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Uttarakhand: मौन पालन को बढ़ावा.. CM आवास परिसर में निकाला गया शहद, 200 किलो तक रखा गया लक्ष्य.

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मुख्यमंत्री आवास परिसर में मंगलवार को शहद निष्कासन कार्य किया गया। पहले चरण में 57 किलोग्राम शहद निकाला गया। इस बार लगभग 200 किलोग्राम तक शहद के निकालने का लक्ष्य रखा गया।

मुख्यमंत्री ने बी-कीपिंग कार्य को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लेते हुए शहद महोत्सव आयोजित करने के लिए उद्यान विभाग को निर्देश दिए। जिसमें मधुमक्खी द्वारा तैयार किए जाने वाले समस्त प्रोडक्ट महोत्सव में रखने और हर वर्ष शहद महोत्सव की एक तिथि भी निर्धारित करने को कहा।

सीएम ने कहा कि उत्तराखंड में मौन पालन की अपार संभावनाएं हैं। राज्य में बहुत मात्रा में फूलों की प्रजातियां हैं, जो उच्च गुणवत्ता वाले जैविक शहद उत्पादन में सहायक हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में औषधीय गुणों वाला शहद तैयार करने के लिए लोगों को प्रशिक्षण दिया जाए। मौन पालन को बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए।

इस अवसर पर उद्यान प्रभारी दीपक पुरोहित और चेयरमैन देवभूमि पर्वतीय ग्रामोद्योग विकास संस्थान हरबर्टपुर अजय कुमार सैनी मौजूद थे।

Avalanche Warning: उत्तराखंड के इन 3 जिलों में अगले 24 घंटे हिमस्खलन की चेतावनी, DGRE ने जारी किया अलर्ट.

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रक्षा भू सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान चंडीगढ़ ने उत्तराखंड के तीन जिलों में हिमस्खलन को लेकर चेतावनी दी है। कहा गया है कि चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ जिले में अगले 24 घंटे में 2950 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में हिमस्खलन हो सकता है।

चीन सीमा पर माणा के पास बीते सप्ताह हिमस्खलन हुआ था, जिसकी चपेट में 55 मजदूर आ गए थे। इनमें से 46 को सुरक्षित निकाला गया, जबकि आठ की मौत हो गई थी। श्रमिकों को निकालने के लिए तीन दिन तक रेस्क्यू अभियान चला।

 

 

माणा हिमस्खलन की घटना के बाद माणा-माणा पास हाईवे का चौड़ीकरण कार्य पीछे खिसक गया है। हाईवे पर सुधारीकरण व चौड़ीकरण कार्य वर्ष 2027 के अक्तूबर माह में पूर्ण होना था, लेकिन इस घटना से कार्य की रफ्तार धीमी पड़ने के आसार हैं। बीआरओ ने मजदूरों के ठहरने के लिए नए कंटेनर स्थापित करने के लिए बदरीनाथ से माणा के बीच सुरक्षित स्थान की ढूंढ भी शुरू कर दी है।

दो से तीन फीट तक बर्फ जमी-

अभी इस क्षेत्र में दो से तीन फीट तक बर्फ जमी है। बर्फ पिघलने के बाद सबसे पहले मजदूरों को रहने के लिए नए कंटेनर स्थापित किए जाएंगे। पिछले दो साल से माणा गांव-माणा पास हाईवे का सुधारीकरण और चौड़ीकरण कार्य चल रहा है। बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) की ओर से प्राइवेट फर्म को हाईवे चौड़ीकरण का काम सौंपा गया है।इसके लिए क्षेत्र में मजदूर निवासरत थे। ये मजदूर हाईवे चौड़ीकरण कार्य करने के बाद रात्रि विश्राम के लिए माणा पास इंट्री गेट के समीप स्थापित कंटेनर में पहुंच जाते हैं। यहां मजदूरों के आठ कंटेनर और एक शेल्टर था। जो अब हिमस्खलन की चपेट में आने से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। यदि मौसम साफ रहा तो अप्रैल माह के अंत तक सीमा क्षेत्र में बर्फ पिघल सकेगी।

Vasantotsav 2025: राजभवन में आज से शुरु हुआ वसंतोत्सव का आगाज.. राज्यपाल ने किया 3 दिवसीय पुष्प प्रदर्शनी का शुभारंभ.

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राजभवन में आज शुक्रवार से रंग-बिरंगे फूलों का मेला लग गया है। तीन दिवसीय वसंतोत्सव-2025 (पुष्प प्रदर्शनी) का शुभारंभ राज्यपाल ने किया। पहले दिन दोपहर एक से शाम छह बजे और आठ व नौ मार्च को सुबह नौ से शाम छह बजे तक जनसामान्य को राजभवन में निशुल्क प्रवेश मिलेगा।

इस आयोजन में 15 मुख्य प्रतियोगिताओं की कुल 55 उप-श्रेणियां शामिल हैं, जिनमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जाएगा। निर्णायक मंडल की ओर से चयनित विजेताओं को नौ मार्च को कुल 165 पुरस्कार दिए जाएंगे।

वेबसाइट पर कर सकते हैं पंजीकरण-

राज्यपाल के निर्देशन में इस वर्ष वसंतोत्सव में कई नवीन पहल शुरू की गई हैं। उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय ने इस आयोजन में आने वाले लोगों की गणना के लिए एआई एप्लिकेशन तैयार किया है। जिसके लिए राजभवन के मुख्य द्वार पर एआई इनेबल कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा वसंतोत्सव में आने वाले आगंतुक वेबसाइट www.vmsbutu.it.com पर भी पंजीकरण कर सकते हैं, जहां रजिस्ट्रेशन करने पर आगंतुक की सुविधा के लिए एक आई-कार्ड जनरेट होगा, यह रजिस्ट्रेशन ऐच्छिक होगा।

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आईटीडीए की ओर से फीडबैक सिस्टम के लिए क्यूआर कोड लगाए गए हैं, जिससे आगंतुक अपने सुझाव और अनुभव साझा कर सकते हैं। इस पहल का उद्देश्य वसंतोत्सव को और अधिक प्रभावी और आकर्षक बनाना है। वसंतोत्सव-2025 न केवल पुष्प प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अनुभव होगा, बल्कि यह नवाचार और तकनीकी विकास के नए आयाम भी स्थापित करेगा।

 

राजभवन में वसंतोत्सव के दौरान छावनी क्षेत्र में मार्ग रहेंगे परिवर्तित-

न्यू कैंट रोड स्थित राजभवन में वसंतोत्सव के तहत आयोजित होने वाली पुष्प प्रदर्शनी को लेकर पुलिस ने यातायात प्लान लागू किया है। कैंट क्षेत्र में कई मार्ग परिवर्तित रहेंगे। पुष्प प्रदर्शनी में आने वाले अधिकारियों के वाहन शौर्य स्थल के पास खाली मैदान में खड़े कराए जाएंगे। इसके अलावा प्रदर्शनी में आने वाले लोगों के निजी वाहन एनेक्सी तिराहा से आठवीं गढ़वाल राइफल के फुटबाल ग्राउंड में खड़े कराए जाएंगे। वहीं, बिंदाल और गढ़ी कैंट की ओर से आने वाले लोगों के वाहन महिंद्रा पार्क में खड़े कराए जाएंगे। एनेक्सी तिराहा से बीजापुर गेस्ट हाउस की ओर जाने वाले वाहनों को एनेक्सी तिराहा से सीएसडी तिराहा की ओर भेजा जाएगा। इस दौरान एनेक्सी तिराहा से बीजापुर गेस्ट हाउस की ओर वन-वे रहेगा। राजभवन के बाहर यातायात का दबाव होने पर प्लान के अनुसार वाहन भेजे जाएंगे। इस दौरान महिंद्रा ग्राउंड और आरटी ग्राउंड से शटल सेवा भी मिलेगी।

PM Modi Uttarakhand Visit: मुखबा को मिली नई उम्मीद, CM धामी की थपथपाई पीठ, पढ़ें पीएम मोदी के भाषण की कुछ खास बातें.

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एक दिवसीय दौरे पर मुखबा-हर्षिल पहुंचे प्रधानमंत्री, उत्तराखंड में अब घाम तापो पर्यटन, नए विजन का मंत्र दे गए। उन्होंने कहा कि ये दशक उत्तराखंड का है, प्रगति के लिए नए रास्ते खुले हैं। उनका दौरा कई मायनों में यादगार बन गया। जाते-जाते वह शीतकाली यात्रा के लिए सीएम धामी की पीठ थपथपाकर भी गए। वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो भारत-तिब्बत सीमा से जुड़े उत्तराखंड के चमोली और पिथौरागढ़ सीमावर्ती जिलों के बाद अब उत्तरकाशी के मुखबा और हर्षिल पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज होगा। वो देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल पहुंचेंगे।

चारधाम शीतकालीन यात्रा का संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को सीमांत जिले उत्तरकाशी के गंगोत्री धाम के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा और हर्षिल की यात्रा पर पहुंचे। पीएम सुबह भारतीय वायु सेना के विशेष विमान से सुबह जौलीग्रांट स्थित देहरादून एयपोर्ट पहुंचे। यहां से उन्होंने एमआई-17 से उत्तरकाशी के लिए उड़ान भरी।

गंगा मंदिर में पूजा अर्चना की-
प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा में दर्शन किए। उन्होंने करीब बीस मिनट तक गर्भगृह में पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही पीएम मोदी के नाम एक रिकॉर्ड दर्ज हो गया। वह देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो  मां गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल पहुंचे। यहां उन्होंने सबसे पहले मां गंगा के शीतकालीन प्रवासस्थल मुखबा स्थित गंगा मंदिर में पूजा अर्चना की।

पीएम ने 20 मिनट तक मां गंगा की विशेष पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद पीएम मोदी ने हर्षिल की खूबसूरत वादियों का दीदार किया। पीएम ने मुखबा मंदिर और हर्षिल व्यू प्वाइंट से वादियों का निहारा। इसके बाद पीएम ने हर्षिल में ट्रैकिंग व बाइक रैली को फ्लैग ऑफ किया। गंगा आरती के बाद प्रधानमंत्री ने हर्षिल में जनसभा को संबोधित किया।

पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें-

 

  • पीएम मोदी ने गढ़वाली भाषा में अपने भाषण की शुरुआत की। कहा- म्यारा प्यारा भाई भेणी, मेरी सयवा सोंदी।
  • कहा कि मां गंगा ने मुझे बुलाया है। मुझे लगता है कि मां गंगा ने मुझे गोद ले लिया है।
  • पीएम मोदी ने सरकार को बारहमासी पर्यटन का विजन दिया। कहा इससे सालभर रहने वाले रोजगार के अवसर मिलेगा।
  • पीएम ने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का बन रहा है। कहा कि उत्तराखंड की प्रगति के लिए नए रास्ते खुले हैं। उन्होंने शीतकालीन पर्यटन को महत्वपूर्ण कदम है।
  • पीएम ने कहा कि घाम तापो पर्यटन उत्तराखंड के नया आमाम लेकर आएगा।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि माणा, जादूंग, टिम्मरसैंण में तेजी से पर्यटन बढ़ रहा है। ऐसी व्यवस्था करेंगे जिससे  उत्तराखंड हर सीजन में ऑन सीजन रहेगा।
  • प्रधानमंत्री ने लोगों से उत्तराखंड में आकर शादी करने की अपील की। उन्होंने कहा कि डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए उत्तराखंड को चुने। साथ ही उन्होंने फिल्मों की शूटिंग के लिए उत्तराखंड को बेहतर बताया।
  • उत्तराखंड में 50 टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित करने की बात पीएम मोदी ने कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है।
  • कॉरपोरेट घरानों से आग्रह किया कि वह अपनी बैठकों के लिए उत्तराखंड आएं।
  • पीएम मोदी ने कहा कि यहां विंटर योगा सेशन आयोजित किए जाएं।
  • पीएम ने सरकार से कहा कि सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के लिए प्रतियोगिता आयोजित करें। वह उत्तराखंड के विंटर टूरिज्म पर शॉर्ट फिल्म बनाएं। जो सबसे अच्छी बनाएं उन्हें इनाम दें। इससे प्रदेश के खूबसूरत स्थलों की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी।

चीणा का भात और फाफरे के पोले…पहाड़ी भोज के मुरीद हुए मोदी-

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहाड़ से हमेशा ही प्रेम रहा है। वह यहां जब भी आते हैं तो कुछ नया जरूर करते हैं। आज वह सीमांत गांव उत्तरकाशी के मुखबा में मां गंगा की पूजा के लिए पहुंचे। पूजा के बाद उन्होंने पहाड़ी खाने का स्वाद चखा। जानकारी के अनुसार, पीएम मोदी ने स्थानीय उत्पाद चीणा का भात और फाफरे के पोले और क्षेत्र की स्वादिष्ट राजमा के साथ बद्री गाय की दही मठ्ठा का सेवन किया। चीणा और फाफरा का उत्पादन जनपद के हर्षिल घाटी और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होता है। तो वहीं यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होता है। मुखबा में स्थानीय महिलाओं ने यह पकवान तैयार कर पीएम मोदी को परोसा।

पीएम मोदी ने किया हर्षिल की मनमोहक वादियों का दीदार, नजारा देख हुए मंत्रमुग्ध

प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले मां गंगा के शीतकालीन प्रवासस्थल मुखबा स्थित गंगा मंदिर में पूजा अर्चना की। पीएम ने 20 मिनट तक मां गंगा की विशेष पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद पीएम मोदी ने हर्षिल की खूबसूरत वादियों का दीदार किया। पीएम ने मुखबा मंदिर और हर्षिल व्यू प्वाइंट से वादियों का निहारा। इसके बाद पीएम ने हर्षिल में ट्रैकिंग व बाइक रैली को फ्लैग ऑफ किया। हर्षिल उत्तराखंड का ऐसा पर्यटन स्थल है जो हिमालय की गोद में शांति और सुकून की तलाश करने वाले लोगों के लिए एक दम मुफीद है। यह समुद्र तल से 2500 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर भागीरथी नदी के तट पर स्थित है। सर्दियों में यहां की वादियां बर्फ से लकदक नजर आती हैं। वहीं, गर्मियों में यहां का नजारा हरियाली से भरपूर दिखता है। यहां कई ट्रेकिंग रूट भी हैं जहां का पर्यटक दीदार कर सकते हैं।

 उत्तराखंड में अब घाम तापो पर्यटन, नए विजन का मंत्र दे गए मोदी

हर्षिल में जनसभा को संबोधिl करते हुए पीएम मोदी ने जहां सरकार को विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए खास मंत्र दिया वहीं, लोगों से विंटर सीजन में उत्तराखंड आने की अपील भी की।

Haridwar News: सीएम धामी बोले- इस बार चारधाम यात्रा होगी और बेहतर, लगातार की जा रही है समीक्षा.

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चारधाम यात्रा इस बार सुगम होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्वस्त किया कि चारधाम यात्रा को लेकर लगातार समीक्षा की जा रही है, जिससे कि यात्रियों को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़ा।

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस बार चार धाम यात्रा और बेहतर होगी। आने वाले सभी श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों के लिए हर चीज व्यवस्थित हो, सुविधाजनक यात्रा हो, लोगों को कम से कम कष्टों का सामना करना पड़े, हर मामले में हम लगातार समीक्षा कर रहे हैं।

 

 

सीएम धामी ने कहा कि पिछले वर्षों के अनुभव के आधार पर यात्रा को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

Uttarakhand: प्रमोशन की चाह रखने वाले सभी कर्मचारियों की मुराद होगी पूरी…पूरे सेवा काल में एक बार मिलेगी प्रमोशन के मानकों में छूट.

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प्रमोशन की चाह रखने वाले उन सभी कर्मचारियों की मुराद अब पूरी हो जाएगी, जिनके विभाग में ऊपर का पद खाली है और वे इस पद पर प्रमोशन के लिए तय अहर्ता का 50 फीसदी पूरा करते हैं। प्रदेश मंत्रिमंडल ने राज्य कर्मचारियों को उनके पूरे सेवाकाल में एक बार प्रमोशन के मानकों में छूट देने का फैसला किया है।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद समेत कई अन्य कर्मचारी संगठन पिछले काफी समय से पदोन्नति में शिथिलीकरण की नियमावली को लागू करने की मांग कर रहे थे। उनकी मांग पर सरकार ने इसे लागू किया भी था। लेकिन इसके लिए एक निश्चित समयावधि तय कर दी थी। लेकिन कर्मचारियों की लगातार मांग के बाद अब सरकार ने इसे फिर से लागू कर दिया है और इसके लिए कोई समय अवधि तय नहीं की है।

इस निर्णय से उन कर्मचारियों को लाभ होगा, जिनके पद से ऊपर वाला पद लंबे समय से खाली है और वे उस पद के लिए 50 प्रतिशत अहर्ता पूरी करते हैं। मिसाल के तौर पर यदि किसी पद पर पदोन्नति के लिए 10 साल की सेवा निर्धारित है और वह पद रिक्त है तो इससे नीचे के पद पर कार्यरत कर्मचारी सिर्फ पांच साल की सेवा अवधि में पदोन्नति के लिए पात्र हो जाएगा। लेकिन यह छूट उन कर्मचारियों व अधिकारियों को नहीं मिलेगी, जो प्रोबेशन अवधि में हैं।

मांग पूरी होने पर कर्मचारी संगठनों में खुशी-

प्रमोशन में शिथिलीकरण की मांग पूरी होने पर कर्मचारी संगठनों में खुशी की लहर है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पांडेय ने कहा कि उनके अधिवेशन में इस मांग को प्रमुखता से रखा गया था और सरकार से शिथिलीकरण सेवा नियमावली को लागू करने की मांग की गई थी। हमें खुशी है कि अधिवेशन के बाद हमारी यह मांग मान ली गई।

चैंपियन से विवाद के बीच MLA उमेश के कैंप कार्यालय पर नकाबपोशों ने की फायरिंग, घटना CCTV में कैद

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उत्तराखंड में खानपुर विधायक उमेश कुमार के रुड़की स्थित कैंप कार्यालय के बाहर नकाबपोश बदमाशों ने कई राउंड हवाई फायरिंग कर दी। फायरिंग से कैंप कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों में दहशत फैल गई। फायरिंग की घटना कैंप कार्यालय के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। मामले में पुलिस ने अज्ञात में केस दर्ज कर फायरिंग करने वालों की तलाश शुरू कर दी है।

 

बता दें कि खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और पूर्व विधायक चैंपियन के बीच जनवरी माह में विवाद हुआ था। जिसके बाद चैंपियन ने 26 जनवरी को समर्थकों के साथ रुड़की स्थित उमेश कुमार के कैंप कार्यालय पर पहुंचकर उनके समर्थकों से मारपीट कर दी थी। साथ ही कई राउंड हवाई फायरिंग कर दी थी। जबकि उमेश भी पिस्टल लेकर चैंपियन के कार्यालय की तरफ दौड़े थे। मामले में पुलिस ने दोनों पक्षों पर केस दर्ज कर लिया था। साथ ही चैंपियन और उनके समर्थकों को जेल भेज दिया था। तभी से चैंपियन जेल में ही बंद है। इसे लेकर पुलिस की ओर से गंगनहर पटरी किनारे स्थित दोनों के कैंप कार्यालय पर सुरक्षा बढ़ा दी थी। लेकिन अब एक बार फिर विधायक उमेश कुमार के कैंप कार्यालय पर नकाबपोश बदमाशों ने हवाई फायरिंग कर पुलिस की चिंता फिर से बढ़ा दी है।

 

दरसअल, बृहस्पतिवार की अलसुबह बाइक सवार नकाबपोश बदमाश विधायक उमेश के कैंप कार्यालय के बाहर पहुंचे और हवाई फायरिंग कर दी। कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों ने घटना की सूचना विधायक उमेश कुमार और उनके निजी सचिव जुबैर काजमी को दी। वहीं, सूचना मिलते ही पुलिस में भी खलबली मच गई। पुलिस मौके पर पहुंची और घटना की जानकारी ली। इस दौरान पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे चेक किए तो नकाबपोश संदिग्ध फायरिंग करते भी दिखे। मामले में निजी सचिव की ओर से सिविल लाइंस कोतवाली में पुलिस को तहरीर दी गई है। एसपी देहात शेखर चंद्र सुयाल ने बताया कि तहरीर के आधार पर अज्ञात बदमाशों पर केस दर्ज कर लिया है। साथ ही आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के आधार पर बदमाशों और उनकी बाइक की पहचान की जा रही है। जल्द ही घटना का खुलासा किया जाएगा।

 

24 फरवरी को हटी थी पुलिस सुरक्षा

विधायक उमेश कुमार के कैंप कार्यालय के बाहर और अंदर 26 जनवरी की घटना के बाद से पुलिस तैनात की गई थी। अब मामला शांत हुआ था तो 24 फरवरी को पुलिस सुरक्षा हटा दी गई थी। जबकि बैरिकेडिंग हटाकर भी चार पहिया वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी गई थी। अब फायरिंग के बाद फिर से पुलिस सुरक्षा का कड़ा पहरा बैठा दिया गया है।

…तो सुरक्षा हटने की थी पूरी जानकारी

जिस तरह से उमेश कुमार के कैंप कार्यालय पर नकाबपोश बदमाशों ने फायरिंग की है उससे आशंका जताई जा रही है कि बदमाशों को यह जानकारी थी कि अब पुलिस सुरक्षा हट गई है। इसलिए उन्होंने फायरिंग की घटना को अंजाम दिया है। वहीं, पुलिस मामले में हर बिंदू पर गहनता से जांच कर रही है।

लोकल या बाहरी, इसकी चल रही जांच

चैंपियन और उमेश के विवाद के बाद भी सोशल मीडिया पर दोनों के समर्थक आपस में भिड़ रहे हैं। हाल ही में विधायक उमेश कुमार ने एक वीडियो पोस्ट की थी जिसमें मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर 28 फरवरी को पहुंचने की बात कही थी। साथ ही एक युवक को भी धमकी दी थी। ऐसे में पुलिस की जांच इस तरफ चल रही है कि फायरिंग करने वाले लोकल हैं या बाहरी हैं।

Uttarakhand: वन विभाग में करोड़ों का घोटाला, अपने  ऐशो-आराम पर लुटा दिया फंड !

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वन विभाग में करोड़ों का घोटाला,अपने  ऐशो-आराम पर लुटा दिया फंड !

उत्तराखंड में कैग यानि CAG की रिपोर्ट आने के बाद उत्तराखंड सरकार के वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. कैग ने राज्य में 2019-20 से 2021-23 के दौरान कैंपा के तहत हुए कार्याें का मूल्यांकन किया है। इसमें कई अनियमितता का खुलासा किया.. CAG रिपोर्ट में वन विभाग के CAMPA फंड में घोटालों की लंबी फेहरिस्त सामने आयी जिससे वन विभाग के अधिकारीयों के साथ-साथ वन मंत्री सुबोध उनियाल पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

उत्तराखंड में वनों के संरक्षण और पुनर्वनीकरण के लिए आवंटित फंड को घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट (2019-2022) में ₹13.86 करोड़ की अवैध निकासी और वित्तीय अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ है, सवाल यही है कि क्या वन मंत्री को इस घोटाले का कुछ भी पता नहीं था, जो इतने साल तक उनके सामने नहीं आ सका.. सबसे पहले आपको बताते हैं कि CAMPA फंड कहां-कहां बर्बाद हुआ।

पर्यावरण संरक्षण के नाम पर सरकारी अधिकारी ऐशो-आराम का सामान खरीदते रहे जिनमें iPhones, लैपटॉप, फ्रिज और कूलर की खरीद की बात सामने आयी है सरकारी इमारतों की मरम्मत और साज-सज्जा के पैसे से वन विभाग के ऑफिस और अफसरों के आवास चमकते रहे, लेकिन जंगल उजड़ते रहे जंगल बचाने के बजाय CAMPA फंड को कानूनी लड़ाइयों पर लुटाया गया ऐसी जगह को पौध रोपण के लिए चुना गया जहां  हकीकत में  पेड़ टिक ही नहीं सकते थे. 7 मामलों में 8 साल से ज्यादा की देरी से वृक्षारोपण किया गया.. देर से वृक्षारोपण, लागत में बेतहाशा बढ़ोतरी से धन को लुटाया गया वनीकरण की स्थिति एकदम नाकाम रही. CAG के अनुसार, लगाए गए पेड़ों का सिर्फ 33.51% ही जिंदा बचा, जबकि Forest Research Institute के मानकों के अनुसार 60-65% सफलता दर होनी चाहिए थी.. मतलब वन विभाग लगाए गए पेड़ों को भी बचाने में नाकमयाब रहा, अफसरों की मिलीभगत ऐसी कि बिना सही जांच किए ही भूमि को उपयुक्त बताया गया और ऐसे अधिकारीयों के  खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

 

कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा-

इतना ही नहीं सरकार की बड़ी लापरवाही और वित्तीय घोटाले का भी कैग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है विभाग द्वारा  275 करोड़ का ब्याज नहीं चुकाया गया CAMPA ने कई बार अनुरोध किया, लेकिन राज्य सरकार ने 2019-22 के दौरान ब्याज नहीं चुकाया. 76.35 करोड़ के मंजूर प्लान पर कोई फंड जारी नहीं किया गया.  सरकार ने स्वीकृत योजनाओं पर भी पैसा नहीं दिया, जिससे परियोजनाएं ठप पड़ी रहीं जबकि जुलाई 2020 से नवंबर 2021 के बीच CEO ने Head of Forest Force की अनुमति के बिना फंड जारी किया, जो नियमों के खिलाफ था बिना केंद्र की मंजूरी के जंगलों की कटाई की गयी, राज्य सरकार ने केंद्र की मंजूरी के बिना ही जंगलों को उद्योगों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए सौंप दिया।

ये हाल वन विभाग के तब हैं जब उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में साल दर साल बेतहाशा वृद्धि हो रही है। 2002 में जंगल की आग की 922 घटनाएं हुई थीं जिनकी संख्या 2024 में 21 हजार पार हो गई। इन घटनाओं में एक लाख 80 हजार हेक्टेयर से अधिक जंगल जल गए, भारतीय वन सर्वेक्षण  की हाल में जारी हुई रिपोर्ट पर गौर करें तो नवंबर 2023 से जून 2024 के बीच देश में वनों में दो लाख से अधिक घटनाएं हुईं। इनमें सर्वाधिक 74% की वृद्धि उत्तराखंड में रिकॉर्ड की गई। इसी कारण वनाग्नि में पिछले वर्ष 13वें नंबर पर रहा उत्तराखंड अब पहले स्थान पर है, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी में न्याय मित्र की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि उत्तराखंड में वनाग्नि प्रबंधन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है इसमें अग्निशमन उपकरणों, गश्ती वाहन और समन्वय के लिए संचार उपकरणों की कमी शामिल है.. लेकिन इस पर धायण देने के बजाय अधिकारी पैसा अपने ऐशो-आराम का सामान जुटाने में पैसे लुटा रहे हैं।

 

Uttarakhand: आवास बनाने वालों के लिए धामी सरकार ने खोले छूट के द्वार, सपना होगा साकार, जानिए कैसे मिलेगा फायदा.

 

वन विभाग का काम करने का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अभी हाल ही में हल्द्वानी में आग से बचाने के लिए की जाने वाली कंट्रोल बर्निग में कई नए लगाए पौधे भी जल गए इस पुरे घटनाक्रम से वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि वन विभाग आग बुझाने के बजाय नए पौधे ही जलाने में लग गया है,,, अब सवाल ये है इस सबके  जिम्मेदारों पर क्या कोई कार्रवाई होगी भी या नहीं CAG की रिपोर्ट ने वन विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है,,, क्या उत्तराखंड सरकार दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी या ये रिपोर्ट भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में ही दफन हो जाएगी ?

Uttarakhand: इस बार 2 मई को खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट, महाशिवरात्रि के शुभ पर्व पर घोषित हुई तिथि.

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ऊधमसिंह नगर जिले में ग्रीष्मकालीन धान की खेती पर लगे प्रतिबंध को इस साल के लिए हटा लिया गया है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक समाचार एजेंसी के माध्यम से दी। इस प्रतिबंध का किसान संगठनों ने लगातार विरोध किया था। किच्छा विधायक तिलकराज बेहड़ ने आंदोलन की चेतावनी दी थी, जबकि गदरपुर विधायक अरविंद पांडेय ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर प्रतिबंध हटाने की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले साल इस पाबंदी को फिर से लागू किया जा सकता है।

पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में आज महाशिवरात्रि के अवसर पर केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग की मौजूदगी में श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय हुई। आचार्य द्वारा पंचांग गणना के अनुसार मंदिर के कपाट खुलने की तिथि व समय घोषित किया गया।

इसके लिए केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग भी ऊखीमठ पहुंच गए थे। पुजारी शिव शंकर लिंग, बागेश लिंग और गंगाधर लिंग ने बताया कि ओंकारेश्वर मंदिर में सुबह छह बजे से पूजा-अर्चना शुरू हुई। बाबा केदार को बाल भोग, महाभोग लगाते हुए आरती की गई। इसके उपरांत रावल भीमाशंकर लिंग की मौजूदगी में श्री केदारनाथ धाम के कपाट दो मई को खोले जाने की तिथि घोषित की गई।

 

Uttarakhand: आवास बनाने वालों के लिए धामी सरकार ने खोले छूट के द्वार, सपना होगा साकार, जानिए कैसे मिलेगा फायदा.

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धामी सरकार ने नई आवास नीति में गरीबों का आशियाने का सपना पूरा करने के लिए विकासकर्ताओं के लिए छूट के द्वार खोल दिए हैं। ईडब्ल्यूएस श्रेणी में नौ लाख के आवास पर 3.5 से 4.5 लाख रुपये राज्य व केंद्र सरकार देगी। केवल 4.5 से 5.5 लाख रुपये लाभार्थी को देने होंगे। इस रकम के लिए बैंक से लोन लेने की प्रक्रिया और खर्च भी आसान कर दिए गए हैं।

 

इस तरह से मिलेंगे लाभ-

मैदानी क्षेत्रों में भवन पर छूट

 

ईडब्ल्यूएस आवास पर मैदानी क्षेत्रों में प्रति आवास अधिकतम नौ लाख रुपये तय किए गए हैं। इसमें 5.5 लाख रुपये लाभार्थी को वहन करने हैं। दो लाख रुपये का अनुदान राज्य सरकार और 1.5 लाख रुपये का अनुदान केंद्र सरकार देगी। आवास बनाने वाले को नौ लाख रुपये या 30 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर, जो भी अधिक होगा, वह मिलेगा।

 

 

पर्वतीय क्षेत्रों में बाखली शैली की छूट-

बाखली शैली में भवन बनाने पर और सुविधा होगी। ईडब्ल्यूएस के प्रति आवास नौ लाख में से केवल 4.5 लाख लाभार्थी को देने होंगे। तीन लाख रुपये का अनुदान राज्य सरकार देगी, जबकि 1.5 लाख रुपये का अनुदान केंद्र सरकार देगी। यानी आधा पैसा सरकार देगी।

 

स्टाम्प शुल्क में छूट-

ईडब्ल्यूएस के लिए 1000, एलआईजी के लिए 5000, एलएमआईजी के लिए 10,000 रुपये तय हुआ है। अभी तक छह प्रतिशत स्टाम्प शुल्क और दो प्रतिशत पंजीकरण शुल्क लगता था। जैसे अगर 10 लाख का घर है तो उसका छह प्रतिशत के हिसाब से 60,000 रुपये स्टाम्प शुल्क और दो प्रतिशत पंजीकरण के हिसाब से 20,000 रुपये पंजीकरण शुल्क लगता था। 80,000 रुपये के बजाए अब ये काम महज 1500 रुपये(500 रुपये पंजीकरण) में होगा। इसी प्रकार, बैंक से लोन लेने पर अनुबंध में स्टाम्प शुल्क 0.5 प्रतिशत लगता था जो अब नहीं लगेगा। यानी 10 लाख के आवास में 5000 रुपये भी बचेंगे।

 

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ईडब्ल्यूएस पर ये भी छूट-

10,000 वर्ग मीटर का भू-उपयोग परिवर्तन प्राधिकरण के स्तर से तीन माह के भीतर होगा। ईडब्ल्यूएस का नक्शा पास कराने का कोई शुल्क प्राधिकरण नहीं लेगा। परियोजना के लिए जमीन खरीदने वाली बिल्डरों को अलग से स्टाम्प शुल्क में छूट मिलेगी। यहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने पर इसकी प्रतिपूर्ति सरकार करेगी। परियोजना में कॉमर्शियल फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) मैदानी क्षेत्र में 25 प्रतिशत और पर्वतीय क्षेत्र में 30 प्रतिशत होगा। राज्य कर की प्रतिपूर्ति भी सरकार करेगी। परियोजना के लिए बैंक से लोन लेने पर ब्याज की प्रतिपूर्ति सरकार करेगी।

 

मैदान में अब ऊंची इमारतें बनेंगी-

मैदानी क्षेत्रों में आमतौर पर चार मंजिला भवन ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बनते रहे हैं, जिनमें लिफ्ट का प्रावधान नहीं था। नई आवास नीति के हिसाब से अब आठ मंजिला या निर्धारित 30 मीटर ऊंचाई तक के भवन बना सकेंगे। इसमें लिफ्ट लगा सकेंगे, जिसका 10 साल तक रख-रखाव बिल्डर को करना होगा।