Category Archive : पुलिस

Manipur: मणिपुर में फिर हुई हिंसा, उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में एक वालंटियर की मौत.

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मणिपुर के कांगपोकपी जिले में दो गुटों के बीच गोलीबारी हुई। इस गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई। गोलीबारी बुधवार रात को हुई, जब संदिग्ध उग्रवादियों ने कांगचुप इलाके में हमला किया। इसके जवाब में विलेज वॉलंटियर्स ने जवाब में गोलीबारी की। दोनों तरफ से हुई फायरिंग में एक विलेज वालंटियर की गोली लगने से मौत हो गई। मृतक की पहचान टी मनोरंजन के रूप में हुई है।

महिलाओं ने किया विरोध प्रदर्शन-

 
बुधवार रात को इंफाल में कई जगह गोलीबारी की घटनाएं हुईं। हिंसा में हो रहीं हत्याओं के खिलाफ इंफाल घाटी में गुरुवार को बड़ी संख्या में महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने मांग की है कि हिंसा बंद होनी चाहिए और साथ ही उन्होंने इंटर एजेंसी यूनिफाइड कमांड के चेयरमैन को पद से हटाने की भी मांग की। बीते साल मणिपुर सरकार ने इंटर एजेंसी यूनिफाइड कमांड का प्रमुख कुलदीप सिंह को नियुक्त किया था। महिलाओं ने इंफाल के मुख्य बाजार से लेकर सीएम आवास और राजभवन तक मार्च किया। राजभवन से 300 मीटर दूर महिला प्रदर्शनकारियों को रोक दिया गया। जिसके चलते प्रदर्शनकारी महिलाएं और सुरक्षाकर्मियों में झड़प भी हुई।

प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिसकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े।  

Bilkis Bano: बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की सजा माफी पर लगाई रोक, राहुल गांधी बोले- न्याय की जीत.

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गुजरात सरकार द्वारा बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की सजा में छूट देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया हैं। मामले में एक गवाह ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि बानो को वास्तव में आज न्याय मिला है। मैं इस मामले में गवाहों में से एक हूं। इन 11 दोषियों को महाराष्ट्र की एक अदालत ने सजा सुनाई थी। गुजरात सरकार का उन्हें रिहा करने का फैसला गलत था, इसलिए हमने इसे अदालत में चुनौती दी थी। फैसले के बाद दाहोद जिले के देवगढ़ बारिया में बिलकिस बानो के रिश्तेदारों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खुशी जाहिर करते हुए जमकर आतिशबाजी की हैं।

वास्तव में आज मिला पूर्ण न्याय-अब्दुल रजाक-
देवगढ़ बारिया शहर के रहने वाले मामले के गवाहों में से एक अब्दुल रजाक मंसूरी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने दोषियों को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा हैं। मुझे लगता है कि आज हमें न्याय मिला हैं। गौरतलब है कि गोधरा में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान बिलकिस बानो 21 साल की थीं औ पांच माह की गर्भवती भी थी। उस दौरान आरोपियों द्वारा उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इस दौरान आरोपियों ने उनकी तीन साल की बेटी और परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा गुजरात सरकार का फैसला-दरअसल, गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को सजा में छूट देकर 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सजा में दी गई छूट को सोमवार को रद्द कर दिया और दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि गुजरात सरकार को छूट का आदेश पारित करने का अधिकार नहीं था।

राहुल गांधी बोले- फैसले ने बताया कौन देता है अपराधियों को पनाह-

इसी बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक बार फिर दिखा दिया कि अपराधियों को पनाह कौन देता हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखते हुए राहुल गांधी ने कहा कि बिलकिस बानो का अथक संघर्ष अहंकारी भाजपा सरकार के खिलाफ न्याय की जीत का प्रतीक है। चुनावी लाभ के लिए न्याय की हत्या करने की प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक हैं।

Old Pension: पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर केंद्र और राज्य के कर्मचारियों ने देशभर में शुरू की रिले हंगर स्ट्राइक.

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केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन, पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले सरकार को चेताने के लिए देशभर के सरकारी कर्मचारियों ने आठ जनवरी से 11 जनवरी तक ‘रिले हंगर स्ट्राइक’ शुरू की है। ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिव गोपाल मिश्रा सहित कई एसोसिएशनों के पदाधिकारियों ने सोमवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर रिले हंगर स्ट्राइक में हिस्सा लिया। एआईपीईएफ और कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स सहित विभिन्न फेडरेशन और एसोसिएशन इस हंगर स्ट्राइक में भाग ले रही हैं।

इन विभागों में हुआ था स्ट्राइक बैलेट-

सरकारी कर्मचारी, पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर विभिन्न चरणों में आंदोलन कर रहे हैं। इसी के तहत रामलीला मैदान में रैली और धरने प्रदर्शन हुए हैं। कर्मचारियों ने सरकार को चेताया है कि इस मुद्दे पर देश में अनिश्चितकालीन हड़ताल हो सकती है। इस हड़ताल के लिए देश के दो बड़े कर्मचारी संगठन, रेलवे और रक्षा (सिविल) ने अपनी सहमति दी है। स्ट्राइक बैलेट में रेलवे के 11 लाख कर्मियों में से 96 फीसदी कर्मचारी ओपीएस लागू न करने की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा रक्षा विभाग (सिविल) के चार लाख कर्मियों में से 97 फीसदी कर्मी, हड़ताल के पक्ष में है। कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि जनवरी में हड़ताल की तिथि की घोषणा की जाएगी। इससे पहले देशभर के सरकार कर्मचारी, ‘रिले हंगर स्ट्राइक’ पर बैठेंगे। यह स्ट्राइक सरकार को चेताने के लिए है।

जल्द शुरू हो सकती है अनिश्चितकालीन हड़ताल-

एनजेसीए के पदाधिकारियों का कहना है, सरकारी कार्यालयों और प्रतिष्ठानों में बहुत जल्द अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो सकती है। इस हड़ताल की स्थिति में रेल थम जाएंगी और रक्षा क्षेत्र के उद्योगों में कामकाज बंद हो जाएगा। इसके चलते केंद्र में ही नहीं, बल्कि विभिन्न राज्यों में भी सरकारी कामकाज प्रभावित होगा। केंद्र और राज्य सरकार के विभागों, संगठनों एवं प्रतिष्ठानों के सामने आठ जनवरी से 11 जनवरी तक हो रही ‘रिले हंगर स्ट्राइक’, अनिश्चितकालीन हड़ताल का ही पहला चरण है। विभिन्न कर्मचारी संगठन, भूखे रह कर सरकार से ‘पुरानी पेंशन बहाली’ की मांग करेंगे। रिले हंगर स्ट्राइक में एक निर्धारित अवधि के बाद कर्मियों की दूसरी टोली, भूख हड़ताल स्थल पर पहुंचेगी। कर्मचारी संगठनों की एक ही मांग है, गारंटीकृत पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली। केंद्र सरकार ने इस बाबत एक कमेटी का गठन किया है। हालांकि उसमें ओपीएस का कहीं भी जिक्र नहीं है। कमेटी, केवल एनपीएस में सुधार को लेकर अपनी रिपोर्ट देगी। पिछले संसद सत्र में लोकसभा सदस्य नव कुमार सरनीया, दीपक बैज और कृपाल बालाजी तुमाने द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया था कि ओपीएस बहाली को लेकर केंद्र सरकार के विचाराधीन कोई प्रस्ताव नहीं है।

गारंटी कृत पुरानी पेंशन योजना बहाल करनी होगी-

शिव गोपाल मिश्रा के मुताबिक, ओपीएस पर केंद्र और सरकार के कर्मचारी लगातार अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। कर्मचारी संगठनों ने रामलीला मैदान में रैलियां की हैं। सरकार के समक्ष कई प्लेटफॉर्म के माध्यम से ओपीएस की मांग उठाई गई है। हमने सरकार को स्पष्ट तौर पर बता दिया है कि कर्मचारियों को ओपीएस के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं है। सरकार को एनपीएस खत्म करना होगा और गारंटीकृत पुरानी पेंशन योजना बहाल करनी पड़ेगी। ओपीएस एक गैर राजनीतिक मुद्दा है। केंद्र या राज्यों में सरकार चाहे जिस भी दल की हो, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। रेलवे के 11 लाख कर्मियों में से 96 फीसदी कर्मचारी ओपीएस लागू न करने की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तैयार हैं। ज्वाइंट फोरम में केंद्रीय संगठनों के अलावा राज्यों के भी 36 संगठन भी शामिल हैं।

चुनाव में बड़े उलटफेर का दावा-

ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद ‘जेसीएम’ के सचिव शिवगोपाल मिश्रा के मुताबिक, लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है, तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है।

पीएफआरडीए में संशोधन के बिना ओपीएस संभव नहीं-

कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने कहा, केंद्र सरकार को पुरानी पेंशन योजना लागू करनी होगी। एनपीएस का पैसा, ‘पेंशन फंड एंड रेगुलेटरी अथारिटी’ (पीएफआरडीए) के पास जमा है। नई पेंशन योजना ‘एनपीएस’ के अंतर्गत केंद्रीय मद में जमा यह पैसा राज्यों को नहीं दिया जा सकता। वह पैसा केवल उन कर्मचारियों के पास जाएगा, जो इसका योगदान कर रहे हैं। ओपीएस लागू करने से पहले पीएफआरडीए में संशोधन करना पड़ेगा। कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स ने सरकार के समक्ष बड़े स्तर पर यह मांग उठाई है। इस बाबत नवंबर में रामलीला मैदान में कन्फेडरेशन ने एक विशाल रैली भी आयोजित की थी।

18 साल बाद रिटायर हुए कर्मी को मिली इतनी पेंशन-

शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि एनपीएस में कर्मियों जो पेंशन मिल रही है, उतनी तो बुढ़ापा पेंशन ही है। एनपीएस स्कीम में शामिल कर्मी, 18 साल बाद रिटायर हो रहे हैं, उन्हें क्या मिला है। एक कर्मी को एनपीएस में 2417 रुपये मासिक पेंशन मिली है, दूसरे को 2506 रुपये और तीसरे कर्मी को 4900 रुपये प्रतिमाह की पेंशन मिली है। अगर यही कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में होते तो उन्हें प्रतिमाह क्रमश: 15250 रुपये, 17150 रुपये और 28450 रुपये मिलते। एनपीएस में कर्मियों द्वारा हर माह अपने वेतन का दस फीसदी शेयर डालने के बाद भी उन्हें रिटायरमेंट पर मामूली सी पेंशन मिलती है।

Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका, क्या अयोध्या के जश्न में बनेगा ऐसा संयोग.

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एक तरफ तो राम मंदिर को लेकर लोगों के बीच उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है तो वहीं दूसरी ओर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर लगातार संशय बढ़ता जा रहा है दिल्ली की नई शराब नीति के कथित घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर संशय बढ़ता जा रहा है। भाजपा से जुड़े नेताओं और जांच एजेंसी के सूत्रों की मानें, तो अयोध्या में राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान केजरीवाल की गिरफ्तारी संभव है।

वजह, उस वक्त दिल्ली सहित देश के दूसरे क्षेत्रों में राम मंदिर को लेकर उत्साह का माहौल रहेगा। खासतौर पर उत्तर भारत में भाजपा, इस कार्यक्रम को सियासत में फायदे के तौर पर देख रही है। यही वजह है कि भाजपा ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह को देश विदेश तक पहुंचा दिया है। इसी दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल गिरफ्तार किए जा सकते हैं।

ED ने दिल्ली सीएम केजरीवाल को अब तक भेजे 3 समन- 

सूत्रों का कहना है कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान केजरीवाल की गिरफ्तारी संभव है। अभी तक केजरीवाल को ईडी ने तीन समन भेजे हैं। केजरीवाल, किसी भी समन पर जांच एजेंसी के समक्ष प्रस्तुत नहीं हुए हैं। अब ऐसी संभावना जताई जा रही है कि जांच एजेंसी, किसी भी वक्त केजरीवाल को गिरफ्तार कर सकती है। अगर अब केजरीवाल की गिरफ्तारी होती है, तो आम आदमी पार्टी, इसका बड़ा पॉलिटिकल माइलेज ले सकती है। खासतौर पर, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब व उत्तर प्रदेश में आप का बड़ा विरोध प्रदर्शन देखने को मिल सकता है। इससे राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह प्रभावित हो सकता है। राजनीतिक प्रदर्शन से रोड जाम जैसी स्थिति के पैदा होने के आसार हैं। ट्रेनों की आवाजाही पर भी असर पड़ सकता है। दूसरी तरफ भाजपा, देश एवं विदेश से लोगों को अयोध्या लाने की तैयारी कर रही है। ऐसे में केजरीवाल की गिरफ्तारी 22 जनवरी के आसपास संभव है।

गुरुवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, देश में खुलेआम गुंडागर्दी चल रही है। किसी को भी पकड़कर जेल डाल दो। बतौर केजरीवाल, मेरी सबसे बड़ी ताकत ईमानदारी है। ये झूठे केस लगाकर मेरी ईमानदारी पर चोट करना चाहते हैं। मेरे वकील ने बताया कि ये सभी समन गैरकानूनी हैं, ये गैरकानूनी क्यों हैं, इनका जवाब मैंने ईडी को दिया है। अगर ये सही समन भेजते हैं, तो मैं जांच में सहयोग करूंगा। पहले भी सीबीआई जांच में सहयोग दिया है। भाजपा का मकसद सही जांच करना नहीं है। इसके पीछे मुझे, लोकसभा चुनाव में प्रचार करने से रोकना है। अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 6, 7 व 8 जनवरी को गुजरात दौरे पर रहेंगे। वे आप कार्यकर्ता सम्मलेन और जनसभा को संबोधित करेंगे। जेल में बंद आप विधायक चैतर बसावा से भी केजरीवाल से मिलने का कार्यक्रम है।

क्या कहा अरविंद केजरीवाल ने ? 
केजरीवाल ने कहा, ईडी के समन गैरकानूनी हैं। जो भी नेता भाजपा में शामिल नहीं होता, उसे ये लोग ‘भाजपा’ जेल में भेज देते हैं। मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को भी इन्होंने इसलिए जेल में डाला है। अगर वे  भाजपा से हाथ मिला लेते, तो जेल से बाहर होते। जो भी व्यक्ति इनसे हाथ मिला लेता है, वह ईमानदार हो जाता है। देश में बहुत खतरनाक खेल चल रहा है। मेरे खून का हर कतरा देश के लिए है। अरविंद केजरीवाल ने कहा, आप लोग दो साल से शराब घोटाले का नाम सुन रहे हैं। जांच एजेंसियों को इस घोटाले में एक भी पैसा नहीं मिला है। वजह, ऐसा कोई घोटाला

जी20 सम्मेलन के दौरान हर 60 सेकेंड में हुए 16 लाख साइबर अटैक, देश में 1 दिन में रोजाना मिल रही हजारों कॉल

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देश में साइबर अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं। वे रोजाना ही साइबर अटैक की कोई न कोई तकनीक इस्तेमाल करते रहते हैं। साइबर हमलों का शिकार केवल आम आदमी ही नहीं, बल्कि सरकारें और विभिन्न वित्तीय संस्थान भी बनते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय में साइबर क्राइम से निपटने के लिए स्थापित किए गए ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई4सी) के सीईओ राजेश कुमार ने बुधवार को यह खुलासा किया है। 

सीईओ राजेश कुमार ने बताया कि देश में रोजाना साइबर अपराध के चलते 50000 कॉल मिल रही हैं। एक लाख लोगों पर 129 शिकायतें दर्ज हो रही हैं। कुमार ने बताया, अगर एक घंटे के भीतर साइबर अपराध से जुड़ी शिकायत मिलती है तो पैसे के नुकसान से बचाव हो सकता है। साल 2023 में सेक्सटॉर्शन फ्रॉड के 19000 केस सामने आए हैं।

जानिए क्या कहा सीईओ ने – 
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई4सी) के सीईओ राजेश कुमार ने बताया कि जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान हर 60 सेकेंड में 16 लाख साइबर अटैक हुए थे। केंद्रीय एजेंसियों ने अपनी त्वरित कार्रवाई के जरिए साइबर अपराधियों को उनके मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया। अभी तक साइबर क्राइम को लेकर 46229 डिवाइस भी ब्लॉक किए गए हैं। पहले सिम कार्ड, वेबसाइट या ऐप को ही ब्लॉक किया जाता था।  

इस साल ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ के लिए एक बड़ी उपलब्धि यह रहेगी कि आई4सी के साथ देश के सभी सरकारी और गैर सरकारी बैंक जुड़ जाएंगे। इससे साइबर अपराध से निपटने में बड़ी मदद मिलेगी। केंद्रीय एजेंसियों और बैंकों के बीच समन्वय पुख्ता हो जाएगा। इसके माध्यम से समय रहते साइबर अपराध की घटना को काउंटर किया जा सकेगा।

मौजूदा समय में कुछ ही बैंक आई4सी के साथ जुड़े हैं। क्रिप्टों करेंसी के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम विभिन्न राज्यों में जाकर, विभिन्न एजेंसियों को ट्रेनिंग दे रही है। साइबर अपराध के जरिए जो वित्तीय चपत लगती है, उसकी त्वरित भरपाई के लिए एक ठोस मेकेनिज्म पर काम हो रहा है। गुजरात में लोक अदालत और कर्नाटक में कोर्ट द्वारा इस दिशा में सराहनीय कार्य किया जा रहा है। अभी वित्तीय फ्रॉड के मामले में बैंक से जब नुकसान की भरपाई की मांग की जाती है या संबंधित पीड़ित की राशि वापस देने की बात होती है तो बैंक द्वारा अदालत का आदेश मांगा जाता है।  

इस प्रक्रिया में ज्यादा समय लगता है। इससे पीड़ित व्यक्ति की परेशानी बढ़ जाती है। इस समस्या का हल करने की दिशा में आई4सी द्वारा विशेष प्लानिंग की जा रही है। यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है। कानूनी सलाह ली जा रही है। उम्मीद है कि कुछ माह के बाद नई व्यवस्था अमल में आ जाएगी। इसके बाद पीड़ित को अपनी राशि के लिए बैंकों के यहां चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।  

साइबर को अंजाम देने में विदेशी लोगों का भी हाथ- 

राजेश कुमार के मुताबिक, साइबर अपराध की घटनाओं को अंजाम देने में विदेशी लोगों का भी बड़ा हाथ है। चीन व कंबोडिया सहित कई देशों में बैठे साइबर अपराधी, ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं। साइबर अपराध की कुल घटनाओं में 40 से 50 प्रतिशत मामलों को विदेशों में बैठे गैंग अंजाम दे रहे हैं। इसके लिए संबंधित देशों की सरकारों के साथ बातचीत होती है। साइबर अपराध के चलते जो राशि ब्लॉक की गई है, वह 1127 करोड़ रुपये है। इसमें से लगभग 10 प्रतिशत रिक्वरी हुई है। बतौर राजेश कुमार, रिक्वरी का यह प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। देश में हर व्यक्ति को साइबर अपराध की शिकायत के लिए ‘1930’ हेल्पलाइन नंबर याद रखना चाहिए। इस नंबर के जरिए रोजाना 50000 कॉल दर्ज हो रही है। यानी इतनी बड़ी संख्या में लोग इस हेल्पलाइन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

साइबर अपराध के चलते 295461 सिम कार्ड ब्लॉक किए गए हैं। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के तहत 2810 वेबसाइट ब्लॉक हुई हैं। 46229 आईएमईआई नंबर ब्लॉक किए गए हैं। एनसीआरपी पर साइबर अपराध की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। 2019 में 26049 शिकायतें मिली थीं। 2020 में 257777, 2021 में 452414, 2022 में 966790 और 2023 में 1556176 शिकायतें दर्ज हुई हैं। साल 2022 के मुकाबले 2023 में शिकायतों का ग्राफ 60.9 प्रतिशत बढ़ा है।

Uttarakhand: 88 छात्रों को कराया फर्जी पैरामेडिकल कोर्स, कई लोगों को बांटी डिग्री, लाखों में वसूली फीस.

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पैरामेडिकल और मैनेजमेंट का फर्जी डिप्लोमा देने के आरोपी डीपीएमआई काठगोदाम के प्रबंध निदेशक को काठगोदाम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसने 88 छात्र-छात्राओं से 88 लाख रुपये फीस वसूली थी जिनमें 58 को डिप्लोमा दिया गया जो फर्जी था।

पुलिस बहुउद्देश्यीय भवन हल्द्वानी में एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने फर्जीवाड़े का खुलासा किया। बताया कि 11 अक्टूबर को मुखानी निवासी हिमांशु नेगी पुत्र गोपाल सिंह नेगी ने दिल्ली पैरामेडिकल एंड मेडिकल इंस्टीट्यूट काठगोदाम के एमडी डॉ. प्रकाश सिंह मेहरा और प्रधानाचार्य डा. पल्लवी मेहरा के खिलाफ काठगोदाम थाने में तहरीर दी थी।

कहा था कि 2018 में इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया था तब प्रबंधक ने कहा था कि यह संस्थान दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की शाखा है। दो साल के कोर्स की फीस एक लाख रुपये ली गई थी। संस्थान में उनके साथ 38 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया। कोर्स के बाद सभी मार्कशीट और डिप्लोमा दिया गया। जब एक छात्र ने अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में नौकरी के लिए आवेदन किया तो डिप्लोमा फर्जी बताते हुए आवेदन निरस्त कर दिया गया।
जांच में डीपीएमआई काठगोदाम के संचालक ने बताया कि 2018 में डीपीएमआई दिल्ली से फ्रेंचाइजी ली थी और पूर्वी खेड़ा गौलापार में संस्थान खोला था। 2018 में आठ, 2019 में 37 और 2020 में 21 छात्र-छात्राओं को पैरामेडिकल कोर्स का डिप्लोमा दिया गया था जबकि 2021 के 30 छात्रों को अभी डिप्लोमा नहीं मिला है। उनसे भी फीस वसूल ली गई है।

जब डीपीएमआई दिल्ली जाकर जानकारी मांगी गई तो पता चला कि 2018 में 8 छात्रों को डिप्लोमा दिया गया और 2019 में 37 छात्र-छात्राओं की प्रथम वर्ष की परीक्षा कर मार्कशीट दी गई थी। उसके बाद डीपीएमआई काठगोदाम के संचालक प्रकाश मेहरा ने फीस जमा नहीं की तो डीपीएमआई दिल्ली ने काठगोदाम शाखा को फीस डिफॉल्टर घोषित कर कार्यक्रम बंद कर दिया था। मगर इसके बावजूद 2019 में कोर्स बंद होने पर भी आरोपी छात्र-छात्राओं से लाखों रुपये फीस लेता रहा। मुकदमा दर्ज कर प्रकाश मेहरा को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में उससे पूछताछ की जा रही है।
हर विद्यार्थी से वसूले 1 लाख रुपये-


पुलिस जांच में कुल 58 छात्र-छात्राओं को फर्जी डिप्लोमा कराने का मामला सामने आया। डिप्लोमा कोर्स के लिए हर छात्र से एक लाख रुपये फीस ली गई। जांच में साल 2019 के 37 और 2020 के 21 छात्र-छात्राओं को फर्जी डिप्लोमा दिए गए थे जिनसे कुल 58 लाख रुपये आरोपी ने वसूले। 2021 के 30 विद्यार्थियों से भी फीस वसूल ली गई।

 

Priyanka ED Case: आखिर ED की चार्जशीट में प्रियंका गांधी का नाम क्यों, पढ़ें मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर क्या है पूरा मामला.

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Priyanka Gandhi ED Case- कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी बड़ी मुसीबत में फंसती दिख रहीं है। दरअसल, ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रियंका गांधी का नाम पहली बार चार्जशीट में दाखिल किया है। हालांकि, प्रियंका को आरोपी नहीं बनाया गया है। उनका नाम आरोपी से जुड़े होने के तौर पर शामिल किया गया है।

जिससे जमीन खरीदी, उसी को बेच दी-

ईडी की चार्जशीट के अनुसार, ये मामला जमीन खरीदने और बेचने से जुड़ा है। मामले में भगोड़े हथियार डीलर संजय भंडारी के सहयोगी सीसी थम्पी ने हरियाणा के फरीदाबाद में रियल एस्टेट एजेंट एचएल पाहवा से 2005 से 2008 तक कई बार जमीनें खरीदीं।उसके बाद प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा ने 2006 में पाहवा से अमीरपुर गांव में 5 एकड़ (40 कनाल) कृषि जमीन खरीदी और उसी को पाहवा को फरवरी 2010 में बेच दिया। आरोप है कि ये सब पैसे को इधर-उधर और मनी लॉन्ड्रिंग करने के लिए किया गया।

ये भी लगे आरोप-

आरोप यह भी लगे हैं कि इस दौरान एचएल पाहवा को भूमि अधिग्रहण के लिए पैसे भी मिलते रहे। ये भी आरोप है कि रॉबर्ट ने पाहवा को पूरे पैसे भी नहीं दिए। 

ईडी का कहना है कि थम्पी के रिश्ते काफी लंबे समय से वाड्रा से है और दोनों कई काम मिलकर करते हैं।

 

सीसी थम्पी पर संजय भंडारी का साथ देने का आरोप-

सीसी थम्पी पर हथियार डीलर संजय भंडारी का साथ देने और ब्रिटेन में कालाधन छिपाने में मदद करने का आरोप है।

कतर में 8 भारतीयों की फांसी की सजा पर लगी रोक; विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी.

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खाड़ी देश कतर की एक अदालत द्वारा भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा देने के फैसले पर रोक लगा दी गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने दहरा ग्लोबल मामले में कतर की अपील अदालत के आज के फैसले पर गौर किया है, जिसमें सजाएं कम कर दी गई हैं। हम विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं। आज अपीलीय अदालत में कतर में हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। पीड़ितों के परिवार के सदस्य भी थे। हम मामले की शुरुआत से ही उनके साथ खड़े हैं और हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम इस मामले को कतरी अधिकारियों के साथ भी उठाना जारी रखेंगे।

क्या है मामला?  

मामला पहली बार 30 अगस्त को सामने आया जब कतर की खुफिया एजेंसी ‘राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो’ ने आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों को गिरफ्तार किया। उन्हें बिना किसी आरोप के हिरासत में लिया गया और एकांत कारावास में भेज दिया गया था। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि उन पर जासूसी का आरोप लगाया गया था। जिसके बाद इसी साल अक्टूबर माह में कतर के कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टांस द्वारा मौत की सजा वाला फैसला सुनाया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेवानिवृत होने के बाद ये सभी नौसैनिक कतर की निजी कंपनी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एवं कंसल्टेंसीज सर्विसेज में काम कर रहे थे। यह कंपनी कतरी एमिरी नौसेना को ट्रेनिंग और अन्य सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी खुद को कतर रक्षा, सुरक्षा एवं अन्य सरकारी एजेंसी की स्थानीय भागीदार बताती है।

Karnataka: स्कूलों में हिजाब पहनने के मामले पर सियासत तेज, भाजपा ने किया विरोध तो कांग्रेस-RLD ने कही ये बड़ी बात.

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कर्नाटक में स्कूलों में हिजाब पहनने को लेकर एक बार फिर राजनीति शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को स्कूलों में हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को हटाने का ऐलान किया। इस कदम की जहां एक तरफ भाजपा ने आलोचना की, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने सही कदम बताया। आइए जानते हैं कि कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं की इस फैसले पर क्या राय है।

राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए-

कर्नाटक में स्कूलों में हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध हटाए जाने पर राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। राज्य की शिक्षा नीति में संस्कृति, अध्ययन और अन्य चीजें शामिल हैं।

जानिये क्या कहा प्रियांक खरगे ने ?

वहीं, कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा कि राज्य सरकार जो कुछ भी कर रही है वह कानून और संविधान के ढांचे के अनुसार है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास करने के लिए कोई काम नहीं है, उन्हें पहले अपने घर को संभालना चाहिए।

लोगों को दी गई है आजादी-

इसके अलावा, आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा, ‘संवैधानिक दृष्टिकोण से यह सही फैसला है। लोगों को आजादी दी गई है। अगर भोजन और पहनावे पर इस तरह के प्रतिबंध हैं, तो इससे आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी।’ 

भाजपा का हमला-

गौरतलब है, कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब की अनुमति देने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कम से कम शिक्षण संस्थानों को गंदी राजनीति से बचा सकते थे। अल्पसंख्यक या मुस्लिम समुदाय के किसी भी बच्चे ने हिजाब की मांग नहीं की है, लेकिन सीएम का दावा है कि वह स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में हिजाब की अनुमति देंगे। यह सीएम की मंशा को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यह सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति है और यह पूरी तरह से फूट डालो और राज करो की प्रथा है जिसका पालन कांग्रेस पार्टी करती है। हम इस कदम की कड़ी निंदा करते हैं।’

Uttarakhand: हिमालयी राज्यों को पछाड़ उत्तराखंड बना नंबर-1, NCRB की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा.

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उत्तराखंड तरक्की कर रहा है या नहीं ये तो नहीं पता लेकिन कुछ चीजें ऐसी है जिसमें प्रदेश का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है और अब तो उत्तराखंड हिमालयी राज्यों में टॉप पर पहुंच चुका है. पर इसमें खुश होने की नहीं बल्कि शर्म करने की जरूरत है क्योकि जिसमें उत्तराखंड नंबर 1 बना है उसमें कोई भी राज्य नंबर 1 नहीं बनना चाहता। अभी हाल ही NCRB की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है जिसने कानून व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है और पूरे प्रदेश को शर्मसार कर दिया है।

 

उत्तराखंड में महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए। इसमें हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, लद्दाख सहित 9 राज्य शामिल हैं। इसके तहत वर्ष 2022 में प्रदेश में महिला अपराध का ग्राफ वर्ष 2021 के मुकाबले 26 प्रतिशत ऊपर पहुंच गया है ।

NCRB की रिपोर्ट में खुलासा-

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट तो यही बता रही है। इसके तहत वर्ष 2022 में प्रदेश में महिला अपराध का ग्राफ वर्ष 2021 के मुकाबले 26 प्रतिशत ऊपर पहुंच गया। एनसीआरबी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में महिला अपराध के 3431 मामले सामने आए थे, जबकि वर्ष 2022 में ये संख्या बढ़कर 4 हजार 337 पहुंच गई, यानी एक वर्ष में 906 मामलों की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले वर्ष 2020 में 2 हजार 846 मामले सामने आए थे। इतना ही नहीं महिला अपराध में बढ़ोतरी को लेकर देशभर में स्थिति की बात करें तो उत्तराखंड छठे पायदान पर है। इस मामले में आंध्र प्रदेश सबसे ऊपर है, जहां महिला अपराध में 43.66 प्रतिशत का उछाल आया है।उत्तराखंड प्रदेश में बड़ी संख्या में विवाहित महिलाओं को घर के भीतर प्रताड़ना झेलनी पड़ी है हालांकि, कई राज्य ऐसे भी हैं जहां महिला अपराध में कमी आई है। सबसे अधिक 51 प्रतिशत की कमी असम में आई है।साल दर साल प्रदेश में मामले बढ़ रहे हैं बात करें तो साल  2020 में  2 हजार 446 जबकि साल 2021 में  3 हजार 431 जबकि यही आंकड़ा साल  2022 में बढ़कर 4 हजार 337 हो गयी है।

वर्ष 2022 में पुलिस के समक्ष 956 ऐसे मामले पहुंचे। इनमें महिलाओं को पति या उसके रिश्तेदार ने पीटा या अन्य प्रकार से प्रताड़ित किया। यही नहीं, उत्पीड़न से तंग आकर या अन्य कारणों से वर्षभर में 24 महिलाओं ने आत्महत्या जैसा कदम भी उठाया। तो वहीं अपहरण के मामले भी बढ़े, वर्ष 2022 में प्रदेश में महिला अपहरण के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2021 में 696 अपहरण के मामले सामने आए थे, जबकि वर्ष 2022 में 778 महिलाओं का अपहरण हुआ वहीं दुष्कर्म की कोशिश के भी 18 मामले सामने आए हैं।

उत्तराखंड जिसे देवभूमि कहा जाता है और अमूमन इसको एक अपराध मुक्त और शांत प्रदेश कहा जाता है,,लेकिन जिस तरह से प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं उसने कही न कहीं चिंता जरूर पैदा कर दी है,,वो भी खासकर महिला अपराध जिस तरह से प्रदेश में बढ़ा है वो काफी चिंताजनक है जिस तरह अब ये अपराध मैदानों से लेकर पहाड़ की शांत वादियों तक पहुंच चुके हैं उससे प्रदेश की चिंताएं जरूर बढ़ रही है,,,साथ ही एक सवालिया निशान प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी खड़े हो रहे हैं सरकार या उसका क़ानूनी तंत्र पूरी तरह से इन अपराधों के आगे बेबस नजर आ रहा है पिछले साल ही जिस तरह से अंकिता भंडारी केस हुआ था उसके बाद उम्मीद लगाई जा रही थी कि प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाया जायेगा लेकिन ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है उल्टा सरकार अंकिता के दोषियों को अभी तक सजा नहीं दिला पाई है।इस तरह की हीलाहवाली भी कहीं  न कहीं अपराधियों का हौसला बढ़ाने जैसा है।