मोबाइल की रिंग टोन में गूंजेगा राष्ट्रीय खेल का एंथम
राष्ट्रीय खेल सचिवालय की ओर से बीएसएनएल को भेजा जा रहा है पत्र
कूड़ा गाड़ियों से लेकर एफएम के जरिये भी प्रचार की तैयारी
आन बान शान ले, शौर्य का प्रमाण ले’ है राष्ट्रीय खेल एंथम
38 वें राष्ट्रीय खेल का एंथम ‘आन बान शान ले, शौर्य का प्रमाण ले’ जल्द ही आपको मोबाइल रिंग टोन में सुनाई दे सकता है। राष्ट्रीय खेल सचिवालय की ओर से इस संबंध में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को पत्र भेजा जा रहा है।
राष्ट्रीय खेल इस महीने की 28 तारीख से शुरू होने हैं। इसके लिए प्रचार अब तेज हो रहा है। राष्ट्रीय खेल के लिए ‘आन बान शान ले, शौर्य का प्रमाण ले’ एंथम तैयार किया गया है। इसका शुभारंभ 15 दिसंबर 2024 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया था। इस एंथम को प्रचारित प्रसारित करने के लिए कई स्तरों पर कार्य किया जा रहा है। जो एंथम तैयार किया गया है, वह काफी लंबा है। ऐसे में प्रचार की दृष्टि से एंथेम के सिर्फ 30 सेकेंड के हिस्से का इस्तेमाल किया जाएगा।
कूड़ा गाड़ियों से लेकर FM तक का होगा उपयोग-
नगर निकाय क्षेत्रों में रोजाना कूड़ा उठाने वाले वाहनों से भी राष्ट्रीय खेल का एंथम सुनाई दे सकता है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। एफएम समेत अन्य सभी प्रचार माध्यमों के इस्तेमाल पर विचार किया जा रहा है। कोशिश ये ही है कि जिन जनपदों में राष्ट्रीय खेलों की प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी हैं, वहां पर सफाई वाहनों व एफएम आदि से ज्यादा प्रचार किया जाए।
मोबाइल रिंग टोन में राष्ट्रीय खेलों का एंथम सुनाई दे, इसके लिए हमारी बीएसएनएल से बात हुई है। अब आधिकारिक पत्र भी भेजा जा रहा है। वहां से जवाब आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह, सफाई वाहन हो या फिर एफएम हम राष्ट्रीय खेलों के प्रचार के लिए ज्यादा से ज्यादा माध्यमों का उपयोग करना चाहते हैं। इसके लिए तैयारी की जा रही है।
अमित सिन्हा, विशेष प्रमुख सचिव खेल/मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय खेल
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यह है राष्ट्रीय खेल का एंथम-
आन बान शान ले, शौर्य का प्रमाण ले
एकत्र सर्वश्रेष्ठ है मैदान में
ना कोई विकल्प हो, संकल्प से शिखर तक
विजय गाथा लिख दें आसमान में।
पर्वतों की गोद में, गली-गली प्रमोद में
देवभूमि की धरा अखंड ये
हर घड़ी प्रयास में, आगमन की आस में
मेजबान आज उत्तराखंड ये।
उल्लास का यह पर्व है
हर किसी को गर्व है
मान हमको भारत विराट पर
जीत की हो कामना
खेल की हो भावना
जीत का तिलक है हर ललाट पर।
खेल है खिताब है, मेल है मिलाप है
समग्र अपने देश की है एकता
स्वागत सत्कार है
अपने देश की है ये विशेषता।
गूंज विजय नाद की, जोश में भरे सभी
दहाड़ते हैं आज आसमान में।
गरजते हैं जोर से
जो आए हर ओर से
ना कोई शिकन है ना गुमान है।
आन बान शान ले, शौर्य का प्रमाण ले
प्रदेश में 38वें राष्ट्रीय खेल 28 जनवरी से शुरू होंगे। इसके लिए बृहस्पतिवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी और खेल मंत्री रेखा आर्या ने मशाल (टार्च) रिले का शुभारंभ किया जो प्रदेश के 13 जिलों में 3823 किलोमीटर का सफर तय करेगी।
गौलापार स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के बैडमिंटन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि मशाल खिलाड़ियों को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उत्साहित करेगी। खिलाड़ियों को जीत के अपने संकल्प को इतना मजबूत करना होगा कि वे शिखर तक पहुंच सकें। खेल मंत्री रेखा आर्या ने खिलाड़ियों से कहा कि आप इन खेलों में इतिहास बदल दीजिए, हमें टॉप- 5 में आना है। इसके बाद सीएम और खेल मंत्री ने मशाल रैली को झंडी दिखाकर रवाना किया।
रैली काठगोदाम होते हुए वाहनों से नैनीताल रोड स्थित शहीद पार्क गई। यहां से मिनी स्टेडियम तक ओलंपियन राजेंद्र रावत समेत राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मशाल बदल-बदलकर दौड़ते गए। तेजस्विनी प्रदेश के सभी 13 जिलों से गुजरेगी, 27 जनवरी को देहरादून में रैली संपन्न होगी। उसके बाद 28 जनवरी से 14 फरवरी तक राष्ट्रीय खेल होंगे।
राष्ट्रीय खेलः 99 स्थानों में बिखरेगी मशाल की रोशनी
35 दिनों में 3823 किलोमीटर का रास्ता नापेगी मशाल रैली
अल्मोड़ा व पौड़ी जिले में सबसे ज्यादा 14-14 मशाल केंद्र
26 दिसंबर कोे हल्द्वानी से शुरू होने जा रही है मशाल रैली
38 वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए माहौल बनता जा रहा है। राष्ट्रीय खेलों की मशाल (टार्च) अब उत्तराखंड के कोने-कोने में घूमकर रोशनी फैलाने के लिए तैयार है। हल्द्वानी से गुरूवार 26 दिसंबर को मशाल रैली का आयोजन किया जा रहा है। इसके बाद, सभी 13 जिलों के 99 स्थानों पर यह मशाल घूमेगी और राष्ट्रीय खेलों के लिए जागरूकता फैलाएगी।
मशाल रैली का जो 35 दिन का रूट प्लान तैयार किया गया है, उसमें यह रैली 3823 किलोमीटर का सफर तय करेगी। 26 दिसंबर 2024 से 27 जनवरी 2025 तक मशाल रैली का कार्यक्रम तय किया गया है। मशाल रैली जिस दिन समाप्त होगी, उसके अगले दिन यानी 28 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय खेलों का विधिवत शुभारंभ हो जाएगा। मशाल रैली के रूट प्लान में सभी 13 जिलों को कवर किया गया है। सबसे ज्यादा 14-14 स्थान अल्मोड़ा व पौड़ी जैसे जिले में हैं, जहां पर मशाल घूमेेगी। जिस तरह का कार्यक्रम तय किया गया है, उसमेें मशाल किसी भी जिले में दो से तीन दिन तक ही रहेगी।
राष्ट्रीय खेलों के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मशाल रैली का हल्द्वानी से शुभारंभ किया जा रहा है। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है. मशाल रैली पूरे उत्तराखंड मेें घूमेगी। साथ ही साथ प्रचार केे लिए अन्य तमाम कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
Dehradun: 38वें राष्ट्रीय खेलों के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने तैयारियां तेज कर ली है। राष्ट्रीय खेल सचिवालय युद्धस्तर पर तैयारियों में जुटा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राष्ट्रीय खेलों की तैयारी चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ रही है। राज्य सरकार पहली बार उत्तराखण्ड में आयोजित हो रहे राष्ट्रीय खेलों के भव्य आयोजन के लिए प्रतिबद्ध है।
38वें राष्ट्रीय खेलों के अंतर्गत पांच खेलों के लिए पंजीकरण प्रणाली तय कर ली गई है। गेम्स टेक्निकल कंडक्ट कमेटी (जीटीसीसी) ने इस संबंध में निर्णय ले लिया है। पंजीकरण प्रणाली को तय करते हुए जीटीसीसी ने राज्य खेल संघों के लिए प्रविष्टि की अंतिम तिथि भी तय कर दी है। राज्य खेल संघों को तीन चरणों में तीन से 13 जनवरी तक प्रविष्टि सुनिश्चित करनी होगी। जिन खेलों के लिए पंजीकरण प्रणाली तय की गई है, उसमें हैंडबाॅल, बीच हैंडबाॅल, ताइक्वांडो, वाॅलीबाॅल और बीच वाॅलीबाॅल शामिल हैं।
पंजीकरण प्रणाली के अंतर्गत राष्ट्रीय खेल महासंघ अपने संबंधित खेलों के दिशा निर्देशों के अनुसार योग्य एथलीटों के नाम संबंधित राज्य खेल संघों को प्रदान करेंगे। एनएसएफ खेल सूची को संबंधित राज्य खेल संघों के साथ साझा करेगें। हैंडबाॅल और बीच हैंडबाॅल खेल के लिए वर्ष 2023 में गोवा में आयोजित 37वें राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने वाली शीर्ष सात टीमों को उत्तराखण्ड में 38वें राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
पांडवाज बैंड मचाएगा धूम-
राष्ट्रीय खेलों के दौरान देश भर के लोगों के सामने उत्तराखंड की संस्कृति को एक नए तेवर और कलेवर के साथ पेश करने की तैयारी है। इसकी शुरुआत मशाल यात्रा से की जा रही है। मशाल यात्रा के दौरान मशहूर पांडवाज बैंड के प्रदेश भर में कुल 5 शो आयोजित किए जाएंगे। इनके अलावा कमला देवी जैसे लोक कलाकारों से भी बातचीत की जा रही है और हर जनपद में एक या दो ऐसे बड़े आयोजन करने की योजना है, जो प्रदेश की संस्कृति को दिखाते हों।
ताइक्वांडो खेल में एथलीटों का चयन आईओसी/जीटीसीसी द्वारा नियुक्त चयन समिति के तहत देहरादून में आयोजित किया जाएगा। ये चयन सभी ताइक्वांडो एथलीटों के लिए खुले रहेंगे। व्यक्तिगत स्पर्धाओं के लिए प्रत्येक भार वर्ग में शीर्ष एथलीट (पुरूष व महिला) अपने-अपने राज्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए पात्र होंगे। टीम स्पर्धाओं में चयन समिति टीमों की रैंकिंग घोषित करेगी और शीर्ष आठ टीमें (पुरूष व महिला), जिनमें से प्रत्येक में तीन एथलीट पात्र होंगे। मिश्रित जोड़ी स्पर्धा के लिए, चयन समिति शीर्ष आठ जोड़ियां की सूची घोषित करेगी, जो भाग लेने के पात्र होंगे। इन परीक्षणों में योग्य एथलीटों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए मानकीकृत और पारदर्शी प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।
राष्ट्रीय खेलों के रंग में रंगा होगा गणतंत्र दिवस-
इस साल प्रदेश में हाेने वाले 26 जनवरी के आयोजन भी राष्ट्रीय खेलों के रंग में रंगे होंगे। स्कूल कालेजों में होने वाले आयोजनों में राष्ट्रीय खेलों से जुडे प्रतीकों की झांकियां भी शामिल की जाएंगी। इसके अलावा गणतंत्र दिवस पर हर स्कूल में राष्ट्रीय खेलों के महत्व और इसके इतिहास से बच्चों को परिचित कराया जाएगा। साथ ही उन्हें खेलों में बेहतर प्रदर्शन करने पर मिलने वाले लाभों की जानकारी भी दी जाएगी।
वाॅलीबाॅल और बीच वाॅलीबाॅल टीमों के लिए 2022 में अहमदाबाद, गुजरात में आयोजित 36वें राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने वाली राज्य टीमों (गुजरात को छोड़कर) को उत्तराखण्ड में 38वें राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। राज्य ओलंपिक संघों और संबंधित राज्य वॉलीबॉल संघों को वॉलीबॉल और बीच वॉलीबॉल के लिए टीम चयन परीक्षण आयोजित करने का अधिकार है। इन परीक्षणों में योग्य एथलीटों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए मानकीकृत और पारदर्शी प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत को विश्व कप 2023 के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 6 विकेट से हराया। इस हार के बाद सभी भारतीय खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम में थे और उनके भावुक होने की कई तस्वीरें भी सामने आई थी। रोहित शर्मा समेत तमाम सभी खिलाड़ी भावुक नजर आए। ऑस्ट्रेलिया से हार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ड्रेसिंग रूम में पहुंचकर भारतीय क्रिकेटरों से मुलाकात भी की। इसकी कई तस्वीरें सामने आई है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया।
जडेजा ने शेयर की तस्वीर-
भारत के स्टार ऑलराउंडर खिलाड़ी रविंद्र जडेजा ने पीएम मोदी के ड्रेसिंग रूम में आने की तस्वीर शेयर की है। उन्होंने लिखा कि- हमारा टूर्नामेंट बहुत अच्छा था, लेकिन फाइनल में हम हार गए। हम सभी दुखी हैं, लेकिन हमारे देश के लोगों का समर्थन हमें खूब आगे बढ़ा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ड्रेसिंग रूम में पहुंचे। उनका दौरा विशेष और बहुत प्रेरणादायक था।
प्रधानमंत्री ने शमी को लगाया गले-
शमी ने भी पीएम मोदी से मुलाकात की तस्वीर शेयर की है। उन्होंने लिखा है कि दुर्भाग्य से कल हमारा दिन नहीं था। मैं पूरे टूर्नामेंट के दौरान हमारी टीम और मेरा समर्थन करने के लिए सभी भारतीयों को खूब धन्यवाद देना चाहता हूं। विशेष रूप से ड्रेसिंग रूम में आने और हमारा उत्साह बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभारी हूं। हम फिर वापसी करेंगे!
अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया मैच के देखने के लिए कई बड़ी हस्तियां पहुंचीं थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दूसरी पारी के दौरान स्टेडियम में नजर आए। पीएम मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह नजर आए। फाइनल मुकाबले को देखने के लिए पीएम मोदी के अलावा बॉलीवुड हस्तियां भी पहुंचीं। शाहरूख खान, गौरी खान, आशा भोसले, अनुष्का शर्मा, आथिया शेट्टी समेत अन्य कई दिग्गज स्टेडियम में मौजूद रहे
ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस ने टॉस जीतकर गेंदबाजी का फैसला किया। भारतीय टीम 50 ओवर में 240 रन पर सिमट गई। ऑस्ट्रेलिया ने 43 ओवर में चार विकेट पर 241 रन बनाकर मैच को जीत लिया। कंगारू टीम के लिए ट्रेविस हेड ने 141 रन की मैज जिताऊ पारी खेली। मार्नश लाबुशेन ने नाबाद 58 रन बनाए। मिचेल मार्श 15, डेविड वॉर्नर सात, स्टीव स्मिथ चार रन बनाकर आउट हुए। ग्लेन मैक्सवेल ने नाबाद दो रन बनाए।
ऑस्ट्रेलिया छठी बार विश्व विजेता बना है। वहीं, भारत का तीसरी बार ट्रॉफी जीतने का सपना टूट गया। उसने टूर्नामेंट में लगातार 10 मैच जीते, लेकिन 11वें मुकाबले में टीम पिछड़ गई। भारत को दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में हार का सामना करना पड़ा है। पिछली बार 2003 में रिकी पोंटिंग की कप्तानी वाली टीम ने हराया था।
कोहली और राहुल ने लगाया अर्धशतक
इससे पहले भारत के लिए केएल राहुल ने सबसे ज्यादा 66 और विराट कोहली ने 54 रन बनाए। कप्तान रोहित शर्मा ने 47 और सूर्यकुमार यादव ने 18 रन बनाए। कुलदीप यादव ने 10 रनों का योगदान दिया। इन पांच खिलाड़ियों के अलावा कोई भी दहाई का आंकड़ा नहीं छू सका। रवींद्र जडेजा नौ, मोहम्मद शमी छह, श्रेयस अय्यर और शुभमन गिल चार-चार रन बनाकर आउट हुए। जसप्रीत बुमराह एक रन ही बना पाए। मोहम्मद सिराज नौ रन बनाकर नाबाद रहे। ऑस्ट्रेलिया के लिए मिचेल स्टार्क ने सबसे ज्यादा तीन विकेट लिए। पैट कमिंस और जोश हेजलवुड को दो-दो सफलता मिली। ग्लेन मैक्सवेल और एडम जम्पा ने एक-एक विकेट लिए।
विश्व कप में पहली बार ऑल आउट हुई भारतीय टीम
भारत के लिए इस मैच में विराट कोहली और केएल राहुल ने चौथे विकेट के लिए 67 रन की सबसे बड़ी साझेदारी की। रोहित शर्मा और विराट कोहली ने दूसरे विकेट के लिए 46 रन जोड़े। रोहित, कोहली और राहुल अच्छी शुरुआत को बड़ी पारी में नहीं बदल पाए। श्रेयस अय्यर, शुभमन गिल, सूर्यकुमार बड़े मौके पर फेल हो गए। भारत पहली बार इस विश्व कप में ऑल आउट हुआ है और मैच भी हार गया। इस तरह भारत का 10 साल का आईसीसी ट्रॉफी का सूखा अब भी जारी है।
भारतीय क्रिकेट टीम विश्व कप के फाइनल में पहुंच गई है। उसने बुधवार (15 नवंबर) को खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड को 70 रन से हरा दिया। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में मिली जीत के बाद भारतीय टीम फाइनल में पहुंच गई है। 19 नवंबर को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में उसका मुकाबला ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण अफ्रीका से होगा। वह भारत के मौजूदा कोच राहुल द्रविड़ का आखिरी मैच हो सकता है।
विश्व कप के बाद राहुल द्रविड़ का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। वह 2021 में टी20 विश्व कप के बाद टीम के कोच बने थे। रवि शास्त्री की जगह उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बीसीसीआई ने द्रविड़ के साथ दो साल का अनुबंध किया था, जो विश्व कप के बाद समाप्त हो जाएगा। ऐसे में अगर उन्हें नया अनुबंध नहीं मिलता है तो बतौर भारतीय कोच यह उनका आखिरी मुकाबला होगा। वह ट्रॉफी के साथ विदा होना चाहेंगे।
राहुल ने बदली बोर्ड के अधिकारियों की धारणा-
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीसीसीआई ने द्रविड़ के साथ अब तक नए अनुबंध को लेकर कोई बात नहीं की है। भारत के पूर्व कप्तान और उनके सहयोगी स्टाफ के पास विश्व कप तक का अनुबंध था और कोचिंग टीम के भविष्य को लेकर बीसीसीआई के भीतर अलग-अलग दृष्टिकोण थे। शुरुआत में द्रविड़ की कोचिंग शैली को लेकर बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारियों को आपत्ति थी, लेकिन भारतीय टीम के हालिया प्रदर्शन ने उन धारणाओं को बदल दिया है।
क्या द्रविड़ कोच पद पर बने रहना चाहते हैं?
भारत विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और पूरे टूर्नामेंट में अब तक एक भी मैच नहीं हारा है। ऐसे में अनुबंध नवीनीकरण या विस्तार की संभावना प्रबल हो सकती है। हालांकि, अहम सवाल यह है कि क्या द्रविड़ खुद भी पद पर बने रहने के इच्छुक हैं। जब उन्होंने 2021 में पदभार संभाला तो शुरुआती धारणा यह थी कि वह एक अनिच्छुक कोच थे। उनके कुछ करीबी लोगों ने सुझाव दिया था कि टीम के प्रदर्शन की परवाह किए बिना वह विश्व कप के बाद स्वेच्छा से पद छोड़ सकते हैं। हालांकि, संभावित विस्तार पर द्रविड़ का वर्तमान रुख किसी को पता नहीं है। पिछले महीने या उससे पहले द्रविड़ से उनके भविष्य को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने अपने काम पर ध्यान केंद्रित किया है।
द्रविड़ कोच पद पर रहे या नहीं, यह अनुमान है कि उनके सहयोगी स्टाफ के सदस्यों का अनुबंध बढ़ाया जा सकता है। बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़, गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे और क्षेत्ररक्षण कोच टी दिलीप को आगे टीम के साथ जोड़े रखा जा सकता है।
ऑस्ट्रेलिया सीरीज में लक्ष्मण हो सकते हैं कोच –
वीवीएस लक्ष्मण के नेतृत्व में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के कोच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 23 नवंबर से शुरू होने वाली टी20 सीरीज के दौरान टीम इंडिया के साथ रहेंगे। यह व्यवस्था बीसीसीआई को द्रविड़ के भविष्य पर निर्णय को अंतिम रूप देने के लिए कुछ समय देती है। बीसीसीआई ने अभी तक टी20 सीरीज के लिए टीम के चयन की तारीख की पुष्टि नहीं की है। अनुमान है कि टीम की घोषणा फाइनल के अगले दिन यानी 20 नवंबर को हो सकती है। इसके दो दिन बाद विशाखापत्तनम में पहला मैच होगा।
एक लड़का जो गली मोहल्ले में क्रिकेट खेलते हुए ख्वाब सजा लेता है कि वो क्रिकेटर बनेगा उस लड़के का दिन के उजाले में देखा गया ये ख्वाब जुनून बनता जाता है। उस लड़के को लगता है कि कोई एकेडमी ज्वाइन करने पर उसके खेल में निखार आ जाएगा तो वो और कमाल का क्रिकेट खेलने लगेगा, मगर गरीबी का दंश कई बार टैलेंट को निगल जाता है। वही उस लड़के के साथ हुआ। लेकिन वो लड़का पढ़ने में काफी बुद्धिमान था। तब उसने बच्चों को ट्यूशन देना शुरू कर दिया। मगर उस शौक का क्या करता जो उसके अंदर समंदर की तरह मौजें मार रहा था। क्रिकेट का शौक उसे बच्चों की एकेडमी ले जाता है। वो बच्चों को क्रिकेट खेलना सिखाने लगता है। बच्चे सीख कर जब अच्छा परफॉर्म करते तो उसे लगता है जैसे उसके खुद के खेल में निखार आ रहा है। और वो बच्चों की कामयाबी को अपनी खुशी मान लेता। फिर एक दिन किस्मत उसे हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से असिस्टेंट फील्डिंग कोच की जॉब दिला देती है।
ये लड़का कोई और नहीं T दिलीप था। वही टी दिलीप जो फिलहाल वर्ल्ड कप 2023 में खेल रही टीम इंडिया के फील्डिंग कोच हैं। टी दिलीप ऐसे कोच बनकर उभरे हैं कि मैदान पर टीम इंडिया पूरी तरह से स्पाइडरमैन बनी नज़र आ रही है। लिहाजा ये कहानी टी दिलीप की है।
तारीख 22 अक्टूबर 2023, उस रोज धर्मशाला के मैदान पर थीं न्यूजीलैंड और भारत की टीमें। भारत 20 साल से न्यूजीलैंड को हराने की कोशिश कर रहा था, मगर कामयाबी नहीं मिल रही थी। इस बार ऐसा जादू हुआ कि मोहम्मद शमी के 5 विकेट के दम पर टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड को 273 के स्कोर पर रोक दिया। और फिर भारत ने 4 विकेट से न्यूजीलैंड को करारी शिकस्त दे डाली।
इस मैच में जिस तरह श्रेयस अय्यर ने हवा में उड़कर न्यूजीलैंड के बल्लेबाज डेवोन कॉन्वे का कैच लपका उसने सुर्खियां बटोर लीं। कैच लपकते ही श्रेयस ने एक इशारा किया। ये इशारा था अपने फील्डिंग कोच टी दिलीप के लिए। जिसका मयना था कि कोच साहब ज़रा इस कैच को उस वक्त याद रखना जब आप बेस्ट फील्डर का मेडल देने का ऐलान करो। टी दिलीप जब से टीम इंडिया के फील्डिंग कोच बने हैं, तब से उन्होंने ड्रेसिंग रूम में बेस्ट फील्डिंग करने वाले इंडियन प्लेयर को मेडल देने की व्यवस्था की है। और इस मेडल को पाने के लिए सभी खिलाड़ी लालायित रहते हैं। यही वजह है कि कोई भी चूक वो मैदान पर नहीं करना चाहते,,
उस रोज मैच में कॉन्वे ने सिराज की गेंद पर लेग साइड में मारा और स्क्वायर लेग पर फिल्डिंग में लगे श्रेयस ने हवा में गोता लगाकर एकदम स्पाइडर रैन की तरह ये कैच लपक लिया।
मैच खत्म होने के बाद टीम ड्रेसिंग रूम में पहुंची। तो बेस्ट फिल्डिंग का मेडल देने के लिए सभी जमा हो गए। इस मौके पर टी दिलीप ने कहा, भारत ने इस मैच में कई कैच छोड़े, लेकिन कई खिलाड़ियों ने शानदार फील्डिंग भी की और कैच भी पकड़े। एक खिलाड़ी पानी में मछली की तरह नजर आया, उसने स्क्वेयर लेग पर शानदार कैच लपका और फील्डिंग में भी कई अहम बचाव किए। इस मैच का बेस्ट फील्डर का मेडल उसे दिया जाता है। इतना कहने के बाद टी दिलीप ने प्लेयर का नाम नहीं लिया, बल्कि उसे और इंटरेस्टिंग बनाने के लिए स्पाइडर कैम का सहारा लिया। हवा में चलते हुए स्पाइडरमैन की तरह स्पाइडर कैम आया, उस पर मेडल को जीतने वाले खिलाड़ी श्रेयस अय्यर की तस्वीर लटकी थी। ये देखकर सभी खिलाड़ी खुशी से उछल पड़े.
कितना कूल और कितना एक्साइटेड माहौल क्रिएट कर दिया टी दिलीप ने। तभी तो मैदान पर टीम की एकजुटता बता रही है कि कैसे उसके सामने कोई भी धुरंधर टिक नहीं पा रहा है। इसमें कोई शक नहीं टीम प्लेयर टैलेंटेड और मजबूत है। मगर जिस तरह टीम इंडिया परफॉर्म कर रही है, उसके पीछे टी दिलीप जैसे कई लोगों की मेहनत शामिल है। फील्डिंग कोच जिस तरह टीम के लिए अपने एफर्ट लगा रहे हैं वो बेहद ही काबिले तारीफ हैं। लेकिन टी दिलीप का यहां तक पहुंचना, उनके शौक और जज़्बे की बेमिसाल कहानी है। वो उस ख़्वाब को ताबीर दे रहे हैं, जो वो बचपन में देखा करते थे कि काश मैं भी टीम इंडिया के लिए क्रिकेट खेलूं। भले वो कोई फर्स्ट क्लास मैच ना खेले हों, मगर जिस तरह उन्होंने फील्डिंग के लिए खिलाड़ियों को तैयार किया है, वो यकीनन उनके खेलने जैसा ही है।
उन्होंने कैसे किया ये सब?
हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन ने जब टी दिलीप को असिस्टेंट फील्डिंग कोच बनाया तो उन्होंने शादी करने का प्लान पोस्टपोन कर दिया। उन्हें लगा अगर शादी की तो जिम्मेदारियों में क्रिकेट पर फोकस नहीं कर पाऊंगा। उनका लक्ष्य सिर्फ नेशनल क्रिकेट एकेडमी से जुड़ना था। किस्मत भी शायद उनके जुनून और मेहनत के सामने रेड कारपेट बिछा रही थी। आईपीएल टीम डेक्कन चार्जर्स में उन्हें नौकरी करने का मौका मिल गया। यहां उन्होंने क्रिकेट की बारीकियों पर रिसर्च कर डाली। और फिर जब नैशनल क्रिकेट एकेडमी में उन्हें जॉइनिंग मिल गई, तो ना जाने कितने ऑफर उनके पास आने लगे। पैसे की पेशकश की जाने लगी। मगर दिलीप ने तो सिर्फ नैशनल क्रिकेट एकेडमी का ख्वाब देखा था, जो मुकम्मल हो रहा था। साल 2017 में इंडिया ए की टीम बांग्लादेश गई, उनके साथ फील्डिंग कोच बनकर टी दिलीप भी गए। यहीं उनकी मुलाक़ात राहुल द्रविड़ से हुई। इसके बाद उन्हें टीम इंडिया का फील्डिंग कोच चुन लिया गया।
टी दिलीप जानते थे कि टीम इंडिया में सारे कीमती मोती हैं, मगर जब तक उनको एक माला में नहीं पिरोया गया, वो बिखरे रहेंगे। उसी दौरान उन्होंने बेस्ट फिल्डिंग मेडल देने का प्रस्ताव सामने रखा। और ये एक अच्छा आइडिया था। इससे मैदान पर खिलाड़ियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई। जिसके नतीजे अब हमारे सामने आने लगे हैं। दिलीप की कामयाबी के सबूत मैदान पर देखने को मिल रहे हैं। जैसे ही कोई खिलाड़ी बेस्ट फील्डिंग करता है तो इशारा करता है, वो इशारे से जताना चाहते हैं, जनाब ये मैंने मेडल वाली फील्डिंग की है।
इतना ही नहीं टी दिलीप उस मेडल को देने के लिए भी सेरेमनी को दिलचस्प बना दे रहे हैं, इससे खिलाड़ियों का उत्साह हर मैच को जीतने के बाद अगले मैच में और भी शानदार प्रदर्शन करने के लिए बढ़ रहा है। टीम इंडिया अपनी परफॉर्मेंस के लिए बधाई की पात्र है, तो टीम इंडिया की कामयाबी के लिए जुटे टी दिलीप जैसे लोग भी बधाई के पात्र हैं। भले ही टी दिलीप के पास कोई मेडल या रेकॉर्ड ना हो। भले कोई बड़ा मैच ना खेला हो। मगर आज उनका जुनून मैदान पर क्रिकेट खेलकर उनका ख्वाब पूरा कर रहा है।
आज भारत विश्व कप 2023 जीतने से बस एक कदम दूर है, अगर भारत इस बार विश्व कप जीतता है तो एक बार फिर इतिहास रचा जाएगा,जैसा टीम इंडिया इस समय खेल रही है, उसे देख ये कोई मुश्किल काम नहीं लग रहा,अगर भारत विश्व कप जीतने में कामयाब हो गया तो कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा के अलावा टी दिलीप का सबसे बड़ा योगदान होगा,क्योकि पर्दे के पीछे टीम इंडिया को निखारने मे सबसे बड़ा काम उन्होंने ही किया है, जिस तरह टीम इंडिया इस समय खेल रही है उसमें टी दिलीप की बड़ी भूमिका है देश को भी भारत की टीम से इस बार कप की आशा है.