है कि हाईकमान उनके पीछे खड़ा है,,,इसी बीच महेंद्र भट्ट का 36 सेकंड का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह कहते हैं,,,,सीएम धामी नारायण दत्त तिवारी का रिकॉर्ड तोड़ेंगे। 2027 में चुनाव भी धामी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, और फिर से धामी ही सीएम बनेंगे।

 

 

महेंद्र भट्ट का यह बयान साधारण नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष की दोबारा ताजपोशी के बीच यह बयान पार्टी के अंदरूनी खेल पर पानी की बौछार जैसा था,,,,भाजपा में पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए कई नाम चर्चा में थे, गुटबाजी थी, अंदरूनी घमासान था, लेकिन आखिरकार महेंद्र भट्ट की ताजपोशी हुई, और वह भी धामी के समर्थन से,,,,यानी अब उत्तराखंड भाजपा में धामी-भट्ट की जोड़ी एक नयी स्क्रिप्ट लिख रही है।
वैसे भी उत्तराखंड की राजनीति में गढ़वाल-कुमाऊं समीकरण हमेशा अहम रहा है,,,महेंद्र भट्ट गढ़वाल से आते हैं, और धामी कुमाऊं से,,,,,,इस जोड़ी को बनाए रखने में भाजपा आलाकमान ने रणनीतिक सोच दिखाई है।भट्ट की दोबारा ताजपोशी और धामी का आत्मविश्वास, दोनों ने एक साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं को सीधा संदेश दे दिया,,,,कि “पार्टी में अगर आगे बढ़ना है, तो काम करना होगा। हाईकमान सब देख रहा है।”

उत्तराखंड में भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए चेहरा बदलने की परंपरा निभाई है,,,खंडूरी इज़ बैक नारा याद होगा,,,त्रिवेंद्र सिंह रावत से तीरथ सिंह रावत और फिर तीरथ से पुष्कर सिंह धामी तक का सफर भी आपने देखा है…. लेकिन इस बार धामी खुद कह रहे हैं कि अफवाहें टिकती नहीं,और महेंद्र भट्ट कह रहे हैं कि धामी रिकॉर्ड तोड़ेंगे।क्या इसका मतलब यही है कि भाजपा अब मुख्यमंत्री बदलने की परंपरा तोड़ने जा रही है? क्या भाजपा अब मोदी के चेहरे के साथ-साथ धामी के चेहरे पर भी वोट मांगेगी? इन सवालों के जवाब आने वाले महीनों में दिखने लगेंगे। सियासी  भी चर्चा है की धामी संभवतः सिर्फ उत्तराखंड तक ही सीमित नहीं रहेंगे ,, गुजरात से मोदी जिस तरह दिल्ली की राजनीती का हिस्सा बने आने वाले वक़्त में उत्तराखंड से धामी भी दिल्ली की ओर कदम बढ़ा सकते हैं ,, खैर ये वक़्त के हाथ है ,, फिलहाल थोड़ा चर्चा धामी कृपा से अध्यक्ष की कुर्सी पर दूसरी बार विराजमान हुए महेंद्र भट्ट की कर लेते हैं ,,

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का राजनीतिक सफर भी कम दिलचस्प नहीं है,,,,प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए वह खुद बद्रीनाथ सीट से चुनाव हार चुके हैं,,,उन पर एक नहीं कई बार विवादित बयान देने के आरोप लगे हैं,,,,जोशीमठ आपदा,, जिस समय तमाम स्थानीय निवासी सड़कों पर थे ,,उनकी अगुवाई कर रहे कुछ लोगों को महेंद्र भट्ट ने  माओवादी तक कह दिया था ,,,
गैरसैंण आंदोलनकारियों को “सड़क छाप” कह दिया,और प्रेमचंद अग्रवाल प्रकरण में पार्टी की फजीहत करवा दी,,,,फिर भी पार्टी ने उन पर दोबारा भरोसा जताया है।अब पंचायत चुनाव और फिर 2027 का चुनाव महेंद्र भट्ट के लिए अग्निपरीक्षा जैसा होगा।उनकी जिम्मेदारी है कि भाजपा को सत्ता में वापस लाएं, और धामी को दोबारा मुख्यमंत्री बनवाएं।मगर यहाँ ये भी याद रखने की जरूरत है की प्रदेश में हुए बद्रीनाथ उपचुनाव और हरिद्वार के मंगलौर उपचुनाव में महेंद्र भट्ट करारी हार का सामना कर चुके हैं ,, निकाय चुनाव के दौरान भी उनके नेतृत्व में कोई बहुत अच्छा रिजल्ट मेयर की अधिकतर सीटें जीतकर भी नहीं आया ,,कमसकम आंकड़े तो यही तस्दीक कर रहे हैं ,,,उन्हीं के अध्यक्ष रहते हुए कई भाजपा नेताओं पर गंभीर आरोप लगे हैं ,, जिससे कई बार उनके सही तरीके से संगठन को चलाने को लेकर सवाल उठे हैं ,,खैर धामी भक्ति में लीन कइयों की नैय्या पार लगी है

 

अब वापिस से बस यही सवाल खड़ा होता है कि ,,,क्या धामी सच में नारायण दत्त तिवारी का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे? क्या वह 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाएंगे?क्या भाजपा आलाकमान उन पर इतना भरोसा कर चुका है कि 2027 में भी उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाए? धामी का आत्मविश्वास और भट्ट की भविष्यवाणी तो यही कहती है कि इस बार धामी लंबी पारी खेलने की तैयारी में हैं,,,,लेकिन भाजपा की राजनीति में कब कौन सा चेहरा बदल जाए, किसके खिलाफ अंदरूनी हवा बन जाए,इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता।

 

 

उत्तराखंड की राजनीति में पिछले दो साल से जो धामी बनाम बदलाव का सस्पेंस बना था,फिलहाल उस पर ब्रेक लगता दिख रहा है।उस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया पर एक कार्टून से राजनीतिक हवा को थोड़ा और गर्म कर दिया है ,,,वैसे भी व्यंजनों के ब्रांड अम्बेसडर कब इसको व्यंग में तब्दील कर देते हैं इसके बारे में तो खुद कांग्रेसी भी अंदाज़ा नहीं लगा सकते ,, जिस तरह से उन्होंने धामी विरोधिओं को अंगूर से तुलना कर शॉट मारा है उससे उनके मन में पुष्कर सिंह धामी के प्रति प्रेम को साफ़ महसूस किया जा सकता है ,,, वैसे भी वो कई बार कई मंचों पर ब्यान दे भी चुके हैं की धामी पुरे पांच साल तक रहने चाहिए ,, अगर ऐसा होता है तो कभी उनके  हाथ आयी कुर्सी को छीनने वाले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ,, दिवंगत नारायणदत्त तिवारी का रिकॉर्ड तो फिलहाल बराबर हो ही सकता है ,,

 

खैर गेंद अब भाजपा के पाले में है,,,अगर धामी और भट्ट की जोड़ी 2027 तक सत्ता और संगठन दोनों संभाले रख पाती है,तो उत्तराखंड की राजनीति में यह एक नया अध्याय होगा। आपका क्या मानना है? क्या धामी 2027 तक मुख्यमंत्री बने रह पाएंगे? क्या भाजपा की मुख्यमंत्री बदलने की परंपरा इस बार टूट जाएगी? या फिर पर्दे के पीछे एक नई पटकथा लिखी जा रही है?

Uttarakhand: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के खुले कपाट, उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़; चारधाम यात्रा की हुई शुरुआत .

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विश्वा प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीय के पावन पर्व पर श्रद्धालुओं दर्शन के लिए खोल दिए गए। अब निरंतर छह माह तक गंगोत्री धाम मां गंगा के दर्शन करेंगे। बुधवार सुबह 10 बजकर 30 मिनट के अभिजीत मुहूर्त पर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए गंगोत्री धाम के कपाट खोले गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा की गई।

कपाटोद्धघाटन के मौके पर समूचा गंगोत्री धाम मां गंगे के जयकारो से गूंज उठा। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंगोत्री धाम पहुंचकर मां गंगा के दर्शन किए। यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलते ही उत्तराखंड में चार धाम यात्रा श्री गणेश हो गया है।

 

बुधवार को कपाट खुलने के मौके पर मां गंगा के दर्शन के लिए देश के विभिन्न प्रांतो से श्रद्धालु गंगोत्री धाम पहुंचे। यहां श्रद्धालु ने मां गंगा की विग्रह मूर्ति के  दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। इस मौके पर गंगोत्री मंदिर परिसर को करीब 15 कुंटल फूलों से सजाया गया। अब श्रद्धालु छह माह तक गंगोत्री धाम में मां गंगा की दर्शन कर सकेंगे।

दस स्थानों पर तैनात रहेगा आतंकवाद निरोधक दस्ता-

तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। चप्पे-चप्पे पर आतंकवाद निरोधक दस्ता, अर्धसैनिक बल और पुलिस के जवानों की नजर रहेगी। यात्रियों की सुरक्षा के लिए 10 कंपनी पैरामिलिट्री, 17 कंपनी पीएसी के साथ ही 10 स्थानों पर आतंकवाद निरोधक दस्ता तैनात रहेगा। 65 स्थानों पर एसडीआरएफ की टीमें तैनात रहेंगी। यात्रियों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार की ओर से 10 कंपनी पैरामिलिट्री फोर्स उपलब्ध कराई जा रही है जो जल्द ही मिल जाएंगी। वहीं पीएसी की 17 कंपनी और छह हजार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी चारधाम यात्रा में लगाई गई है। पूरे यात्रा रूट को ड्रोन से कवर किया जाएगा। 2000 सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से यात्रा रूट पर सुरक्षा और यातायात की निगरानी की जाएगी। अलग-अलग क्षेत्रों से कंट्रोल रूम में फीड आ रहा है।

Badrinath Temple: श्रद्धालुओं को इस बार बदला नजर आएगा धाम, जानिए कैसी है धाम की नई तस्वीर, क्या हैं आकर्षण के केंद्र.

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इस बार बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को बदरीनाथ मंदिर खुला-खुला नजर आएगा। बदरीनाथ धाम भी बदला दिखने लगा है। बदरीनाथ महायोजना मास्टर प्लान के तहत धाम में युद्धस्तर पर निर्माण और भवनों के ध्वस्तीकरण का काम चल रहा है। बदरीनाथ बाजार क्षेत्र में भी जगह-जगह निर्माण कार्य चल रहे हैं। जिससे धाम की तस्वीर एकदम बदली हुई है।

धाम में मास्टर प्लान के दूसरे चरण के कार्य चल रहे हैं। अराइवल प्लाजा का निर्माण अंतिम चरण में पहुंच गया है। इस पर नक्काशीदार पत्थर और लकड़ी लगाकर आकर्षक रूप दिया जा रहा है। बदरीश झील और शेषनेत्र झील के किनारे आकर्षक पत्थर बिछाए गए हैं और आकर्षक लाइट लगा दी गई है।

बदरीनाथ मंदिर के करीब 75 मीटर हिस्से में भवनों का ध्वस्तीकरण कार्य भी तेजी से चल रहा है। दूर से ही मंदिर खाली-खाली नजर आ रहा है। दर्शनों की लाइन के दोनों ओर के सभी भवनों को ध्वस्त कर दिया गया है। बदरीनाथ के शुरुआत देव दर्शनी में तीर्थयात्रियों के लिए व्यू प्वाइंट बनाया जा रहा है।

प्राकृतिक सौंदर्य को निहार सकेंगे-

यहां से यात्री दूर से ही बदरीनाथ मंदिर और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को निहार सकेंगे। यहां एक विशाल गेट भी बनाया जा रहा है। लोनिवि पीआईयू के अधिशासी अभियंता योगेश मनराल ने बताया कि मास्टर प्लान के कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। बरसात से पहले अधिकांश काम पूर्ण कर लिए जाएंगे।

 

बदरीनाथ क्षेत्र में अलकनंदा के दोनों ओर से रिवर फ्रंट का काम भी तेजी से चल रहा है। कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग पीआईयू बरसात से पहले यहां अधिक से अधिक कार्यों को पूरा करने पर जोर दे रही है। इसके लिए यहां करीब 400 मजदूर लगाए गए हैं।

रिवर फ्रंट के कार्यों से अलकनंदा अस्त-व्यस्त नजर आ रही है। नदी में जगह-जगह मलबे के ढेर पड़े हैं। मलबे के कारण नदी का रुख गांधी घाट और ब्रह्मकपाल की ओर ओर हो गया है। यदि मलबे का जल्द निस्तारण नहीं किया गया तो बरसात में नदी का पानी ब्रह्मकपाल से तप्तकुंड तक घुस जाएगा।

Kedarnath: पहली बार केदारनाथ धाम में मिलेगी आधुनिक चिकित्सा सुविधा, स्क्रीनिंग प्वाॅइंट सहित पढ़ें ये सभी अपडेट.

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चारधाम यात्रा में आने वाले तीर्थ यात्रियों की सेहत का विशेष ख्याल रखा जाएगा। इसके लिए चारधाम के अलावा यात्रा मार्गों पर चिकित्सा सुविधाओं का रोडमैप तैयार कर स्वास्थ्य विभाग तैयारियों में जुट गया है। पहली बार केदारधाम में 17 बेड का अस्पताल संचालित होगा। जिसमें तीर्थ यात्रियों को आधुनिक चिकित्सा सुविधा मिलेगी।

स्क्रीनिंग प्वाइंट पर 50 वर्ष से ऊपर के यात्रियों की अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य जांच की जाएगी। बुधवार को सचिवालय में स्वास्थ्य सचिव डाॅ. आर. राजेश कुमार ने चारधाम यात्रा की तैयारियों के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षित यात्रा के लिए आधुनिक और सुलभ स्वास्थ्य ढांचा तैयार किया जा रहा है।

केदारनाथ धाम में 17 बेड के अस्पताल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। कार्यदायी संस्था ने यात्रा शुरू होने से पहले दो मंजिला भवन पूरी तरह संचालित करने का भरोसा दिया है। अस्पताल में एक्सरे, रक्त जांच, ईसीजी, मल्टी पैरामॉनीटर और ऑर्थो विशेषज्ञ की सेवाएं उपलब्ध होगी। अधिकांश चिकित्सा उपकरणों को पहुंचाया जा चुका है।

श्रद्धालुओं के लिए बहुभाषी हेल्थ एडवाइजरी और होर्डिंग्स-

श्रद्धालुओं को सहज व स्पष्ट स्वास्थ्य जानकारी प्रदान करने के लिए बहुभाषी हेल्थ एडवाइजरी तैयार की गई। जो 13 भाषाओं में उपलब्ध है। यह एडवाइजरी यात्रा मार्ग पर होटलों, रेस्टोरेंट, पार्किंग स्थलों में यूआर कोड के माध्यम से श्रद्धालुओं को प्रदान की जाएगी। साथ ही जाम संभावित क्षेत्रों व ठहराव स्थलों पर बड़े होर्डिंग्स के माध्यम से भी स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता का प्रचार किया जाएगा।

 

फाटा और पैदल मार्ग की चिकित्सा इकाइयों को किया सशक्त-

फाटा स्थित अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती की जा रही है। यहां पर एक्सरे की सुविधा भी उपलब्ध होगी। वहीं, पैदल मार्ग पर 12 चिकित्सा इकाइयों में प्रशिक्षित चिकित्सक व फार्मेसी अधिकारी तैनात किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, 12 चिह्नित हेलिपैड और पार्किंग स्थलों पर स्क्रीनिंग टीमों की जाएगी।

गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के स्क्रीनिंग प्वाइंट पर 28 अप्रैल से डॉक्टरों की तैनाती-

गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के स्क्रीनिंग प्वाइंट पर डॉक्टरों व सहायक कर्मचारियों की तैनाती 28 अप्रैल से रोस्टर वार की जाएगी। गंगोत्री धाम व जानकीचट्टी में फिजिशियन की विशेष तैनाती की जा रही है। इसके अलावा यात्रा मार्गों पर 108 एंबुलेंस की व्यवस्था रहेगी।

 

यात्रा मार्गों पर 70 डॉक्टर तैनात-

चारधाम यात्रा मार्ग पर 70 डॉक्टर तैनात हैं। अलावा अन्य जिलों से 15 दिन में रोटेशनल आधार पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की जाएगी। इनमें ऑर्थो सर्जन, फिजिशियन, एनेस्थेटिस्ट, जनरल सर्जन, 121 स्टाफ नर्स, 26 फार्मासिस्ट, 309 ऑक्सीजन बेड, छह आईसीयू बेड, एक ब्लड बैंक और दो ब्लड स्टोरेज यूनिट तैनाती की जा रही है।

पांच नए स्थानों में खुलेंगे मेडिकल रिलीफ पोस्ट-

बदरीनाथ, गोविंदगढ़ और पालना भंडार में मेडिकल रिलीफ पोस्ट इस बार भी संचालित रहेंगे। इसके अलावा पांच नए स्थान गौचर, लांगसू, मंडल, कटोरा और हनुमान चट्टी में एमआरपी खोले जाएंगे। बदरीनाथ धाम में स्वामी विवेकानंद संस्था के माध्यम से एक अलग स्क्रीनिंग सेंटर भी संचालित किया जाएगा।

 

बिना पंजीकरण खाद्य उत्पाद बेचने पर होगी कार्रवाई-

खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की ओर से यात्रा मार्ग पर खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की नियमित जांच की जाएगी। बिना पंजीकरण वाले खाद्य विक्रेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने एक खाद्य सुरक्षा मोबाइल वैन भी तैनात की है, जो यात्रा मार्ग पर निरीक्षण कर सैंपलों की मौके पर जांच करेगी।

Pahalgam Attack: उत्तराखंड में पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर बढ़ी सतर्कता, चारधाम यात्रा को लेकर खुफिया तंत्र सक्रिय.

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद राज्य में सतर्कता बढ़ा दी गई है। पुलिस ने रातभर चेकिंग के बाद दिन में भी बॉर्डर क्षेत्रों में चेकिंग जारी रखी। इसी बीच सरकार की ओर से पर्यटन और धार्मिक स्थलों को लेकर भी सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके अलावा यात्रा मार्ग पर विभिन्न स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। इसके लिए खुफिया तंत्र को अति सक्रियता से काम करने के निर्देश भी दिए गए हैं। हर छोटी बड़ी सूचना को गंभीरता से लिया जाए, ताकि भविष्य में कोई अप्रिय घटना न हो। 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है। इसके लिए सारी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है।

हर साल चारधाम यात्रा और धार्मिक आयोजनों को लेकर विभिन्न माध्यमों से धमकियों की बात भी सामने आती है। लिहाजा, पुलिस और खुफिया तंत्र यहां पर अतिरिक्त सतर्कता बरतती है।ऐसे में अब पहलगाम की घटना के बाद पुलिस और खुफिया तंत्र पहले से भी अधिक सतर्क हुआ है। इंटेलीजेंस सूत्रों के मुताबिक सभी पर्यटन स्थलों पर भी अतिरिक्त सुरक्षा और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

बॉर्डर क्षेत्रों में भी अतिरिक्त पुलिस बल तैनात-

सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से जो जानकारी मिलती है उसे गंभीरता से लेकर इनपुट जुटाने के लिए कहा गया है। बॉर्डर क्षेत्रों में भी अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रहेगा। इसके अलावा सीमावर्ती राज्यों से भी सूचनाओं के आदान प्रदान को लगातार करने के निर्देश दिए गए हैं।बता दें कि चारधाम के अलावा देहरादून, मसूरी, टिहरी, नैनीताल आदि जगहों पर लाखों की तादाद में सैलानी आते हैं। इनकी सुरक्षा में भी कोई चूक न हो इसके लिए भी अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। इंटेलीजेंस को राष्ट्रीय एजेंसियों के लगातार संपर्क में रहने के लिए भी कहा गया है। ताकि, हर प्रकार की सूचनाओं का आदान प्रदान हो सके।

 

इसी के मद्देनजर राज्य में भी सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता की जाएगी। बता दें कि समय-समय पर हरिद्वार रेलवे स्टेशन, देहरादून के विभिन्न सैन्य संस्थान, टिहरी बांध आदि पर हमले की धमकियां मिलती हैं। इन्हें गंभीरता से लेते हुए पुलिस कार्रवाई भी करती है। इनमें कुछ असामाजिक तत्वों की संलिप्तता की बात भी सामने आती है।

Uttarakhand: अभिभावकों को मिलेगी राहत…शिक्षा विभाग ने निजी विद्यालयों की शिकायत के लिए जारी किया ये टोल फ्री नंबर.

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माध्यमिक शिक्षा विभाग ने निजी विद्यालयों से संबंधित विभिन्न शिकायतों के निपटारे के लिए टोल फ्री नंबर 1800 180 4275 जारी कर दिया है। अब इस नंबर पर अभिभावक निजी विद्यालयों से संबंधित शिकायतें दर्ज करा सकेंगे। शिक्षा मंत्री डाॅ.धन सिंह रावत ने शिक्षा निदेशालय में आयोजित कार्यक्रम में नंबर जारी करते हुए कहा कि इस पर आने वाली शिकायतों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षा मंत्री ने टोल फ्री नंबर के साथ ही विभागीय वेबसाइट schooleducation.uk.gov.in का भी विधिवत शुभारंभ किया। उन्होंने कहा, प्रदेशभर से अभिभावकों की निजी स्कूलों के शुल्क बढ़ाने, स्कूल ड्रेस एवं महंगी किताबें थोपे जाने की विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही हैं। जिसको देखते हुए विभाग ने टोल फ्री नंबर जारी किया है।

मंत्री ने कहा, इस नंबर पर अभिभावक प्रत्येक कार्यदिवस पर सुबह 9ः30 से शाम 5ः30 बजे तक कॉल करके अपनी समस्याएं एवं शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। निदेशालय स्तर से सक्षम अधिकारी दर्ज शिकायतों का हर दिन मूल्यांकन कर संबंधित जिले के अधिकारियों को निस्तारण के लिए भेजेंगे। वहीं, संबंधित जिले के अधिकारी प्राप्त शिकायत का निराकरण करते हुए निदेशालय को रिपोर्ट करेंगे।

एक क्लिक में मिलेगी जानकारी-

इसके अलावा विभाग की नई वेबसाइट का शुभारंभ किया गया है। वेबसाइट की खास बात यह है कि यह हिन्दी व अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में उपलब्ध है। जिसमें सभी संवर्गों की नियमावली, अशासकीय विनिमय, स्थानांतरण अधिनियम, आरटीई मैन्युअल सहित तमाम विभागीय गतिविधियों को समाहित किया गया है। यही नहीं वेबसाइट में सभी संवर्गों की वरिष्ठता सूची को भी अपलोड किया गया है। जिसकी जानकारी कोई भी व्यक्ति एक क्लिक में हासिल कर सकता है।

ये भी पढ़ें..Uttarakhand: अशासकीय विद्यालयों-महाविद्यालयों में आयोग से होगी शिक्षकों की भर्ती, आयोग के माध्यम से तैयारीबैठक में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा झरना कमठान, निदेशक माध्यमिक शिक्षा डॉ. मुकुल सती,निदेशक बेसिक शिक्षा अजय कुमार नौडियाल, एपीडी समग्र शिक्षा कुलदीप गैरोला, संयुक्त निदेशक पदमेन्द्र सकलानी, जेपी. काला, राज्य पोर्टल प्रभारी मुकेश बहुगुणा आदि मौजूद रहे।

Kedarnath Heli Service: इस बार भी IRCTC करेगा बुकिंग, 24 घंटे पहले टिकट रद्द किया तो वापस नहीं मिलेगा पैसा.

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चारधाम यात्रा में केदारनाथ धाम के लिए हेलिकॉप्टर टिकटों की बुकिंग अप्रैल के पहले सप्ताह में शुरू करने की तैयारी है। उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) जल्द ही बुकिंग की तिथि घोषित करेगा।

इस बार भी ऑनलाइन हेली टिकटों की बुकिंग आईआरसीटीसी के माध्यम से की जाएगी। यूकाडा ने टिकटों को रद्द करने व किराया वापस करने के लिए नीति बनाई है। यदि कोई यात्री उड़ान समय से 24 घंटे पहले टिकट रद्द करता है तो हेली कंपनी किराया वापस नहीं करेगी। 48 घंटे पहले टिकट रद्द करने पर किराये का 25 प्रतिशत ही वापस मिलेगा।

यात्रा के दौरान सबसे ज्यादा केदारनाथ हेली सेवा के लिए मारामारी रहती है। इस बार भी केदारनाथ धाम के लिए गुप्तकाशी, फाटा व सिरसी हेलिपैड से पवन हंस, हिमालयन हेली, ट्रांस भारत, ग्लोबल विक्ट्रा, थंबी एविएशन, केस्ट्रल एविएशन, एयरो एयरक्राफ्ट के माध्यम से हेली सेवा संचालित की जाएगी।

टिकट रद्द एवं किराया वापस नीति के अनुसार यात्रा तिथि से पांच दिन पहले टिकट रद्द करने पर 50 प्रतिशत किराया वापस होगा। जबकि पांच से अधिक दिन पहले टिकट रद्द करने पर किराया राशि का 75 प्रतिशत वापस मिलेगा। इसके अलावा खराब मौसम या तकनीकी कारणों के चलते उड़ान रद्द होने पर हेली कंपनी यात्रियों को पूरा किराया वापस करेगी।

 

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यूकाडा की सीईओ सोनिका ने बताया कि केदारनाथ हेली सेवा के लिए सभी तैयारी पूरी है। जल्द ही टिकटों की बुकिंग के लिए तिथि तय की जाएगी। हेली टिकट बुकिंग करने के बाद यदि यात्री किसी कारण से टिकट रद्द करता है तो उसे नीति के अनुसार किराया वापस किया जाएगा।

 

यमुनोत्री व गंगोत्री हेली सेवा के लिए डीजीसीए की अनुमति का इंतजार-

प्रदेश सरकार इस बार यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के लिए हवाई सेवा से जोड़ने की तैयारी कर रही है। इसके लिए डीजीसीए से अनुमति मिलने का इंतजार किया जा रहा है। डीजीसीए तकनीकी व सुरक्षा मानकों का परीक्षण करने के बाद ही अनुमति देती है। हालांकि यमुनोत्री धाम के लिए हेलिकॉप्टर की लैंडिंग का ट्रायल भी हो चुका है।

 

केदारनाथ हेली सेवा का किराया-

रूट                           2023     2024    प्रस्तावित किराया
सिरसी से केदारनाथ      5498     5,772      6061
फाटा से केदारनाथ        5500    5,774      6063
गुप्तकाशी से केदारनाथ  7740     8,126     8533
नोट-प्रति किराया आने व जाने का है।