एक साल पूरा ,न्याय अधूरा ! महिला आरक्षण बिल मुबारक हो…
चुनावी साल में तीन दशकों से लंबित महिला आरक्षण बिल को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी, विपक्ष ने भी इस बिल के समर्थन में है. तो अब क्या ये माना जाय कि इस बिल के आने मात्र से महिलाओं की स्तिथि में सुधार हो जायेगा, महिलाओ की कितनी स्थिति कितनी सुधरती है ये तो आने वाला वक्त बताएगा। बहरहाल कई सवाल है, जिनका जवाब मिलना अभी बाकी है.
महिला आरक्षण से पहले सबसे ज्यादा जरूरी है उनकी सुरक्षा। प्रधानमंत्री मोदी हमेशा ही महिलाओं की बात हर मंच से करते दिखाई देते हैं,बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ का नारा भी प्रधानमंत्री मोदी ने ही दिया है. लेकिन उन्ही के एक राज्य जहां की महिलाओं ने उनको वोट के रूप में दिल खोलकर आशीर्वाद दिया हो उस राज्य में एक बहादुर बेटी की हत्या कर दी जाती है.
वो लड़की जो अपने दम पर कुछ काम करके अपने परिवार का सहारा बनना चाहती थी और उस बेटी की बेबस मां न्याय के लिए कोर्ट से लेकर सड़क तक दर-दर भटक कर एड़ियां रगड़ रही हो. एक साल से उस मां के आंसू रुक नहीं रहे हो और मोदी जी के धाकड़ मुख्यमंत्री उनको न्याय नहीं दिला पा रहे हों. तो महिला सुरक्षा की बात करना बेमानी प्रतीत होता है,, एक साल से बुजुर्ग माता पिता न्याय के लिए हर दरवाजे और चौखट को खटका रहे हैं लेकिन सरकार उस बदनसीब बेटी के नाम पर एक जगह का नामकरण करके अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहती है.
एक साल बाद भी इंसाफ नहीं-
उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड को एक साल पूरा हो गया है। इस मर्डर केस की गूंज पूरे उत्तराखंड में सुनाई दी थी। 19 साल की अंकिता के साथ युवकों की हैवानियत की कहानी ने लोगों को हिलाकर रख दिया था। अंकिता एक रिजॉर्ट मे रिसेप्शनिस्ट थी। उसकी हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई थी, क्योंकि उस पर रिजॉट में आने वाले VIP गेस्ट को स्पेशल सर्विस देने का दबाव बनाया गया था.. जिसे उसने मना कर दिया,,ये रिजॉर्ट भी बीजेपी नेता के बेटे का था और अपराधी भी खुद बीजेपी नेता का बेटा,,,,केस में भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य पर रेप और हत्या के आरोप लगे, जिसमें सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता ने उसकी मदद की।पुलिस ने आरोपियों को दबोच कर सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने गुनाह कबूल लिया था।
आखिर इतनी देरी क्यों-
सवाल ये खड़ा होता है कि जब अपराधी अपना गुनाह कबूल कर चुके हैं, जांच टीम दावा कर रही थी कि टीम के पास पुरे सबूत मौजूद हैं,तो फिर अंकिता को एक साल बाद भी न्याय क्यों नहीं मिल पाया,न्याय मिलने में इतनी देरी क्यों ? अंकिता के माता -पिता ये दावा करते हैं कि स्थानीय विधायक ने रातो रात रिजॉर्ट पर बुलडोजर चला कर सबूत नष्ट किये लेकिन आज भी धाकड़ मुख़्यमंत्री ने अपनी विधायक से इसको लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा,ऐसे में ये भी संशय पैदा होता है कि क्या बीजेपी नेता का बेटा होने की वजह से अंकिता को न्याय मिलने में देरी हो रही है,,पूरा प्रदेश उस VIP का नाम जानना चाहती है जिसको स्पेशल सर्विस के नाम पर अंकिता पर दबाव बनाया जा रहा था,आखिर क्यों सरकार उस VIP का नाम सार्वजनिक नहीं करना चाह रही.
कई बयानों में खुलासा फिर भी न्याय नहीं-
हत्या से पहले अंकिता पर जो बीती उसका खुलासा गवाहों के बयान में हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अंकिता भंडारी का लगातार सेक्सुअल हरासमेंट हो रहा था। इतना ही नहीं हत्या से पहले उसके साथ रेप भी हुआ। गवाहों के बयान के मुताबिक पुलकित आर्य की बर्थडे पार्टी के दिन अंकिता को कोल्ड ड्रिंक में शराब मिलाकर पिलाई गई। जब वो बेहोश हो गई तो उसके साथ दुष्कर्म किया गया। सौरभ भास्कर इस करतूत में शामिल था। 108 नंबर कमरे में अंकिता के साथ दुष्कर्म हुआ था, पुलकित ने भी उसके साथ गलत हरकते की। ये लोग उसका यौन शोषण कर रहे थे, बाद में उसे वीआईपी को सौंपने की भी प्लानिंग कर रहे थे।
क्या ये है सरकार का न्याय-
अब जब हत्याकांड को एक साल हो गया है तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अंकिता भंडारी के नाम पर डोभ श्रीकोट स्थित राजकीय नर्सिंग कॉलेज का नाम रखने की घोषणा कर दी, लेकिन आरोपियों को अभी तक सजा नहीं हुई।
अभी कुछ दिन पहले ही उत्तराखंड में एक सूचना सामने आयी है कि किस तरह बीजेपी की डबल इंजन की सरकार में 2021 से 2023 तक 38 सौ से अधिक महिलाएं गायब हो गयी है, क्या इस तरह मोदी सरकार के धाकड़ मुख़्यमंत्री बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा सफल बनाएंगे,ऐसे हालातों को देख तो लगता है कि जब बेटी बचेगी ही नहीं तो पढ़ने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता.
पूरे प्रदेश में आक्रोश-
अंकिता भंडारी हत्याकांड से पुरे प्रदेश के लोगों में रोष व्याप्त है,पहाड़ की इस बेटी से यहां के सभी लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं,लोगों का गुस्सा सड़कों पर भी फूटता दिखाई देता है, लोग सरकार की मंशा पर ही सवाल उठा रहे हैं, विपक्ष भी लगातार इस मुद्दे पर सरकार को घेरता आ रहा है,लेकिन भाजपा उन पर राजनीति करने का आरोप जरूर लगाती है.
लेकिन ये तय है कि जितनी देर अंकिता को न्याय मिलने में हो रही है,उससे सरकार की छवि को धीरे धीरे नुकसान हो रहा है,क्योकि जब हत्याकांड सामने आया था तब भी किसी भाजपा नेता ने इस पर खुल कर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे जनता में पहले ही एक मेसेज जा चुका है,,,अभी भी अंकिता को न्याय न मिलना 2024 में भाजपा के सामने एक बड़ा मुद्दा बनकर उठेगा,,,जो कम से कम भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ माने जाने वाली पौड़ी लोकसभा सीट पर बड़ा असर डालेगा,क्योकि अंकिता इसी सीट से आती है,जहां के लोग इस घटना से आज भी बेहद आक्रोशित हैं.