Day: November 25, 2024

Badrinath: धाम में हुई सीजन की पहली बर्फबारी, चोटियों ने ओढ़ी बर्फ की सफेद चादर.

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बदरीनाथ धाम में शनिवार देर शाम को सीजन की पहली हल्की बर्फबारी हुई, जबकि चोटियों पर भी बर्फ गिरी। हालांकि, शनिवार सुबह मौसम साफ होने पर बर्फ पिघल गई, लेकिन धाम में कड़ाके की ठंड पड़ रही है।

शनिवार को जिले में मौसम बदलता रहा। देर शाम को बदरीनाथ धाम में बर्फबारी शुरू हो गई। हालांकि, बर्फबारी ज्यादा देर नहीं हुई, लेकिन थोड़ी देर की बर्फबारी से धाम की चोटियां सफेद हो गईं। रविवार सुबह जैसे ही मौसम खुला तो बर्फ पिघलने लगी।

बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो चुके हैं। यहां आईटीबीपी, सेना और पुलिस के जवान ही तैनात रहते हैं। साथ ही मास्टर प्लान के काम में लगे मजदूर और मंदिर की देखरेख के लिए बीकेटीसी के कर्मचारी तैनात हैं।

Accident: ऋषिकेश में बड़ा हादसा, ट्रक ने कई वाहनों को मारी टक्कर, UKD नेता त्रिवेंद्र पंवार समेत 3 की मौत.

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ऋषिकेश में देर रात दर्दनाक हादसा हो गया। नटराज चौक के पास भीषण दुर्घटना में यूकेडी नेता व राज्य आंदोलनकारी त्रिवेंद्र पंवार समेत तीन लोगों की मौत हो गई। हादसे में एक व्यक्ति गंभीर घायल था, जिसने आज सुबह दम तोड़ दिया। हादसा इतना भीषण था कि दूर तक वाहनों के टुकड़े फैल गए। घटनास्थल के पास घंटों तक अफरा-तफरी का माहौल रहा।

पुलिस के मुताबिक रविवार देर रात एक तेज रफ्तार सीमेंट से लदे ट्रक ने नटराज चौक के पास स्थित वेडिंग प्वाइंट के सामने खड़ी पांच गाड़ियों को टक्कर मार दी। इस भिड़ंत के दौरान वहां पर मौजूद अन्य लोग भी चपेट में आ गए। घटनास्थल पर अफरा-तरफी मच गई। घटना के बाद ट्रक चालक फरार हो गया। हादसे में घायल यूकेडी के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष और संरक्षक राज्य आंदोलनकारी त्रिवेंद्र सिंह पंवार को एम्स ऋषिकेश ले जाया गया।
जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। एम्स के पीआरओ संदीप कुमार ने बताया कि पंवार के साथ ही एम्स लाए गए लालतप्पड़ निवासी गुरजीत सिंह की भी मौत हो गई। वहीं, एक व्यक्ति के गंभीर ने भी आज सुबह दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि पंवार एक पूर्व राज्यमंत्री के बेटे की शादी में शामिल होने यहां पहुंचे थे, इसी दौरान यह हादसा हो गया।

Uttarakhand: प्रदेश के 13वें डीजीपी बने दीपम सेठ, गृह विभाग ने जारी किए आदेश, 1995 बैच के हैं आईपीएस अधिकारी.

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दीपम सेठ उत्तराखंड के 13वें डीजीपी बन गए हैं। गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। एडीजी दीपम सेठ ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटकर सोमवार को मूल कैडर ज्वाइन किया। ज्वाइन करते ही उन्हें पुलिस के 13वें मुखिया की जिम्मेदारी भी दी गई।
दीपम सेठ 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। और वर्ष 2019 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे। अभी उनकी प्रतिनियुक्ति अवधि पूरी नहीं हुई थी कि शासन ने उन्हें वापस बुलाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। पत्र के एक दिन बाद ही केंद्र ने उन्हें रिलीव भी कर दिया। बता दें कि एडीजी दीपम सेठ उत्तराखंड कैडर के वर्तमान में सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। पिछले साल पूर्व डीजीपी अशोक कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद सेठ के वापस आने की चर्चाएं हुई थीं।
सरकार ने उनका नाम भी डीजीपी के पैनल में शामिल करते हुए यूपीएससी को भेजा था। लेकिन, वह प्रतिनियुक्ति से वापस नहीं आए थे। ऐसे में सभी जरूरी अर्हताएं पूरी करने वाले अधिकारियों में एडीजी अभिनव कुमार का नंबर आ गया था। उन्होंने पिछले साल 30 नवंबर की शाम को प्रदेश के 12वें डीजीपी (कार्यवाहक) के रूप में पुलिस की कमान संभाली थी। लेकिन, पिछले दिनों फिर से डीजीपी के चयन के लिए एक पैनल यूपीएससी भेजा गया। मगर, इस पैनल में अभिनव कुमार का नाम शामिल नहीं था।
यूपी की तर्ज पर डीजीपी का करने की सिफारिश
पिछले दिनों कार्यवाहक डीजीपी अभिनव कुमार ने गृह सचिव को पत्र लिखकर यहां डीजीपी का चयन यूपी की तर्ज पर करने की सिफारिश की थी। उन्होंने मौजूदा उत्तराखंड पुलिस एक्ट के नियमों का हवाला भी दिया था। इसमें दो साल के लिए शासन की समिति ही डीजीपी का चयन कर सकती है। लेकिन, अब एकाएक गृह विभाग की ओर से केंद्र सरकार को शुक्रवार को पत्र लिखकर आईपीएस दीपम सेठ को वापस भेजने की मांग की थी।

Uttarakhand: 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर बैठेगी भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति।

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प्रेस क्लब देहरादून में मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता की इस अवसर पर उन्होंने संविधान दिवस यानि की 26 नवंबर से शहीद स्मारक देहरादून में भूख हड़ताल शुरू करने का ऐलान किया है। संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी भूख हड़ताल पर बैठेंगे। वही प्रेसवार्ता करते हुए मूल, निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार मजबूत भू-कानून को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। सरकार बजट सत्र में भू-कानून लाने की बात कर रही है, लेकिन किस तरह का भू-कानून सरकार लाएगी, स्थिति स्पष्ट नहीं है। कहीं ऐसा तो नहीं हर बार की तरह भू-माफिया के पक्ष में सरकार कानून लेकर आए।