Category Archive : राष्ट्रीय खबर

Uttarakhand News: टिहरी झील की विकास परियोजना में 95 करोड़ के कार्यों को मंजूरी, प्रवेश द्वार का होगा निर्माण.

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एशियन डेवलमेंट बैंक(एडीबी) की सहायता प्राप्त टिहरी झील विकास परियोजना के तहत 95 करोड़ के कार्यों को मंजूरी दी गई। इसमें सीवर लाइन, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, ठोस कूड़ा प्रबंधन, प्रवेश द्वार व महादेव मंदिर का निर्माण किया जाएगा।

सचिवालय में सोमवार को मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में टिहरी झील विकास परियोजना के तहत होने वाले पर्यटन विकास संबंधित कार्यों के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। नई टिहरी में 54.05 करोड़ रुपये की लागत से सीवर नेटवर्क के साथ 5 नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे।

37.11 करोड़ रुपये की लागत से ठोस कूड़ा प्रबंधन व कचरा प्रबंधन सेंटर, 1.46 करोड़ की लागत से महादेव मंदिर का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा 2.33 करोड़ की लागत से प्रवेश द्वार निर्माण के प्रस्ताव को अनुमोदन दिया गया है।

बैठक में मुख्य सचिव ने टिहरी के मदन नेगी रोपवे के लिए ब्रिडकुल को नोडल एजेंसी नियुक्त करने की अनुमति दी। इसके साथ ही परियोजना कर्मचारियों के लिए टीए व डीए भत्ते, महिला कर्मचारियों के लिए चाइल्ड केयर लीव का अनुमोदन दिया गया। मुख्य सचिव ने जल संस्थान के ग्रामीण जलापूर्ति के लिए सेंटेज चार्ज के प्रस्ताव को वित्त विभाग में भेजने के निर्देश दिए।

Kedarnath Temple: इस बार संगम पर बने पुल से मंदिर तक पहुंचेंगे श्रद्धालु, आपदा के 11 साल बाद बनकर हुआ तैयार.

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आपदा के ग्यारह वर्ष बाद केदारनाथ मंदिर तक पहुंच के लिए स्थायी पैदल पुल बनकर तैयार हो गया है और इस वर्ष बाबा केदार के भक्त इसी पुल से होकर मंदाकिनी नदी किनारे बने आस्था पथ से मंदिर तक पहुंचेंगे। लोक निर्माण विभाग ने दो वर्ष में 54 मीटर लंबे पैदल पुल का निर्माण किया है।

 

इस पुल के बनने से हेलिपैड से मंदिर तक की दूरी भी कम हो गई है। आगामी 2 मई से केदारनाथ यात्रा शुरू होगी। इस वर्ष पैदल व हेलिकॉप्टर से धाम पहुंचने वाले श्रद्धालु मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर बने 54 मीटर लंबे पुल से होकर मंदाकिनी नदी किनारे निर्मित आस्था पथ के रास्ते लगभग 450 मीटर की दूरी तय कर मंदिर में पहुंचेंगे।

यहां पर बाबा केदार के दर्शन कर श्रद्धालुओं को मंदिर मार्ग से वापस भेजा जाएगा। बीते दो वर्षों तक श्रद्धालु हेलिपैड से सरस्वती नदी किनारे बने आस्था पथ से होकर भैरवनाथ जाने वाले पुल से मंदिर तक पहुंच रहे थे।

इस दौरान उन्हें लगभग 800 मीटर की दूरी तय करनी पड़ रही थी। लेकिन, अब संगम पर बने पुल से यह दूरी 500 मीटर रह गई है।

बता दें कि 16/17 जून 2013 में आपदा से केदारनाथ में व्यापक नुकसान हो गया था। तब सैलाब में संगम पर बना स्थायी पुल भी बह गया था। पुल के बहने के बाद मंंदिर तक पहुंच के लिए बैली ब्रिज बनाया गया था, जिससे बीते नौ वर्ष तक यात्रा संचालित होती रही।

केदारनाथ पुनर्निर्माण के तहत वर्ष 2022 में इस पुल को हटाकर स्थायी पुल का कार्य शुरू किया गया था। लोक निर्माण विभाग ने विषम परिस्थितियों में करीब ढाई वर्ष में इस पुल को तैयार किया है। अब इसी पुल के सहारे केदारनाथ मंदिर तक पहुंचा जाएगा।

Kedarnath: बर्फ की घाटी से होकर बाबा केदार के दर्शन को पहुंचे श्रद्धालु, हिमखंडों को काटकर बन रहा रास्ता, देखें तस्वीरें.

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Kedarnath Dham: बीते दिनों केदारनाथ में भारी बर्फबारी हुई थी। जिसके बाद से यहां भारी मात्रा में बर्फ जम गई है। लोनिवि के मजदूर बर्फ हटाने में जुटे हैं।

दो मई से शुरू होने वाली केदारनाथ यात्रा के दौरान बाबा केदार के भक्त बर्फ की संकरी घाटी से होकर धाम पहुंचेंगे। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर रामबाड़ा से लिनचोली के बीच पसरे विशालकाय हिमखंडों को काटकर लोक निर्माण विभाग के मजदूर रास्ता तैयार करने में जुटे हैं।

इस वर्ष फरवरी पहले सप्ताह और इस माह के पहले व दूसरे सप्ताह में केदारनाथ सहित पैदल मार्ग तक भारी बर्फबारी हुई थी। इन दिनों भी केदारनाथ में तीन फीट से अधिक बर्फ जमा है।

 

 

वहीं, गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर रामबाड़ा से केदारनाथ तक बर्फ के कारण पैदल आवाजाही संभव नहीं है। यहां बीते 14 मार्च से लोक निर्माण विभाग के 70 से अधिक मजदूर बर्फ को काटकर रास्ता बनाने में जुटे हैं।

11 दिनों में लगभग ढाई किमी हिस्से में बर्फ साफ कर आवाजाही के लिए रास्ता तैयार हो चुका है। इन दिनों मजदूर थारू हिमखंड को काटने में जुटे हैं। यहां पर लगभग 20 फीट ऊंचे हिमखंड को काटकर ढाई फीट चौड़ा रास्ता बनाया जा रहा है।

बर्फ काटने से यहां गहरी व संकरी घाटी सी बन गई है। इन हालातों में यहां बर्फ खिसकने का खतरा बना है। लोनिवि के अधिशासी अभियंता विनय झिक्वांण ने बताया कि मौसम अनुकूल नहीं होने के बाद भी बर्फ सफाई का कार्य जोरों पर चल रहा है। हिमखंड जोन पर आने वाले दिनों में रास्ते की चौड़ाई बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।

Uttarakhand: धामी सरकार के 3 साल बेमिसाल ने सोशल मीडिया पर मचाया धमाल.. धामी के 3 वर्षों के कार्यकाल को जनता ने सराहा.

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सरकार के तीन साल X पर टॉप ट्रेंड बना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के 3 वर्षों के कार्यकाल को जनता ने सराहा

धामी सरकार के ऐतिहासिक निर्णयों पर जनता की मुहर

 

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार के सफल तीन वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सोशल मीडिया पर जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। #DhamiKe3SaalBemisaal हैशटैग के साथ हजारों लोगों ने ट्वीट किए और धामी सरकार को सेवा, सुशासन और विकास के इन तीन वर्षों के लिए शुभकामनाएँ दीं।

आज दोपहर #DhamiKe3SaalBemisaal हैशटैग तेजी से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ट्रेंड करने लगा। देखते ही देखते अनेक ट्वीट्स और पोस्ट्स के साथ यह हैशटैग टॉप ट्रेंडिंग में आ गया। लोग उत्तराखंड सरकार की विभिन्न उपलब्धियों—इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार, धार्मिक पर्यटन, निवेश, रोजगार, महिला सशक्तिकरण और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन—को लेकर अपने विचार साझा कर रहे थे।

 

जनता का अभूतपूर्व समर्थन-

उत्तराखंड के आम नागरिकों के अलावा, राजनीतिक हस्तियों, युवा वर्ग, सामाजिक संगठनों और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लिया। लोगों ने धामी सरकार की नीतियों और प्रदेश के विकास में उनके योगदान की सराहना करते हुए पोस्ट किए।

X पर टॉप ट्रेंड बना #DhamiKe3SaalBemisaal-

लगातार बढ़ते समर्थन और जनता की भागीदारी के कारण #DhamiKe3SaalBemisaal X पर ट्रेंड करता रहा और टॉप पोजिशन पर बना रहा। यह उत्तराखंड सरकार की नीतियों और जनता के विश्वास का प्रमाण है। यह न केवल सरकार की उपलब्धियों को उजागर करता है, बल्कि जनता के विश्वास और समर्थन को भी दर्शाता है।

उत्तराखंड में सियासी सरगर्मियां तेज, नवरात्र में हो सकती है कैबिनेट में फेरबदल.. 3 मंत्रियों की होगी विदाई.

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प्रदेश की धामी सरकार एक ओर अपने तीन साल पूरे होने के जश्न की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर नवरात्र पर कैबिनेट नए रूप में दिखाई देगी। कैबिनेट में पांच खाली पद भरे जाने के साथ ही तीन कैबिनेट मंत्रियों की विदाई के संकेत मिल रहे हैं। नए मंत्रिमंडल का जो ड्राफ्ट तैयार हो रहा है, उसमें जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का खास ध्यान रखा गया है।

इस ड्राफ्ट पर केंद्रीय नेतृत्व की मुहर लगनी है। हालांकि मुख्यमंत्री दिल्ली दौरे को कैबिनेट में बदलाव की संभावना के तौर पर देखा गया। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, धामी का यह दौरा एक विवाह समारोह में शामिल होने को लेकर था। कैबिनेट में फेरबदल को लेकर केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा करने के लिए धामी बाद में दिल्ली जाएंगे।

पंजाबी समाज के विधायक को मिल सकती है जगह-

बहरहाल सूत्रों का कहना है कि नई कैबिनेट का जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है, उसमें तीन वरिष्ठ मंत्रियों की विदाई की संभावना जताई जा रही है। तीनों मंत्रियों की विदाई का आधार उनकी परफारमेंस बनेगी। कैबिनेट में पंजाबी समाज के विधायक को जगह मिल सकती है।

क्षेत्रीय व जातीय संतुलन के हिसाब से वरिष्ठता व अनुभव के आधार पर मंत्री बनाया जा सकता है। कैबिनेट में बदलाव को लेकर केंद्रीय नेताओं से पहले बातचीत होगी। चर्चा का यह सिलसिला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बंगलूरू में 21 से 23 तक होने वाली प्रतिनिधि सभा के बाद शुरू हो सकता है।

पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष प्रतिनिधि सभा में शामिल होंगे। 23 मार्च को सरकार के तीन साल पूरे हो जाएंगे। इसके बाद सीएम धामी केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत करने के लिए दिल्ली जा सकते हैं। तब तक केंद्रीय नेताओं के आरएसएस की प्रतिनिधि सभा से लौट आने की संभावना है। इन सभी परिस्थितियों के आधार पर अब यही माना जा रहा है नवरात्र में कैबिनेट में फेरबदल की कवायद को अंजाम दिया जा सकता है।

पहले हो सकता है भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का एलान-

उत्तराखंड में प्रदेश मंत्रिमंडल में बदलाव से पहले भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष का एलान हो सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बुधवार को दिल्ली में होने के बाद सियासी हलकों में कैबिनेट में फेरबदल की संभावना को लेकर चर्चाओं का बाजार गरमाता रहा। हालांकि मुख्यमंत्री बृहस्पतिवार को लौट आएंगे। भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कई नामों की चर्चा है। इनमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सांसद महेंद्र भट्ट को दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने चर्चाएं भी खासी गर्म रही हैं। पिछले कुछ दिनों से भट्ट अपने बयानों और बेटे के भूमि सौदे को लेकर सोशल मीडिया में विरोधियों के निशाने पर हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का नाम की भी चर्चा है।

 

यदि पार्टी ब्राह्मण चेहरे के बजाय दलित चेहरे का प्रयोग करेगी तो पूर्व कैबिनेट मंत्री खजानदास के नाम को गंभीरता से देखा जा रहा है। इनके अलावा वरिष्ठ विधायक विनोद चमोली के नाम की भी चर्चा है। महिला चेहरे के तौर पर पार्टी विधायक आशा नौटियाल और महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री दीप्ति रावत भारद्वाज का नाम भी लिया जा रहा है। कई विधायक व अन्य युवा नेताओं के नाम की भी चर्चा है।

Hockey India Championship: राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए उत्तराखंड की हॉकी टीम हुई घोषित.

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उत्तरप्रदेश के झांसी में चार से 15 अप्रैल तक आयोजित होने वाले 15 वीं हॉकी इंडिया सीनियर पुरुष राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए चयनित उत्तराखंड की टीम में हरिद्वार के सबसे अधिक पांच खिलाड़ी शामिल हैं।

ऊधमसिंह नगर और अल्मोड़ा जिले के तीन-तीन और देहरादून, पौड़ी, पिथौरागढ़, बागेश्वर समेत स्पोर्ट्स कालेज के खिलाड़ियों का चयन भी उत्तराखंड की टीम में किया गया है। उत्तराखंड की टीम में चयनित छह खिलाड़ी पूर्व में भी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं जबकि जूनियर में खेलने वाले कई खिलाड़ियों को भी इस बार सीनियर टीम से खेलने का मौका मिला है।

40 खिलाड़ियों ने किया प्रतिभाग-

मंगलवार को हल्द्वानी के गौलापार स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स स्टेडियम में आयोजित चयन ट्रायल में उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों व स्पोर्ट्स कालेज से 40 खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया। चयन ट्रायल में उम्दा प्रदर्शन के आधार पर उत्तराखंड की 18 सदस्यीय टीम का चयन किया गया है।राष्ट्रीय स्तर की हॉकी प्रतियोगिताओं और राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर चुके विशाल (हरिद्वार), रुपिन (हरिद्वार), रूपेश (हरिद्वार), राहुल (स्पोर्ट्स कालेज), आशु कुमार (हरिद्वार) और दीपांशु (ऊधमसिंह नगर) को चयन ट्रायल में शानदार प्रदर्शन के आधार पर फिर से टीम में शामिल किया गया है।

 

इनका भी हुआ चयन-

इसके अलावा रितिक सैनी (काशीपुर), अक्षत रावत (कोटद्वार), मो. साहेब (देहरादून), बाबी (काशीपुर), दीपक फर्त्याल (अल्मोड़ा), रितिक राज (अल्मोड़ा), अमित सिरोला (हरिद्वार),गौरव मेहरा (अल्मोड़ा), विवेक उपरारी (पिथौरागढ़), मान सिंह दानू (बागेश्वर), विवेक शर्मा और रईस अहमद का चयन किया गया है।

 

चयनकर्ताओ में उप निदेशक खेल राशिका सिद्दीकी, उपक्रीड़ा अधिकारी वरुण बेलवाल, भारतीय वायु सेना के पूर्व चीफ कोच पुष्कर सिंह रावत, अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी हरीश भाकुनी और हॉकी के पूर्व चीफ कोच वीरेंद्र परिहार शामिल रहे।

उत्तराखंड में यहां पेड़ों से चिपक गई महिलाएं, सड़कों पर उतरे हजारों पर्यावरण प्रेमी

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भानियावाला-ऋषिकेश मार्ग चौड़ीकरण के नाम पर करीब 3300 पेड़ों को काटने के विरोध में दो-दो पद्मश्री, लोकगायिका समेत बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी सड़क पर उतर गए। पेड़ों से चिपक कर महिलाओं ने उनके रक्षा का संकल्प लिया और चिपको आंदोलन 2.0 शुरू करने का एलान किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया।

चिपको आंदोलन' चलाने वाली एक थी 'चिपको वुमेन' फ्रॉम इंडियाNaN

ऋषिकेश से भानियावाला के बीच सड़क को फोरलेन किया जाना है। करीब 21 किमी के दायरे में 600 करोड़ रुपये की लागत से चौड़ीकरण कार्य किया जाना है। चौड़ीकरण के दौरान करीब 3300 पेड़ भी कटान की जद में हैं। जिनका इन दिनों छंटाई कार्य चल रहा है। इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों के कटान की जद में आने पर पर्यावरणविदों व लोगों ने कड़ा आक्रोश जताया है।

Chipko movement Again in Uttarakhand Women Hug to trees in rishikesh against tree cutting

रविवार को विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग सात मोड़ क्षेत्र में एकत्र हुए। पर्यावरणविदों का कहना था कि पिछले कुछ दशकों में, देहरादून और उसके आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरणीय असंतुलन तेजी से बढ़ा है। बढ़ते तापमान, घटते भूजल स्तर और खराब होती वायु गुणवत्ता लोगों के स्वास्थ्य और जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शुरू हुआ चिपको आंदोलन 2.0, रोजाना दो  सिगरेट के बराबर हवा में सांस ले रहे नागरिक | Loksaakshya

इन गंभीर संकेतों के बावजूद, बिना किसी दीर्घकालिक पर्यावरणीय योजना के बड़े-बड़े विकास परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। उत्तराखंड के लोग लंबे समय से वनों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक संसाधनों के विनाश का विरोध कर रहे हैं। लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने सातमोड़ क्षेत्र में पेड़ों को रक्षा सूत्र बांध कर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। कहा कि यह चिपको आंदोलन 2.0 का आगाज है।

Chipko Movement Again In Uttarakhand Women Hug To Trees In Rishikesh  Against Tree Cutting - Amar Ujala Hindi News Live - चिपको आंदोलन 2.0: उत्तराखंड में यहां पेड़ों से चिपक गई महिलाएं, सड़कों

प्रमुख रूप से पद्मश्री डॉ. माधुरी बर्तवाल, पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, लोकगायिका कमला देवी, इरा चौहान, अनूप नौटियाल, सूरज सिंह नेगी, नितिन मलेथा, इंद्रेश मैखुरी आदि

26 march ko Chipko Andolan se bache the uttarakhand ke jangal: 26 मार्च को चिपको  आंदोलन से बचे थे उत्तराखंड के जंगल
यह हैं प्रदर्शनकारियों की मांग
1. ऋषिकेश-जौलीग्रांट हाईवे परियोजना और इसके तहत 3,300 पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई जाए।
2. देहरादून और इसके आसपास के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में वनों के व्यावसायिक उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। भविष्य की सभी परियोजनाओं में सतत विकास को प्राथमिकता दी जाए।
3. देहरादून की पारंपरिक नहरों का संरक्षण और पुनरुद्धार किया जाए। ये नहरें भूजल रिचार्ज और अत्यधिक गर्मी के दौरान तापमान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
4. देहरादून की प्रमुख नदियों (रिस्पना, बिंदाल और सौंग) को पुनर्जीवित किया जाए। इन्हें प्लास्टिक कचरे और अनुपचारित सीवेज से बचाया जाना चाहिए।
5. हरे भरे स्थानों को बढ़ावा देने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं। देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में आने वाली सभी नई आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं में कम से कम 25% भूमि हरित क्षेत्र के लिए आरक्षित होनी चाहिए।
6. वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए त्वरित कार्रवाई की जाए।
7. 1980 के वन अधिनियम में संशोधन कर जंगलों में लगने वाली आग को रोकने के लिए प्रभावी रणनीतियां अपनाई जाएं।

क्षेत्रवाद के बयान से घिरे वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने दिया इस्तीफा, फफक कर रो पड़े

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बजट सत्र के दौरान सदन में क्षेत्रवाद पर दिए बयान से विवादों में घिरे कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस्तीफा दे दिया है। अपने सरकारी आवास में इस्तीफे की घोषणा करने के बाद उन्होंने सीएम आवास पहुंचकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को त्यागपत्र सौंपा। मुख्यमंत्री ने अग्रवाल का त्यागपत्र अग्रिम कार्यवाही के लिए राज्यपाल को भेज दिया है। इससे पहले अग्रवाल पत्नी के साथ रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पहुंचे और राज्य आंदोलनकारी शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

बीती फरवरी में हुए बजट सत्र के दौरान सदन में क्षेत्रवाद को लेकर दिए बयान से कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल विवादों में घिर गए थे। हालांकि विवाद बढ़ने पर उन्होंने सदन के अंदर व बाहर खेद भी जताया था। लेकिन इससे मचे सियासी घमासान ने भाजपा को असहज कर दिया था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने अग्रवाल को पार्टी मुख्यालय में तलब तक स्पष्टीकरण लिया था। मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा के बीच केंद्र सरकार ने कैबिनेट मंत्री अग्रवाल को मंत्री समूह (जीओएम) का सदस्य नामित किया, जिससे उन्हें कैबिनेट मंत्री से हटाने की चर्चा पर विराम लग गया था।

रविवार को अग्रवाल ने पत्नी शशि प्रभा अग्रवाल के साथ रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पहुंच कर राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास पहुंचकर प्रेसवार्ता बुलाई और इस्तीफे की घोषणा कर दी। इस दौरान वह भावुक होकर फफक पड़े।

Uttarakhand Cabinet Minister Prem Chand Agarwal Resigned Today amid statement on regionalism

अग्रवाल ने कहा कि उनके जैसे व्यक्ति को साबित करना पड़ रहा है कि उत्तराखंड के लिए क्या योगदान दिया। सदन में उनके बयान को तरोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है, इससे वह आहत हैं। कहा, राज्य आंदोलन के दौरान मैंने लाठियां खाई हैं।

घटनाओं और लोगों का जिक्र किया

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने मुजफ्फरनगर कांड, मसूरी गोली कांड से लेकर राज्य आंदोलन से जुड़ीं कई घटनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने राज्य आंदोलन की लड़ाई के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी, उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, मनोहरकांत ध्यानी, पूर्व राज्य सभा सदस्य मालती शर्मा से जुड़े स्मरण साझा किए। बताया कि मुजफ्फरनगर में गोली चल रही थी, इसके बाद भी वे ट्रक में बैठ कर पहुंचे थे। मसूरी पहुंचे तो हाथ जोड़कर लोगों ने कहा कि यहां से चले जाएं, वर्ना आप का एनकाउंटर हो जाएगा या फिर एनएसए लग जाएगा।

कैबिनेट में चार कुर्सियां पहले ही खाली थी

धामी कैबिनेट में चार कुर्सियां लंबे समय से खाली चल रही हैं। इन चार खाली कुर्सियों को भरने के साथ ही कुछ बदलाव होने के कयास भी लगाए जा रहे थे। वहीं, आज मंत्री अग्रवाल के इस्तीफा देने के बाद अब एक और कुर्सी खाली हो गई है।

प्रेमचंद अग्रवाल का राजनीतिक सफर

  • 2007 में पहली बार बने विधायक, सदस्य आवास समिति विधान सभा।
  • 2008 में सदस्य याचिका समिति विधान सभा।
  • 2009 में संसदीय सचिव, औद्योगिक विकास, संबद्ध सीएम।
  • 2012 में दूसरी बार बने विधायक, सदस्य अनुसूचित जाति जनजाति एवं विमुक्त जाति समिति विधान सभा।
  • 2013 में सदस्य आवास समिति विधान सभा।
  • 2014 सदस्य, प्राक्लन समिति विधान सभा।
  • 2017 में तीसरी बार विधायक
  • 2017 विधान सभा अध्यक्ष।
  • 2017 में कार्यकारी सदस्य राष्ट्रमंडलीय संसदीय संघ, भारत परिक्षेत्र।
  • 2022 में चौथी बार विधायक, कैबिनेट मंत्री वित्त, शहरी विकास एवं आवास, विधायी एवं संसदीय कार्य, जनगणना एवं पुर्नगठन मंत्री।

Uttarakhand: प्रदेश में आपातकालीन सेवाओं के लिए बनेगा स्वास्थ्य परिचालन केंद्र, चारधाम यात्रियों को मिलेगी मदद.

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चारधाम यात्रा के दौरान आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी के लिए पहली बार उत्तराखंड में स्वास्थ्य परिचालन केंद्र बनाया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। लगभग पांच करोड़ की लागत से इस केंद्र को स्थापित किया जाएगा।

इस बार चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल से हो रही है। यात्रा के दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ठंड के साथ ऑक्सीजन की कमी से तीर्थ यात्रियों की अचानक तबीयत बिगड़ने से हार्ट अटैक का खतरा रहता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से चारधाम यात्रा मार्ग पर 26 मेडिकल रिस्पांस प्वाइंट व 50 स्क्रीनिंग सेंटर बनाए जाते हैं।

इसके अलावा मार्गों पर स्थायी स्वास्थ्य केंद्र व अस्पताल भी हैं। लेकिन अभी तक यात्रा के दौरान आपात स्थिति में तत्काल स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए अपना परिचालन केंद्र नहीं है। राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य परिचालन केंद्र को मंजूरी दे दी है। इसके लिए पांच करोड़ की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग ने परिचालन केंद्र के लिए महानिदेशालय में जगह उपलब्ध करा दी है। प्रदेश सरकार का प्रयास है कि चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले परिपालन केंद्र को संचालित किया जाए। जिससे एक ही जगह से चारधामों में स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी हो सकेगी। इसके साथ ही आपात स्थिति में किसी श्रद्धालुओं को हायर सेंटर रेफर करना है या एयर लिफ्ट की आवश्यकता है तो परिचालन केंद्र से त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
 

परिचालन केंद्र से 24 घंटे चारधाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी की जाएगी। अभी तक यह व्यवस्था नहीं थी। केंद्र सरकार के सहयोग से प्रदेश में पहली बार यह केंद्र स्थापित किया जा रहा है। इस बार हमारा प्रयास है कि यात्रा के दौरान किसी भी तीर्थयात्री की मौत न हो। -डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य

PM Modi Uttarkashi Visit: देश तक पहुंचा शीतकालीन यात्रा का संदेश, चारधाम यात्रा का आधार भी होगा तैयार.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की केमेस्ट्री से बहुत कम समय में उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा देश-दुनिया की नजरों में आ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा और खूबसूरत हर्षिल से पूरे देश में शीतकालीन यात्रा का संदेश पहुंचा। उन्होंने जिस अंदाज में उत्तराखंड की यात्रा का प्रमोशन किया है, वह अभूतपूर्व है। इसके बाद उत्तराखंड के शीतकालीन पर्यटन के सरपट दौड़ने की पूरी उम्मीद की जा रही है। इससे चारधाम यात्रा की मजबूती का आधार पर तैयार होगा।

प्रधानमंत्री का यह प्रवास उस वक्त हुआ है, जब दो महीने की शीतकालीन यात्रा शेष है। इसके बाद 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा का श्रीगणेश होना है। ऐसे में प्रधानमंत्री के एक प्रवास ने उत्तराखंड की दोनों यात्राओं के लिए बेहतर आधार तैयार कर दिया है। प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड का हर तरह से प्रमोशन किया। प्रमोशन के लिए घाम तापो पर्यटन की बात हो, धर्माचार्यों और योगाचार्यों से शीतकाल में योग शिविर आयोजित करने की बात हो, कॉरपोरेट को सेमिनार का सुझाव हो, फिल्म निर्माताओं को फिल्मों की शूटिंग के लिए आह्वान हो या फिर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर से अपील हो, सबने अपना अलग प्रभाव छोड़ा है।

रजत जयंती वर्ष में सबसे गंभीर प्रयास-

उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीतकालीन यात्रा का सबसे बड़ा प्रमोशन कर दिया है। इस यात्रा के प्रमोशन के लिए इससे पहले कभी इतने गंभीर प्रयास नहीं हुए। उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा के साथ प्रधानमंत्री के जुड़ाव के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जो प्रयास किए थे, उसका सार्थक परिणाम सामने आया है। बहुत कम समय में उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा और पर्यटन देश-दुनिया की नजरों में आ गए हैं।

 

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फिर साबित हुए सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर-

प्रधानमंत्री एक बार फिर उत्तराखंड के लिए सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर साबित हुए हैं। केदारनाथ धाम का उदाहरण सामने है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता से श्रद्धालुओं के पहुंचने के नए रिकार्ड बने हैं। शीतकालीन यात्रा का हिस्सा बनने की इच्छा प्रधानमंत्री ने 28 जनवरी को राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ के मौके पर ही जाहिर कर दी थी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से भावनात्मक लगाव ही है, वह कार्यक्रम में बदलाव के बावजूद मुखवा-हर्षिल पहुंच गए।

मुखबा हर्षिल निहाल, पीएम-सीएम का आभार-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखवा आगमन से पूरा क्षेत्र निहाल है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहला अवसर है, जबकि कोई प्रधानमंत्री मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल पर पूजा-अर्चना के लिए पहुंचा हो। गंगोेत्री मंदिर के सचिव सुरेश सेमवाल का कहना है-यह अवसर गौरवान्वित करने वाला है। तीर्थ पुरोहित और लोक कलाकार रजनीकांत सेमवाल कहते हैं-मुखवा का चयन करने के लिए पीएम व सीएम के प्रति हम आभारी हैं।