Category Archive : शिक्षा

Budget 2024 में इन चार जातियों पर फोकस, यहां पढ़िए किसे मिली क्या सौगात.

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Uttarakhand: अब होमगार्डों के बच्चों को भी मिलेगी ‘हाईटेक कोचिंग’, अब मुफ्त में कर सकेंगे UPSC और UKPSC की तैयारी.

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अब होमगार्डों के बच्चों को यूपीएससी और यूकेपीएससी की कोचिंग के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। प्रदेश में पहली बार होमगार्ड विभाग ऐसे बच्चों को तैयारी के लिए निशुल्क कोचिंग उपलब्ध कराएगा। इसके लिए कमांडेंट जनरल होमगार्ड आईजी केवल खुराना ने सूबे के होमगार्डों से बच्चों व अन्य अभिभावकों के नाम उपलब्ध कराने के लिए आवेदन मांगे हैं।

प्रदेश में पुलिस व्यवस्था में होमगार्डों का काफी हद तक योगदान रहता है। इनके बूते ही थानों और यातायात समेत अन्य व्यवस्थाएं चलती हैं लेकिन इस महंगाई के दौर में होमगार्डों के कई होनहार बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से वंचित रह जाते हैं। अब ऐसा नहीं होगा। आईजी केवल खुराना ने देश में ही नहीं बल्कि प्रदेश में भी पहली बार होमगार्डों के बच्चों को निशुल्क कोचिंग दिलाए जाने की पहल शुरू की है।

विभाग होमगार्डों के होनहार बच्चों के लिए देहरादून मुख्यालय में कोचिंग सेंटर खोलने जा रहा है। इसमें सभी विषयों के विशेषज्ञ और विभागीय अधिकारी भी बच्चों को कोचिंग देंगे। कोचिंग के लिए बच्चों का एक मानक भी तय किया गया है। मानक के अनुसार जो बच्चे स्नातक कर रहे हैं या स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। 

आवेदन दून मुख्यालय भेजे जाएंगे-

वह यूपीएससी और यूकेपीएससी परीक्षा की तैयारी करना चाहते हैं तो उन्हें कोचिंग दी जाएगी। इसके लिए आईजी केवल खुराना की ओर से सूबे के सभी जिला कमांडेंट को आदेश जारी किए गए हैं। आदेश में अपने-अपने जिले में तैनात इच्छुक होमगार्डों से बच्चों के नाम मांगे गए हैं। इसके बाद जिला मुख्यालय से आवेदन दून मुख्यालय भेजे जाएंगे।

आवेदन के हिसाब से दी जाएगी कोचिंग-

जो बच्चे संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यूकेपीएससी) की तैयारी करना चाहते हैं। उनके आवेदनों की संख्या कितनी होगी। इस हिसाब से दून मुख्यालय में कोचिंग सेंटर तैयार किया जाएगा और विशेषज्ञों की तैनाती की जाएगी। माना जा रहा है कि फरवरी माह में कोचिंग शुरू हो जाएगी।

होमगार्डों के जो बच्चे या अन्य आश्रित यूपीएससी और यूकेपीएससी की तैयारी करना चाहते हैं। उन्हें विभाग की ओर से निशुल्क कोचिंग दिलाई जाएगी। देहरादून में रहने वालों को कोचिंग सेंटर और अन्य जिलों में रहने वालों को दो-दो घंटे ऑनलाइन कोचिंग दी जाएगी। -केवल खुराना, कमांडेंट जनरल होमगार्ड, आईजी, देहरादून

16 साल से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग पढ़ाने पर लगी रोक, आखिर सरकार ने क्यों लिया ये एक्शन, जानिए वजह।

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कोचिंग संस्थानों पर केंद्र सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. अब कोई भी कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के छात्रों को अपने यहां नहीं पढ़ा सकते हैं. शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित नए दिशानिर्देश के मुताबिक, देश के कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के विद्यार्थियों को अपने यहां दाखिल नहीं कर सकेंगे और अच्छे नंबर या रैंक दिलाने की गारंटी जैसे भ्रामक वादे भी नहीं कर सकेंगे. माना जा रहा है कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश एक कानूनी ढांचे की आवश्यकता को पूरा करने और बेतरतीब तरीके से निजी कोचिंग संस्थानों की बढ़ोतरी को रोकने के लिए हैं.

केंद्र सरकार के दिशा निर्देश में कहा गया, ‘कोई भी कोचिंग संस्थान स्नातक से कम योग्यता वाले शिक्षकों को नियुक्त नहीं करेगा. कोचिंग संस्थान विद्यार्थियों के नामांकन के लिए माता-पिता को भ्रामक वादे या रैंक या अच्छे अंक की गारंटी नहीं दे सकते. संस्थान 16 वर्ष से कम उम्र के छात्रों का नामांकन नहीं कर सकते. विद्यार्थियों का कोचिंग संस्थान में नामांकन माध्यमिक विद्यालय परीक्षा के बाद ही होना चाहिए.’

क्यों हुआ यह एक्शन-

अब सवाल उठता है कि आखिर सरकार ने कोचिंग संस्थानों पर यह एक्शन क्यों लिया है. बीते कुछ समय से कोटा में जिस तरह से बच्चों के आत्महत्या के मामले सामने आए हैं, उसने सरकार की चिंता बढ़ा दी थी. यही वजह है कि सरकार ने छात्रों के आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह एक्शन लिया है. इतना ही नहीं, शिक्षा मंत्रालय ने यह दिशा निर्देश विद्यार्थियों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, आग की घटनाओं, कोचिंग संस्थानों में सुविधाओं की कमी के साथ-साथ उनके द्वारा अपनाई जाने वाली शिक्षण पद्धतियों के बारे में सरकार को मिली शिकायतों के बाद तैयार किए हैं.

दिशानिर्देश में क्या-क्या है-

शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश के मुताबिक, ‘कोचिंग संस्थान कोचिंग की गुणवत्ता या उसमें दी जाने वाली सुविधाओं या ऐसे कोचिंग संस्थान या उनके संस्थान में पढ़े छात्र द्वारा प्राप्त परिणाम के बारे में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी दावे को लेकर कोई भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर सकते हैं या प्रकाशित नहीं करवा सकते हैं या प्रकाशन में भाग नहीं ले सकते हैं.’ कोचिंग संस्थान किसी भी शिक्षक या ऐसे व्यक्ति की सेवाएं नहीं ले सकते, जो नैतिक कदाचार से जुड़े किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो. कोई भी संस्थान तब तक पंजीकृत नहीं होगा जब तक कि उसके पास इन दिशानिर्देशों की आवश्यकता के अनुसार परामर्श प्रणाली न हो. दिशानिर्देश में कहा गया, ‘कोचिंग संस्थानों की एक वेबसाइट होगी जिसमें पढ़ाने वाले शिक्षकों (ट्यूटर) की योग्यता, पाठ्यक्रम/पाठ्य सामग्री, पूरा होने की अवधि, छात्रावास सुविधाएं और लिए जाने वाले शुल्क का अद्यतन विवरण होगा.’ नए दिशानिर्देशों के अनुसार, विद्यार्थियों पर कड़ी प्रतिस्पर्धा और शैक्षणिक दबाव के कारण कोचिंग संस्थानों को उन्हें तनाव से बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए और उन पर अनावश्यक दबाव डाले बिना कक्षाएं संचालित करनी चाहिए.

फीस को लेकर भी गाइडलाइन-

दिशानिर्देश में कहा गया, ‘कोचिंग संस्थानों को संकट और तनावपूर्ण स्थितियों में छात्रों को निरंतर सहायता प्रदान करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप के लिए एक तंत्र स्थापित करना चाहिए. सक्षम प्राधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा सकता है कि कोचिंग संस्थान द्वारा एक परामर्श प्रणाली विकसित की जाए जो छात्रों और अभिभावकों के लिए आसानी से उपलब्ध हो.’ दिशा निर्देश में विद्यार्थियों के मानसिक कल्याण को लेकर विस्तृत रूपरेखा पिछले साल कोटा में रिकॉर्ड संख्या में छात्रों की आत्महत्या करने की घटना के बाद आई है. दिशा निर्देश में कहा गया कि विभिन्न पाठ्यक्रमों का शुल्क पारदर्शी और तार्किक होना चाहिए और वसूले जाने वाले शुल्क की रसीद दी जानी चाहिए. इसमें साफ किया गया है कि अगर छात्र बीच में ही पाठ्यक्रम छोड़ता है तो उसकी बची हुई अवधि की फीस लौटाई जानी चाहिए.

राज्य सरकार को मिली जिम्मेदारी-

नीति को सशक्त बनाते हुए केंद्र ने सुझाव दिया है कि कोचिंग संस्थानों पर दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाना चाहिए या अत्यधिक शुल्क वसूलने पर उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाना चाहिए. कोचिंग संस्थानों की उचित निगरानी के लिए सरकार ने दिशानिर्देश के प्रभावी होने के तीन महीने के भीतर नए और मौजूदा कोचिंग संस्थानों का पंजीकरण करने का प्रस्ताव किया है. दिशानिर्देश के मुताबिक राज्य सरकार कोचिंग संस्थान की गतिविधियों की निगरानी के लिए जिम्मेदार होंगे.

युवाओं के लिए खुशखबरी, समूह-ग के 136 पदों पर निकली भर्ती, 12वीं पास युवाओं को मिलेगा मौका, जानें कब से करें अप्लाई.

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उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने सोमवार को इंटरमीडिएट स्तरीय भर्ती का विज्ञापन जारी किया। इसके तहत पशुधन प्रसार अधिकारी, सहायक प्रशिक्षण अधिकारी, प्रदर्शक और निरीक्षक के 136 पदों पर भर्ती का मौका मिलेगा। इसके लिए 10 जनवरी से आवेदन शुरू होने जा रहे हैं।

आयोग के सचिव सुरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि इस भर्ती के तहत पशुपालन विभाग में पशुधन प्रसार अधिकारी के 120, उद्यान विभाग में सहायक प्रशिक्षण अधिकारी के तीन, रेशम विभाग में प्रदर्शक रेशम के 10 और निरीक्षक रेशम के तीन पदों पर मौका मिलेगा।

उन्होंने बताया कि इसके लिए 10 से 30 जनवरी तक ऑनलाइन आवेदन होंगे। एक से तीन फरवरी तक आवेदन में संशोधन का मौका मिलेगा। परीक्षा 11 फरवरी को प्रस्तावित की गई है। परीक्षा आवेदन में जनरल, ओबीसी को 300 रुपये, एससी, एसटी, ईडब्ल्यूएस व दिव्यांग अभ्यर्थियों को 150 रुपये शुल्क देय होगा। आयोग ने विज्ञापन के साथ ही सिलेबस भी जारी कर दिया है।

कर्मशाला अनुदेशकों की चयन सूची भेजी-

आयोग सचिव रावत ने बताया कि कर्मशाला अनुदेश भर्ती की परीक्षा 12 जून 2022 में हुई थी। इसके अभिलेख सत्यापन पिछले साल 27 अप्रैल से दो मई तक किए गए। इस आधार पर सोमवार को आयोग ने 120 अभ्यर्थियों की चयन संस्तुति विभाग को भेज दी है। अब चुने गए युवाओं को अपने विभाग में ज्वाइन करना है।

Uttarakhand: शिक्षा मंत्री के खुद के ही गृह क्षेत्र में स्कूलों की हालत जर्जर, खतरे में छात्रों का भविष्य.

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“अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा”   ये एक प्रसिद्ध हिंदी कहावत है जिसका अर्थ है कि एक अयोग्य शासक के नेतृत्व में  कमी और अव्यवस्था के कारण परिस्थितियां खराब हो जाती हैं। ये कहावत  उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं एक स्कूल की छत इतनी जर्जर हो चुकी है जो कि कभी भी गिर सकती है। ये छत कहीं और की नहीं बल्कि उत्तराखंड के शिक्षा हब कहे जाने वाले और खुद शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का गृह क्षेत्र श्रीनगर शहर के बालिका इंटर कॉलेज की है।

श्रीनगर बाजार के ऐतिहासिक बालिका इंटर कॉलेज के जर्जर भवन में बालिकाएं बिना शिक्षक के पढ़ रहीं हैं। ऐसे में सरकार के ‘पढ़ेगी बेटियां तो बढ़ेगी बेटियां’ का नारा जुमला साबित होता दिखाई दे रहा है कई क्षेत्रों से करीब 300  से अधिक  छात्राएं यहां पढ़ती हैं अन्य सरकारी विद्यालयों की अपेक्षा यहां सबसे अधिक छात्र संख्या है बावजूद इसके  80 के दशक में बना विद्यालय भवन जर्जर हो चुका है आए दिन छत का प्लास्टर गिरने से छात्राओं के लिए खतरा बना हुआ है शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का क्षेत्र होने के कारण वो कई चक्कर यहां लगाते हैं लेकिन उनकी नजर इस पर कभी गयी नहीं।

कई वर्षो से हैं अध्यापिकाओं के कई पद खाली- 

इतना ही नहीं इसके अलावा विद्यालय में वर्षों से अध्यापिकाओं के कई पद रिक्त हैं. एक तरफ शिक्षा मंत्री अध्यापकों का वेतन बढ़ाने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ अध्यापक ही नहीं है और बच्चे खुद ही अपने अध्यापक बन कर पढ़ाई करने को मजबूर हैं ऊपर से छत कब सर पर गिर जाए उसका अलग डर रहता है।विद्यालय में समाजशास्त्र व अर्थशास्त्र के प्रवक्ता का पद 2016-17 से खाली है, 2020 से जीव विज्ञान का पद खाली है, इसके अलावा गणित विषय का पद रिक्त होने से अन्य विद्यालय से अध्यापक की व्यवस्था की गई है भूगोल के प्रवक्ता अवैतनिक अवकाश पर जाने से इस विषय में अतिथि शिक्षक तैनात है वहीं अंग्रेजी विषय भी व्यवस्था के सहारे संचालित हो रहा है।

अभी हाल ही में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने वैश्विक निवेशक सम्मेलन में निवेशकों को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड में 10 नए निजी विश्वविद्यालय और तीन नए मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे ये एक अच्छा कदम भी है लेकिन बुनियादी शिक्षा का क्या जब बुनियाद ही सही नहीं पड़ेगी तो इन महाविद्यालयों और मेडिकल कालेज का क्या फायदा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि उत्तराखंड में 2024 तक पाँच लाख बच्चे अन्य राज्यों से पढ़ने आए, जबकि एक लाख विदेशी बच्चे यहाँ आकर पढ़ें, लेकिन खुद के बच्चे जब अध्यापकों और एक अच्छे भवन के लिए तरस रहे हो तो फिर इस तरह की आशा करना बेमानी है

Uttarakhand Board Exam 2024: उत्तराखंड बोर्ड ने जारी की 10वीं और 12वीं की डेटशीट, जानिए क्या है शेड्यूल.

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Uttarakhand Board Exam 2024: उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षाएं 27 फरवरी से शुरू होकर16 मार्च तक आयोजित की जाएंगी।

उत्तराखंड बोर्ड ने कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं का कार्यक्रम जारी कर दिया है। जारी शेड्यूल के अनुसार, उत्तराखंड बोर्ड परीक्षाएं 27 फरवरी से शुरू होकर 16 मार्च तक आयोजित की जाएंगी।

दरअसल, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड के सभागार में सभापति, उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर की अध्यक्षता में साल 2024 के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा कार्यक्रम के निर्धारण के लिए परीक्षा समिति की बैठक हुई। बैठक में परीक्षा समिति की ओर से निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर, नैनीताल की ओर से संचालित हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा दिनांक 27 फरवरी 2024 से शुरू होगी, जो 16 मार्च 2024 तक चलेगी।

 

हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा 27 फरवरी से शुरू होंगी-

हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 27 फरवरी से शुरू होंगी, जो 16 मार्च तक चलेगी। वहीं, प्रैक्टिकल 16 जनवरी 2024 से शुरू होंगे, जो 15 फरवरी के बीच चलेंगे। परीक्षा पूरी तरह शांतिपूर्वक कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। बैठक में परिषद के सभापति सीमा जौनसारी, सचिव डॉ नीता तिवारी, अपर निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) महावीर सिंह बिष्ट  और परीक्षा समिति के सदस्य उपस्थित रहे। 

Uttarakhand: 88 छात्रों को कराया फर्जी पैरामेडिकल कोर्स, कई लोगों को बांटी डिग्री, लाखों में वसूली फीस.

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पैरामेडिकल और मैनेजमेंट का फर्जी डिप्लोमा देने के आरोपी डीपीएमआई काठगोदाम के प्रबंध निदेशक को काठगोदाम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसने 88 छात्र-छात्राओं से 88 लाख रुपये फीस वसूली थी जिनमें 58 को डिप्लोमा दिया गया जो फर्जी था।

पुलिस बहुउद्देश्यीय भवन हल्द्वानी में एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने फर्जीवाड़े का खुलासा किया। बताया कि 11 अक्टूबर को मुखानी निवासी हिमांशु नेगी पुत्र गोपाल सिंह नेगी ने दिल्ली पैरामेडिकल एंड मेडिकल इंस्टीट्यूट काठगोदाम के एमडी डॉ. प्रकाश सिंह मेहरा और प्रधानाचार्य डा. पल्लवी मेहरा के खिलाफ काठगोदाम थाने में तहरीर दी थी।

कहा था कि 2018 में इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया था तब प्रबंधक ने कहा था कि यह संस्थान दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की शाखा है। दो साल के कोर्स की फीस एक लाख रुपये ली गई थी। संस्थान में उनके साथ 38 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया। कोर्स के बाद सभी मार्कशीट और डिप्लोमा दिया गया। जब एक छात्र ने अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में नौकरी के लिए आवेदन किया तो डिप्लोमा फर्जी बताते हुए आवेदन निरस्त कर दिया गया।
जांच में डीपीएमआई काठगोदाम के संचालक ने बताया कि 2018 में डीपीएमआई दिल्ली से फ्रेंचाइजी ली थी और पूर्वी खेड़ा गौलापार में संस्थान खोला था। 2018 में आठ, 2019 में 37 और 2020 में 21 छात्र-छात्राओं को पैरामेडिकल कोर्स का डिप्लोमा दिया गया था जबकि 2021 के 30 छात्रों को अभी डिप्लोमा नहीं मिला है। उनसे भी फीस वसूल ली गई है।

जब डीपीएमआई दिल्ली जाकर जानकारी मांगी गई तो पता चला कि 2018 में 8 छात्रों को डिप्लोमा दिया गया और 2019 में 37 छात्र-छात्राओं की प्रथम वर्ष की परीक्षा कर मार्कशीट दी गई थी। उसके बाद डीपीएमआई काठगोदाम के संचालक प्रकाश मेहरा ने फीस जमा नहीं की तो डीपीएमआई दिल्ली ने काठगोदाम शाखा को फीस डिफॉल्टर घोषित कर कार्यक्रम बंद कर दिया था। मगर इसके बावजूद 2019 में कोर्स बंद होने पर भी आरोपी छात्र-छात्राओं से लाखों रुपये फीस लेता रहा। मुकदमा दर्ज कर प्रकाश मेहरा को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में उससे पूछताछ की जा रही है।
हर विद्यार्थी से वसूले 1 लाख रुपये-


पुलिस जांच में कुल 58 छात्र-छात्राओं को फर्जी डिप्लोमा कराने का मामला सामने आया। डिप्लोमा कोर्स के लिए हर छात्र से एक लाख रुपये फीस ली गई। जांच में साल 2019 के 37 और 2020 के 21 छात्र-छात्राओं को फर्जी डिप्लोमा दिए गए थे जिनसे कुल 58 लाख रुपये आरोपी ने वसूले। 2021 के 30 विद्यार्थियों से भी फीस वसूल ली गई।

 

UKPSC: ग्रेजुएट युवाओं के लिए आयोग ने 2 साल में निकाली केवल तीन भर्तियां, नौकरी के लिए युवा परेशान.

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प्रदेश में बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे परंपरागत ग्रेजुएशन कोर्स करने वाले युवाओं के लिए भर्तियों की भारी कमी हो गई है। हालात ये हैं कि पिछले साल राज्य लोक सेवा आयोग ने केवल एक भर्ती निकाली थी और इस साल दो। हर साल 15 हजार से ज्यादा सामान्य ग्रेजुएट पासआउट होते हैं और इन तीन भर्तियों में केवल 785 पद थे।

युवाओं का कहना है कि दूसरे राज्यों के मुकाबले उत्तराखंड का राज्य लोक सेवा आयोग इस मामले में काफी पीछे चल रहा है। इंतजार में उनकी उम्र निकलती जा रही है। आयोग ने पिछले दो साल में वैसे तो बहुत भर्तियां निकाली हैं, जिनमें समूह-ख व समूह-ग के भर्तियां शामिल हैं। सेनिटरी इंस्पेक्टर, एई भर्ती, जेईभर्ती, आईटीआई प्रिंसिपल, लेक्चरर, जियोलॉजिकल माइनिंग, मैनेजमेंट ऑफिसर, वेटरनरी ऑफिसर आदि भर्तियां ऐसी निकाली, जिनमें केवल संबंधित विषय में विशेष योग्यता वाले युवा ही शामिल हो सकते थे।

इसी प्रकार आयोग ने फॉरेस्ट गार्ड, कनिष्ठ सहायक की जो भर्ती निकाली वह 12वीं के स्तर की है। यह सामान्य ग्रेजुएशन पास युवाओं के लिए नहीं है। राज्य के इन युवाओं के लिए न तो पीसीएस, लोअर पीसीएस जैसी भर्तियां निकल पाईं और न ही फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर, सब इंस्पेक्टर, अपर निजी सचिव भर्ती का इंतजार खत्म हो पाया है। 

युवाओं का कहना है कि इसी इंतजार में वह आयु सीमा से बाहर होते जा रहे हैं। वहीं, आयोग का तर्क है कि जो भी अधियाचन (प्रस्ताव) संबंधित विभागों से आ रहे हैं, उनकी भर्तियां सही समय पर निकाली जा रही हैं। जो अधियाचन किसी कमी की वजह से लौटाए गए थे, वह अभी तक वापस नहीं आए हैं।

कहा, अब नए साल में इन ग्रेजुएट युवाओं के लिए कुछ भर्तियां निकलने की उम्मीद जग रही है। खास बात ये भी है कि आयोग ने सालभर में पांच बार एग्जाम कैलेंडर जारी किया है। हर कैलेंडर में कई नई भर्तियों का वादा हुआ तो कई पुरानी गायब हो गईं।

ये 3 भर्तियां निकली-

पटवारी लेखपाल भर्ती : 563 पदों के लिए पिछले साल 14 अक्तूबर को भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था।
अधिशासी अधिकारी एवं कर व राजस्व निरीक्षक भर्ती : 85 पदों के लिए आयोग ने इस साल 28 अगस्त को विज्ञापन जारी किया था। प्रक्रिया चल रही है।

समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा : 137 पदों के लिए आयोग ने ये भर्ती इस साल आठ सितंबर को निकाली थी। इसकी प्रक्रिया भी गतिमान है।

Uttarakhand: 23 साल बाद भी 75 स्कूलों और 12 कॉलेजों को नहीं मिली अपनी छत, बुनियादी सुविधाओं को तरसे छात्र.

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उत्तराखंड राज्य गठन के 23 साल बीत चुके हैं लेकिन इसके बाद भी प्रदेश के विद्यालयों और महाविद्यालयों के हजारों छात्र बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं। आज भी ऐसे कई स्कूल- कॉलेज हैं जहाँ पर पढ़ने वाले छात्रों के पास अपनी छत नहीं है. 1056 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बिजली नहीं है। पेयजल, भवन और फर्नीचर की भी पिछले कई वर्षों से समस्या बनी हुई है। 75 विद्यालयों और 12 कॉलेजों के पास तो अभी तक अपनी छत भी नहीं है।

इन सुविधाओं के लिए छात्र-छात्राओं को अभी 2025-26 तक इंतजार करना होगा। शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत के मुताबिक, अगले दो वर्षों के भीतर शत प्रतिशत सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी। प्रदेश के विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के दावों के बीच 114 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में पेयजल सुविधा नहीं है।

1 स्कूल को लेकर न्यायालय में चल रहा वाद-

 21,528 छात्र-छात्राओं के लिए फर्नीचर नहीं है। 1,693 के पास कंप्यूटर और 75 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के पास अपना भवन नहीं है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, जिन विद्यालयों के पास अपना भवन नहीं हैं, उसमें 69 स्कूल वन भूमि क्षेत्र में हैं। एक स्कूल को लेकर न्यायालय में वाद चल रहा है। 

तीन स्कूलों की भूमि को लेकर विवाद है।एक स्कूल डूब क्षेत्र में है, जबकि एक स्कूल छात्र संख्या शून्य होने से उसका निर्माण नहीं हो पा रहा है। शिक्षा निदेशक आरके उनियाल के मुताबिक, राज्य के कुछ स्कूल भूमि मुहैया न होने से किराये के भवन में चल रहे हैं। खासकर हरिद्वार एवं कुछ अन्य जिलों में यह स्थिति है। इसके अलावा पेयजल स्रोत दूर होने से पेयजल और बिजली की लाइन न होने से बिजली की भी समस्या बनी है। धीरे-धीरे समस्याओं को दूर किया जा रहा है।

इन सभी कॉलेजों के पास नहीं है अपना भवन-

प्रदेश के 12 राजकीय महाविद्यालयों के पास अपना भवन नहीं है। इनमें राजकीय महाविद्यालय शीतलाखेत जिला अल्मोड़ा, मासी अल्मोड़ा, रामगढ़ नैनीताल, हल्द्वानी नैनीताल, नानकमत्ता उधम सिंह नगर, गदरपुर उधम सिंह नगर, मोरी उत्तरकाशी, खाड़ी टिहरी, पावकी देवी नई टिहरी, भूपतवाला हरिद्वार व सुद्धोवाला देहरादून के पास अपना भवन नहीं है।

इतने छात्रों के लिए नहीं है फर्नीचर-

प्रदेश में अल्मोड़ा जिले के 2,135, बागेश्वर के 848, चमोली के 2,891, चंपावत के 788, देहरादून के 2,432, हरिद्वार के 730, नैनीताल के 1,805, पौड़ी के 1,382, पिथौरागढ़ के 1,937, रुद्रप्रयाग के 1,236, टिहरी के 2,349, ऊधमसिंह नगर के 1,341 एवं उत्तरकाशी के 1,654 छात्र-छात्राओं के लिए फर्नीचर नहीं हैं।वहीँ शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत का कहना है कि प्रदेश के शत प्रतिशत विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं के लिए 2025-26 तक का लक्ष्य रखा गया है। धीरे-धीरे सभी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

 

Uttarakhand- उत्तराखंड में अब स्कूलों में केवल चार बार होंगी परीक्षाएं, जानिए पूरा शेड्यूल.

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उत्तराखंड के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा 3 से 12वीं तक के छात्र-छात्राओं की अब हर महीने मासिक परीक्षा के स्थान पर साल में चार परीक्षाएं होंगी। दो परीक्षाएं अर्द्धवार्षिक परीक्षा से पहले और दो इसके बाद होंगी। शिक्षा निदेशक ने इस संबंध में सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया है।

प्रदेश में सरकारी विद्यालयों में कक्षा तीन से 12वीं तक के छात्र-छात्राओं की अब हर महीने मासिक परीक्षा के स्थान पर साल में चार परीक्षाएं होंगी।

शिक्षा निदेशक ने इस संबंध में सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। शिक्षा निदेशक ने परीक्षा कार्यक्रम जारी करते हुए कहा, कक्षा तीन से पांचवीं तक के छात्रों की पहली परीक्षा मई माह में मासिक परीक्षा के स्थान पर पहली इकाई परीक्षा होगी। इसके बाद अगस्त में दूसरी इकाई परीक्षा होगी।

अर्द्धवार्षिक परीक्षा के बाद तीसरी चौथी परीक्षा-

अक्टूबर में अर्द्धवार्षिक परीक्षा के बाद नवंबर व दिसंबर में तीसरी और चौथी परीक्षा होगी। इसी तरह कक्षा छह से 10वीं तक के छात्र-छात्राओं की अक्तूबर में अर्द्धवार्षिक परीक्षा से पहले मई व अगस्त में परीक्षा होगी, जबकि दो अन्य परीक्षाएं नवंबर व दिसंबर में होगी।

वहीं, कक्षा 11वीं एवं 12 वीं के छात्रों की पहली परीक्षा जुलाई और दूसरी परीक्षा अगस्त में होगी। अक्टूबर में अर्द्धवार्षिक परीक्षा के बाद तीसरी परीक्षा नवंबर और चौथी दिसंबर में होगी। निर्देश में अधिकारियों को कहा गया कि मासिक, अर्द्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षाएं तय समय में कराई जाएं।